hindi sex story long- जेठानी का लंड

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jasmeet
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Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड

Unread post by jasmeet » 18 Jun 2016 20:27

पिछले चौबीस घन्टों में अपने ही घर की सीधी सादी दिखने वाली भद्र महिला के साथ हुये उसके अनुभव को याद करके अजय का लंड फ़िर तेजी से सिर उठाने लगा । बिस्तर पर उसकी मां दीप्ति जन्मजात नन्गी अवस्था में उसकी बाहों में पड़ी हुयीं थीं । मां के मूषल लंड को याद करके अजय का हाथ अपने आप ही मम्मी के मुरझे लंड पर पहुंच गया । हथेली में लंड को भर कर अजय हौले हौले से दबाने लगा । शायद मां जाग जाये । अजय ने धीरे से मां की तरफ़ करवट बदलते हुये अपना लंड उनके भारी नितंबों की दरार में घुसेड़ दिया । अपनी गांड पर दबाब पाकर मां की आंखें खुल गईं । “अजय, ये क्या कर रहे हो?”, मां बुदबुदाईं । अजय ने जवाब में अपने गरम तपते होंठों से माँ के कानों को चूमा । बस इतना करना ही काफ़ी था उस उत्तेजना से पागल हुई औरत के लिये । दीप्ति ने खुद पीठ के बल लेटते हुये अजय के हाथों को खींच कर अपनी झांटो के पास रखा और एक पैर सिकोड़ कर घुटना मोड़ते हुये उसे अपनी मुरझी हुई लंड के पूरे दर्शन कराये । अजय ने मां की झांटो भरी लंड पर उन्गलियां फ़िराई ।

अजय शायद ये सब सीखने में सबसे तेज था । थोडी देर ध्यान से देखने के बाद बुद्धीमत्ता दिखाते हुये उसने अपनी उन्गली को मां की गांड के छेद के पास से कम बालों वाली जगह से ठीक ऊपर की तरफ़ ठेला और अंडकोष को सहलाने लगा । इस तरह धीरे धीरे ही सही अजय अपनी मां की लंड को मसलने लगा । मां सिसकी और अपनी गदराए जांघोँ को और ज्यादा खोल दिया । साथ ही माँ की झाँटोँ से भरी पूरा लंड और बडे-बडे अंडकोष अजय के सामने आ गया ।. अब एक हाथ से काम नही चलने वाला था । अजय ने कुहनियों के बल मां के ऊपर झुकते हुये एक और उन्गली को अपनी मां की गांड के छेद को घिसने की जिम्मेदारी सौंप दी । “आह, मेरे बच्चे”, अत्यधिक उत्तेजना से दीप्ति चींख पड़ी । बाल पकड़ कर अजय का चेहरा अपनी तरफ़ खींचा और अपने रसीलें गरम होंठ उसके होठों पर रख दिये । आग में जैसे घी ही डाल दिया दीप्ति ने ।

दीप्ति ने बिस्तर पर बिखरे हुये नाईट गाऊन को उठा अपनी लंड को रगड़ रगड़ कर साफ़ किया । सवेरे से बनाया प्लान अब तक सही तरीके से काम कर रहा था । अजय को अपना सैक्स गुलाम बनाने की प्रक्रिया का अन्तिम चरण आ गया था । दीप्ति ने अजय के लंड को मुत्ठी में जकड़ा और घुटनों के बल अजय के उपर झुकते हुये बहुत धीरे से अपनी लंड को अजय के मुंह के अन्दर समा दिया । पूरी प्रक्रिया अजय के लिये किसी परीक्षा से कम नहीं थी । “हां मां, प्लीज, फ़क मी, फ़क मी…ओह फ़क” जोर जोर से चिल्लाता हुआ अजय अपनी ही मां की लंड को चुसे जा रहा था । अजय के चेहरे को हाथों में लेते हुये दीप्ति ने उसे आदेश दिया “अजय, देखो मेरी तरफ़” । धीरे धीरे एक ताल से कमर हिलाते हुये वो अपनी लंड की भरपूर सेवा कर रही थीं ।

उस तगड़े हथियार का एक वार भी अपनी हाथ से खाली नहीं जाने दिया । वो नहीं चाहती थी की अजय को कुछ भी गलत महसूस हो । “मै कौन हूं तुम्हारी?” लंड को अजय के होँठोँ पर फ़ुदकाते हुए पूछा । “म्म्मां” अजय हकलाते हुये बोला । इस रात में इस वक्त जब ये औरत उसके साथ हमबिस्तर हो रही है तो उसे याद नहीं रहा की मां किसे कहते है । “मैं वो औरत हूं जो इतने सालों से तुम्हारी हर जरूरत को पूरा करती आई है । है कि नहीं?” दीप्ति ने पासा फ़ैंका । आगे झुकते हुये एक ही झटके में अपना पूरा लंड अजय के मुंह में डाल दिया । “आआआआआह, हां मां, तुम्हीं मेरे लिये सब कुछ हो!” अजय हांफ़ रहा था । उसके हाथों ने मां की चिकनी उभरी गांड को पकड़ कर नीचे की ओर खींचा । दीप्ति ने अपने नितंबों को थोड़ा ऊपर कर दुबारा से लंड को बेटे के मुंह के अंदर तक पेल दिया और कमर ऊपर उछालते हुये मुंह में जबर्दस्त धक्के लगाने लगी ।

अजय के ऊपर झुकते हुये दीप्ति ने सही आसन जमाया । “अजय, अब तुम जो चाहो वो करो । ठीक है” दीप्ति की मुस्कुराहट में वासना और ममता का सम्मिश्रण था । अजय ने सिर उठा कर मां के निप्पलों को होठों के बीच दबा लिया । दीप्ति के स्तनों से बहता हुआ करन्ट सीधा उनकी लंड में पहुंचा । हांलाकि दोनों ही ने अपनी सही गति को बनाये रखा । जवान जोड़ों के विपरीत उनके पास घर की चारदीवारी और पूरी रात थी । दीप्ति ने खुद को एक हाथ अपनी लंड को सहलाते हुये दूसरे हाथ से अपनी चूचीं पकड़ कर अजय के मुहं में घुसेड़ दी । अजय ने भी भूखे जानवर की तरह बेरहमी से उन दो सुन्दर स्तनों का मान मर्दन शुरु कर दिया । मां के हाथ की जगह अपना हाथ इस्तेमाल करते हुये अजय ने निप्पल को जोर से उमेठा । नीचे मां और पुत्र अपनी-अपनी लंड हिलते हुये दोनों के बीच उत्तेजना को नियन्त्रण में रख रही थी । अब मां ने आसन बदलते हुये एक नया प्रयोग करने का मन बनाया । मम्मी की टांगों को चौड़ा करके अजय उनके बीच में बैठा तो उसका लंड खड़ी अवस्था में ही मां के तने हुए लंड से जा भिड़ा ।

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jasmeet
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Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड

Unread post by jasmeet » 18 Jun 2016 20:28

2 सेकेन्ड पहले भी ये लंड यहीं था लेकीन उस वक्त यह उनके अन्दर समाया हुआ था । अजय को गोद में बैठा कर दीप्ति ने एक बार फ़िर से अपनी लंड के साथ बेटे के लंड को अपनी मुठ्ठी में भरा । दोनोँ लंड के सुपाड़े के ऊपर के फोर-स्कीन फ़िसल रहे थे । “ऊईईई माआआं” दीप्ति सीत्कारी । दीप्ति ने बेटे के कन्धे पर दांत गड़ा दिये । इतना ज्यादा आनन्द दीप्ति के लिये अब असहनीय हो रहा था । मां पुत्र की ये सैक्सी कुश्ती सिसकियों और कराहों के साथ कुछ क्षण और चली । पसीने से तर दोनों थक कर चूर हो चूके थे पर अभी तक इस राऊंड में चरम तक कोई भी नहीं पहुंचा था । थोड़ी देर रुक कर दीप्ति अपने लाड़ले बेटे के सीने और चेहरे को चूमने चाटने लगी । मां के जोश को देख कर बेटा समझ गया ।

दीप्ति के गुलाबी होंठों पर जीत की मुस्कान बिखर गई । इतनी देर से चल रहे इस हस्तमैथुन कार्यक्रम से दोनोँ के लंड का तो बुरा हाल था । “अजय बेटा । बस बहुत हो गया । अब मैँ झड़ रही हुं । मां कल भी तेरे पास आयेगी” दीप्ति हांफ़ने लगी थी । अजय का भी हाल बुरा था । उसके दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया था । समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दे । बस माँ के फ़ुदकते हुये मुम्मों को हाथ के पंजों में दबा कमर उछाल रहा था । “ऊहहहहहहहहहह! हां! ऊइइइ मांआआ!” चेहरे पर असीम आनन्द की लहर लिये दीप्ति बिना किसी दया के दोनोँ के मुस्टंडे लंड को जोर जोर से आगे-पिछे करने लगी । “आ आजा बेटा, खुश कर दे अपनी मां को”, अजय को पुचकारते हुये बोली । इन शब्दों ने जादू कर दिया । अजय रुक गया । दोनों जानते थे कि अभी ये कार्यक्रम कफ़ी देर तक चल सकता है लेकिन उन दोनों के इस अद्भुत मिलन की साथी उन आवाजों को सुनकर गोपाल किसी भी वक्त जाग सकते थे और यहां कमरे में आकर अपने ही घर में चलती इस पाप लीला को देख सकते थे । काफ़ी कुछ खत्म हो सकता था उसके बाद और दोनों ही ऐसी कोई स्थिति नहीं चाहते थे । अजय ने धक्के देना बन्द कर आंखे मूंद ली । मम्मी की लंड ने गरम खौलते हुये वीर्य की बौछारे उड़ेल दी । “ओह” दीप्ति चीख पड़ी । जैसे ही विर्य की पहली बौछार का अनुभव उन्हें हुआ बेटे को कस के भींच लिया । अगले पांच मिनट तक दीप्ति की लंड से वीर्य की कई छोटी बड़ी फ़ुहारें निकलती रहीं । थोड़ी देर बाद जब ज्वार उतरा तो दीप्ति बेटे के शरीर पर ही लेट गय़ीं । भारी भरकम स्तन अजय की छातियों से दबे हुये थे । दोनोँ के लंड एक दुसरे से रगड खा रहे थे । अजय ने मां के माथे को चूमा और गर्दन को सहलाया । “मां, मैं हमेशा सिर्फ़ तुम्हारा रहूंगा । तुम जब चाहो जैसे चाहो मेरे संग सैक्स कर सकती हो ।

इसी तरह घर का माहोल चलता रहा । दीप्ति अपने बेटे और शोभा के साथ अलग-अलग समय पर अपनी कामवासना पुरी करती रही । एक दिन रात को शोभा की आंखें थकान और नींद से बोझिल हो चली थी और दिमाग अब भी पिछले २-३ महीनों के घटनाक्रम को याद कर रहा था । अचानक ही कितना कुछ बदल गया था उसके सैक्स जीवन में । पहले अपने ही बहन जैसी जेठानी की बदली हुई लिँग और अकस्मात ही बना उसका सेक्स संबंध फ़िर जेठानी के द्वारा संभोग के दौरान नये नये प्रयोग किसी मादा शरीर से मिला अनुभव नितांत अनूठा था । पर रात में इस समय बिस्तर में किसी पुरुष के भारी कठोर शरीर से दबने और कुचले जाने का अपना अलग ही आनन्द है । जेठानी औरत तो थी ही पर उसकी विशाल लंड मेँ गजब का ताकत था । जेठानी की चोदाई से मिली आनंद पहले कभी नहीँ मिली थी उसे । बडी बेरहमी से उसे चोदा था जेठानी ने । काश! दीप्ति इस समय उसके पास होती । दुसरा था भतीजा अजय जो अभी नौजवान है और उसे बड़ी आसानी प्रलोभन देकर अपनी चूत चटवाई जा सकती है । फ़िर वो दीप्ति की लंड की तरह ही उसके मुहं पर भी वैसे ही पानी बरसायेगा । मजा आ जायेगा । पता नहीं कब इन विचारों में खोई हुई उसकी आंख लग गयी । देर रात्रि में जब प्यास लगने पर उठी तो पूरा घर गहन अन्धेरे में डूबा हुआ था । बिस्तर के दूसरी तरफ़ कुमार खर्राटे भर रहे थे । पानी पीने के लिये उसे रसोई में जाना पड़ेगा सोच कर बहुत आहिस्ते से अपने कमरे से बाहर निकली । सामने ही अजय का कमरा था ।

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Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड

Unread post by jasmeet » 18 Jun 2016 20:28

शोभा चुपके से अजय के कमरे का दरवाजा खोला और दबे पांव भीतर दाखिल हो गई । कमरे में घुसते ही उसने किसी मादा शरीर को अजय के शरीर पर धीरे धीरे उछलते देखा । दीप्ति के अलावा और कौन हो सकता है इस वक्त इस घर में जो अजय के इतना करीब हो । अजय की कमर पर सवार उसके लन्ड को अपनी भारी गांड के छेद में समाये दीप्ति तालबद्ध तरीके से गांड मरवा रही थी । खिड़की से आती स्ट्रीट लाईट की मन्द रोशनी में उसके उछलते चूंचे और मुहं से निकलती धीमी कराहो से दीप्ति की मनोस्थिति का आंकलन करना मुश्किल नहीं था । “अभी अभी मुझे चोदी है और फ़िर से अपने बेटे के ऊपर चढ़ गई” मन ही मन दीप्ति को गन्दी गन्दी गालियां बक रही थी शोभा । खुद के तन भी वही आग लगी हुई थी ।

उधर दीप्ति पूरे जोशो खरोश के साथ अजय से चुदने में लगी हुई थी । रह रहकर उसके हाथों की चूड़ियां खनक रही थी । दीप्ति की 8 इंच लम्बा और मोटा लंड उछलने से हवा मेँ लहरा रहा था और गले में पड़ा मंगल्सूत्र भी दोनों स्तनों के बीच उछल कर थपथपा कर उत्तेजक संगीत पैदा कर रहा था । ये सब शोभा की चूत में फ़िर से पानी बहाने के लिये पर्याप्त था । आभूषणों से लदी अजय के ऊपर उछलती जेठानी काम की देवी ही लग रही थी । दीप्ति की उछलती लंड देखते ही शोभा की पहले से नम बुर की दिवारोँ ने अब रिसना चालु कर दिया था । शोभा को अब मम्मी की लंड चाहिये था । सिर्फ़ पत्थर की तरह सख्त जेठानी की लंड ही उसे तसल्ली दे पायेगी । अब यहां खड़े रह कर मां पुत्र की काम क्रीड़ा देखने भर से काम नहीं चलने वाला था । शोभा मजबूत कदमों के साथ दीप्ति की और बढ़ी और पीछे से उसका कन्धा थाम कर अपनी और खींचा । हाथ आगे बढ़ा शोभा ने दीप्ति के उछलते कूदते स्तनों को भी हथेलियों में भर लिया । कोई और समय होता तो दीप्ति शायद उसे रोक पाती पर इस क्षण तो वो एक उत्तेजना से गुजर रही थी । अजय नीचे से आंख बन्द किये माँ के गांड मेँ धक्के पर धक्के लगा रहा था । इधर दीप्ति को झटका तो लगा पर इस समय स्तनों को सहलाते दबाते शोभा के मुलायम हाथ उसे भा रहे थे । कुछ ही क्षण में आने वाली नई स्थिति को सोचने का समय नहीं था अभी उसके पास । शोभा को बाहों में भर दीप्ति उसके सहारे से अजय के तने हथौड़े पर कुछ ज्यादा ही जोश से कूदने लगी । “शोभा–आह–आआह”, दीप्ति अपनी लंड में उठती विर्य की लहरों से जोरो से सिसक पड़ी । वो भी थोड़ी देर पहले ही अजय के कमरे में आई थी । शोभा की तरह उसकी लंड की आग भी एक बार में ठंडी नहीं हुई थी और फिर चोदने के बाद गांड नहीं मराई थी ।

आज अजय की बजाय अपनी प्यास बुझाने के उद्देश्य से चुदाई कर रही थी । अजय की जब नींद खुली तो मां बेदर्दी से उसके फ़ूले हुये लंड को अपनी गांड में समाये उठक बैठक लगा रही थी और माँ के आधे तने मूषल लंड और अंडकोष उसके पेट पर रगड खा रहे थे । लाचार अजय एक हाथ बढा कर माँ के लंड को पकड लिया और माँ के उछलने से लंड अपने आप पम्प होता गया । आज रात अपनी मां की इस हिंसक करतूत से संभल भी नहीं पाया था कि दरवाजे से किसी और को भी कमरे में चुपचाप आते देख कर हैरान रह गया । पर किसी भी तरह के विरोद्ध की अवस्था में नहीं छोड़ था आज तो मां ने ।

“शोभा तुम्हें यहां नहीं आना चाहिये था, प्लीज चली जाओ ।” दीप्ति विनती कर रही थी । शोभा के गदराये बदन को बाहों में लपेटे दीप्ति उसकी हथेलियों को अपने दुखते स्तनों पर फ़िरता महसूस कर उसकी उत्तेजना बढ गई । लेकिन अपने बेटे के सामने.. नहीं नहीं । रोकना होगा ये सब ।

किन्तु किशोर अजय का लंड तो मां के मुख से अपनी चाची का नाम सुनकर और ज्यादा कठोर हो गया । दीप्ति ने शोभा को धक्का देने की कोशिश की और इस हाथापाई में शोभा के बदन पर लिपटी एक मात्र रेशमी चादर खुल कर गिर पड़ी । हॉल से आकर थकी हुई शोभा नंगी ही अपने बिस्तर में घुस गई थी । जब पानी पीने के लिये उठी तो मर्यादावश बिस्तर पर पड़ी चादर को ही लपेट कर बाहर आ गई थी । शोभा के नंगे बदन का स्पर्श पा दीप्ति के तन बदन में बिजली सी दौड़ गई, उसकी सोया लंड जाग उठा । एकाएक उसका विरोध भी ढीला पड़ गया । अजय के लंड को चोदते हुये दीप्ति और कस कर शोभा से लिपट गई । नीचे अजय अपनी माता की गिली हुई गांड के छेद को अपने लंड से भर रहा था तो ऊपर से चाची ने दाहिना हाथ आगे बढ़ा कर मम्मी की तने हुए लंड को कस के पकड ली । किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह शोभा चाची ने मम्मी के तने हुए लंड के फोर-स्कीन को उपर-निचे करते हुए लाल सुपाडे को अंदर बाहर करने लगी । लंड पर चाची की उन्गलियों का चिर परिचित स्पर्श पा मम्मी मजे में कराहा, “ईईईई”. “हां शोभा”, शोभा चाची ने भी नीचे देखते हुये हुंकार भरी । दीप्ति की गांड अजय के लंड के कारण चौड़ी हुई पड़ी थी और शोभा भी उसे बख्श नहीं रही थी । रह रह कर बार बार जेठानी के लंड के सुपाडे पर जिभ फिरा रही थी । दीप्ति बार बार अजय की जांघों पर ही अपनी भारी नितम्ब को गोल गोल घुमा और ज्यादा उत्तेजना पैदा करने की कोशिश कर रही थी ।

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