ठाकुर की हवेली compleet

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raj..
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Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:53

फिर तीनो बाथरूम मे आ गये. एक बड़े कमरे जितना बड़ा होगा वह बाथरूम. दो बड़े लंबे टब थे, काई नल लगे थे. उपर दो शवर थे और दो ही हॅंड शवर थे.

एक ओर दीवार पर बड़ा आईना लगा हुआ था. दोनो बाथ टब के बीच एक आलीशान छोटी आल्मिराह बनी हुई थी जो तरह तरह के बॉटल से भरी हुई थी.

बाथरूम मे स्टील और पीतल के कई रोड लगी हुई थी. कपड़े टाँगने के लिए. वहीं कई हॅंगर भी झूल रहे थे, काई तोलिये टँगे थे उन पर. तभी रजनी ने मालती की सारी के पल्लू का एक छोर थाम लिया और उसे खींचने लगी. जैसे जैसे रजनी खींचती चली जा रही थी वैसे वैसे ही मालती घूमने लगी और रजनी ने सारी एक रोड पर टाँग दी.

रणबीर पास ही खड़ा मौन हुए सब कुछ देख रहा था. पेटिकोट मे मालती के बड़े छूतदों का वह जयका ले रहा था. फिर रजनी मालती का ब्लाउस के हुक खोल उसे भी उसके शरीर से अलग कर दिया. मालती के पिंजरे मे क़ैद कबूतर फाड़ फाड़ने लगे.

रजनी कुछ देर मालती की ब्रा मे कसी चुचियों ब्रा पर से ही दबाती रही.

"आओ तुम भी अपनी चाची के इन पर हाथ लगा के देखो." ठाकुरानी मालती की चुचियों को दबाते हुए बोली.

रणबीर मंतरा मुग्ध सा मालती की छातियों पर हल्के हल्के हाथ फेरने लगा. तभी रजनी ने नीचे अपना एक हाथ रणबीर की लंगोट के उभार पर रख दिया और जैसे वह मालती की चुचियों पर हाथ चला रही थी वैसे ही लंगोट के आगे के उस उभार पर हाथ चलाने लगी.

"है रजनिज़ी वहाँ हाथ मत लगाइए, कैसा कैसा लग रहा है." रणबीर ने मालती की दोनो चूंचियों को ब्रा के उपर से जाकड़ पीछे हटते कहा.

फिर रजनी की पहुँच से उस हिस्से को दूर करते हुए वह मालती के पीछे सॅट गया और मालती की गांद पर उत्तेजना से दबाव देने लगा.

"हूँ तो तुम अपनी चाची की गांद के दीवाने हो गये हो, साली मालती तेरी गांद ने इस पर क्या जादू कर दिया है रे?" ये कह के रजनी ने मालती का पेटिकोट का नाडा खींच दिया और वह मालती के पैरों मे गीर पड़ा. मालती ने रोज़ की तरह कोई पॅंटी नही पहनी थी और वो कमर के नीचे नंगी हो गयी.

रजनी ने मालती की चूत पर हथेली जमा दी और वो ज़ोर से उसकी झाँते घिसने लगी.

तभी रणबीर ने भी थोड़ा पीछे हटते हुए मालती की ब्रा का हुक खोल दिया और उसे मदजात नंगा कर दिया. मालती भी अब कहाँ पीछे रहने वाली थी उसने भी रणबीर की बनियान उत्तर दी और फिर देखते देखते लंगोट की भी गाँठ खोल उसे हवा मे झूलते रोड पर टाँग दी.

अब रणबीर भी मालती की तरह पूरा नंगा था. फिर मालती ने रजनी की नाइटी की डोर खोल पहले उसकी नाइटी उतारी और वह भी रजनी की गांद पर अपनी चूत रगड़ते हुए ठकुराइन के दोनो माममे ब्रा पर से सहलाने लगी.

"ले साली अब में तेरी गांद अपनी चूत के दाने से मारूँगी, ले मेरा धक्का." ये कह कर मालती रजनी की चुचियों दोनो हाथों मे भर मसालने लगी.

"अरे भोसड़ी वाली पहले इन कपड़ों को तो उतार मेरे, चुभ रहे हैं. तब मालती ने रजनी को भी ब्रा और पॅंटी से छुटकारा दिला नंगी कर दिया. रणबीर अभी भी ठकुराइन की कुछ शरम कर रहा था और चुप चाप खड़ा उन्हे देखता रहा.

तभी रजनी ने दोनो शवर चालू कर दिए. उपर लगे दोनो फुवरों से बड़ी वेग से पानी निकला और ऐसा लगा की एका एक मूसला धार बारिश शुरू हो गयी हो. रजनी ने मालती और रणबीर दोनो को शवर के नीचे खींच लिया और तीनों एक दूसरे के गले मे बाहें डाले काफ़ी देर तक वैसे ही उछल उछल कर शवर के पानी का आनंद लेते रहे. एक दूसरे के अंगों को छूते रहे सहलाते रहे पकड़ कर खींचते रहे.

फिर रजनी ने शवर बंद कर दिया. अब रजनी और मालती रणबीर के नंगे जिस्म पर टूट पड़ी और उसके पानी छूटे जिस्म को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी. पीठ, पेट, नाभि चूतड़ पाँव जंघे सब जगह वो दोनो रगड़ रही थी और इस प्रकार रगड़ रगड़ कर ही रणबीर के बदन को सूखा दिया

raj..
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Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:54

रणबीर का लंड उत्तेजना के मारे रोड की तरह तन गया था. रजनी ने रणबीर का लंड मुती मे जाकड़ लिया और पास ही खड़ी मालती की गांद मे एक उंगल देते हुए कहा, "दे दूं इसे?"

"नही रजनी नही.. देख ना कैसे भाले की तरह तन गया है फिर फॅडवायानी है क्या मेरी." मालती ने रजनी से दूर हटते हुए कहा.

तभी रणबीर बाथरूम के बीच मे एक पारटिशन दीवार की तरफ जाने के लिए मुड़ा, रजनी ने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ के खींचा तो रणबीर ने एक उंगल उपर उठा दी.

"अभी नही अभी नही, हुकुम का गुलाम है ना तू तो बिना इजाज़त कुछ भी नही."

रणबीर असचर्या से खड़ा रहा, तभी रजनी रणबीर के सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके लंड को सहलाने लगी. वो गोटियों को नीचे की और खींचती तो लंड और अकड़ जाता. तभी उसने मालती को इशारा किया और मालती भी रजनी के पास बैठ धीरे धीरे लंड को मुँह मे भरने लगी.

मालती की मुँह मे लंड का सूपड़ा था और रजनी बे भी लंड के जड़ पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी. रजनी उसके आंडों से भी खेल रही थी. जब मालती लंड को बाहर निकालती तब झट रजनी उसे मुँह मे ले चूसने लगती और जब रजनी मुँह से बाहर निकालती तब मालती उसे मुँह ले लेती. दोनो लंड के भूकी औरतें एक दूसरे से छीना झपटी करते हुए लंड चूस रही थी.

रणबीर भी पूरी तरह उत्तेजित था पर उसे बहोत ज़ोर से पेशाब की हज़्जत भी हो रही थी. उसका बस चलता तो दोनो रंडियों के मुँह मे पेशाब कर देता.

"ठकुराइन एक बार छोड़ दो," रणबीर ने फिर एक अंगुल उपर कर गिड़गिदते हुए कहा.

"अब डूबरा कहा तो इसे काट कर फैंक दूँगी. रजनी ने रणबीर के लंड को हिलाते हुए कुछ उँचे स्वर मे कहा.

"रजनी बेचारे को जाने दो ना, देखो कितना फूल गया है." मालती ने रणबीर के लंड को पकड़ कर कहा.

"हूँ तो ये बात है, देख साली को दो दिन के भतीजे पर कितना रहम आया है. रणबीर दे इसके मुँह मे, भले ही इसके मुँह मे कर दें पर याद रहे लंड बाहर नही निकलना चाहिए." रजनी ने रणबीर का लंड मालती के मुँह मे ठूनसते हुए कहा.

रजनी की बात सुनकर और उस कलपाना मात्रा से रनबेर काफ़ी उत्तेजित हो गया और वह मालती के मुँह मे लंड अंदर बाहर करते हुए चूसने लगा. एक तो उसे पेशाब बहोत ज़ोर की लगी हुई थी, साथ ही पूरा जोश भी भरा हुआ था, पर जब तक वह पेशाब करके हल्का ना हो लेता तब तक वह कुछ कर पाने मे अपने आपको असमर्थ पा रहा था. उसने

मन बनाया की वह अब और नही रूकेगा और इस साली मालती चाची की मुँह मे ही कर देगा.

उसका यह मन बनना था की वह धार जड़ से आगे बढ़ी, पर लंड पूरा तना हुआ था इसलिए मुत्रा का एक क़तरा पीचकारी के रूप मे मल्टी के मुँह छूटा. फ़ौरन मल्टी के मुँह का स्वाद नमकीन हुआ और उसने एक झटके से सर पीछे खींचा पर रणबीर को ठकुराइन की चेतावनी याद थी और उसने मालती के बॉल पकड़ उसके मुँह को अपने लंड पर दबा दिया. मालती की मुँहसे गों गों की आवाज़ीएँ निकालने लगी और वो रजनी की तरफ देखने लगी.

raj..
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Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:55

मालती के मुँह के कोर से मुत्रा बहने लगा और रजनी समझ गयी की क्या हुआ है. उसने फ़ौरन मालती को एक तरफ धक्का देकर रणबीर का लंड अपने मुँह मे ले लिया.

तभी रणबीर के लंड ने मुत्रा का दूसरा कतरा छोड़ा आरू रजनी लंड चूस्ते हुए गटक गयी.

अब रजनी ने लंड मुँह से निकाल दिया पर अपने खुले मुँह से सिर्फ़ आधे इंच ही दूर रखा और रणबीर को इशारा केया. इशारा मिलने की देर थी की रणबीर के लंड से बड़े वेग से मुत्रा धार निकली.

रजनी उस मुत्रा धार को अपने मुँह मे ले गटाकने लगी. तभी उसने मालती को पकड़ अपने पास खींचा और उस मुत्रा धार का रुख़ मल्टी के चेहरे की तरफ कर दिया. मुत्रा की धार बड़े वेग से मालती के गालों और फिर होठों से टकराई.

साली मुँह खोल, एक बूँद भी नीचे नही गिरनी चाहिए." रजनी

चिल्लाई.

मालती ने मुँह खोल दिया. रणबीर पूरा उत्तेजित हो गया. उसने मालती का चेहरा अपने लंड पर दबा दिया और उसके हलाक मे मुत्रा धार उंड़ेलने लगा. फिर उसके क्या मन मे आया की उसने एक झटके से लंड मालती के मुँह से निकाल उसका रुख़ रजनी के चेहरे की तरफ कर दिया और उस मालकिन ठकुराइन के गालों पर , सर पर, चुचियों पर मुत्रा की धार छोड़ने लगा.

रजनी को इसमे मज़ा आने आ रहा था, उसने अब लंड खुद पकड़ लिया और जहाँ चाहती उधर रुख़ कर देती. कभी अपनी तरफ तो कभी मल्टी की तरफ. ढेरे धीरे मुत्रा कुछ रुक रुक के आया और फिर बंद हो गया.

रजनी और मालती दोनो फर्श पर बैठी हुई थी. रजनी ने एक हॅंड शवर उठाया और उसे चालू कर दिया. अब थोड़ी देर पहले वह जिस तरह मूत्र स्नान कर रही थी अब उसी तरह स्नान करने लगी. कभी शवर का रुख़ अपनी तरफ करती तो कभी मालती की तरफ. तभी उसने रणबीर को खींच कर नीचे बिठा लिया और तीनो उस हॅंड शवर का फुआराओं का मज़ा लेने लगे.

रणबीर ने मालती को गोद मे खींच के उसका सर अपनी छाती पर रख लिया और अपनी दोनो पैर उसकी जांघों के उपर से ले मालती की टाँगे पूरी फैला दी. अब वह शवर का घोल मुँह ठीक मालती की चूत पर टीका दिया. पानी के फुवरे बड़ी वेग से मालती की चूत के अंदर छूटे.

यह सीन देख रजनी पूरी गरम हो गयी और वह उठी और अपनी दोनो टाँगे छोड़ी कर मल्टी के मुँह मे अपनी झांतो भारी चूत तूसने लगी. मालती ने भी अपनी जीभ प्यारी सहेली ठकुराइन की चूत मे दे दी.

तभी रजनी ने दोनो हाथ की उंगलियाँ अपनी चूत के उपरी भाग यानी मूट छेद के बाजू बाजू रखी और चुर्र्रर छुउर्र्र कर के मालती के मुँह मे मूतने लगी. मालती ने मुँह वैसे ही खुला रखा और ठकुराइन के मूत को गटाकने लगी. फिर रजनी वैसे ही मूतते मूतते आगे बढ़ी और उसकी चूत रणबीर के मुँह पर मुत्रा धार छोड़ रही थी. रंजनी ने रणबीर के मुँह को अपनी चूत पर दबाया और ठकुराइन की इक्चा समझ रणबीर ने मुँह खोल दिया और अब वह ऱाज्नि का मुत्रा पान कर रहा था.

दो दो जवान नंगी औरतें, एक गोद मे पड़ी हुई और दूसरी चूत चौड़ी कर के उसके मुँह मे चुर्र चुर्र करके मूत रही थी. रणबीर का लंड लोहे के जैसे सख़्त हो गया. रजनी की धार अब बंद हो गयी. उसकी चूत से आखरी के कुछ वेग से मूत्र के छींटे निकले और वह चूत को रणबीर के मुँह पर बेतहाशा रगड़ने लगी. उसने वहीं से बैठना चालू किया और मालती रणबीर की गोद से उठ गयी.

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