ak beautifull girl ki icha - खूबसूरत औरत की इच्छा

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ak beautifull girl ki icha - खूबसूरत औरत की इच्छा

Unread post by admin » 01 Sep 2016 12:05

यह कहानी शायद आपको एक सेक्सी और कामुक कहानी ना लगे, क्योंकि यह कहानी एक औरत की इच्छाओं पर आधारित है, ऐसी बहुत सी औरतें होगी जिन्हें यह कहानी अपनी सी लगेगी !

यह एक लंबी और धीमी गति से चलने वाली कहानी है।

जिन्दगी से हमें काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है अगर हम सीखना चाहें तो ! मेरी जिन्दगी भी कुछ ऐसी ही है।

बात लगभग एक साल पहले की है, जब एक बार मैं अपने किसी काम से दिल्ली से मानेसर जा रहा था। मैं अपनी बाईक पर था और घर से कुछ जल्दी निकला था, तो मेरे पास समय काफ़ी था, मैं आराम से सड़क के किनारे से अपनी ही धुन में चला जा रहा था। थोड़ी दूर चलने के बाद मेरे सामने एक गाड़ी आई और अचानक रुक गई, मैं अपनी धुन मैं था, मुझको वो दिखाई नहीं दी और मेरी बाईक उस गाड़ी को हल्के से टकरा गई।
मैं बाईक खड़ी करके दो-चार गालियाँ देता हुआ गाड़ी की तरफ़ बढ़ा और तभी गाड़ी से एक 25-26 साल की एक औरत निकली जिसने साड़ी पहनी हुई थी, उसकी आँखों पर चश्मा लगा था।

किसी ने सच ही कहा है कि खूबसूरत औरत को देख कर मर्द अपना आपा खो देता है और मेरा हाल भी अब कुछ ऐसा ही था, मैं तो बस एकटक उसको देखता ही जा रहा था, और वो मुझसे कहे रही थी- मुझको माफ़ कर दीजिए ! मुझसे गलती हो गई, मैंने आपको देखा नहीं और टक्कर हो गई, वो अचानक मेरी गाड़ी का टायर पंकचर हो गया और मैंने गाड़ी को एकदम साइड पर कर दिया। आई ऐम सो सौरी !

मैंने कहा- आपको गाड़ी देखकर चलानी चाहिये थी।

उसने कहा- गलती हो गई मुझसे !

मैंने कहा- कोई बात नहीं।

और फ़िर मैं वहाँ से चल दिया, मेरे दिमाग में बस वो ही औरत आ रही थी,और फ़िर जैसे ही मैं कुछ आगे गया तो मुझे एक पंकचर की दुकान दिखाई दी। मुझे लगा कि एक यही तरीका है उसको फ़िर से देखने का और मैं उस पंकचर वाले के पास गया और बोला- भैया थोड़ा पीछे एक गाड़ी पंकचर हो गई है, चलोगे?

उसने कहा- जी साहब, जरूर चलूँगा।

मैंने उसको पीछे बैठाया और गाड़ी की तरफ़ चल दिया।

वहाँ पहुँच कर मैंने देखा वो गाड़ी वहीं पर खड़ी थी और वो औरत गाड़ी के पास खड़ी होकर सडक पर चलने वाली दूसरी गाड़ियों की तरफ़ हाथ हिला कर मदद की उम्मीद कर रही थी पर कोई भी गाड़ी उसकी मदद के लिये नहीं रुक रही थी।

मैंने उसके पास बाईक रोकी और कहा- लीजिए, आपकी गाड़ी को यह देख लेगा।
उसने मेरी तरफ़ देखा और हल्के से मुस्कराई, पर कुछ नहीं कहा, वो गाड़ी की तरफ़ देखने लगी।

तब मैंने उसको गौर से देखा, वो एक बहुत ही सक्सी औरत थी, जिसका हर एक अंग अपने आप में भरा पूरा था, उस का कद 5’4″ होगा, वो गोरी चिट्टी एक खूबसूरत शादीशुदा औरत लग रही थी, उसकी चूचियाँ उभरी हुई थी, चूतड़ बड़े-2 थे और नए फ़ैशन व नए मिजाज वाली हाउस वाईफ़ लग रही थी।

फ़िर उसने मेरी तरफ़ पलट कर देखा तो उसने मुझे उसके चूतड़ और चूचियों को घूरते हुए पाया, और मैं सकपका गया।

उसने कुछ कहा तो नहीं पर मैं घबरा गया, मैंने घबराहट में कहा- अच्छा तो मैं अब चलता हूँ।

उसने कहा- ठीक है !

फ़िर जैसे ही मैं चलने लगा, उसने अपने बैग से एक कार्ड निकाला और कहा- यह मेरा नम्बर है।

और फ़िर मैं अपनी मंजिल की ओर बढ़ गया।

फ़िर ऐसे ही कुछ दिन गुजर गये, करीब 15-20 दिन बाद एक रात को मैं अपने कमरे में अकेला था तो मुझे उसकी याद आई तो मैंने वो नम्बर निकाला और फ़ोन मिलाने की सोचने लगा, पर मेरी हिम्मत नहीं हुई, सोचा क्या कह कर मैं उससे बात करुँगा, तो मैंने उसको एक चुटकुला मैसेज से भेजा।

कोई 10 मिनट बाद मेरे फ़ोन की घण्टी बजी।
उसने कहा- हेलो कौन?

मैंने कहा- जी मैं अरुण !

उसने कहा- कौन अरुण?

“जी, हम सड़क पर मिले थे जब आपकी गाड़ी पंकचर हो गई थी।”

उसने कहा- वो आप ! मुझे लगा आप हमें भूल गए और कभी फ़ोन ही नहीं करोगे।

मैंने कहा- जी ऐसी कोई बात नहीं है, वो समय ही नहीं मिला।

उसने कहा- तो अब आप को समय मिल गया?

फ़िर हम करीब एक घण्टा ऐसे ही बात करते रहे, फ़िर अचानक ही उसने कहा- आप कल क्या कर रहे हो?

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Re: ak beautifull girl ki icha - खूबसूरत औरत की इच्छा

Unread post by admin » 01 Sep 2016 12:10

मैंने कहा- जी कुछ खास नहीं !

उसने कहा- तो क्या कल हम मिल सकते हैं?

मैंने कहा- जी बिल्कुल मिल सकते हैं।

उसने कहा- तो फ़िर ठीक कल मिलते हैं।

उसने एक मॉल का पता और समय दिया और फ़िर उसने फ़ोन रख दिया।

अब मैं सोचने लगा कि यह मैंने क्या किया, क्यों किया, और क्या मुझे उससे मिलने जाना चाहिये?
ये सब सोचते-2 मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला और जब नींद खुली तो दिन निकल चुका था।
मैं उठा और अपने सभी काम खत्म करके उसके बताये पते पर चल दिया। मैं उसके बताये समय पर पहुँच गया, और उसका इन्तजार करने लगा।
मुझे खड़े हुए अभी कुछ ही देर हुई थी कि मुझे वो आती हुई दिखाई दी, उसने आज भी साड़ी पहनी थी और बिना बाहों का गहरे रंग का ब्लाऊज पहना था जिसमें मुझे उसकी चूचियों की गोलाई का साफ़ पता चल रहा था।
उसने आकर हेलो कहा और हाथ मिलाने के लिऐ आगे बढ़ाया।
मैंने धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाया और जैस ही हम दोनों के हाथ मिले, हम दोनों को एक अजीब सा करंट लगा, उसने अपनी नजर नीचे झुका ली, पर मुझको उसका हाथ अपने हाथ में बहुत ही अच्छा लग रहा था।
और सच मानो दोस्तो, उस समय मेरा दिल उसका हाथ छोड़ने को बिल्कुल भी नहीं कर रहा था।
पर थोड़ी ही देर में मुझको उसका हाथ छोड़ना पड़ा।
फ़िर हम दोनों घूमने लगे, इधर-उधर की बातें करने लगे। फ़िर अचानक मैंने उससे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?
तो उसने मेरी बात बीच में ही काटते हुये कहा- चलो कोई फ़िल्म देखते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, चलो !
क्योंकि मेरे पास उससे बात करने के लिए कोई टोपिक भी नहीं था तो हम दोनों ने फ़िल्म देखने का फ़ैसला किया और हम टिकट लेकर अन्दर चले गये।
जब हम अन्दर बैठे तो हम फ़िल्म को कम और एक दूसरे को ज्यादा देख रहे थे। तब मैंने उसे गौर से देखा, वो पूरी तरह से घबराई हुई थी, उसकी साँस तेज चल रही थी, चूचियाँ ऊपर-निचे हो रही थी और माथे पर पसीना आया हुआ था, जो उसके चेहरे से होता हुआ सीधा उसकी चूचियो के बीच समा रहा था।
मैंने सोचा ऐ सी के कारण हॉल ठण्डा है फ़िर भी पसीना? मैं समझ गया कि जो मेरे दिल में है वो उसके दिल में भी चल रहा है।
मुझे लगा कि यही सही मौका है और मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया जो कुर्सी के साईड में रखा हुआ था। अचानक मेरी तरफ़ से हुई इस हरकत से वो घबरा गई और उसने मुझे कुछ कहा तो नहीं पर अपना हाथ हटा कर अपने सीने से लगा लिया और हल्की सी मुस्कराई।
जब फ़िल्म समाप्त हुई तो हम दोनों बाहर चले आए।
अगले कुछ 7-8 दिन हमारे कुछ इसी तरह गुजरने लगे हम कभी मॉल में मिलते, कभी पार्क, कभी मार्केट में, और अब हम एक फ़िल्म तो रोज देखते थे, हमारी काफ़ी अच्छी दोस्ती हो गई थी, अब हम एक दूसरे के हाथों में हाथ डाल कर घूमते थे और रात को तीन-तीन चार-चार घंटे बात करते।
इन 7-8 दिनों में हमने इतनी बातें की कि अब हम एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जानने लगे थे।
फ़िर एक दिन उसने बताया कि आज उसका जन्मदिन है।
इतना सुनते ही मैंने उसकी बात बीच में ही काटते हुऐ बहुत बधाईयाँ दी और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुये उसे डाँटा भी, कहा- यार, मुझे पहले बताना था, मैं आपके लिए कम से कम एक तोहफ़ा तो…!
उसने मेरे होंठों पर अपना हाथ रख दिया और कहा- मैं इस बार अपना जन्मदिन सिर्फ तुम्हारे साथ मनाना चाहती हूँ, रात को पार्टी है सही समय पर पहुँच जाना, मैं तुम्हे।ब शाम को पता तुम्हारे फ़ोन पर भेज दूँगी।
मैंने कहा- वो तो ठीक है पर घर वाले मुझे रात को नहीं आने देंगे !
उसने कहा- मैं कुछ नहीं जानती, तुम्हें आना है तो बस आना है, क्योंकि आज रात तुम्हारे लिये कुछ खास है।
और वो चली गई पर जिस तरह उसने मुस्करा कर कहा कि आज रात तुम्हारे लिये कुछ खास है, मुझे आने वाली आज की रात साफ़ दिखाई दे रही थी कि आज रात क्या होने वाला है !
और रात के बारे में सोचता हुआ घर चला गया।
फ़िर शाम 4 बजे उसका मेसेज आया उसमे एक पता था जो मेरे घर से काफ़ी दूर था, मैंने अच्छी तरह से स्नान किया, शेव की और अपने लंड को भी अच्छी तरह से तैयार कर लिया, मुझे पता था कि आज इसकी जरुरत पड़ सकती है।
मैंने घर पर कहा- मेरे दोस्त की बहन की शादी है मैं वहाँ जा रहा हूँ और रात को वहीं रुकूँगा।
और घर से निकल लिया।
मैं बताये हुए पते और समय पर पहुँच गया। वो एक कोठी का पता था जो काफ़ी बड़ी और सुन्दर कोठी थी, मैंने वहाँ पहुँच कर घण्टी बजाई तो 30-35 साल की एक औरत ने दरवाजा खोला।
उसने कहा- जी बताइए साहब, किससे मिलना है?
मैंने कहा- वो तुम्हारी मालकिन ने बुलाया था !
“जी आईए अन्दर !’ और उसने सोफ़े की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- आप यहाँ बैठिये ! मैं मालकिन को बुला कर लाती हूँ !
और वो अन्दर चली गई।
मैं इधर-उधर देखने लगा, मुझे यहाँ पार्टी जैसा कोई माहौल नहीं लग रहा था और मैं मन ही मन सोच कर खुश हो रहा था कि जो मैं घर से सोच कर चला था आज वो ही होने वाला है।
फ़िर कुछ देर बाद वो दोनों बाहर आई, जब वो बाहर आई तो मैं तो उस को देखता ही रह गया उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी बाल खुले थे, वो इतनी सैक्सी लग रही थी कि उसे देखकर ही मेरी पैंट के अन्दर तो अभी से हलचल होने लगी, दिल कर रहा था कि इसे अभी पकड़ कर चोद दूँ। पर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था क्योंकि मुझे पता था कि आज रात तो इसे मैं ही चोदने वाला हूँ।
वो मेरे पास आई और बोली- तो आ गये आप? समय के पक्के हो।
तब उसने नौकरानी को कुछ पैसे दिये और कहा- अच्छा तो अब तुम जा सकती हो !
और वो चली गई, वो दरवाजा बंद करने के लिये उसके पीछे-पीछे चल दी तब मैंने उसको पीछे से देखा उसका ब्लाऊज़ पीछे से खुला हुआ था वो बस कुछ फ़ीतियों से बंधा था जिससे उसकी कमर पूरी तरह से नंगी दिखाई दे रही थी और उसने ऊँची ऐड़ी वाली सैंडिल पहनी थी जिससे उसके कूल्हे बाहर को निकले हुए दिख रहे थे जो उसके चलने पर बहुत ही सैक्सी अन्दाज में हिल रहे थे, जैसे मुझे वो आमंत्रण दे रही हो उसको चोदने का !
दिल तो किया उसे अभी दबोच लूँ, पर फ़िर मैंने सोचा कि सब्र का फ़ल मीठा होता है और मैं वहीं बैठा रहा।
फ़िर उसने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया, जैसे ही वो मेरे पास आई, मैंने उसे एक गुलाब का गुलदस्ता दिया जो मैं रास्ते में से उसके लिये लाया था और उसे फ़िर से बधाई दी।
मैंने अनजान बनते हुये पूछा- आपने तो कहा था कि पार्टी है, पर मुझे तो यहाँ कोई भी दिखाई नहीं दे रहा है? और ना ही केक है यहाँ?

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Re: ak beautifull girl ki icha - खूबसूरत औरत की इच्छा

Unread post by admin » 01 Sep 2016 12:11

उसने मेरा हाथ पकड़ा और एक कमरे की तरफ़ ले गई, कमरे का दरवाजा बंद था, उसने दरवाजा खोला और जब मैं अन्दर गया तो देखा उस कमरे में हल्कि लाल रोशनी जल रही थी, एक बैड था और बैड के सामने एक मेज थी जिस पर एक केक रखा था। वो कमरा शायद वहाँ का बैडरुम था, मैंने मुड़ कर उसकी तरफ़ देखा तो वो दरवाजा बंद कर चुकी थी और मेरी तरफ़ देखकर बोली- आज का जन्मदिन मैं तुम्हारे साथ अकेले मनाना चाहती थी।
फ़िर वो मेरा हाथ पकड़ कर ले गई, बैड पर बैठाया और मेरे पास बैठ कर केक काट कर उसका एक टुकड़ा उठा कर मुझे खिलाने लगी, मैंने उस टुकड़े में से आधा खाया और आधा उसके हाथ से अपने हाथ में ले लिया और उसके मुहँ की तरफ़ बढ़ाया।

उसने अपना मुँह थोड़ा सा खोला और वो टुकड़ा अपने मुँह में ले लिया और नीचे की तरफ़ मुँह करके खाने लगी। केक का टुकड़ा थोड़ा बड़ा था तो कुछ केक उसके होंठों पर लग गया।
अब आप सब लोग तो जानते ही हो कि हम दिल्ली के लड़के फ़िल्में देखकर ही बड़े होते हैं तो इस समय मुझे भी एक फ़िल्मी सीन याद आया और मैंने अपना हाथ उसकी ठोड़ी को लगाया और थोड़ा सा ऊपर उठा कर अपनी तरफ़ किया, फ़िल्मी स्टाइल में अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ़ बढ़ाया, पर उसने शायद शरमा कर अपनी नजरें नीचे झुका ली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर टिका दिये।
मेरी इस हरकत का उसने कोई विरोध नहीं किया जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, उसने मेरा कोई विरोध तो नहीं किया पर मेरा साथ भी नहीं दिया बस ऐसे ही बैठी रही।
मैं करीब 15 मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा, उसकी गरम-गरम साँसें मुझे महसूस हो रही थी, फ़िर वो उठ खड़ी हुई, मैं भी उसके साथ खड़ा हुआ और उसके पीछे से उसकी कमर पर हाथ फ़ेरा और उसकी कमर को एक बार चूम कर उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ कर हटाने लगा।
साड़ी उतार कर उसे बैड पर साइड में रख दिया और उसे अपने हाथों में उठाकर बैड पर बैठाया। उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल ली। वो एक नई दुल्हन की तरह बैड पर बैठ गई, उसने अन्दर काला ब्लाऊज और काला पेटीकोट पहना हुआ था जिसमें उसका गोरा बदन कोयले की खान में हीरे की तरह चमक रहा था।
फ़िर मैं बैड पर उसके पीछे जाकर उसे अपने दोनों पैरों के बीच में लेकर बैठ गया, फ़िर मैंने अपने हाथ उसके खुले बालों में डाले और उन्हें आगे की तरफ़ करते हुये उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरने लगा और चूमने लगा और उसका ब्लाऊज़ पीछे से खोलने लगा, उसका ब्लाऊज़ खोलकर मैंने उतारा और साईड में रख दिया, ब्रा ना पहनी होने से अब उसका बदन ऊपर से बिल्कुल नंगा मेरी आँखों के सामने था जो एकदम शीशे की तरह साफ़ चमक रहा था।
फ़िर मैंने अपनी कमीज उतारी और अपने हाथ उसके हाथों के नीचे से ले जाकर उसकी चूचियों पर रख दिये और धीरे-धीरे मसलने लगा और अपने होंठों से उसके गले को चूमने लगा।
क्या बताऊँ यारो ! ऐसा लग रहा था जैसे मेरे हाथों में मक्खन हो ! और उसके गले को चूमते-चूमते में एक अजीब सी मदहोशी में खो गया जिसके कारण मुझे पता ही नहीं चला कि ऐसा करते मुझे कितनी देर हो गई थी।
मुझे तो तब होश आया जब उसने अपने हाथ मेरे हाथों पर रखे जो उसकी चूचियों को मसल रहे थे। उसने मेरे हाथों पर अपने हाथों का दबाव बढ़ाया, यह उसकी तरफ़ से पहली हरकत थी क्योंकि अब तक ना तो उसने मेरी किसी हरकत का विरोध किया था और ना ही अपनी तरफ़ से कोई हरकत की थी, बस जैसे मैं उससे करवा रहा था वैसा वो कर रही थी।
उसकी इस हरकत पर मेरी आँख खुली तो देखा कि वो अपनी चूचियों को दबवाने में मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपना मुँह ऊपर कर के सिसकारियाँ ले रही थी।

फ़िर मैंने उसके कान के पास अपना मुँह ले जाकर कहा- आई लव यू जान !

इतना सुनकर उसने अपनी हाथों की पकड़ ढीली की, अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ़ देखा और मेरे होंठों पर अपने होंठों से चूमा और कहा- आई लव यु टू जान !
और मुझसे लिपट गई और मेरी छाती और गले को चूमने लगी।
फ़िर मैंने उसे लिटाया और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगा और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

अबकी बार उसने मेरा खुलकर साथ दिया, उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दी और मुझे दुगने उत्साह से चूमने लगी। अब तो वो अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक जितना ले जा सकती थी ले जा रही थी और कभी मेरी जीभ को अपने होंठों से पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर ले जाती। सच मानो दोस्तो, इस समय मुझे वो आनन्द मिल रहा था कि मानो बस यह सारी दुनिया यहीं रुक जाये !

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