तड़पति जवानी

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rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:47

तड़पति जवानी-पार्ट-15

गतान्क से आगे.........
मैने अपना गाउन(मॅक्सी) जो मैने नहा कर पहना था उसके बटन एक एक करके खोलना शुरू कर दिए. उसके नज़र मेरी छाती पर चिपकी हुई थी. वो एक तक मेरी छाती की तरफ देखे जा रहा था. उस समय उसके सामने कपड़े उतारते हुए मैं शरम से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी. धीरे धीरे करके मैने अपने सारे बटन खोल दिए. बटन के खुलते ही उसमे से मेरी ब्रा और पॅंटी सॉफ नज़र आने लगी. वाइट कलर की ब्रा और पॅंटी मेरा जिस्म खूब खिल रहा था. मैने अपनी मॅक्सी को अपने शरीर से अलग कर दिया. वो मुँह फेड मेरे को देखे जा रहा था.

ब्रा मे से मेरे दोनो उरोज इस तरह से झाँक रहे थे कि अभी ब्रा मे से निकल कर बाहर आ जाएगे.. और नीचे पॅंटी हल्की हल्की गीली हो गयी थी जिसकी वजह से मेरी योनि की कटान उस पर सॉफ उभर आई थी.. मैने अपने हाथो को पीछे ले जा कर अपनी ब्रा के हुक को खोल दिया जिस से मेरी ब्रा मेरी छाती पर एक दम ढीली हो गयी. मैने अपनी ब्रा को अपने हाथो से थाम लिया. अपने शरीर से अपनी ब्रा को अलग करते हुए मैं बुरी तरह से शर्म से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी.

“भाभी अपने हाथो से ब्रा को अब हटा भी दो… ताकि इन मतवाले रसभरे सन्तरो का दीदार ढंग से कर सकु” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गयी. मैने क्या करती मुझसे हिम्मत नही हो रही थी कि मैने अपने शरीर से ब्रा को अलग करू.. मुझे इस तरह से देख कर वो फिर से बोला कि “भाभी ये ग़लत है आप ने कहा था कि आप खुद सब दिखओगि. अब हाथ मे से ब्रा को हटा भी दो” मरती क्या ना करती मैने अपने हाथ से अपनी ब्रा को जैसे ही अलग करके टेबल पर रखा मानो मेरे आधे प्राण निकल गये.

शरम के मारे मैने अपने दोनो हाथो से अपने उरोजो को ढँक लिया. “क्या भाभी जी आप तो ऐसे शर्मा रहे हो जैसे आज आप पहली बार किसी के आगे नगी हो रही हो. मनीष भैया तो रोज ही आप की लेते है और उस दिन तो आप कितना शोर मचा रहे थे… आहह… कम ऑन… कम ऑन करके” उसकी बाते सुन कर मैं शर्म से मरी जा रही थी और वो मज़े से मुझे देख कर दाँत फाडे जा रहा था.

मैने अपने हाथ अपने उरोजो से हटाए ही थे कि वो बोल पड़ा “कसम से भाभी जी आप की दोनो चुचिया एक दम मस्त है. और उनकी घुंडी तो क्या कहु आज तक मैने ऐसी चुचिया नही देखी एक दम गोल कटोरी जैसे” उसकी बाते मुझे अंदर तक छू रही थी एक अजीब सा एहसास मुझे मेरे अंदर महसूस हो रहा था.

“भाभी जी अब अगर आप की ये चड्डी भी अगर अलग हो जाए तो मैं आप की जवानी का मज़ा ले लू देख कर” उसने मुझे यूँ शरमाते हुए देख कर कहा.

मेरी तो हिम्मत ही नही हो रही थी कि मैं अपने हाथो से अपनी पॅंटी को अलग कर सकु.. “भाभी जी क्या हुआ आप से नही उतर रही है तो मुझे बताओ मैं उतार देता हू” मैं अभी सोच ही रही थी कि वो फिर से बोल पड़ा.. उसकी बात सुन कर मुझसे बर्दास्त नही हुआ और मैने उसे कहा कि “तुम एक नंबर के हरामी आदमी हो.. मैं शर्म से मरी जा रही हू और तुम मुझ पर हंस रहे हो जाओ मैं कुछ नही दिखाती” कह कर मैने टेबल से अपनी ब्रा को अपने हाथ मे पकड़ने ही वाली थी कि वो बोल उठा..

“अरे भाभी जी मैं कहाँ हंस रहा हू आप ने ही कहा था कि आप अपने हाथो से अपने कपड़े उतारोगे.. मैने तो आप से कहा भी था कि आप की आप की चड्डी मैं उतारूँगा पर आप ने मना कर दिया. अब इसमे ग़लती किसकी है मेरी या आप की आप ने मुझसे छूने को मना किया मैने अपनी बात रखी आप भी अपनी बात रखो ना.. इस तरह आप अपनी बात से नही मुकर सकते” उसने इस तरह से कहा कि मैने जो ब्रा पकड़ी हुई थी वो वापस मेरे हाथ से निकाल कर टेबल पर ही रह गयी.

“मुझसे नही होगा.. अमित” मैने अपनी परेशानी उसे बताते हुए कहा.

“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”

“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”

मैने अपने कंपकँपाते हुए हाथो को अपनी पॅंटी पर लगाया और पॅंटी को उतारने के लिए थोड़ा झुकी जिसकी वजह से मेरे दोनो उरोज नीचे की तरफ झूल गये. उस समय मेरे दिल पर क्या बीत रही थी ये मैं ही जानती थी. अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपने ही हाथो से उसे बर्बाद कर रही थी. मैने धड़कते हुए हुए दिल के साथ अपनी पॅंटी को नीचे की तरफ सरका दिया. वो मेरी तरफ घूरे जा रहा था. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू.

“वाह भाभी जी आप की छोटी छोटी झाँते क्या मस्त लग रही है आपने तो इन पर डिज़ाइनिंग भी कर रखी है.” उसने खुस होते हुए कहा.

“अब तुमने देख लिया सब कुछ अब मैं अपने कपड़े पहन लेती हू.” कह कर मैं जैसे ही अपनी पॅंटी को हाथ मे लेकर उपर को करने लगी वो बोल पड़ा “भाभी जी अभी कहाँ पूरा दिखाया है आप ने असली चीज़ तो आप ने टेबल की तरफ कर रखी है वो तो मैने देखी ही नही है. आप थोड़ा पलट जाओगे तो वो देखने को मिल जाएगा जिसने मुझे पागल किया हुआ है.

rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:48


मैं तो उसकी बाते सुन कर शरम से ज़मीन मे धँसी जा रही थी. मरती क्या ना करती मैं पलट गयी. मेरा मुँह टेबल की तरफ हो गया और वो पीछे बैठा हुआ मुझे देखे जा रहा था. “देख लिया अब मैं अपने कपड़े पहन लू.” मैने वैसे ही खड़े खड़े उस से पूछा..

“भाभी जी अपने दोनो हाथो से अपने चूतरो को थोड़ा चौड़ा तो करो आप का हसीन छेद दिखाई नही दे रहा है.” उसकी बात सुन कर मुझे बोहोत शरम आ रही थी. मैने अपने दोनो हाथो से अपने नितंबो को खींच कर फैला दिया और उस से पूछा “अब ठीक है अब तो देख लिया.” मैं अभी पूछ ही रही थी कि मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.

वो मेरे ठीक पीछे आ कर बैठ गया था. और अपने हाथो से मेरे दोनो नितंबो को पकड़ कर फैला रहा था. उसके हाथ लगाने से मैं थोड़ा हड़बड़ा गयी जिसकी वजह से मैं गिरने को हुई तो मैने अपने दोनो हाथ टेबल पर टिका दिए जिस कारण मेरे दोनो नितंब और भी ज़्यादा खुल कर उसके सामने आ गये. उसने अपने मुँह से थूक गिरा कर मेरे नितंब छेद गिरा दिया और अपने हाथ से उसे घिस कर छेड़ पर मलने लगा.

“ये क्या कर रहे हो तुम?” मैने गुस्से से कहा..

“कुछ नही भाभी देख रहा था” वो अभी अपनी बात पूरी करता उस से पहले ही मैं उस से गुस्से मे बोली “तुमने वादा किया था कि तुम हाथ नही लगाओगे फिर तुमने मुझे छुआ कैसे”

“भाभी जी दूर से कुछ दिखाई नही दे रहा था और जब पास से देखा तो आप की गांद के बालो ने आप के छेद को ढँक रखा था इस लिए थूक लगा कर उन्हे सही कर रहा था.” वो इतनी गंदी तरह से बात करता कि मैं शर्म से पानी पानी हो जाती..

“अब तो देख लिया अब छ्चोड़ो मुझे और कपड़े पहनने दो.” मैने अपने आप को उससे दूर करने की कोसिस की पर उसकी पकड़ बोहोत मजबूत थी. मैं ज़रा भी हिल डूल नही पा रही थी. मैने अपनी गर्दन घुमा कर देखा तो उसका भीमकाय जैसा लिंग एक दम तना हुआ ठीक मेरे नितंबो के उपर ही था और उसने अपने लिंग पर भी तमाम सारा थूक लगा रखा था.

मैं ये देख कर बुरी तरह से डर गयी की ये क्या कर रहा है. पर इस से पहले की मैं कुछ समझ पाती या कह पाती वो पीछे से मुझसे एक दम चिपक सा गया. उसका तना हुआ लिंग मेरे गुदा छेद से एक दम जुड़ गया. उसने मुझे टेबल पर थोड़ा सा आयेज की तरफ ओर झुका दिया जिस वजह से उसका लिंग एक दम मेरे छेद के अंदर की तरफ होने की कोसिस करने लगा. मैं उसे अपने से दूर करने की कोसिस करने ही वाली थी कि उसने एक ज़ोर दार धक्का मेरे गुदा छेद पर लगा दिया उसके लिंग का सूपड़ा मेरे अंदर घुस गया.

दर्द के मारे मेरी हालत बोहोत बुरी हो गयी थी पर उसने मुझे टेबल पर इस तरह से झुका दिया था कि मैं कुछ नही कर पा रही थी बस दर्द के कारण चीखे जा रही थी…”आआआअहह मार्र गाइिईईईईईईईई निकाआाालल्ल्ल्ल्ल्ल लीईई डीएहहाआटीईई…… मैंन्न्न् मारीइ जाआअ रहियीईईईईईईई हुउऊउउ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ निकलल्ल्ल्ल लूओ ईसीईईई” पर उस समय तो जैसे उसपर भूत सा स्वार था…

“कुछ नही होगा भाभी बस थोड़ा हिम्मत से काम लो बस हो गया” बोल कर उसने अपनी पकड़ मेरे उपर और मजबूत करके एक धक्का और तेज़ी के साथ दिया जिस से उसका आधे से ज़्यादा लिंग मेरे गुदा छेद मे चला गया. मेरी हालत तो दर्द से इतनी खराब हो गयी थी.. कि ऐसा लग रहा था कि मैं अभी मर जाउन्गि.. उस पर उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं हिल डॉल भी नही सकती थी. मैं बुरी तरह दर्द से छटपटा रही थी. और वो मज़े से अपने लिंग को मेरे गुदा छेद मे डाल कर अंदर बाहर कर रहा था. थोड़ी ही देर मैं उसके अंदर बाहर लिंग करने के बाद मुझे कुछ राहत मिली ही थी कि उसने अपना बचा हुआ लिंग भी एक धक्के के साथ अंदर कर दिया. मेरी फिर से दर्द के कारण चीख निकल गयी.

वो अपनी मस्ती मे मस्त मेरे मे आराम से धक्के लगा रहा था. थोड़ी ही देर मे उसके धक्के लगाने से मुझे दर्द कुछ कम हुआ. पर मेरा गुस्सा अब भी बरकरार था. मेरी आँखो मे आँसू आ गये थे. दर्द के कारण जिन्हे मैने खून का घूँट समझ कर पी लिया. थोड़ी ही देर मे उसने अपने धक्को की रफ़्तार तेज कर दी.. जैसे जैसे उसकी रफ़्तार तेज होती गयी मुझे भी मज़ा आने लगा. और मज़े मे होने के कारण मैं उसे और तेज़ी के साथ धक्के लगाने को बोलने लगी..

rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:48


उसने जब देखा कि मैं भी अब मज़े मे आ गयी हू तो उसने अपनी पकड़ मेरे उपर ढीली कर दी और अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को दबा दबा कर सहलाते हुए धक्के लगाने लगा. जिस से मुझे और भी ज़्यादा मज़ा आने लगा.. वो जिस रफ़्तार से तेज़ी के साथ धक्के लगा रहा था उस से हम दोनो की ही साँसे फूल गयी थी. थोड़ी ही देर बाद उसके लिंग ने मेरी गुदा मे अपना सारा लावा उगल दिया.

उस का वीर्य मेरी गुदा से निकल कर मेरी जाँघो पर आने लगा था. वो अब भी मुझसे वैसे ही चिपका हुआ था. जोश का वो तूफान जब थमा और उसके थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया कि मैं ये सब क्या कर रही हू. मैने फॉरन उसे अपने उपर से धक्का देकर दूर किया.

वो मुझसे दूर खड़े हो कर मुस्कुरा रहा था. और उस समय उसकी वो हँसी मुझे किसी दुश्मन की जीत हासिल करने वाली हँसी से कम नही लग रही थी. मैने टेबल से जल्दी से अपने कपड़े उठाए और उन्हे पहनने लगी इस से पहले कि वो कुछ और हरकत करता, मैने अपने कपड़े जल्दी से पहन लिए. कपड़े पहनते के साथ ही मैं उस से बोली कि “अब अपने मोबाइल से चुप-चाप मेरी फोटो डेलीट करो.”

“हहे… कॉन सी फोटो भाभी जी मेरे मोबाइल मे तो कोई फोटो नही है” उसने वैसे ही अपने दाँत फाड़ते हुए कहा.

इस बार उसकी बात सुन कर मुझे बोहोत तेज गुस्सा आ गया. “देख देहाती सीधे तरीके से अपपने मोबाइल से मेरी फोटो डेलीट कर दे वरना अच्छा नही होगा”

“भाभी मैं आप से झूठ कैसे बोल सकता हू आप ने तो अभी अभी अपनी गांद मरवा कर मुझे वो तोहफा दिया दिया है की उसके बदले आप जो चाहे वो माँग सकते हो मुझसे एक मिनट रूको..” बोल कर वापस अपने बेड की तरफ मूड गया. और अपने बॅग मे कुछ ढूँढने लग गया. उसकी बात सुन कर मैं अपने आप को एक दम ठगा सा महसूस कर रही थी. कि किस तरह से उस देहाती ने मुझे बना कर मेरे साथ…

उसने अपने बॅग मे से एक बॉक्स सा निकाला और उसे खोल कर मेरे करीब आ कर मुझसे बोला..”आज आप को मैने पूरी तरह से औरत बना दिया है. मनीष भैया से आप की शादी ज़रूर हुई थी पर एक लड़की को औरत बनाने के लिए पति को उसकी चूत के साथ-साथ गांद भी मारनी होती है. अब मनीष भैया ने आप की चूत मार कर आप को आधी औरत तो बना दिया पर आप की गांद छ्चोड़ दी थी. पर आज आप की गांद मार कर मैने आप को पूरी औरत बना दिया. मेरे लंड ने तुम्हारी गांद पर अपनी मोहर लगा दी है. ये देखो तुम्हारा खून.” जैसे ही उसने खून बोल कर इशारे से मुझे ज़मीन पर देखने को कहा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. ज़मीन पर सच मे खून के निशान बन गये थे. “तुम्हारी गांद मार कर तुम्हे औरत बनाने के हिसाब से मैं तुम्हारा पति हुआ इस लिए अपने इस पति की तरफ से ये लो…” बोल कर उसने उस बॉक्स मे से सोने की एक चैन मेरी तरफ बढ़ा दी.

एक तो मैं पहले से ही गुस्से मे थी उपर से अपना खून और उसकी इस हरकत से मैं और भी ज़्यादा गुस्सा मे आ गयी.. “शकल देखी है अपनी आयने मे. कह कर मैने उसके बढ़ाए हुए हाथ को झटक दिया जिस वजह से वो चैन उसके हाथ से झटक कर दूर जा गिरी. “अपनी ये बेकार की बकवास अपने ही पास रखो समझे कि नही. मुझे अच्छे से पता है कि तुमने अपने मोबाइल मे मेरी फोटो खींची है अब सीधी तरह से अपने मोबाइल से मेरी फोटो डेलीट कर दो..”

“सच कह रहा हू भाभी मैने आप की कोई फोटो नही खींची है. मैने तो आप से वैसे ही कहा था कि मैने आप की फोटो मोबाइल मे ले ली है पर सच मे भाभी अब से पहले मैने आप की फोटो नही ली थी.” कहते हुए वो उसने उस गिरी हुई चैन को उठाया और मुस्कुराने लगा.

“अब से पहले…” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से चौंक गयी.. “क्या मतलब है तुम्हारा… ?”

“वही जो तुम ने समझा है भाभी..” कह कर वो फिर से अपनी बत्तीसी दिखाने लग गया. “आप के यहाँ पर आने से लेकर आप के ये मेक्शी पहन ने तक की सारी फिल्म बना ली है मैने.” कह कर उसने अपने हाथ मे लगे मोबाइल को चालू कर दिया. उस मोबाइल मे सच मे उसने इस पूरे सीन को रेकॉर्ड कर लिया था. जिसमे मैने अपने हाथो से ही अपने कपड़े उतारे थे.

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वर्तमान मे............................
“क्या हुआ भाभी कहाँ खो गयी.. आज भी वो फिल्म मेरे पास रखी हुई है आप की निशानी के रूप मे सोचो कि अगर वो फिल्म गाँव मे किसी ने देख ली तो.. बाबू जी तो किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहेगे कि उनकी पढ़ी लिखी बहू…” उसने अपनी बात अधूरी छ्चोड़ दी क्यूकी उसकी पूरी बात का मतलब सॉफ था.

“देखो तुम ऐसा कुछ नही करोगे..” मैने घबराते हुए उस से कहा.

“तो भाभी उस रात जैसे आप पूरी नंगी हो कर अपनी जवानी का जलवा दिखाए थे वैसे ही आज भी दिखा दो..”

उसकी बात सुन कर मैं एक दम शरम से पानी पानी हो गयी. पर इस समय वो मुझसे जिस तरह की बात कह रहा था वो मेरे लिए नामुमकिन था और दूसरा मुझे अंदर कॉन है ये जान ने की उत्सुकता ज़्यादा थी. “देखो उस रात जो हुआ सो हुआ उस रात की बात अब दोबारा करने की कोई ज़रूरत नही है. और मुझे ये बताओ कि सुजाता के साथ अंदर कॉन है..”

वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया और कुछ सोचते हुए मेरे पास आ कर बोला कि “मैं क्या बताऊ.. आप मेरे साथ आ जाओ मैं आप को सब दिखा देता हू. इधर से कुछ भी नही दिखाई देगा आप को सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाता हू.. हहे” बोल कर उसने अपने दाँत फाड़ दिए.
क्रमशः................

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