तड़पति जवानी

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rajaarkey
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तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 08:56

तड़पति जवानी-पार्ट-1

अपने कमरे मे आ कर मैं बिस्तर पर लेट गयी.. मेरे हाथ मे वो डायरी ऑर चैन लगी हुई थी.. थोड़ी देर तक मैने उस चैन, जिस पर एन का लॉकेट लगा हुआ था देखती रही.. ऑर उसे उठा कर एक तरफ रख दिया..

मेरे दूसरे हाथ मे वो डायरी लगी हुई थी.. पता नही क्या लिखा होगा.. ये डायरी उसकी पर्सनल डायरी थी.. केयी बार मैने उसे इस डायरी मे कुछ लिखते हुए देखा था.. क्या उसकी डायरी खोल कर पढ़ना सही होगा..? घर के सभी काम निपटा ही लिए थे.. ऑर वैसे भी मनीष आज लेट आने वाले थे टीवी पर भी कुछ ऐसा खास प्रोग्राम नही आ रहा था.. डायरी पढ़ कर ही टाइम पास करते है.. यही सोच कर मैने डायरी को खोल कर पढ़ना शुरू कर दिया..

डायरी खोल कर जैसे ही मैने पहला पेज पढ़ना स्टार्ट किया मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी.. उस डायरी मे उसने मेरे बारे मे लिख रखा था..

निशा बहुत खूबसूरत है.. इतनी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी.. उपरवाले ने बहुत फ़ुर्सत से बनाया है.. मैं तो निशा की सूरत देखते ही उस पर फिदा हो गया था. इतना सुंदर चेहरा हर किसी को नही मिलता. उसकी आँखो की चंचलता उनके मटकने का अंदाज उफ़फ्फ़..

उसके होंठ तो बस.. एक दम गुलाब गुलाबी.. जब दोनो पंखुड़िया खिलती है तो देख कर ऐसा लगा कि हर वक्त कामुक रस टपकता रहता है उसके होंटो से.. ख़ुसनसीब है मनीष भैया जो कि उसे इतने रसीले होन्ट चूसने को मिलते हैं..

ऑर निशा के दोनो उरोज.. उनकी तो बात हिनिराली है.. दोनो उरोज हिमालय पर्वत के जैसे तने हुए उसकी छाती से चिपके हुए है.. जब वो चलती है तो दोनो उरोज उसके चलने से कामुक अंदाज़ में उपर नीचे हिलते हुए हाअय्यी.. दिल बैठ जाता है मेरा उन्हे यू हिलते देख कर. दोनो उरोज की मोटाई और गोलाई एक दम गजब है.. उपर वाले ने एक दम अलग ही सांचा तैयार करा होगा उसके स्तनो को ढालने के लिए.. जो भी उन्हे देखता होगा उसके मूह में पानी आ जाता होगा.. जैसे मेरे मूह में आ जाता है.. (ऑर बाकी सब दोस्तो के भी)

इतनी सब खूबिया होने के बाद भी उसमे जो सबसे ज़्यादा आकर्षक चीज़ थी उसकी गांद..निशा की गांद के बारे में क्या लिखूं कुछ समझ नही आ रहा.. कातिल गांद है निशा की.. मेरे दिल का कतल कर दिया निशा की गांद ने.. इतनी मस्त गांद मैने आज तक नही देखी.. जब वो चलती है तो गांद के दोनो गोल गोल तरबूज बहुत कामुक अंदाज में हिलते हैं.. उनका फूला हुआ पिछला हिस्सा उसके दोनो भागो को ओर भी ज़्यादा आकर्षित बनाता है.. नपुंसक का लंड भी खड़ा हो कर झटके मारते हुए सलामी देने लग जाए.. मेरा तो निशा की गांद के बारे में सोच कर ही बुरा हाल हो जाता है.. लंड बिठाए नही बैठता.. बार बार खड़ा हो कर उसकी गांद को सलामी देना शुरू कर देता है..

मुझे पूरा यकीन है कि इस अप्सरा की चूत भी कम कातिल नही होगी.. बल्कि वो तो सबसे ज़्यादा कयामत ढाती होगी.. कैसी दिखती होगी निशा की चूत.. झाते होगी उस पर या एक चिकनी होगी.. जैसी भी होगी.. कमाल होगी..

एक बार निशा को जी भर कर चोदना चाहता हू.. हर उस तरह से जैसा उसे देख कर मन मे ख़याल आता है.. कभी तो मन कर करता है कि उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत मारू कभी गांद मारू.. कभी ख़याल आता है उसकी दोनो चिकनी चिकनी टांगे अपने कंधे पर रख कर उसकी चूत मारू.. लेकिन जानता हूँ कि ये मुमकिन नही है.. ये मेरे दिल का केवल ख़याल है एक सपना है.. निशा मनीष भैया की बीवी है और मेरी भाभी के समान है.. इसलिए उसको चोदने का ख्वाब हमेशा ख्वाब ही रहेगा.. पर मुझे ख़ुसी है कि ऐसी सुन्दर अप्सरा के साथ मुझे एक ही घर की छत के नीचे रहने का मोका मिला है.. अगर निशा को च्छू नही सकता कम से कम देख तो सकता हू.. मैं उस उपर वाले का शूकर गुज़ार हू जिसने मुझे इतनी हसीन खूबसूरत अप्सरा को देखने का सोभाग्य दिया..


डाइयरी पढ़ने के बाद मुझे समझ में नही आ रहा था कि कैसे रिक्ट करूँ. मेरे बारे में बहुत गंदी गंदी बाते लिख रखी थी उसने डाइयरी में.
"इसका मतलब वो हर वक़्त मुझे घूरता रहता था. कितना बेशरम था शुरू से.. तभी उसकी निगाहे मुझे अपने उपर हमेशा महसूस होती रहती थी..

अपने बारे मे इतना गंदा लिखा हुआ पढ़ने के बाद मैं शरम से पानी पानी हो गयी.. मनीष ने आज तक कभी मेरे से ऐसे वर्ड यूज़ नही करे थे.. वो मुझे इसी तरह की भाषा मे बात करता था पर मुझे विश्वास नही हो रहा कि वो मेरे बारे मे ऐसा अपनी डायरी मे भी लिखेगा.. उस डायरी मे लिखी हुई बाते पढ़ने के बाद उसके आने से लेकर जाने तक की सारी घटना मेरी आँखो के आगे घूमने लग गयी..

rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 08:56


ये एक हफ्ते पहले की बात है..उस दिन सनडे का दिन था मनीष के ऑफीस का ऑफ था.. हम दोनो ही आराम से बिस्तर मे एक दूसरे की बाहो मे बाहे डाल कर लेटे हुए पड़े थे.. तभी दरवाजे की डोरबेल बजी.. मैं सोच मे पड़ गयी की सुबह सुबह कॉन आ गया..

सुबह मे मनीष काफ़ी रोमॅंटिक अंदाज मे मुझसे बाते कर रहे थे ऑर उन बातो के बीच मे कॉन कबाब की हड्डी बन कर आ गया.. मैं जल्दी से बिस्तर से उठी ओर ब्रा ऑर पॅंटी पहन ने लगी.. पर मनीष ने मुझे पकड़ लिया ओर मेरे योनि पर किस करने लगे..

छ्चोड़िए ना क्या कर रहे है.. कोई दरवाजे पर बेल बजा रहा है.. मैने शरमाते हुए मनीस से कहा..

गूडमॉरिंग बोल रहा हू अपनी जान को.. मनीष ने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंब को कस कर पकड़े हुए एक ऑर किस करते हुए कहा..

ये मनीष का रोज का स्टाइल था वो मेरे बिस्तर से उठने के साथ ही मेरी योनि पर किस करते थे.. ओर फिर मेरे होंठो पर.. पर आज कोई दरवाजे पर था.. मुझे जल्दी पड़ी हुई थी.. मनीष ने मेरे नितंब से हाथ हटा कर मेरी कमर मे डाल कर मुझे अपने उपर झुका लिया ओर अपने होंठो के बीच मे मेरे होंठ दबा कर किस करने लगे जैसे ही किस ख़तम हुआ मैने जल्दी से अपनी पॅंटी पहनी ओर मेक्सी पहन कर दरवाजे पर आ गयी.. तब से अब तक 4-5 बार वो बेल बज चुकी थी.. मैने अपने बालो को जो बिखरे हुए थे ठीक करते हुए दरवाजा खोला.. सामने एक लड़का खड़ा हुआ कोई 22-23 साल का.. उसके हाथ मे एक बॅग लगा हुआ था.. वो मेरी तरफ एक तक घूर के देखे जा रहा था..

उसका बॅग देख कर मुझे लगा कि वो कोई सेल्स मॅन है.. मैं उस से कुछ पूछती इस से पहले ही बोल उठा..

नमस्ते भाभी जी.. मनीष भैया है..?

मैं उसकी सूरत देखती रही.. उसकी नज़रे मेरे पूरे जिस्म पर मुझे चुभती हुई महसूस हो रही थी.. कभी वो मेरे चेहरे को तो कभी मेरी छाती को एक तक घूरे जा रहा था..

माफ़ कीजिए मैने आप को पहचाना नही.. मैने उसकी तरफ हेरनी भरी निगाह से देखते हुए कहा..

मैं अमित.. वो अभी इस से आगे कुछ बोलता उस से पहले ही..

अरे पीनू.. वॉट ए सर्प्राइज़.. अरे बाहर क्यू खड़े हो अंदर आओ.. मनीष अंदर बेडरूम से बाहर आ गये थे..

उस लड़के ने आगे बढ़ कर मनीष के पैर छुए फिर मेरे भी..

अरे निशा ये पीनू है.. अपनी गाँव वाली मौसी है ना उनका लड़का.. आओ बैठो पीनू.. अरे निशा पीनू के लिए चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करो..

उस लड़के की सूरत ऑर उसके मुझे यूँ घूर्ने से पहले ही नफ़रत सी हो गयी थी उस पर मनीष ने मुझे उसके लिए चाइ नाश्ता बनाने को कहा तो मेरे सीने पे जैसे साँप लॉट गये.. पर फिर यही सोच कर कि गाँव से आया है शायद इसे अकल नही होगी कि किसी के यहा जाने पर कैसे बिहेव करते है..

मैं वाहा से सीधा किचन मे आ गयी ओर मनीष ओर वो लड़का आपस मे बात कर के अपनी यादे ताज़ा करने लगे..

मैं नाश्ता ले कर बाहर आ गयी.. तो वो मुझे देख कर मनीष से बोला की भैया आप बोहोत किस्मत वाले हो जो आप को भाभी जैसी सुंदर बीवी मिली है.. उसकी निगाहे दोबारा से मुझे मेरे शरीर पर चुभती हुई महसूस होने लगी..

चिंता मत कर तेरे लिए भी ऐसी ही सुंदर बहू लाएगे.. मनीष ने मेरी तरफ मुस्करा कहा..

मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था.. मनीष ने मेरे हाथ से नाश्ता ले कर टेबल पर रख दिया ऑर अपने बराबर मे ही बैठने को कहा..

मुझे मेक्सी मे इस तरह से किसी अजनबी के आगे बैठने मे बड़ा अजीब सा फील हो रहा था.. पर मैं मनीष के साथ ही बैठी रही..

वो लड़का मेरे सामने ही बैठा हुआ था ऑर मुझे देख कर मुकुराए जा रहा था.. मैं जब उसे चाइ देने के लिए टेबल पर झुकी तो उसकी निगाहे मेरे मेक्सी के अंदर झाँकति हुई लगने लगी.. मैं तुरंत एक हाथ अपने छाती पर लगा कर उसको चाइ पकड़ा दी..

rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 08:57


तो पीनू कैसे आना हुआ ? मनीष ने उस से उसके आने के बारे मे पूछा..


वो भैया थोड़ा काम था यहा पर बाबू जी ने भेज दिया.. बोले आप यहा रहते ही हो अगर कोई मदद की ज़रूरत हुई तो आप कर दोगे.. पहले सोचा कि किसी धर्मशाला मे रुक जाउ पर फिर सोचा सीधा आप के पास ही चलु.. आप की शादी मे नही आ पाया था.. इसी बहाने भाभी जी से भी मुलाकात हो जाएगी.. यही सोच कर.. वो बात मनीष से रहा था पर देखे मेरी तरफ जा रहा था.. उसके देखने मे हवस सॉफ नज़र आ रही थी..

अरे पीनू बोहोत बढ़िया किया.. मनीष की बात सुन कर मेरे दिमाग़ मे यही ख़याल आया क्या खाक बढ़िया किया.. आज सोचा था सनडे है आज अपने लिए शॉपिंग करने जाउन्गी.. पर.. वो मेरी तरफ बराबर घूरे जा रहा था था उसकी मुस्कुराहट एक दम घिनूनी थी.. मैं वाहा से उठ कर बेडरूम मे आ गयी..

मनीष ने उसके रहने का इंतज़ाम दूसरे कमरे मे कर दिया..

भैया बोहोत थक गया हूँ सफ़र मे नहा कर आराम करना चाहता हू..

अरे बिल्कुल पीनू.. तुम आराम से नहा कर आराम करो..

मैं अपने बेडरूम मे गुस्से एक दम तिलमिलाई हुई लेटी थी.. अरे क्या हुआ जानू..? इतनी नाराज़ क्यू हो..? मनीष ने मेरे बगल मे आ कर मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा..

क्या ज़रूरत थी आप को उसे यहा पर रोकने की..हा..?

क्या जानू तुम भी.. अरे वो हमारे गाँव से आया है ओर मौसी का लड़का है.. पता है मैं जब गाँव मे था तो मौसी ने कभी कोई फरक नही किया अपने लड़के ओर मुझमे.. बल्कि अपने से ज़्यादा ही मुझे माना है.. और फिर दो हफ्ते बाद बिल्लू(प्रेम मनीष का छ्होटा भाई जिसे गाँव मे सब प्यार से बिल्लू बुलाते है) की शादी है.. सोचो अगर ये गाँव मे जा कर बताता कि हमने इसे यहा रखने से मना कर दिया.. तुम गाँव के लोगो को जानती नही हो वो ज़रा सी बात को दिल पर लगा लेते है.. ऑर अगर पापा को पता चलता कि उनकी बहू ने दो रोटी ज़्यादा बनाने की वजह से घर आए मेहमान को वापस लौटा दिया.. उनकी नज़र मे जो तुम्हारी इज़्ज़त है.. अगर तुम्हे लगता है मैने उसे रोक कर ग़लत किया तो तुम बोलो मैं उसे अभी यहा से जाने को बोल देता हू..

ठीक है ठीक है अब ज़्यादा इमोशनल ब्लॅकमेल करने की ज़रूरत नही है.. मनीष ने मुझे गले से लगा लिया.. ऑर फिर मेरे होंठो को किस करने लगे.. किस करते हुए ही जब मेरी नज़र दरवाजे की तरफ गयी तो मैं गुस्से ओर शरम से लाल हो गयी.. वो वही दरवाजे पर खड़े हो कर हमे किस करते हुए देख रहा था.. उसके चेहरे की हँसी देख कर मेरा खून खोले जा रहा था.. मैं जल्दी से मनीष से अलग हुई ओर अपने कपड़े सही करने लग गयी.. वो वाहा से हट कर वापिस अपने कमरे की तरफ चल दिया..

मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया था उस देहाती की इस हरकत को देख कर.. मेरी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे मनीष को कुछ बताऊ या नही.. वो जब से यहा पर आया था तब से मुझे उसकी नीयत ठीक नही लग रही थी.. वो जिस तरह से मुझे देखता था मन तो ऐसा कर रहता कि अभी इसका खून कर दू.. पर यही सोच कर कि गाँव से आया है.. पिता जी क्या सोचेगे ओर फिर 2 हफ्ते बाद बिल्लू की शादी भी है.. मैं खून का घूँट पी कर रह गयी..
क्रमशः..............




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