hindi thriller sex story - दोनों की लुगाई
Re: hindi thriller sex story - दोनों की लुगाई
रानी ने बेझिझक अपने हाथेलियो से रंगा की गोटियों को मसालने लगी.
– धीरे-धीरे, रानी, बहुत नाज़ुक है. आराम से मींजो ज़रा.
रानी हौले-हौले गोटियाँ मीसने लगी.
इस प्रक्रिया में रंगा को अत्यधिक आनंद आ रहा था. गोटियों के मीसने से खुद-बा-खुद उसके चेहरे पे एक नशीली मुस्कान थिरकने लगी. उसने रानी कर सर पीछे से थाम रखा था. 1-2 मिनिट में उसका नशा बढ़ने लगा तो उसने अपना लंड रानी के मूह में 5“ धकेल दिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी.
रानी का फिर से बुररा हाल होने लगा और उसके गाले से गू…गूओ आवाज़ आने लगी. गाल आँसुओं से तर-बतर हो गये.
5 मिनट बाद रंगा का बाँध टूट गया और रानी के मूह में गरम वीर्य का सैलाब आ गया.
इस गर्माहट में यूँ लग रहा था जैसे उसका पूरा अस्तित्वा बह जाएगा. पर फिर भी अपने देवताओं में आस्था ने उसे हिम्मत दी और उसने एक बूँद भी बाहर गिरने ना दिया. आख़िर में उसने जीभ से होठ चाटकर बाकी वीर्य भी ग्रहण कर लिया.
सब होने के बाद दोनो रानी के आजू-बाजू बैठ गये और प्रशानशा भरे स्वर में बोले – वाह गुड़िया!! तू तो सबसे अच्छी पुजारीन है. इतना प्रसाद तो शायद ही किसी भक्त को मिला होगा. याद रखना जितना ज़्यादा प्रसाद निकलॉगी और पीयोगी उतना तुम्हारा रंग निखरेगा, तंदुरुस्त रहोगी, बाल मजबूत रहेंगे और चेहरे पे तेज रहेगा.
दोनो रानी के लंड चूसने से अती प्रसन्न थे. रंगा बोला – तुमने हमको बहुत प्रसन्न किया है तो अब हम तुमको इनाम देंगे.
उन्होने सोच रखा था की अब वो इस नन्ही कली को फूल बना देंगे, पर रानी ने उन्हे इतना खुश कर दिया था की उन्होने सोचा दर्द देने के पहले थोड़ा रानी को और मीठा सुख दे देते हैं.
ये कहते हुए उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया. अब जग्गा रानी के पावं के तरफ आया और घुटनों से मोडते हुए फैला दिया. इतने में रंगा ने अपने जलते होठ रानी के नरम-नाज़ुक रसीले होठों पे रख दिए. वो रानी के मूह में अपनी जीभ धकेलकर गोल-गोल घुमाने लगा. उसकी ये क्रीड़ा रानी को अच्छी लगी और वो भी जवाब में अपनी जीभ से रंगा के जीभ को चाटने लगी.
रानी के मूह से गुलाब जल और वीर्या की मिली-जुली टेस्ट आ रही थी जो रंगा जी भर कर चूस चाट कर पी रहा था. पर इन सब में रानी को रंगा की घनी मूछों की वजह से चेहरे पर गुदगुदी भी हो रही थी जो सारे क्रीड़ा को और आनंदमयी बना रहा था.
जग्गा ने रानी के घाघरा को कमर तक उपर उठा दिया. जांघों पर ठंडी लहर महसूस कर रानी ने कनखियों से नीचे देखा तो पाया की जग्गा उसके अनछुई चूत के करीब अपने सर घुसाए अधलेटा था. इतने में ही जग्गा की गरम लपलपाति जीभ का एहसास उसे अपने चूत पर हुआ. ठंडी कपकपि से उसका पूरा वजूद हिल गया और रंगा के साथ चुंबन क्रीड़ा थम गयी. रंगा समझ गया और फिर उसने रानी के लबों से अपने होठ हटा दिए ताकि रानी अपनी चूत के साथ होते कलापों को देख सके. अब उसने उसके गर्दन, कान के लाओं, और वाक्स पर चूमना-चाटना शुरू कर दिया.
इधर जग्गा ने पहले चुंबन के बाद रानी की चूत को गौर से निहारा जो किसी नवजात बच्चे के होठों जैसी गुलाबी और फूलों की पंखुड़ी जैसी नाज़ुक दिख रही थी.
कुँवारी होने की वजह से रानी की चूत का दाना (पेशाब की नली) भी नही दिखता था. झाट बिल्कुल नाम मात्र की.
जग्गा ने हौले से दोनो हाथ के अंगूठे से रानी की चूत के फाकों को हल्का सा फैलाया तो दाना दिखने लगा. फिर उसने अपनी लार टपका कर जीभ उस दाने पर रख कर चुभलने लगा.
रानी के पूरे बदन में एक तररतराहट हुई और उसके रोंगटे खड़े हो गये.
1-2 मिनट के बाद जग्गा ने रानी की गहराई नापने की सोची और अपने दाये हाथ की मिड्ल उंगली में लार लगाई और फिर से फाकों को फैलाते हुए चूत के द्वार पर रखा और धीरे से अंदर घुसाने लगा.
अचानक इस क्रीड़ा से रानी को दर्द का आभास हुआ और वो हल्की सी चीक्ख पड़ी. जग्गा समझ गया शायद उसने रानी की झिल्ली टच कर दी है. उसकी उंगली मुस्किल से 2-3“ अंदर ही घुसी होगी. उसने रानी की सील लंड से ही तोड़ने का सोच कर उंगली बाहर निकाल ली और थोड़ा और थूक लगाकर लंड से पेलने लगा.
रानी को अती आनंद आ रहा था. वो कमसिन जवानी आने वाले दर्दनाक पलों से अंजान ये सोचकर आंदोलित थी की क्या यही आनंद का चरम है या अभी और भी कुछ बाकी है.
– धीरे-धीरे, रानी, बहुत नाज़ुक है. आराम से मींजो ज़रा.
रानी हौले-हौले गोटियाँ मीसने लगी.
इस प्रक्रिया में रंगा को अत्यधिक आनंद आ रहा था. गोटियों के मीसने से खुद-बा-खुद उसके चेहरे पे एक नशीली मुस्कान थिरकने लगी. उसने रानी कर सर पीछे से थाम रखा था. 1-2 मिनिट में उसका नशा बढ़ने लगा तो उसने अपना लंड रानी के मूह में 5“ धकेल दिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी.
रानी का फिर से बुररा हाल होने लगा और उसके गाले से गू…गूओ आवाज़ आने लगी. गाल आँसुओं से तर-बतर हो गये.
5 मिनट बाद रंगा का बाँध टूट गया और रानी के मूह में गरम वीर्य का सैलाब आ गया.
इस गर्माहट में यूँ लग रहा था जैसे उसका पूरा अस्तित्वा बह जाएगा. पर फिर भी अपने देवताओं में आस्था ने उसे हिम्मत दी और उसने एक बूँद भी बाहर गिरने ना दिया. आख़िर में उसने जीभ से होठ चाटकर बाकी वीर्य भी ग्रहण कर लिया.
सब होने के बाद दोनो रानी के आजू-बाजू बैठ गये और प्रशानशा भरे स्वर में बोले – वाह गुड़िया!! तू तो सबसे अच्छी पुजारीन है. इतना प्रसाद तो शायद ही किसी भक्त को मिला होगा. याद रखना जितना ज़्यादा प्रसाद निकलॉगी और पीयोगी उतना तुम्हारा रंग निखरेगा, तंदुरुस्त रहोगी, बाल मजबूत रहेंगे और चेहरे पे तेज रहेगा.
दोनो रानी के लंड चूसने से अती प्रसन्न थे. रंगा बोला – तुमने हमको बहुत प्रसन्न किया है तो अब हम तुमको इनाम देंगे.
उन्होने सोच रखा था की अब वो इस नन्ही कली को फूल बना देंगे, पर रानी ने उन्हे इतना खुश कर दिया था की उन्होने सोचा दर्द देने के पहले थोड़ा रानी को और मीठा सुख दे देते हैं.
ये कहते हुए उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया. अब जग्गा रानी के पावं के तरफ आया और घुटनों से मोडते हुए फैला दिया. इतने में रंगा ने अपने जलते होठ रानी के नरम-नाज़ुक रसीले होठों पे रख दिए. वो रानी के मूह में अपनी जीभ धकेलकर गोल-गोल घुमाने लगा. उसकी ये क्रीड़ा रानी को अच्छी लगी और वो भी जवाब में अपनी जीभ से रंगा के जीभ को चाटने लगी.
रानी के मूह से गुलाब जल और वीर्या की मिली-जुली टेस्ट आ रही थी जो रंगा जी भर कर चूस चाट कर पी रहा था. पर इन सब में रानी को रंगा की घनी मूछों की वजह से चेहरे पर गुदगुदी भी हो रही थी जो सारे क्रीड़ा को और आनंदमयी बना रहा था.
जग्गा ने रानी के घाघरा को कमर तक उपर उठा दिया. जांघों पर ठंडी लहर महसूस कर रानी ने कनखियों से नीचे देखा तो पाया की जग्गा उसके अनछुई चूत के करीब अपने सर घुसाए अधलेटा था. इतने में ही जग्गा की गरम लपलपाति जीभ का एहसास उसे अपने चूत पर हुआ. ठंडी कपकपि से उसका पूरा वजूद हिल गया और रंगा के साथ चुंबन क्रीड़ा थम गयी. रंगा समझ गया और फिर उसने रानी के लबों से अपने होठ हटा दिए ताकि रानी अपनी चूत के साथ होते कलापों को देख सके. अब उसने उसके गर्दन, कान के लाओं, और वाक्स पर चूमना-चाटना शुरू कर दिया.
इधर जग्गा ने पहले चुंबन के बाद रानी की चूत को गौर से निहारा जो किसी नवजात बच्चे के होठों जैसी गुलाबी और फूलों की पंखुड़ी जैसी नाज़ुक दिख रही थी.
कुँवारी होने की वजह से रानी की चूत का दाना (पेशाब की नली) भी नही दिखता था. झाट बिल्कुल नाम मात्र की.
जग्गा ने हौले से दोनो हाथ के अंगूठे से रानी की चूत के फाकों को हल्का सा फैलाया तो दाना दिखने लगा. फिर उसने अपनी लार टपका कर जीभ उस दाने पर रख कर चुभलने लगा.
रानी के पूरे बदन में एक तररतराहट हुई और उसके रोंगटे खड़े हो गये.
1-2 मिनट के बाद जग्गा ने रानी की गहराई नापने की सोची और अपने दाये हाथ की मिड्ल उंगली में लार लगाई और फिर से फाकों को फैलाते हुए चूत के द्वार पर रखा और धीरे से अंदर घुसाने लगा.
अचानक इस क्रीड़ा से रानी को दर्द का आभास हुआ और वो हल्की सी चीक्ख पड़ी. जग्गा समझ गया शायद उसने रानी की झिल्ली टच कर दी है. उसकी उंगली मुस्किल से 2-3“ अंदर ही घुसी होगी. उसने रानी की सील लंड से ही तोड़ने का सोच कर उंगली बाहर निकाल ली और थोड़ा और थूक लगाकर लंड से पेलने लगा.
रानी को अती आनंद आ रहा था. वो कमसिन जवानी आने वाले दर्दनाक पलों से अंजान ये सोचकर आंदोलित थी की क्या यही आनंद का चरम है या अभी और भी कुछ बाकी है.
Re: hindi thriller sex story - दोनों की लुगाई
जग्गा का चूत चूसना और रंगा के चूसने-चाटने से रानी का चेहरा और छाती तो लाल हो ही गया था पर कचौरी जैसी फूली चूत भी सनसना गयी थी.
जग्गा कभी उसके दाने को जीभ से चाट रहा था तो कभी चूत में जीभ डालकर आग लगा रहा था. उंगलियों के पेलने से तो मानो अंदर तूफान सा आ रहा था.
10 मिनट में रानी को लगा उसके बदन की सारी एनर्जी उसकी चूत में आ गयी है और एक बाढ़ (फ्लड) बनकर बाहर निकल जाना चाहती है.
इस अनुभव से अंजान उसके बदन ने एक झटका लिया और सचमुच सारे बाँध तोड़ दिए. जग्गा को रानी के गीलेपन का अहसास अपनी उंगलियों पर हुआ.
अपना सारा रस निकालने के बाद रानी बेड पर निढाल पड़ी रही. करीब 5 मिनट रंगा-जग्गा ने भी उसे डिस्टर्ब नही किया और उस बीच रंगा ने बाहर से कुछ बूटी लाकर बेड के बाजू मैं मेज पर रख दी.
मस्ती और थकान से निढाल रानी 5 मिनट बाद उठके बैठी तो देखा उसका घांघरा कमर तक उठा हुआ था और बदन पर गहनों को छ्चोड़ कुछ भी नही था. अपनी इस अवस्था को भाप रानी शरम से लाल हो गयी और घान्घरे को नीचे तक सरका अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया.
ये देख रंगा हँसते हुए बोला – अभी भी शरमावत है गुड़िया रानी!! अब तो बस आखरी काम बाकी है – तुमको पूरा जवान करने का काम!
ये कहते हुए दोनो बिस्तर पे आ गये और रानी के हाथों को छाती पर से हटके उसे लिटा दिया.
जग्गा ने फिर से रानी के पैर घुटनो से मॉड्कर अपने घुटनों के बल चलता हुआ जांगों के बीच आ गया. रानी ने उसे ऐसा करता देख आने वाले ख़तरे को भापके सहम गयी. माला की सिखाई हुई बातें उसे फिर याद आने लगी और वो जग्गा के मोटे-लंबे लंड को भयभीत नज़रों से देखते हुए सोचने लगी की ये तो उसके कलाई जितना मोटा है कैसे उसके नन्ही सी चूत में समा पाएगा????
इन्ही ख़यालों में खोई हुई थी जब जग्गा ने डब्बी से वॅसलीन निकाला और अपने लंड पे ढेर सारा लगा लिया और अपने दाए हाथ से लंड पकड़कर सूपड़ा रानी के चूत पर रखके सहलाने लगा.
रानी डारी हुई थी पर इस घर्षण से वो फिर से मस्त हो गयी. जग्गा ने दूसरे हाथ की दो उंगलियों से चूत के फाकों को फैलाया और सूपड़ा हल्के दबाव से उसके चूत में ½ “ घुसा दिया. रानी को अभी कुछ ख़ास एहसास नही हुआ.
रंगा ने रानी के सर के तरफ से आकर जग्गा की तरफ फेस कर अपना लंड रानी के मूह में घुसेड दिया. इतने में लंड निशाने पे रख जग्गा ने 1“ और घुसेड दिया.
इस बार रानी को गहरे दर्द का आभास हुआ पर मूह लंड से भरा होने से घुटि-घुटि चीख निकली.
जग्गा ने उतने पे ही रुक कर 1 ½ “ लंड हौले-हौले पेलने लगा.
रानी का दर्द कुछ कम हुआ ही था की 2 मिनट बाद उसने एक करारा झटका दिया और लंड सारी अड़चने पार करता हुआ 5” अंदर समा गया. फ़चक की आवाज़ के साथ रानी की चूत ने खून का कुल्ला किया और लंड के साइड से रीसने लगा. झिल्ली फॅट ते ही रानी की घुटि चीख फिर निकली. तभी रंगा ने लंड मूह से निकाल लिया और रानी की दर्द भरी चीखें उस कमरे में गूंजने लगी.
निका…..काल लीजिए प्लीईईईईईसए हम मर जाएँगे आ.आ.आ…………….आ.आआआ.
फॅट गया मेरा बूर………….प्लीईईईईईसए.
रो-रोकर रानी का बुरा हाल था और दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.
जग्गा बोला – रोवे से कोई फाय्दा नही है गुड़िया, ई तो होना ही था. 5 मिनट में सब ठीक हो जाएगा और तुमको आनंद आएगा.
रानी बकरी जैसी मिमियाते हुए बोली – हम मर जाएँगे. प्लीज़ निकाल लीजिए.
जग्गा ने उसकी बात अनसुनी कर रानी की दोनो जंघें अपने हाथ से थामकर लंड 4” बाहर निकाला और हौले-हौले 5” तक पेलता रहा. रानी दर्द से बिलबिला रही थी और मूह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी जैसे बकरे के गर्देन पर कसाई के चाकू के रेतने पर निकलती है.
2 मिनट बाद जग्गा के हल्के धक्कों से रानी थोडा सामानया हुई पर दर्द अभी भी था.
रंगा अभी भी रुका हुआ था. तब जग्गा एक सेकेंड के लिए ठीठका और फिर एक और जोरदार धक्का दिया. रानी की आँखें बाहर की तरफ उबल पड़ी. उसका मूह खुला का खुला रह गया पर आवाज़ ना निकल पाई.
इस बार करीब 9” अंदर पैठ चुका था जग्गा का लंड. रानी के खुले मुँह में झट से रंगा ने अपना लंड घुसा दिया. अब रानी सिर्फ़ अंदर से दर्द महसूस कर रोती जा रही थी. 5 सेकेंड के पॉज़ के बाद जग्गा ने धीरे-धीरे 9“ पेलने लगा. रानी को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे पैरों के बीच से दो टुकड़ों में काट रहा हो. रंगा के टटटे रानी के नाक पर चोट कर रहे थे जिससे उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी. पर शायद उसके देवता यही चाहते थे.
जग्गा कभी उसके दाने को जीभ से चाट रहा था तो कभी चूत में जीभ डालकर आग लगा रहा था. उंगलियों के पेलने से तो मानो अंदर तूफान सा आ रहा था.
10 मिनट में रानी को लगा उसके बदन की सारी एनर्जी उसकी चूत में आ गयी है और एक बाढ़ (फ्लड) बनकर बाहर निकल जाना चाहती है.
इस अनुभव से अंजान उसके बदन ने एक झटका लिया और सचमुच सारे बाँध तोड़ दिए. जग्गा को रानी के गीलेपन का अहसास अपनी उंगलियों पर हुआ.
अपना सारा रस निकालने के बाद रानी बेड पर निढाल पड़ी रही. करीब 5 मिनट रंगा-जग्गा ने भी उसे डिस्टर्ब नही किया और उस बीच रंगा ने बाहर से कुछ बूटी लाकर बेड के बाजू मैं मेज पर रख दी.
मस्ती और थकान से निढाल रानी 5 मिनट बाद उठके बैठी तो देखा उसका घांघरा कमर तक उठा हुआ था और बदन पर गहनों को छ्चोड़ कुछ भी नही था. अपनी इस अवस्था को भाप रानी शरम से लाल हो गयी और घान्घरे को नीचे तक सरका अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया.
ये देख रंगा हँसते हुए बोला – अभी भी शरमावत है गुड़िया रानी!! अब तो बस आखरी काम बाकी है – तुमको पूरा जवान करने का काम!
ये कहते हुए दोनो बिस्तर पे आ गये और रानी के हाथों को छाती पर से हटके उसे लिटा दिया.
जग्गा ने फिर से रानी के पैर घुटनो से मॉड्कर अपने घुटनों के बल चलता हुआ जांगों के बीच आ गया. रानी ने उसे ऐसा करता देख आने वाले ख़तरे को भापके सहम गयी. माला की सिखाई हुई बातें उसे फिर याद आने लगी और वो जग्गा के मोटे-लंबे लंड को भयभीत नज़रों से देखते हुए सोचने लगी की ये तो उसके कलाई जितना मोटा है कैसे उसके नन्ही सी चूत में समा पाएगा????
इन्ही ख़यालों में खोई हुई थी जब जग्गा ने डब्बी से वॅसलीन निकाला और अपने लंड पे ढेर सारा लगा लिया और अपने दाए हाथ से लंड पकड़कर सूपड़ा रानी के चूत पर रखके सहलाने लगा.
रानी डारी हुई थी पर इस घर्षण से वो फिर से मस्त हो गयी. जग्गा ने दूसरे हाथ की दो उंगलियों से चूत के फाकों को फैलाया और सूपड़ा हल्के दबाव से उसके चूत में ½ “ घुसा दिया. रानी को अभी कुछ ख़ास एहसास नही हुआ.
रंगा ने रानी के सर के तरफ से आकर जग्गा की तरफ फेस कर अपना लंड रानी के मूह में घुसेड दिया. इतने में लंड निशाने पे रख जग्गा ने 1“ और घुसेड दिया.
इस बार रानी को गहरे दर्द का आभास हुआ पर मूह लंड से भरा होने से घुटि-घुटि चीख निकली.
जग्गा ने उतने पे ही रुक कर 1 ½ “ लंड हौले-हौले पेलने लगा.
रानी का दर्द कुछ कम हुआ ही था की 2 मिनट बाद उसने एक करारा झटका दिया और लंड सारी अड़चने पार करता हुआ 5” अंदर समा गया. फ़चक की आवाज़ के साथ रानी की चूत ने खून का कुल्ला किया और लंड के साइड से रीसने लगा. झिल्ली फॅट ते ही रानी की घुटि चीख फिर निकली. तभी रंगा ने लंड मूह से निकाल लिया और रानी की दर्द भरी चीखें उस कमरे में गूंजने लगी.
निका…..काल लीजिए प्लीईईईईईसए हम मर जाएँगे आ.आ.आ…………….आ.आआआ.
फॅट गया मेरा बूर………….प्लीईईईईईसए.
रो-रोकर रानी का बुरा हाल था और दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.
जग्गा बोला – रोवे से कोई फाय्दा नही है गुड़िया, ई तो होना ही था. 5 मिनट में सब ठीक हो जाएगा और तुमको आनंद आएगा.
रानी बकरी जैसी मिमियाते हुए बोली – हम मर जाएँगे. प्लीज़ निकाल लीजिए.
जग्गा ने उसकी बात अनसुनी कर रानी की दोनो जंघें अपने हाथ से थामकर लंड 4” बाहर निकाला और हौले-हौले 5” तक पेलता रहा. रानी दर्द से बिलबिला रही थी और मूह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी जैसे बकरे के गर्देन पर कसाई के चाकू के रेतने पर निकलती है.
2 मिनट बाद जग्गा के हल्के धक्कों से रानी थोडा सामानया हुई पर दर्द अभी भी था.
रंगा अभी भी रुका हुआ था. तब जग्गा एक सेकेंड के लिए ठीठका और फिर एक और जोरदार धक्का दिया. रानी की आँखें बाहर की तरफ उबल पड़ी. उसका मूह खुला का खुला रह गया पर आवाज़ ना निकल पाई.
इस बार करीब 9” अंदर पैठ चुका था जग्गा का लंड. रानी के खुले मुँह में झट से रंगा ने अपना लंड घुसा दिया. अब रानी सिर्फ़ अंदर से दर्द महसूस कर रोती जा रही थी. 5 सेकेंड के पॉज़ के बाद जग्गा ने धीरे-धीरे 9“ पेलने लगा. रानी को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे पैरों के बीच से दो टुकड़ों में काट रहा हो. रंगा के टटटे रानी के नाक पर चोट कर रहे थे जिससे उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी. पर शायद उसके देवता यही चाहते थे.
Re: hindi thriller sex story - दोनों की लुगाई
5 मिनट धीरे पेलने के बाद जग्गा ने महसूस किया की रानी का रोना अब गरम आहों में बदल गया था. तब उसने पेलने की रफ़्तार बढ़ा दी और उसका खून से रंगा लंड रानी के घायल चूत में रेल केइंजन के पिस्टन जैसे अंदर-बाहर करने लगा.
गहरा दर्द अब हल्का मीठा सा लगने लगा था रानी को परजब भी जग्गा का लंड 10” अंदर जाकर उसके गर्भ तक चोट करता तो रानी का बदन झटके लेता था.
रानी ने अब अपनी टाँगें जग्गा के कमर पर लपेटने की कोशिश की जो उसके विशालकाय जिस्म को लपेट भी नही पा रही थी.
कुछ ही समय में रानी ने अपनी कमर उचकाके जग्गा के धक्कों का साथ देने लगी.
पूरे कमरा मैं रानी के पायल की छमछमाहट भर गयी थी. रंगा-जग्गा-रानी की गरम साँसें और चूत पे पड़ रहे लंड की थपथपाहट से रूम गूँज उठा.
उन दोनो सांड जैसे विशालकाय दानवों के बीच में रानी जैसे 4.5’ की नन्ही-मुन्नी गुड़िया पीसती जा रही थी. दूर से कोई देखे तो रानी की जग्गा के जांगों के मुक़ाबले नन्ही टाँगें ही नज़र आ रही थी. मूह तो रंगा के लंड से ढका था और बाकी पूरा जिस्म जग्गा से.
जग्गा अब रानी पर थोडा झुक गया और उसकी घुंडीयों को मसल्ने लगा. रानी का मीठा दर्द और बढ़ गया और उसे फिर से एक बाँध के टूटने का एहसास हुआ.
यही समय था जब जग्गा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर एक झटके साथ अपनी कमर रानी की चूत पर चिपकाते हुए अंदर एक लंबी वीर्या की पिचकारी छ्चोड़ी जो रानी के गर्भ को गरम कर गयी.
रानी छटपटा उठी. इतने में रंगा ने भी अपना वीर्य का फव्वारा रानी के गले में छ्चोड़ दिया.
1-1 ग्लास वीर्य अपने दोनो च्छेदों से पीने के बाद रानी थक कर चूर हो गयी थी. जग्गा ने यक्कीन कर लिया की सारा वीर्य गर्भ में समा गया है तो 2-3 मिनट बाद अपना लंड चूत से निकाल लिया. ‘प्लुप्प’ की आवाज़ क साथ उसका खून से सना लंड बाहर निकल गया.
लंड निकला तो रानी की फूलती-पिचकति चूत के दर्शन हुए जो 1” खुली हुई दिख रही थी. आस पास खून जम गया था जो जांघों तक रीस कर भी आ गया था.
रानी तो ऐसा लग रहा था बेहोश हो चुकी हो पर तभी रंगा ने वो बूटी रानी को सूँघाई तो सपकपाते हुए उठ बैठी. अपनी चूत को निहारते हुए उसने बिल्कुल मासूमियत से बोला – आख़िर फॅट ही गया ना मेरा योनि?? पर ठीक है अब बार बार तो नही फटेगा ना??
तभी उसे एहसास हुआ की होठों के साइड से वीर्य की एक धार नीचे गिर रही है तो उसने झट से उसे उंगली में लपेट चाट लिया.
नही फटेगा गुड़िया रानी, अब तो तुमको हमेशा स्वर्ग का आनंद आएगा – रंगा बोला.
जग्गा ने रानी के चुनरी से अपने लंड को सॉफ किया फिर रानी के खून से सने चूत और जांघों को साफ किया.
दो बार हल्का होकर वो भी फिलहाल थक गये थे. रानी को बीच में सुला दोनो उसके आजू-बाजू नगनवस्था में सो गये.
करीब 3-4 बजे सुबह की बात होगी जब रानी ने अलसाते हुए एक मादक अंगड़ाई ली जैसे ही बेड से उठना चाहा, छाती पे एक दबाव की वजह से फिर से बेड पर गिर गयी. ठीक से आँखें कोला तो देखा रंगा जो उसके दाए साइड था मूह दूसरी तरफ करवट कर सोया हुआ था और जग्गा जो उसकी तरफ करवट किए था, उसका लेफ्ट हाथ रानी के सीने पे था और लेफ्ट जाँघ उसके पैरों पे.
रानी को बड़े ज़ोरों से सूसू लगी थी और उसकी कमर टूट रही थी. लंबी चुदाई से उसका चूत का रेशा-रेशा ढीला हो गया था. उसने जग्गा के हाथ को तो उठा कर साइड कर दिया पर उसकी जाँघ बेहद भारी थी. अब वो उठ बैठी थी और किसी तरह जाँघ उठाने का प्रयास कर रही थी. इस चहल-पहल में जग्गा की नींद भी उचट गयी और वो आँखें मीचता हुआ उठ बैठा.
रानी की ठुड्डी पे हाथ रख पुचकारते हुए उसने पूछा – का बात है गुड़िया रानी, का हो गया आधी रात को??
रानी ने अल्साते हुए भोलेपन से बोली – नीचे बहुत दुख रहा है और जल भी रहा है. उसपे से बहुत ज़ोर से पेसाब आया है.
उसके भोलेपन पर जग्गा मुस्कुराया और अपने पैर हटाके बोला – जाओ बूछिया जाओ! जाओ जाके मूत आओ.
रानी बेड से उठी तो एक बार को लड़खड़ा गयी क्यूंकी उसकी थॅकी टाँग और बहाल कमर ने जवाब दे दिया. जैसे तैसे करती वो दरवाजे तक पहुँची तो बाहर देखा काफ़ी अंधेरा था.
वो काफ़ी डर गयी. उसने धीरे से मिन्नत भरे स्वर में आवाज़ दी – आए जी सुनते हैं??
ज़रा हुमको गुसलखाने तक राह दिखा दीजीएना, यहाँ बहुत अंधेरा है!
गहरा दर्द अब हल्का मीठा सा लगने लगा था रानी को परजब भी जग्गा का लंड 10” अंदर जाकर उसके गर्भ तक चोट करता तो रानी का बदन झटके लेता था.
रानी ने अब अपनी टाँगें जग्गा के कमर पर लपेटने की कोशिश की जो उसके विशालकाय जिस्म को लपेट भी नही पा रही थी.
कुछ ही समय में रानी ने अपनी कमर उचकाके जग्गा के धक्कों का साथ देने लगी.
पूरे कमरा मैं रानी के पायल की छमछमाहट भर गयी थी. रंगा-जग्गा-रानी की गरम साँसें और चूत पे पड़ रहे लंड की थपथपाहट से रूम गूँज उठा.
उन दोनो सांड जैसे विशालकाय दानवों के बीच में रानी जैसे 4.5’ की नन्ही-मुन्नी गुड़िया पीसती जा रही थी. दूर से कोई देखे तो रानी की जग्गा के जांगों के मुक़ाबले नन्ही टाँगें ही नज़र आ रही थी. मूह तो रंगा के लंड से ढका था और बाकी पूरा जिस्म जग्गा से.
जग्गा अब रानी पर थोडा झुक गया और उसकी घुंडीयों को मसल्ने लगा. रानी का मीठा दर्द और बढ़ गया और उसे फिर से एक बाँध के टूटने का एहसास हुआ.
यही समय था जब जग्गा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर एक झटके साथ अपनी कमर रानी की चूत पर चिपकाते हुए अंदर एक लंबी वीर्या की पिचकारी छ्चोड़ी जो रानी के गर्भ को गरम कर गयी.
रानी छटपटा उठी. इतने में रंगा ने भी अपना वीर्य का फव्वारा रानी के गले में छ्चोड़ दिया.
1-1 ग्लास वीर्य अपने दोनो च्छेदों से पीने के बाद रानी थक कर चूर हो गयी थी. जग्गा ने यक्कीन कर लिया की सारा वीर्य गर्भ में समा गया है तो 2-3 मिनट बाद अपना लंड चूत से निकाल लिया. ‘प्लुप्प’ की आवाज़ क साथ उसका खून से सना लंड बाहर निकल गया.
लंड निकला तो रानी की फूलती-पिचकति चूत के दर्शन हुए जो 1” खुली हुई दिख रही थी. आस पास खून जम गया था जो जांघों तक रीस कर भी आ गया था.
रानी तो ऐसा लग रहा था बेहोश हो चुकी हो पर तभी रंगा ने वो बूटी रानी को सूँघाई तो सपकपाते हुए उठ बैठी. अपनी चूत को निहारते हुए उसने बिल्कुल मासूमियत से बोला – आख़िर फॅट ही गया ना मेरा योनि?? पर ठीक है अब बार बार तो नही फटेगा ना??
तभी उसे एहसास हुआ की होठों के साइड से वीर्य की एक धार नीचे गिर रही है तो उसने झट से उसे उंगली में लपेट चाट लिया.
नही फटेगा गुड़िया रानी, अब तो तुमको हमेशा स्वर्ग का आनंद आएगा – रंगा बोला.
जग्गा ने रानी के चुनरी से अपने लंड को सॉफ किया फिर रानी के खून से सने चूत और जांघों को साफ किया.
दो बार हल्का होकर वो भी फिलहाल थक गये थे. रानी को बीच में सुला दोनो उसके आजू-बाजू नगनवस्था में सो गये.
करीब 3-4 बजे सुबह की बात होगी जब रानी ने अलसाते हुए एक मादक अंगड़ाई ली जैसे ही बेड से उठना चाहा, छाती पे एक दबाव की वजह से फिर से बेड पर गिर गयी. ठीक से आँखें कोला तो देखा रंगा जो उसके दाए साइड था मूह दूसरी तरफ करवट कर सोया हुआ था और जग्गा जो उसकी तरफ करवट किए था, उसका लेफ्ट हाथ रानी के सीने पे था और लेफ्ट जाँघ उसके पैरों पे.
रानी को बड़े ज़ोरों से सूसू लगी थी और उसकी कमर टूट रही थी. लंबी चुदाई से उसका चूत का रेशा-रेशा ढीला हो गया था. उसने जग्गा के हाथ को तो उठा कर साइड कर दिया पर उसकी जाँघ बेहद भारी थी. अब वो उठ बैठी थी और किसी तरह जाँघ उठाने का प्रयास कर रही थी. इस चहल-पहल में जग्गा की नींद भी उचट गयी और वो आँखें मीचता हुआ उठ बैठा.
रानी की ठुड्डी पे हाथ रख पुचकारते हुए उसने पूछा – का बात है गुड़िया रानी, का हो गया आधी रात को??
रानी ने अल्साते हुए भोलेपन से बोली – नीचे बहुत दुख रहा है और जल भी रहा है. उसपे से बहुत ज़ोर से पेसाब आया है.
उसके भोलेपन पर जग्गा मुस्कुराया और अपने पैर हटाके बोला – जाओ बूछिया जाओ! जाओ जाके मूत आओ.
रानी बेड से उठी तो एक बार को लड़खड़ा गयी क्यूंकी उसकी थॅकी टाँग और बहाल कमर ने जवाब दे दिया. जैसे तैसे करती वो दरवाजे तक पहुँची तो बाहर देखा काफ़ी अंधेरा था.
वो काफ़ी डर गयी. उसने धीरे से मिन्नत भरे स्वर में आवाज़ दी – आए जी सुनते हैं??
ज़रा हुमको गुसलखाने तक राह दिखा दीजीएना, यहाँ बहुत अंधेरा है!