जीजाजी उठकर कुर्सी की पीठ पकडकर खड़े हो गये मैं जीजाजी के चूतड पकडकर चोद रहा था और जेठजी मन लगाकर मेरी गान्ड मार रहे थे "साले मादरचोद, आज तेरी गान्ड को फुकला कर दूँगा तेरी माँ के भोसडे जैसा अरी ओ चुदैल रंडी मांजी, आपके बेटे की कैसी शामत करेंगे अब देखना, साले की गान्ड ऐसी खोल देंगे कि हाथ चला जाएगा" उत्तेजना से मेरे निपल मसलते हुए वे बोले
गाली गलौज का दौर शुरू हो गया था जीजाजी बोले "अरे साले, मार ज़ोर से, तेरी दीदी की मैं रोज मारता हू, आज देखू तुझ में कितना दम है"
मैंने हान्फते हुए उनके चूतडो के बीच लंड पेलते हुए कहा "जीजाजी, आज आपको पता चलेगा गान्ड मराना क्या होता है, आपकी छिनाल अम्मा की कसम, आज आप की गान्ड इतनी गहरी चोदून्गा कि आपके मुँह से निकल आएगा मेरा लंड"
उधर माँ जो अब तक खामोश इस चुदाई का मज़ा ले रही थी, इस नोंक झोंक में शामिल हो गयी "सिमर, आ, तेरी सास की चूत की गहराई देखू, बहुत बक बक करती है, मेरी बुर देखो, मैं एक साथ इनके दोनों चोदू बेटों को अंदर ले लूँ पूरा अमित बेटे, फाड़ दे तेरी बहन के इस हरामी आदमी की गान्ड और वो जो बक रहा है उसका भाई, उसके लंड को ऐसा निचोड़ अपनी गान्ड से कि साला कल उठ ना पाए" सिमर भी माँ की आवाज़ में आवाज़ मिला कर मुझे उकसा रही थी
उधर शन्नो जी चिल्ला चिल्ला कर अपने बेटों को प्रोत्साहित कर रही थीं "इस लडके का कचूमर निकाल दो बेटे, बच के वापस ना जाने पाए इसकी माँ की बुर तो मैं आज ऐसी निचोड़ दूँगी कि फिर कभी इसमें रस नहीं आएगा"
सब अब घमासान चोद रहे थे परिवार सेक्स का असीम सुख सबको पागल कर रहा था एक एक करके सब झडे और लस्त होकर ढेर हो गये
"मज़ा आ गया भाई, बहुत दिनों में ऐसा मज़ा आया अम्मा, ये लडका तो हीरा है अम्मा" जेठजी सुख में डूबे हुए बोले "और इसकी माँ रस की ख़ान है अपनी बेटी जैसी, देखो, बुर से कितना पानी बह रहा है!" शन्नो जी माँ की बुर पर मुँह लगाकर बोलीं
आराम करने के बाद आगे चुदाई शुरू हुई बस अब ज़रा आराम से मज़ा लिया गया हम तीनों मर्दों ने मिलकर सब औरतों को एक एक करके तीनो छेदों में एक साथ चोदा माँ की काफ़ी कुटाई हो चुकी था इसलिए उसे दस मिनिट बिना झडे चोद कर हम दीदी पर टूट पड़े दीदी को पहली बार तीन लंडों का सुख मिला वह इतनी झडी कि सुख से एकदम ढीली हो गयी
कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का compleet
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
शन्नो जी पहले ना नुकुर कर रही थीं, ख़ास कर गान्ड मराने को जेठजी नाराज़ हो गये "माँ आज नखरा कर रही है, बरसों से हमसे मराती आ रही है, हम सब में बड़ा लंड तेरा है अमित, तू मार इसकी गान्ड"
ज़बरदस्ती मैंने शन्नो जी की पहाड सी गान्ड में लंड घुसेडा उनके दोनों बेटे पहले ही उनकी चूत और मुँह में जगह बना चुके थे इसलिए बेचारी गों गों के सिवाय कुछ कर भी नहीं पाईं लगता है उन्हें दुखा होगा क्योंकि जब भी मैं लंड उनकी गान्ड में पेलता, उनका शरीर ऐंठ सा जाता पर मज़ा भी उन्होंने लिया, खूब चूतड उछाल उछाल कर चुदवाया और गान्ड मराई
इस मस्तानी रात की निरंतर चुदाई से सब इतने थक गये थे कि सो कर सब देर से उठे शन्नो जी ने दूसरे दिन और रात का सेक्स बंद कर दिया बोलीं कि बहुत हो गया, अब ज़रा एक दिन आराम करके दूसरे दिन से ज़रा मन लगाकर चुदाई करेंगे, ऐसे जानवरों जैसे नहीं
चौबीस घंटे के आराम से हम फिर ताजे तवाने हो गये थे सुबह उठने के बाद नहा धो कर जब मैं और माँ वापस आए तो हमे पकडकर अलग अलग कमरे में ले जाया गया दीदी और जीजाजी ने मुझे पकड़ा था और शन्नो जी और जेठजी ने माँ को
माँ बोली "अरे ये क्या कर रहे हो? और मेरे बेटे और मुझे ऐसे अलग अलग कमरे में क्यों ले जा रहे हो?"
जेठजी बोले "वो इसलिए मांजी कि गाय को दुहने के पहले खूटे से बाँध दिया जाता है वैसे ही आज आप को बाँध कर दूहा जाएगा" और वे कमरे के अंदर माँ को ले गये
मुझे दूसरे कमरे में ले जाकर जीजाजी ने पलंग पर लिटा दिया दीदी ने मुझे नंगा करके मेरे हाथ पैर पलंग के चारों कोने में बाँध दिए मैं अब थोड़ा घबरा गया था पर दीदी जिस तरह से शैतानी से हँस रही थी, मैं समझ गया कि ये लोगे कोई कामुक खेल खेलने वाले होंगे मेरे और माँ के साथ मैंने फिर दीदी से पूछा
दीदी बोली "अरे ये यहाँ की प्रथा है, मैं जब आई थी नई घर में तब ऐसा ही हुआ था असल में ये लोग तुम्हें और माँ को मन भर कर हर तरह से भोगना चाहते हैं, वो भी एक एक करके अकेले में अब सब अलग अलग काम में होते हैं, कोई आफ़िस, कोई घर का काम इसलिए तुम दोनों को ऐसे तैयार करके बाँध दिया है जब जिसका जी चाहेगा और जिसके पास जैसा समय होगा, तुम लोगों को चोद जाया करेगा"
जीजाजी मेरे शरीर को प्यार से सहलाते हुए बोले "तेरी दीदी को हमने ऐसे ही हफ्ते भर कमरे में बंद रखा था खाना पीना भी वहीं होता था
क्रमशः……………..
ज़बरदस्ती मैंने शन्नो जी की पहाड सी गान्ड में लंड घुसेडा उनके दोनों बेटे पहले ही उनकी चूत और मुँह में जगह बना चुके थे इसलिए बेचारी गों गों के सिवाय कुछ कर भी नहीं पाईं लगता है उन्हें दुखा होगा क्योंकि जब भी मैं लंड उनकी गान्ड में पेलता, उनका शरीर ऐंठ सा जाता पर मज़ा भी उन्होंने लिया, खूब चूतड उछाल उछाल कर चुदवाया और गान्ड मराई
इस मस्तानी रात की निरंतर चुदाई से सब इतने थक गये थे कि सो कर सब देर से उठे शन्नो जी ने दूसरे दिन और रात का सेक्स बंद कर दिया बोलीं कि बहुत हो गया, अब ज़रा एक दिन आराम करके दूसरे दिन से ज़रा मन लगाकर चुदाई करेंगे, ऐसे जानवरों जैसे नहीं
चौबीस घंटे के आराम से हम फिर ताजे तवाने हो गये थे सुबह उठने के बाद नहा धो कर जब मैं और माँ वापस आए तो हमे पकडकर अलग अलग कमरे में ले जाया गया दीदी और जीजाजी ने मुझे पकड़ा था और शन्नो जी और जेठजी ने माँ को
माँ बोली "अरे ये क्या कर रहे हो? और मेरे बेटे और मुझे ऐसे अलग अलग कमरे में क्यों ले जा रहे हो?"
जेठजी बोले "वो इसलिए मांजी कि गाय को दुहने के पहले खूटे से बाँध दिया जाता है वैसे ही आज आप को बाँध कर दूहा जाएगा" और वे कमरे के अंदर माँ को ले गये
मुझे दूसरे कमरे में ले जाकर जीजाजी ने पलंग पर लिटा दिया दीदी ने मुझे नंगा करके मेरे हाथ पैर पलंग के चारों कोने में बाँध दिए मैं अब थोड़ा घबरा गया था पर दीदी जिस तरह से शैतानी से हँस रही थी, मैं समझ गया कि ये लोगे कोई कामुक खेल खेलने वाले होंगे मेरे और माँ के साथ मैंने फिर दीदी से पूछा
दीदी बोली "अरे ये यहाँ की प्रथा है, मैं जब आई थी नई घर में तब ऐसा ही हुआ था असल में ये लोग तुम्हें और माँ को मन भर कर हर तरह से भोगना चाहते हैं, वो भी एक एक करके अकेले में अब सब अलग अलग काम में होते हैं, कोई आफ़िस, कोई घर का काम इसलिए तुम दोनों को ऐसे तैयार करके बाँध दिया है जब जिसका जी चाहेगा और जिसके पास जैसा समय होगा, तुम लोगों को चोद जाया करेगा"
जीजाजी मेरे शरीर को प्यार से सहलाते हुए बोले "तेरी दीदी को हमने ऐसे ही हफ्ते भर कमरे में बंद रखा था खाना पीना भी वहीं होता था
क्रमशः……………..
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—14
गतान्क से आगे……………
रजत भैया एकदम सुबह आफ़िस जाते थे, सुबह दस बजे मैं चोद कर आफ़िस जाता था, फिर माँ चढती थी अपनी लाडली बहू पर और शाम को वापस आकर रजत चोदता था इसे एक मिनिट को खाली नहीं रखते थे, इसकी मादक जवानी को पूरे दिन चखते थे, रात को सब मिल बाँट कर खाते थे, वैसा ही कुछ तुम्हारे और माँ के साथ अब होगा दो तीन दिन"
"पर मुझे बाँध क्यों दिया जीजाजी?"
"अरे नहीं तो मुठ्ठ मार लोगे, मुझे मालूम है क्या हाल होता है, पागल हो जाती थी मैं चुदासी से तेरे झडने पर अब हमारा कंट्रोल रहेगा भैया अरे टुकूर टुकूर क्या देख रहे हो, अब जन्नत का मज़ा लोगे तुम दोनों! ख़ासकर माँ को तो आज मैं और सासूजी देखेंगे प्यार से बीच बीच में तुझे देख जाया करेंगे वैसे ये मेरे पति और जेठजी तुम्हारा ख़याल रखेंगे" दीदी मेरे लंड को मुठियाते हुए बोली फिर जीजाजी से बोली "चलो, पहला नंबर किसका है?"
जीजाजी बोले "मैं नहाने जा रहा हू, आकर पहले ज़रा मांजी की बुर का प्रसाद लूँगा फिर अपने प्यारे साले से इश्क फरमाऊन्गा अभी भैया चढे होंगे मांजी पर तब तक सिमर, तू मज़ा कर ले अपने भाई के साथ, फिर दिन भर मौका मिले ना मिले"
जीजाजी के जाते ही सिमर दीदी मुझपर चढ कर चोदने लगी मन भर कर उसने मुझे चुदाया पर झड़ाया नहीं मैंने बहुत कहा, मुझसे यह सुख सहन नहीं हो रहा था दीदी कान को हाथ लगाकर बोली "नहीं बाबा, मुझे डाँट नहीं खानी, आज तेरे लंड की चाबी रजत और दीपक के हाथ में है मांजी भी नहीं झड़ाएँगी तुझको, हाँ चूत का रस पिला देती हू"
सिमर दीदी के जाने के बाद कुछ देर बाद जीजाजी वापस आए सीधे मेरे लंड पर ही बैठ गये अपनी गान्ड में उसे घुसाते हुए बोले "अमित, आज मैं मन भर कर मराऊम्गा तुझसे, कल सब के साथ जल्दी में मज़ा आया पर मन नहीं भरा"
बहुत देर तक मेरे लंड से वे मरावाते रहे उपर नीचे होकर, कभी हौले हौले, कभी हचक हचक कर अपने लंड को पकडकर वी मुठिया रहे थे मैं सुख से तडप रहा था लंड में मीठी अगन हो रही थी मन भर कर मरा कर वे जब उतरे तो मैंने कहा "जीजाजी, ऐसे सूखे मत छोडो, कम से कम मेरी ही गान्ड मार लो, कुछ तो राहत मिले"
वी बोले "यार मैं ज़रूर मारता, पर रजत ने नहीं कहा है तेरी गान्ड बहुत मस्त है, भैया तो आशिक हो गये हैं उसपर वे अभी आएँगे तब मारेंगे हाँ, तेरी मलाई मैं ज़रूर चखूगा और तुझे अपनी चखाऊन्गा" वे मेरे उपर उलटे लेट गये और मेरे मुँह में अपना लंड दे दिया मेरे लंड को चूसते हुए वे मेरे मुँह को चोदने लगे
गतान्क से आगे……………
रजत भैया एकदम सुबह आफ़िस जाते थे, सुबह दस बजे मैं चोद कर आफ़िस जाता था, फिर माँ चढती थी अपनी लाडली बहू पर और शाम को वापस आकर रजत चोदता था इसे एक मिनिट को खाली नहीं रखते थे, इसकी मादक जवानी को पूरे दिन चखते थे, रात को सब मिल बाँट कर खाते थे, वैसा ही कुछ तुम्हारे और माँ के साथ अब होगा दो तीन दिन"
"पर मुझे बाँध क्यों दिया जीजाजी?"
"अरे नहीं तो मुठ्ठ मार लोगे, मुझे मालूम है क्या हाल होता है, पागल हो जाती थी मैं चुदासी से तेरे झडने पर अब हमारा कंट्रोल रहेगा भैया अरे टुकूर टुकूर क्या देख रहे हो, अब जन्नत का मज़ा लोगे तुम दोनों! ख़ासकर माँ को तो आज मैं और सासूजी देखेंगे प्यार से बीच बीच में तुझे देख जाया करेंगे वैसे ये मेरे पति और जेठजी तुम्हारा ख़याल रखेंगे" दीदी मेरे लंड को मुठियाते हुए बोली फिर जीजाजी से बोली "चलो, पहला नंबर किसका है?"
जीजाजी बोले "मैं नहाने जा रहा हू, आकर पहले ज़रा मांजी की बुर का प्रसाद लूँगा फिर अपने प्यारे साले से इश्क फरमाऊन्गा अभी भैया चढे होंगे मांजी पर तब तक सिमर, तू मज़ा कर ले अपने भाई के साथ, फिर दिन भर मौका मिले ना मिले"
जीजाजी के जाते ही सिमर दीदी मुझपर चढ कर चोदने लगी मन भर कर उसने मुझे चुदाया पर झड़ाया नहीं मैंने बहुत कहा, मुझसे यह सुख सहन नहीं हो रहा था दीदी कान को हाथ लगाकर बोली "नहीं बाबा, मुझे डाँट नहीं खानी, आज तेरे लंड की चाबी रजत और दीपक के हाथ में है मांजी भी नहीं झड़ाएँगी तुझको, हाँ चूत का रस पिला देती हू"
सिमर दीदी के जाने के बाद कुछ देर बाद जीजाजी वापस आए सीधे मेरे लंड पर ही बैठ गये अपनी गान्ड में उसे घुसाते हुए बोले "अमित, आज मैं मन भर कर मराऊम्गा तुझसे, कल सब के साथ जल्दी में मज़ा आया पर मन नहीं भरा"
बहुत देर तक मेरे लंड से वे मरावाते रहे उपर नीचे होकर, कभी हौले हौले, कभी हचक हचक कर अपने लंड को पकडकर वी मुठिया रहे थे मैं सुख से तडप रहा था लंड में मीठी अगन हो रही थी मन भर कर मरा कर वे जब उतरे तो मैंने कहा "जीजाजी, ऐसे सूखे मत छोडो, कम से कम मेरी ही गान्ड मार लो, कुछ तो राहत मिले"
वी बोले "यार मैं ज़रूर मारता, पर रजत ने नहीं कहा है तेरी गान्ड बहुत मस्त है, भैया तो आशिक हो गये हैं उसपर वे अभी आएँगे तब मारेंगे हाँ, तेरी मलाई मैं ज़रूर चखूगा और तुझे अपनी चखाऊन्गा" वे मेरे उपर उलटे लेट गये और मेरे मुँह में अपना लंड दे दिया मेरे लंड को चूसते हुए वे मेरे मुँह को चोदने लगे