तड़पति जवानी
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मैं उस से कुछ कहती इस से पहले ही अंदर से उस लड़के की आवाज़ जो मुझे काफ़ी परेशान कर रही थी वो समझ मे आ गयी और अगले ही पल उसका चेहरा भी दिख गया. ये मेरा देवर विकास था. जो सुजाता के साथ था. मैने एक नज़र सामने देखा और पलट कर वापस अमित की तरफ देखा वो मेरे चेहरे पर हेरनी के भाव देख कर मुस्कुरा रहा था. “ये…. ये तो विकास है ये सुजाता के साथ क्या कर रहा है..” मैने हैरान होते हुए उस से पूछा.
“तो आप को क्या लगा था कि कॉन होगा.. अपने विकास भाई का मन आ गया था इस सुजाता पर कयि दिनो से बोल रहे थे कि कोई जुगाड़ करवा कर इसकी चूत दिलवा दे” उसने मुस्कुराते हुए कहा.
विकास को देख कर मेरा दिमाग़ खराब हो गया था. मुझे लगा था कि कोई और होगा पर विकास होगा ये मैने कभी नही सोचा था.
“ले पकड़ ना ऐसे क्या शर्मा रही है.. रोज़ तो मेरा देखती थी पीनू की छत पर आ कर नहा ते हुए जब मैं अंडरवेर बदल रहा होता था अब जब तेरे सामने है तो शर्मा रही है.. ले पकड़ कर देख तेरा ही है.. पकड़ ना..” अंदर से आती हुई आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान वही की तरफ कर दिया मैने अंदर देखा तो विकास ने अपनी पॅंट उतार दी थी और अपना लिंग सुजाता के हाथ मे पकड़ा रहा था. विकास का लिंग भी अमित के भीमकाय लिंग जैसा ही था. अमित का लिंग जहाँ एक दम सीधा था वही विकास का लिंग थोड़ा टेडा था.
सुजाता ने विकास के लिंग को देख कर हैरान होते हुए कहा. “ये तो बोहोत बड़ा है.”
“अरे मेरी रानी बड़ा है पर तेरा है और बड़े लंड से चुदवाने का जो मज़ा है वो तो अलग ही है. अब जल्दी से इसे अपने मुँह मे लेकर थोडा गीला कर दे और अपनी सलवार खोल ले.. इस से पहले की कोई आ जाए हमे अपना काम ख़तम कर लेना चाहिए.” कह कर विकास ने उसके कंडे पर हाथ रख कर नीचे की तरफ बैठा दिया.
मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था कि विकास इस तरह की कोई भी हरकत कर सकता है. क्यूकी जिस तरह से वो रहता था और बात करता था उससे कभी ऐसा महसूस नही हुआ कि वो इस तरह की भी हरकत कर सकता है और अब तो इसकी शादी हो रही है और ये यहाँ पर सुजाता के साथ.. किसी ने देख लिया तो कितनी बदनामी होगी हमारी.. मैं अभी सोच ही रही थी कि अमित का हाथ अब धीरे धीरे करके मेरे पेट के उपर घूमने लग गया. मैं वापस उसकी तरफ गुस्से से पलटी पर वो तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराए जा रहा था. उसको मुस्कुराता हुआ देख कर मेरा खून जला जा रहा था.
“अपनी औकात मे रहो और खबरदार जो अब की बार मुझे छूने की कोसिस भी की तो” मैने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा. उसकी तरफ गुस्से से पलटी पर वो तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराए जा रहा था.
“क्या हुआ भाबी उस रात तो आप कैसे मज़े ले रही थी मेरे छुने से.. अब फिर से इतने भाव क्यू खा रही हो?” उसने फिर से अपने दाँत फाड़ते हुए कहा.
“शकल देखी है अपनी कभी.. सुबह ब्रश किया था क्या दांतो पर.... आक्च्युयली क्या है कि दांतो का पीला पन ओर बदबू यहाँ तक आ रही है..इसलिए फॉरन मुँह बंद करो नहीं तो एक ही घूँसे मे पूरे दाँत बाहर निकाल दुगी.” मैने गुस्से से कहते हुए वापस उसके हाथ जो मेरे पेट पर चल रहे थे उन्हे दूर झटक दिया.
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मैं अभी खड़ी ही हुई थी कि नीचे से मनीष की आवाज़ आती हुई सुनाई दी वो भी शायद छत पर ही आ रहे थे. मेरा तो दिल ही बैठा जा रहा था पता नही क्या होगा. पर अमित को तो जैसे इस से कोई फरक ही नही था वो अपनी ही धुन मे मस्त बत्तीसी फाड़ते हुए बोला..
“भाभी अब भी आप के वो मज़े लेने वाली यादे मेरे पास है.. आप यकीन नही करोगे कि ऐसी कोई रात नही है आप के घर से वापस आने के बाद जब मैने आप को ना देखा हो. और आज भी आप को याद ही कर रहा था कि आप सच मे आ गयी.”
वो जो बोल रहा था उस समय उस से ज़्यादा मुझे नीचे से उपर की तरफ आते हुए मनीष की चिंता हो रही थी मेरा दिल बार बार इस बात को लेकर बैठा जा रहा था कि मनीष मुझे ढूँढते हुए तो नही आ रहे है.? कही किसी ने मुझे छत पर आते हुए तो नही देख लिया था और मनीष को बता दिया हो कि मैं छत पर ही हू… हाय राम……. क्या करू मैं…. अगर मनीष ने मुझे यहाँ इस हालत मे देख लिया तो… नही… मेरा दिल बुरी तरह से घबरा रहा था और इधर ये अमित मुझे चैन नही लेने दे रहा था. मेरी हालत इस समय बोहोत बुरी तरह से खराब होती जा रही थी डर के मारे मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीगा जा रहा था.
“ढंग से चूस ना पूरा मुँह मे ले कर इतनी हड़बड़ा क्यू रही है ?” अंदर से आती हुई आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान उस तरफ खींच लिया. विकास ने अपनी पेंट के साथ अपनी शर्ट भी उतार दी थी और सुजाता के सर पर हाथ रख कर उसके सर को अपने लिंग पर दबा रहा था.
अब मुझे विकास की भी चिंता होने लगी की कही मनीष ने विकास को देख लिया तो.. विकास मनीष की बोहोत इज़्ज़त करता था और मनीष भी उसे बोहोत प्यार करते थे पर अगर मनीष ने उसे इस तरह देख लिया तो.. एक बार को तो मेरा मन किया कि मैं आवाज़ लगा कर विकास को बता दू की मनीष आ रहे है पर फिर मैने अपने आप को समझाते हुए चुप ही रहने का फ़ैसला किया और मन ही मन मनीष के वापस नीचे जाने की दुआ माँगने लग गयी. थोड़ी ही देर मे मनीष भी छत पर ही आ गये वो शायद किसी से फ़ोन पर बात कर रहे थे.
उन्हे छत पर फ़ोन पर बात करते हुए देख कर मैने राहत की एक साँस ली पर जिस तरह से वो छत पर टहल रहे थे उसे देख कर तो मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी बार बार मेरा दिल ये सोच कर घबरा रहा था कि कही मनीष इस तरफ ना आ जाए.. मैं अभी सोच ही रही थी कि अमित ने फिर से अपनी लिंग को मेरे नितंब पर दबाना शुरू कर दिया. मैं पूरी तरह से दीवार से सॅट कर खड़ी थी अगर थोड़ा और आगे की तरफ होती तो जो कंडे रखे हुए थे वो विकास की तरफ गिरना शुरू हो जाते और अगर अमित को कुछ करने से रोकती तो मेरी आवाज़ सुन कर मनीष वहाँ आ जाते इस लिए मैने खामोश रहना ही ठीक समझा..
वो अपने लिंग का दवाब मेरे नितंब पर बढ़ाए चला जा रहा था. जिस वजह से मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. इधर आँखो के सामने सुजाता विकास के लिंग को मुँह मे लेकर आराम से चूसे जा रही थी. और विकास उसके सर पर हाथ फिरा कर उसे और और तेज़ी के साथ लिंग चूसने का इशारा कर रहा था.
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मैं अभी अंदर ही देख रही थी कि मनीष फ़ोन पर बात करते हुए हमारी ही तरफ आ ने लग गये. मेरा दिल इस समय जैसे जेट विमान की रफ़्तार से भी तेज चल रहा था. उस पर अमित ने पीछे से ही अपने हाथ आगे की तरफ बढ़ा कर मेरे उरोजो पर टिका दिए. मैने उसके हाथ हटाने की कोसिस की पर उसकी पकड़ बोहोत मजबूत थी और ज़्यादा शोर या कुछ ऐसी हरकत मैं अभी कर नही सकती थी जिसकी वजह से आवाज़ हो और मनीष हमारी तरफ आए.
उपर वाले को भी शायद मेरी हालत पर रहम आ गया था कि अंदर से विकास और सुजाता की आवाज़ आनी बंद हो गयी थी. मेरी नज़र सामने की तरफ गयी तो विकास और सुजाता दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे. इधर अमित के हाथ मेरे उरोजो को हल्के हल्के मसलने लग गये जिस की वजह से मैं भी मचलने लग गयी थी. वो बोहोत ही होल होल मेरे उरोजो को दबा रहा था और पीछे की तरफ से उसका लिंग मुझे मेरे नितंब के अंदर घुसता हुआ महसूस हो रहा था.
उसने हल्के हल्के उरोजो को दबाते हुए मेरे लेफ्ट निपल को अपने हाथ मे ले कर मसलना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मैं और भी ज़्यादा उत्तेजित होती जा रही थी उसने हल्के हल्के निपल को दबाते हुए ही अचानक से कस कर बुरी तरह से दबा दिया मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. मुझे उस पर गुस्सा तो बोहोत आया पर मैं उस वक़्त बोहोत लाचार और मजबूर थी. क्यूकी उस वक़्त की गयी कोई भी ऐसी वैसी हरकत मुझे पूरी तरह से बर्बाद कर सकती थी इस लिए मैने चुप चाप दर्द बर्दाश कर लिया अपने दोनो हाथो से उसके हाथ को कस कर पकड़ लिया.
मेरे हाथ पकड़ लेने से वो भी एक दम रुक गया और अपना मुँह पीछे से ही मेरे कान के पास ला कर बोला.
“क्या हुआ भाभी मज़ा नही आ रहा क्या.?” चलो मेरे घर पर चलते है वहाँ कोई भी नही है. मा इस वक़्त आप के घर पर ही है.” कह कर उसने मेरी गर्दन को चूमा और फिर मेरे कान को चूसने लग गया. वो जैसे ही अपना मुँह मेरे कान के पास लाया और उसकी गर्म साँसे मेरे कान से टकराई मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनई सी दौड़ गयी. मेरी दोनो टाँगो मे बुरी तरह से कंपन होने लग गया.
“क्या हुआ भाभी मज़ा नही आ रहा क्या.?” चलो मेरे घर पर चलते है वहाँ कोई भी नही है. मा इस वक़्त आप के घर पर ही है.” कह कर उसने मेरी गर्दन को चूमा और फिर मेरे कान को चूसने लग गया. वो जैसे ही अपना मुँह मेरे कान के पास लाया और उसकी गर्म साँसे मेरे कान से टकराई मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनई सी दौड़ गयी. मेरी दोनो टाँगो मे बुरी तरह से कंपन होने लग गया.
मुझसे उस समय ना तो कुछ सोचते ही बन रह था और ना ही कुछ करते बन रहा था. करती भी तो क्या करती बाहर मनीष खड़े हो कर फ़ोन पर बात कर रहे थे और अंदर विकास सुजाता के साथ था. उसकी निकलती हुई गरम गरम साँसे जैसे मेरे कान पर महसूस हो रही थी मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. जिस वजह से मेरे हाथो की पकड़ उसके हाथो पर ढीली हो गयी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि कैसे खुद को इन सब से आज़ाद करू.
मनीष बात करते हुए अब और भी ज़्यादा नज़दीक आ गये थे. उनकी आवाज़ इतने नज़दीक से सुन कर मेरी तो जैसे जान ही निकलती जा रही थी. उसने अपने हाथ मेरे उभारो से हटा कर मेरी कमर पर चलाने शुरू कर दिए थे और बराबर मेरे कानो को चूसे जा रहा था. उसके कानो को चूसे जाने से और मेरी बेबसी को महसूस करते हुए मैने अपनी आँखे बंद कर ली और उपर वाले से सब कुछ सही होने की दुआ करने लग गयी. मनीष अब भी वही खड़े हुए थे.
क्रमशः................