मेरी मस्त दीदी

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The Romantic
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मेरी मस्त दीदी

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 17:17

मेरी मस्त दीदी

चुदासी बहनों व चुदक्कड भाइयो ! मै यहाँ सिर्फ और सिर्फ असली वाकया ही आप लोगों से शेयर करता हूँ। अब ये आप लोगों पर डिपेंड करता है कि आप यकीन करे या ना करे। जिस तरह एक लंड हर समय किसी चूत की चाहत में तड़पता है उसी तरह हर चूत भी किसी न किसी लंड को पिलवाने को बेताब रहती है। आपको सिर्फ अपने आँख और कान खुले रखने है। आपको हर गली , हर मोहल्ले यहाँ तक कि हर घर में चुदासी चूत या चुदक्कड लंड आपके अनुसार मिल जायेगा। इस ग्रुप में यही सब बातें आप लोगों से मै यहाँ शेयर करूँगा।
आज मै आपको अपने मामू की मंझली बेटी की चुदाई की दास्तान सुनाता हूँ। मेरे मामू के तीन बेटियां है। वैसे तो तीनो एक से बढ कर एक खूबसूरत है परन्तु मंझली वाली का ज़बाब नहीं है। बड़ी वाली की शादी जम्मू में एक डॉक्टर के साथ हुई है। अब मामू के दो बेटियां शादी के लिए बचीं है। मंझली वाली मुझसे ११ महीने उमर में बड़ी है और इतनी खूबसूरत है कि आपको बता नहीं सकता। ३६ २४ ३६ वाली बिल्कुल परफेक्ट फिगर है उसकी। उसकी बड़े बड़े संतरे जैसी चुचियों को देख कर मेरा लंड अक्सर टायट होने लगता था और मै हमेशा उसकी मस्त चूत की कल्पना करता था। छोटी वाली भी बला की खूबसूरत है और मुझसे उमर में डेढ साल छोटी है। दोनों ही भरपूर जवान है।
बात पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों की है। मेरी अम्मी ने अब्बू से कहा कि वह मामू के यहाँ जाना चाहती है , अब्बू बोले," यार मुझे तो छुट्टी नहीं मिल सकती , तुम मुन्ना ( मै ) के साथ जावेद के यहाँ चली जाओ। मै तुम दोनों का ट्रेन रिसर्वेशन करवा देता हूँ।" अगले हफ्ते मै अपनी अम्मी को लेकर मामू के यहाँ लुधियाना पहुँच गया। पूरे रास्ते मै दीदी की चूचियों और मस्त चूत के बारे में ही सोचता रहा। अबकी बार मैंने पक्का मन बना लिया था कि मै दीदी को ज़रूर चोदूंगा। जब हम लुधियाना पहुंचे तो मामू स्टेशन पर हम लोगों को लेने आ गए थे। आखिर मै ३ बजे शाम को अपनी प्यारी मस्त दीदी के दीदार को उनके घर पहुँच गया। मेरी मामी छत पर कपडे उठाने गयी थी , उन्हें जैसे ही हमारे आने की खबर मिली वह तुरंत सारे कपडे लेकर नीचे आने लगी। ज्यादा कपडे होने के कारण उन्हें आगे का कुछ नज़र नहीं आ रहा था अतः वह सारे कपड़ों के साथ सीडियों से नीचे फिसल कर आ गिरी जिससे उनका सर फट गया। तुरंत ही सब लोग मामी को लेकर अस्पताल पहुंचे जहाँ डाक्टर ने इलाज करने के बाद कहा, " अब पेशेंट को कोई खतरा तो नहीं है परन्तु इन्हें कम से कम दो दिन तक अस्पताल में ही रखना पड़ेगा क्योंकि सर में बहुत गहरी चोट लगी है " मामू ने कहा कि वह रात को अस्पताल में ही रुक जाते है बाकी सभी लोग अब घर जाये लेकिन अम्मी ने वही रुकने की जिद की तो आखिर में यह तय हुआ कि मै और दीदी अब घर जाये और अम्मी व मामू ही अस्पताल में रुक जाते है क्योंकि अब मामी भी पूरे होश में आ चुकी थी। दीदी मुझसे बोली," मुन्ना ! बाइक बहुत धीरे धीरे चलाना , मुझे बहुत डर लगता है" यह सुनकर सब हँसने लगे। मामू बोले, " मुन्ना ! ये जबसे मेरे साथ बाइक से गिरी है तबसे बहुत डरने लगी है , तुम धीरे धीरे ही ले जाना" मैंने हामी भर दी। मै दीदी को मामू की बाइक से लेकर घर चल दिया।
रास्ते में मैंने बाइक की स्पीड थोड़ी तेज़ कर दी जिससे दीदी डर कर मुझ से चिपक कर बोली," मुन्ना s s s s s , अगर तुमने बाइक धीमी नहीं की तो मै कूद जाऊँगी"
मुझे अपनी पीठ पर दीदी की रसीली चूचियां गड़ती सी महसूस हो रही थी जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन फिर भी मैंने बाइक धीमी करते हुए बोला " सॉरी दीदी ! मुझे ध्यान नहीं रहा"
" ठीक है ठीक है लेकिन प्लीज अब बाइक तेज़ मत चलाना" दीदी बोली
मैंने कहा " ओ के दीदी ! लेकिन प्लीज अगर तुम किसी को बताओ नहीं तो मै थोड़ी सी व्हिस्की लेता चलू , वो क्या है कि एक तो रास्ते की थकान ऊपर से यहाँ आते ही यह हादसा हो गया"
दीदी बोली " ठीक है मुन्ना लेकिन ज्यादा मत पीना यह नुकसान करती है , मै अब्बू को भी मना करती हूँ और शायद उनकी शराब घर पर रक्खी भी होगी"
मैंने कहा " नहीं दीदी , मामू की शराब अगर पीयूँगा तो उन्हें पता चल जायेगा , मै रास्ते से ही लेता चलता हूँ और कोई सब्जी भी होटल से पैक करा लेते है , घर पर तुम और रज़िया ( छोटी बहन ) सिर्फ रोटी बना लेना"
" जैसा तुम ठीक समझो " दीदी बोली।
मेरी आँखों के सामने तो दीदी की मस्त मस्त चूत घूम रही थी सो मै फटाफट एक बोतल सिग्नेचर की व तीन अंडा करी पैक करा कर दीदी को लेकर घर चल दिया। मैंने घर जाकर रज़िया को बोला कि अब मामी बिलकुल ठीक है तुम निश्चिन्त हो कर अपने एंट्रेंस की तैय्यारी करो। मै और दीदी खाना तैयार करते है। मै किसी न किसी बहाने से दीदी के शरीर को टच कर रहा था जिसमे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
रज़िया बोली " ठीक है भैय्या ! लेकिन आप और दीदी ही खाना खा लेना , मेरी खाना खाने की अभी बिलकुल भी तबियत नहीं है , मै ऊपर वाले कमरे में अपनी पदाई करती हूँ अगर रात में भूख लगी तो मै आकर खा लूंगी , मेरे लिए चार रोटियां केसरोल में छोड़ देना " यह कहकर रज़िया घूम कर ऊपर जाने वाली सीडियों की तरफ बढ़ गयी।
तब मैंने पहली बार रज़िया को गौर से देखा कि वो भी बहुत हसीन और सेक्सी थी , पिंक कलर के स्लीवलेस टॉप और ब्लैक कैपरी में उसकी गदराई हुई मस्त गांड जो उसकी कमर से कम से कम छह इंच उठी हुई थी और तनी हुई चूचियां जैसे चुदाई का खुला निमंत्रण सा दे रही थी जब वह गांड हिलाती सीढियां चढ़ रही थी तो ऐसा लग रहा था कि रज़िया की गांड में कोई छोटी वाली बेरिंग फिट है जिस पर उसकी गांड टिक टाक टिक नाचती है। वो दीदी जितनी अगर सेक्सी नहीं थी तो कुछ कम भी नहीं थी , उसका शरीर किसी भी लंड को टायट करने के लिए पर्याप्त था। उस वक़्त मै अपने आप को किसी ज़न्नत में दो दो परियों के बीच किसी महाराजा के मानिंद महसूस कर रहा था। मै अपने लिए एक पैग बना कर दीदी के पास किचिन में ही आ गया। मेरी आँखे उनके रोटियों के लिए आटा बनाते समय ऊपर नीचे होती हुई चूचियो पर ही टिकीं थीं। जब दोनों हाथो पर जोर देती हुई दीदी नीचे को झुकती थी तो उनकी नारंगी जैसी दूधिया चूचिया कुर्ते के गले से आधे से भी ज्यादा नुमाया हो जाती थी , यहाँ तक कि उनकी ब्लैक ब्रा के कप्स मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे। मै किचिन के दरवाज़े में खड़ा एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए व्हिस्की को धीरे धीरे सिप कर रहा था साथ ही साथ दीदी की चूचियों के पूरे मज़े ले रहा था।

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Re: मेरी मस्त दीदी

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 17:18

तभी दीदी रोटियों के लिए आटा तैयार करके बोली " मुन्ना ! मेरे सर में बहुत दर्द होने लगा है जिससे कुछ भी करने की हिम्मत नहीं पड़ रही है , वैसे भूख भी बहुत लग रही है"
" दीदी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो , मै तुम्हारे साथ अभी फटाफट रोटियां बनवा लेता हूँ , तुम बेलती जाना और मै गैस पर सेंक लूँगा और अगर तुम कहो तो रज़िया को नीचे बुला लेता हूँ लेकिन अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात कहूँ" मैंने अपने लिए दूसरा पैग बनाते हुए कहा
" बोल मुन्ना , मै बुरा क्यों मानूँगी , तू तो मेरा अपना भाई है सगा नहीं है तो क्या हुआ" दीदी ने प्यार से मेरे बाल सहलाते हुए कहा।
" दीदी आपके सर में दर्द सिर्फ आज की भाग दौड़ और मामी को लेकर टेंशन की वजह से हो रहा है , मै यह जो व्हिस्की लाया हूँ यह सारी मर्जों की एक दवा है , सिर्फ दो घूँट आज लेकर देखो , तुम बिलकुल ठीक हो जाओगी" मै दीदी के मक्खन लगाते हुए उनके चहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर बोला।मेरा लंड आज पूरी तरह से चूत के लिए दीवाना था , मै आज सोच चुका था कि आज मै किसी ना किसी चूत में अपना लंड डाल के रहूँगा।
" तेरा तो दिमाग खराब हो गया है , शराब से भी कोई ठीक होता है और फिर ये कितनी कडवी होती है पता नहीं लोग कैसे इस नामुराद चीज़ को मज़े ले ले कर पीते है , एक बार अब्बू ने मुझे ब्रांडी दी थी जब मुझे सर्दी लग गयी थी तो मुझसे बिल्कुल भी नहीं पी गयी थी मैंने तुरंत ही सारी की सारी थूक दी थी और फिर उसके बाद भी बहुत देर तक जी ख़राब रहा था।और मुन्ना इसे पीने के बाद नशा भी तो हो जाता है , मैंने सड़क पर कई लोगों को नशे में झूमते हुए देखा है। सो अगर मैं तेरी बात मान के किसी तरह पी भी लूं तो मुझे नशा नहीं होगा क्या और अगर अब्बू को पता चल गया तो वो मुझे तो जान से ही मार डालेंगे" दीदी ने प्यार से मुझसे रोटियाँ बेलते हुए कहा।
" दीदी , मामू ने तुम्हे नीट ब्रांडी पीने को दे दी होगी इसीलिये वह तुम पी न सकीं , मै तुम्हे कोल्ड ड्रिंक में डाल के थोड़ी सी देता हूँ जिसके ऊपर तुम बिना साँस लिए थोड़ी सी सलाद तुरंत खा लेना , फिर तुम्हे उसका टेस्ट पता भी नहीं चलेगा उसके बाद न तुम्हारे सिर में दर्द रहेगा और ना ही बिल्कुल भी थकान महसूस होगी , और तो और भूख भी खुल कर लगेगी। आप क्या सोचती है , मै क्या फालतू में ही इस कडवी चीज़ को इतनी देर से गटक रहा हूँ " मैंने गैस पर रोटी सेंकते हुए दीदी के साथ उनकी मस्त मस्त चूचियों का मज़ा लेते हुए कहा।
" लेकिन ??????? " दीदी ने कहा
" अरे दीदी , जो सड़क पर तुमने लोगों को झुमते हुए देखा है वो एक एक बोतल घटिया वाली शराब पीने से होता है , मै तो बढ़िया वाली व्हिस्की की बात कर रहा हूँ वो भी सिर्फ दो घूँट , दो घूँट में तो किसी को पता भी नहीं चलेगा कि तुमने मूड फ्रेश किया है , मेरी तरफ देखो तीन पैग पीने के बाद भी क्या मै झूम रहा हूँ , मेरी बात मान लो और आज मेरे कहने से सिर्फ दो घूँट मार लो तो सब ठीक हो जाएगा" मैंने दीदी के कंधे पर हाथ रख के उनके कुर्ते में झांकते हुए बड़े प्यार से मनाते हुए कहा
" हाँ हाँ मुझे सब दिखाई दे रहा है तेरी आँखे कितनी लाल हो रही है , देखना , देखना तू भी थोड़ी देर में झूमने लगेगा " दीदी बोली। वो किसी भी तरह से पटाने में ही नहीं आ रहीं थीं सो मैंने आख़िरी दांव चला ," मै तो सिर्फ एक सुझाव दे रहा था आगे तुम्हारी मर्जी और कौन सा मै तुम्हारा सगा भाई हूँ जो तुम मेरी बात मानोगी" मै बुरा मानने का नाटक करते हुये बोला।
" ऐसी बात नहीं है पगले तू जो कहे तो मै ज़हर भी पी लूंगी तूने ये बात कैसे कह दी पर यह बहुत ही कड़वी होती है। और अगर वह मुझे कडवी लगी तो मै तुरंत थूक दूंगी" दीदी ने बेमन से हामी भर दी।
उस वकत मेरा दिल बल्लियों उछल रहा था।हम दोनों ने मिल कर रोटियाँ बना लीं थीं सो मैंने वहीं किचन में अपने और दीदी के लिए दो पैग कोल्ड ड्रिंक डाल कर तैयार कर लिए। मैंने दीदी को बोला " जैसा मैंने समझाया वैसे ही करना "
दीदी ने हामी भरते हुए एक साँस में ही पैग ख़तम करके फ़टाफ़ट ढेर सारी सलाद खा कर गहरी सी साँस ली।
" ले अब तो खुश है तू" दीदी ने मुझसे प्यार से कहा
" हाँ दीदी और तुम भी देखना कि कैसे तुम्हारा सिरदर्द और थकान छूमन्तर होती है" मैंने खुश होते हुए उनके गालों को चूमते हुए कहा । मुझे आज अपना सपना अब सच होता दीख रहा था। एक पैग लगाने के बाद दीदी ने खाना लगाना शुरू कर दिया।
अचानक दीदी ने अजीब सी आवाज़ में कहा " अरे मुन्ना , ये मुझे क्या हो रहा है , अजीब सी फीलिंग हो रही है , हाथ पैर झनझना से रहे है"
"अरे दीदी , यही तो इस दवाई का कमाल है , अन्दर जाते ही सारी प्रोब्लम सोल्व , चलो मै फटाफट खाना लगवाता हूँ , क्या तुम एक घूँट और लोगी मेरी प्यारी दीदी " मैंने उनकी ठोस चूचियों को ललचाते हुए देख कर कहा।
"नहीं मुन्ना नहीं मुझे नशा हो जायेगा मुन्ना , मैंने कभी भी शराब नहीं पी और रज़िया भी घर में ही है" दीदी ने डरते हुए कहा।
" अरे दीदी , दो घूँट में भी कहीं नशा होता है और वैसे भी रज़िया ऊपर पढाई कर रही है , नीचे मेरे और तुम्हारे अलावा है ही कौन ? मै आपका भी एक छोटा सा पैग अपने साथ ही बना लेता हूँ , आखिर अपने भाई का साथ नहीं दोगी मेरी प्यारी दीदी" मै दीदी की कमर में पीछे से हाथ डाल कर चिपकाते हुए बोला।अब मेरा लंड उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी जांघो के जोड़ को टच करने लगा और उनकी चूचियों को मै अपने सीने पर साफ़ साफ़ महसूस कर रहा था। उस वक़्त मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था , जी कर रहा था मै दीदी को ऐसे ही चिपका कर उनकी जांघो के जोड़ पर अपना लंड रगड़ता रहूँ।
"देख मुन्ना , मैंने तेरे कहने पर एक बार शराब पी ली पर अब तू प्लीज जिद मत कर , मुझे तो अभी से ही पता नहीं कैसा महसूस हो रहा है " दीदी ने धीरे से अपने को मेरी बांहों से छुडाते हुए कहा।
" अरे दीदी ये क्या तुमने शराब शराब लगा रक्खी है , ये शराब नहीं अच्छी वाली व्हिस्की है व्हिस्की और जो तुम अजीब सा महसूस कर रही हो ना वो सारी थकान और टेंशन दूर होने की फीलिंग है " मैंने फिर से उन्हें अपने सीने से लगा कर अपना लंड रगड़ते हुए कहा
" तू बहुत शैतान और जिद्दी हो गया है मुन्ना अपनी बात दूसरों से जिद्द करके मनवाना तो तेरी पुरानी आदत है , चल तेरी बात रखते हुए मै सिर्फ दो घूँट ही और ले लेती हूँ परन्तु उसके बाद किसी भी कीमत पर नहीं लूंगी" दीदी मेरी बांहों से निकल कर खाना लगाते हुए बोली
मैंने अबकी बार दीदी का और अपना पटियाला पैग बना कर दीदी को देते हुए अपनी आँखों में आती शैतानी चमक छुपाते हुए कहा " दीदी इसे भी वैसे ही पी जाओ जैसे पहला पिया था"
"ठीक है शैतान " दीदी ने कह कर वह पैग भी पीकर बुरा सा मुंह बनाते हुए फटाफट ढेर सारी सलाद खा ली। मैंने भी अपना पैग ख़तम करके एक पैग और लिया फिर हम दोनों खाना खाने बैठ गए। खाना खाते हुए मेरी निगाह उनकी चुचियों पर ही टिकी थी। वह जब भी खाने के लिए थोड़ा सा झुकती थी तो कुर्ते के वी शेप गले से उनकी आधी मस्त दूधिया चूचियां नुमाया हो जाती थी। यह सीन देख कर मेरा लंड टायट हो रहा था।
" तेरा ध्यान कहाँ है मुन्ना ?" दीदी ने हल्की सी लडखडाती आवाज़ में पूंछा।
"कुछ नहीं दीदी , बस आपके बारे में ही सोच रहा था" मैंने सकपकाते हुए ज़बाब दिया।
"मेरे बारे में ? क्या यह सोच रहा है कि मै नशे में तो नहीं हो गयी ? तो तू बिल्कुल सही सोच रहा है ... मुझे अजीब सी फीलिंग हो रही है , दिल में गुदगुदी हो रही है व हाथ पैरों से कंट्रोल ख़तम हो रहा है" दीदी ने खाना ख़तम करते हुए कहा।
दीदी की यह बात सुनकर मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा , मै समझ गया कि दीदी अब नशे में पूरी तरह टुन्न हो चुकी है। अब मुझे सिर्फ उसे चुदने के लिए तैयार करना था सो उसी प्रयास में दीदी को मक्खन लगाते हुए बोला ,"अरे कोई नहीं दीदी , यही तो इस दवा का असर है कि इन्सान सारी थकान व सारी टेंशन भूल कर मस्त हो जाता है , चलो मै आपको बेड तक ले चलता हूँ " मै मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। आज मुझे दीदी की चूत में अपना लंड क्लीअरली पिलते हुए दिख रहा था।मैंने दीदी को बांह पकड़ कर सहारा देते हुये उठाया। दीदी चलते हुए लडखडा रही थी , उन्होंने कस कर मेरी बांह पकड़ रखी थी। मैं उनकी बांह कम पकड़ रहा था अपनी उँगलियों से उनकी चूचियों को टच ज्यादा कर रहा था , अचानक मैंने सहारा देने के बहाने उनके चूतड पर हाथ रख कर हल्के से दबा दिया जिसको दीदी ने कोई नोटिस नहीं लिया। शायद अब उन्हें अच्छी तरह नशा हो चुका था। अब तो मेरा मन बल्लियों उछल रहा था व लंड भी दीदी की मस्त चूत के दीदार के लिए दीवाना हो रहा था। मैंने दीदी को बेडरूम में ले जाकर कहा ," दीदी , आप तब तक कपडे चेंज करके नाईट ड्रेस पहनो मै टॉयलेट होकर आता हूँ"
"ठीक है मुन्ना , लेकिन मेरी नाइटी वार्डरोब से निकाल कर देता जा" दीदी ने बुरी तरह से लडखडाती आवाज़ में कहा।
मै दीदी को नाइटी देकर अटैच्ड बाथरूम में घुस गया , मैंने जानबूझ कर दरवाजा खुला छोड़ दिया और दरवाजे के पीछे से छुप कर दीदी को कपडे बदलते हुए देखने लगा। दीदी ने बड़ी मुश्किल से सलवार का नाडा खोल कर सलवार उतार पाई फिर कुरता उतारने लगी। मैंने नीचे देखा कि दीदी ने चड्डी नहीं पहन रक्खी थी। यह देख कर अब मेरा लंड कंट्रोल से बाहर होने लगा सो मैंने पेंट की चैन खोल कर अंडरवीयर से लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगा , मानों उसे तसल्ली दे रहा था कि चिंता मत करो आज तुम्हे दीदी की चूत में ज़रूर पेलूँगा। अचानक दीदी कुरता उतारते हुए लडखडा गयी , मैंने मुनासिब मौक़ा जान कर पीछे से कमर में बांहे फंसा कर दीदी को थाम लिया। दीदी पूरी तरह से नंगी खाली ब्रा में मेरी बांहों में थी। मैंने भी दीदी की गांड से अपना लंड जो में सहला रहा था पीछे से चिपका दिया था।
" हाय अल्ला , मुझे जल्दी से नाइटी दे" दीदी ने बुरी तरह से शरमाते हुए कहा।
" कोई बात नहीं दीदी , अगर आपकी तबियत सही नहीं है तो इसमें शर्माना कैसा ? आखिर बीमारी में डाक्टर के सामने भी तो कभी कभी हमें नंगा होना पड़ता है और फिर मै कोई गैर तो हूँ नहीं आखिर आपका प्यारा सा भाई ही तो हूँ।" यह कह कर मै अपना लंड दीदी की गांड से रगड़ने लगा और अपने हाथों से उनका चिकना पेट सहलाता जा रहा था।
" नहीं पगले , मुझे बहुत शरम आ रही है , मुझे जल्दी से नाइटी दे " दीदी ने लडखडाती आवाज़ में कहा। मैंने बेमन से दीदी को छोड़ कर नाइटी उठा कर दी। मेरा लंड अभी भी पेंट की चेन के बाहर निकला फनफना रहा था। उस वक़्त मेरा मन कर रहा था कि दीदी को उठा कर बेड पर पटक दूँ और एक झटके में ही पूरा लंड उनकी मस्त चूत में ठांस दूँ लेकिन मै पूरे सब्र से काम ले रहा था क्योंकि ज़रा सी ज़ल्दबाजी सारे बने बनाये खेल को चौपट कर सकती थी। दीदी ने नाइटी पहन ली थी। मैंने उन्हें सहारा देकर बेड पर लिटा दिया और किसी तरह ठूंस ठांस कर अपने लंड को पेंट के अन्दर कर बेमन से के चेन लगा ली। मै दीदी से बोला " दीदी क्या मै थोड़ी देर आप के कमरे में ही रुक जाऊ ? अभी मुझे नींद नहीं आ रही है"
" अरे इसमे पूछने की क्या बात है , तू तो मेरा छोटा सा प्यारा शैतान भाई है। अब देख ना , तूने मुझे ही आज शराब पिला दी पर कुछ भी कहो , ये चीज़ बड़ी शानदार है , मेरा पूरा शरीर जैसे फूल सा नाज़ुक हो गया है व शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही है" दीदी ने लडखडाती आवाज़ में पूरा प्यार ज़ताते हुए कहा।

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Re: मेरी मस्त दीदी

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 17:18

मेरी मस्त दीदी--3
मैं भी अपने कपडे चेंज करके लुंगी बनियान में उनके बेड पर बगल में ही लेट गया। मेरी निगाह दीदी की नाइटी के ऊपर से उनकी मस्त चूत को महसूस कर रही थी। दीदी की पलकें बोझिल सी हो रही थी। अब मुझे डर लगने लगा कि दीदी कहीं नशे में सो ना जाएँ अतः मै उन्हें जगाये रखने को बोला," क्या दीदी , कितने दिन बाद तो हम मिले है और तुम्हें नींद आ रही है। लगता है आप मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती , कुछ बातचीत करो ना मेरी प्यारी दीदी" यह कह कर मै उनके बगल में लेट गया और मैंने प्यार जताने के से अंदाज़ में अपना एक हाथ उनकी चूची को टच करते हुए पेट पर व अपनी एक टांग उनकी टांग पर रख कर छोटे बच्चे की तरह जिद करते हुए कहा।
" धत पगले ! तू तो मुझे बहुत पसंद है , चल बता क्या बात करू" दीदी बोली
मै समझ चुका था कि दीदी अब पूरे नशे में है और अब यह सही वक़्त है उनकी छुपी वासना को जगाने का अतः मै बोला ," अच्छा अगर मै आप को बहुत पसंद हूँ तो बताइए ना कि मेरी क्या क्या चीज़ आपको पसंद है"
" तेरा सब कुछ मुझे पसंद है पगले " दीदी ने हँसते हुए कहा
" ये मेरा शरीर ? ये भी आपको पसंद है ? देखिये ना कितनी मेहनत से जिम जा जा कर यह शरीर बनाया है" मैंने शोख अंदाज़ में धीरे से अपना हाथ उनकी चूची पर रख कर टांग से टांग रगड़ते हुए कहा। क्योंकि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन दीदी का भी चुदने के लिए तैयार होना ज़रूरी था।
" हाँ , मैंने देखा है , बहुत गठीला शरीर निकल आया है , अब तो सारी लडकियाँ मेरे भैय्या पर मरतीं होंगी। " दीदी मेरे हाथ व टांग की गुस्ताखियों से बेखबर बोलीं
" आपने कहाँ से मेरा शरीर देख लिया ? मैंने तो आपके सामने कपडे भी नहीं उतारे" मैंने धीरे धीरे उनकी चूचियों को सहलाते हुए कहा।
" वो मैंने कपड़ो के ऊपर से ही अंदाज़ा लगा कर कहा" दीदी फुल नशे में टुन्न बोली
" अंदाजा क्यों लगाया ? मै गैर हूँ क्या , मुझसे कह नहीं सकतीं थीं कि मुन्ना ज़रा कपडे उतार मुझे तेरा शरीर देखना है" मैंने दिखावटी नाराज़गी से कहा
" अरे मुन्ना , नाराज़ हो गया क्या ? चल अब दिखा दे " दीदी मुझे खुश करतीं हुई बोली
मैंने बनियान उतार कर जानबूझ कर अपनी लुंगी भी उतार दी क्योंकि मेरा लंड फुल टायट हो कर अंडरवीअर में तम्बू बनाये खड़ा था।
मै बेड के बगल में खड़े होकर बोला " लो अच्छी तरह से देख लो मेरा शरीर , ये किसी गैर का नहीं तुम्हारे अपने प्यारे भाई का ही तो है"
" हाँ सही कहता है तू , वाह बहुत सुन्दर , क्या सीना निकल के आया है" दीदी बोली
" ओफ्फो , फिर वही बात , छूकर देख लो ना , फिर कहोगी कि मैंने तो सिर्फ देखा था छुआ कहाँ था" मैंने दाना फेंकते हुए कहा
दीदी लडखडाती हुई उठी और मेरी तरफ बढी , मैंने लपक कर उन्हें बांहों में संभाल कर सीने से चिपका कर कहा ." संभल कर दीदी , चोट लग जायेगी " यह कह कर मैंने थोड़ा सा झुक कर उन्हें बांहों में कस कर भर लिया और अपना लंड उनकी दोनो जांघो के बीच में फंसा दिया।
" हुम् म , वाकई बहुत ही शानदार शरीर है मुन्ना तेरा "
"अरे मेरी प्यारी दीदी , ये किसी गैर का नहीं तुम्हारे अपने भाई का शरीर है इत्मीनान से पूरे के पूरे शरीर को छूकर , सहलाकर देखो ना "
" हाँ वो तो मै देख रही हूँ " दीदी गहरी गहरी सांसों के साथ बोली। मै समझ गया कि अब लोहा धीरे धीरे गरम हो रहा है सो मैंने उनकी नाइटी के ऊपर से ही अपना लंड उनकी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया। मै उन्हें कस कर चिपका के उनकी पीठ भी सहलाता जा रहा था।अब दीदी मेरे सीने से चिपकी गहरी गहरी सांसे ले रही थी , मै समझ गया कि लोहा अब काफी गरम है सो मैंने धीरे से उन्हें बेड पर लिटा दिया और उनके बगल में लेटता हुआ बोला "दीदी हुस्न तो तुम्हारा भी लाज़बाब है , अभी जब मैंने तुम्हे नंगा देखा तब समझ में आया , हालाँकि मै ढंग से देख नहीं पाया था , मेरी प्यारी दीदी , मुझे भी अपना शरीर दिखाओ ना"
" धत बेशरम , बहनों से ऐसे थोड़े ही कहते है " दीदी लजाते हुए बोली
" इसमें बेशर्मी की क्या बात है , मै अपनी बहन का ही तो शरीर देखने को कह रहा हूँ किसी गैर से तो कह नहीं रहा और फिर अभी आपने भी तो मेरा शरीर छू छू कर देखा और भी कुछ देखना बाकी रह गया हो तो वह भी देख लो लेकिन मुझे भी आपका शरीर देखना है , मेरी प्यारी दीदी , अगर तुम मुझे वाकई गैर नहीं समझती हो व अपना ही समझती हो तो मुझे अपना शरीर ज़रूर देखने दोगी" मै बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह जिद करते हुए उनकी नाइटी उतारने लगा।
" तू बड़ा ही जिद्दी है रे मुन्ना , चल तू भी अपने मन की कर ले वरना तू सोचेगा कि दीदी ने ज़रा सी बात के लिए मना कर दिया" दीदी ने गरम सांसों के साथ लडखडाती आवाज़ में कहा।
मै समझ गया कि दीदी अब नशे के साथ साथ गरम भी हो रही थी। मैंने फटाफट उनकी नाइटी उतार कर फ़ेंक दी। दीदी शायद नशे में भूल गयीं थीं कि उन्होंने चड्डी नहीं पहनी है।
" दीदी ये ब्रा भी उतार देता हूँ प्लीज , मुझे भी आपका सीना देखना है " मैंने ब्रा के हुक खोलते हुए कहा।
" आज तू अपने मन की कर ले मुन्ना , देख ले तुझे जो कुछ भी देखना है" दीदी ने कहा
मैंने जल्दी से दीदी की ब्रा भी उतार के फ़ेंक दी। अब दीदी पूरी तौर से मादरजात नंगी मेरी बगल में लेती थी। मै अब अपने पर कंट्रोल न कर सका और छोटे बच्चे की तरह उनकी गुलाबी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा। अब दीदी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकालनी शुरू हो गयीं थीं। मैंने दीदी से कहा " ओ मेरी प्यारी दीदी , आज तुमने जो मेरे साथ किया है वो शायद मेरी सगी बहन भी नहीं करती , क्या शानदार चूचियां है तुम्हारी बिल्कुल बड़े बड़े नागपुरी संतरे की तरह , और चूत .. वो तो लाज़बाब है , क्या मस्त हल्के हल्के रोंयेदार चूत है आपकी " मै दीदी की चूत को सहलाते हुए बोला
" ये बहुत गलत बात है मुन्ना कि तूने मुझे तो बिल्कुल नंगा कर दिया और तू अभी तक अंडरविअर पहने है" दीदी ने शोख आवाज़ में गहरी सांसों के साथ जैसे मेरे मन की बात कह दी
" सॉरी दीदी , मै आपकी मस्त मस्त चूत और शानदार चूचियों में अपना लंड आपको दिखाना भूल गया " यह कह कर मैंने फटाक से अंडरवियर उतार कर फ़ेंक दिया। जैसे ही लंड आज़ाद हुआ वह भी फनफना के खडा हो गया।
" हाय अल्ला , कित्ता मोटा और बड़ा लंड है तेरा मुन्ना " दीदी मेरे लंड को देखकर आश्चर्य से बोली।
" अरे दीदी , हाथ में लेके इत्मीनान से देखो ना , वैसे और किस किस के लंड आपने देखे है" मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड थमाते हुए शरारत से पूछा .......................
" धत बेशरम , वो तो कभी कभी किसी किसी का सड़क के किनारे पेशाब करते चुपचाप लंड देखा है या फिर एक बार अब्बू का देखा था , छूकर तो आज पहली बार देख रही हूँ " दीदी ने शरमाते हुए बताया
" जी भर के देखो मेरी प्यारी दीदी , आखिर तुम भी तो मुझे अपनी चूत और चूचियों से मज़ा लेने दे रही हो तो भाई होने के नाते मेरा भी तो कोई फ़र्ज़ बनता है " मैंने उनकी मलाईदार चूत को सहलाते हुए कहा। मै समझ चुका था कि दीदी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है और अब मुझे सिर्फ उनकी चूत को चुदने के लिए तैयार करना था। सो मैने दीदी के होंठो को चूसते हुए उन्हें अपने सीने से कस कर चिपका लिया और लंड को उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा।
" मेरी प्यारी दीदी , तुम मेरा लंड चूसना पसंद करोगी क्या ?" मैंने दीदी से पूछा
" आज मै सब पसंद करुंगी मुन्ना , आज तो तूने मेरी सारी मन की मुरादे पूरी कर दी मेरे राजा " दीदी कामुक अंदाज़ में बोली
" ज़रा मुझे भी तो बताओ मेरी प्यारी दीदी , तुम्हारी क्या क्या मन की मुरादे है " मैंने दीदी को चुदने के लिए तैयार करते हुए कहा
" हर लडकी एक उमर के बाद यह सब करना चाहती है जो तू मेरे साथ कर रहा है " दीदी बोली।
दीदी शायद अभी भी थोडा शरम की वजह से यह नहीं कह पा रहीं थीं कि वो चुदासी है व चाहती है कि मै अपना लंड उनकी चूत में पेल कर उन्हें खूब चोदूं लेकिन मै उनके बिना कहे ही सारी बात समझ गया। मै उठ कर दीदी की चूत के ऊपर मुंह करके उल्टा लेट गया अब मेरा लंड दीदी के होंठो को छू रहा था।
" लो दीदी , अब मै आपकी चूत चूसूंगा और आप मेरा लंड चूसो" यह कह कर मैंने दीदी की चूत में उंगली करते हुए उनकी फुद्दी को चूसना शुरू कर दिया। दीदी ने भी मेरे लंड को मुठ्ठी में लेकर सटासट चूसना शुरू कर दिया। दीदी अब फुल मस्ती में आ चुकी थी वह उचक उचक कर अपनी फुद्दी चुसवा रही थी। मै भी दीदी की चूत में गपागप उंगली करते हुए उनकी फुद्दी चूस रहा था। यह करते करते हम दोनों ने ही पानी छोड़ दिया जिसे हमलोगों ने तुरंत ही चाट लिया।


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