ठाकुर की हवेली compleet

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raj..
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Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:50

मालती फिर पलंग पर घोड़ी बन गयी. रजनी का इशारा पाते ही रणबीर उसके पीछे आ गया और अपना लंड मल्टी की गांद के छेद पर रख दिया. रजनी ने थूक से साना लंड थोड़ा सा दबाव देते ही अंदर जाने लगा. मालती के शरीर ने एक बार झटका खाया. पर अब रणबीर के बस की बात नही थी. फिर ठकुराइन ने उसकी गैरत को ललकार दिया था. तो उसने दाँत भींचते एक तगड़ा धक्का मालती की गांद मे दिया और मालती की चीख उस हवेली के सन्नाटे मे गूँज गयी.

"है रे मार डाला रे... में मर गयी रे... बाहर निकालो ये लोहा मेरी गाअंड से." मालती छटपटा रही थी

पर रणबीर ने एक ना सुनी और अपने लंड को थोड़ा बाहर निकालते हुए फिर एक धक्का मार पूरा लंड अंदर पेल दिया.

रजनी को मज़ा आ रहा था और वो रणबीर को उकसा रही थी.

"वा रे मेरे ठाकुर के शेर, हां मार साली की और ज़ोर से मार. देख साली की कितनी फूली गांद है. मार मार मार के हवेली का गेट बना दे साली की गंद को. इसका जेठ तो सला बुद्धा रंडुआ है और भोसड़ी का वह भतीजा साला लुंडों का लंड चूस्ता है और उनसे खुद गांद मरवाता है."

रजनी ने अपनी नाइटी मे हाथ डाल दिया था और हाथ से अपनी चूत को रगड़ते हुए रणबीर को उकसाए जा रही थी.

"ठकुराइन ये आपके सामने ही मेरी गांद का भुर्ता बनाए जा रहा है और आप मज़े ले रही है. है लंड है या मूसल गांद....छील्ल..... के रख....दी....मरी जा रही हूँ." मालती हाय तोबा मचाती रही और रणबीर तब तक उसकी गांद मरता रहा जब तक की उसके रस से मालती की गांद पूरी ना भर गयी हो और उसकी गांद से रणबीर का रस चुने ना लग गया हो.

रणबीर हांफता हुआ धीरे धीरे सुस्त पड़ गया.

"ला तेरी गांद इधर कर, मुझे देखने दे उस दिन जैसे मारी या नहीं." ये कहकर रजनी मालती की गांद पर झूक गयी और दोनो हाथो से जितना फैला सकती थी उतनी उसकी गांद फैला दी. मालती की गांद मे अंदर तक देखा जा सकता था. तभी रजनी ने आधी से अधिक जीब उसकी गांद मे दे दी और जीभ अंदर की गंद के अंदर की दीवारों पर चलाने लगी. वह कई बार मालती की अच्छी तरह से मारी हुई गांद चाटती रही.

फिर मालती उठी और सीधी बाथरूम की और भागी.कुछ देर बाद वापस बन संवर के निकली. तभी रजनी ने इशारा किया और मालती ने एक बादाम घुटे हुए दूध का ग्लास टेबल पर से उठा रणबीर क्को पकड़ा दिया. रणबीर ने एक घूँट मे ग्लास खाली कर फिर मालती को थमा दिया.

"जाओ तुम भी बाथरूम मे चले जाओ वहाँ सब कुछ मौजूद है." ठकुराइन ने कहा.

रणबीर उठा और बाथरूम मे चला गया. फुवरे के नीचे ठंडे पानी से स्नान कर, क्रीम सेंट लगाएक मखमली तौलिए को लपेट जब वो बाहर आया तो मालती और रजनी दोनो पलंग पर नंगी थी.

रजनी पीछे एक बड़े तकिये का सहारा लिए टाँगे चौड़ी कर के बैठी थी, उसकी झांते भरी चूत रणबीर को सॉफ दीख रही थी जिससे मालती चाची खेल रही थी, बीच बीच मे उसके अंदर जीब डाल रही थी, उसको चाट रही थी और रजनी मालती का सिर अपनी चूत पर दबा रही थी.

रणबीर पास पड़ी टेबल से अपने चूतड़ टीका कर ये लुभावना दृश्या देख रहा था. धीरे धीरे तौलिए मे लिपटा उसका लंड खड़ा होने लगा. कमरे की दूधिया रोशनी मे रजनी का गोरा बदन चमक रहा था. ठकुराइन रणबीर की कल्पना से कहीं ज़्यादा सुंदर थी. ठकुराइन की जगह और कोई होती तो ये सब देख रणबीर उस पर चढ़ बैठता पर यहाँ बिना ठकुराइन की आग्या के वो हिलने की भी नही सोच सकता था.

raj..
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Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:51

तभी रजनी पलंग से उठी और रणबीर के सामने आई और उसके तौलिए को एक झटके मे खींच पलंग पर फैंक दिया. रणबीर का लंड खड़ा था. तभी रजनी घुटनो के बल उसके सामने ज़मीन पर नीचे बैठ गयी और उसके लंड पर जीब फैरने लगी. फिर लंड को मुँह मे लेने लगी.

वह जीब थूक से तर कर लंड पर फेर रही थी. कुछ ही देर मे लंड लसीला हो चला और रजनी मुँह आगे कर उसे मज़े से चूसने लगी. वा उसकी गोलियों को खींच रही थी जिससे लंड पूरा उसके मुँह मे अंदर बाहर हो रहा था.

तभी वो लंड को मुँह से निकाल खड़ी हो गयी और बोली, तो तेरे कंधों मे बहोत ताक़त है, देखती हूँ ठकुराइन का बोझ संभाल पाते है की नही," रजनी रणबीर की बाहों को अपने हाथों मे लेते हुए बोली," फिर उसने रणबीर के गले मे बाहें डाल दी और उसके होठों को अपने होठों ले चूसने लगी.

रणबीर टेबल से अपने चूतड़ लगा वैसे ही खड़ा रहा. जो कुछ कर रही थी ठकुराइन ही कर रही थी. तभी रजनी ने उचक कर रणबीर के कमर मे अपनी टाँगे लपेट ली. गले के पीछे उसने उंगलियों के एक दूसरे मे फँसाया और ठकुराइन का सारा बोझ रणबीर पर आ गया.

रजनी की इस अचानक हुई हरकत से रणबीर कुछ चौंक पड़ा और उसने फुर्ती दीखाते हुए रजनी के भारी चूतड़ पर अपने दोनो हथेलियों जमा दी. अब रणबीर का लंड और ठकुराइन की चूत आमने सामने थी और दोनो मिलने के लिए उत्तावले हो रहे थे.

तभी रजनी मालती से कहा, "मालती तू चल मेरी गांद के पीछे बैठ जा और तीर निशाने पर लगा"

मालती रजनी की गांद के नीचे आके बैठ गयी. उसने अपने सर को सहारा भी ठकुराइन की गांद का दिया जिससे गांद कुछ और उपर उठ गयी. फिर उसने रणबीर के लंड पर थूक भरी जीब फेरी और लंड ठकुराइन के चूत के मुख पर लगा दिया.जैसे ही रणबीर के लंड ने ठकुराइन की चूत के खुले होठों को छुआ उसमे एक सनसनाहट की लहर दौड़ गयी और उसके हाथ अपने आप ठकुराइन की गंद लंड पर दबाने लगे.

अब रजनी ने अपने पैर टेबल पर आगे फैला दिया और मालती को पलंग पर बैठ देखने के लिए कह गंद रणबीर के लंड की तरफ चलाने लगी. अब रणबीर रजनी की इस अदा से पूरा मस्त हो चुका था. उसने ठकुराइन की पतली कमर मे बाजू कस लिए और ठकुराइन की गांद हाथो मे ले अपने खड़े लंड पर दबाने लगा. जब दबाता तो उसका लंड जड़ तक चूत मे चला जाता, फिर वह ढीला छोड़ देता तो लंड वापस कुछ बाहर निकल आता और इस तरह से वह चुदाई करने लगे.

"ओह... रणबीर तुम्हारा लंड वाकई में बहोत ताकतवर है... मेरी चूत को भाले की तरह चीर रहा है.. ओह हां...ओह और दबा दबा के चोदो.. तुम्हे इसी काम के लिए तो मेने ठाकुर साहेब से कह हवेली मे रखवाया है.. ओह हाआँ आज से तुम्हारा असली काम यही है... हां और ज़ोर से हां फाड़ डाल रे आज तेरे सारे खून माफ़.. " रजनी कई देर तक ऐसे ही बड़बड़ाते हुए चुदति रही. अब उसने एक चुचि रणबीर के मुँह मे दे दी.

रणबीर ने भी ठकुराइन की भारी चुचि अपने मुँह मे ले ली. जिस प्रकार ठकुराइन उसके गले से लटके हुए थी उसे उसकी चुचि के अलावा कुछ दीखाई भी नही दे रहा था.

ठकुराइन काफ़ी देर इसी अवस्था मे उससे चुदवाती रही, चूचियाँ मुँह मे बदलती रही. फिर वह खड़ी हो गयी और इस उसने एक पैर ज़मीन पर रखा और दूसरा पैर टेबल पर लंबा रखा और रणबीर के लंड से इस प्रकार पूरी तरह चोदि हुई चूत सटा दी और एक झटका दे फिर चूत मे ले ली. अब दोनो एक दूसरे की कमर मे हाथ डाल चुदाई कर रहे थे.

raj..
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Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:51

ओह... रणबीर खूब ज़ोर से मारो मेरी.... श... ऐसे ही ...रणबीर खूब ज़ोर से मारो मेरी... हाआँ ओह मे तो जाने वाली हूँ.. आज जी भर कर पानी छोड़ूँगी.....बहोत दिन से जमा हो रखा है.. वो सला जंगल मे शिकार का दीवाना है... घर का शिकार उसे कहाँ दिखता है... ये शिकार अब तेरा है रे...खूब मज़ा ले ले कर शिकार कर इसका... ओह मालती देख मेरा गिर रहा है.. " और ठकुराइन ख़ालास हो गयी.

ठीक उसकी समय रणबीर के भी लंड ने ठकुराइन की चूत को अपने वीर्या से भर दिया.

कुछ देर बाद मालती रणबीर को पहले वाले कमरे मे ले गयी, वहाँ रणबीर ने अपने कपड़े पहने और अपनी बदूक और गोलियों का पट्टा उठा अपने कमरे मे चला गया.

दूसरी रात रणबीर आधीर हो उठा. उसकी नज़रें बार बार हवेली की तरफ उठ जाती की कहीं मालती चाची आते हुए दीखाई दे जाए.

आख़िर वो करीब 10.30 के करीब आई. आज कोई बात नही हुई और रणबीर अपने आप उसके पीछे चल पड़ा.

आज मालती सीधे उसे उस कमरे मे ले गयी जो मधुलिका के लिए तय्यार हुआ था. रजनी पलंग पर एक नाइटी मे बैठी थी.

"आओ ठाकुर, मेरा मतलब ठाकुर के ख़ासमखास. क्यों हमारी याद ने कुछ बैचैन किया या नही?" ठकुराइन ने कहा.

"ठकुराइन में तो दो घंटे से हवेली की तरफ ही देख रहा था की कब मालती चाची आए और .....फिर इस जगह पर ले कर आए." रणबीर ने ठकुराइन के सामने झुकते हुए कहा.

"अगर ऐसी बात है तो हम तुम्हे ज़रूर इसका इनाम देंगे. पहले तुम यह सब वर्दी, बंदूक, उतार कर आराम से बैठो." ठकुराइन ने कहा.

रणबीर ने अपनी ड्यूटी का सब साजो सामान उतार कर एक खाली पड़ी कुर्सी पर रख दिया. अब वह बनियान और पॅंट मे था.

"अब इसे भी उतार दो. क्यों आज भी हमारी शरम आ रही है, अंदर कुछ तो पहना होगा? यदि नही पहना है तो भी चलेगा.' ठकुराइन हंसते हुए बोली.

"रजनिज़ी मेरा मतलब है ठकुराइन में लंगोट का साथ कभी नही छोड़ता." फिर रणबीर ने पॅंट भी उतार कर बाकी के कपड़ों के ढेर पर फेंक दिया. कमर मे लंगोट बहोत ही कस के बँधी हुई थी. उसके लंड का उभार लंगोट से सॉफ दीखाई पड़ रहा था.

ठाकुरानी ने एक हल्की सी सिसकी से होंठ काटे और कहा, "रजनिज़ी या फिर तुम चाहो तो केवल रजनी कह के भी बुला सकता हो, हम लंगोट का भी साथ छुड़वा देंगे. रजनी मल्टी की तरफ देख के हँसी और मालती ने भी मुस्कुरकर साथ दिया.

"रजनिज़ी आप मालिकिन हो. में तो आपका हुकुम का गुलाम हूँ."

"ऐसे ही हुकुम का गुलाम बने रहोगे तो इनाम भी पाओगे." रजनी ने इनाम शब्द पर ज़ोर देकर रणबीर की आँखों मे झँकते हुए कहा.

तभी रजनी पलंग से ये कहते हुए उठ खड़ी हुई की पहले हम स्नान करेंगे.

"चलो तुम दोनो भी मेरे साथ स्नान घर मे चलो."


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