ससुराल सिमर का—12
गतान्क से आगे……………
सुबह जब आँख खुली तो देखा कि माँ शन्नो जी की गोद में सिर रखकर रो रही थी दीदी, जीजाजी और जेठजी गायब थे, शायद नहाने चले गये थे मुझे लगा कि माँ को दर्द हो रहा होगा, कल रात हमसे ज़्यादती हो गयी
शन्नो जी माँ को चूमती हुई बोलीं "हमारा तो यह फ़र्ज़ था समधन, तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत रोज थोड़े मिलती है, ऐसी समधन या सास सब बच्चों को कहाँ नसीब होती है तुम तो अप्सरा हो बहुत मज़ा लिया बच्चों ने, भरपूर स्वाद पाया तुम्हारे बदन का"
माँ सिसकते हुए बोली "मैं निहाल हो गयी दीदी इतना सुख मिला कि स्वर्ग में भी नहीं मिलेगा अब तो बस आप लोगों की ऐसी ही सेवा होती रहे मुझसे, और मेरे बच्चों से, यही मनाती हू मैं" याने माँ सुख से रो रही थी मुझे काफ़ी गर्व हुआ, क्या चुदैल छिनाल नारी थी मेरी माँ!
"अब आज आराम करो दिन भर सब कोई सीधे रात को इकठ्ठे होंगे अभी तो और जान पहचान होना है हमारे तुम्हारे परिवार में अमित बेटे, तू भी आराम कर ले, आज रात को तेरा ख़ास काम है" शन्नो जी बोलीं
मैं और माँ दिन भर सोते रहे बस बीच में नहाने खाने को उठे शाम तक हमें फिर ताज़गी महसूस होने लगी बाकी सब भी आराम करके फ्रेश लग रहे थे सब माँ के साथ मज़ाक कर रहे थे
"मांजी, कल कैसी लगी हमारी आवभगत? कहें तो आज वैसी ही खातिर आगे चालू रखें?" रजत ने पूछा
"कल ज़रा जल्दबाजी मच गयी मांजी, आपके रूप का ही यह प्रताप है आज आराम से आप की सेवा कर सकते हैं हम सब मिलके" जीजाजी मुस्कराते हुए बोले
"बड़े आए मेरी माँ की सेवा करने वाले! मुझे तो माँ से ठीक से मिलने भी नहीं दिया तुम लोगों ने, आज माँ सिर्फ़ मेरी है मेरी" सिमर दीदी मचल कर बोली
माँ खुश थी थोड़ा शरमाते हुए बोली "बेटे, मैं क्या कहू, कल तो तुम लोगों ने मुझे स्वर्ग में पहूचा दिया पर क्या नोचा है मुझे, मेरा बदन अब तक दुख रहा है वैसे मेरी बेटी की ससुराल वालों के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हू, मुझे बहुत आनंद दिया है तुम लोगों ने मिलकर"
शन्नो जी हँसते हुए बोलीं "आज अब थोड़ा अलग होगा मज़े ले लेकर काम किया जाएगा बीना, तेरा बेटा अमित बड़ा खूबसूरत है, पिछली बार बस दो दिन रहा, ठीक से उसे जान भी नहीं पाए हम लोग, ख़ास कर मेरे बेटे आज सोचते हैं कि जान पहचान पूरी कर लें, हम दोनों की और साथ में बहू भी, और रजत, दीपक और अमित की आपस में"
रजत ने मुझे आँख मार कर कहा "बिलकुल ठीक है अम्मा अमित को तो ठीक से चख भी नहीं पाए हम लोग"
मेरे मन में मीठी उलझन होने लगी थी मैं समझ गया कि क्या होने वाला है पर अब मुझे मज़ा आने लगा था मैंने भी बोल दिया "हाँ, मज़ा आएगा मांजी पर क्या हम लोग अलग कमरे में जाकर गप्पें मारें और आप औरतें दूसरे कमरे में जाएँगी?"
"अरे नहीं, ये ट्रेन थोड़े ही है लेडीज़ और जेंट कम्पार्टमेन्ट वाली, सब साथ साथ देखेंगे एक दूसरे को" शन्नो जी बोलीं
कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का compleet
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
रात को हम सब फिर से दीदी के कमरे में इकठ्ठे हुए औरतें एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं जीजाजी और रजत फटाफट नंगे हो गये और मिलकर मेरे कपड़े उतारने लगे साथ साथ वे मुझे चूमते जाते "अमित राजा, आज आएगा मज़ा, आज तुझे सेक्स का सब बचा हुआ आनंद भी मिल जाएगा, जो तूने आज तक नहीं लिया"
जीजाजी मेरी छाती सहलाते हुए मेरे निपालों को छूआ कर बोले "भैया, बड़ा चिकना लडका है, एकदम मस्त है"
"तू भी कम नहीं है दीपक, आ अमित, आजा ठीक से देख ले कि तेरी बहन का पति कितना चिकना जवान है" रजत मुझे गोद में लेकर सोफे में बैठते हुए बोले जीजाजी मेरे सामने बैठ कर मेरा लंड चूसने लगे
"छोटे, तू तो अमित के लंड पर मर गया है, अभी से सोच ले, कहाँ लेगा?" रजत बोले और फिर अचानक मेरा सिर अपने हाथों में लेकर अपनी ओर मोडकर मेरे होंठों को चूसने लगे पहली बार कोई मर्द इस तराहा से मुझे चूम रहा था मैंने शुरू में अपना मुँह बंद रखा पर फिर मुँह खोल कर जेठजी की जीभ चूसने लगा वे मेरे निपलो को उंगलियों में लेकर बड़े मस्त तरीके से मसल रहे थे उनका तन्नाया लंड मेरी पीठ पर रगड रहा था
उधर शन्नो जी और दीदी मिलकर माँ के बदन का रस चूसने में लग गये थे दीदी माँ की चूत से लग गयी थी और शन्नो जी माँ के होंठ चूस रही थीं माँ ने उन्हें कुछ कहा तो शन्नो जी मुस्काराकर माँ का सिर अपनी जांघों में लेकर लेट गयीं "ज़रूर चूसो बीना, तुझे नहीं चुसाऊन्गि तो किस को चुसाऊन्गि"
"उठ छोटे, अब नहीं रहा जाता, काम की बात करें, बोल क्या करेगा अमित के साथ" रजत ने जीजाजी से पूछा
"भैया, मैं तो इसे अंदर लूँगा आज, जब से अमित को देखा है मेरी गान्ड कुलबुला रही है" जीजाजी मेरे लंड को मुँह से निकालकर बोले
"वो तो ठीक है पर मुझे तो अमित के गोरे गोरे चूतड चाहिए अपने आगोश में बोल अमित तैयार है?" रजत बोले मैं अब वासना से थरथरा रहा था रजत का लंड गान्ड में लेने की कल्पना से डर भी लगता था और उत्तेजना भी होती थी
"बहुत बड़ा है रजत जी, दर्द तो नहीं होगा?" मैंने पूछा
"अरे मेरी जान, तुझे दर्द नहीं होने देंगे, मस्त मख्खन का इंतज़ाम करके रखा है पर बात ठीक है, पहली बार ले रहा है तू, ऐसा कर, पहले दीपक का ले ले, मुझसे छोटा है ना! दीपक आ जा, अमित को तैयार कर ले, पहली बार मरा रहा है, धीरे धीरे मारना अमित, तू पहले मरा ले, झडे बिना, बहुत आनंद पाएगा गान्ड मरवाने का असली आनंद तभी आता है जब लंड खड़ा हो" रजत अब खुल कर बोल रहे थे मेरी सारी शरम दूर हो गयी थी, मैं भी उत्सुक था कि देखें कैसा लगता है इतने सुंदर हैम्डसम मर्दों के साथ मैं कुछ भी करने को अब तैयार था
रजत ने मुझे पलटा और मेरी गान्ड चूसने लगे "छोटे, क्या माल है यार! मुझे तेरी याद आ गयी जब मैंने पहली बार तेरी मारी थी
रजत ने मुझे सोफे का सिरहाना पकडकर झुका कर खड़ा किया रजतजी मेरी गुदा में मख्कन मलने लगे साथ साथ वे फिर पीछे खड़े हो गये "भैया, तुम आमित का लंड सभालो"
"बीना उधर देख, तेरे बेटे को मेरे बेटे कैसे चोद रहे हैं" शन्नो जी ने कहा माँ ने मेरी ओर देखा मेरी आँखों की खूआरी देख कर उसे बहुत अच्छा लगा "कितना खुश लग रहा है मेरा बेटा सच बताऊ दीदी, सिमर के साथ चुदाई करते हुए मुझे बार बार लगता था कि जैसे मुझे मेरी बेटी के साथ यह सुख मिल रहा है, वैसे ही मेरे बेटे को मिले, उसके भाग हैं जो इतने अच्छे खूबसूरत मर्द उसे मिले मज़ा करने को बेटे, पूरा मज़ा ले ले, आराम से चुदवा"
जीजाजी ने बहुत देर मेरी मारी "क्या गान्ड है भैया, एकदम टाइट, अमित, अब मेरी मार कर देखना, तेरा माँ या दीदी से ज़्यादा मेरी गान्ड में तुझे मज़ा आएगा"
कुछ देर में वे झड गये पहली बार गरम वीर्य की फुहार गान्ड में छूटी तो मैने समझा कि औरतों को भी क्या मज़ा आता होगा मेरा लंड और तन्ना गया था रजत ने बड़ी सफाई से मुझे मस्त रखा था, मेरा लंड चूस चूस कर पर झड़ाया नहीं था
जीजाजी ने लंड निकाला और जाकर पलंग पर ओम्धे लेट गये "अब आजा अमित, मज़ा कर ले"
क्रमशः……………..
जीजाजी मेरी छाती सहलाते हुए मेरे निपालों को छूआ कर बोले "भैया, बड़ा चिकना लडका है, एकदम मस्त है"
"तू भी कम नहीं है दीपक, आ अमित, आजा ठीक से देख ले कि तेरी बहन का पति कितना चिकना जवान है" रजत मुझे गोद में लेकर सोफे में बैठते हुए बोले जीजाजी मेरे सामने बैठ कर मेरा लंड चूसने लगे
"छोटे, तू तो अमित के लंड पर मर गया है, अभी से सोच ले, कहाँ लेगा?" रजत बोले और फिर अचानक मेरा सिर अपने हाथों में लेकर अपनी ओर मोडकर मेरे होंठों को चूसने लगे पहली बार कोई मर्द इस तराहा से मुझे चूम रहा था मैंने शुरू में अपना मुँह बंद रखा पर फिर मुँह खोल कर जेठजी की जीभ चूसने लगा वे मेरे निपलो को उंगलियों में लेकर बड़े मस्त तरीके से मसल रहे थे उनका तन्नाया लंड मेरी पीठ पर रगड रहा था
उधर शन्नो जी और दीदी मिलकर माँ के बदन का रस चूसने में लग गये थे दीदी माँ की चूत से लग गयी थी और शन्नो जी माँ के होंठ चूस रही थीं माँ ने उन्हें कुछ कहा तो शन्नो जी मुस्काराकर माँ का सिर अपनी जांघों में लेकर लेट गयीं "ज़रूर चूसो बीना, तुझे नहीं चुसाऊन्गि तो किस को चुसाऊन्गि"
"उठ छोटे, अब नहीं रहा जाता, काम की बात करें, बोल क्या करेगा अमित के साथ" रजत ने जीजाजी से पूछा
"भैया, मैं तो इसे अंदर लूँगा आज, जब से अमित को देखा है मेरी गान्ड कुलबुला रही है" जीजाजी मेरे लंड को मुँह से निकालकर बोले
"वो तो ठीक है पर मुझे तो अमित के गोरे गोरे चूतड चाहिए अपने आगोश में बोल अमित तैयार है?" रजत बोले मैं अब वासना से थरथरा रहा था रजत का लंड गान्ड में लेने की कल्पना से डर भी लगता था और उत्तेजना भी होती थी
"बहुत बड़ा है रजत जी, दर्द तो नहीं होगा?" मैंने पूछा
"अरे मेरी जान, तुझे दर्द नहीं होने देंगे, मस्त मख्खन का इंतज़ाम करके रखा है पर बात ठीक है, पहली बार ले रहा है तू, ऐसा कर, पहले दीपक का ले ले, मुझसे छोटा है ना! दीपक आ जा, अमित को तैयार कर ले, पहली बार मरा रहा है, धीरे धीरे मारना अमित, तू पहले मरा ले, झडे बिना, बहुत आनंद पाएगा गान्ड मरवाने का असली आनंद तभी आता है जब लंड खड़ा हो" रजत अब खुल कर बोल रहे थे मेरी सारी शरम दूर हो गयी थी, मैं भी उत्सुक था कि देखें कैसा लगता है इतने सुंदर हैम्डसम मर्दों के साथ मैं कुछ भी करने को अब तैयार था
रजत ने मुझे पलटा और मेरी गान्ड चूसने लगे "छोटे, क्या माल है यार! मुझे तेरी याद आ गयी जब मैंने पहली बार तेरी मारी थी
रजत ने मुझे सोफे का सिरहाना पकडकर झुका कर खड़ा किया रजतजी मेरी गुदा में मख्कन मलने लगे साथ साथ वे फिर पीछे खड़े हो गये "भैया, तुम आमित का लंड सभालो"
"बीना उधर देख, तेरे बेटे को मेरे बेटे कैसे चोद रहे हैं" शन्नो जी ने कहा माँ ने मेरी ओर देखा मेरी आँखों की खूआरी देख कर उसे बहुत अच्छा लगा "कितना खुश लग रहा है मेरा बेटा सच बताऊ दीदी, सिमर के साथ चुदाई करते हुए मुझे बार बार लगता था कि जैसे मुझे मेरी बेटी के साथ यह सुख मिल रहा है, वैसे ही मेरे बेटे को मिले, उसके भाग हैं जो इतने अच्छे खूबसूरत मर्द उसे मिले मज़ा करने को बेटे, पूरा मज़ा ले ले, आराम से चुदवा"
जीजाजी ने बहुत देर मेरी मारी "क्या गान्ड है भैया, एकदम टाइट, अमित, अब मेरी मार कर देखना, तेरा माँ या दीदी से ज़्यादा मेरी गान्ड में तुझे मज़ा आएगा"
कुछ देर में वे झड गये पहली बार गरम वीर्य की फुहार गान्ड में छूटी तो मैने समझा कि औरतों को भी क्या मज़ा आता होगा मेरा लंड और तन्ना गया था रजत ने बड़ी सफाई से मुझे मस्त रखा था, मेरा लंड चूस चूस कर पर झड़ाया नहीं था
जीजाजी ने लंड निकाला और जाकर पलंग पर ओम्धे लेट गये "अब आजा अमित, मज़ा कर ले"
क्रमशः……………..
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—13
गतान्क से आगे……………
रजत ने मुझे पलंग पर चढाया "चढ जा अमित, मख्खन की ज़रूरत नहीं लगेगी, मखमली गान्ड है मेरे भाई की, तेरी ही तरह"
रजत जी ने नीचे बैठकर मेरा लंड मुँह में ले लिया और मेरे चूतड पकडकर फैला दिए जीजाजी ने अपना लंड पेल दिया सुपाडा अंदर गया तो तकलीफ़ हुई जीजाजी रुक रुक कर पेलने लगे, जल्द ही उनका पूरा लंड मेरी गान्ड में था मुझे उतना दर्द नहीं हुआ जितना मैंने सोचा था बात यह है कि कई बार मैंने अकेले में गान्ड में मोमबत्ती डाल कर देखी थी जीजाजी का बहुत बड़ा भी नहीं था, रजत का होता तो मैं ज़रूर चिल्ला उठता
थोड़ा रुक कर जीजाजी बोले "संभाल अमित, अब चोदता हू" और खड़े खड़े मेरी गान्ड मारने लगे मेरा शरीर हिलने लगा रजत मन लगाकर मेरा लंड चूस रहे थे जीजाजी एक सधी लय में मेरी मार रहे थे पच पच पच आवाज़ आ रही थी
जीजाजी के गोरे चूतड बहुत खूबसूरत थे मैं उन्हें चूमने लगा, फिर गान्ड में मुँह लगाकर चूसने लगा "असली चोदू है तू अमित, गान्ड का शौकीन लगता है वैसे दीपक की गान्ड बहुत मस्त है, तेरी देखू, स्वाद दीपक से कम नहीं होगा" कहकर रजत मेरी गान्ड चूसने लगे
मैंने जीजाजी के उपर चढ कर अपना सुपाडा उनकी गुदा पर रखा और पेल दिया एक बार में आधा लंड अंदर चला गया मैं अचरज में था इतनी मुलायम तो मेरी माँ या दीदी की भी गान्ड नहीं थी एक और धक्के में मैंने लंड पूरा गाढ दिया जीजाजी चूतड हिलाने लगे "मज़ा आ गया अमित, तेरे इस कसे लौडे को लेने की मैं उसी दिन से सोच रहा था जब सिमर ने तेरे बारे में बताया था अब पेल अंदर बाहर" मैं जीजाजी की गान्ड चोदने लगा
"एक मिनिट रुक राजा, अब मुझे भी अंदर ले ले पहले, फिर साथ साथ मारेंगे" कहकर जेठजी ने मेरे चूतड फैलाए और लौडा पेलने लगे अब मैने समझा कि गान्ड मराना क्या होता है उनका लंड बड़ा था, ऐसा लग रहा था कि गान्ड फट जाएगी मैं दर्द से सी सी करने लगा तो उन्होंने पेलना बंद कर दिया और मेरे निपल मसलने लगे "बस, अब नहीं होगा दर्द, पहली बार तो थोड़ा होता है, औरतों को कैसे भी होता है चुदाते समय"
जीजाजी अपनी गान्ड सिकोड सिकोड कर मेरे लंड को मस्त कर रहे थे दो मिनिट बाद रजत फिर पेलने लगे, इस बार दर्द कम हुआ और उनका लंड मेरे चूतडो के बीच पूरा समा गया मुझे अजीब सा लग रहा था, गान्ड ठस के भरी हुई थी, ऐसा लग रहा था कि पेट तक लंड चला गया है पर मज़ा भी आ रहा था
"चल अब चोदता हू तेरे भाई की गान्ड, बहू देख रही है ना?" सिमर दीदी को रजत बोले फिर माँ की ओर मुड कर बोले "माँ जी, आपके बेटे की कुँवारी गान्ड का उद्घाटन रजत और मेरे लंड से होना था देखिए बड़ा प्यारा बेटा है आपका अब देखिए उसे कैसा सुख देते हैं आज" और हचक हचक कर मेरी गान्ड चोदने लगे
गतान्क से आगे……………
रजत ने मुझे पलंग पर चढाया "चढ जा अमित, मख्खन की ज़रूरत नहीं लगेगी, मखमली गान्ड है मेरे भाई की, तेरी ही तरह"
रजत जी ने नीचे बैठकर मेरा लंड मुँह में ले लिया और मेरे चूतड पकडकर फैला दिए जीजाजी ने अपना लंड पेल दिया सुपाडा अंदर गया तो तकलीफ़ हुई जीजाजी रुक रुक कर पेलने लगे, जल्द ही उनका पूरा लंड मेरी गान्ड में था मुझे उतना दर्द नहीं हुआ जितना मैंने सोचा था बात यह है कि कई बार मैंने अकेले में गान्ड में मोमबत्ती डाल कर देखी थी जीजाजी का बहुत बड़ा भी नहीं था, रजत का होता तो मैं ज़रूर चिल्ला उठता
थोड़ा रुक कर जीजाजी बोले "संभाल अमित, अब चोदता हू" और खड़े खड़े मेरी गान्ड मारने लगे मेरा शरीर हिलने लगा रजत मन लगाकर मेरा लंड चूस रहे थे जीजाजी एक सधी लय में मेरी मार रहे थे पच पच पच आवाज़ आ रही थी
जीजाजी के गोरे चूतड बहुत खूबसूरत थे मैं उन्हें चूमने लगा, फिर गान्ड में मुँह लगाकर चूसने लगा "असली चोदू है तू अमित, गान्ड का शौकीन लगता है वैसे दीपक की गान्ड बहुत मस्त है, तेरी देखू, स्वाद दीपक से कम नहीं होगा" कहकर रजत मेरी गान्ड चूसने लगे
मैंने जीजाजी के उपर चढ कर अपना सुपाडा उनकी गुदा पर रखा और पेल दिया एक बार में आधा लंड अंदर चला गया मैं अचरज में था इतनी मुलायम तो मेरी माँ या दीदी की भी गान्ड नहीं थी एक और धक्के में मैंने लंड पूरा गाढ दिया जीजाजी चूतड हिलाने लगे "मज़ा आ गया अमित, तेरे इस कसे लौडे को लेने की मैं उसी दिन से सोच रहा था जब सिमर ने तेरे बारे में बताया था अब पेल अंदर बाहर" मैं जीजाजी की गान्ड चोदने लगा
"एक मिनिट रुक राजा, अब मुझे भी अंदर ले ले पहले, फिर साथ साथ मारेंगे" कहकर जेठजी ने मेरे चूतड फैलाए और लौडा पेलने लगे अब मैने समझा कि गान्ड मराना क्या होता है उनका लंड बड़ा था, ऐसा लग रहा था कि गान्ड फट जाएगी मैं दर्द से सी सी करने लगा तो उन्होंने पेलना बंद कर दिया और मेरे निपल मसलने लगे "बस, अब नहीं होगा दर्द, पहली बार तो थोड़ा होता है, औरतों को कैसे भी होता है चुदाते समय"
जीजाजी अपनी गान्ड सिकोड सिकोड कर मेरे लंड को मस्त कर रहे थे दो मिनिट बाद रजत फिर पेलने लगे, इस बार दर्द कम हुआ और उनका लंड मेरे चूतडो के बीच पूरा समा गया मुझे अजीब सा लग रहा था, गान्ड ठस के भरी हुई थी, ऐसा लग रहा था कि पेट तक लंड चला गया है पर मज़ा भी आ रहा था
"चल अब चोदता हू तेरे भाई की गान्ड, बहू देख रही है ना?" सिमर दीदी को रजत बोले फिर माँ की ओर मुड कर बोले "माँ जी, आपके बेटे की कुँवारी गान्ड का उद्घाटन रजत और मेरे लंड से होना था देखिए बड़ा प्यारा बेटा है आपका अब देखिए उसे कैसा सुख देते हैं आज" और हचक हचक कर मेरी गान्ड चोदने लगे