छोटी सी जान चूतो का तूफान

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rajaarkey
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छोटी सी जान चूतो का तूफान

Unread post by rajaarkey » 26 Dec 2014 07:08

छोटी सी जान चूतो का तूफान--1

लेखक- तुसार

मुकेश आज देल्ही से वापिस अपने घर आ रहा था…..वो देल्ही अपने दोस्त के छोटे भाई के शादी मे आया था……साथ मे उसका ड्राइवर भी था…मुकेश गुरदासपुर का रहने वाला था, और रात को वापिस अपने घर गुरदासपुर जा रहा था….रात के 1 बजे का टाइम था…..सड़क सुनसान थी, और चारो तरफ अंधेरा फेला हुआ था….वो अभी गुरदासपुर से कुछ 100 किमी के दूरी पर थी……मुकेश ड्राइवर के साथ अगली सीट पर बैठा हुआ था….

तभी हेडलाइट के रोशनी मे सामने सड़क पर कोई पड़ा हुआ नज़र आया…मुकेश का ड्राइवर कार को ड्राइव करते हुए एक साइड से आगे बढ़ गया. “ड्राइवर गाड़ी पीछे लो” मुकेश ने सड़क पर पड़े जिस्म की ओर देखते हुए कहा…..

ड्राइवर: साहब रहने दो…….पता नही कोन है…..फज़ूल मे लफडे मे काहे को पढ़ना…..

मुकेश: मेने कहा ना गाड़ी के पीछे लो, देखेने मे कोई बच्चा लगता है…..

ड्राइवर: ठीक साहब जैसे आपकी मर्ज़ी…..

ड्राइवर ने गाड़ी रिवर्स गियर मे डाली, और उस बच्चे के पास जाकर रोक दी, दोनो गाड़ी से नीचे उतरे, तो उन्होने देखा, एक 1***साल का बच्चा, खून से लत्पथ सड़क पर बेहोश पड़ा था…उसके सर और मूह से बहुत खून बह रहा था….मुकेश ने नीचे बैठते हुए, उसकी नब्ज़ देखी, और ड्राइवर के तरफ देखता हुआ बोला, अभी जिंदा है….चलो जल्दी से उठाओ इसे, इसको हॉस्पिटल लेकर जाना होगा….

ड्राइवर और मुकेश ने उस बच्चे को उठाया, और कार की पिछली सीट पर लेटा दिया….मुकेश जानता था कि, वो अपने सहर से 100 किमी की दूरी पर है, और अगर वो वक्त रहते वहाँ पहुच गया तो, इस बच्चे के जान बचाई जा सकती थी. मुकेश ने ड्राइवर के साथ आगे बैठते हुए कहा….जल्दी कार चलाओ, जितना तेज चला सकते हो….उतना तेज चलाओ….

मुकेश का ड्राइवर भी एक्सपर्ट था…..फिर क्या था, वो एक घंटे मे ही गुरदासपुर के सबसे बड़े हॉस्पिटल के अंदर थे…उस
बच्चे को आइसीयू मे भरती करा दया….और पोलीस को भी इनफॉर्म कर दिया गया…..मुकेश अपने इलाक़े का नामी गिरामी ज़मींदार था…..कई सो एकड़ ज़मीन और कई फार्महाउस थे….बड़े-2 लोगो से उसकी जान पहचान थी.

मुकेश को जो पता था, उसने सब पोलीस को बता दया था……अब बच्चे के होश मे आनने का इंतजार था….मुकेश हॉस्पिटल की लॉबी मे टहलता हुआ, रिसेप्षन तक फुँचा, और उसने वहाँ से अपने घर अपनी पत्नी शीला को फोन लगाया……थोड़ी देर बाद शीला ने फोन उठया…..दोस्तो ये 1988 की बात है, जब मोबाइल फोन नही हुआ करते थे…सिर्फ़ लॅंडलाइन फोन ही बात करने का ज़रिया थे……थोड़ी देर बाद उसकी पत्नी शीला ने फोन उठाया.

शीला: हेलो कॉन….

मुकेश: शीला मैं हूँ मुकेश……

शीला: आप अभी तक आए नही क्या हुआ ? सब ठीक तो है ना ?

मुकेश: हां मैं ठीक हूँ…..दरअसल अभी मैं हॉस्पिटल मे हूँ.

शीला: (घबराते हुए) जी क्या हुआ ? आप ठीक तो है ना ?

मुकेश: हां शीला मैं एक दम ठीक हूँ…दरअसल बात ये है कि,

उसके बाद मुकेश ने शीला को सारी बात बताई, और कहा कि, वो सुबह ही घर वापिस आ पाएगा….उसके बाद उसने फोन रख दया…

मुकेश 35 साल का हॅंडसम और उँची कद काठी वाला आदमी था…उसकी पत्नी निहायत ही खूबसूरत और 32 साल की थी…..बहुत ही धार्मिक विचारो वाली, दोनो मे बहुत प्यार था….पर शादी के 10 साल बाद भी उनके कोई संतान नही थी…..वजह थी शीला की बच्चेदानी मे कुछ प्राब्लम थी…..मुकेश ने शीला का कई जगह इलाज करवाया…..पर भगवान के आगे किसी की क्या चलती है….

सुबह के 6 बजे, मुकेश लॉबी मे एक बेंच पर बैठा हुआ था….तभी डॉक्टर ने उसे आकर बताया कि, उस लड़के को होश आ गया है….वहाँ का इनस्पेक्टर भी वही था…..बच्चे के होश मे आने के खबर सुनते ही मुकेश और इनस्पेक्टर दोनो रूम मे चले गये….इनस्पेक्टर ने बड़े ही प्यार से उस लड़के से पूछा…..

इनस्पेक्टर: बेटा तुम्हारा नाम क्या है ?

लड़का: (अपने आप को इस हालत मे देख कर घबराते हुए) जी जी साहिल…

इनस्पेक्टर: साहिल तुम्हारे मा पापा कोन है…….तुम्हारा आक्सिडेंट हुआ था….और तुम इनको (मुकेश की तरफ इशारा करते हुए) सड़क पर बेहोश मिले थे…..ये ही तुम्हें यहाँ लेकर आए है….कोन है तुम्हारे मा बाप. उनको खबर कर देते है……

rajaarkey
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Re: छोटी सी जान चूतो का तूफान

Unread post by rajaarkey » 26 Dec 2014 07:08


इनस्पेक्टर के बात सुन कर वो लड़का खामोश हो गया…मानो जैसे उसके जखमो को फिर से किसी ने कुरेद दिया हो…..उसकी आँखें नम हो गयी..और वो सुबक्ते हुए बोला……”मैं अनाथ हूँ” मुझे नही पता मेरे मा बाप कोन है…..

इनस्पेक्टर: ओह्ह अच्छा फिर ये बताओ तुम कहाँ रहते हो…….कोई तो होगा जिसे तुम जानते होगे ?

बच्चा: मैं नही जानता किसी को……मैं तो सड़क पर ही रहता हूँ…..

उसने बड़ी मासूमियत से कहा…..”अच्छा तो फिर ये बताओ तुम्हारा आक्सिडेंट कैसे हुआ” इनस्पेक्टर ने बहुत ही प्यार से पूछा….

लड़का: वो मैं सड़क पर चल रहा था क़ी, पीछे से एक ट्रक ने मुझे टक्कर मार दी….उसके बाद मुझे कुछ याद नही…

इनस्पेक्टर: (मुकेश की ओर देखते हुए) मुझे लगता है कि ये लड़का सही बोल रहा है….हम इसमे ज़यादा कुछ नही कर पाएँगे…कोई गवाह भी नही है…जिसने देखा हो, कि किसने इसे टक्कर मारी है….

उसके बाद इनस्पेक्टर और मुकेश रूम से बाहर आ गये….. इनस्पेक्टर ने मुकेश को थॅंक्स बोला, और कहा कि, आप जैसे लोगो के कारण ही आज के दुनिया मे इंसांयत है…वरना आपकी जगह कोई और होता तो सड़क पर पड़े इस अनाथ मर रहे बच्चे की तरफ कोई देखता भी नही……..

मुकेश ने हॉस्पिटल मे बिल दिया, और डॉक्टर को बोला कि, वो अब घर जा रहा है…लड़के की देखभाल करें….वो दोपहर को फिर आएगा…उसके बाद मुकेश अपने घर चला गया…शीला बेसबरी से मुकेश का इंतजार कर रही थी……मुकेश को सही सलामत देख कर उसकी जान मे जान आई…..उसके पूछने पर मुकेश ने सारा किस्सा अपनी पत्नी को बता दया.

मुकेश: शीला तुम थोड़ा सा खाना बना कर पॅक कर दो….मुझे फिर से हॉस्पिटल जाना है….उस बेचारे बच्चे का तो इस दुनियाँ मे कोई भी नही है. इतनी सी उमर मे ही नज़ाने अब तक उसने क्या-2 दुख देखे होंगे.

शीला: जी बना देती हूँ…..मैं भी चलु आपके साथ ?

मुकेश: तुम क्या करोगी वहाँ जाकर ?

शीला: बस ऐसे ही.

मुकेश: ठीक दोपहर को चलते हैं…..

शीला: ठीक है आप जाकर आराम करिए….मैं खाना बनाती हूँ…आप कल रात से सोए नही है….

मुकेश अपने रूम मे चला गया……..शीला ने घर मे करने वाली नौकरानी को खाना तैयार करने के लिए कहा….और खुद उसकी मदद की. दोपहर को जब वो अपने रूम मे गयी तो, उसने देखा के मुकेश पहले से तैयार हो चुका है…

शीला: आप उठ गये….खाना लगाऊ क्या ?

मुकेश: हां जल्दी करो…..खाने के बाद हॉस्पिटल भी जाना है….

शीला: जी आप तैयार होकर बाहर आ जाए…मैं खाना लगाती हूँ…

खन्ना खाने के बाद दोनो हॉस्पिटल पहुच गये……वहाँ इनस्पेक्टर पहले से ही माजूद था….मुकेश को देखते ही इनस्पेक्टर बोला…अब तो लड़के की हालत मे काफ़ी सुधार है….बेचारा बच गया….

मुकेश: इनस्पेक्टर अब क्या करना है इस बच्चे का…

इनस्पेक्टर: करना क्या है सर जी. सिटी मे एक अनाथ आश्रम है…आश्रम के ट्रस्टी से कॉंटॅक्ट किया है, थोड़ी देर मे आता होगा…..वही पर इसको भेज देंगे…

मुकेश: ह्म्म ठीक है……

उसके बाद मुकेश और शीला उस रूम मे आ गये……जहाँ पर वो लड़का लेटा हुआ था…मुकेश को देखते ही साहिल बेड पर उठ कर बैठ गया….

मुकेश: और कैसे हो……दर्द तो नही हो रहा…..

साहिल: नही अंकल….अब ठीक हूँ….

उसने अपने मासूम से चेहरे से मुकेश और शीला की ओर देखते हुए कहा….और फिर अपनी नज़रे नीचे कर ली………शीला साहिल को एक टक देखे जा रही थी…जिसकी वजह से साहिल थोड़ा नर्वस फील कर रहा था…और अपने छोटे- 2 हाथों की उंगलयों को आपस मे दबा रहा था..

rajaarkey
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Re: छोटी सी जान चूतो का तूफान

Unread post by rajaarkey » 26 Dec 2014 07:09


मुकेश: खाना खाया तुमने ?

साहिल: नही अभी नही खाया…

मुकेश: देखो हम तुम्हारे लिए खाना लेकर आए है….

साहिल ने एक बार शीला के हाथ मे पकड़े हुए लंच बॉक्स की तरफ देखा, और फिर से अपने सर को झुका लिया….

मुकेश: अर्रे शीला देख क्या रही हो. खाना डालो प्लेट मे….

शीला: जी………जी अभी डालती हूँ…..

शीला ने प्लेट मे खाना डाला, और साहिल की तरफ बढ़ा दया…साहिल ने एक बार फिर से शीला की तरफ देखा…और प्लेट लेने के लिए जैसे ही ही हाथ आगे बढ़ाया….वो एक दम से चीख उठा. शायद उसके हाथ मे चोट लगी थी….”अहह माआ”

साहिल की दर्द भरी पुकार सुन कर शीला के माँ मे अजीब सी टीस उठी, और उसने प्लेट को एक साइड मे रखते हुए, उसका हाथ पकड़ लिया. और फ़िकरमंद अंदाज़ मे बोली, क्या हुआ बेटा…….कहाँ दर्द हो रहा है…

साहिल: वो हाथ मे चोट लगी है….

शीला: अच्छा रहने दो…..मैं खिला देती हूँ….

मुकेश बैठा सब देख रहा था…वो जानता था कि, शीला के मन के किसी कोने मे आज भी मा बनने के चाहत है…जो साहिल को देख कर दबी ना रह सकी..शीला को जब ख़ुसी से साहिल को खाना खिलाते देखा, मुकेश को भी अच्छा लग रहा था…… तभी इनस्पेक्टर अंदर दाखिल हुआ और मुकेश से बोला…

इनस्पेक्टर: मुकेश जी वो अनाथ आश्रम के ट्रस्टी आ गये है….उनसे बात कर लेते हैं…..

मुकेश: हूँ जी चलिए …….

मुकेश उठ कर इनस्पेक्टर के साथ बाहर आ गया……और अनाथ आश्रम के ट्रस्टी से बात करने लगा….शीला भी बाहर आ गये…जब मुकेश ट्रस्टी से बात कर रहा था….तब शीला ने मुकेश को आवाज़ देकर बुलाया.

मुकेश: हां शीला क्या बात है ?

शीला: जी ये इनस्पेक्टर क्या कह रहा है….वो इस बच्चे को अनाथ आश्रम भेंजेगे क्या ?

मुकेश: हां शीला अब उस बेचारे का घर तो है नही, और कहाँ जाएगा..

शीला: थोड़ी देर सोचने के बाद) जी क्या हम वो मैं कह रही थी कि,क्या हम साहिल को अपने साथ नही रख सकते….

मुकेश: (शीला के बात सुन कर थोड़ी देर सोचने के बाद) ह्म्म सोच तो मैं भी यही रहा था. पर शीला किसी को पालना और वो भी किसी गेर को बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है…….


शीला: हां जानती हूँ…..पर क्या हम दोनो मिलकर भी ये ज़िम्मेदारी नही संभाल सकते…..

मुकेश ने मुस्करा कर शीला की तरफ देखा , और बोला, ठीक है मैं इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी से बात करता हूँ…फिर मुकेश ने इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी को अपने और शीला के दिल के बात बता दी… वो लोग झट से राज़ी हो गये….

इनस्पेक्टर: ठीक है मुकेश जी, आप दोनो हमारे साथ चल कर कुछ फॉरमॅलिटी पूरी कर लें. उसके बाद आप इस बच्चे को घर ले जा सकते है.

मुकेश: ठीक हैं इनस्पेक्टर चलिए…….

उसके बाद मुकेश इनस्पेक्टर के साथ पोलीस स्टेशन चला गया…और ज़रूरी कागज़ी करवाई करने के बाद उन्होने ने साहिल को गोद लिया……शीला तो ख़ुसी से फूली नही समा रही थी….औलाद के लिए वो कई सालो से तरसी थी. और आज साहिल के रूप मे उसे अपना बेटा मिल गया था….और आज मुकेश साहिल को हॉस्पिटल से घर लाने वाला था….

शीला तो जैसे बादलों मे उड़ रही थी….उसने अपने कई रिस्तेदारो और दोस्तो को ये खबर बता दी, और उसने साहिल के घर पर आने की ख़ुसी के मोके पर बहुत बड़ी पार्टी रखी थी…

क्रमशः

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