ठाकुर की हवेली compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:56

अब रजनी रणबीर की तरफ मुँह कर अपना होडा उसकी गोद की तरफ बढ़ा रही थी, रजनी का विशाल होडा सीधा रणबीर की गोद मे इस तरह आया की ठकुराइन की चूत सीधे खड़े लंड पर आ गयी.

ठकुराइन जैसे ही पूरी बैठी, उसकी चूत मे रणबीर का लंड खच से अंदर घुस गया. लंड को वैसे ही चूत मे रखे रजनी ने रणबीर की कमर बाहों मे जाकड़ ली और थोड़ा आगे बढ़ते वह घुटने मोड़ लंड पर उपर नीचे होने लगी. रजनी ने रणबीर के होंठ अपने मुँह मे ले लिए और उन्हे खूब ज़ोर से चूसने लगी, काटने लगी.

रणबीर की बालों भारी छाती पर वह अपनी चुचियों रगड़ रही ती.बीच बीच मे वह थोड़ी उपर उठ पानी चुचि रणबीर के मुँह मे भी दे देती थी. नीचे एक दम खड़े लंड से उसकी चूत चुद रही थी.

"मालती मेरी जान आ रे!! मेरे मुँह मे अपनी चूत दे ना, हे जब तक तेरी चूत का स्वाद ना लूँ मज़ा ही नही आता. "

मालित उठी और टाँगे फैला दोनो के बीच इस तरह खड़ी हो गयी की उसकी गांद का छेद रणबीर के मुँह के सामने था और चूत का छेद रजनी के मुँह के सामने था. नीचे चूत की चुदाई बदस्तूर जारी थी. मालती के दोनो छेदों पर दो जीभों ने लगभग एक ही समय मे धावा बोल दिया. रजनी की जीब चूत को चाटते हुए चूत मे घुस रही थी जबकि रणबीर की जीभ पहले उसकी गंद का गोला चाटा फिर गंद के अंदर घुसने लगी.

"चल री तू भी शुरू हो जा, देखें तेरी चुरर्र चुरर्र की आवाज़ कैसीए लगती है. एक बार मालती का शरीर ज़ोर से आकड़ा और दूसरे ही पल उसकी चूत से बड़े वेग से मुत्रा धार रजनी के खुले मुँह मे गिरने लगी. मालती की चूत सिटी बजाने की आवाज़ के साथ मुत्रा धार छूटते रही.

रजनी ने अपना मुँह मालती की चूत पर कस के दबा दिया और अपनी उस काम करने वाली का मूत बिना उँछ नीच का विचार किए वह कामतूर ठकुराइन गटक गटक के पीने लगी.

तभी रजनी ने मालती को फुर्ती दीखाते हुए घूमा दिया जिससे की मालती की गांद रजनी के स्सामने आ गई और चूत ठीक रणबीर के मुँह के सामने. मालती की चूत से पेशाब की धारा वैसे ही निकल रही थी. रणबीर ने भी पूरा मुँह खोल के मालती चाची की चूत पर रख दिया और वह मुत्रा धार रणबीर के तालू से टकराते हुए गले के नीचे गिरने लगी.

उधर रजनी मालती की गांद कस कर चाट रही थी. चूत को मूत छेद को चित्राते हुए अपनी सहेली को रणबीर के मुँह मे मुता रही थी.

"है है में जा रही हूँ ..... रणबीर मेरे राजा........" रजनी अब बहोत ज़ोर से हाँप रही थी. उसने मालती की गंद कस के अपने मुँह मे दबा ली थी. वह थोड़ी उपर होकर शरीर को झटके से ढीला छोड़ रही थी जिसके फल स्वरूप रणबीर का लंड उसकी चूत मे जड़ तक धँस जाता.

श ठकुराइन ज़रा धीरे... ऑश रजनिज़ी... रजनी ज़रा धीरे... ओह मैं . भी झाड़ रहा हूँ..... ओह रजनी मेरी रानी.. मेरी जान.. " रणबीर ने एकि झटके से मालती चाची को अपने और ठकुराइन के बीच से हटा दिया. अब उसने रजनी को ज़ोर से अपनी छाती से चिपका लिया, उसके चूतड़ अपने हाथों मे कस लिए और उसके छूतदों को अपने लंड पर ज़ोर ज़ोर से पटाकने लगा और धीरे धीरे रफ़्तार कम पड़ती गयी और दोनो बिल्कुल शांत हो एक दूसरे को जाकड़ फर्श पर कई देर तक वैसे ही बैठे रहे.

फिर रजनी उठी और आदम कद बाथ टब मे जा लेट गयी. उसने गरम पानी और ठंडे पानी का नाल चालू कर दिया. फिर एक हाथ बढ़ा उस आल्मिराह से दो बॉटल निकली और बारी बारी से दोनो बोतलों से कुछ द्रव उस पानी मे डाला. धीरे धीरे पानी का लेवल बाथ टब मे उँचा उठ रहा था. रजनी पानी को दोनो हाथों से छपका रही थी और देखते देखते झाग उमड़ने लगे और रजनी गले तक झागों से धक गयी.

रजनी ने मालती को इशारा किया और वह भी एक फोम लेके बाथ टब मे घुस गयी और वह फोम ठकुराइन के शरीर पर रगड़ने लगी. बीच बीच मे रजनी वह फोम ले लेती और वह भी मालती के शरीर के हर भाग पर वह फोम रगड़ती. रणबीर भी बात टब के साइड मे आके बैठ गया और ठकुराइन की चुचियों हाथों से रगड़ने लगा. तभी

रजनी बात टब मे पलट गयी और मालती ने ठकुराइन की गंद पर ज़ोर ज़ोर से फोम रगाड़ना चालू कर दिया.

रजनी काई देर फोम रगद्वति रही. फिर उसने मालती को बाहर कर रणबीर को अंदर खींच लिया.

अब फोम रजनी ने ले लिया और उसने रणबीर की पीठ, हाथ, पाँव गांद लंड सब उस फोम से आक्ची तरह रगड़ रगड़ सॉफ किया. फिर रणबीर भी काई देर कभी हाथों से कभी उस फोम से अपनी प्यारी ठकुराइन को नहलाता रहा.


raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:56

फिर दोनो फर्श पर आ गये. तीनों का शरीर झगों से धड़ा हुआ था, बाहर भी काफ़ी देर तक तीनो एक दूसरे के शरीर के हर भाग को कभी हथेलियों से तो कभी झाग से रगड़ रहे थे.

फिर रजनी ने दोनो उपर के फवारे भी चालू भी कर दिया और दोनो हॅंड शवर भी चालू कर दिए. तीनों एक दूसरे पर हॅंड शवर के धार छोड़ते हुए काफ़ी देर नहाते रहे.

फिर शवर बंद कर तीनो उठे और फुर के मुलायम टवल से एक दूसरे के बदन पौंचने कर सुखाने लगे. तब रजनी ने आल्मिराह से एक खास बॉट्टेल निकली और ढेर सारा तेल पहले रणबीर के सिर पर फिर मालती के सिर पर और खुद अपने सिर पर अंडर वह बॉटल वापस रख दी. वह बहोट ही सुगंधित और चिकना तेल था. फिर तीनो एक दूसरे के शरीर मल मल के शरीर का हर भाग पर उस तेल की मालिश करने लगे. वह तेल बहोत ही चिकना और मालिस करते वक्त शरीर पर एक जगह हाथ टिक नही रहे थे.

"साली तेरी गांद का तो तेरे भतीजे ने कबाड़ा कर दिया है," रजनी ने तेल से मालती के चूतड़ के मालिश कर हुए खच से एक उंगल गांद के अंदर धकेलते हुए कहा.

"और तहकुराइन आप तो कहते है की ठाकुर साहेब का ठीक से खड़ा भी नही होता, फिर या क्या है?" इस बार रणबीर ने ठकुराइन की गांद मे उंगल देते हुए पूछा.

ये उस चिकने तेल का कमाल था की गंद के पर उंगल रख थोड़ा दबाते ही उंगल खच से अंदर चली जाती थी.

तीनो इस तरह के देर खुल के मज़ाक करते रहे और मज़ा लेते रहे.

फिर पाउडर के दो डिब्बे निकाले और एक दूसरे के शरीर पर इतना पाउडर छिड़का की तीनो सफेद नंगे उछलते कूदते भूत नज़र आ रहे थे. फिर पाउडर की मालिश कर के शरीरों पर ठीक से फैलाया गया. इन सब से रणबीर का लंड एक बार फिर तन गया था. रजनी ने देखा की मालती उसे मुट्ठी मे ले रही है. वह तो अभी अभी रणबीर से अछी तरह चुद चुकी थी पर मालती अभी भी प्यासी थी.

"अरे साली मुट्ठी मे क्या लेती है, अपने भोस्डे मे ले ना" ये कहते हुए रजनी ने रणबीर का लंड मालती की चूत से लगा दिया.

खड़े लंड को तो खुली चूत मिलनी चाहिए, वह अपने रंग मे आगया और नतीजा यह हुआ की मालती चुदने लगी.

रजनी उनके घुटनो मे बैठ गयी, जब चाची भतीजा खड़े खड़े चुदाई कर रह थे. रजनी भी मालती की चूत पर जीभ फिरा रही थी तो कभी रणबीर की गोतियाँ पर. काफ़ी देर चुदाई चलती रही और मालती और रणबीर ओह्ह्ह हहाई करते हुए एक साथ झाड़ गये.

इसके बाद सब उस बड़े कमरे मे आ गये. रणबीर अपनी ड्यूटी की ड्रेस पहन रहा था.

"तकुराइन कल तो ठाकुर साहेब शिकार से वापास आ जाएँगे"

"हां वह तो है. पर अपना रास्ता भी बीच बीच मे निकलता रहेगा."

मालती ने सारी पहन ली थी और वह रणबीर को ले कमरे से बाहर निकल गयी.

दूसरे दिन ठाकुर अपने लाव लश्कर के साथ वापास आ गया और सब कुछ पहले जैसा ही चलने लगा. उधर मधुलिका के आने के बाद उल्टी गिनती शुरू हो गयी. रणबीर को हवेली मे दूसरे काम करने वालों से पता चला की मधुलिका ठाकुर की पहली बीवी से थी. वह शुरू से ही बाहर रह के पढ़ रही थी

पहली इंग्लीश मीडियम स्कूल से हाइयर सेकेंडरी हॉस्टिल मे रह के पास की और बाद मे डॉक्टोरी पढ़ रही थी. अब पढ़ाई ख़तम करके आ रही थी.

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:57

ठाकुर ने पहले ही लड़का देख रखा है और एक बार मधुलिका की रज़ामंदी मिल जाए तो शादी होते कोई देर नही लगेगी. मधुलिका 33 साल की हो चुकी है.

रणबीर उसी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहा था मालती चाची को हवेली मे आते जाते वह देखता था पर जब ठाकुर हवेली मे होता तो उसका काम करने वालों पर ऐसा खोफ़ छाया रहता की कोई किसी से बेमतलब बात नई करता. और औरतों से तो हवेली मे तो क्या बल्कि हवेली के आस पास भी कोई मुँह लगाने की नही सोच सकता था.

एक दो बार भानु ने उसे अपने साथ चलने की जीद की थी पर रणबीर टाल गया. उसे भानु को लंड चूसने मैं और उसकी गंद मारने मे कोई दिलचस्पी नही थी. वह भानु से दूर ही रहना चाहता था और नतीजा ये हुआ की वह चाह कर भी भानु के घर नही गया. शायद जाता तो सूमी के साथ कुछ मौका मिल सकता था.

आख़िर वो निसचीत दिन आ ही गया. मधुलिका करीब दोपहर को एक कार मे पटना से आई थी कार से पटना का यहाँ से चार घंटे का रास्ता था. ठाकुर ने पहली रात ही हवेली से ख़ास कार ख़ास ड्राइवर के साथ भेज दी थी.

रणबीर मे मधुलिका को कार से उतरते हुए देखा की मधुलिका आम लड़कियों जैसे लड़की थी. हल्के रंग की सलवार करते मे वह थी. बॉल खुले और छोटे रख रखे थे, जिनसे देहातों जैसे छोटी नही बाँध सकती थी. बदन उसका भरा था, पर उसे मोटा नही कह सकते थे. बस एक झलक वह देख पाया .

जब तक मधुलिका हवेली मे आई नही थी, तब जितनी उसकी चर्चा थी, आने के बाद उसके मुक़ाबले कुछ भी नही. जैसे ठकुराइन हवेली मे मौजूद थी और कोई उसके बारे मे बात नही करता वैसे ही आने के बाद मधुलिका भी हवेली मे खो के रह गयी थी.

2 - 3 दिन तो मधुलिका के आव भगत मे ही बीत गये. तीसरे दिन ठाकुर ने उसे बताया की पास के गाँव का एक ठाकुर का लड़का है, हमारी ही तरह खानदानी है और वह चाहता है की मधुलिका का उसे घर मे रिश्ता हो जाए. पर मधुलिका बात को ये कहते हुए टाल गयी की इतने वर्ष बाहर रहने एक बाद तो वह गाँव आई है, हवेली मे आ गयी है और वह कुछ दिन वो देहात की जिंदगी को करीब से देखेगी. ठाकुर भी उसकी जीद देख चुप हो गया.


Post Reply