नेहा और सीमा की तबीयत रंगीन--1
जिस सहर मैं रहता हू वो बहुत ही छोटा सहर है. सहर का पूरा मार्केट एक ही जगह है. हमारे देश के बड़े बड़े नेता जब यहा आते हैं तो यहाँ की फ़िज़ा देख कर उनकी तबीयत रंगीन हो जाती है. एक बड़ी सी झील सागर सहर को बहुत खूबसूरत बनाती है. छोटे सहर मैं चुदाई का मौका बहुत कम मिलता है. सागर वैसे भी बहुत सेक्सी लॅडीस से भरा पड़ा है.
मैं उस समी करीब 20-22 साल का रहा हूँगा जब यह सब कुछ हुआ. अब मैं 28 मे चल रहा हू और रोज बढ़िया चुदाई करता हू. हमारे सहर मैं तीन बत्ती के पास एक दुकान है उसका नाम है "शंकर जनरल स्टोर्स" वहाँ पर लॅडीस के अंडर गारमेंट्स, कॉसमेटिक्स आइटम्स और जेंट्स अंडरगार्मेंट्स आछे मिलते हैं मैं वही से अपनी चड्डी बनियान और अखाड़े के लिए लंगोट भी लेता था. वो एक सिंधी की दुकान थी.
एक बार मैं उस दुकान पर अपनी चड्डी बनियान लेने गया. कुछ लॅडीस भी अपना समान ले रही थी. मैने अपनी चड्डी बनियान और लंगोट ली. और उसी दुकान से एक कॉंडम का पॅकेट भी खरीद रहा था. मेरे साइड मे दो औरते करीब 30-32 साल की और उनके साथ एक लड़की 25-26 साल की बड़ी ही गदराई जवानी थी उन तीनो की. औरते तो शादीशुदा थी लड़की की शादी नही हुई थी. जब मैं कॉंडम खरीद रहा था तो मैने दुकान दार से कहा कि बड़ा साइज़ वाला और मजबूत देना प्रेशर मैं फट जाता है. मेरा इतना कहना था कि उन तीनो लॅडीस का ध्यान मेरी तरफ चला गया और जब मैने उनकी और देखा तो वो कुछ शरमाते हुए मुस्कुराने लगी. तभी वो कुछ शेविंग क्रीम और एक मर्दों की शेविंग रेज़र, सेसर खरीद ने लगी. तो मुझे कुछ अजीब सा लगा कि यह औरत मर्दों का समान क्यों खरीद रही है. मैने कौतूहल वस पूछा कि क्या मैं जान सकता हू कि आप लोग यह शेविंग क्रीम और शेविंग का समान क्यों खरीद रही है. इस पर वो ज़ोर से हस पड़ी. तो मैं चुपचाप अपना पेमेंट कर वाहा से चलने लगा. मैं दूसरा समान खरीदने लगा. थोड़ी देर बाद भीड़ मैं किसी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे एक तरफ खीच लिया. जब मैने उसकी तरफ नज़र डाली तो देखता हू कि यह तो उन्ही तीन लॅडीस मे से एक लेडी है. मैं पहले तो घबरा गया. फिर मैं हिम्मत जुटाते हुए बोला कि तुम क्या चाहती हो. तो वो बोली" तुम्हारी शादी हो गई'. मैने कहा नही हुई. उसने कहा तुम पूछ रहे थे कि "शेविंग का समान हम क्यों खरीद रहे हैं: जानना चाहते हो तो इस पते पर सॅटर्डे की दोपहर मैं आ जाना" इतना कहती हुई वो एक विज़िटिंग कार्ड मेरे को थमा कर भीड़ मैं गुम हो गई.
मैं सॅटर्डे को उसके घर पहुचा उसके बताए हुए टाइम पर. बेल जैसे ही बजाई अंदर से उसी औरत की आवाज़ सुनाई दी "दरवाजा खुला है आ जाओ". मैने जैसे ही दरवाजे को धकेला तो वो खुल गया मैं अंदर पहुचा तो उसने सेक्सी मुस्कुराहट से मेरा स्वागत किया. वो पीले रॅंड की शॉडी पहनी हुई थी और साड़ी टूडी के नीचे से बाँधी थी उसके दूध बड़े बड़े थे. उसने मुझे ड्रवोयिंग मैं बिठाया और वो कहने लगी मैं अभी आई. आप क्या लेंगे चाइ कॉफी ठंडा या कुछ स्ट्रॉंग मैने कहा चाइ वो बोली ठीक है.
जाकर पहले मैन डोर लॉक किया और किचन मैं चली गई. सेंटर टेबल पर एक इंग्लीश फेमिना मॅग्ज़ाइन पड़ी थी मैं उसके पन्ने पलटने लगा. वो तुरंत ही किचन से दो कप चाइ के साथ लौट आई. उसनेचाइ की ट्रे लेमेरी तरफ झुकते हुए अपनी दोनो गोलाईयो के दर्शन कराते हुए टेबल पर रख दी. और एक कप उठाकर मेरे तरफ बढ़ाया ' लीजिए" मैने उसके हाथो को पहली बार छुआ और लंड मैं हलचल शुरू हो गई. वो अपनी चाइ लेकर उसी सोफे पर जिस पर मैं बैठा था थोड़ी दूर बैठ गई. मैने उसका नाम पूछा तो उससने सीमा बताया. हम दोनो हल्की बाते करते रहे जिससे हम दोनो थोड़े सहज हो गये. मैने उसका हाथ अपने हाथ मैं लेकर कहा कि आप बहुत ही सुंदर और सेक्सी लगती है. इस पर वो शर्मा गईऔर मेरे स्पर्श का असर उसके गालों पर दिखने लगा था. मैने उसके हाथ पर अपना हाथ फिराते हुए उसके कंधे तक ले गया जिससे वो कुछ सिहरने लगी थी मैने समझ लिया थी कि वो अब चुंबन के लिए तैय्यार है तो मैने उसको खड़ा किया और अपनी बाहों मे लेकर उसके गालों पर प्यार भर चुबन दिया और उसको अपनी बाहों मे जोरों से कस लिया उसकी आँखो मे आँखे डाले देखता रहा. और ऐसे मैं उसके दूध बहुत कड़े थे जो मेरी छाती से चिपके थे और उसकी चूत पर मेरा कड़ा हल्लाबी लॉडा चिपका हुआ था साड़ी के उपर से. मैने मौका देखा और उसके होंठ चूसने लगा. लंबी फ्रेंच किस के साथ साथ मैं उसकी पीठ और साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांद सहला रहा था. वो पहले तो रेज़िस्ट कर रही थी फिर मेरी बाहों मे मोम की तरह पिघलना शुरू कर दी. मैने कहा तुम्हारे दूध तो बड़े सेक्शी है और कहते हुए ब्लाउस के ऊपर से ही उनको लिक्क करने लगा वो ब्रा नही पहनी थी. मेरे होंठ उसके बूब्स पर टच होते ही उसकी सिसकारी निकलने लगी. मैं एक हाथ से उसका एक दूध दबा रहा था और एक हाथ उसकी प्यारी चूत पर फिरा रहा था. साड़ी के ऊपर से चूत पर हाथ फेरने मे इतना मज़ा आ रहा था तो नंगी चूत पर जब मैं हाथ फेरूँगा तो कितना मज़ा आएगा यह सोच कर मेरी उत्तेंजना और बढ़ गई. मैने कहा "सीमा डार्लिंग तुम वो शेविंग के समान के बारे मैं बताने वाली थी". बोली "जन्नू देव बेडरूम मे चलकर बताती हू" मैने उसको अपनी बाँहो मैं उठाकर उसको बेड रूम तक ले गया वो मेरी बाहों मैं थी तो उसके दूध मेरी छाती से चिपके थे. मेरा हल्लाबी लॉडा बहुत कड़क हो रहा था. मैने उसको ले जाकर पलंग पर लिटाया और उसको सिर से लेकर पेर तक चूमा फिर पेर से धीरे धीरे अपनी जीव ऊपर की ओर फिराता हुआ उसकी साड़ी ऊपर खिसकाने लगा उसकी टांगे बिल्कुल मखमली थी और एक अजीब से खुसबू उस्मै से आ रही थी. मैं साड़ी उसकी जाँघो तक उठा चुका था और मैं उसको तरसाना चाहता था तो मैं मूह जाँघ से ऊपर उठा कर उसकी टूडी पर ले आया और टूडी के गद्दे के चारो और अपनी जीव की नुक को गोल गोल घूमने लगा और काबी अपनी जीव उसकी गद्दे मई डाल दिया. एक हाथ से मैं उसके दूध मसल रहा था. मेरी इस हरकत से वो काफ़ी गरमा गई थी.
मैने कहा सीमा डार्लिंग बताओ तुम क्यों वो समान खरीद रही थी. बोली पहले कपड़े तो उतारो. तो मैने उसकी साड़ी खोला फिर पेटिकोट. वो चड्डी काली कलर की पहने हुए थी जो चूत के पास काफ़ी गीली थी. मैने कहा क्या तुमने मूत लिया बोली नही डियर मैने इतनी देर मे दो बार पानी छोड़ दिया है मैं उसकी पॅंटी की लाइन्स पर उंगली फिरा रहा था जिससे वो मछली की तारह तड़पने लगी थी बोली जानी जल्दी करो मैं बहुत भूकि हू बहुत पयासी हू मैने कहा पहले वो राज बताओ बोली की देखो और उसने तुरंत झटके से अपनी चड्डी उतार दी बोली लो जान लो राज. वाह क्या एक दम सफ़ा चट बड़ी सावली सी चूत और उसपर उसका तना (क्लिट) सॉफ नज़र आ रहा था मैं उसकी चूत की खूबसूरती को देखता ही रह गया. मेरे से बर्दास्त नही हो रहा था मैने उसके पेर फैलाए और उसकी बुर के किनारो पर उसको चूमना चाटना शुरू कर दिया. सीमा दोनो हाथो से मेरे सिर को अपनी बुर् पर दबाने की कोशिश कर रही थी साथ ही साथ अपनी टाँगो को भी सिकोड कर मुझे अपनी बुर पर खिचना चाह रही थी. पर मेरी मजबूत पकड़ के कारण वो ऐसा करने मैं अपने को असहाय महसूस कर रही थी.
मैं अब उसकी बुर का मैन दरवाजा और क्लिट बारी बारी चूस-चाट रहा था वो तड़प रही थी. सीमा कह रही थी आहह रजाआआआ सीईईईईईईईईई यह क्या हो रहा हाईईईईईईईई. मेरे बदन मैं तुमने सालों बाद आग लगा दी हाईईईईईईई हयययययययययययययी अप्प्प क्या होगाआआआआआआ शियैयीयी कहती हुई उसकी बुर झार गई मैं उसका पूरा रस पी गया मैने उसकी बुर चटाना चालू रखा वो जल्दी गरम हो गई. अब वो चुदसी थी मैने अभी अपने पूरे कपड़े पहने थे जबकि वो सिर्फ़ ब्लाउस पहने थी उसने अपना ब्लाउस खुद खोला और कहने लगी राजा अपना वो एक्सट्रा लार्ज कॉंडम वाला लंड तो दिखाओ मैं उसी दिन से हज़ारो वार तुम्हारे लंड के लिए उंगली कर चुकी हू हे जल्दी करो. मैने कहा यह शुभ काम तुम खुद करो पर एक शर्त है बोली मुझे शर्ते सभी मंजूर है जल्दी करो मैं उसके बगल मैं लेट गया और वो मेरे कपड़े उतारने लगी जैसेही उसने मेरे हल्लाबी लंड के दर्शन किए वो मूह पकड़ कर चिल्ला उठी है हिया इतना मोटा और लंबा मैं तो मर जाऊंगी. मैने कहा पहले इसे प्यार तो करो मेरा लॉडा उसकी चूत और उसके मुम्मो को सलाम कर रहा था. वो मेरा लॉडा खाने लगी और बेतहासा चूसने लगी. मैने कुछ देर उसके मम्मो के साथ खेला और सीमा की चूत को अपनी मूह मे ले लिया हम दोनो 69 मेहो गये थे. सीमा की बुर मे सौच मूच मे आग लगी हुई थी. उसका डाइवोर्स हुए 3 साल हो गये थे तब से उसकी चुदाई नही हुई थी. मैं जिस स्टाइल से चूत चाट रहा था बोली मेरे पहले पति मनोज भी इसी तरह से चूत चाटते थे पर इतनी महारत उनमे नही थी जितनी तूमम मे है तुम तो आग ही लगा दिए हो मेरे शरीर मे. अब तो जल्दी से चोदो.
मैने उसको लिटाया पीठ के बल और उसकी दोनो टांगे फैला दी और उसकी बुर मे कुछ देर उंगली करी उसकी चूत उसके ही पानी से काफ़ी तर थी मैने अपना हल्लाबी लॉडा अपने हाथ मे लेकर उसके दरवाजे से टीकाया और उसकी बुर पर हल्के हल्के फेरने लगा वो और गरमा गई और थोड़ा यौबान रस छोड़ने लगी और बोली आप पेल दो नही तो मर जाऊंगी मैने उसकी दोनो टाँगो को उसकी छाती की तरफ मोड़ा जिससे उसकी बुर खुल गई और लंड उसके लव होल पर टीका कर बड़े प्यार से धीरे धीरे अंदर सरकाने लगा जैसे-जैसे मैं अंदर सरकाता पहले तो वो चीखती हाई मैं मर गई और दूसरे ही पल कहती देव तुम तो मास्टर हो चुदाई मे मज़ा आने लगा ऐसा कहती अभी मेने 1 इंच ही पेला था 6.6. इंच बाहर था मैं ऐसे मे ही उसको हल्के हल्के धक्के लगाने लगा जिससे वो दर्द और मज़ा दोनो के मिले जुले भावों के समुंदर मैं तैरने लगी जैसे ही मस्त होती मैं 1-1 इंच सरकाता गया लगभग 5 इंच घुसाने के बाद मैं उसके मम्मो को चूसने लगा और एक हाथ से उनको मसल्ने लगा वो दर्द मे छटपटा रही थी मेरे हल्लाबी लौडे ने उसकी बुर का भोसड़ा बना दिया था मैं जोरो से उसके निप्पल्स चूसने लगा थोड़ी देर मैं वो सहज हो कर मज़ा लेने लगी और अपनी कमर हिलाने की कोशिश करने लगी मैने अपने होंठ उसके होंठो पर रखे और पूरी ताक़त से पूरा हल्लाबी लॉडा उसकी बुर मे पेल दिया और तबाद तोड़ धक्के मारने लगा मैं उसकी कमर भी जोरो से पकड़े था जिससे वो हिल नही पा रही थी और होंठ दबाए था चिल्ला नही पा रही थी सिर्फ़ आँखू से आँसू बह रहे थे कुछेक धक्के मार कर मैं थम गया और लॉडा थोड़ा बाहर खींच कर उसकी बुर पर मालिस करी हाथ से और उसकी चुचियों को चूसने लगा जैसे ही उसके होंठ फ्री हुए बोली अपना मूसर जैसा लंड बाहर निकालो मैं मर जाऊंगी मैं उसके मम्मो को चूस रहा था और दबा रहा था साथ ही साथ उसकी चूत पर मालिश भी कर रहा था जिससे वो जल्दी ही तैश मैं आ गई. और बबाड़ाने लगी, हाई राजा सही मायने मे मुझे आज मर्द ने चोदा है चोदो राजा फ़ाआआआद दो मेरी चूवततत्त को यह तुम्हारी हाईईईईईईईई तुम्ही हो लंड बहादुर्र्र्ररर बाकी तो सब गॅंडोवावू हाईईईई चोदो मैने उसको चोदना जारी किया वो मेरे हर धक्के का जवाब नीचे से देने लगी थी मैने अपनी स्पपीड़ बड़ा दी तो बहुत उछल उछल कर चुदाई करवाने लगी हाई राजा मारूऊओ. इस मदर्चोद चूत ने कई गाजर, मूली बेगान खाए है इन 3 सालो मे सही इसकी खुराक आज मिली हाईईईई.... हाईईइ चोदो राजा तुमको पता है औरत की क्या खुराक है " मैने कहा हाअ; बोलो तो बताओ मैने कहा" चूत भर लंड तभी दूर हो चूत की ठंड ले रंडी और ले............ और लीईईईईईई सीमा बोली हाअ राजा ऐसे हैई और तेजज़्ज़्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज हाईईईईईईईईईईई मैं आअनी वाली हूऊऊओ ही ..........शीयी... सीईईईईईईईईईईईईईईईई.. आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैं गैईईईईईईईई और उसकी गर्दन एक तरफ लूड़क गई उसने बहुत सारा पानी छोड़ा मैं उसको तूफ़ानी रफ़्तार से चोद रहा था लेकिन मैं झरने का नाम ही नही ले रहा था. मैने उसको कहा कि मैं वैसे भी लेट झरता हू और जब मैं चाहु तब झरता हू पर आज तो बात कुछ और ही हाईईइ तुम्हारी चूत मे तो बहुत रस है मेरे लौडे को बहुत पसंद आई तुम्हारी चूत... ले और ले मैं जोरो से उसे आसान बदल कर चोद रहा था जब उसकी चूत 3-4 बार झाड़ चुकी तो बोली देव मुझे आराम करने दो तुम अभी नही झरोगे क्योनि की मैने चाइ मे दवा मिला दी थी......... मुझे गुस्सा आ गया उसकी इस बात पर मैने पास पड़ी उसकी साड़ी उठाई उसके दोनो हाथ उसके पीठ पर बाँध दिए. सीमा कहने लगी यह क्या कर रहे हो मैं बोला बिल्कुल चुप. फिर उसकी साड़ी फाड़ कर उससे उसका मुह बाँध दिया अब उसके दोनो पेर और बाँधने थे मैने पलंग के पाए से उसके दोनो पैर बाँध कर उसको पलंग पर झुका कर बाँध दिया. उसकी छाती के नीचे तकिया लगा दिया. मैं बहुत गुस्से मे और मेरा लॉडा उससे भी ज़्यादा गुस्से मे था. मैने कहा अरी मदर्चोद बता क्रीम कहा रही है तो उसके इशारे से ड्रेसिंग टेबल की तरफ बताया मैं पॉंड्स क्रीम की पूरी बड़ी बॉटल उठा लाया और उसकी गांद जो की कुँवारी थी उस पर लगाया वो चीखना चाहती थी और हाथ पाव पटकना पर बँधी होने के कारण ऐसा नही कर पा रही थी मैने उसकी गांद के छोटे से छेद मे आधी से ज़्यादा पॉंड्स कीम की डिब्बी से क्रीम भर दी और अपने लंड पर भी खूब लगाई फिर कमरे मे इधर उधर नज़र दौड़ाई तो एक गोल डंडा पड़ा मिला पहले मैने वो डंडा उसकी गांद मे डाल कर उसको दही जैसा माथा फिर अपनी उंगलिओ से माथा जिससे थोड़ा छेद खुल सा गया मैने फिर उसके कानो मे कहा रे मदर्चोद अब तेरी गांद मारी जाएगी यह तेरी सज़ा है वो रो रही थी मैने आव-देखा-ना-ताव और अपना लंड उसकी गांद की छेद पर टीकाया और थोड़ा सुपरा अंदर किया वो अपना सिर बिस्तर पर पटक रही थी छटपटा रही थी कुछ देर मैं ऐसे ही रहा फिर थोड़ा आगे पीछे हिलता हुआ पूरा का पूरा लॉडा एक ही स्ट्रोक मे उसकी गांद की जड़ तक घुसेड दिया और जबरदस गांद मराई शुरू कर दी वो छटपटा रही थी और मैं उसकी कमर को थामे धक्के लगा रहा था फिर मैने उसके मम्मो को अपने कब्ज़े मे किया और उनको जोरो से मसलने लगा मैं जोरो से उसकी गांद मार रहा था उसकी गांद से खून बह रहा था मैं ने उसपर कोई रहम नही किया और लगा रहा जब मुझे लगा कि अब मैं झरने के करीब हू तो मैने उसकी बुर मे लॉडा पेल दिया और तबाद तोड़ धक्के मारे. मैं झाड़ा साथ ही साथ उसकी बुर भी झरी मैने अपना लॉडा वैसे ही पोज़िशन मे उसकी बुर मे रखा और उसको कहा देखो सीमा रानी अब तुमको जन्नत का मज़ा मिलने जा रहा है मैं तुम्हारा मूह खोल रहा हू चिल्लाना नही. चिल्लाओगी तो फिर तुम्हारी शामत आ जाएगी कहते हुए मैने उसका मुह खोल दिया वो रो रही थी. बोली तुम बहुत बेरहम ईसान हो तुमने मेरी गांद फाड़ डाली गांद नही मरवाने के कारण ही तो मेरा तलाक़ हुआ था मैने कहा शांत हो जाओ जनेमन्न्न जो हहो चुका सो हो चुका अब जो होने वाला है उसका मज़ा क्यों खराब कर रही हो. वो बोली अब कैसा मज़ा मेरी गांद मे बहुत दर्द हो रहा है मैं 1-2- महीने तक ठीक से बैठना तो एक तरफ़ टट्टी भी नही कर पाऊँगी मैने कहा अभी देखो एक जादू होने वाला है. और मैने उसकी बुर मे पेशाब करना चालू किया वो फिर से सिहरने लगी मेरे पेशाब की धार उसकी बुर मे तेज़ी से अंदर जा रही थी और बह रही थी उसको भी बहुत मज़ा आया. मैने उसके हाथ पैर खोल दिए थे वो वही निढाल होकर गिर पड़ी. मैने उसको उठाकर बाथरूम ले जाने की कोशिश करी लेकिन वो चल नही पा रही थी तो मैं उसको अपनी बाहों मे ले गया और उसको साफ कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके किचन से उसको हल्दी डला दूध गुड के साथ और कुछ खाने को ले आया और मैं तय्यार होकर वाहा से चला गया. कुछ दिन बाद उसने मेरे को फोन किया और बुलाया
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कब तक चोदोगे मेरी माँ ?
अरे यार, ये भोषड़ी का मेरा बॉस पिछले दो साल से मेरी माँ चोद रहा है . मैं बार बार इससे रेकुएस्ट करती हूँ लेकिन यह हर बार कोई न कोई बहाना बना देता है . कितनी बार यह मुझसे कह चूका है की कुछ दिन और रुक जाओ रेणुका, मैं जल्दी ही तेरा ट्रांसफर करवा दूंगा . मैंने कहा तुम कब तक चोदोगे मेरी माँ ? उसने कहा यार थोडा और सब्र करो काम जल्दी ही हो जायेगा .
मैं इसी उम्मीद में अपनी माँ चुदवाये जा रही हूँ . और वह साला, बहन चोद, चोदो चला जा रहा है . इसको साले को बिना मेरा काम किये हुए मेरी माँ चोदने का शौक लग गया है . रोज़ रोज़ कोई न कोई नया काम पकड़ा देता है मुझे ? . मुझको तो लगता है कहीं साला किसी दिन अपना लौड़ा न पकड़ा दे मुझे ? अभी तो वह मेरी माँ चोद रहा है . कहीं किसी दिन वह मेरी भी न चोदना शुरू कर दे ? कितना मादर चोद है मेरा बॉस ? बड़ा हरामी है . मेरी सहेली स्तुति कह रही थी तेरा बॉस लड़कियां चोदने में बड़ा एक्सपर्ट है . मैंने उससे कहा देखो डियर मैं कोई कम नहीं हूँ . मुझसे अगर उसने ज्यादा तीन पांच किया तो उसके लिए यह अच्छा नहीं होगा ? अभी तो वो मेरी माँ चोद रहा है कल मैं उसकी माँ चोदूंगी .
एक दिन मैंने ऑफिस में ही हंगामा कर दिया . मुझे किसी काम से बुलाया बॉस ने . मैं उसके कैबिन में चली गयी . मैंने वहीँ पर उसका हाथ पकड़ लिया और कहा देखिये सर, आज आप मेरे काम के लिए बात कीजिये नहीं तो मैं अभी शोर मचाती हूँ . लोगों से कहूँगी इसने मेरे साथ बलात्कार करने की कोशिश की . विक्रम नाम है मेरे बॉस का मैंने कहा देखो विक्रम जी मैं अभी चुप हूँ अगर आपने अब मेरा काम नहीं किया तो कल से मैं तेरी गांड मारना शुरू कर दूँगी . वह थोडा घबरा गया . मैं कैबिन से बाहर चली आयी .
शाम को मैं उसके घर भी चली गयी . मैंने कहा सर मैं पहली बात तो माफ़ी मांगने आयी हूँ . आज जो भी ऑफिस में हुआ वह गुस्से के कारन था . मैं जानती हूँ की आप मेरा काम जरुर करेंगें लेकिन इंतज़ार करने की भी एक लिमिट होती है .
उसने कहा :- देखो रेणुका घबडाने की कोई जरुरत नहीं है . दरअसल मैं इस बात से परेशान हूँ की तुम्हारे जाने के बाद मैं बिलकुल अपंग हो जाऊंगा . जो काम तुम करती हो वह कोई और नहीं कर सकता . मेरा सारा फ्यूचर बर्बाद हो जायेगा . मैं तुम्हे अभी ६ महीने तक नहीं छोड़ सकता ?
मैंने कहा :- सर, मैं आपके साथ ६ महीने तक रुक जाऊंगी लेकिन मेरा आर्डर तो जाये न . मुझे तसल्ली तो हो जाये की मेरा ट्रांसफर हो गया है .
बॉस बोला :- क्या तुम समझती हो की मैं आपके लिए कोशिश नहीं कर रहा हूँ ?
मैंने कहा :- सर, मैं कैसे समझू जब कुछ हो नहीं रहा है .
बॉस ने कहा अच्छा रेणुका तुम बैठो मैं अभी आता हूँ . वह अन्दर गया और एक फाईल लेकर आ गया . उसने वह फाईल मुझे दिखाता हुआ बोला देखो रेणुका इसमें क्या लिखा हुआ है . मैंने जब फाईल देखा तो मेरे पैरों के तले से ज़मीन निकल गयी . वह मेरा ही ट्रांसफर आर्डर था वो भी प्रमोसन के साथ . मुझे सीनिअर मेनेजर बना कर भेजा जा रहा था . मैं पानी पानी हो गयी . मैं बॉस के आगे हाथ जोड़ कर खड़ी हो गयी . मेरी आँखों से आंसू निकल रहे थे . मैंने कहा सर मुझे माफ़ कर दीजिये , मैंने आपको बहुत गन्दा कह दिया . मैं उसके लिए शर्मिंदा हूँ . बॉस बोला नहीं तुम्हे शर्मिंदा होने की कोई जरुरत नहीं है . तुम्हारी जगह कोई भी होता तो यही करता जो तुमने किया .
मैंने कहा :- सर अब आप बताईये मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ .
बॉस मजाक करते हुए बोला :- बस मुझे वही प्यारी प्यारी गालियाँ सुना दो . लेकिन ऐसे नहीं पहले कुछ खा लो . पी लो . खुश हो जाओ . मूड बदल लो फिर गालियाँ सुनाओ . बोलो क्या पियोगी ?
मैंने कहा :- सर वैसे तो मैंआपका बहुत कुछ पियूंगी लेकिन अभी मुझे व्हिस्की पिला दो प्लीज .
मैं बॉस के साथ बैठ कर व्हिस्की पीने लगी
.थोडा नशा चढ़ा तो मैं गालियाँ सुनाने :- तू साला मादर चोद बहन के लौड़े भोषड़ी वाले कब तक मेरी माँ चोदेगा ? कब तक तू मेरी गांड मारेगा साले हरामजादे ? तेरी माँ का भोषडा ? तेरी माँ की चूत ? गांडू, तेरा लण्ड काट के कुत्तों को खिला दूँगी . साले मैं तेरी इतनी धज्जियाँ उड़ा दूँगी की कोई भी अपना लण्ड तेरी गांड में नहीं पेलेगा भोषड़ी .के . मैं तेरी गांड में घुसा दूँगी गधे का लण्ड . तेरी भी फटेगी गांड और तेरी माँ की भी . तू मेरी एक झांट भी टेढ़ी नहीं कर पायेगा . तेरे लण्ड का छिलका निकाल कर उसके टुकड़े टुकड़े कर दूँगी . अब अगर तूने किसी की माँ चोदी तो उससे पहले मैं तेरी माँ चोद दूँगी .
बॉस ने तालियाँ बजाई और मेरा हौसला बढाया .गाली सुनाते सुनाते मैं अन्दर से गरम हो गयी .
मैंने पूंछा :_ सर मुझे मालूम हुआ की आप लड़कियों के शौक़ीन है . आप लड़कियां चोदते है .
उसने कहा :- तुम्हे किसने बताया यह बात ?
तब मैंने खुल करके कहा :- मेरी दोस्त स्तुति ने .
बॉस बोला :- हां मैं स्तुति को चोदना चाहता हूँ लेकिन वह मेरे हाथ नहीं आ रही है .?
मैंने कहा :- क्या मैं बुरी लगती हूँ आपको ? क्या मुझ में कोई कमी है ? क्या स्तुति मुझे से ज्यादा सुन्दर है ? उसने कहा :- नहीं ऐसी बात नहीं है ? लेकिन तुमसे डर लगता है .तेरे नाम से मेरी गांड फट जाती है .
मैंने कहा :- क्यों मजाक करते हो . गांड तो मेरी फट रही है यह कहने में की मैं तुम्हे चाहने लगी हूँ . जानते हो सर मैंने व्हिस्की क्यों मांगी आपसे ? मैंने इसलिए मांगी की मैं हिम्मत कर सकू यह कहने के लिए की मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ और तेरा लण्ड पकड़ना चाहती हूँ . तुमसे चुदवाना चाहती हूँ सर, प्लीज मेरी इच्छा पूरी कर दो सर ?
बॉस बोला :- वाओ, आज मैं वाकई बहुत खुश हूँ . मुझे तो सब कुछ बिना मांगे ही मिल रहा है ?
मैंने कहा :- सर, आपने मुझे मेरा ट्रांसफर आर्डर दिया है, मेरा प्रमोसन दिया है . अब मैं तुम्हे अपनी "बुर" दूँगी ?
ऐसा कह कर मैं बॉस से लिपट गयी . वह मेरे बदन पर हाथ फेरने लगा . उसका हाथ सबसे पहले मेरी गांड पर गया . मेरे चूतड सहलाने लगा . फिर धीरे धीरे मेरी चूंचियों पर चलने लगा . मेरी चुम्मी लेने लगा . मेरी गाल चूमने लगा बॉस और अपनी ओर खींच कर दबाने लगा मुझे .फिर मुझे उठाकर बेड रूम ले गया . मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा . उसके बाद उसने मेरे कपडे उतारने शुरू इए , मैंने कोई ऐतराज़ नहीं जताया . उसने मेरी साड़ी खोल दी . मेरा ब्लाउज निकाल फेंका फिर मेरी ब्रा खींच कर उतार दिया . मेरी चूंचियां उसके सामने बिलकुल नंगी हो गयी ,. मैं उससे नंगी होती रही . मुझे नंगी होना अच्छा लग रहा था . आखिर में उसने मेरे पेटीकोट का नाडा भी खोल डाला . जैसे ही पेटीकोट बाहर हुआ मैं मादर चोद बिलकुल नंगी हो गयी . उसने मेरी चूंचियां पर हमला बोल दिया . चूंचियां चूमने लगा . चूसने लगा . फिर मुझे भी काफी जोश आ गया ,. मैं उठी और उसके कपडे उतारने लगी . कमीज उसकी बनियायिन सब खोल डाला . उसकी पैंट खोल दी और अंत में चड्ढी भी . उसका लण्ड खड़ा था . मेरी नज़र जैसे ही लण्ड पर पड़ी मेरा मन खुश हो गया . लण्ड मेरे मन का निकला . मैंने उसे पकड़ कर हिलाया तो वह पूरी तरह खड़ा हो गया .
मैंने कहा :- सर, लण्ड तो आपका बड़ा मस्त है, लम्बा चौड़ा है और सख्त है . अब मुझे मालूम हुआ की तुम लड़कियों की बुर क्यों चोदते हो ?
उसने कहा :- अच्छा बताओ मैं क्यों चोदता हूँ लड़कियों की बुर ?
मैंने कहा :- अपने लण्ड को खुश करने के लिए . तेरा लण्ड इतना बढ़िया है इसे बुर की बहुत जरुरत है . इतना सख्त लण्ड खड़ा होने पर बुर में नहीं घुसेगा तो कहाँ जायेगा ?
वह बोला :- तू भोषड़ी की बातें बड़ी सेक्सी करती है . तुझसे बात करने में लण्ड अपने आप खड़ा हो जाता है .
मेरी नज़र लण्ड पर टिक गयी . मैं उसे घुमा घुमा कर चारों तरफ से देख रही थी . बड़ा प्यारा लग रहा था उसका लण्ड . मेरी चूत तो अब भट्टी हो चुकी थी . लण्ड मैंने चूत में नहीं मुह में पेल लिया और चूसने लगी लण्ड . मैंने सोचा की ऐसा लण्ड बार बार नहीं मिलता ? मुझे तो लण्ड के साथ पेल्हड़ भी चाटने में मज़ा आने लगा . मैंने धीरे से अपनी गांड बॉस की तरफ कर दी . वह समझ गया और मेरी चूत चाटने लगा . मुझे अपने बॉस को चूत चटाते हुए बड़ा गर्व महसूस हो रहा था .
मैंने आज सवेरे ही झाटें बनाई थी .मेरी चिकनी चूत ने माहौल गरम कर दिया था . बॉस की छोटो छोटी झांटें भी बहुत खूबसूरत लग रही थी . इतने में विक्रम (बॉस) ने करवट ली तो मेरा सर उसकी दोनों टांगो के बीच घुस गया लेकिन मैंने लण्ड चूसना बंद नहीं किया . लण्ड छोड़ने का मेरा मन ही नहीं हो रहा था . मैंने उसकी जांघें अपने दोनों हाथों से पकड़ रखी थी . उधर मैं अपनी चूत उसके मुह में घुसेड़े दे रही थी . विक्रम समझ गया और चूत फिर से चाटने लगा . जब चूत खूब गरमा गयी मैं घूम गयी और लण्ड के आगे चूत फैला दी . उसने लण्ड भक्क से घुसेड दिया और चोदने लगा . मैं मस्ती से चुदवाने लगी .उसका बहन छोड़ लण्ड बेपनाह मज़ा दे रहा था मुझे . मैंने कई मर्दों से चुदवाया है लेकिन आज का मर्द सही माने में मर्द है . मैं सोचने लगी .
वे लड़कियां बड़ी खुश नसीब है जिनकी बुर इसका लण्ड चोदता है .
मेरी दोनों टांगें उसके हाथ में थी और उसका लण्ड मेरी चूत में . मेरी चूंचियां हर धक्के में उछल जाती है . उसे उछलती हुई चूंचियां देखने में मज़ा आ रहा है ? मेरी चुद रही है उसे मज़ा आ रहा है . अचानक विक्रम घूम गया और लण्ड मेरे मुह में दाल दिया . अब मैं फिर से लण्ड चाटने लगी . इस समय लण्ड मुझे ज्यादा मज़ा दे रहा था . फिर मैं कुतिया बन गयी और पीछे से चुदवाने लगी भकाभक . विक्रम ने दो / एक बार मेरी गांड में लण्ड पेलने की कोशिश की लेकिन मैंने कहा नहीं सर अभी गांड मत मारो . पहले बुर चोद लो अच्छी तरह गांड फिर मारना . लण्ड मेरी बुर में ही आने जाने लगा . थोड़ी में मैं लण्ड पर बैठ गयी और अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड चोदने लगी . विक्रम को भी मज़ा आने लगा . थोड़ी देर में उसके कहा यार अब मैं झड़ने वाला हूँ . मैं फ़ौरन घूम गयी, लण्ड हाथ में लिया और मुठ्ठ मारने लगी . मैंने बड़ी मस्ती से झड़ता हुआ लण्ड चाटा . लण्ड का स्वाद मुझे भा गया . मैं मस्त हो गयी बुरचुदा कर .
उसके बाद मैं जब एक बार और चुद रही थी तो बॉस ने कहा यार रेणुका, मुझे स्तुति की बुर दिलाओ न प्लीज .
मैंने हां कर दी . कुछ दिन बाद मैं स्तुति से मिली तो उसको सारा किस्सा सुना दिया . मैंने विक्रम के लण्ड के बारे में बताया . उसके लण्ड की बड़ी तारीफ की . उसके चोदने की स्टाइल की तारीफ की और उसके स्वाभाव की तारीफ की . मैंने देखा की स्तुति टूटती जा रही है . उसका मन होने लगा विक्रम का लण्ड देखने का .? मैंने कहा यार स्तुति वह तुम्हे बहुत चाहता है . तुमसे बहुत प्यार करता है . तुम्हारी तारीफ करता है . देखो यार मेरी बुर में उसका लण्ड था . वह मुझे चोद रहा था लेकिन तुम्हे याद कर रहा था . उसने कहा रेणुका एक दिन स्तुति की बुर दिलाओ प्लीज .तुम्ही बताओ इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है ? अब तुम हां कर दो और मेरे कहने पर एक बार चुदवा कर देखलो . अगर तुम्हे पसंद आये तो आगे भी चुदवाती रहना नहीं तो छोड़ देना . स्तुति बुरी तरह फंस चुकी थी . उसके इतवार के दिन चुदवाना स्वीकार कर लिया
.मैं इतवार को स्तुति को लेकर विक्रम के घर पहुँच गयी . हम तीनो शराब पीने लगे . मैं धीरे धीरे अपने कपडे उतारने लगी और थोड़ी देर में एक दम नंगी होकर शराब पीने लगी . मैंने आँख मारी और स्तुति को भी नंगी करने लगी . विक्रम की आँखे जम गयी स्तुति पर . जब उसकी चूंचियां खुली तो उसकी आँखे दुगुनी खुल गयी . स्तुति की चूंचियां मेरी चूंचियों से बड़ी थी . मैंने जब उसकी चूत खोल कर दिखाया तो विक्रम का जोश सातवें आसमान पर जा पहुंचा . उसने लपक कर स्तुति को अपनी बाहों में भर लिया और चूंचियों पर टूट पड़ा . खुदा कसम उस समय विक्रम भूल गया की मैं भी नंगी बैठी हूँ . उसने जब लण्ड पेला स्तुति की चूत में और भकाभक चोदना शुरू किया तब मेरा ख्याल आया उसे और उसने हाथ बढाकर मेरी चूत सहलाना शुरू किया . मैं बहुत खुश हुई यह देख कर की स्तुति जम कर धकाधक चुदवाये चली जा रही थी . मैं उसके पेल्हड़ सहलाने लगी और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगी . हम दोनों ने उस दिन जम कर चुदवाया
. उसके बाद स्तुति मेरे साथ आ आ कर चुदवाती रही .
मेरा जब ट्रांसफर हो गया और मैं चली गयी उसके बाद भी मैं विक्रम के पास बुर चुदवाने अक्सर चली आती हूँ .
मुझे उसके लण्ड की बहुत याद आती है .
अरे यार, ये भोषड़ी का मेरा बॉस पिछले दो साल से मेरी माँ चोद रहा है . मैं बार बार इससे रेकुएस्ट करती हूँ लेकिन यह हर बार कोई न कोई बहाना बना देता है . कितनी बार यह मुझसे कह चूका है की कुछ दिन और रुक जाओ रेणुका, मैं जल्दी ही तेरा ट्रांसफर करवा दूंगा . मैंने कहा तुम कब तक चोदोगे मेरी माँ ? उसने कहा यार थोडा और सब्र करो काम जल्दी ही हो जायेगा .
मैं इसी उम्मीद में अपनी माँ चुदवाये जा रही हूँ . और वह साला, बहन चोद, चोदो चला जा रहा है . इसको साले को बिना मेरा काम किये हुए मेरी माँ चोदने का शौक लग गया है . रोज़ रोज़ कोई न कोई नया काम पकड़ा देता है मुझे ? . मुझको तो लगता है कहीं साला किसी दिन अपना लौड़ा न पकड़ा दे मुझे ? अभी तो वह मेरी माँ चोद रहा है . कहीं किसी दिन वह मेरी भी न चोदना शुरू कर दे ? कितना मादर चोद है मेरा बॉस ? बड़ा हरामी है . मेरी सहेली स्तुति कह रही थी तेरा बॉस लड़कियां चोदने में बड़ा एक्सपर्ट है . मैंने उससे कहा देखो डियर मैं कोई कम नहीं हूँ . मुझसे अगर उसने ज्यादा तीन पांच किया तो उसके लिए यह अच्छा नहीं होगा ? अभी तो वो मेरी माँ चोद रहा है कल मैं उसकी माँ चोदूंगी .
एक दिन मैंने ऑफिस में ही हंगामा कर दिया . मुझे किसी काम से बुलाया बॉस ने . मैं उसके कैबिन में चली गयी . मैंने वहीँ पर उसका हाथ पकड़ लिया और कहा देखिये सर, आज आप मेरे काम के लिए बात कीजिये नहीं तो मैं अभी शोर मचाती हूँ . लोगों से कहूँगी इसने मेरे साथ बलात्कार करने की कोशिश की . विक्रम नाम है मेरे बॉस का मैंने कहा देखो विक्रम जी मैं अभी चुप हूँ अगर आपने अब मेरा काम नहीं किया तो कल से मैं तेरी गांड मारना शुरू कर दूँगी . वह थोडा घबरा गया . मैं कैबिन से बाहर चली आयी .
शाम को मैं उसके घर भी चली गयी . मैंने कहा सर मैं पहली बात तो माफ़ी मांगने आयी हूँ . आज जो भी ऑफिस में हुआ वह गुस्से के कारन था . मैं जानती हूँ की आप मेरा काम जरुर करेंगें लेकिन इंतज़ार करने की भी एक लिमिट होती है .
उसने कहा :- देखो रेणुका घबडाने की कोई जरुरत नहीं है . दरअसल मैं इस बात से परेशान हूँ की तुम्हारे जाने के बाद मैं बिलकुल अपंग हो जाऊंगा . जो काम तुम करती हो वह कोई और नहीं कर सकता . मेरा सारा फ्यूचर बर्बाद हो जायेगा . मैं तुम्हे अभी ६ महीने तक नहीं छोड़ सकता ?
मैंने कहा :- सर, मैं आपके साथ ६ महीने तक रुक जाऊंगी लेकिन मेरा आर्डर तो जाये न . मुझे तसल्ली तो हो जाये की मेरा ट्रांसफर हो गया है .
बॉस बोला :- क्या तुम समझती हो की मैं आपके लिए कोशिश नहीं कर रहा हूँ ?
मैंने कहा :- सर, मैं कैसे समझू जब कुछ हो नहीं रहा है .
बॉस ने कहा अच्छा रेणुका तुम बैठो मैं अभी आता हूँ . वह अन्दर गया और एक फाईल लेकर आ गया . उसने वह फाईल मुझे दिखाता हुआ बोला देखो रेणुका इसमें क्या लिखा हुआ है . मैंने जब फाईल देखा तो मेरे पैरों के तले से ज़मीन निकल गयी . वह मेरा ही ट्रांसफर आर्डर था वो भी प्रमोसन के साथ . मुझे सीनिअर मेनेजर बना कर भेजा जा रहा था . मैं पानी पानी हो गयी . मैं बॉस के आगे हाथ जोड़ कर खड़ी हो गयी . मेरी आँखों से आंसू निकल रहे थे . मैंने कहा सर मुझे माफ़ कर दीजिये , मैंने आपको बहुत गन्दा कह दिया . मैं उसके लिए शर्मिंदा हूँ . बॉस बोला नहीं तुम्हे शर्मिंदा होने की कोई जरुरत नहीं है . तुम्हारी जगह कोई भी होता तो यही करता जो तुमने किया .
मैंने कहा :- सर अब आप बताईये मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ .
बॉस मजाक करते हुए बोला :- बस मुझे वही प्यारी प्यारी गालियाँ सुना दो . लेकिन ऐसे नहीं पहले कुछ खा लो . पी लो . खुश हो जाओ . मूड बदल लो फिर गालियाँ सुनाओ . बोलो क्या पियोगी ?
मैंने कहा :- सर वैसे तो मैंआपका बहुत कुछ पियूंगी लेकिन अभी मुझे व्हिस्की पिला दो प्लीज .
मैं बॉस के साथ बैठ कर व्हिस्की पीने लगी
.थोडा नशा चढ़ा तो मैं गालियाँ सुनाने :- तू साला मादर चोद बहन के लौड़े भोषड़ी वाले कब तक मेरी माँ चोदेगा ? कब तक तू मेरी गांड मारेगा साले हरामजादे ? तेरी माँ का भोषडा ? तेरी माँ की चूत ? गांडू, तेरा लण्ड काट के कुत्तों को खिला दूँगी . साले मैं तेरी इतनी धज्जियाँ उड़ा दूँगी की कोई भी अपना लण्ड तेरी गांड में नहीं पेलेगा भोषड़ी .के . मैं तेरी गांड में घुसा दूँगी गधे का लण्ड . तेरी भी फटेगी गांड और तेरी माँ की भी . तू मेरी एक झांट भी टेढ़ी नहीं कर पायेगा . तेरे लण्ड का छिलका निकाल कर उसके टुकड़े टुकड़े कर दूँगी . अब अगर तूने किसी की माँ चोदी तो उससे पहले मैं तेरी माँ चोद दूँगी .
बॉस ने तालियाँ बजाई और मेरा हौसला बढाया .गाली सुनाते सुनाते मैं अन्दर से गरम हो गयी .
मैंने पूंछा :_ सर मुझे मालूम हुआ की आप लड़कियों के शौक़ीन है . आप लड़कियां चोदते है .
उसने कहा :- तुम्हे किसने बताया यह बात ?
तब मैंने खुल करके कहा :- मेरी दोस्त स्तुति ने .
बॉस बोला :- हां मैं स्तुति को चोदना चाहता हूँ लेकिन वह मेरे हाथ नहीं आ रही है .?
मैंने कहा :- क्या मैं बुरी लगती हूँ आपको ? क्या मुझ में कोई कमी है ? क्या स्तुति मुझे से ज्यादा सुन्दर है ? उसने कहा :- नहीं ऐसी बात नहीं है ? लेकिन तुमसे डर लगता है .तेरे नाम से मेरी गांड फट जाती है .
मैंने कहा :- क्यों मजाक करते हो . गांड तो मेरी फट रही है यह कहने में की मैं तुम्हे चाहने लगी हूँ . जानते हो सर मैंने व्हिस्की क्यों मांगी आपसे ? मैंने इसलिए मांगी की मैं हिम्मत कर सकू यह कहने के लिए की मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ और तेरा लण्ड पकड़ना चाहती हूँ . तुमसे चुदवाना चाहती हूँ सर, प्लीज मेरी इच्छा पूरी कर दो सर ?
बॉस बोला :- वाओ, आज मैं वाकई बहुत खुश हूँ . मुझे तो सब कुछ बिना मांगे ही मिल रहा है ?
मैंने कहा :- सर, आपने मुझे मेरा ट्रांसफर आर्डर दिया है, मेरा प्रमोसन दिया है . अब मैं तुम्हे अपनी "बुर" दूँगी ?
ऐसा कह कर मैं बॉस से लिपट गयी . वह मेरे बदन पर हाथ फेरने लगा . उसका हाथ सबसे पहले मेरी गांड पर गया . मेरे चूतड सहलाने लगा . फिर धीरे धीरे मेरी चूंचियों पर चलने लगा . मेरी चुम्मी लेने लगा . मेरी गाल चूमने लगा बॉस और अपनी ओर खींच कर दबाने लगा मुझे .फिर मुझे उठाकर बेड रूम ले गया . मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा . उसके बाद उसने मेरे कपडे उतारने शुरू इए , मैंने कोई ऐतराज़ नहीं जताया . उसने मेरी साड़ी खोल दी . मेरा ब्लाउज निकाल फेंका फिर मेरी ब्रा खींच कर उतार दिया . मेरी चूंचियां उसके सामने बिलकुल नंगी हो गयी ,. मैं उससे नंगी होती रही . मुझे नंगी होना अच्छा लग रहा था . आखिर में उसने मेरे पेटीकोट का नाडा भी खोल डाला . जैसे ही पेटीकोट बाहर हुआ मैं मादर चोद बिलकुल नंगी हो गयी . उसने मेरी चूंचियां पर हमला बोल दिया . चूंचियां चूमने लगा . चूसने लगा . फिर मुझे भी काफी जोश आ गया ,. मैं उठी और उसके कपडे उतारने लगी . कमीज उसकी बनियायिन सब खोल डाला . उसकी पैंट खोल दी और अंत में चड्ढी भी . उसका लण्ड खड़ा था . मेरी नज़र जैसे ही लण्ड पर पड़ी मेरा मन खुश हो गया . लण्ड मेरे मन का निकला . मैंने उसे पकड़ कर हिलाया तो वह पूरी तरह खड़ा हो गया .
मैंने कहा :- सर, लण्ड तो आपका बड़ा मस्त है, लम्बा चौड़ा है और सख्त है . अब मुझे मालूम हुआ की तुम लड़कियों की बुर क्यों चोदते हो ?
उसने कहा :- अच्छा बताओ मैं क्यों चोदता हूँ लड़कियों की बुर ?
मैंने कहा :- अपने लण्ड को खुश करने के लिए . तेरा लण्ड इतना बढ़िया है इसे बुर की बहुत जरुरत है . इतना सख्त लण्ड खड़ा होने पर बुर में नहीं घुसेगा तो कहाँ जायेगा ?
वह बोला :- तू भोषड़ी की बातें बड़ी सेक्सी करती है . तुझसे बात करने में लण्ड अपने आप खड़ा हो जाता है .
मेरी नज़र लण्ड पर टिक गयी . मैं उसे घुमा घुमा कर चारों तरफ से देख रही थी . बड़ा प्यारा लग रहा था उसका लण्ड . मेरी चूत तो अब भट्टी हो चुकी थी . लण्ड मैंने चूत में नहीं मुह में पेल लिया और चूसने लगी लण्ड . मैंने सोचा की ऐसा लण्ड बार बार नहीं मिलता ? मुझे तो लण्ड के साथ पेल्हड़ भी चाटने में मज़ा आने लगा . मैंने धीरे से अपनी गांड बॉस की तरफ कर दी . वह समझ गया और मेरी चूत चाटने लगा . मुझे अपने बॉस को चूत चटाते हुए बड़ा गर्व महसूस हो रहा था .
मैंने आज सवेरे ही झाटें बनाई थी .मेरी चिकनी चूत ने माहौल गरम कर दिया था . बॉस की छोटो छोटी झांटें भी बहुत खूबसूरत लग रही थी . इतने में विक्रम (बॉस) ने करवट ली तो मेरा सर उसकी दोनों टांगो के बीच घुस गया लेकिन मैंने लण्ड चूसना बंद नहीं किया . लण्ड छोड़ने का मेरा मन ही नहीं हो रहा था . मैंने उसकी जांघें अपने दोनों हाथों से पकड़ रखी थी . उधर मैं अपनी चूत उसके मुह में घुसेड़े दे रही थी . विक्रम समझ गया और चूत फिर से चाटने लगा . जब चूत खूब गरमा गयी मैं घूम गयी और लण्ड के आगे चूत फैला दी . उसने लण्ड भक्क से घुसेड दिया और चोदने लगा . मैं मस्ती से चुदवाने लगी .उसका बहन छोड़ लण्ड बेपनाह मज़ा दे रहा था मुझे . मैंने कई मर्दों से चुदवाया है लेकिन आज का मर्द सही माने में मर्द है . मैं सोचने लगी .
वे लड़कियां बड़ी खुश नसीब है जिनकी बुर इसका लण्ड चोदता है .
मेरी दोनों टांगें उसके हाथ में थी और उसका लण्ड मेरी चूत में . मेरी चूंचियां हर धक्के में उछल जाती है . उसे उछलती हुई चूंचियां देखने में मज़ा आ रहा है ? मेरी चुद रही है उसे मज़ा आ रहा है . अचानक विक्रम घूम गया और लण्ड मेरे मुह में दाल दिया . अब मैं फिर से लण्ड चाटने लगी . इस समय लण्ड मुझे ज्यादा मज़ा दे रहा था . फिर मैं कुतिया बन गयी और पीछे से चुदवाने लगी भकाभक . विक्रम ने दो / एक बार मेरी गांड में लण्ड पेलने की कोशिश की लेकिन मैंने कहा नहीं सर अभी गांड मत मारो . पहले बुर चोद लो अच्छी तरह गांड फिर मारना . लण्ड मेरी बुर में ही आने जाने लगा . थोड़ी में मैं लण्ड पर बैठ गयी और अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड चोदने लगी . विक्रम को भी मज़ा आने लगा . थोड़ी देर में उसके कहा यार अब मैं झड़ने वाला हूँ . मैं फ़ौरन घूम गयी, लण्ड हाथ में लिया और मुठ्ठ मारने लगी . मैंने बड़ी मस्ती से झड़ता हुआ लण्ड चाटा . लण्ड का स्वाद मुझे भा गया . मैं मस्त हो गयी बुरचुदा कर .
उसके बाद मैं जब एक बार और चुद रही थी तो बॉस ने कहा यार रेणुका, मुझे स्तुति की बुर दिलाओ न प्लीज .
मैंने हां कर दी . कुछ दिन बाद मैं स्तुति से मिली तो उसको सारा किस्सा सुना दिया . मैंने विक्रम के लण्ड के बारे में बताया . उसके लण्ड की बड़ी तारीफ की . उसके चोदने की स्टाइल की तारीफ की और उसके स्वाभाव की तारीफ की . मैंने देखा की स्तुति टूटती जा रही है . उसका मन होने लगा विक्रम का लण्ड देखने का .? मैंने कहा यार स्तुति वह तुम्हे बहुत चाहता है . तुमसे बहुत प्यार करता है . तुम्हारी तारीफ करता है . देखो यार मेरी बुर में उसका लण्ड था . वह मुझे चोद रहा था लेकिन तुम्हे याद कर रहा था . उसने कहा रेणुका एक दिन स्तुति की बुर दिलाओ प्लीज .तुम्ही बताओ इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है ? अब तुम हां कर दो और मेरे कहने पर एक बार चुदवा कर देखलो . अगर तुम्हे पसंद आये तो आगे भी चुदवाती रहना नहीं तो छोड़ देना . स्तुति बुरी तरह फंस चुकी थी . उसके इतवार के दिन चुदवाना स्वीकार कर लिया
.मैं इतवार को स्तुति को लेकर विक्रम के घर पहुँच गयी . हम तीनो शराब पीने लगे . मैं धीरे धीरे अपने कपडे उतारने लगी और थोड़ी देर में एक दम नंगी होकर शराब पीने लगी . मैंने आँख मारी और स्तुति को भी नंगी करने लगी . विक्रम की आँखे जम गयी स्तुति पर . जब उसकी चूंचियां खुली तो उसकी आँखे दुगुनी खुल गयी . स्तुति की चूंचियां मेरी चूंचियों से बड़ी थी . मैंने जब उसकी चूत खोल कर दिखाया तो विक्रम का जोश सातवें आसमान पर जा पहुंचा . उसने लपक कर स्तुति को अपनी बाहों में भर लिया और चूंचियों पर टूट पड़ा . खुदा कसम उस समय विक्रम भूल गया की मैं भी नंगी बैठी हूँ . उसने जब लण्ड पेला स्तुति की चूत में और भकाभक चोदना शुरू किया तब मेरा ख्याल आया उसे और उसने हाथ बढाकर मेरी चूत सहलाना शुरू किया . मैं बहुत खुश हुई यह देख कर की स्तुति जम कर धकाधक चुदवाये चली जा रही थी . मैं उसके पेल्हड़ सहलाने लगी और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगी . हम दोनों ने उस दिन जम कर चुदवाया
. उसके बाद स्तुति मेरे साथ आ आ कर चुदवाती रही .
मेरा जब ट्रांसफर हो गया और मैं चली गयी उसके बाद भी मैं विक्रम के पास बुर चुदवाने अक्सर चली आती हूँ .
मुझे उसके लण्ड की बहुत याद आती है .
Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
आंटी प्लीज मान जाओ -1
आप सभी को नमस्कार आप सभी ने मेरी पहले भेजी हुई कहानियाँ पढ़ी और उन्हें पसंद किया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जैसा कि शीर्षक पढ़ कर ही आप समझ गए होंगे, यह कहानी पलक की मुँह बोली चाची, जिन्हें हम आंटी कहते थे, और मेरे बीच की है। यह घटना भी सरिता और मेरी कहानी के तुरंत बाद की ही है। कुछ लोगों को यह कहानी पढ़ कर लग सकता है कि ऐसा होना असम्भव है। तो आप इस बात को मानने के लिए स्वतंत्र हैं पर कृपया इस कहानी की सच्चाई के बारे में मुझ से कोई सवाल ना करें।
यह कहानी भी मैंने पलक वाली श्रृंखला में जोड़ कर ही लिखी है क्योंकि इस कहानी की शुरुआत भी पलक के कारण ही हुई थी।
पलक और मेरे बीच की कहानियों की श्रृंखला में एक हिस्सा और भी है जो अभी तक अनकहा है। उसे लिखूंगा या नहीं वो पता नहीं पर फिलहाल इस श्रृंखला के अंतिम पायदान पर खड़े होकर मैं आप को यह अनुभव सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे जीवन के अब तक के सबसे हाहाकारी और प्रलयंकारी अनुभवों में से एक है।
अब मैं कहानी पर आता हूँ।
एक दिन मैं दफ्तर में था कि मेरे पास हरीश अंकल का फोन आया, वो मुझसे बोले- तू है कहाँ यार? इतने दिन से दिखा नहीं, यह बता कि घर कब आने वाला है?
मेरे पास उस समय बहुत काम था तो मैंने कहा- अभी तो जान निकली पड़ी है अंकल, आज और कल तो बिल्कुल फुर्सत नहीं है, पर आप कहिये न, क्या हुआ?
तो वो बोले- यार, मेरा लैपटॉप काम नहीं कर रहा है, आकर उसे देख ले, और इतने दिन हो गए हमने साथ में खाना नहीं खाया तो डिनर भी साथ में करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है अंकल ! मैं शुक्रवार को आ जाऊँगा, खायेंगे भी, पियेंगे भी !
वो बोले- बहुत अच्छे !
और हमारी बात खत्म हो गई।
हरीश अंकल जिंदादिल इंसान हैं, हमेशा उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट होती ही है, दुःख करना तो जैसे उनको आता ही नहीं था। उनके साथ रहो तो लगता है कि जिंदगी सच में पूरी तरह से जीने के लिए होती है और नंदिनी आंटी भी बिल्कुल वैसे ही खुशमिजाज और आज में जीने वाली महिला हैं।
शुक्रवार को मैं सारा काम जल्दी निपटा कर अंकल के घर जाने की तैयारी में था, तभी अंकल का फोन आया, बोले- सॉरी यार, आज मिलना नहीं हो सकता, मैं अभी न्यूयॉर्क के लिए निकल रहा हूँ, फिलहाल दिल्ली हवाई अड्डे पर हूँ।
मैंने पूछा- हुआ क्या है?
तो बोले- स्क्रैप के माल में एक लाट जले हुए लोहे का आ गया है, उसके चक्कर में जाना है, नहीं गया तो काफी नुकसान हो जायेगा।
अंकल का भंगार आयात करने का काम है।
मैंने कहा- ठीक है अंकल, आप जाओ, वो जरूरी है, कोई कागजात रह गए हों तो मुझे बता दीजियेगा, मैं आप को मेल कर दूँगा।
अंकल बोले- वो तो ठीक है लेकिन तू घर चले जाना यार ! नंदिनी तुम दोनों को बहुत मिस करती है, तुम दोनों चले जाते हो तो उसे भी अच्छा लगता है।
मैंने कहा- आप बेकिफ्र जाओ, अंकल मैं और पलक दोनों चले जायेंगे।
उनसे बात करने के बाद मैंने पलक को फोन किया और कहा- आज हरीश अंकल के यहाँ चलना है नंदिनी आंटी से मिलने ! अंकल घर पर नहीं हैं।
तो वो बोली- आना तुझे है गधे ! मैं तो यही पर हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, मैं भी आता हूँ !
और मैं काम खत्म करके उनके यहाँ जाने के लिए निकल गया। रास्ते में मैंने एक पीला गुलाब भी खरीद लिया था जो आंटी को बहुत पसंद है।
मैं एक हफ्ते से घर गया ही नहीं था तो काम के चक्कर में तो घर पर बताना कोई जरूरी ही नहीं था कि आज देर से आऊँगा।
जब मैं उनके घर पहुँचा तो करीब आठ बज चुके थे, मैंने वहाँ जाकर आंटी को हमेशा की तरह "हे गोर्जियस ए रोज फॉर यू !(आप के लिए गुलाब) कहते हुए उनको पीला गुलाब दिया और उन्होंने हमेशा की तरह खुशी खुशी लिया।
फिर आंटी ने मुझ से कहा- तुम बैठो, मैं खाना लगाती हूँ, तीनों साथ में खा लेंगे !
तो पलक बीच में ही बोल पड़ी- अभी बैठो नहीं ! यह पहले तो जाकर नहायेगा और शेव भी करेगा, कैसा जानवर बना पड़ा है।
और सच भी यही था कि मैं पिछले 6 दिनों से घर नहीं गया था, ना ठीक से सोया था ना ही मैंने शेव की थी और ना ही खाना ठीक से खाया था, नहाने की बात तो दूर की है।
मैंने कहा- ठीक है मेरी माँ, पहले नहा ही लेता हूँ मैं।
और मैं नहाने के लिए बाथरूम में जाने लगा तो पलक ने मुझे लोवर और टीशर्ट दिए और बोली- नहाने के बाद यही पहन लेना, हल्का लगेगा ! एक हफ्ते से एक ही जींस में घूम रहा है। जाने कैसे रह रहा होगा गधा !
और साथ में शेविंग किट भी दे दी। मैं अंकल के यहाँ कई बार रुका था तो वहाँ पर नहाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी और मैं नंदिनी आंटी और अंकल दोनों से ही खुला हुआ था तो यह मेरे लिए सामान्य ही था।
जब मैं नहा कर आया तो बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था और खाने की मेज देखी तो मन और खुश हो गया क्योंकि आंटी ने मेरे पसंद का ही खाना बनाया हुआ था।
खाना खाते हुए एक बार आंटी ने मुझ से पलक और मेरे रिश्ते के बारे में पूछ लिया कि हम दोनो के रिश्ते में कोई और बात भी है क्या अब?
तब तो मेरे गले में निवाला अटक ही गया था, सच मैं बोल नहीं सकता था और झूठ बोलना मुझे पसंद नहीं था तो मैंने बात को अनसुना ही कर दिया और आंटी ने भी दोबारा सवाल नहीं किया।
उसके बाद हम तीनों ही पीने के लिए बैठ गए। पलक और मैं तो पीते ही थे और आंटी भी हमारे साथ कभी कभी पी लेती थी। उस वक्त आंटी ने बताया कि उन्हें मेरे और पलक के बारे में सब पता है, पलक ने ही उन्हें बताया था।
मेरे पास बोलने को कुछ था नहीं तो मैं चुप ही रहा।
पीने के बाद एक तो मुझे थकान थी, दूसरा नींद पूरी नहीं हुई, खाना ज्यादा खा लिया ऊपर से थोड़ी ज्यादा भी पी ली तो मेरी हालत खराब हो चुकी थी, मैंने पलक से कहा- मुझे मेरे कमरे में छोड़ दे यार ! मैं घर जाऊँगा नहीं और गाड़ी चलाने जैसे हालात मेरे है नहीं !
तो आंटी बोली- आज तू यही सो जा ! सुबह चले जाना, पलक को भी घर जाना है उसके।
मैंने कहा- ठीक है !
और उसके बाद मुझे कब नींद लगी, कब सुबह हुई, पता भी नहीं चला। रात में अगर मैं उठा भी तो सिर्फ लघु शंका के लिए और फिर सो गया।
आप सभी को नमस्कार आप सभी ने मेरी पहले भेजी हुई कहानियाँ पढ़ी और उन्हें पसंद किया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जैसा कि शीर्षक पढ़ कर ही आप समझ गए होंगे, यह कहानी पलक की मुँह बोली चाची, जिन्हें हम आंटी कहते थे, और मेरे बीच की है। यह घटना भी सरिता और मेरी कहानी के तुरंत बाद की ही है। कुछ लोगों को यह कहानी पढ़ कर लग सकता है कि ऐसा होना असम्भव है। तो आप इस बात को मानने के लिए स्वतंत्र हैं पर कृपया इस कहानी की सच्चाई के बारे में मुझ से कोई सवाल ना करें।
यह कहानी भी मैंने पलक वाली श्रृंखला में जोड़ कर ही लिखी है क्योंकि इस कहानी की शुरुआत भी पलक के कारण ही हुई थी।
पलक और मेरे बीच की कहानियों की श्रृंखला में एक हिस्सा और भी है जो अभी तक अनकहा है। उसे लिखूंगा या नहीं वो पता नहीं पर फिलहाल इस श्रृंखला के अंतिम पायदान पर खड़े होकर मैं आप को यह अनुभव सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे जीवन के अब तक के सबसे हाहाकारी और प्रलयंकारी अनुभवों में से एक है।
अब मैं कहानी पर आता हूँ।
एक दिन मैं दफ्तर में था कि मेरे पास हरीश अंकल का फोन आया, वो मुझसे बोले- तू है कहाँ यार? इतने दिन से दिखा नहीं, यह बता कि घर कब आने वाला है?
मेरे पास उस समय बहुत काम था तो मैंने कहा- अभी तो जान निकली पड़ी है अंकल, आज और कल तो बिल्कुल फुर्सत नहीं है, पर आप कहिये न, क्या हुआ?
तो वो बोले- यार, मेरा लैपटॉप काम नहीं कर रहा है, आकर उसे देख ले, और इतने दिन हो गए हमने साथ में खाना नहीं खाया तो डिनर भी साथ में करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है अंकल ! मैं शुक्रवार को आ जाऊँगा, खायेंगे भी, पियेंगे भी !
वो बोले- बहुत अच्छे !
और हमारी बात खत्म हो गई।
हरीश अंकल जिंदादिल इंसान हैं, हमेशा उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट होती ही है, दुःख करना तो जैसे उनको आता ही नहीं था। उनके साथ रहो तो लगता है कि जिंदगी सच में पूरी तरह से जीने के लिए होती है और नंदिनी आंटी भी बिल्कुल वैसे ही खुशमिजाज और आज में जीने वाली महिला हैं।
शुक्रवार को मैं सारा काम जल्दी निपटा कर अंकल के घर जाने की तैयारी में था, तभी अंकल का फोन आया, बोले- सॉरी यार, आज मिलना नहीं हो सकता, मैं अभी न्यूयॉर्क के लिए निकल रहा हूँ, फिलहाल दिल्ली हवाई अड्डे पर हूँ।
मैंने पूछा- हुआ क्या है?
तो बोले- स्क्रैप के माल में एक लाट जले हुए लोहे का आ गया है, उसके चक्कर में जाना है, नहीं गया तो काफी नुकसान हो जायेगा।
अंकल का भंगार आयात करने का काम है।
मैंने कहा- ठीक है अंकल, आप जाओ, वो जरूरी है, कोई कागजात रह गए हों तो मुझे बता दीजियेगा, मैं आप को मेल कर दूँगा।
अंकल बोले- वो तो ठीक है लेकिन तू घर चले जाना यार ! नंदिनी तुम दोनों को बहुत मिस करती है, तुम दोनों चले जाते हो तो उसे भी अच्छा लगता है।
मैंने कहा- आप बेकिफ्र जाओ, अंकल मैं और पलक दोनों चले जायेंगे।
उनसे बात करने के बाद मैंने पलक को फोन किया और कहा- आज हरीश अंकल के यहाँ चलना है नंदिनी आंटी से मिलने ! अंकल घर पर नहीं हैं।
तो वो बोली- आना तुझे है गधे ! मैं तो यही पर हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, मैं भी आता हूँ !
और मैं काम खत्म करके उनके यहाँ जाने के लिए निकल गया। रास्ते में मैंने एक पीला गुलाब भी खरीद लिया था जो आंटी को बहुत पसंद है।
मैं एक हफ्ते से घर गया ही नहीं था तो काम के चक्कर में तो घर पर बताना कोई जरूरी ही नहीं था कि आज देर से आऊँगा।
जब मैं उनके घर पहुँचा तो करीब आठ बज चुके थे, मैंने वहाँ जाकर आंटी को हमेशा की तरह "हे गोर्जियस ए रोज फॉर यू !(आप के लिए गुलाब) कहते हुए उनको पीला गुलाब दिया और उन्होंने हमेशा की तरह खुशी खुशी लिया।
फिर आंटी ने मुझ से कहा- तुम बैठो, मैं खाना लगाती हूँ, तीनों साथ में खा लेंगे !
तो पलक बीच में ही बोल पड़ी- अभी बैठो नहीं ! यह पहले तो जाकर नहायेगा और शेव भी करेगा, कैसा जानवर बना पड़ा है।
और सच भी यही था कि मैं पिछले 6 दिनों से घर नहीं गया था, ना ठीक से सोया था ना ही मैंने शेव की थी और ना ही खाना ठीक से खाया था, नहाने की बात तो दूर की है।
मैंने कहा- ठीक है मेरी माँ, पहले नहा ही लेता हूँ मैं।
और मैं नहाने के लिए बाथरूम में जाने लगा तो पलक ने मुझे लोवर और टीशर्ट दिए और बोली- नहाने के बाद यही पहन लेना, हल्का लगेगा ! एक हफ्ते से एक ही जींस में घूम रहा है। जाने कैसे रह रहा होगा गधा !
और साथ में शेविंग किट भी दे दी। मैं अंकल के यहाँ कई बार रुका था तो वहाँ पर नहाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी और मैं नंदिनी आंटी और अंकल दोनों से ही खुला हुआ था तो यह मेरे लिए सामान्य ही था।
जब मैं नहा कर आया तो बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था और खाने की मेज देखी तो मन और खुश हो गया क्योंकि आंटी ने मेरे पसंद का ही खाना बनाया हुआ था।
खाना खाते हुए एक बार आंटी ने मुझ से पलक और मेरे रिश्ते के बारे में पूछ लिया कि हम दोनो के रिश्ते में कोई और बात भी है क्या अब?
तब तो मेरे गले में निवाला अटक ही गया था, सच मैं बोल नहीं सकता था और झूठ बोलना मुझे पसंद नहीं था तो मैंने बात को अनसुना ही कर दिया और आंटी ने भी दोबारा सवाल नहीं किया।
उसके बाद हम तीनों ही पीने के लिए बैठ गए। पलक और मैं तो पीते ही थे और आंटी भी हमारे साथ कभी कभी पी लेती थी। उस वक्त आंटी ने बताया कि उन्हें मेरे और पलक के बारे में सब पता है, पलक ने ही उन्हें बताया था।
मेरे पास बोलने को कुछ था नहीं तो मैं चुप ही रहा।
पीने के बाद एक तो मुझे थकान थी, दूसरा नींद पूरी नहीं हुई, खाना ज्यादा खा लिया ऊपर से थोड़ी ज्यादा भी पी ली तो मेरी हालत खराब हो चुकी थी, मैंने पलक से कहा- मुझे मेरे कमरे में छोड़ दे यार ! मैं घर जाऊँगा नहीं और गाड़ी चलाने जैसे हालात मेरे है नहीं !
तो आंटी बोली- आज तू यही सो जा ! सुबह चले जाना, पलक को भी घर जाना है उसके।
मैंने कहा- ठीक है !
और उसके बाद मुझे कब नींद लगी, कब सुबह हुई, पता भी नहीं चला। रात में अगर मैं उठा भी तो सिर्फ लघु शंका के लिए और फिर सो गया।