पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:04

पंडित & शीला पार्ट--58

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी ने पलक झपकते ही शीला का गाउन उतार फेंका ..उसने ब्रा तो पहनी नहीं थी इसलिए उसकी मोटी - २ छातियाँ झूलती हुई पंडित जी के सामने आ गयी ..नीचे उसने सिर्फ एक पतली सी पेंटी पहन रखी थी .

पंडित जी नीचे झुके और उन्होंने शीला कि डाली में से बेर पकड़कर अपने मुंह में डाल लिया और उसे चूसकर उसका स्वाद लेने लगे ..

शीला बीच कमरे में ऊपर से नंगी होकर खड़ी थी ..वो सिर्फ अपनी आँखे बंद करके सिस्कारियां मारने के सिवाए कुछ नहीं कर पा रही थी .

अपने बांये हाथ को पंडित जी ने उसकी चूत कि तिजोरी में डाला और अपनी बीच वाली ऊँगली को चाभी बनाकर वहाँ का ताला खोल दिया ..

पंडित जी को ऐसा लगा कि उनकी ऊँगली मोम से बनी हुई है जिसे उन्होंने किसी आग कि भट्टी के अंदर डाल दिया है .



काफी देर तक उसके बेर का स्वाद लेने के बाद उन्होंने दूसरे बेर को भी उतनी ही देर तक चखा ..तब तक शीला कि भी हालत बुरी हो चुकी थी ..उससे जब सहन नहीं हुआ तो उसने पंडित जी का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठों से लगा कर उनका रस पीने लगी ..

पंडित जी को चूमते हुए उसके चेहरे पर असीम सी ख़ुशी थी ..


शायद अपनी बहन के सामने वो सब करने कि ख़ुशी थी ..

शीला तो पंडित जी के साथ रासलीला करने में मग्न थी और ये भी नहीं जानती थी कि वो सब उसकी छोटी बहन साफ़ देख पा रही है ..वैसे भी अभी तक तो शीला कि पीठ थी कोमल कि तरफ इसलिए कोमल को ज्यादा सावधानी नहीं बरतनी पड़ रही थी और वो खुली आँखों से सारा ज्ञान बटोर रही थी .

पंडित जी ने शीला को नीचे धक्का दिया और एक ही झटके में अपने कपडे उतार कर अपना खुन्कार लंड उसके मुंह में धकेल दिया ..और वो भी भूखी लोमड़ी कि तरह उनके लंड को कुतर कुतर कर खाने लगी .



नीचे बैठ जाने कि वजह से शीला तो कोमल कि आँखों से ओझल सी हो गयी थी ..इसलिए वो अब खुलकर अपने शरीर को पुरे बिस्तर पर मचला रही थी ..ऐसा लग रहा था कि पंडित जी कर तो शीला के साथ रहे हैं पर मजे कोमल को मिल रहे हैं .

वो बड़ी ही प्यासी नजरों से पंडित जी को देख रही थी ..उसकी नजर रह -रहकर उनके लंड कि तरफ जा रही थी ..पर उसकी बड़ी बहन कि वजह से वो उनके लंड को देख ही नहीं पा रही थी ..पूरा निगल चुकी थी शीला पंडित जी के लंड को ..

अपने शरीर से नियंत्रण खोता जा रहा था कोमल का ..उसने एक तीखी सी सिसकारी लेते हुए अपना हाथ अपने शॉर्ट्स के अंदर खिसका दिया ..और गीले पार्क के अंदर अपनी उँगलियों से खुदाई करने लगी .



पंडित जी के सामने इतना उत्तेजक दृश्य था ..नीचे शीला बैठ कर उनका लंड चूस रही थी और सामने उसकी छोटी बहन कोमल अपनी जवानी का जलवा दिखाकर उनके लंड के अंदर एक नए रक्त का संचार कर रही थी .

और कोई होता तो कोमल को साथ मिलाने में जरा भी देरी ना करता ..पर पंडित जी जानते थे कि कोमल को जितना तरसायेंगे वो बाद में उतना ही मजा देगी ..अभी ना सही कल तो उसे उनके लंड के नीचे आना ही है .

यही सोचकर उन्होंने अपना सारा ध्यान शीला कि तरफ कर दिया ..

उन्होंने उसे उठाया और ऊपर लेजाकर कोमल कि बगल में लिटा दिया ..कोमल ने पहले से ही अपनी हालत सुधार ली थी और फिर से बुत्त बनकर सोने का नाटक करने लगी ..

पंडित जी ने शीला को पेट के बल लिटा दिया ..ताकि कोमल वो सब आसानी से देख सके जो पंडित जी उसके साथ करना चाह रहे हैं ..अब कोमल ने अपनी आँखे खोल ली थी और सिर्फ एक फुट कि दूरी से वो सब देख रही थी जिसके लिए वो ना जाने कब से तरस रही थी .

पंडित जी ने अपनी खुरदुरी जीभ शीला कि कमर पर रख दी और उसे नीचे से ऊपर कि तरफ चाटना शुरू कर दिया ..

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ...स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ....उम्म्म्म ...पंडित जी ......अह्ह्हह्ह ....क्यों तरसा रहे हो ...जल्दी आओ न अब ..''

उसके जिस्म के नमक को पंडित जी अपनी जीभ से इकठ्ठा करते हुए निगल गए .

अब वो बेचारी शीला को क्या समझाते कि वो इतनी देरी क्यों लगा रहे हैं, वो तो कोमल को अपनी कला का नमूना दे रहे थे ..और उनकी कला का प्रभाव कोमल पर अंदर तक पड़ रहा था .

फिर उन्होंने शीला सीधा करके पीठ पर लिटा दिया ..और अब उसकी महकती हुई, दहकती हुई , रसीली ,मीठी सी चूत उनके सामने थी ..उन्होंने बिना उसकी पेंटी उतारे अपना चेहरा उसकी टांगो के बीच डाला और उसकी मोटी सी चूत को अपने मुंह के अंदर भरकर एक जोरदार कट्टी मार ली .
.

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्य्य्य्य्य्य ........मार्र्र्र्र .....गयी .....अह्ह्ह्हह्ह .....पंडित जी ......क्या करते हो ....कच्चा खा जाओगे क्या ....अह्ह्ह्हह्ह्ह .....''

शायद आवेश में आकर पंडित जी ने अपने पैने दांत कुछ ज्यादा ही तेज मार दिए थे शीला के खजाने पर ..

और उसका भुगतान करते हुए उन्होंने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया ..और अपने मोटे-२ होंठों के बीच उसकी चूत के पतले होंठ फंसाकर उन्हें मरहम लगाने लगे .



अपनी बहन कि चूत के साथ ऐसा खिलवाड़ होता देखकर कोमल को जलन सी होने लगी ..वो सोचने लगी कि वो सब उसके साथ क्यों नहीं हो रहा ..और मन ही मन अपने आप को कोसने लगी कि उसने पहले से ही पंडित जी को क्यों नहीं कहा उसके साथ भी ये सब करने को ...कितना मजा आए रहा है दीदी को ..काश वो मजा इस समय उसे भी मिल सकता ..

वो सोच ही रही थी कि पंडित जी का एक हाथ सीधा आकर उसकी चूत से टकराया ...उसका पूरा शरीर सिहर सा उठा ..शीला तो अपनी चूत चुस्वाने में बिज़ी थी इसलिए उसकी आँखे बंद थी ..

पंडित जी ने बिना देरी किये अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स के अंदर डाल दिया ..और उसकी कुंवारी चूत के छत्ते से ढेर सारा शहद निकाल कर बाहर ले आये ..और सीधा अपने मुंह में लेजाकर उसे निगल गए ..

वाह .....इतना मीठा शहद ....उनकी प्यास और भी बड़ उठी ...उनका हाथ फिर से वहाँ गया और फिर से अपनी गीली उँगलियाँ लेकर बाहर निकला ..पर इस बार उन्होंने उन उँगलियों को खुद चाटने के बजाये शीला के मुंह कि तरफ खिसका दिया ...जिसे वो प्यासी कुतिया कि तरह चूस गयी ..

वो सोच रही थी कि पंडित जी उसका खुद का रस उसे चटा रहे हैं ..पर वो नहि जानती थी कि ये तो उसकी कुंवारी बहन कि चूत का पानी है ..

अब पंडित जी से भी सहन करना मुश्किल हो रहा था ..

वो अपने घुटनों को मोड़ कर शीला कि टांगों के बीच आ गए ..और अपने ढोलू को उसकी ढोली पर रखकर एक जोरदार झटका मारा ..और एक ही बार में पूरा का पूरा उसके अंदर घुस गए ..

शीला आनद से चीत्कार उठी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म ...पंडित जी ..... येस्स्स्स .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ........अब मत तरसाओ ....मारो जोर से ....अपने धक्के ....चोदो अपनी रांड को .....चोदो मुझे .....जोर से .......''

अपनी बहन के मुंह से रंडियों जैसी बातें सुनकर कोमल कि हैरानी कि सीमा नहीं रही ..पर साथ ही साथ वो ये सब खुद भी बोलना चाह रही थी ..क्योंकि माहोल ही ऐसा बन चुका था वहाँ का ..अगर अपनी दीदी कि जगह वो खुद वहाँ होती तो शायद वो भी यही कहकर चिल्ला रही होती ..

अब शीला ऐसे चिला रही थी जैसे उसे अपनी बहन के होने या ना होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता ..अगर कोमल सच में भी सो रही होती तो इस वक़्त उसकी तेज चीखों से वो जरुर जाग चुकी होती .

पंडित जी ने पुरे पंद्रह मिनट तक उसको नीचे लिटा कर चोदा ..और फिर जब वो थक से गए तो वो खुद नीचे लेट गए और शीला को ऊपर आने के लिए कहा ..शीला भी आज पुरे मूड में थी ..उसने पंडित जी के पैरों कि तरफ मुंह कर लिया और उनके लंड को निगल कर उनपर बैठ गयी ..

और फिर शुरू हुआ अंतरिक्ष कि सैर का सिलसिला ..शीला पंडित जी के उड़नखटोले पर बैठकर अंतरिक्ष कि सैर पर निकल गयी ..और उन दोनों का हर झटका दोनों को चरम सुख कि तरफ धकेल रहा था ..

और अंत में दोनों ने एक साथ अपने-२ रस का त्याग कर दिया ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......शीला .......मेरी जान .....अह्ह्ह्हह्ह ........मैं आया .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....''

और पंडित जी के लंड कि सफ़ेद धार उसकी चूत कि दीवारों कि सफेदी करने लगी .

पूरी तरह से निढाल होकल शीला उनके ऊपर से उतरी और अपनी चूत से दोनों के रस को जमीन पर गिरने से बचाने के चक्कर में जल्दी-२ भागकर वो बाथरूम के अंदर चली गयी ..

उसके जाते ही कोमल किसी चीते कि तरह उनके गीले लंड के ऊपर लपकी और पलक झपकते ही अपनी बहन और पंडित जी के मिले जुले रस के मिश्रण को चट कर गयी ..

और अपनी बहन के आने से पहले फिर से उसी अवस्था में सो गयी .


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:05

पंडित & शीला पार्ट--59

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गतांक से आगे ......................

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शीला अपनी चूत कि सफाई करने के बाद वापिस आयी पंडित जी से लिपट गयी ..उसके चेहरे पर आ रहे संतुष्टि के भाव साफ़ दर्शा रहे थे कि आज उसे चुदने में कितना मजा आया है ..

शीला से गले मिलते हुए पंडित जी का चेहरा कोमल कि तरफ था ..जो बड़े ही प्यार से पंडित जी और अपनी बहन को गले लगे देख रही थी .

शीला : "पंडित जी ...आपने मेरी जिंदगी में जो रंग भरे हैं उनके लिए मैं आपकी हमेशा आभारी रहूंगी ..मेरी नीरस जिंदगी में आपके आने के बाद फिर से अरमान जागने लगे हैं ..जैसे ये कोमल वाला अरमान भी ..अब रहा नहीं जाता ...जल्दी कोई उपाय करो ..''

अपनी बहन के मुंह से अपने बारे में सुनकर कोमल चोंक गयी ..पंडित जी ने भी अपना माथा पीट लिया , क्योंकि वो अपने हिसाब से सब सेटिंग करना चाहते थे पर शीला ने कोमल के सामने में अनजाने में वो बात छेड़कर सारा प्लान चोपट कर दिया ..

कोमल ने हैरानी भरी आँखों से पंडित जी कि तरफ देखा जैसे पूछ रही हो कि ' ये चक्कर क्या है ..मेरा नाम क्यों ले रही है दीदी ..'

पंडित जी को कोई उपाय नहीं सूझा ..वो समझ गए थे कि अब छुपाना बेकार है ..

शीला उनसे लिपटी हुई ही बोली : "देखिये न पंडित जी ..आज जितना मजा मुझे कभी नहीं आया ..वो इसलिए कि मेरी बहन भी उसी कमरे में सो रही है जिसमे आप मुझे तृप्त कर रहे हैं ..''

इतना कहते -२ वो कोमल कि तरफ घूम गयी ..कोमल ने जल्दी से आँखे बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगी .शीला के दोनों मुम्मे लहरा रहे थे



शीला उसके पास आयी और उसके चेहरे पर झुक कर धीरे से पंडित जी से बोली : "देखिये न पंडित जी ..कितना मासूम सा चेहरा है इसका ...और कितना आकर्षक शरीर पाया है इसने ..इसलिए तो फ़िदा हु मैं इसपर ..''

कहते -२ शीला का हाथ उसके कर्वी बॉडी पर धीरे-२ फिसलने लगे ..

शायद अपनी बहन के प्रति आकर्षण कि वजह से आज शीला कुछ ज्यादा ही बोल रही थी ..और दूसरी तरफ नींद का नाटक कर रही कोमल के लिए तो जैसे ये सब एक तूफ़ान के जैसे था ..जिस तरह से उसकी बहन बात कर रही थी उसे सब समझ में आ रहा था कि उसकी अपनी बहन उसके लिए पागल सी हुई जा रही है ..और उसके जहन में वो सभी बातें आने लगी कि कैसे शीला आजकल उसकी तरफ भूखी नजरों से देखती है ..उसके शरीर पर जाने-अनजाने इधर उधर हाथ लगाती है ..उसे गले लगाकर उसके शरीर को फील करती है ..अब उसे उन सभी बातों का मतलब समझ आ रहा था ..

पहले पंडित जी के साथ सम्बन्ध और अब लेस्बियन भावनाओं के उजागर होने के बाद कोमल का अपनी बहन को देखने का नजरिया एकदम से बदल गया ..जिसे वो भोली-भली समझती थी कुछ ही दिनों में उसके ऐसे रंग देखकर उसका सर चकरा रहा था ..

दूसरी तरफ शीला ने एकदम से झुककर कोमल के नरम और मुलायम होंठों को धीरे से चूम लिया ..

अभी तक तो कोमल ये सोच रही थी कि आखिर शीला के अंदर ऐसी भावनाएं आयी कैसे ..क्योंकि एक औरत का सिर्फ मर्द के साथ ही रिश्ता अच्छा लगता है ..जिसमे आनंद कि सम्भावना होती है ..पर उसने आज तक किसी और लड़की के साथ ये सब करने के बारे में ज्यादा नहीं सोचा था.

पर जैसे ही शीला ने अपने तपते हुए होंठों से उसे चूमा वो सिहर सी उठी ..उसके होंठों कि गर्मी को अपने मुंह पर महसूस करते ही उसके अंदर अजीब सी तरंगे उठने लगी ..ये पहली बार हो रहा था उसके साथ ..किसी मर्द को चूमते हुए ऐसा नहीं हुआ था ..इसका मतलब ...इसका मतलब उसे भी ये सब पसंद आ रहा था ..जब तक उसकी बहन उनके बारे में बातें कर रही थी तब तक तो ठीक था ..पर एक हलकी सी किस्स को महसूस करते ही उसकी जिंदगी के मायने भी बदल से गए ..उसे उन होंठों कि खुश्बू इतनी पसंद आयी कि मन कर रहा था कि उन्हें स्मूच कर डाले ..शीला के शरीर से निकल रही भीनी खुशबु उसे अपनी तरफ खींच रही थी पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने हाथों को रोका हुआ था ..ये हो क्या रहा था उसके साथ आज ..

पंडित जी शीला को रोकना चाहते थे पर जैसे ही उन्होंने नोट किया कि शीला के चूमने के बाद उसके शरीर में अजीब सा कम्पन हुआ है तो वो समझ गए कि कोमल को भी इन सबमे मजा आ रहा है ..वो चुप रहे और उन दोनों बहनों का तमाशा देखने लगे ..

शीला नीचे खिसकी और उसकी गर्म साँसे कोमल कि गर्दन से होती हुई उसके उरोजों पर आकर रुक गयी ..

टी शर्ट के खुले गले के अंदर से उसके उभार साफ़ नजर आ रहे थे ..

वैसे तो पंडित जी को उसके खड़े हुए निप्पल भी नजर आ रहे थे ..पर शीला का ध्यान उस तरफ नहीं था ..वो तो अपनी बहन के मादक बदन को सूंघते हुए उसपर अपने होंठों कि मोहर लगाती जा रही थी .

पंडित जी आराम से बेड के कोने में बैठ गए .

शीला पर ना जाने क्या भूत चढ़ गया कि उसे अपनी बहन कोमल के जाग जाने का डर भी नहीं रहा ..वो कोमल के सख्त उरोजों को बेदर्दी से मसलने लगी ..और ऐसा करते हुए जैसे ही उसकी हथेलियों को उसके कोरे निप्पल महसूस हुए उसने उनको पकड़ कर जोर से भींच दिया ...

कोमल नींद का नाटक करते-२ कुनमुनाने लगी ..

शीला ने उसकी टी शर्ट को ऊपर किया और उसका गोरा पेट उजागर कर दिया ..शीला के साथ -२ पंडित जी के मुंह में भी उसका सपाट पेट देखकर पानी भर आया .

पर पंडित जी अभी कुछ नहीं कर सकते थे ..क्योंकि कोमल कि बहन का हक़ पहले था उसपर ..

और अपने हक़ का फायेदा उठाते हुए शीला ने अपनी जीभ को उसकी नाभि के कुँवे के अंदर उतार दी ..और वहाँ से आनंद मिश्रण से सराबोर पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी ..

अब तो कोमल से भी सहन करना मुश्किल सा होता जा रहा था ..उसका शरीर किसी सर्प कन्या कि तरह बिस्तर पर लहराने लगा ..और शीला को लग रहा था कि वो नींद में वो सब महसूस करते हुए लहरा रही है .

शीला अभी तक नंगी थी इसलिए कोमल के शरीर के नंगे हिस्से से टकराने पर दोनों के शरीर से अजीब सी झन्नाहट निकल रही थी .

शीला ने एक बार पंडित जी कि तरफ देखा जैसे आगे बढ़ने कि परमिशन मांग रही हो ..पंडित जी ने सर हिला कर उसे आगे बढ़ने का हुक्म दिया ..

और पंडित जी का हुक्म मिलते ही शीला ने कोमल कि टी शर्ट को पूरा ऊपर कर दिया ..उसने ब्रा तो पहनी ही नहीं हुई थी ..इसलिए टी शर्ट के हटते ही उसके दोनों स्वर्ण कमल उजागर होकर दोनों कि आँखों के सामने चमकने लगे ..

शीला ने एक नजर कोमल के चेहरे पर डाली और फिर दूसरे ही पल उसने उसकी छाती पर डुबकी लगाकर उसके बादाम जैसे निप्पल को अपने होंठों के बीच दबोच लिया और प्यासी हिरनी कि तरह उसका दूध पीने लगी ..और दूसरे हाथ से उसके दूसरे मुम्मे को दबाकर उसकी नरमी का एहसास समेटने लगी .

पंडित जी के सामने शीला कि गांड थी जिसे वो किसी कुतिया कि तरह लहरा कर अपने भोजन का मजा ले रही थी ..

अब तक तो शीला के मन से सारा डर निकल चूका था ...वो उस मुकाम पर पहुँच गयी जब उसे कोमल के जाग जाने का भय भी नहीं रहा ..वो उसके शरीर को कचोट रही थी, नोंच रही थी ..खा रही थी .

और इन सभी का प्रभाव कोमल पर बुरी तरह से पड़ रहा था, उसे भी अब पंडित जी से ज्यादा अपनी बहन से मजे लेने कि सूझ रही थी ..बस वो किसी तरह से आखिरी पलों तक सोने का नाटक करना चाहती थी, क्योंकि वो देखना चाहती थी कि उसकी बहन आखिर कहाँ तक जाती है .

अचानक शीला ने उसके दूध के टेंकर छोड़ दिए और अपने लार उगल रहे होंठों को उसके पेट से नीचे लाते हुए उसकी चूत तक ले आयी ..और पायजामे के ऊपर से ही उसकी चूत को सूंघकर उसने एक जोरदार सांस अंदर खिंची ..और फीर एक झटके के साथ उसके पायजामे को पेंटी समेत नीचे कि तरफ खिसका दिया ..और अपने ही रस से नहायी हुई उसकी चूत कि महक से पूरा कमरा नहा उठा ..अब कोमल भी शीला कि तरह पूरी नंगी थी .


शीला का दिल जोरों से धड़क रहा था ..उसने एक दो बार अपने होंठों पर जीभ फेराई और फिर अपनी सूखी हुई जीभ से कोमल कि गीली चूत का पानी चाटने लगी ..धीऱे ....धीरे ......

और जैसे -२ वो उसकी चूत को चाट रही थी , वो साफ़ सुथरी होकर निखरती चली जा रही थी .



और जैसे -२ शीला कि जीभ उसकी चूत के अंदर जा रही थी , वैसे -२ कोमल कि हालत बिगड़ती जा रही थी ..और आखिरकार जैसे ही शीला ने उसकी चूत के दाने को अपने दांतों के बीच दबोचा वो बिलबिलाती हुई उठ बैठी और जोर से शीला के सर को पकड़ कर अपनी चूत के अंदर तक दबा दिया ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ........दीदी ...........उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ........क्याआआआ ......करते ........होओओओओओओओओओ ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स ......चूओसूू ......अह्ह्हह्ह ....और अंदर ....तक ....चूसो ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म ...''

शीला तो एकदम से चोंक गयी ....वो झटके से उठना चाहती थी पर कोमल ने उसके सर को इतनी जोर से पकड़ कर दबाया हुआ था कि वो उठ भी नहीं पायी ...

और कोमल को ऐसे चिल्लाकर मजे लेते हुए देखकर शीला भी समझ गयी कि जाने अनजाने वो जो कुछ भी कोमल के साथ कर रही थी वो उसे भी पसंद आया, वर्ना गुस्सा होने के बजाये वो ऐसे बिहेव ना कर रही होती ..

उसकी आँखों से ख़ुशी के आंसू निकलने लगे ..और कोमल कि जाँघों को भिगोने लगे ..

अपनी टांगों पर अपनी बहन के आंसू महसूस करते ही कोमल ने झट से शीला के चेहरे को पकड़कर ऊपर उठाया ..और बोली : "ये क्या दीदी .....आप रो रही है ...''

शीला : "मुझे माफ़ कर देना कोमल ...आज शायद तुझे मेरा ये रूप देखकर धक्का लगा होगा ...पर ..''

वो बहुत कुछ बोलकर अपनी बात रखना चाहती थी पर कोमल ने उसके होंठों पर ऊँगली रखकर रोक दिया और बोली : "नहीं दीदी ....बस ....मैं सब समझती हु ...मुझे पता है कि आपने जो भी किया वो सही था ...'' उसने पंडित जी कि तरफ इशारा करते हुए कहा ...

"और अभी भी जो कर रही है वो भी सही है ....'' उसने अपनी चूत कि तरफ इशारा करते हुए कहा ...

''क्योंकि इंसान को सबसे पहले अपनी ख़ुशी देखनी होती है दीदी ...आप इतने समय से विधवा का जीवन जी रही है, पर किसी को भी आपकी ख़ुशी कि चिंता नहीं है ...ये दुनिया बड़ी जालिम है दीदी ..किसी को दूसरे कि ख़ुशी या गम से कोई मतलब नहीं है, सब अपनी जिंदगी जीने में लगे हुए हैं ..मैं भी तो अपने दिल को खुश रखने के लिए इतने दिनों से पंडित जी कि मदद से अपनी इच्छाएं पूरी कर रही थी ...पर इन सबमे मैंने भी कभी आपकी खुशियों के बारे में नहीं सोचा ...आप सही है दीदी ..जो भी आपने किया वो सब सही है ..और आगे भी जो कुछ करेंगी वो भी सही होगा ...मैं आपके साथ हु ..''

और इतना कहते -२ वो दोनों बहने एक दूसरे के गले से लिपटकर फफक - २ कर रोने लगी ..

पंडित जी कि आँखे भी नम सी हो उठी ..दो बहनों का ऐसा प्यार देखकर किसका मन नहीं रो उठेगा .

और रोते -२ कोमल ने शीला के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूसने लगी ..और धीरे-२ दोनों का रोना बंद हो गया और एक मिनट के अंदर ही दोनों जंगली बिल्लियों कि तरह एक दूसरे को बुरी तरह से स्मूच कर रही थी .

पुरे कमरे में दोनों कि सिस्कारियों कि आवाजें गूँज रही थी ..

एक तूफ़ान जन्म ले रहा था वहाँ .


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:06

पंडित & शीला पार्ट--60 एण्ड

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गतांक से आगे ......................

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वातावरण में ऐसा बदलाव महसूस करते ही पंडित जी का लिंग भी तनाव से भर उठा ..पर उन दोनों को देखकर लग नहीं रहा था कि अभी कुछ देर तक उनकी जरुरत भी पड़ेगी उन दोनों को ..

क्योंकि सबसे पहले तो शीला अपनी प्यास बुझायेगी ..क्योंकि इतने दिनों से उसने जो जज्बात अपने दिल में छुपा कर रखे थे उन्हें दिखाने का और पूरा करने का आज मौका मिल चूका था उसे .

दोनों के नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़कर चिंगारियां उत्पन कर रहे थे ..ऐसी चिंगारियां जिनसे पूरा कमरा जल उठा था , वहाँ का तापमान भी बढ़ चूका था.

कोमल कि चूत तो काफी चूस चुकी थी शीला और अब मौका था उसका बदला उतारने का ..इसलिए कोमल ने शीला को बेड के किनारे पर लिटाया और उसकी दोनों टांगो को अपने सर के दोनों तरफ हवा में लहराकर बड़े ही प्यार से उसकी आँखों में देखा और बिना नजर हटाये अपनी जीभ निकाल कर उसकी उफान खाती हुई चूत पर लगा कर वहाँ से निकल रहे झरने का गर्म पानी पीने लगी .

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म .....मेरी बच्ची .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....कोमल ........ चाट .....अह्ह्ह्ह ...जोर से चूओस .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

उसने बड़ी ही बेदर्दी से कोमल के बालों को पकड़ा और उसे अपनी चूत के ऊपर घिसने लगी ..जैसे मूली कुतर रही हो परांठे बनाने के लिए .

और कोमल भी अपनी बहन के ऐसे बर्ताव से जंगली बन चुकी थी ..उसने सिर्फ अपनी जीभ को कड़ा करके सामने कि तरफ निकाला हुआ था और बाकी का काम शीला कर रही थी ..उसकी सख्त जीभ शीला कि खुरदुरी चूत के धरातल को ठोकरें मारती हुई वहाँ से निकल रहे मिनरल को सोंख रही थी ..ऐसा स्वाद और अनुभूति आज तक कोमल को महसूस नहीं हुई थी .

अचानक कोमल ने अपने मुंह के चुंगल में शीला कि चूत के दाने को भींच लिया ..और वो चिहुंक कर उठ बैठी और उसके खुले हुए मुंह से बड़ी मुश्किल से बस यही निकला : "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......कोमल ..........अह्ह्ह्हह्ह्ह ....नाआआनन्न्नन .....करररररररर ........उफ्फ्फ्फफ्फ़ ....''

और फिर भी जब कोमल नहीं मानी तो उसे पीछे कि तरफ धकेलते हुए उसे जमीन पर औंधा लिटा दिया ..पर फिर भी जिद्दी कोमल ने उसके दाने को नहीं छोड़ा ..अब शीला का पूरा शरीर किसी नागिन कि तरह लहरा रहा था और वो नीचे लेती हुई कोमल के मुंह पर डांस कर रही थी ..अपने उरोजों को मसल रही थी ..अपने बालों पर उँगलियाँ फेरा रही थी ..

पंडित जी भी अपने लंड को मसलते हुए उसका कामुक डांस देखने लगे ..

और जब शीला को महसूस हो गया कि कोमल उसकी चूत को नहीं छोड़ने वाली है तो उसने पीछे कि तरफ मुंह करते हुए अपने हाथ कि दो उँगलियों से कोमल कि चूत को कचोट लिटा ..अपनी धरोहर पर हुए हमले से कोमल के मुंह से वो दाना फिसल कर बाहर निकल गया ..बस इतना मौका काफी था शीला के लिए ..वो पलटी और कोमल कि चूत कि तरफ मुंह करके लेट गयी ..और अगले ही पल उसकी चूत कोमल के मुंह में थी और कोमल कि उसके मुंह में ..दोनों 69 कि पोसिशन में आ चुके थे .

अब शीला कि बारी थी उसकी चूत को चूसने कि ..

उसके मुंह से इतनी लार निकल रही थी कि सामने पड़ी हुई चूत पूरी भीग गयी थी ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह .....पूूचssssssssssssssssss ......उम्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........सड़प ........उम्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह .... ....''

पुरे कमरे में बस यही आवाजें गूँज रही थी ..

और पुरे दस मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद दोनों को ऐसा लगने लगा कि वो फट जाएंगी ...ऐसा कसाव महसूस हो रहा था उन्हें अपनी चूत के अंदर ...और हुआ भी ऐसा ही ...जैसे ही दोनों चरम सीमा पर पहुंचे ..एक दूसरे कि चूत से निकले फुव्वारों से दोनों के चेहरे भीग गए ...

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......दीदी ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .......येएस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ...... अह्ह्ह्हह्ह्ह .....''

कोमल ने शीला कि बड़ी सी गांड पकड़कर जोर से अपनी तरफ भींच लिया ....और शीला ने भी कुछ ऐसा ही किया ..बल्कि वो एक कदम और आगे बड़ गयी ..उसने अपनी एक ऊँगली सीधा लेजाकर कोमल कि गांड के अंदर उतार दी ...

''अययययययययईईईइ .......उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ .....ये क्याआआआआ .......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....नो ....दीदी .......नहीईईईईई ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहीईईईईईईईई ........''

शीला उसके ऊपर से हट गयी ....और साईड में लेटकर उसकी गांड में फांसी ऊँगली को अंदर बाहर करने लगी ..

कोमल अभी-२ झड़ी थी ...पर फिर भी शीला के ऐसा करने से उसके अंदर एक नया रक्तसंचार हो रहा था ..उसकी चूत के साथ - २ अब उसकी गांड भी पुलकुलाने लगी थी ..

शीला ने एक नजर पंडित जी कि तरफ डाली ...जो अपने लंड महाराज को अपने हाथों में पकड़कर उसकी तेल से मालिश कर रहे थे ..

शीला बोली : "पंडित जी ....आइये ..और मेरी इस छोटी बहन को भी वही सुख प्रदान कीजिये जो आपने मुझे किया ...और मेरी ही तरह इसके जीवन को भी खुशियों का आशीर्वाद दीजिये ...''

कोमल इतना सुनते ही चोंक कर शीला कि तरफ देखने लगी ..वहाँ मौजूद हर शख्स जानता था कि यही होना है ..पर इतना नाटक करना तो बनता ही था न कोमल का ..

शीला : "घबरा मत मेरी लाड़ली ....पंडित जी पर भरोसा रख ...आज तू जिस दुनिया में कदम रखने जा रही है, उसका सूत्रधार पंडित जी से अच्छा कोई और हो ही नहीं सकता ...इनके साथ तुझे ये दुनिया बड़ी आनंददायक लगेगी ..चिंता मत कर ....मैं हु न ....''

और इतना कहते हुए वो साईड में हो गयी ..

पंडित जी आगे आये ..और उन्होंने कोमल को बड़े प्यार से उठाकर वापिस बिस्तर पर लिटा दिया ...

कोमल का पूरा नंगा शरीर पंडित जी के आने कि प्रतीक्षा कर रहा था ..

पंडित जी से पहले वहाँ शीला जाकर लेट गयी ...और उसने अपनी बहन कि चूत को पकड़कर उसकी फांके फेला कर पंडित जी कि तरफ देखा और बोली : "देखि है ऐसी चूत आपने आज से पहले ...मारी है किसी कि इतनी टाइट चूत ....हूँ .....''

पंडित जी ने ना में सर हिला दिया ...

पंडित जी सीधा आकर कोमल कि टांगो के बीच पहुँच गए ..शीला ने बड़े प्यार से पंडित जी के लंड को पकड़कर कोमल कि चूत के ऊपर रखा ..

कोमल को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसकी चूत पर किसी ने गर्म लोहे कि रॉड रख दी हो ..और उस रॉड को ठंडा करने का काम शीला ने किया ...

जैसे ही पंडित जी ने अपने लंड को धक्का देना शुरू किया ...शीला ने झुककर अपनी जीभ से उनकी रॉड कि तपन को कम करना शुरू कर दिया ..

शीला कि जीभ से घिसता हुआ पंडित जी का लंड इंच - २ करता हुआ कोमल के सुखसागर में डूबने लगा ..

उनके लंड के सिरे को अपनी चूत पर महसूस करके पहले - पहल तो कोमल को बहुत मजे आये ..पर जैसे ही उनका लंड अंदरूनी दीवारों को फैलाकर अंदर घुसने लगा उसके शरीर में ऐंठन सी आने लगी ...उसने बिस्तर कि चादर को अपने हाथों से पकड़ कर भींच लिया ..और कटकटाते हुए दांतों के बीच से उसकी चीखे निकलकर बाहर आने लगी ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्य्य्य्यीईईई .......उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ......पंडित जी ..........बस .......करो ..........अह्ह्ह्हह्ह्ह .....दर्द ....हो रहा है .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...नूऊऊऊऊ ........मत करो .......ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ ..... ''

और शीला अपनी बहन कि तकलीफ को कम करने के लिए वापिस ऊपर गयी और उसके होंठों को चूमते हुए उसे सांत्वना देने लगी ...

''बस .....बस ....बस ....हो गया ......पूछ्ह्ह ........बस हो गया मेरी बच्ची .......हो गया .....''

इसी बीच पंडित जी का टांका कोमल कि चूत कि झिल्ली पर जाकर अटक गया ...इससे पहले कोमल कुछ बोल पाती, पंडित जी ने एक जोरदार धक्का मारकर उसे धवस्त कर दिया ...और अपने लंड समेत उसके गर्भ में दाखिल हो गए ...एक पतली सी लाल रंग कि धार निकलकर बाहर कि तरफ रिस गयी ..

टूट चुकी थी कोमल कि चूत कि सील ...आज वो कली से फूल बन चुकी थी ..औरत बन चुकी थी वो पूरी तरह से .

और कुछ देर तक रुकने के बाद पंडित जी ने धीरे -२ धक्के फिर से मारने शुरू किये ...अब कोमल का शरीर भी उन धक्को कि लय से लय मिलाते हुए हिलने लगा ...

पंडित जी को ऐसा लग रहा था कि वो किसी नाव में सवार है जिसका हर हिचकोला उन्हें किनारे कि तरफ ले जा रहा है ..

अब पंडित जी ने पुरे वेग के साथ धक्के मारने शुरू कर दिए ...

पुरे कमरे में फच - फच - फच कि आवाजें आ रही थी ....कोमल को इतना आनंद आज तक महसूस नहीं हुआ था ...

''ओह्ह्हह्ह ....पंडित जी ...... उम्म्म्म .......हाँ .....ऐसे ही ......और तेज ....अह्ह्ह्ह ......अआप सच में मुझे ....अह्ह्ह ...चोद रहे हो .....''

पंडित : "उम्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...हाँ .....मैं तुझे चोद रहा हु .....तेरे अंदर मेरा लंड है ....आज मैंने तेरा कुंवारापन ले लिया .....अह्ह्हह्ह .....''

इतना सुनते ही कोमल के अंदर का तूफ़ान धक्के मारकर उसकी चूत के रास्ते बाहर निकल आया ....झटका इतना तेज था कि पंडित जी के लंड को भी उसने बाहर धकेल दिया ..

एक भीनी सी खुशबु पुरे कमरे में फैल गयी ...और लहू मिश्रित रस कि धार निकलकर कोमल कि चूत से बाहर आने लगी ...

पंडित जी ने अपने खड़े हुए लंड को फिर से पकड़कर उसकी रसीली गली में धकेल दिया ...इस बार वो ऐसे फिसल कर अंदर गया जैसे बरसों से चुद रही हो कोमल ..

और फिर पंडित जी ने उसकी टांगों के टखने पकड़कर ऊपर हवा में उठाया और रुक रूककर ऐसे धक्के मारे कि कोमल का पूरा शरीर हवा में उठने लगा ...

''अह्ह्ह्ह ...उम्म्म्म ....ओह्ह्हह्ह्ह्ह .......स्स्स्स्स्स्स्स .....अह्ह्हह्ह ...पंडित जी ..... ...बस .....भी करो ....अह्ह्ह्ह ....और नाहीस अहन होता ....अह्ह्हह्ह .....बीएस पंडित जी ..... ''

पर पंडित जी कहाँ मानने वाले थे ...उनके हर झटके ने उसे और ऊपर उछालने का कार्यकर्म जारी रखा .... और फिर पंडित जी का भी चरम बिंदु नजदीक आ गया और जैसे ही उनके लंड कि पहली फुहार कोमल कि चूत से टकरायी ...वो अपनी आँखे फेला कर जोर से चिल्लाई .....

''अह्ह्ह्हह्ह .....पंडित जी .........सब दे दो .....सारा रस निकालो मेरे अंदर ......अह्ह्ह्हह्ह्ह ......हाआँ ....ऐसे ही .......ई केन फील यूऊऊउ ........अह्ह्ह्हह्ह ....''

और पंडित जी हाँफते हुए उसके पसीने से लथपथ शरीर पर गिर गए ...

दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे ...

और सबसे ज्यादा संतुष्ट तो शीला थी ...वो जानती थी कि पंडित जी के नेतृत्व में उसकी बहन का जीवन अच्छा गुजरेगा ...क्योंकि नारी के शरीर का पूरा ज्ञान था पंडित जी को ..जैसा उसने खुद ने फील किया था वो सब अब कोमल भी महसूस करेगी ..और वो हमेशा खुश रहेगी ..जैसा कि वो खुद थी अब ..

और उस दिन के बाद तो पंडित जी कि हर रात कोमल कि चुदाई में और हर दिन शीला कि जवानी का नशा उतारने में बीतने लगी ..पर दोनों कि जवानी थी ही इतनी मस्त कि दिन रात चोदने के बाद भी पंडित जी को हर बार दुगना मज़ा मिलता था ..

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समाप्त
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दोस्तों ....जैसा कि मैंने पिछले अपडेट में बताया था , अब मैं इस गाथा को यहीं समाप्त कर रहा हु ..आप सभी ने इस कहानी को इतना पसंद किया जिसकी वजह से ये आज यहाँ तक आ पहुंची है ...इस कहानी कि लोकप्रियता का सारा श्रेय मैं आप सभी पाठकों को देना चाहता हु क्योंकि आपके दिए सुझाव और कमेंट पड़कर ही मुझे कहानी को यहाँ तक लाने कि प्रेरणा मिली ..

एक नयी रोचक कहानी के साथ जल्द ही आपसे मुलाकात होगी ..

तब तक के लिए मेरी दूसरी कहानियों का मजा लीजिये ..

धन्यवाद.

आपका दोस्त


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