बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई

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The Romantic
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Re: बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 15:20

जब जीभ थोड़ी तक जाती तो अपने नाक से उसके दाने को सहलाने लगता. रोमा कीसिसकारियाँ चालू थी, "चाट मेरी चूत, छूतिए! खा जा मेरी रसभरी चूत को!" थोड़ी देर बाद सुरेश ने अपना अगला कदम बढ़ते हुए उसे बाथटब मे लिटा दिया और खुद उसकी बर्दास्त से बाहर होते हुए अपने लंड को रोमा के मुहन के सामने लहरा दिया. बाकी का काम रोमा ने खुद अपने हाथ ले लिया. सुरेश का 10" का पीपे उसके हाथो मे तड़प रहा था. हाथो से आयेज पिकचे करते हुए उसके लंड के सुपारे को जीभ से चाटने लगी. सुरेश का पूरा शरीर कांप उठा. गरम जीभ का स्पर्श पाते ही बदन का लहू `वन-वे' हो गया लॉड की तरफ. रोमा अपनी जीभ से उस मोटे लूंबे लॉड की लंबाई नाप रही थी. जीभ से उसके अंगूर को च्छेद रही थी. अब सुरेश से रहा नही जराहा था. वो एकदम काँपति हुई आवाज़ मे बोला, ""वाउ, मज़ा आ रहा है. छातो मेरे लंड को.. किसीने ऐसे चटा नही मेरे लंड को पहले. मेरे लंड को जन्नत मिल गयी, आज. ले चूस मेरे लंड को. मेरे लंड को पूरा मूह मे ले करचूसो." रोमा ने अपने होतो का एक गोल सर्कल बनाया और उसके लंड के केवलसुपरे को ही अंदर लिया. पूरा लंड लेना उसके बस की बात नही थी. वा रुक रुक कर तोड़ा तोड़ा लंड को मुहन मे ले रही थी. सुरेश एक दूं से बेसबरा हो रहा था. वा एक झटके से लंड को पूरा मुहन मे डालने के लिए एक धक्का मार दिया. रोमा ने तड़फते हुए लंड मुहन से निकाल दिया और खाँसते हुए बोली, "जालिम, पहले अपने लंड को तो देख. साला पूरा गढ़े जैसा है. पूरा मेरे मुहन मे कैसे जाएगा. तोड़ा रहम कर." सुरेश बोला, "अच्च्छा मेमसाहिब, अब धक्का नही दूँगा. मैं तोढ़ा ज़्यादा ही जोश मे आ गया था. लेकिन अब इसे चूसो. तड़फाव मत मुझे." रोमा उसके लंड को छत रही थी उपर से फव्वारे से पानी गिर रहा था. सुरेश को जन्नत का मज़ा मिल रहा था. तभी सुरेश को महसूस हुवा की अगर लंड को रोमा के मुहन से नही निकाला तो फव्वारे की तरह उसका लंड भी पानी फेंकने लगेगा. उसने रोमा को बाथटब मे लेटाकार उस पर छा गया और उसके मम्मे अपने हाथों से पकड़ एक को मुहन मे लेकर आम की तरह चूसने लगा. रोमा के मुहन से सिसकारी निकल गयी. सुरेश बगैर दंटो से नुकसान पहुँचाए उसके एक-एक करके दोनो उरजो को बरी-बरी से मुहन मे लेकर चूस रहा था. साथ मे बोलता भी जा रहाथा, "मेमसाहेब, तुम्हारे स्तन्नो का जवाब नहिन.....तुम्हरे बूब्स कितनेमलाई जिट्नी चिकान्य है....ऽउर तुम्हारे गुलाबी निपल्स... उफ्फ....इनेह तो मैं खा जाऊँगा." रोमा सिसकारी लेते हुए बोली, ""ही! और ज़ोर से मेरी चुची मसालो, इनको खूब दब्ाओ, दबा दबके इनका सारा रूस पी जाऊ. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. मेरे पूरे बदन मे नशा च्छा रहा है. ही मुझको इतनामज़ा कभी नही मिला. और दब्ाओ मेरी चुची को." सुरेश उसके मम्मे चुसते हुए अपने एक हाथ को उसके मुममे से सरकते हुए उसकी छूट के उपर हाथ से मालिश करने लगा. रोमा का जोश दुगुना हो गया. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी. जिनको सुनकर सुरेश का भी जोश बढ़ गया. उसका मुहन और दोनो हाथ की स्पीड डबल हो गयी. अपनी जीभ से उसकी कड़क हुई निपल्स को चूसने के साथ उसकी छूट और झांतों पर अपनी रग़ाद बढ़ा डी. आआह्ह्ह्ह......प्लेअसे आहिस्ता करो. रागडो मेरी चूत को.. आराम से करो.. मज़ा आ रहा है तुम ने क्या कर दिया है.. आज ऐसा पहली बार फील कर रही हून औरबहुत अछा लग रहा है.. हन ऐसे.. आराम से.. मगर रुकना मत.. करते रहो.. ऑश." लोहे को गरम होते देख सुरेश ने अब अपना हात्ोड़ा मारना ही अच्च्छा समझा. उसने रोमा को दीवाल के सहारे खड़ा कर उसके पीच्चे से अपने दोनो हाथो से उसके चूतड़ को सहलाना शुरू कर दिया. अफ... क्या गुदाज़किस्म के उसके चुतताड थे. ढूढ़ मे सिंदूरी कलर डाले हुए रंग के चूतड़. वो अपनी किस्मत पर यकीन ही नही कर पा रहा था. वाकई मेऐसी चूत और चूतड़ किस्मत वाले को ही मिलते है. उसने अपनी जीभ निकल कर उसके चूतड़ को चाटना चालू कर दिया. रोमा के मादक बदन मे एक सिहरन दौड़ गयी. उसका बदन का एक-एक रोया शिहर उठा. पूरे बदन मे बिजली कड़क रही थी. चूतड़ को छत-ते छत-ते अपनी जीभ को उसकी पीछे से उभर कर बाहर आई हुई चूत पर लगा दिया. जीभ चूत पर लगते ही रोमा के मुहन से "ओफ्फ्फ...ओफ्फ्फ" की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. अपनी जीभ को सुरेश ने धीरे धीरे आयेज बढ़ते हुए चूत की चुदाई अपनी जीभ से चालू कर डी. चोदना-चाटना, चोदना-चाटना, चोदना-चाटना यही कर रहा था अपनी जीभ से उसकी चूत को. "ऊवू माआ.. ओह आहाा.. यह क्या कर रहे हो, बहुत मज़ा आ रहा है और छातो, चूस डालो... पानी निकल दो इसका.... बहुत प्यासी है मेरी चूत," रोमा की लहराती हुई आवाज़ बाथरूम मे गूँज रही थी. मेरी प्यास बुझा दो, मुझे ठंडा करदो.. मेरा जिस्म बहुत जल रहा है.. कुच्छ कुच्छ हो रहा है मान मे, प्ल्ज़्ज़ मेरी आग बुझा दो मेरी.. प्ल्ज़्ज़." सुरेश ने उसकी रसीली चूत की छूसा कर उसे वैसे ही खड़ा रहने दिया और अपने सख़्त लंड को उसके चूतड़ पर दबाना शुरू कर दिया. लंड को एकदम नज़दीक देख उसकी चूत का पानी बहना चालू हो गया. चूत एकदम से जुवैसी हो गयी. अपने हाथ को पीछे ले कर सुरेश को अपने बदन से चिपका लिया. उसकी चूत की भूख अब बढ़ती ही जेया रही थी. अब उससे सहन नही हो पा रहा था. वो भड़क कर बोली, "उफ़फ्फ़... देख क्या रहे हो... चालू करो.... लगाओ अपने लंड कोनिशाने पर और मरो धक्का." सुरेश ने अपने लंड को उसकी चूत के निशाने पर ला तोड़ा सा धक्का दिया. आधा सुपरा लंड का चूत मे जेया कर फँस गया. दूसरा धक्का मारा तो उसके लंड का पूरा सुपरा उसकी चूत मे जेया कर धँस गया. तीसरा धक्का मारा तो आधा लंड उसकी गुफा मे गायब हो गया. साथ ही रोमा की आनंद भारी चीख भी निकल गयी. "है.... क्या लंड हैतुम्हारा.... एक दूं से तगड़ा.... अफ ..... वाकई मे ही... जैसे कोई गरम गरम हात्ोड़ा जाकर मेरी चूत मे फँस गया हो." अब सुरेश ने अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए. खड़े होने की वजह से पूरा लंड तो अंदर नही जा रहा था लेकिन जितना भी जा रहा था वा रोमा की चूत मे खलबली ज़रूर मचा रहा था. थोड़ी देर इस तरह डक्के मरने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाल दिया और रोमा को बाथरूम के फर्श पर लेता कर अपने लंड को उसके मुहन मे डाल दिया. रोमा ने गॅप से उसको मुहन मे ले लिया. थोड़ी देर चूसने के बाद बाहर निकाल उसके लंड को हाथ से पकड़ सुरेश को कहा, "प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत मैं डाल दो. मुझे और मत तड़पाव ज़ालिम. मुझे चोदो, मैं तुम्हारे लंड की दीवानी बन गयी हून. अपने लंड से मेरी चूत की प्यास भुझाओ." सुरेश ने उसकी जाँघो को चौड़ा कर अपने लंड को उसकी चूत पर टीका दिया. फिर कस कर एक धक्का मारा. लंड उसकी रस से भारी हुई उसकी चूत की अंदर वाली दीवार से सीधा जा टकराया. रोमा तो एक बार पूरी तरह कांप गयी. लंड को बाहर निकाल वापस धक्का मारा तो उसकीसिसकारी निकलनी चालू हो गयी. "अफ... आह..." सुरेश अपनी फुल स्पीड से उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था. रोमा बड़बड़ा रही थी, "ऑश... क्या चोद रहे हो तुम.... वाकई मे मेरी चूत धान्या हो रही है... तुम्हारी चुदाई से.... उफ़फ्फ़.... मेरी चूत को आज चोद-चोद कर खूब रगड़ाई करो.... ह.... चोदो.... चोदो.... और चोदो.... चोदते ही जाओ." "हन रानी.... खूब छोड़ूँगा तुझे आज...तुम्हरि जी भर की कसर निकालूँगा आज मे....लो संभलो मेरे लंड को.....उफ्फ्फ....तुम्हरि चूत..... क्या नाज़ुक है....तुम्हरे संतरों का भी जवाब नहि....उफ्फ क्या चुचिया है तुम्हरि...ऽअज तुझे ऐसा चोदुन्गा मैं की जिंदगी भर याद रखोगी." धक्कों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी. दोनो मदहोश हुए चुदाई मे लगे हुए थे. घचा-घच....फच-फॅक. दोनो आँखो से एक-दूसरे को देखते हुए एक दूसरे मे ज़्यादा से ज़्यादा सामने की कोशिश मे लगे हुए थे. लंड अंदर जाता फिर बाहर आकर दुगने जोश से वापस अंदर चला जाता. चूत उसका तोड़ा उपर उठके स्वागत करती फिर गुप से उसको अपने अंदर समा लेती. रोमा की चीखें बढ़ती गयी, "राजा चोदो मुझे. और तेज.. और ज़ोर्से... चोदो. उउफ़फ्फ़, ऑश, आहह, उउई मया, मार गयी मैं आज. फार दो मेरी चूत को.... और ज़ोर से चोदो मुझे..ऽप्ने लंड से फाड़ दो मेरी चूत को... मुजको अपना बनलो.... चोदो मुझको... ज़ोर से छोड़ो... प्लेअसे.....इस्को अंदर तक चोदते रहो....ऊईए...उफ्फ... कितना मोटा लंड है, ऐसा लगता है की गधे का लंड हो...ंउझे ऐसा लगा रहा है की मैं पहली बार चूदि हुन....तुम बहुत मज़े का चोद्ते हो." सुरेश अपने लंड को तोड़ा निकाल उसकी जाँघो को और फैला कर उसकी चूत की चुदाई चालू कर डी. अंदर तक जेया रहे लंड से अब उसकी चूत पिघलने को त्यार हो गयी. रोमा ने अपनी टॅंगो से उसकी टॅंगो को एकद्ूम से जाकड़ लिया और बड़बड़ाई, एस्स... मेरे राजा... चोदो मुझे....उफ्फ्फ...ऽउर...ऽउर....ऽह्ह्ह...ंएर पानि...्ऐईइ..ंएर पानी निकालने वाला है....रज.... चोद...ंएर पानी निक्ल....्आन...ंइक्ल....्आन....ंइकल गया." सुरेश के साथ एक-दूं से छिपात कर अपनी चूत के पानी से उसके लंड को सींच ही रही थी की लंड ने भी अपना फव्वारा छ्चोड़ दिया. चूत और लंड का मिलन अपने चरम पर पाहूंछ गया. दोनो एक दूसरे की बाहों मे खोते हुए निढाल हो कर फर्श पर ही लेट गये. थोड़ी देरबाद सुरेश उठा और अपनी नज़रे रोमा की आँखों मे गाड़ते हुए बोला, "मेमसाहिब ये चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी." रोमा ने भी कहा,"और नही चोदोगे मुझे." "नही मेमसाहिब, अब दूकान पर जाना होगा. नही तो सेठ को बोलना भारी पड़ेगा मुझे." इच्च्छा नही होते हुए भी सुरेश को विदा करने रोमा उठ खड़ी हुई. सुरेश खड़ा होकर अपने कपड़े पहने और रोमा को चूमता हुवा बाथरूम से बाहर निकल गया. मैं-डोर पर फिर बगैर कपड़ों मे खड़ी रोमा को अपनी बाहों मे समेत-ते हुए उसके होठों को चूमा, चुचियो को सहलाया, चूत को मसला. रोमा भी उसकी बाहों से अपने एक हाथ को फ्री कर पंत के उपर से ही उसके लंड को मसालने लगी. लंड झत्ट से खड़ा हो गया. खड़े हुए लंड ने रोमा के हाथों मे फुर्ती ला दी. और ज़ोर से मसालने लगी और बोली, "देखो इसे. इसको अभी नही जाना है." फिर नीचे बैठ कर उसके लंड को पंत की चैन खोल कर बाहर निकाल ली और चूसने लग गयी. लंड मुहन मे जाते ही उच्छल कूद मचाने लगा. अपनी पंत को नीचे खिसका कर रोमा को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी नाज़ुक चूत मे पेल दिया. रोमा की जान मे जान आई. उसकी चूत लंड खाने को ही उतावली थी और उसे लंड मिल गया. "ही, मेरे चोदु राजा, मे कब से अपनी चूत मे तुम्हारे लंड के धक्के खाने के लिए तड़प रही हूँ, और तुम दुकान का बहाना बना रहेथे. अगर एक बार ही हमे चुदाना होता तो मे क्यों तेरे घोड़े के लंड जैसे लंड से अपनी चूत फड़वति. अब ज़ोर ज़ोर से चोद मुझे." सुरेश ने अपने लंड से उसकी चूत की कस कस कर चुदाई चालू रखी. थोड़ी देर मे ही रोमा का पानी निकलना चालू हो गया. लेकिन सुरेश का लंड नही झाड़ा. तो रोमा ने उसके लंड को चूत से निकाल कर अपने मुहन मे ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी छूसा के बाद जब सुरेश बड़बड़ाने लगा, "आहह... चूसो मेरे लंड को.... आहह... और ज़ोर से ... अफ ... मेरे लंड का पानी निकालने वाला है.... चूसो... चूवसूओ....." तभी रोमा ने उसके लंड को मुहन से बाहर निकाल अपने हाथ से उसके लंड को पेलने लग गयी. सुरेश ने गहरी साँस लेते हुए अपना पानीरोमा के चेहरे और मुममे पर डालना शुरू कर दिया. जब पानी पूरी तरह से झाड़ गया तो एक दूसरे को चूमते हुए एक-दो मिनिट तक दोनो आपस मे लिपटे हुए खड़े रहे. फिर सुरेश कपड़े पहन कर चला गया. रोमा अब बहुत खुश थी. उसकी चूत की फिसर्ट क्लास चुदाई हुई थी. कपड़े पहन रूम मे सोने चली गयी. आँख खूली तो शाम हो चुकी थी. थोड़ी देर बाद घंटी बाजी. गाते खोला तो सामने लीना खड़ी थी. "आज हॉस्पिटल मे डॉक्टर ने किसिके भी रुकने से माना कर दिया है," लीना ने घुसते हुए कहा. "क्यों. जीजू भी नही जाएँगे वहाँ." "नही. जीजू वहाँ जाकर थोड़े लाते आएँगे. लेकिन तुम्हारे चेहरे पर सुस्ती क्यो च्छाई हुई है," लीना ने पूचछा. "नही ऐसी कोई बात नही है. ज़रा नींद लग गैट ही. अभी अभी उठी हून," रोमा ने जवाब दिया. फिर दोनो एक साथ नास्टा कर क ईक ही बेड पर लेट गये. बातों बातों मे ही रोमा ने सुबह वाला किस्सा प्लमबर का सुना दिया. लीना एक अर्थ- पूर्णा मुस्कराहट से रोमा को देखने लगी.

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Re: बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 15:21

बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई {पार्ट --3}

ऐसे तो लीना की पिच्छली रात अपने जीजू के साथ और आज सुबह ही रोमा की प्लमबर के साथ चुदाई हो चुकी थी लेकिन चूत का मज़ा देखो अभी बात करते-करते दोनो की चूत मे फिर से खाज शुरू हो चुकी थी. रोमा ने सुरेश प्लमबर के लवदे का पूरा फिगर अपनी बातों से रोमा को बताया. सुनते ही लीना के मुहन से सिसकारियाँ निकलनी चालू हो गयी. अपने हाथ से वो रोमा के बूब्स को हल्के हल्के सहला रही थी. रोमा के दिल और दीमग पर सुरेश द्वारा की गयी चुदाई छायि हुई थी. उसे अपने बूब्स पर लीना का हाथ फेरना अच्च्छा लग रहा था. लेते लेते रोमा ने अपनी आँखों को बूँद कर लिया और इस आनंद का खूब मज़ा ले रही थी. लीना की चेस्टाय बढ़ने लगी. उसने रोमा की अस्त- व्यस्त हुई नाइटी को निकाल फेंका. अपनी जीभ को उसके मुम्मो के पासलेजा कर उसे चाटने लगी. उसकी जीभ नीचे से उपर उसके संगमरमरी कबूतरो को हल्के हल्के चाट रही थी. भारी बूब्स को चाटने मे लीना को भी खूब मज़ा आ रहा था. "उफ़फ्फ़, छत ... रग़ाद रग़ाद कर छत," ऐसा कह कर रोमा ने अपने हाथ बढ़कर उसकी जाँघो पर फेरना चालू कर दिया. जाँघो पर हाथ फेरते ही लीना को गुदगुदी का एहसाश हुया. उसके बदन मे करंट दौड़ने लगा. अपनी दोनो जाँघो को उसने फेला दिया. जगह मिलते ही रोमा के हाथ लीना की जाँघो के और अंदर घुसने लगे. उसके हाथ किसी खास जगह को तलाश रहे दा. तोड़ा गीलापन उसके हाथ को महसूष हुया. उसे अपनी मंज़िल मिल गयी. अपनी अंगूलियों से लीना की चूत को सहलाने लगी. चूत पर अंगूलियों के च्छुटे ही लीना की जीभ की स्पीड रोमा के बूब्स को चाटने के लिए और बढ़ गयी. लीना के दंटो की हल्की-हल्की चुभन भी रोमा को महसूष हो रही थी. लेकिन यह चुभन पीड़ा देने की बजे ज़्यादा आनंद दे रही थी. रोमा ने अपनी एक अंगूली लीना की रूस से भीगी हुई चूत के अंदर पेल दी. अपनी अंगूली को वो लंड की जगह उपयोग मे ला रही थी. दोनो के मुहन से सिसकारियेयन निकल रही थी. अब दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों मे लेकर अपने गरम जिस्म को आपस मे रगड़ना शुरू कर दिया. दोनो के बदन की रगड़ान से पुर कमरे का माहौल नशीला हो गया. दोनो को अब एक-एक लंड की ज़रूरत महसूष हो रही थी लेकिन मजबूरी मे दोनो और क्या कर सकती थी. दोनो एक दूसरे से छिपात कर एक दूसरे के मुममे को, चूत को सहला रही थी. फिर थोड़ी ही देर मे दोनो हाँफने लगी और निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गयी.लेकिन ऐसे पड़े पड़े दोनो ही अपनी चूत की आग को और भड़कट्ी हुई देख सिसकारियाँ ले ले कर अपनी ही अंगूलिओं से चूत को छोड़ना चालू कर दिया. फिर आपस मे ही घूम कर एक दूसरे की चूत को चूसने लगी. जीभ लगते ही दोनो की सिसकारियाँ और बढ़ गयी. जहाँ रोमा सिसकारी मरते हुए सीख रही थी, "आह्ह...उफ्फ....देख कैसी चूत...ंए आग लगि..्ऐ....तु मेरी चूत को....उफ्फ्फ..ऽउर चत....येस्स...हत-ती जेया." वही लीना सिसकारी मरते हुए मादक आवाज़ मे चीख रही थी, "है! काया चीज़ बनाई है भगवान ने, चूसो चूसो, और ज़ोर से चूसो मेरी चूत को. और अंदर तक अपनी जीभ घुसेदो. है! मेरी चूत के दाने को भी चतो. बहुत मज़ा आ रहा है." दोनो मदहोश हो कर एक दूसरे की प्यास मिटाने मे लगी हुई थी. लेकिन प्यास जो थी वा बुझाने की जगह और बढ़ गयी. इसी समय रवि, उनका जीजू, घर मे हॉस्पिटल से आया और घर मे किसी को ना पाकर चौंक गया. तभी एक बेडरूम से सिसकारीओं की आवाज़े सुनाई दी. अंदर गया तो रूम का सीन देख कर उसकी आँखों मे चमक आ गयी. दोनो सालिया अपनी चूत की खाज मिटाने के लिए एक दूसरे के साथ गुटम-गूत हो कर अपनी-अपनी चूत चटवा रही थी. यह देख कर उसका लंड एक दूं से खड़ा हो गया. दोनो, रोमा और लीना बेख़बर हो कर एक दूसरे की चूत चाटने मे लगी हुई थी. रवि ने अपने कपड़े उतार कर अपने लंड को टोला. मानो लंड को समझा रहा था की आज रात को एक नही बुल्की दो- दो छूटो को पानी पिलाना है. आयेज बढ़कर उसने अपने लंड को लीना की चूत के पास लेजा कर खड़ा हो गया. रोमा तोड़ा चोणकी. मून ही मून सोचा की यह लंड कहाँ से आ गया. चेहरा उपर उठाया तो अपने जीजू को खड़े पाया. उसकी तो मून की मुराद पूरी हो गयी. उसने लपक कर लंड को अपने हाथो मे समेत लिया.मानो कोई दूसरा आ कर नही ले जाए या कोई दूसरा कब्जा नही कर ले. लंड को हाथो से सहलाती हुई अपनी जीभ लीना की चूत से हटा कर अब लंड को चाटने लगी. "क्या हुअ..हतो ना मेरी चूत को." कोई जवाब ना पाकर लीना ने अपनाचेहरा उपर उठा कर देखा की रोमा तो जीजू के लंड को छत रही है. नाराज़ होने की जगह उसके अंदर भी अब चूत की खाज मिटने का औजार मिलने की खुशी ही महसूष हो रही थी. लीना के चेहरा को देख रवि ने अपनी आँख मार कर उसके चूतड़ पर अपना हाथ रख दिया और लगा सहलाने. रोमा ने रवि के लंड को पूरा मुहन मे लेकर चूस चूस कर बहाल कर दिया. रवि अपने लंड को आयेज-पेच्चे कर चुस्वा रहा था मानो की यह रोमा का मुहन नही बुल्की उसकी चूत है. रवि के आनंद की कोई सीमा नही रही. अपने हाथो से लीना का चूतड़ कूस कर पकड़ वो मारे बेकाबू हो कर बड़बड़ा रहा था, ""वाउ, मज़ा आ रहा है. लेती है तुऽइस की मज़ा आ रहा है.. किसीने ऐसे चूसा नही मेरे लंड को पहले. मेरे लंड को जन्नत मिल गयी, आज...ले...उफ्फ..हूस मेरा लंड और चूस और ले ले...ंएरे लंड को पूरा मूह मे ले कर चूस."लेकिन जवाब दिया लीना ने दूसरे छ्होर से. वा रवि के लंड की चूसैई बड़े गौर से देख रही थी. उसने कहा, "मैने भी पहले ऐसा बेकाबू लंड नही देखा. पहली बार ऐसी चूसैई देख रही हून पर मज़ा आ रहा है इस बड़े लंड को चूस्टे देखकर मुझे. कितना मोटा और बड़ा है,.मेरे तो मूह मे पानी आ गया.." तभी रवि ने अपना लंड रोमा के मुहन से निकल कर लीना के मुहन मे पेल दिया और कहा, "ले मेरी लीना रानी, तू क्यों बाकी रहती है.चूस के मुझे पागल कर दे. है, वा जिब से कर, मूह मे ले और अंदर ले. पूरा खा इस बड़े लंड को." लीना को अब लंड चूसने मे बड़ा मज़ा आ रहा था. अपने हाथ से लंड को हीला-हीला कर चूस रही थी. कभी अपनी जीभ बहार निकल कर लंड के सुपरे और लंड की बॉल्स को छत रही थी तो कभी लंड को मुहन मे लेकर गपा-गॅप चूस रही थी. रोमा रवि के सामने आकर खड़ीहो गयी. रवि ने उसके कबूतरो को दबोच लिया. अपने हाथो से उन दोनो फड़फदते कबूतरो को मसालने लगा. मसालने के साथ ही रोमा के मुहन से सिसकारी निकल गयी. रवि ने अपना मुहन बढ़कर उसके मुम्मो को जीभ से चाटने लगा. वासना की आग मे जलते हुए उसके मुममे भारी हो चुके दा. उसके निपल्स कड़क होकर एकद्ूम से तन गये दा. निपल्स पर रवि जब अपना दाँत गादता तो रोमा की सिसकारी और बढ़ जाती. अब लीना ने लंड को मुहन से निकाल कर बेड पर चिट हो कर लेट गयी और रवि के लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी. "जीजू, आओ. घुसाओ अपने लंड को. बड़ी बैचानी हो रही है मेरी चूत मे." "ले मेरी रानी. संभाल अपनी चूत को." इतना बोलकर अपने लंड का एकधक्का रवि ने दिया तो लंड सुर्र्रर से लीना की चूत मे घुस गया. लीना ख़ुसी से पागल हो गयी. रवि ने लगातार अपने धक्के देने चालू रखे. चूत भी धक्के खाकर लगातार पानी छ्चोड़ रही थी. तभी रोमा उठाकर लीना के मुहन पर बैठ गयी. पोज़िशन यह थी की लीना का मुहन रोमा की चूत पर और रोमा के मुममे रवि के मुहन मे और रवि का लंड लीना की चूत मे. बड़ा ही कामुक सीन था यह. तीनो बड़े मज़े से चूसैई और चुदाई मे लगे हुए दा. तभी रोमा ने अपने हाथ बढ़कर रवि का लंड अपने हाथ मे जाकड़ लिया. रवि जब भी धक्का मार रहा था तो लीना की चूत का दाना भी रोमा के हाथ से रग़ाद का रहा था. इसके कारण लीना का चुदाई का मज़ा डबल हो गया.लीना रवि को उसका रही थी, "छोड़ो मेरे राजा, खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाओ. मेरी चूत की खाज मितओ...उफ्फ्फ...ंएरे चोदु रज....होदो मुझे....जोर से चोदो....तुम्हरे लंड से मुझे रात भर चोदो....ऽअह्ह्ह....खूब चुदाई करो मेरि.....ओह्ह्ह्ह...ंएरे लुन्द...ंएरि चूत के दीवने....ंएरे रूस को पीने वले....ंएरे जिजु....होदो मुझे.....धक्के..... अह्ह्ह्ह...उछल-उच्छल कर...ंअरो धक्के मुझे...होदो....खज मिटाओ मेरी चूत की... मरो धक्के मरो..."रवि भी उसी हिसाब से जवाब दे रहा था, "ले मेरी रनि....ख मेरे....लुन्द को...ले..ऽउर ले... मेरे...लुन्द्द्द को....तुम्हरि चूत आज कितनी ज़्यादा जुवैसी हो गयी है....ले मेरी... चुड़दकड़ सालि....ले और ले....ख मेरे लंड के धक्के...्आऐ...हुद अपनी चूत को... ले खा... और खा... मेरे लंड के धक्के." रोमा उस चुदाई को बड़ी बेसब्री से देख रही थी. उसकी चूत बुरी तरह से पानी छ्चोड़ रही थी. वो भी लीना से चुस्वते चुस्वते बोलने लगी, "चूस मेरी चूत को....सालि.. छुड़वा छुड़वा कर अपनी चूत कि...खज तो मितलि....लेकिन मेरी... चूत...को चूसेगी कौन..हूस मेरी चूत को... लो जीजू... साली का और ज़ोर से धक्के मरो...फाद दो इसकी चूत....को...पेलो.. पेलो..ऽउर ज़ोर से पेलो.ऽप्ने लंड को....उफ्फ्फ्फ..ंएरे बूब्स... देखो.... दाँत ना गदओ....प्लीzzz... हन ऐसे...जीभ से चतो मेरे बूब्स को.... मेरे ... निपल्स को...हतो..." तभी लीना की सिसकारी बहुत ज़्यादा बढ़ गयी, "उफ़फ्फ़.... हाई हाई.... छोड़ो मुझे... उफ़फ्फ़... मेरी चूत... आह... मेरा पानी.... ओह दैया.... निकला मेरा पानी... मार धक्के मेरे राजा... और ज़ोर से.... आअहह... निकला मेरा पानी... हन... हन... निकला मेरा पनि..होद सेयेल ... चोद सेयेल.... चोद मुझे.... चोदते जाओ... चोदो... चोदो मुझे... यह लो मैं झाड़ गयी.... एस.... एस... झाड़ गयी मे.." रवि ने आकहरी धक्का लगाया और अपने मूसल लंड को लीना की चूत से निकाल कर रोमा को घोड़ी बनाकर उस पर सॉवॅर हो गया. एक झटके मे ही उसकी चूत मे अपना लंड पेल दिया. लीना को छोतदे चोद्ते उसका लंड तका नही था बुल्की उसकी चोदने की भूख बढ़ गयी थी. लीना साइड मे लेट कर अपनी उखड़ती सांसो को बराबर करने मे और रोमा और रवि की चुदाई देखने मे लग गयी. "अया ...हान्ं ...और ज़ोर्से चोदो.... इसी तरह से ...छोड़ते ... रहो ... हाइईइ दैयया ....... बहुत ग़ज़ब के छोड़ते हो ...जीजू .... चोदो और ज़ोर्से .... हाई रे दैया!" रोमा के मुहन से सिसकारी निकालने के साथ बेडरूम मे केवल चुदाई चुदाई हो रही थी. रवि भी अपने लंड से रोमा की चूत की चुदाई फुल स्पीड से चालू रखी. रोमा का मज़ा बढ़ता ही जेया रहा था, "इसको देखो ... कितना ज़ालिम लौदाहै तुम्हारा जीजू! हाइईइ ... कैसा अकड़ कर खड़ा है.... बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे तुमसे छुड़वाने में डियर... ....ऊओह डियर तुम बहुत अच्च्छा चोद्ते हो....ऽआह्ह.....उउउह्ह..... ऊफ़फ्फ़.... डियर यूँही... हन डियर यूँही चोदो मुझे...बुस चोद्ते जाओ मुझे..ऽअब कुच्छ और नहीं चाहिए मुझे...ऽअज जी भर के चोदो मुझे...देअर ...हन डियर जूम कर छोडई करो मेरि...तुम बहुत अच्च्चे हो...बस यूँही छोडई करो मेरी... ऊऊहह ..... खूब चोदो मुझे..." रवि भी उसका जवाब देते हुए बोला, "ले साली, खा मेरे लंड को... देख कैसे साली... छुड़वा रही है... ले संभाल अपनी चूत को... उफ़फ्फ़..संभाल... कितनी नरम और कोमल है तुम दोनो की चूतेन...सल्लि..हुद...और..हुद..ऽइस लंड और चूत का संगम तुझे और कहीं नही मिलेगा... ले चुद्व...सालि...तुम दोनो को आज रात भर चोदुन्ग...ले खा मेरे लंड को....खूब चुद्वओ....उफ्फ्फ" "छोड़ डालो मुझे! मेरे लुन्द...ंउझे लूट लो.....ये बदन तुम्हारा है. आ! चढ़ जाओ मुझ पर मेरे जिस्म के मलिक, मेरी चूत च्चिन्न भिन्न कर दो. मेरी चूत चिर डालो. मेरे चूत के शारटज़... अपने मूसल,मोटे, लंबे और.... घधे जैसे लंड से! मेरी चूत.... के अंदर तकपेलो!.... मई और मेरी चूत केवल और केवल तुम्हारी है. आओ, मेरे राजा..... प्लीज़ मेरी चूत को ज़ोर ज़ोर से.... रग़ाद रगदकर.... पूरी तरह से पेलो अपने लंड से!" साथ ही उसका भी पानी निकलना शुरू हो गया. लेकिन रवि का लंड अभी भी झाड़ा नही था. रात भर दोनो को थोड़ी थोड़ी देर से छोड़ता रहा. जब भी उसका लंड झड़ने के करीब होता तो चुदाई रोक देता. उसे आज रात भर दोनो को छोड़ना जोत हा. सुबह जैसे ही हुई रवि ने दोनो सालियो को पलंग केनीचे बैठकर अपने लंड को हाथ से उनके उपर आयेज पीच्चे करने लगा."ऑश.... उउउहह.... अब मेरा लंड झदेगा.... लो संभलो मेरी धार को... मेरा अमृत निकल रहा है," कहता हुआ अपने लंड को दोनो के मुहन पर बारी बारी से ले गया और अपनी वीर्या की धार छ्चोड़ दी. रात भर का रुका हुवा माल ज़ोर की पिचकारी बन कर च्छुटा. दोनो सालिया हैरानी के साथ इतना ज़्यादा मखहान एक साथ निकलते हुए देख रही थी. रवि ने झड़ने के बाद अपना लंड बारी-बारी से दोनो मुहन मे तेल दिया. उसको पिचकारी मरने के बाद इस छूसा मे बड़ा ही मज़ा आया. थोड़ी देर बिस्तर पर लेटने के बाद दोनो सालिया लीना और रोमा एक पार्टी की फरमाइश कर बैठी. शाम की पार्टी फिक्स हुई. जगह के बारे मे बोला की मेरे दोस्त भी उस पार्टी मे आएँगे तो जगह दोपहर मे फाइनल करके बता दूँगा. फिर नहा कर ऑफीस मे निकल गया. लीना और रोमा रात भर की चुदाई के बाद तक चुकी थी. दोनो बिस्तर परएक दूसरे के गले लिपट कर सो गयी.


The Romantic
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Re: बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 15:22

बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई {पार्ट-- 4}

रवि ऑफीस पहुँच कर अपने दोस्तों को फोन करने लग गया. अतुल,सुरेश और बंशी उसके खास दोस्त थे. सबने उसे लड़के के जन्म होने कीबधाई दी. वैसे इन्न चारो मे खुला ख़ाता था. कई बार ग्रूप सेक्स कामज़ा ले चुके थे. रवि ने शाम की पार्टी के बारे मे बताया. तीनो नेही पार्टी की हां कर दी. जगह के लिए सुरेश पर छ्चोड़ दिया. सुरेशका इवेंट मॅनेज्मेंट का दानधा था. जिसकी वजह से उसे मालूम था कीकौनसी जगह अच्च्ची रहेगी. थोड़ी देर बाद सुरेश ने वापस फोनकिया और शाम की पार्टी के लिए बताया की क्लॅसिक क्लब ही अच्च्छारहेगा. अभी इन्न दीनो वहाँ पर एक इंग्लीश मेम आई हुई है औरअच्च्छा डॅन्स भी करती है. साथ ही एक स्पेशल शो भी होता है.

शाम को रवि क्लॅसिक क्लब के लिए रवाना हुवा और साथ मे थी दोनोसालियन लीना और रोमा. थोड़ी ही देर मे तीनो क्लब के गाते परपहुँच गये. 2-4 मिनिट के बाद अतुल और उसकी बीबी देवी भी पहुँचगये. सुरेश और बंशी की बिबीयन मैके गयी हुई थी. वो लोग अकेलेही आए. सब इकठ्ठा हो कर क्लब के अंदर चले गये.

क्लब बहुत ही ख़ास था. आम लोग उसमे नही जेया सकते दा. सुरेश काइवेंट मॅनेज्मेंट का बिज़्नेस होने के कारण उन्न लोगों को एंट्री मिलगयी. क्लब की ख़ास बात यह थी की इसमे हर तरह के क़ानूनी औरगैर-क़ानूनी धंधे चलते दा. पोलिटिकल और टीन नुंबरी लोग अपनीशाम और रात शराब, कबाब और शबाब के लिए यहाँ गुज़ारते थे.क्लब मे दो हॉल और आठ-डूस कमरे बने हुए दा. एक हॉल मे कब्रातेडॅन्स चलता था और दूसरे हॉल मे डॅन्स के साथ स्पेशल शो भीहोता था. हर हॉल मे सात-आठ टेबल्स का घेरा गोल मंच के टीनतरफ बना हुया था. एक हॉल मे 25-30 लोगों के बैठने की जगह थी.बीच के गोल स्टेज पर प्रोग्राम चलते थे और हॉल की लाइट केवलस्टेज पर ही गिरती थी. वेट्रेस सर्विस थी.

यह लोग 7 पर्सन्स होने के कारण 2 टेबल्स को जॉइंट कर दिया. इनकेबैठते ही 2 लेडी वेटर मेनू लेकर उनके पास पहुँची. दोनो कीड्रेससें ऐसी की उनको देख कर किसी भी मर्द की जवानी मे उबालआजाए. काफ़ी टाइट शॉर्ट ब्लाउस और शॉर्ट स्कर्ट. झुके तो सामने वालेको उसके कबूतर आधे से ज़्यादा दीखे और पिच्छेवाले को ट्रॅन्स्परेंटपनटी से उसकी चूत की झलक दीख जाए. चूतड़ तो झुकने के बादपीछे वाले को पूरा का पूरा ही दीखे. लेकिन अफ़सोस कोई हाथ नहीलगा सकता था उन्न वेट्रेस को. अगर किसीने ने गर्ल वेटर को छ्छूभी दिया तो वहाँ पर पाले हुए मुस्टंड बहार फेंकने मे कोई देरनही लगते थे. सिर्फ़ मन मसोस कर उनकी छलक्ति जवानी को देखोऔर अपने लंड को सहलाओ. वैसे किसी को अपने लंड की प्यास बुझानी होतो लड़कियाँ भी अवेलबल थी और रूम भी.

उन लोगो ने एक-एक पेग का ऑर्डर दिया और कुच्छ स्टारटर माँगाया. शोचालू होने मे अभी 5-7 मिनिट की देरी थी. रवि ने दोनो सालियों कापरिचय अपने दोस्तों से कराया. साथ ही अपने दोस्तों का परिचय अपनीसल्लियों को दिया.

सी शेप मे लगी टेबल मे रवि के बाद देवी. देवी के बाद बंशी.बंशी के बाद लीना. लीना के बाद अतुल. अतुल के बाद रोमा. रोमा केबाद सुरेश बैठा था. आपस मे हँसी मज़ाक चालू हो गये. सब एक सेएक सेक्सी और क्षकशकश जोक्स का मज़ा लेने लगे. बंशी ने इसकी शुरुआत की.उसने जाम की चुस्की लेते हुए कहा की एक बार लेफ्ट मुममे ने रिघ्तमुममे से कहा, 'यार, बड़ी मुसीबत है!' तो रिघ्त मुममे नेपूचछा, 'क्या हुआ?' लेफ्ट मुममे ने जवाब दिया, 'लाफद सला नीचे गलीमें होता है... पकड़े जाते हैं हम लोग!'

इतना सुन कर सब खिलखिलाकर हँसने लगे. तभी रवि ने अपना जोक्ससुनाया. एक रांड़ ने एक आदमी को कहा: 'दो सौ रुपी लूँगी, हिल हिलके दूँगी!'आदमी ने मोल भाव करते हुए कहा: 'सौ रुपी दूँगा मैं खुद ही हिललूँगा!'रांड़ ने तड़क कर जवाब दिया: 'साले गान्डू, सौ रुपी भी बचा लेऔर अपने हाथ से ही हिला ले!'

इतना सुन कर सब और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे. अब बारी थी सुरेश की.सुरेश ने भी रांड़ के उपर ही जोक्स सुनाया की एक बार एक साधु बाबाको बहुत तारक चढ़ती है. चले जाते हैं रेड लाइट एरिया मे.वहाँ की सबसे खूबसूरत रंडी को पकड़ के उसका काम लगा देते हैं.काम लगाने के बाद कपड़े पहन कर निकालने लगते हैं तो रंडी सेरहा नही जाता है. बोलती है, "बाबा पैसे?" साधु बाबा तुरंत कहतेहैं, "बेटी, तुमने मेरी इतनी सेवा की है अब तुमसे पैसे थोड़े हीलूँगा.

यह जोक सुन कर सबके पेट मे हंसते हंसते बाल पद गये. तभी डॅन्सशुरू हो गया. एक गोरी चित्ति इंग्लीश लड़की पुर कपड़ो के साथअकेली ही नाचने लगी. सभी का ध्यान उसकी तरफ गया. लड़की काबदन पूरा गड्राया हुवा और काफ़ी लचक डार्ट हा. अपने डॅन्स से सबकोमोहित कर रही थी. डॅन्स के बीच ही चारो मर्दो ने अपने लिए रिपीटशराब लाने का ऑर्डर दिया. वेट्रेस ऑर्डर लेते हुए झुकी और ऑर्डरनोट करने लगी. उसके बूब्स की गर्मी सभी ने महसूस की. उसके मीडियमसाइज़ के बूब्स को देख कर चारो के मुहन मे पानी आ रहा था. ऑर्डरलेने के बाद जब पलटी तो जान-बूझकर ऑर्डर बुक्स को नीचे गिरादिया. फिर घूम कर मुस्कराती हुई बोली "ऑश... सॉरी." वापस घूमकर नीचे झुक कर ऑर्डर बुक को उथली. उसका तो उठना था लेकिन इसउठाने के बीच अपने पीच्चे कयामत ढा चुकी थी. उसके जाते हीदेवी बोली," देखा! ग्राहक कैसे पटए जाते हैं." सब के सब हंसपड़े.

तीनो जवानिया धीरे धीरे पी रही थी. थोड़ी देर बाद सुरेश देवीसे कहता है, "भाभी आप भी कोई जोक्स सूनाओ.'

देवी भी स्टार्ट हो जाती है. उसने सुनना चालू किया की दो गर्ल्स नंगीहोकर जिम के स्टीम-रूम मे बैठी हुई थी. पहली लड़की दूसरी कीसाफा छत चूत को देखकर पूचछती है, 'तुम्हारे झाँटे क्यो नहीहै?" दूसरी जवाब देती है, "क्या तुमने किसी बिज़ी सड़क पर कभीघास उगते हुए देखा है?"

सॉफ-सॉफ चूत लंड का नाम ले कर जब जोक्स शुरू हो गये तो आपसमे उन्न सब की रही सही झिझक भी ख़तम हो गयी. आपस मे अब एक सेएक जोक्स शुना रहे दा. इधर नशा सब मे बढ़ रहा था और उधरडॅन्सर के कपड़े कूम होते जेया रहे दा. उसके भारी-भारी कबूतर हॉलमे बैठे सभी के होश उड़ा रहे दा. उच्छलते हुए बूब्स कयामत ढारहे दा. उसके बदन पर केवल झीनीसी नाइटी और पनटी थी. सबइंतज़ार कर रहे दा कब वो अपने बाकी के कपड़े उतार अपने जिस्म कीझलक दीखए. तभी देवी ने सुरेश को पूच्छ लिया, "वा क्याटकटकी लगा के देख रहे हो. अभी तो बहुत नाटक करेगी."

जवाब बंशी ने दिया, "आरे भाभी, जब बीबी मैके गयी हो तो सामनेजो भी मिले उसे गवाना नही चाईए."

रवि ने अपनी बाहों से देवी को अपनी और खिसखते हुए बोला, "मैके हीनही बल्कि नौवे महीने मे भी हो तभी भी."

लीना बोली, "भले ही वो अकेले हॉस्पिटल मे लेयिटी हो तब भी."

तभी डॅन्सर ने अपनी पनटी को नीचे खिसका दिया. हालाँकि उसकी चूतनाइटी होने की वजह से सॉफ नही दिख रही थी. लेकिन नाचने केकारण उसकी झलक ज़रूर दिखाई पद जाती थी. एक-दो स्टेप्स के बादअपनी पनटी को अपने पैरो से हवा मे उच्छल दिया. चारो की साँसे उपरनीचे हो रही थी. फिर उल्टी तरफ मुहन करके डॅन्सर ने अपनी नाइटीउपर उठाकर अपने बदन से निकाल दी. सब के सामने उसके चिकने-चिकनेगोरे-गोरे चूतड़ उच्छल-कूद कर रहे दा. उसके भारी चूतड़ सबकेमुहन मे लार पैदा कर रही थी. बंशी के मुहन से "उूउउफफफफफफ्फ़"निकल गयी.

रोमा ने आँख मरते हुए पूचछा, "बड़ी आग लग रही है क्या?"

बंशी,"आग कहाँ? यहाँ तो ज्वालामुखी उबाल रहा है."

देविन ए मुस्करा कर कहा, "चिंता मत करो. अब यह लावा भी आज रातको निकल देंगे."

तभी डॅन्सर ने अपना चेहरा घूमया और अपने बूब्स और चूत कीझलक दिखती हुई मंच से अंदर चली गयी. सभी उसे तरसतीनज़रों से जाते हुए देख रहे दा. अतुल तो अभी भी उसके सपने मेखोया हुया था. लीना बोल पड़ी, "बीबी अगर मैके नही भी गयी हो तोभी क्या? माल दिखना माँगता है."

अतुल गहरी स्वास छ्चोड़ते हुए बोला,"अफ क्या जवानी थी." फिर उनमेवापस हँसी मज़ाक का दौर चालू हो गया. सभी मर्द लोग 4-4 पेग पीचुके दा जबकि तीनो लेडी 2-2 पेग पी चुकी थी. नशा सबके दीमगपर काफ़ी चढ़ चुका था.

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