ससुराल सिमर का—15
गतान्क से आगे……………
मुझे चूमते हुए वे मेरी गान्ड चोदने लगे पकापक पकापक उनका लौडा मेरी गान्ड में अंदर बाहर होने लगा पहले मुझे काफ़ी दर्द हुआ पर मेरी हल्की सिसकियों को उन्होंने अपने मुँह में दबा लिया मेरा लंड तन कर मेरे और उनके पेट के बीच दबा हुआ था घिसने से मज़ा आ रहा था दो मिनिट में मैं ऐसा मस्त हुआ कि उनके होंठों को चूसता हुआ कमर हिलाकर चूतड उछालने लगा कि उनके लंड को और गहरा अंदर लूँ
वे मुस्कराए और बोले "मज़ा आरहा है ना? यह आसन गान्ड मारने के लिए सबसे अच्छा है, औरतों की भी ऐसे मार सकते हैं तू माँ की मार कर देखना, चूम्मा लेते हुए ऐसे सामने से गान्ड मारने में जो मस्ती मिलती है वो पीछे से मारने में नहीं"
बहुत देर जेठजी ने मेरी मारी मैं आधी बेहोशी आधी उत्तेजना की मदहोश स्थिति में था हाथ बँधे थे नहीं तो ऐसा लग रहा था कि उन्हें बाँहों में भींच लूँ पर रजत ने खोलने से मना कर दिया "यार, मैं जब तक चाहू तेरी मार सकता हू, तू चिपटेगा तो जल्दी झडा देगा मुझे"
लंबी चुदाई के बाद वे जब झडे तो आनंद से उनके मुँह से हिचकी निकल आई मैं लगा हुआ था, मेरा लंड ऐसा तना था कि मुझे चुप नहीं बैठने दे रहा था पर उनका लंड सिकुड कर मेरी गान्ड से निकल आया अब मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था, बस उनकी ओर कातर दृष्टि से देख रहा था कि मुझे मुक्ति दें
रजत ने आख़िर मेरा लंड छूसा और मुझे राहत दी मैं ऐसा झडा की लस्त हो गया समलिंगी सेक्स में इतना सुख हो सकता है ये आज मुझे पहली बार पता चला
मुझे चूम कर रजत आफ़िस चले गये बहुत तृप्त लग रहे थे उनके जाने के बाद मैं सो गया दो घंटे बाद दीदी ने आकर खाना खिलाया दीदी और शन्नो जी एक एक बार और मुझे भोगने आईं दोपहर बाद उन्होंने मुझे छोड़ा मैं फिर ऐसा सोया कि शाम को ही उठा
माँ को देखा तो वह ऐसे चल रही थी जैसे नींद में हो उसका चेहरा एक असीम सुख से तमतमाया हुआ था उसे भी सब ने दोपहर भर खूब निचोड़ा था ये लगता है
उस रात हमने ज़्यादा चुदाई नहीं की सब काफ़ी तृप्त थे पर वायदे के अनुसार उसी आसन में रजत ने एक बार मुझसे गान्ड मराई उनकी गान्ड एकदम टाइट थी, मेरे लंड को ऐसे पकडती थी जैसे घूसे में पकड़ा हो मैंने कहा भी
"अरे आज तक इतना बड़ा लंड भी कहाँ लिया है भैया ने, मेरा ही तो लिया है, गान्ड टाइट होगी ही" जीजाजी बोले
रजत पर सामने से चढ कर प्यार करते हुए चूमते हुए मैंने खूब चोदा मज़ा आ गया यह आसान मैंने बाद में दीदी और माँ पर भी आजमाया गान्ड मारने या मराने के लिए अब मैं अक्सर यही आसन इस्तेमाल करता हू
कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का compleet
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
दो दिन और मुझे और माँ को इसी तरह दिन में बाँध कर रखा गया जो जैसा समय मिलता आकर चोद जाता रजत तो एक बार आफ़िस से सिर्फ़ मुझपर चढ़ने को बीच में वापस आए और फटाफट चोद कर चले गये जीजाजी की कृपा अब माँ पर ज़्यादा रही
धीरे धीरे हम चुदाई के एक अटूट बंधन में बँध गये दोनों परिवार ऐसे बँधे कि अलग होना मुश्किल हो गया किसकी किस से शादी हुई है, कौन औरत है कौन मर्द, कौन बड़ा है कौन छोटा, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था जैसा जिसे अच्छा लगे, चढ जाता था
शन्नो जी के आग्रह पर मैं और माँ अपना घर बंद करके दीदी के यहाँ हमेशा को रहने आ गये मुझे वहीं के एक कालेज में एडमिशन मिल गया
एक दिन रजत ने कहा "चलो, अब कहीं घूम आते हैं दार्जीलिंग चलते हैं हफ्ते भर रहेंगे यहाँ बहुत चुदाई हो चुकी, सब थक भी गये हैं तीन चार दिन आराम कर लो, फिर मैं बूकिंग कर देता हू"
शन्नो जी बोलीं "पर बेटे, रहेंगे कहाँ, किसी होटल में इतना बड़ा कमरा नहीं होता कि हम सब उसमें आ जाएँ"
रजत बोले "कौन कहता है कि एक कमरे में रहेंगे? हम तो एक फ़ाइव स्टार होटल में तीन कमरे लेकर रहेंगे"
दीदी बोली "तो साथ चुदाई का क्या होगा?"
शन्नो जी सुन रही थीं मुस्करा कर बोलीं "मुझे मालूम है मेरे बेटे के मन में क्या है, साथ चुदाई बहुत हो गयी, आगे भी होगी जब हम वापस आएँगे अभी छुट्टी में हम जोड़ियाँ बनाकर अलग कमरों में रहेंगे"
माँ बोली "पर दीदी, कैसी जोड़ियाँ बनेंगी?"
जेठजी बोले "सब तरह की जोड़ियाँ बनेंगी हम छह लोग हैं, हमारी पंद्रहा तरह से जोड़ियाँ बन सकती हैं, तीन कमरे ले लेंगे, हर जोड़ी के लिए एक, पाँच दिन में सब तराहा की जोड़ियाँ बन जाएँगीं मज़ा आएगा हर रात एक अलग पार्टनर मन लगाकर उसके साथ जो मन में आए, कर सकते हैं मेरे भी मन में बहुत कुछ है, करने को और करवाने को जो सब के सामने करने में झिझक होती है, जोड़ी बना कर हम मनचाहा काम कर सकते हैं" वे मेरी ओर प्यार से देख रहे थे, साथ ही साथ उनकी नज़र माँ की ओर भी थी मैंने जीजाजी की ओर देखा मन में सोच रहा था कि कैसी जोड़ियाँ बनेँगीं और उनमें किस जोड़ी में ख़ास मज़ा आएगा!
शन्नो जी माँ की ओर और दीदी की ओर देखते हुए बोलीं "बिलकुल ठीक है बेटे, मैं भी कुछ कुछ करना चाहती हू"
"तो तय रहा अब सब अलग अलग सोना शुरू कर दो, अपनी बैटरी चार्ज कर लो और हाँ, सोच लो किस के साथ क्या करना है, यही मौका है, मन की हर मुराद पूरी कर लेने का प्राईवेसी में, मन को पिंजरे से निकाल कर खुला उडने का मौका देने का!" रजत ने मेरे चूतडो पर चपत मार कर कहा मुझपर वे ख़ास मेहरबान थे
सब एक दूसरे की ओर देख कर मुस्करा रहे थे सब को बात जॅंच गयी थी आँखों में झलकती कामना से यह सॉफ था कि सभी मन ही मन में सोचने लगे थे कि क्या करना है
रजत ने शन्नो जी से कहा "अम्मा, वापस आकर भी हम रोज जोड़ियाँ बना कर सोया करेंगे, चार बड़े कमरे हैं, किसी को कोई तकलीफ़ नहीं होगी जोड़ियाँ जितनी बार चाहे बदली जा सकती हैं बस शनिवार रविवार को मिलाकर हम सामूहिक प्रेमालाप करेंगे ठीक है ना"
सब ने हाँ कहा हमारे परिवार प्रेम का एक नया अध्याय शुरू हो रहा था तो दोस्तो ये कहानी आपको कैसी लगी ज़रूर बताना दोस्तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
धीरे धीरे हम चुदाई के एक अटूट बंधन में बँध गये दोनों परिवार ऐसे बँधे कि अलग होना मुश्किल हो गया किसकी किस से शादी हुई है, कौन औरत है कौन मर्द, कौन बड़ा है कौन छोटा, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था जैसा जिसे अच्छा लगे, चढ जाता था
शन्नो जी के आग्रह पर मैं और माँ अपना घर बंद करके दीदी के यहाँ हमेशा को रहने आ गये मुझे वहीं के एक कालेज में एडमिशन मिल गया
एक दिन रजत ने कहा "चलो, अब कहीं घूम आते हैं दार्जीलिंग चलते हैं हफ्ते भर रहेंगे यहाँ बहुत चुदाई हो चुकी, सब थक भी गये हैं तीन चार दिन आराम कर लो, फिर मैं बूकिंग कर देता हू"
शन्नो जी बोलीं "पर बेटे, रहेंगे कहाँ, किसी होटल में इतना बड़ा कमरा नहीं होता कि हम सब उसमें आ जाएँ"
रजत बोले "कौन कहता है कि एक कमरे में रहेंगे? हम तो एक फ़ाइव स्टार होटल में तीन कमरे लेकर रहेंगे"
दीदी बोली "तो साथ चुदाई का क्या होगा?"
शन्नो जी सुन रही थीं मुस्करा कर बोलीं "मुझे मालूम है मेरे बेटे के मन में क्या है, साथ चुदाई बहुत हो गयी, आगे भी होगी जब हम वापस आएँगे अभी छुट्टी में हम जोड़ियाँ बनाकर अलग कमरों में रहेंगे"
माँ बोली "पर दीदी, कैसी जोड़ियाँ बनेंगी?"
जेठजी बोले "सब तरह की जोड़ियाँ बनेंगी हम छह लोग हैं, हमारी पंद्रहा तरह से जोड़ियाँ बन सकती हैं, तीन कमरे ले लेंगे, हर जोड़ी के लिए एक, पाँच दिन में सब तराहा की जोड़ियाँ बन जाएँगीं मज़ा आएगा हर रात एक अलग पार्टनर मन लगाकर उसके साथ जो मन में आए, कर सकते हैं मेरे भी मन में बहुत कुछ है, करने को और करवाने को जो सब के सामने करने में झिझक होती है, जोड़ी बना कर हम मनचाहा काम कर सकते हैं" वे मेरी ओर प्यार से देख रहे थे, साथ ही साथ उनकी नज़र माँ की ओर भी थी मैंने जीजाजी की ओर देखा मन में सोच रहा था कि कैसी जोड़ियाँ बनेँगीं और उनमें किस जोड़ी में ख़ास मज़ा आएगा!
शन्नो जी माँ की ओर और दीदी की ओर देखते हुए बोलीं "बिलकुल ठीक है बेटे, मैं भी कुछ कुछ करना चाहती हू"
"तो तय रहा अब सब अलग अलग सोना शुरू कर दो, अपनी बैटरी चार्ज कर लो और हाँ, सोच लो किस के साथ क्या करना है, यही मौका है, मन की हर मुराद पूरी कर लेने का प्राईवेसी में, मन को पिंजरे से निकाल कर खुला उडने का मौका देने का!" रजत ने मेरे चूतडो पर चपत मार कर कहा मुझपर वे ख़ास मेहरबान थे
सब एक दूसरे की ओर देख कर मुस्करा रहे थे सब को बात जॅंच गयी थी आँखों में झलकती कामना से यह सॉफ था कि सभी मन ही मन में सोचने लगे थे कि क्या करना है
रजत ने शन्नो जी से कहा "अम्मा, वापस आकर भी हम रोज जोड़ियाँ बना कर सोया करेंगे, चार बड़े कमरे हैं, किसी को कोई तकलीफ़ नहीं होगी जोड़ियाँ जितनी बार चाहे बदली जा सकती हैं बस शनिवार रविवार को मिलाकर हम सामूहिक प्रेमालाप करेंगे ठीक है ना"
सब ने हाँ कहा हमारे परिवार प्रेम का एक नया अध्याय शुरू हो रहा था तो दोस्तो ये कहानी आपको कैसी लगी ज़रूर बताना दोस्तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त