राधिका की चूत में कोमल की बात सुन कर हलचल मच
गयी थी. हां राधिका क्या बताऊ मैं तुझे आज तो मैं
तृप्त हो गयी समझ मगर अब भी मन नही भरा मेरा"
कोमल आंटी नें यह कहते हुए अंगड़ाई ली. मेरा चूत उसको
याद करके टपक रहा है कोमल आंटी नें कहा चल दिन में
तेरी गर्मी को शांत करने के लिए एक लंड मिल गया पर मेरा
क्या मैं तो दिन भर छटपटा ती ही रहती हूँ" राधिका आंटी
नें कहा.
अर्रे जी छोटा क्यो करती है तेरा जी चाहे तो तू बहती गंगा
में हाथ धो लेना तू कहेगी तो मैं तेरे लिए भी चक्कर
चला दूँगी . कोमल आंटी नें कहा मगर समस्या है कि
बहू का क्या किया जाए. कोमल नें चिंतित मुद्रा में आकर
पूछा कुछ नही मैं कुछ प्लान बनाती हूँ जल्दी चल अब मैं
जा रही हूँ" राधिका ये कहते हुए जाने के लिए उठी
मगर कोमल नें उसका हाथ पकड़ लिया और एक बार फिर से
कोई रास्ता निकालने की मिन्नते की,
राधिका आंटी नें प्यार से कहा कोमल तू चिंता मत कर और
हां ज़रा उस लड़के से अछी तरह से इंट्रोडक्षन तो करा ये
कह कर वो जाने के लिए मूडी. कोमल नें उसे टोकते हुए
कहा " राधिका एक काम कर जब सब सो जायें तो चुप चाप से
छत पर आ जाना मैं वहाः 1 बजे तक पहुँच जाऊंगी तू एक
काम कर 1.30 बजे तक आना मैं कोई ना कोई चक्कर चलाती
हूँ, राधिका आंटी के जाने के बाद कोमल आंटी फिर से
ड्रॉयिंग रूम में आ गयी जहाँ सब बैठे हुए थे.
कोमल आंटी के बैठते ही सूरज अंकल नें उनसे धीरे से
पूछा कि "क्या बात है डार्लिंग बड़ा देर लगा दिया कोई प्लॅनिंग
हो रही थी क्या. कहीं हमारे बारे में तो डिसकस नही कर
रही थी" कोमल आंटी नें मुस्कुराते हुए कहा चलो जी हटो
हमेशा तुम्हे एक ही चीज़ दिखती है" सूरज अंकल नें जवाब
दिया " चल आज रात तुझे बताता हूँ मैने आज तेरी गांद ना
मारी तो मेरा नाम बदल देना
कोमलने एक अदा के साथ मूह बना दिया. सूरज अंकल नेधीरे से
मुस्कुरा कर आंटी का हाथ दबा दिया. कोमल आंटी नें
संजय की तरफ मूह करते हुए पूछा संजू बेटा कैसा रहा
आज का दिन , संजय नें जवाब दिया " ठीक था मा आज आराम से
ही बीता कोमल नें कहा कि चल अछा ही है ज़्यादा टेन्षन मत
लिया कर और ऐश मौज किया कर अभी ही तो उम्र है हँसने
खेलने के और ज़रा बहू का भी ख्याल रखा कर उसे भी टाइम
दिया कर. संजय नें अपनी मा की ऑर देखते हुए कहा.
ललिता को कोई तकलीफ़ है क्या उसने मुझसे कुछ नही कहा अगर
ऐसी कोई है वो मुझसे बेझिझक बोले सकती है" संजय नें
ललिता की ऑर देखा इशारों में पूछने की कोशिश की. ललिता
खड़ी शर्मा रही थी. अर्रे कुछ नही रे मैं वैसे ही कह
रही थी अब अपने पापा को ही देख इस उम्र में भी वो
मुझ पर जान छिड़कते हैं एक मिनिट के लिए भी मुझे नही
छोड़ते है वो मेरे हर अरमान का उन्होनें अच्छे से ध्यान
रखा है,
अनोखे परिवार
Re: अनोखे परिवार
कोमल आंटी नें इशारों ही इशारों में संजय को
समझाने की कोशिश की की वो क्या कहना चाह रही है.
इधर नीचे राधिका आंटी अपने घर में जाकर अपने
पति के पास बैठ गयी . रात के 10 बज चुके थे राधिका
आंटी के दिल में हलचल मची थी. कोमल आंटी की बात
उसके दिमाग़ में गूँज रही थी वो सोच रही थी कि क्या वाकई
में पंकज का लंड इंता जानदार है कि कोमल जैसी औरत को
तृप्त कर देता है लगातार यही बात उसके दिमाग़
में चल रही थी कोमल आंटी नें उसे रात के 1.30 बजे
छत पर बुलाया है. ये सोच कर उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने
लगी उसकी चूत अभी से गीली होने लगी थी उसने अपने पति की
ऑर देखा. तभी श्वेता भाभी नें आवाज़ लगाई और कहा कि
मा खाना लग चुका है. सभी लोग खाने के टेबल पर
पहुँच गये. राधिका आंटी भी वहाँ आकर बैठ गयी
मगर उसका मन खाने में नही लग रहा था जैसे तैसे
उन्होनें खाना खाया.
थोड़ी देर तक बात चीत करने के बाद सब अपने अपने
कमरे में चले गये. श्याम अंकल और राधिका आंटी भी
अपने कमरे आ चुकी थी और दरवाजा बंद करने के बाद
वो सीधे बाथरूम में चली गयी. जब बाहर आईं तो
श्याम अंकल की आँखे फटी की फटी रह गयी. राधिका आंटी
नें एक सेक्सी सा काले रंग लेसी ब्रा और पॅंटी पहन रखा था
इस उम्र में वो कहर ढा रही थी बॉल खुले हुए
चूचियाँ ब्रा में उपर नीचे हो रही थी और जालीदार
पॅंटी से चूत बाहर झाँकने की कोशिश कर रही थी.
श्याम अंकल अपनी जगह से उठे और धीरे धीरे आंटी
के करीब पहुँच गये, उन्होने उन्हे अपनी बाहों में
लेते हुए कहा जानेमन तुम्हारी इसी अदा पर तो मैं मरता
हूँ रोज़ तुम एक नये अंदाज़ में खुश करने कोशिश करती
हो शायद यही वजह है कि आज भी मुझमे ये ताक़त बचा
हुआ है. श्याम अंकल का लंड उनके प्यज़ामे में टाइट होने
लगा था उन्होने अपने होंठ राधिका आंटी के नरम होंठो
पर रख दिया और धीरे धीरे उनके होंटो को
पहले अपने दन्तो में लेकर हल्के हल्के काटना शूरू किया
फिर चूसना शुरू कर दिया. राधिका आंटी पहले से ही गरम
थीं उनके हाथ धीरे धीरे श्याम अंकल सर के
पीछे से उनके बालों को सहलाने लगे मस्ती में उनकी
आँखें बंद होती जा रही थी. श्याम अंकल नें धीरे से
उनकी चूची दबा दी और आंटी के मूह से आअहह" की आवाज़
निकल गयी और वो श्याम अंकल से और ज़ोर से सॅट गयी.
kramashah.................
समझाने की कोशिश की की वो क्या कहना चाह रही है.
इधर नीचे राधिका आंटी अपने घर में जाकर अपने
पति के पास बैठ गयी . रात के 10 बज चुके थे राधिका
आंटी के दिल में हलचल मची थी. कोमल आंटी की बात
उसके दिमाग़ में गूँज रही थी वो सोच रही थी कि क्या वाकई
में पंकज का लंड इंता जानदार है कि कोमल जैसी औरत को
तृप्त कर देता है लगातार यही बात उसके दिमाग़
में चल रही थी कोमल आंटी नें उसे रात के 1.30 बजे
छत पर बुलाया है. ये सोच कर उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने
लगी उसकी चूत अभी से गीली होने लगी थी उसने अपने पति की
ऑर देखा. तभी श्वेता भाभी नें आवाज़ लगाई और कहा कि
मा खाना लग चुका है. सभी लोग खाने के टेबल पर
पहुँच गये. राधिका आंटी भी वहाँ आकर बैठ गयी
मगर उसका मन खाने में नही लग रहा था जैसे तैसे
उन्होनें खाना खाया.
थोड़ी देर तक बात चीत करने के बाद सब अपने अपने
कमरे में चले गये. श्याम अंकल और राधिका आंटी भी
अपने कमरे आ चुकी थी और दरवाजा बंद करने के बाद
वो सीधे बाथरूम में चली गयी. जब बाहर आईं तो
श्याम अंकल की आँखे फटी की फटी रह गयी. राधिका आंटी
नें एक सेक्सी सा काले रंग लेसी ब्रा और पॅंटी पहन रखा था
इस उम्र में वो कहर ढा रही थी बॉल खुले हुए
चूचियाँ ब्रा में उपर नीचे हो रही थी और जालीदार
पॅंटी से चूत बाहर झाँकने की कोशिश कर रही थी.
श्याम अंकल अपनी जगह से उठे और धीरे धीरे आंटी
के करीब पहुँच गये, उन्होने उन्हे अपनी बाहों में
लेते हुए कहा जानेमन तुम्हारी इसी अदा पर तो मैं मरता
हूँ रोज़ तुम एक नये अंदाज़ में खुश करने कोशिश करती
हो शायद यही वजह है कि आज भी मुझमे ये ताक़त बचा
हुआ है. श्याम अंकल का लंड उनके प्यज़ामे में टाइट होने
लगा था उन्होने अपने होंठ राधिका आंटी के नरम होंठो
पर रख दिया और धीरे धीरे उनके होंटो को
पहले अपने दन्तो में लेकर हल्के हल्के काटना शूरू किया
फिर चूसना शुरू कर दिया. राधिका आंटी पहले से ही गरम
थीं उनके हाथ धीरे धीरे श्याम अंकल सर के
पीछे से उनके बालों को सहलाने लगे मस्ती में उनकी
आँखें बंद होती जा रही थी. श्याम अंकल नें धीरे से
उनकी चूची दबा दी और आंटी के मूह से आअहह" की आवाज़
निकल गयी और वो श्याम अंकल से और ज़ोर से सॅट गयी.
kramashah.................
Re: अनोखे परिवार
अनोखे परिवार--4
श्याम अंकल का लंड अब एकदम तन चुका था और प्यज़ामे के
भीतर से ही आंटी की चूत को ठोकर मारने की कोशिश कर
रहा था आंटी को ये अहसास और दीवाना बनाए जा रहा था
और उनकी चूत से रस लगातार टपक रहा था. आंटी नें अंकल
के सीने को सहलाना शूरू किया फिर अपना हाथ उनके पेट
पर ले गयी फिर धीरे से प्यज़ामे के उपर से ही उनके लंड
अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी और अंकल की आँखों
में झाँकने लगीं. श्याम अंकल के
मूह से ऊहह की आवाज़ निकल गयी और उन्होने एक बार
फिर से आंटी के होंठों को अपने होठ से सटा दिए और
पीछे हाथ लेजाकार आंटी के ब्रा के हुक खोल दिए ब्रा
खुलते ही उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ बाहर आ गयी, उनकी
भूरे रंग की घूंड़ी एक कड़ी दीख रही थी अंकल नें अब
नंगी चूचियों पर हाथ फिराते हुए उनके गूंडी को
हाथ से सहलाने लगे आंटी बिल्कुल मदहोश हुई जा रही
थीं उसी अवस्था में अंकल उन्हें धीरे धीरे बेड
बेड तक ले गये और उन्हें लेटा दिया .
उनकी चूची की घूंड़ी अपनी हाथ से आज़ाद करते हुए
उन्होनें अपने मूह में भर लिया और उसपर ज़बान फिराने
लगे आंटी मचल गयी अब उनसे बर्दाश्त नही हो रहा था
उनकी चूत उनकी पॅंटी में लगातार रस टपका रही थी इतना
रस टपक चुका था कि पॅंटी तर हो चुकी थी. आंटी नें भी
हाथ बढ़ा कर अंकल की बन्यान उनके बदन खीच कर अलग
कर दी और अंकल के सीने पर हाथ फिराने लगी कभी
कभी अंकल की छोटी सी गंटी भी सहला देती जिससे अंकल
सिहर उठते थे आंटी नें नीचे हाथ बढ़ाकर पहले तो
उनका लंड पकड़ा फिर उनके प्यज़ामे के नाडे को खीच दिया
और पाजामा उनके शरीर से अलग कर दिया अंकल नें अंडरवेर
नही पहना था जिसकी वजह से उनका मोटा और लंबा लंड स्प्रिंग
की तरह उछलते हुए बाहर आ गया और उनकी पॅंटी से धकि
गीली चूत को रगड़ने लगा अंकल नें भी अपने को थोड़ा
नीचे करते हुए आंटी की पॅंटी उनकी जांघों से अलग कर
दी अंकल की उंगलियाँ अब आंटी की गीली
चूत को सहला रही थी और आंटी अब सी सी किए जा रही
थीं
श्याम अंकल का लंड अब एकदम तन चुका था और प्यज़ामे के
भीतर से ही आंटी की चूत को ठोकर मारने की कोशिश कर
रहा था आंटी को ये अहसास और दीवाना बनाए जा रहा था
और उनकी चूत से रस लगातार टपक रहा था. आंटी नें अंकल
के सीने को सहलाना शूरू किया फिर अपना हाथ उनके पेट
पर ले गयी फिर धीरे से प्यज़ामे के उपर से ही उनके लंड
अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी और अंकल की आँखों
में झाँकने लगीं. श्याम अंकल के
मूह से ऊहह की आवाज़ निकल गयी और उन्होने एक बार
फिर से आंटी के होंठों को अपने होठ से सटा दिए और
पीछे हाथ लेजाकार आंटी के ब्रा के हुक खोल दिए ब्रा
खुलते ही उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ बाहर आ गयी, उनकी
भूरे रंग की घूंड़ी एक कड़ी दीख रही थी अंकल नें अब
नंगी चूचियों पर हाथ फिराते हुए उनके गूंडी को
हाथ से सहलाने लगे आंटी बिल्कुल मदहोश हुई जा रही
थीं उसी अवस्था में अंकल उन्हें धीरे धीरे बेड
बेड तक ले गये और उन्हें लेटा दिया .
उनकी चूची की घूंड़ी अपनी हाथ से आज़ाद करते हुए
उन्होनें अपने मूह में भर लिया और उसपर ज़बान फिराने
लगे आंटी मचल गयी अब उनसे बर्दाश्त नही हो रहा था
उनकी चूत उनकी पॅंटी में लगातार रस टपका रही थी इतना
रस टपक चुका था कि पॅंटी तर हो चुकी थी. आंटी नें भी
हाथ बढ़ा कर अंकल की बन्यान उनके बदन खीच कर अलग
कर दी और अंकल के सीने पर हाथ फिराने लगी कभी
कभी अंकल की छोटी सी गंटी भी सहला देती जिससे अंकल
सिहर उठते थे आंटी नें नीचे हाथ बढ़ाकर पहले तो
उनका लंड पकड़ा फिर उनके प्यज़ामे के नाडे को खीच दिया
और पाजामा उनके शरीर से अलग कर दिया अंकल नें अंडरवेर
नही पहना था जिसकी वजह से उनका मोटा और लंबा लंड स्प्रिंग
की तरह उछलते हुए बाहर आ गया और उनकी पॅंटी से धकि
गीली चूत को रगड़ने लगा अंकल नें भी अपने को थोड़ा
नीचे करते हुए आंटी की पॅंटी उनकी जांघों से अलग कर
दी अंकल की उंगलियाँ अब आंटी की गीली
चूत को सहला रही थी और आंटी अब सी सी किए जा रही
थीं