hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
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भाग 21
दीवाली बहोत अच्छेसे सब ने साथ मिलके मनाई। सुमन दीवाली के लिए अपने ससुराल चली गयी थी। वो दीवाली के बाद भाई द्विज के लिए वापस आ गयी। लेकिन उसका बेटा वही अपने दादा दादी के पास रुक गया था। सागर और प्रियंका छुप छुप के मिल रहे थे मगर उनको चुदाई के मौका नहीं मिल पा रहा था।
************सुमन************
जसवंत भी बहोत दिनों से प्रभा से दूर था। इसलिए लगबघ रोज ही वो प्रभा को चोद रहा था। लेकिन प्रभा को जादा मजा नहीं आता था। वो तो सिर्फ अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। असली मजा तो उसे सिर्फ सागर के लंड से चुदने में आता था। माधवी अपनी चूत को अपने हाथो से रगड़ के ही खुश थी।
सागर ही ऐसा एक इंसान था जो तड़प रहा था। उसेज चुदाई की आदत जो पड गयी थी। वो माधवी को कह रहा था की प्रियंका को एक रात के लिए बुला ले लेकिन दीवाली का टाइम था उसके घर पे मेहमान थे। ऐसे में वो आ भी नहीं सकती थी।*
एक दो बार मौका देख के उसने प्रभा से भी बात की लेकिन प्रभा ने उसे मना कर दिया। क्यू की घर पे। माधवी सुमन के रहते ये सब करना मुमकिन नहीं था। और रात को जसवंत भी रहता था।
बेचारे सागर का हाल बहोत बुरा था। उसपे तो जैसे चुदाई का भूत सवार था। उसे तो बस चूत ही चाहिए थी। एक बार तो उसने सोचा की जाके मिना की चुदाई कर ले लेकिन उसने प्रभा से वादा किया था की वो दुबारा मिना के पास नहीं जायेगा। ऐसे में उसकी नजर पड़ी माधवी और सुमन पे पड़ी। सुमन और। चंदू के बारे में वो पहले ही सब जानता था। सुमन वैसे भी प्रभा से उम्र में बहोत छोटी थी। जवान और सेक्सी थी। सागर के मन में उसे चोदने का ख्याल आया तो वो उसे ताड़ने लगा। मस्त बड़ी बड़ी गोल चुचिया। मांसल गांड पे तो सागर फ़िदा सा हो गया। सुमन की गांड प्रभा से अच्छी थी। मस्त उभरी हुई गांड देख सागर अपना लंड मसलने लग जाता।
लेकिन जब उसकी नजर माधवी की जवानी पे पड़ी तो वो प्रभा प्रियंका और सुमन तीनो को भूल गया।
क्यू की माधवी इन तीनो से जादा खूबसूरत तो थी ही। मगर जब से वो सेक्स की बातो में दिलचस्पी लेने लगी थी तो उसके हॉर्मोन्स ने कुछ जादा ही काम करना सुरु कर दिया था। जिससे उसकी जवानी कुछ जादा ही निखर के आ रही थी। वो इन तीनो से कई जादा खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी थी। और ये बदलाव सागर के नजरो से छुप नहीं पाया।
सागर माधवी को चोरी चोरी निहारने लगा था। जब माधवी चलती तो उसकी मटकती गांड को देख सागर का लंड खड़ा हो जाता। जब माधवी कुछ काम से इधर से उधर भागती तो उसके उछलती चुचिया देख सागर का दिल भी ऊपर निचे होने लगता। सागर उसकी चुचियो एक झलक पाने के लिए लालायित हो उठा था। *जब वो घर पे होता और माधवी उसके आस पास होती तो वो उसे ही देखता रहता। उसे छूने की कोशिस करता रहता।
किसी की समझ में ये बात आये ना आये मगर सुमन की नजर में ये बात आ चुकी थी। सागर जिस प्यासी नजरो से माधवी को देखता था वो नजर सुमन ने पह्चान ली थी। पहले तो उसने नजर अंदाज कर दिया ये सोच के की इस उम्र में सभी लड़के लड़कियो के अंगो को देखते ही है लेकिन जब उसे अहसास हुआ की सागर सिर्फ माधवी नहीं प्रभा और उसे भी उसी नजर देखता है तो सुमन चौक गयी। अब जब सागर आस पास होता तो सुमन किसी जासूस की तरह उसपे नजरे गड़ाये रहती।*
उसे पूरी तरह से यकींन तो नहीं हुआ था मगर उसे शक होने लगा था सागर की नियत पे। लेकिन जब सागर उसे देखता तो वो अंदर तक सिहर उठती। एक तो चंदू से रिश्ता तोड़ने से वो लगबग 20 25 दिन से चुदी नहीं थी। और सागर जैसा जवान लड़का उस्की चुचिया और गांड देख के लंड मसलता है ये देख के वो खुश हो रही थी। लेकिन सागर उसका भतीजा था ये सोच के वो अपने आप को संभल लेती।
लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। उस रात सागर बहोत बेचैन था। लगबघ 15 दिन गुजर गये थे उसे चूत नहीं मिली थी। उसे नींद नहीं आ रही थी। वो हॉल में बैठ के टीवी देख रहा था। लेकिन उसका मन टीवी में भी नहीं लग रहा था। प्रियंका का फ़ोन भी नहीं आया था। वो किसी भूके शेर की तरह तड़प रहा था। *वो माधवी के कमरे में झांकने की कोशिस कर रहा था। मगर दरवाजा अंदर से बंद था और उस रूम कोई खिड़की भी नहीं थी। फिर उसने अपना मोर्चा सुमन की रूम की तरफ मोड़ा लेकिन सुमन का दरवाजा भी अंदर से बंद था। वो पागलो की तरह इधर उधर घूम रहा था। ऐसे में उसने एक बार मुठ भी मार ली थी मगर उससे उसकी प्यास और भी बढ़ गयी।
उसने खुद को समझाया की बस 4 5 दिन की बात है फिर तो वो प्रभा के साथ शहर चला जाएगा फिर तो रोज ही दिन रात चुदाई कर सकता है। और प्रियंका भी तो आने वाली थी उनके साथ। और फिर वो टीवी देखने लगा।
उतने में सुमन बाथरूम जाने के लिए उठी। उसने देखा की सागर सोया नहीं था। वो बाथरूम चली गयी सागर ने उसे देखा वो मन ही मन सोचने लगा की सुमन बाथरूम में क्या क्या कर रही होगी ये ख्याल उसके मन में आते ही वो वापस से बेचैन हो उठा जिस चीज को उसने इतनी मुश्किल से कण्ट्रोल किया था वो वापस उसके दिलो दिमाग पे छाने लागी।
सुमन हॉल में आयी।
सुमन:-क्या हुआ सागर नींद नहीं आ रही क्या??
सागर:- हा बुआ...
सुमन:-क्या हुआ??किसकी याद सता रही है??
सुमन ऐसेही बोल पड़ी।
सागर:- हा बुआ मेरी gf की याद आ रही है।
सागर ने जानबुज के बोला...उसके दिमाग में प्रभा थी। लेकिन वो सुमन से ये बात बोली क्यू की उसे बात थोड़ी आगे बढ़ानी थी।
सुमन ये सुनके थोड़ी चौकी लेकिन उसका व्यव्हार माधवी और सागर से बहोत ही दोस्ताना था इसलिए वो हँसी और सागर के बाजु वाले सोफे पे आके बैठ गयी।
सुमन:- ओह्ह्ह हो...तूने तो कभी बताया नहीं...
सागर:- अभी बता रहा हु ना....
सुमन:- ओह्ह इतनी याद आ रही है की नींद उड़ गयी....तो फ़ोन कर ले...
सागर:- किया था लेकिन बात नहीं हो पायी...
सुमन:- ह्म्म्म्म कोण है जरा मुझे भी तो बता....
सागर:- आप जानती हो ना उसे...
सुमन:- मैं जानती हु??
सुमन सोचने लगी की आखिर ये किसकी बात कर रहा है...
सागर:- अरे क्या बुआ..मैं प्रियंका की बात कर रहा हु...
सुमन:- प्रियंका??? अपनी प्रियंका???सच में??
सागर:- हा क्यू??
सुमन:- नहीं कुछ नहीं...बड़ी प्यारी बच्ची है...मुझे तो वो बहोत पसंद है....ह्म्म्म तो मेरा सागर उसकी याद में खोया है....बेचारा....सुमन उसके गाल पकड़के खिचती हुई बोली...
सागर:- क्या बुआ...एक तो मैं पहले ही बहोत उदास हु और आप मेरा मजाक उड़ा रहे हो...मैंने कभी फूफाजी को लेके आपका मजाक उड़ाया है क्या?? सुमन:- अरे मैं तो बस ऐसेही तेरा मुड़ ठीक करने की कोशिस कर रही थी।
सागर:- ठीक है....लेकिन सच में एक बात पुछु???आपको भी तो फूफाजी की बहोत याद आती होगी ना??
सागर ने अपना पहला तीर चलाया...
सुमन:- आती तो है लेकिन कोई कर भी क्या सकता है।*
सागर ने देखा सुमन थोड़ी उदास हो गयी।
सागर:- उदास मत हो बुआ...बस मैं तो ऐसेही पूछ रहा था।
सुमन ने सागर की तरफ देखा और एक स्माइल कर दी।
सागर:- ह्म्म्म दिन तो सबके साथ हँसी मजाक मस्ती में कट जाता है लेकिन रात को बहोत याद आती होगी आपको है ना??
सागर ने दूसरा तीर छोड़ा...
सुमन सागर के इस सवाल से थोडा चौकी और उसकी तरफ देखने लगी।सागर ने देखा की सुमन शायद इस सवाल से थोड़ी अचरज में पड़ गयी है तो...
सागर:- मेरा मतलब है की रात को अकेले होते हो ना...
सुमन:- हा रे सच कहता है तू...सुमन सागर के दिए स्पष्टीकरण से संतोष तो नहीं थी पर वो उस बात को आगे खीचना नहीं चाहती थी।
सागर:- जब आपको उनकी याद आती हो तो क्या करती हो....सागर ने एक और तीर छोड़ा।
सुमन:- क्या करना है?? बस उनके साथ बिताये पल याद करते करते सो जाती हु।
सुमन को अब सागर पे थोडा शक होने लगा था। क्यू की उसके सवाल सीधे सीधे सेक्स से रिलेटेड बातो की तरफ इशारा कर रहे थे। और सुमन ने उसे कई बार उसे वासना भरी नजरो से देखते हुए देखा था। अब भी उसकी नजर कुछ अलग ही थी। सुमन का ये सोचना भी सही था क्यू की सागर जानबुज के ऐसी बाते कर रहा था ताकि सुमन के अंदर लगी आग को भड़का सके और फिर आसानी से सुमन की चुदाई कर सके।
सागर:- कैसे पल बुआ?? जरा मुझे भी तो बताओ।
सुमन:- पागल..पति पत्नी के बिच की बात किसीको नहीं बताते..
सागर:- ऐसा क्यू??
सुमन:- ऐसाही होता है...अगर मैं तुझसे पुछु की तू और प्रियंका जब मिलते हो तुम दोनों क्या करते हो तो तुम।बताओगे क्या??
सागर:- हा क्यू नहीं...
सुमन:- अच्छा??तो बता फिर...
सागर:- करना क्या है...ढेर सारी बाते करते है...एकदूसरे को बाहो में लेते है किस करते है ...
सुमन:- बेशरम है तू...
सागर:- इसमे क्या बेशर्मी है??आप ने पूछा मैंने बताया...और आप से इतना तो फ्रेंक्लि बात कर ही सकता हु...
सुमन:- हा वो तो कर ही सकते हो...और ये तुम्हारी बाते किस तक ही है या आगे भी कुछ ....हा?????
*अब जाके सागर का तीर सही निशाने पे लगा था।
सागर:-आगे मतलब??
सुमन:-आगे मतलब आगे.....
सागर:- हा वही तो पूछ रहा हु??
सुमन:- वो हो मेरे भोले बाबा....मैं जो पूछ रही हु उसका मतलब तू बहोत अच्छेसे जनता है...
सागर:- हा बुआ जानता हु...लेकिन नहीं उससे आगे जादा कुछ नहीं हुआ...चांस ही नहीं मिलता ना...
सागर की बातो से सुमन अब्ब थोडा हॉट होने लगी थी।
सुमन:-हा क्या ?? नालायक...शादी से पहले कुछ जादा आगे मत जाना...
सागर:- ऐसा क्यू??
सुमन:- मतलब तुझे शादी से पहले ही.......
सागर:- हाआआआ .....मतलब नाहीईईई ...वो ..वो
सुमन:- तू न बहोत शैतान हो गया है। उसके आगे जादा कुछ नहीं का क्या मतलब है हा??
सागर:-किस के आगे क्या होता है??आप तो जानती ही हो ना...सागर सुमन की आखो में देखता हुआ बोला।
सुमन ने देखा सागर अब कुछ जादा ही नॉटी होता जा रहा था। और सुमन उसकी ऐसी बातो से गरम हो चली थी। 1 महीने के ऊपर हो गया था उसे चुदे।
सुमन:-हा पता तो है...पर तुम दोनों कहा तक पहोंचे??
सागर:-बस हमारी गाडी आखरी स्टेशन से पहले ही रुकी हुई है...
सुमन सब समझ गयी की सागर और प्रियंका के बिच सिर्फ चुदाई बाकी है...
सुमन:-हा क्या?? फिर कब पहोचने वाली है तुम्हारी गाडी आखरी स्टेशन तक?
सागर:- कोशिस जारी है...जल्द ही पहोच जायेगी....
सागर अब बेशर्मी की हद से आगे बढ़ चूका था।
सुमन की चूत अब गीली होने लगी थी। उसकी चूत में चुलबुलाहट बढ़ने लगी थी। उसे अब चुदने इच्छा होने लगी थी। उसका हाथ अपने आप ही उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा था।
सागर उसके चहरे के बदलते भाव देख मन ही मन खुश हो रहा था।
दीवाली बहोत अच्छेसे सब ने साथ मिलके मनाई। सुमन दीवाली के लिए अपने ससुराल चली गयी थी। वो दीवाली के बाद भाई द्विज के लिए वापस आ गयी। लेकिन उसका बेटा वही अपने दादा दादी के पास रुक गया था। सागर और प्रियंका छुप छुप के मिल रहे थे मगर उनको चुदाई के मौका नहीं मिल पा रहा था।
************सुमन************
जसवंत भी बहोत दिनों से प्रभा से दूर था। इसलिए लगबघ रोज ही वो प्रभा को चोद रहा था। लेकिन प्रभा को जादा मजा नहीं आता था। वो तो सिर्फ अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। असली मजा तो उसे सिर्फ सागर के लंड से चुदने में आता था। माधवी अपनी चूत को अपने हाथो से रगड़ के ही खुश थी।
सागर ही ऐसा एक इंसान था जो तड़प रहा था। उसेज चुदाई की आदत जो पड गयी थी। वो माधवी को कह रहा था की प्रियंका को एक रात के लिए बुला ले लेकिन दीवाली का टाइम था उसके घर पे मेहमान थे। ऐसे में वो आ भी नहीं सकती थी।*
एक दो बार मौका देख के उसने प्रभा से भी बात की लेकिन प्रभा ने उसे मना कर दिया। क्यू की घर पे। माधवी सुमन के रहते ये सब करना मुमकिन नहीं था। और रात को जसवंत भी रहता था।
बेचारे सागर का हाल बहोत बुरा था। उसपे तो जैसे चुदाई का भूत सवार था। उसे तो बस चूत ही चाहिए थी। एक बार तो उसने सोचा की जाके मिना की चुदाई कर ले लेकिन उसने प्रभा से वादा किया था की वो दुबारा मिना के पास नहीं जायेगा। ऐसे में उसकी नजर पड़ी माधवी और सुमन पे पड़ी। सुमन और। चंदू के बारे में वो पहले ही सब जानता था। सुमन वैसे भी प्रभा से उम्र में बहोत छोटी थी। जवान और सेक्सी थी। सागर के मन में उसे चोदने का ख्याल आया तो वो उसे ताड़ने लगा। मस्त बड़ी बड़ी गोल चुचिया। मांसल गांड पे तो सागर फ़िदा सा हो गया। सुमन की गांड प्रभा से अच्छी थी। मस्त उभरी हुई गांड देख सागर अपना लंड मसलने लग जाता।
लेकिन जब उसकी नजर माधवी की जवानी पे पड़ी तो वो प्रभा प्रियंका और सुमन तीनो को भूल गया।
क्यू की माधवी इन तीनो से जादा खूबसूरत तो थी ही। मगर जब से वो सेक्स की बातो में दिलचस्पी लेने लगी थी तो उसके हॉर्मोन्स ने कुछ जादा ही काम करना सुरु कर दिया था। जिससे उसकी जवानी कुछ जादा ही निखर के आ रही थी। वो इन तीनो से कई जादा खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी थी। और ये बदलाव सागर के नजरो से छुप नहीं पाया।
सागर माधवी को चोरी चोरी निहारने लगा था। जब माधवी चलती तो उसकी मटकती गांड को देख सागर का लंड खड़ा हो जाता। जब माधवी कुछ काम से इधर से उधर भागती तो उसके उछलती चुचिया देख सागर का दिल भी ऊपर निचे होने लगता। सागर उसकी चुचियो एक झलक पाने के लिए लालायित हो उठा था। *जब वो घर पे होता और माधवी उसके आस पास होती तो वो उसे ही देखता रहता। उसे छूने की कोशिस करता रहता।
किसी की समझ में ये बात आये ना आये मगर सुमन की नजर में ये बात आ चुकी थी। सागर जिस प्यासी नजरो से माधवी को देखता था वो नजर सुमन ने पह्चान ली थी। पहले तो उसने नजर अंदाज कर दिया ये सोच के की इस उम्र में सभी लड़के लड़कियो के अंगो को देखते ही है लेकिन जब उसे अहसास हुआ की सागर सिर्फ माधवी नहीं प्रभा और उसे भी उसी नजर देखता है तो सुमन चौक गयी। अब जब सागर आस पास होता तो सुमन किसी जासूस की तरह उसपे नजरे गड़ाये रहती।*
उसे पूरी तरह से यकींन तो नहीं हुआ था मगर उसे शक होने लगा था सागर की नियत पे। लेकिन जब सागर उसे देखता तो वो अंदर तक सिहर उठती। एक तो चंदू से रिश्ता तोड़ने से वो लगबग 20 25 दिन से चुदी नहीं थी। और सागर जैसा जवान लड़का उस्की चुचिया और गांड देख के लंड मसलता है ये देख के वो खुश हो रही थी। लेकिन सागर उसका भतीजा था ये सोच के वो अपने आप को संभल लेती।
लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। उस रात सागर बहोत बेचैन था। लगबघ 15 दिन गुजर गये थे उसे चूत नहीं मिली थी। उसे नींद नहीं आ रही थी। वो हॉल में बैठ के टीवी देख रहा था। लेकिन उसका मन टीवी में भी नहीं लग रहा था। प्रियंका का फ़ोन भी नहीं आया था। वो किसी भूके शेर की तरह तड़प रहा था। *वो माधवी के कमरे में झांकने की कोशिस कर रहा था। मगर दरवाजा अंदर से बंद था और उस रूम कोई खिड़की भी नहीं थी। फिर उसने अपना मोर्चा सुमन की रूम की तरफ मोड़ा लेकिन सुमन का दरवाजा भी अंदर से बंद था। वो पागलो की तरह इधर उधर घूम रहा था। ऐसे में उसने एक बार मुठ भी मार ली थी मगर उससे उसकी प्यास और भी बढ़ गयी।
उसने खुद को समझाया की बस 4 5 दिन की बात है फिर तो वो प्रभा के साथ शहर चला जाएगा फिर तो रोज ही दिन रात चुदाई कर सकता है। और प्रियंका भी तो आने वाली थी उनके साथ। और फिर वो टीवी देखने लगा।
उतने में सुमन बाथरूम जाने के लिए उठी। उसने देखा की सागर सोया नहीं था। वो बाथरूम चली गयी सागर ने उसे देखा वो मन ही मन सोचने लगा की सुमन बाथरूम में क्या क्या कर रही होगी ये ख्याल उसके मन में आते ही वो वापस से बेचैन हो उठा जिस चीज को उसने इतनी मुश्किल से कण्ट्रोल किया था वो वापस उसके दिलो दिमाग पे छाने लागी।
सुमन हॉल में आयी।
सुमन:-क्या हुआ सागर नींद नहीं आ रही क्या??
सागर:- हा बुआ...
सुमन:-क्या हुआ??किसकी याद सता रही है??
सुमन ऐसेही बोल पड़ी।
सागर:- हा बुआ मेरी gf की याद आ रही है।
सागर ने जानबुज के बोला...उसके दिमाग में प्रभा थी। लेकिन वो सुमन से ये बात बोली क्यू की उसे बात थोड़ी आगे बढ़ानी थी।
सुमन ये सुनके थोड़ी चौकी लेकिन उसका व्यव्हार माधवी और सागर से बहोत ही दोस्ताना था इसलिए वो हँसी और सागर के बाजु वाले सोफे पे आके बैठ गयी।
सुमन:- ओह्ह्ह हो...तूने तो कभी बताया नहीं...
सागर:- अभी बता रहा हु ना....
सुमन:- ओह्ह इतनी याद आ रही है की नींद उड़ गयी....तो फ़ोन कर ले...
सागर:- किया था लेकिन बात नहीं हो पायी...
सुमन:- ह्म्म्म्म कोण है जरा मुझे भी तो बता....
सागर:- आप जानती हो ना उसे...
सुमन:- मैं जानती हु??
सुमन सोचने लगी की आखिर ये किसकी बात कर रहा है...
सागर:- अरे क्या बुआ..मैं प्रियंका की बात कर रहा हु...
सुमन:- प्रियंका??? अपनी प्रियंका???सच में??
सागर:- हा क्यू??
सुमन:- नहीं कुछ नहीं...बड़ी प्यारी बच्ची है...मुझे तो वो बहोत पसंद है....ह्म्म्म तो मेरा सागर उसकी याद में खोया है....बेचारा....सुमन उसके गाल पकड़के खिचती हुई बोली...
सागर:- क्या बुआ...एक तो मैं पहले ही बहोत उदास हु और आप मेरा मजाक उड़ा रहे हो...मैंने कभी फूफाजी को लेके आपका मजाक उड़ाया है क्या?? सुमन:- अरे मैं तो बस ऐसेही तेरा मुड़ ठीक करने की कोशिस कर रही थी।
सागर:- ठीक है....लेकिन सच में एक बात पुछु???आपको भी तो फूफाजी की बहोत याद आती होगी ना??
सागर ने अपना पहला तीर चलाया...
सुमन:- आती तो है लेकिन कोई कर भी क्या सकता है।*
सागर ने देखा सुमन थोड़ी उदास हो गयी।
सागर:- उदास मत हो बुआ...बस मैं तो ऐसेही पूछ रहा था।
सुमन ने सागर की तरफ देखा और एक स्माइल कर दी।
सागर:- ह्म्म्म दिन तो सबके साथ हँसी मजाक मस्ती में कट जाता है लेकिन रात को बहोत याद आती होगी आपको है ना??
सागर ने दूसरा तीर छोड़ा...
सुमन सागर के इस सवाल से थोडा चौकी और उसकी तरफ देखने लगी।सागर ने देखा की सुमन शायद इस सवाल से थोड़ी अचरज में पड़ गयी है तो...
सागर:- मेरा मतलब है की रात को अकेले होते हो ना...
सुमन:- हा रे सच कहता है तू...सुमन सागर के दिए स्पष्टीकरण से संतोष तो नहीं थी पर वो उस बात को आगे खीचना नहीं चाहती थी।
सागर:- जब आपको उनकी याद आती हो तो क्या करती हो....सागर ने एक और तीर छोड़ा।
सुमन:- क्या करना है?? बस उनके साथ बिताये पल याद करते करते सो जाती हु।
सुमन को अब सागर पे थोडा शक होने लगा था। क्यू की उसके सवाल सीधे सीधे सेक्स से रिलेटेड बातो की तरफ इशारा कर रहे थे। और सुमन ने उसे कई बार उसे वासना भरी नजरो से देखते हुए देखा था। अब भी उसकी नजर कुछ अलग ही थी। सुमन का ये सोचना भी सही था क्यू की सागर जानबुज के ऐसी बाते कर रहा था ताकि सुमन के अंदर लगी आग को भड़का सके और फिर आसानी से सुमन की चुदाई कर सके।
सागर:- कैसे पल बुआ?? जरा मुझे भी तो बताओ।
सुमन:- पागल..पति पत्नी के बिच की बात किसीको नहीं बताते..
सागर:- ऐसा क्यू??
सुमन:- ऐसाही होता है...अगर मैं तुझसे पुछु की तू और प्रियंका जब मिलते हो तुम दोनों क्या करते हो तो तुम।बताओगे क्या??
सागर:- हा क्यू नहीं...
सुमन:- अच्छा??तो बता फिर...
सागर:- करना क्या है...ढेर सारी बाते करते है...एकदूसरे को बाहो में लेते है किस करते है ...
सुमन:- बेशरम है तू...
सागर:- इसमे क्या बेशर्मी है??आप ने पूछा मैंने बताया...और आप से इतना तो फ्रेंक्लि बात कर ही सकता हु...
सुमन:- हा वो तो कर ही सकते हो...और ये तुम्हारी बाते किस तक ही है या आगे भी कुछ ....हा?????
*अब जाके सागर का तीर सही निशाने पे लगा था।
सागर:-आगे मतलब??
सुमन:-आगे मतलब आगे.....
सागर:- हा वही तो पूछ रहा हु??
सुमन:- वो हो मेरे भोले बाबा....मैं जो पूछ रही हु उसका मतलब तू बहोत अच्छेसे जनता है...
सागर:- हा बुआ जानता हु...लेकिन नहीं उससे आगे जादा कुछ नहीं हुआ...चांस ही नहीं मिलता ना...
सागर की बातो से सुमन अब्ब थोडा हॉट होने लगी थी।
सुमन:-हा क्या ?? नालायक...शादी से पहले कुछ जादा आगे मत जाना...
सागर:- ऐसा क्यू??
सुमन:- मतलब तुझे शादी से पहले ही.......
सागर:- हाआआआ .....मतलब नाहीईईई ...वो ..वो
सुमन:- तू न बहोत शैतान हो गया है। उसके आगे जादा कुछ नहीं का क्या मतलब है हा??
सागर:-किस के आगे क्या होता है??आप तो जानती ही हो ना...सागर सुमन की आखो में देखता हुआ बोला।
सुमन ने देखा सागर अब कुछ जादा ही नॉटी होता जा रहा था। और सुमन उसकी ऐसी बातो से गरम हो चली थी। 1 महीने के ऊपर हो गया था उसे चुदे।
सुमन:-हा पता तो है...पर तुम दोनों कहा तक पहोंचे??
सागर:-बस हमारी गाडी आखरी स्टेशन से पहले ही रुकी हुई है...
सुमन सब समझ गयी की सागर और प्रियंका के बिच सिर्फ चुदाई बाकी है...
सुमन:-हा क्या?? फिर कब पहोचने वाली है तुम्हारी गाडी आखरी स्टेशन तक?
सागर:- कोशिस जारी है...जल्द ही पहोच जायेगी....
सागर अब बेशर्मी की हद से आगे बढ़ चूका था।
सुमन की चूत अब गीली होने लगी थी। उसकी चूत में चुलबुलाहट बढ़ने लगी थी। उसे अब चुदने इच्छा होने लगी थी। उसका हाथ अपने आप ही उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा था।
सागर उसके चहरे के बदलते भाव देख मन ही मन खुश हो रहा था।
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भाग 22
गाडी स्टेशन जैसी डबल मीनिंग वाली बातो से दोनों के बिच का माहोल थोडा गरम और खामोश सा हो गया था। सागर तो पक्का बेशर्म बना बैठा था मगर सुमन को थोड़ी शरम और हिचकिचाहट महसूस होने लगी थी।
सागर:- क्या हुआ बुआ आप एकदम से चुप क्यू हो गयी??
सुमन:- कुछ नहीं...कुछ भी तो नहीं...सोच रही थी आजकल के लडके लडकिया कितने आगे पहोच गए है....
सागर:- बुआ क्या कर सकते है भावनाओ को दबा तो नहीं सकते...अच्छा अब आप बताओ की आप कोनसे पल याद करते हो??
सुमन:- चुप कर नालायक...और जाके सो जा..
सागर:- अरे बुआ नींद ही तो नहीं आ रही...पता नहीं आप कैसे सो जाती हो ....
सुमन:- कहा रे बस आधी रात तो करवटे बदलने में चली जाती है.....भावनाओ में बहती सुमन के मुह से अनजाने में निकल गया।.....
सागर:- ओह्ह्ह्ह मैं समझ सकता हु....
सुमन:- नहीं ...नहीं...वैसे नहीं।
सागर:- अरे बुआ रहने दो मैं समझ गया...आप को किस चीज की याद आती है....
सुमन शरम से लाल हो उठी।
सुमन:- चुप एकदम चुप...बुआ हु मैं तेरी...कैसी बाते कर रहा है मुझसे??
सागर:- हा क्या?? जब आप प्रियंका और मेरी बाते कर रही थी तब कहा गयी थी आपकी ये बुआ वाली बात??
सुमन:-मैं तो बस ऐसेही पूछ रही थी। अच्छा चल मैं जाती हु सोने...तू भी सो जा अब..
सागर:- बैठो ना थोड़ी देर...हम दोनों एक ही कश्ती में सफ़र कर रहे है...वैसे भी आप जाके आधी रात तक करवटे ही बदलते रहने वाले हो उससे अच्छा यहाँ मेरे साथ बाते करो या ऐसा करते है मैं भी चलता हु आपके साथ दोनों साथ में करवटे बदलते है...
सुमन:-नालायक बेशरम बदमाश...बोलने से पहले सोचता तो जा..
सागर:- हा हा हा मैं तो मजाक कर रहा था...
सागर ने बात को मजाक तो बना दिया मगर सुमन के मन में अपनी इच्छा का बिज बो दिया था। सुमन को भी पता था की ये कोई मजाक नहीं था...वो अब और भी गरम हो चली थी।
सुमन:- हा क्या?? मुझे लगा की सच में बोल। रहा है। और एक पल के लिए तो मैंने खयालो में देख भी लिया...लेकिन अब तू मजाक ही कर रहा था तो जाने दे....सुमन ऐसे मजाक के मामले में सबकी बाप थी।
सागर:- नहीं..नहीं...अभी आप मजाक कर रही हो...मेरी खिंचाई कर रही हो...
सुमन:- नहीं तो...अगर तू कहता की चलो बुआ आज मैं आपके साथ सोता हु तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होती...
सागर:- रहने दो बुआ...कितनी सारी गालिया दे दी आपने...
सुमन:- वो तो ऐसेही...
सागर:- हा क्या अगर जो गाडी प्रियंका के साथ रुकी हुई है आ0के साथ आगे बढ़ जाती तो??
सुमन एकदम शॉक होके सागर को देखने लगी। उसे उम्मीद नहीं थी की सागर ऐसा भी कुछ बोल देगा...लेकिन अब वो फस चुकी थी क्यू की इस मजाक को उसने ही आगे बढ़ाया था।
सुमन:- तू ना सच में पागल हो गया है प्रियंका की याद में...कुछ भी बोले जा रहा है....सुमन ने बात को सँभालने की कोशिस की। और अपने आप को भी क्यू की सागर की बात सुनके न सिर्फ वो शॉक थी बल्कि उसने अपनी चूत में कई चीटिया एक साथ रेंगते महसूस की।.....चल मैं जा रही हु...ऐसा बोल के सुमन उठी और जाने लगी। लेकिन सागर ने उसका हाथ पकड़ा और खीच के अपने पास बिठा लिया।
सागर:-बुआ प्लीज बैठो ना...अब मैं कोई मजाक नहीं करूँगा।
सुमन एक तो पहले ही गरम होंरहि थी और ऊपर से सागर ने उसका हाथ पकड़ के रखा था। धीरे धीरे अब वो सागर की चालो में फसती जा रही थी।
सुमन:- अरे देख 1 बज गया है...सुमन ने उठने जैसा किया तो सागर ने जांघो पे हाथ रख दिया और उसे रोकने लगा। सुमन ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया लेकिन उसे हटाया नहीं उसे अब सागर का ऐसे छूना अच्छा लगने लगा था। सागर ने जब देखा की सुमन ने उसके घुटनो के पास जांघ पे रखा हाथ हटाया नहीं तो उसे वो एक तरह से ग्रीन सिग्नल मान बैठा।
सागर:- बस आधा घंटा और बुआ...
सुमन:- ठीक है...दूसरी कुछ बात कर...तेरी पढाई कैसे चल रही है?? अच्छी है ना या प्रियंका के खयालो में खोया रहता है??
सागर:- नहीं बुआ आपको पता है ना मैं पढाई के आगे किसी भी चीज को नहीं आने देता।
सुमन:- हा पता है...और देख भी रही हु...झूठा कही का...
सागर:- नहीं सच में...मेरे रिजल्ट आएंगे तो पता चल ही जायेगा आपको...
सुमन:- ह्म्म्म्म ठीक है देखती हु....चल अब सो जा ना मेरे बच्चे...सुमन ने अपना हाथ उसके हाथ से हटाया और उसके सर से घूमते हुए गालो पे लेके आयी और गालो को हथेली में पकड़ के कहा...सुमन हमेशा ही सागर और माधवी के साथ ऐसा ही करती थी। सागर ने इस मौके का फायदा उठाया और अपना हाथ सुमन की जांघो पे थोडा आगे की तरफ खिसकाया। सुमन ने ये *बात बहोत अच्छेसे महसूस की और अब उसे सागर के इरादों के बारे में यकीन हो गया। वो सागर के गालो को हथेली पे पकड़ के वैसे ही रही और उसकी आँखों में झांकने लगी...उसे सागर की आखो में सिर्फ और सिर्फ वासना नजर आ रही थी। उसने अपनी नजरे नीची कर ली ...उसने सागर की वासना भरी नजरो से अपनी नजर हटाने के लिए निचे देखा था लेकिन उसने निचे जो देखा उससे उसका पूरा बदन वासना से भर। उठा। सागर का लंड जो अब धीरे धीरे अपनी असली औकात में आने लगा था। सागर ने शार्ट पहना था वो थोडा टाइट था जिसमे से उसके लंड की लंबाई और मोटाई साफ़ साफ़ नजर आ रही थी। उसे।देख सुमन दंग रह गई। सुमन ने झट से अपना हाथ और नजर हटाई और सामने की तरफ देखने लगी। ये सब कुछ ही सेकंड में हुआ था लेकिन उसका असर सुमन पे बहोत गहरा हुआ था।
सुमन:- एक काम करती हु तेरे लिए केसर का दूध ले आती हु...उससे तुझे नींद आ जायेगी...सागर का हाथ अपनी जांघो हटाते हुए कहा।
सुमन ने वहा से जाने का बहाना बनाया। क्यू की उसे पता चल गया था की अब वो जादा देर खुद पे काबू नहीं रख पाने वाली है। और उसे सागर के साथ कुछ नहीं करना था। एक तो वो उसका भतीजा था ऊपर से चंदू के साथ हुए वाकिये से वो बहोत परेशानी से गुजारी थी।
सागर:- लेकिन बुआ केसर वाला दूध तो सुहागरात के वक़्त देते है ना??*
सुमन:- हा देते है लेकिन आज तेरी कोई सुहागरात नहीं है...सिर्फ तुझे नींद आ जाय इसलिए बोला....
सागर:-मुझे लगा कही आपका इरादा .......
सुमन:- नहीं मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है...लेकिन अब मुझे लगने लगा है की तेरे इरादे नेक नहीं है...
सागर:- ऐसा क्यू लग रहा है आपको??
सुमन:- जैसे तू मुझसे आज बात कर रहा है...
सागर:- रहने दो बुआ ...प्रियंका ने बताया मुझे आप माधवी और उसके साथ कैसी कैसी बाते करते हो...
सुमन:- वो तो हम औरतो के बिच की बात होती है...और हम तीनो दोस्त की तरह रहते है।
सागर:- तो मुझे भी दोस्त समझो...उससे जादा भी समझ सकती हो...सागर सुमन चेहरे के हावभाव का जायजा लेते हुए बोला।
सुमन:- नहीं कोई जरुरत नहीं है...तुझे दूध चाहिए क्या या मैं जाऊ...
सागर:- बिना सुहागरात के दूध का मजा??
सुमन ऊपर ऊपर से कितनी भी दिखा रही हो की उसे सागर का ऐसे बात करना पसंद नहीं आ रहा लेकिन अंदर ही अंदर वो चाह रही थी की सागर ऐसेही उसे। छेड़ता रहे। अब वो भी सागर की ऐसी बातो का मजा लेने लगी और उसे उसीके अंदाज में जवाब देने लगी।
सुमन:-रहने दे यहाँ बैठे बैठे सुहागरात की बाते करना और असल में सुहागरात मनाना अलग चीज है....वहा बड़े बड़े फुस हो जाते है...
सागर:- आजमा के देख लो...
सुमन:- अच्छा बच्चू मेरे साथ मनायेगा तू?? रुक अभी भाभी को बताती हु...
सागर:-आपको क्या लगता है माँ क्या कहेगी??
सुमन:- तेरी पिटाई करेंगी...
सागर:- गलत....माँ कहेगी बच्चे का इतना मन है तो मना लेने दो...
सुमन:- अपने सर पे हाथ मरके...हे भगवान क्या करू मैं इसका??
सागर ऐसे लग रहा था की उसकी बातो का असर सुमन पे कुछ खास नहीं हो रहा है क्यू की सुमन सब चीजे मजाक में ले रही थी मगर सुमन सागर की बातो को मजाक इस लिए बना रही थी क्यू की उसे सागर के साथ कुछ नहीं करना था आखिर वो था तो उसका भतीजा...
सागर:- कुछ मत करो बुआ...तड़पाती रहो मुझे ऐसेही...
सुमन:-मैं कहा तड़पा रही हु?? वो तो प्रियंका तड़पा रही है तुझे....
सागर:-हा वो तो कबसे तड़पा रही है...
सुमन:- बेचारा सागर...हा हा हा
सागर:- हसलो और जोर से हसलो...
सुमन:- ठीक है नहीं हँसती....
सागर:- मजाक की बात अलग है बुआ पर एक बात कह seriuosly.....फूफाजी आपको बहोत मिस करते होंगे...
सुमन:- कहा रे...हफ्ते में एक या दो बार फ़ोन आता है उनका...और बोलता है मिस करते है...
सागर:-वो काम की वजह से....आप के जैसी सुन्दर और सेक्सी बीवी को मिस ना करने वाला कोई पागल ही होगा।
सागर के मुह अपनी तारीफ सुन के खासकर सेक्सी सुन के प्रभा गदगद हो उठी।
इसके पहले वो आगे कुछ बोल पाती कुछ खड़ खड़ की आवाज हुई सुमन अनजाने में ही छुपने की कोशिस में सागर की गोद में चली गई....उसे इस बात का अहसास नहीं था की वो सागर के साथ बैठ के बाते कर रही थी कुछ गलत काम नहीं....लेकिन जब वो चंदू से मिलती थी और ऐसा कुछ होता था वो झट से छुप जाती थी शायद उसी का असर था की आज रात में थोड़ी आवाज हुई तो झट से छुप गयी लेकिन उसका ऐसे करना सुमन को बहोत भारी पड़ा क्यू की वो सीधा सागर के आधे खड़े लंड पे जा गिरी थी। उसका हाथ सीधा सागर के लंड पे था। सागर को तो पहले कुछ समझ नहीं आया की सुमन ऐसे छुप क्यू रही है लेकिन जैसेही सुमन का हाथ उसके लंड से टच हुआ वो 2 सेकंड में ही फनफना उठा। सुमन भी उसके लंड को छूने से अंदर तक सिहर उठी। जब उसने सागर के लंड का साइज़ को महसूस किया तो उसका कण्ट्रोल खुदपर से फटाक से चला गया। वो दोनों इस सिचुएशन को समझ पाते इसके पहले ही...
सागर:- बुआ क्या हुआ छुप क्यू रही हो??
सुमन को सागर के बात से होश आया की वो कुछ गलत नहीं कर रही है...वो उठ के बैठ गयी।
सुमन:-अरे मुझे लगा कोई आ गया...
सागर:- तो क्या हुआ...हम कुछ गलत थोड़े कर रहे है
सुमन:- कुछ नहीं...अरे मुझे लगा की तेरे साथ साथ मुझे भी डाट पड़ेगी इसलिए....
सागर को समझ आ गया था सुमन क्यू छुप रही थी। सागर ने देखा की सुमन अब लगातार उसके लंड को देख रही है। सागर को लगा की अब उसकी मंजिल दूर नहीं है।
सागर:- नहीं मैं बोल देता की मैंने आपको जबरदस्ती मेरे पास बिठा रखा है।
सुमन का मन अब चुदने का होने लगा था। सागर के लंड को छूने से उसका इरादा अब बदल गया था। अब उसे वहा से जाना नहीं था।
सुमन:-और कोई पूछता की तू इतनी रात तक क्यू जाग रहा है तो??
सागर:- मैं उन्हें बता देता जो आपको बताया....
सुमन:- इतनी हिम्मत है तुझमे??
सागर:- मेरी हिम्मत आपने देखि ही कहा है....
सुमन:- हा देख ली...मुझसे कहता है की सुहागरात मनानी है ...मुझे सेक्सी बोल रहा है...इससे पता चल गया मुझे की तुझमे बहोत हिम्मत है....वैसे तुझे मुझमे सेक्सी क्या दिखा??
सागर:- आप ऊपर से निचे तक सेक्सी हो बुआ...
सुमन:- कुछ भी बोलता है तू...
सागर:- सच में...लगता है आप खुद को आईने में देखती नहीं हो...
सुमन:- रोज देखती हु...मुझे तो कुछ नहीं लगा ऐसे...
सागर:- मैं ऐसे नहीं...नहाने के बाद की बात के रहा हु...
सुमन:- हा देखती हु...
सागर:- आप समझ नहीं रही हो...नहाने के बाद कपडे पहनने से पहले की बात कर रहा हु....
सागर सुमन की आखो में देखते हुए बोला...
सुमन सागर की बात सुन के शरमा गयी और निचे देखने लगी।
सुमन:- हा क्या?? तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तूने मुझे देखा हो....
सागर:- देखा तो नहीं है....पर अगर देखने मिल जाय तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा...सागर सुमन के करीब सरकते हुए बोला...
सुमन:-तू बहोत धीट हो गया है आजकल...कुछ भी बोल देता है...सुमन ने धीरे से एक अलग ही अंदाज में कहा। सागर ने उसकी बदली आवाज और अंदाज को बखूबी पहचान लिया था।
सागर:- सच में बुआ...अगर आप मेरी बुआ नहीं होती ना तो कबका मैं आपको भगा के ले गया होता....
सुमन:- अच्छा?? और क्या करता भगा के ले जाने के बाद??
सागर:- वही करता जो करना चाहिए....
सागर सुमन के करीब गया और उसकी कमर पे हाथ रख के बोला।
सुमन सागर को अपने इतने करीब पाके मस्ती से भर उठी। उसने उसे रोक नहीं।
सुमन:- क्या??? सुमन मदहोशी में बोली।
सागर:- सबकुछ यही बता दू क्या??
सुमन:- मतलब??
सागर:- कमरे में चलते है...वहा सबकुछ डिटेल में बताता हु...सागर सुमन की कमर सहलाते हुए बोला।
सुमन:- तू मजाक कर रहा है ना??
सागर:- बिलकुल भी नहीं...सागर अपना हाथ थोडा ऊपर ले जाके सुमन की चुचियो पे रखना चाहा...लेकिन सुमन ने उसका हाथ हटाया और एकदम से उठ गयी।
सुमन:- छोड़ मुझे ...क्या कर रहा है...मैं बुआ हु तेरी।
सागर उठा और सुमन का हाथ पकड़ लिया। सुमन तो वही चाहती थी लेकिन थोडा तो नाटक करना ही था।*
सागर:-बुआ सच कहू जब से इनसब बातो के बारे में पता लगा है...मेरे दिमाग में पहला ख्याल आपका ही आया था...सागर सुमन के और भी करीब जाते हुए बोला।
सुमन:-सागर ....
सागर:- हा बुआ...आप सच में मुझे बहोत अछि लगती हो...आज मौका मिला है आपसे बात करने का...
सुमन:- सागर तुझे ऐसे नहिबसोचना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता।
सागर:- मैं जनता हु बुआ....पर क्या आप मेरी एक ख्वाहिस भी पूरी नहीं करोगे??
सुमन:- क्या ??
सागर:-मैं आपको एक बार बिना कपड़ो के देखना चाहता हु...
सुमन:-नहीं पागल हो गए होंक्या??छोड़ो मेरा हाथ...
सागर :- प्लीज बुआ एक बार...
सुमन:- नहीं मतलब नहीं...
सागर:- बस एक बार...प्लीज...मैं दूर से देखूंगा..
सुमन:- सागर ये कैसे?? मुझे बहोत अजीब लग रहा है...
सागर:- अगर आप सच मेंउझसे प्यार करती हो तो मना मत कीजिये।
सुमन:- प्यार तो करती हु मैं तुझसे....लेकिन...
सागर:- लेकिन क्या बुआ?? आपको भरोसा नहीं मुझपे?? मैं आपको बिलकुल नहीं छुऊँगा...और ये बात आज रात के बाद कभी नहीं आएगी ।
सुमन:- सागर समझने किंकोशिस करो ...
सागर:- आप समझ नहीं रही हो....प्लीज बस एक बार...
सुमन:- ठीक है...लेकिन मैं सिर्फ साड़ी और ब्लाउज उतारूंगी...ब्रा पैंटी नहीं...
सागर:- चलेगा...
सुमन:- और तू मेरे बिलकुल करीब नहीं आएगा...
सागर:-हा बुआ..चलो मेरे कमरे में चलते है...
सुमन और सागर दोनों जानते थे एक बार ये खेल सुरु हो जाय तो वो अपने असली मक़ाम तक पहोंचे बिना नहीं रुकने वाला था। मन ही मन दोनों भी तो यही चाहते थे।*
गाडी स्टेशन जैसी डबल मीनिंग वाली बातो से दोनों के बिच का माहोल थोडा गरम और खामोश सा हो गया था। सागर तो पक्का बेशर्म बना बैठा था मगर सुमन को थोड़ी शरम और हिचकिचाहट महसूस होने लगी थी।
सागर:- क्या हुआ बुआ आप एकदम से चुप क्यू हो गयी??
सुमन:- कुछ नहीं...कुछ भी तो नहीं...सोच रही थी आजकल के लडके लडकिया कितने आगे पहोच गए है....
सागर:- बुआ क्या कर सकते है भावनाओ को दबा तो नहीं सकते...अच्छा अब आप बताओ की आप कोनसे पल याद करते हो??
सुमन:- चुप कर नालायक...और जाके सो जा..
सागर:- अरे बुआ नींद ही तो नहीं आ रही...पता नहीं आप कैसे सो जाती हो ....
सुमन:- कहा रे बस आधी रात तो करवटे बदलने में चली जाती है.....भावनाओ में बहती सुमन के मुह से अनजाने में निकल गया।.....
सागर:- ओह्ह्ह्ह मैं समझ सकता हु....
सुमन:- नहीं ...नहीं...वैसे नहीं।
सागर:- अरे बुआ रहने दो मैं समझ गया...आप को किस चीज की याद आती है....
सुमन शरम से लाल हो उठी।
सुमन:- चुप एकदम चुप...बुआ हु मैं तेरी...कैसी बाते कर रहा है मुझसे??
सागर:- हा क्या?? जब आप प्रियंका और मेरी बाते कर रही थी तब कहा गयी थी आपकी ये बुआ वाली बात??
सुमन:-मैं तो बस ऐसेही पूछ रही थी। अच्छा चल मैं जाती हु सोने...तू भी सो जा अब..
सागर:- बैठो ना थोड़ी देर...हम दोनों एक ही कश्ती में सफ़र कर रहे है...वैसे भी आप जाके आधी रात तक करवटे ही बदलते रहने वाले हो उससे अच्छा यहाँ मेरे साथ बाते करो या ऐसा करते है मैं भी चलता हु आपके साथ दोनों साथ में करवटे बदलते है...
सुमन:-नालायक बेशरम बदमाश...बोलने से पहले सोचता तो जा..
सागर:- हा हा हा मैं तो मजाक कर रहा था...
सागर ने बात को मजाक तो बना दिया मगर सुमन के मन में अपनी इच्छा का बिज बो दिया था। सुमन को भी पता था की ये कोई मजाक नहीं था...वो अब और भी गरम हो चली थी।
सुमन:- हा क्या?? मुझे लगा की सच में बोल। रहा है। और एक पल के लिए तो मैंने खयालो में देख भी लिया...लेकिन अब तू मजाक ही कर रहा था तो जाने दे....सुमन ऐसे मजाक के मामले में सबकी बाप थी।
सागर:- नहीं..नहीं...अभी आप मजाक कर रही हो...मेरी खिंचाई कर रही हो...
सुमन:- नहीं तो...अगर तू कहता की चलो बुआ आज मैं आपके साथ सोता हु तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होती...
सागर:- रहने दो बुआ...कितनी सारी गालिया दे दी आपने...
सुमन:- वो तो ऐसेही...
सागर:- हा क्या अगर जो गाडी प्रियंका के साथ रुकी हुई है आ0के साथ आगे बढ़ जाती तो??
सुमन एकदम शॉक होके सागर को देखने लगी। उसे उम्मीद नहीं थी की सागर ऐसा भी कुछ बोल देगा...लेकिन अब वो फस चुकी थी क्यू की इस मजाक को उसने ही आगे बढ़ाया था।
सुमन:- तू ना सच में पागल हो गया है प्रियंका की याद में...कुछ भी बोले जा रहा है....सुमन ने बात को सँभालने की कोशिस की। और अपने आप को भी क्यू की सागर की बात सुनके न सिर्फ वो शॉक थी बल्कि उसने अपनी चूत में कई चीटिया एक साथ रेंगते महसूस की।.....चल मैं जा रही हु...ऐसा बोल के सुमन उठी और जाने लगी। लेकिन सागर ने उसका हाथ पकड़ा और खीच के अपने पास बिठा लिया।
सागर:-बुआ प्लीज बैठो ना...अब मैं कोई मजाक नहीं करूँगा।
सुमन एक तो पहले ही गरम होंरहि थी और ऊपर से सागर ने उसका हाथ पकड़ के रखा था। धीरे धीरे अब वो सागर की चालो में फसती जा रही थी।
सुमन:- अरे देख 1 बज गया है...सुमन ने उठने जैसा किया तो सागर ने जांघो पे हाथ रख दिया और उसे रोकने लगा। सुमन ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया लेकिन उसे हटाया नहीं उसे अब सागर का ऐसे छूना अच्छा लगने लगा था। सागर ने जब देखा की सुमन ने उसके घुटनो के पास जांघ पे रखा हाथ हटाया नहीं तो उसे वो एक तरह से ग्रीन सिग्नल मान बैठा।
सागर:- बस आधा घंटा और बुआ...
सुमन:- ठीक है...दूसरी कुछ बात कर...तेरी पढाई कैसे चल रही है?? अच्छी है ना या प्रियंका के खयालो में खोया रहता है??
सागर:- नहीं बुआ आपको पता है ना मैं पढाई के आगे किसी भी चीज को नहीं आने देता।
सुमन:- हा पता है...और देख भी रही हु...झूठा कही का...
सागर:- नहीं सच में...मेरे रिजल्ट आएंगे तो पता चल ही जायेगा आपको...
सुमन:- ह्म्म्म्म ठीक है देखती हु....चल अब सो जा ना मेरे बच्चे...सुमन ने अपना हाथ उसके हाथ से हटाया और उसके सर से घूमते हुए गालो पे लेके आयी और गालो को हथेली में पकड़ के कहा...सुमन हमेशा ही सागर और माधवी के साथ ऐसा ही करती थी। सागर ने इस मौके का फायदा उठाया और अपना हाथ सुमन की जांघो पे थोडा आगे की तरफ खिसकाया। सुमन ने ये *बात बहोत अच्छेसे महसूस की और अब उसे सागर के इरादों के बारे में यकीन हो गया। वो सागर के गालो को हथेली पे पकड़ के वैसे ही रही और उसकी आँखों में झांकने लगी...उसे सागर की आखो में सिर्फ और सिर्फ वासना नजर आ रही थी। उसने अपनी नजरे नीची कर ली ...उसने सागर की वासना भरी नजरो से अपनी नजर हटाने के लिए निचे देखा था लेकिन उसने निचे जो देखा उससे उसका पूरा बदन वासना से भर। उठा। सागर का लंड जो अब धीरे धीरे अपनी असली औकात में आने लगा था। सागर ने शार्ट पहना था वो थोडा टाइट था जिसमे से उसके लंड की लंबाई और मोटाई साफ़ साफ़ नजर आ रही थी। उसे।देख सुमन दंग रह गई। सुमन ने झट से अपना हाथ और नजर हटाई और सामने की तरफ देखने लगी। ये सब कुछ ही सेकंड में हुआ था लेकिन उसका असर सुमन पे बहोत गहरा हुआ था।
सुमन:- एक काम करती हु तेरे लिए केसर का दूध ले आती हु...उससे तुझे नींद आ जायेगी...सागर का हाथ अपनी जांघो हटाते हुए कहा।
सुमन ने वहा से जाने का बहाना बनाया। क्यू की उसे पता चल गया था की अब वो जादा देर खुद पे काबू नहीं रख पाने वाली है। और उसे सागर के साथ कुछ नहीं करना था। एक तो वो उसका भतीजा था ऊपर से चंदू के साथ हुए वाकिये से वो बहोत परेशानी से गुजारी थी।
सागर:- लेकिन बुआ केसर वाला दूध तो सुहागरात के वक़्त देते है ना??*
सुमन:- हा देते है लेकिन आज तेरी कोई सुहागरात नहीं है...सिर्फ तुझे नींद आ जाय इसलिए बोला....
सागर:-मुझे लगा कही आपका इरादा .......
सुमन:- नहीं मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है...लेकिन अब मुझे लगने लगा है की तेरे इरादे नेक नहीं है...
सागर:- ऐसा क्यू लग रहा है आपको??
सुमन:- जैसे तू मुझसे आज बात कर रहा है...
सागर:- रहने दो बुआ ...प्रियंका ने बताया मुझे आप माधवी और उसके साथ कैसी कैसी बाते करते हो...
सुमन:- वो तो हम औरतो के बिच की बात होती है...और हम तीनो दोस्त की तरह रहते है।
सागर:- तो मुझे भी दोस्त समझो...उससे जादा भी समझ सकती हो...सागर सुमन चेहरे के हावभाव का जायजा लेते हुए बोला।
सुमन:- नहीं कोई जरुरत नहीं है...तुझे दूध चाहिए क्या या मैं जाऊ...
सागर:- बिना सुहागरात के दूध का मजा??
सुमन ऊपर ऊपर से कितनी भी दिखा रही हो की उसे सागर का ऐसे बात करना पसंद नहीं आ रहा लेकिन अंदर ही अंदर वो चाह रही थी की सागर ऐसेही उसे। छेड़ता रहे। अब वो भी सागर की ऐसी बातो का मजा लेने लगी और उसे उसीके अंदाज में जवाब देने लगी।
सुमन:-रहने दे यहाँ बैठे बैठे सुहागरात की बाते करना और असल में सुहागरात मनाना अलग चीज है....वहा बड़े बड़े फुस हो जाते है...
सागर:- आजमा के देख लो...
सुमन:- अच्छा बच्चू मेरे साथ मनायेगा तू?? रुक अभी भाभी को बताती हु...
सागर:-आपको क्या लगता है माँ क्या कहेगी??
सुमन:- तेरी पिटाई करेंगी...
सागर:- गलत....माँ कहेगी बच्चे का इतना मन है तो मना लेने दो...
सुमन:- अपने सर पे हाथ मरके...हे भगवान क्या करू मैं इसका??
सागर ऐसे लग रहा था की उसकी बातो का असर सुमन पे कुछ खास नहीं हो रहा है क्यू की सुमन सब चीजे मजाक में ले रही थी मगर सुमन सागर की बातो को मजाक इस लिए बना रही थी क्यू की उसे सागर के साथ कुछ नहीं करना था आखिर वो था तो उसका भतीजा...
सागर:- कुछ मत करो बुआ...तड़पाती रहो मुझे ऐसेही...
सुमन:-मैं कहा तड़पा रही हु?? वो तो प्रियंका तड़पा रही है तुझे....
सागर:-हा वो तो कबसे तड़पा रही है...
सुमन:- बेचारा सागर...हा हा हा
सागर:- हसलो और जोर से हसलो...
सुमन:- ठीक है नहीं हँसती....
सागर:- मजाक की बात अलग है बुआ पर एक बात कह seriuosly.....फूफाजी आपको बहोत मिस करते होंगे...
सुमन:- कहा रे...हफ्ते में एक या दो बार फ़ोन आता है उनका...और बोलता है मिस करते है...
सागर:-वो काम की वजह से....आप के जैसी सुन्दर और सेक्सी बीवी को मिस ना करने वाला कोई पागल ही होगा।
सागर के मुह अपनी तारीफ सुन के खासकर सेक्सी सुन के प्रभा गदगद हो उठी।
इसके पहले वो आगे कुछ बोल पाती कुछ खड़ खड़ की आवाज हुई सुमन अनजाने में ही छुपने की कोशिस में सागर की गोद में चली गई....उसे इस बात का अहसास नहीं था की वो सागर के साथ बैठ के बाते कर रही थी कुछ गलत काम नहीं....लेकिन जब वो चंदू से मिलती थी और ऐसा कुछ होता था वो झट से छुप जाती थी शायद उसी का असर था की आज रात में थोड़ी आवाज हुई तो झट से छुप गयी लेकिन उसका ऐसे करना सुमन को बहोत भारी पड़ा क्यू की वो सीधा सागर के आधे खड़े लंड पे जा गिरी थी। उसका हाथ सीधा सागर के लंड पे था। सागर को तो पहले कुछ समझ नहीं आया की सुमन ऐसे छुप क्यू रही है लेकिन जैसेही सुमन का हाथ उसके लंड से टच हुआ वो 2 सेकंड में ही फनफना उठा। सुमन भी उसके लंड को छूने से अंदर तक सिहर उठी। जब उसने सागर के लंड का साइज़ को महसूस किया तो उसका कण्ट्रोल खुदपर से फटाक से चला गया। वो दोनों इस सिचुएशन को समझ पाते इसके पहले ही...
सागर:- बुआ क्या हुआ छुप क्यू रही हो??
सुमन को सागर के बात से होश आया की वो कुछ गलत नहीं कर रही है...वो उठ के बैठ गयी।
सुमन:-अरे मुझे लगा कोई आ गया...
सागर:- तो क्या हुआ...हम कुछ गलत थोड़े कर रहे है
सुमन:- कुछ नहीं...अरे मुझे लगा की तेरे साथ साथ मुझे भी डाट पड़ेगी इसलिए....
सागर को समझ आ गया था सुमन क्यू छुप रही थी। सागर ने देखा की सुमन अब लगातार उसके लंड को देख रही है। सागर को लगा की अब उसकी मंजिल दूर नहीं है।
सागर:- नहीं मैं बोल देता की मैंने आपको जबरदस्ती मेरे पास बिठा रखा है।
सुमन का मन अब चुदने का होने लगा था। सागर के लंड को छूने से उसका इरादा अब बदल गया था। अब उसे वहा से जाना नहीं था।
सुमन:-और कोई पूछता की तू इतनी रात तक क्यू जाग रहा है तो??
सागर:- मैं उन्हें बता देता जो आपको बताया....
सुमन:- इतनी हिम्मत है तुझमे??
सागर:- मेरी हिम्मत आपने देखि ही कहा है....
सुमन:- हा देख ली...मुझसे कहता है की सुहागरात मनानी है ...मुझे सेक्सी बोल रहा है...इससे पता चल गया मुझे की तुझमे बहोत हिम्मत है....वैसे तुझे मुझमे सेक्सी क्या दिखा??
सागर:- आप ऊपर से निचे तक सेक्सी हो बुआ...
सुमन:- कुछ भी बोलता है तू...
सागर:- सच में...लगता है आप खुद को आईने में देखती नहीं हो...
सुमन:- रोज देखती हु...मुझे तो कुछ नहीं लगा ऐसे...
सागर:- मैं ऐसे नहीं...नहाने के बाद की बात के रहा हु...
सुमन:- हा देखती हु...
सागर:- आप समझ नहीं रही हो...नहाने के बाद कपडे पहनने से पहले की बात कर रहा हु....
सागर सुमन की आखो में देखते हुए बोला...
सुमन सागर की बात सुन के शरमा गयी और निचे देखने लगी।
सुमन:- हा क्या?? तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तूने मुझे देखा हो....
सागर:- देखा तो नहीं है....पर अगर देखने मिल जाय तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा...सागर सुमन के करीब सरकते हुए बोला...
सुमन:-तू बहोत धीट हो गया है आजकल...कुछ भी बोल देता है...सुमन ने धीरे से एक अलग ही अंदाज में कहा। सागर ने उसकी बदली आवाज और अंदाज को बखूबी पहचान लिया था।
सागर:- सच में बुआ...अगर आप मेरी बुआ नहीं होती ना तो कबका मैं आपको भगा के ले गया होता....
सुमन:- अच्छा?? और क्या करता भगा के ले जाने के बाद??
सागर:- वही करता जो करना चाहिए....
सागर सुमन के करीब गया और उसकी कमर पे हाथ रख के बोला।
सुमन सागर को अपने इतने करीब पाके मस्ती से भर उठी। उसने उसे रोक नहीं।
सुमन:- क्या??? सुमन मदहोशी में बोली।
सागर:- सबकुछ यही बता दू क्या??
सुमन:- मतलब??
सागर:- कमरे में चलते है...वहा सबकुछ डिटेल में बताता हु...सागर सुमन की कमर सहलाते हुए बोला।
सुमन:- तू मजाक कर रहा है ना??
सागर:- बिलकुल भी नहीं...सागर अपना हाथ थोडा ऊपर ले जाके सुमन की चुचियो पे रखना चाहा...लेकिन सुमन ने उसका हाथ हटाया और एकदम से उठ गयी।
सुमन:- छोड़ मुझे ...क्या कर रहा है...मैं बुआ हु तेरी।
सागर उठा और सुमन का हाथ पकड़ लिया। सुमन तो वही चाहती थी लेकिन थोडा तो नाटक करना ही था।*
सागर:-बुआ सच कहू जब से इनसब बातो के बारे में पता लगा है...मेरे दिमाग में पहला ख्याल आपका ही आया था...सागर सुमन के और भी करीब जाते हुए बोला।
सुमन:-सागर ....
सागर:- हा बुआ...आप सच में मुझे बहोत अछि लगती हो...आज मौका मिला है आपसे बात करने का...
सुमन:- सागर तुझे ऐसे नहिबसोचना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता।
सागर:- मैं जनता हु बुआ....पर क्या आप मेरी एक ख्वाहिस भी पूरी नहीं करोगे??
सुमन:- क्या ??
सागर:-मैं आपको एक बार बिना कपड़ो के देखना चाहता हु...
सुमन:-नहीं पागल हो गए होंक्या??छोड़ो मेरा हाथ...
सागर :- प्लीज बुआ एक बार...
सुमन:- नहीं मतलब नहीं...
सागर:- बस एक बार...प्लीज...मैं दूर से देखूंगा..
सुमन:- सागर ये कैसे?? मुझे बहोत अजीब लग रहा है...
सागर:- अगर आप सच मेंउझसे प्यार करती हो तो मना मत कीजिये।
सुमन:- प्यार तो करती हु मैं तुझसे....लेकिन...
सागर:- लेकिन क्या बुआ?? आपको भरोसा नहीं मुझपे?? मैं आपको बिलकुल नहीं छुऊँगा...और ये बात आज रात के बाद कभी नहीं आएगी ।
सुमन:- सागर समझने किंकोशिस करो ...
सागर:- आप समझ नहीं रही हो....प्लीज बस एक बार...
सुमन:- ठीक है...लेकिन मैं सिर्फ साड़ी और ब्लाउज उतारूंगी...ब्रा पैंटी नहीं...
सागर:- चलेगा...
सुमन:- और तू मेरे बिलकुल करीब नहीं आएगा...
सागर:-हा बुआ..चलो मेरे कमरे में चलते है...
सुमन और सागर दोनों जानते थे एक बार ये खेल सुरु हो जाय तो वो अपने असली मक़ाम तक पहोंचे बिना नहीं रुकने वाला था। मन ही मन दोनों भी तो यही चाहते थे।*
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 23
सुमन और सागर के दिल अब बहोत जोर जोर से धड़क रहे थे। सुमन ये सोच रही थी की सागर को अपना जिस्म ऐसी अदाओं के साथ दिखाएगी सागर उसे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा। सागर ये सोच रहा था की एकबार बुआ कपडे तो उतार दे फिर उसे ऐसे गरम करूँगा की खुद ही लंड पकड़ के चूत तक लेके जायेगी।
दोनों कमरे में गए सागर ने दरवाजा बंद किया। खिड़कीया ठीक से बंद है या नहीं देखा और पर्दो को ठीक किया ताकि कोई अंदर झाँक ना सके। सागर सुमन की तरफ देखा सुमन शरम भरी मुस्कान के। साथ उसे देख रही थी।
सागर:- बुआ। थैंक यू..आज मेरी बरसो। की तम्मना पूरी होगी...
सुमन:- सागर...मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा की मैं तेरी ऐसी इच्छा पूरी करने जा रही हु। बड़ा अजीब सा लग रहा है।
सागर:- बुआ प्लीज् अब कुछ मत सोचो...मुझसे रहा नहीं जा रहा....सागर आगे बढ़ के सुमन को पकड़ने की कोशिस करने लगा।
सुमन:- अ..ह अ..ह....पीछे रहो...तुमने कहा था की तुम मुझे नहीं छुओगे....
सागर:- सॉरी...
सुमन:- तुम।बहोत शैतान हो...यहाँ आओ इस चेयर पे बैठो....सुमन ने उसे चेयर पे बैठने को कहा...
सागर चेयर पे बैठ गया...सुमन ने इधर उधर देखा...फिर उसने अलमारी में देखा ...उसे कुछ रुमाल मिले...उसने वो उठा लिए और सागर के पास जाके उसने उसके दोनों हाथ और पाँव चेयर से बाँध दिए...
सागर:- ये क्या बुआ आपको भरोसा नहीं है ना मुझपे...
सुमन:- भरोसा है मगर इस बात को लेके मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती....
सागर :- आराम से अपनी पीठ चेयर पे टिकाते हुए...ठीक है बुआ आप को जो ठीक लगे...तो अब ...
सुमन:- क्या अब...यहाँ शर्म के मारे मेरी जान निकली जा रही है...
सागर:- मेरे हाथ पाँव तो बाँध दिए है आपने अब क्या प्रॉब्लम है...
सुमन:- हा ठीक है...
सुमन थोडा पीछे हुई...उसका धड़कने बहोत तेज चल रही थी। सागर भी अब अपनी साँस रोके सुमन को देख रहा था। सुमन ने अपने साडी के पल्लू को पकड़ा और उसे उठाया और वापस रख दिया।
सुमन:- नहीं..सागर मुझसे नहीं होगा...
सागर:- बुआ मेरी तरफ देखो ...कुछ नहीं होगा..प्लीज बुआ और मत तड़पाओ...
सुमन:- ठीक है...सुमन ने हिम्मत बटोरी और अपना साड़ी का पल्लू निचे किया...उसने अपनी आखे बंद कर ली और गर्दन दूसरी तरफ करके जोर जोर से साँसे लेने लगी। सागर ने देखा हरे रंग के ब्लाउज में उसकी बड़ी बड़ी चुचिया उसकी जोर जोर से चलती साँसों के साथ ऊपर निचे हो रही थी।ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें उस ब्लाउज में किसीने ठूस के भरा हो...सुमन ने साडी अपने नाभि के बहोत निचे बाँधी थी।*
सागर:- वाओ बुआ...क्या कमाल लग रही हो....साडी होने से पता ही नहीं चलता की आपके स्तन कितने बड़े है...और आपकी ये साडी और नाभि के बिच का पेट तो बहोत ही सेक्सी लग रहा है।
सुमन:- आखे खोलके सागर को देखा...सागर उसे लगातार ऊपर से निचे तक देख रहा था।
सुमन:- shhhhhh चुप रहो बाहर कोई सुन लेगा...
सागर:- आप मेरे नजदीक आओ फिर मैं धीरे से बात करू तो भी आपको सुनाई दे देगा....और वैसे भी बुआ मेरा कमरा सबसे अलग है...मेरे कमरे की तरफ कोई नहीं आता...और मैंने सब अछेसे बंद किया है...
सुमन थोडा आगे बढ़ी अब सागर और सुमन के बिच बस कुछ ही दुरी थी।
सुमन ने देखा की सागर रिलैक्स हो के चेयर पे पड़ा हुआ था उसका लंड ने उसके शॉर्ट्स में तम्बू बनाया हुआ था। सुमन उसे गौर से देखा उसेपे एक हल्का सा दाग दिखा उसे देख के सुमन की हँसी निकल गयी।
सागर:- क्या हुआ बुआ...क्यू है रही हो??
सुमन:- कुछ नहीं...
सागर:-तो बुआ साडी निकाल दो ना....
सुमन किसी गुलाम की तरह सागर का हुकुम माना..उसने साडी निकाल दी और बाजू में बेड पे रख दी....लेकिन अबकी बार उसने आखे बंद नहीं की बल्कि सीधा सागर की आखो में देखते हुए अपनी नशीली अदा के साथ किया था।
सागर:-उम्म्म्म बुआ मैं बता नहीं सकता आप कितनी सेक्सी लग रही हो।
सुमन अब मद्होश हो चुकी थी। सुमन सागर की आखो में देखते हुए अपने ब्लाउज के एक एक बटन खोलने लगी।
सागर अपनी साँस रोके आनेवाले नज़ारे का इंतजार कर रहा था। सुमन ने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए थे। उसकी काले रंग की ब्रा में गोरे गोरे स्तन को देख सागर पागल सा होने लगा था।
सागर:- वाओ बुआ ....आपकी चुचिया तो ब्रा में भी नहीं समां रही है स्सस्सस्सस
सागर के मुह से ये चुचिया शब्द सुनके सुमन के पुरे शारीर में सुरसुरिसि दौड़ गयी।
सागर:- उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसे लग रहा है जैसे जबरदस्ती कैदी बना के रखा है आपने उनको।बाहर निकलने को बेताब है बेचारे....बुआ ब्लाउज तो निकाल दो...
सुमन:- सिर्फ ब्लाउज निकालूंगी...ब्रा नहीं...पता है ना...
सागर:- हा बुआ...
सुमन ने ब्लाउज निकाल के बाजु में रख दिया ।
सुमन:- सागर ...
सागर:- हा बुआ बोलो ना...
सुमन:- कुछ नहीं...
सागर:- बोलो ना...
सुमन:- सच में मेरे स्तन इतने अच्छे है?? सुमन सागर के मुह से अपनी तारीफ़ सुनना चाहती थी और साथ साथ उसे और उकसाना चाहती थी।
सागर:- हा बुआ...सच में बोहोत ही मस्त है...एकदम बड़े बड़े गोल गोल...स्स्स्स लाजवाब स्स्स्स ...अब वो कितने नरम है कड़क है ये छूने के बाद ही पता चलेगा....सागर सुमन के तरफ ललचाई नजरो से। देखता हुआ बोला...
सुमन:- ह्म्म्म्म मैं सब समझ रही हु...
सागर:- समझ रही हो तो एक बार मेरे हाथ खोल दो...छूके देखता हु फिर बताता हु...
सुमन:- कोई जरुरत नहीं....
सागर:- ठीक है...लेकिन एक बार ब्रा तो खोल के दिखा दो...प्लीज...
सुमन तो यही चाहती थी मगर..अब उसे सागर के साथ ऐसे खेलने में मजा आने लगा था।
सुमन:- नहीं...अपने बिच जो तय हुआ था वही होगा...
सागर:- क्या बुआ..आपने मुझे यहाँ बाँध दिया है ये तय नहीं हुआ था...लेकिन मैं कुछ नहीं बोला...बस एक बार...मैं बस जी भर के एक बार आपकी गोरी गोरी चुचिया नंगी देख लू...आपके निप्प्ल्स का रंग देख लू कैसा है स्स्स्स्स् बस फिर आप लगे तो वापस पहन लेना...
सुमन:- सागर....चुप कर तेरे मुह से ये बाते सुनके मुझे अजीब सा लगने लगा है..
सागर:- स्स्स्स बुआ बस एक बार ...
सुमन:- बस एक बार...इसके आगे जो तय हुआ था..
सागर:- ठीक है...
सुमन ने अपने ब्रा के हुक खोले और ब्रा को अपनी चुचियो पे एक हाथ से दबा के रखा और दूसरा हाथ से ब्रा की स्ट्रिप निकाल ली..फिर दूसरे से ब्रा को पकड़ा और दूसरा हाथसे ब्रा की स्ट्रिप निकल ली। फिर सागर की आखो में देखते हुए एकं हाथ से अपनी चुचिया ढक ली और दूसरे से ब्रा निकाल के फेक दी...
सागर:- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ हाथ तो हटाओ....
सुमन:- नहीं मुझे शरम आ रही है...और फिर सुमन पलट गयी।
सागर के आखो के सामने सुमन की नंगी पीठ थी। एकदम चिकनी गोरी पीठ देख सागर पागल सा होने लगा। उसका लंड तो कबसे खड़ा था। वो उसे मसलना चाहता था मगर उसके हाथ बंधे हुए थे।*
सागर:- आह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसी खुबसुरती मैंने आजतक नहीं देखि स्स्स्स्स् बुआ प्लीज पलट जाओ...
सुमन धीरे धीरे पलटी उसने सागर की आखो में देखते हुए अपना हाथ हटा लिया...अब सागर के सामने सुमन की नंगी चुचिया थी। वो उन्हें मुह खोले देखता रहा। सुमन सागर की तरफ देख रहीं थी। उसकी बोलती बंद होते देख सुमन को खुद की खूबसूरती पे गुरुर होने लगा।
सुमन:- (धीरे से सेक्सी आवाज में) कुछ बोलेगे या देखते ही रहोगे।
:- क्या बोलू ...मेरे पास शब्द नहीं है अब तारीफ करने के लिए...स्सस्सस्स बुआ आपके ये निप्प्ल्स बहोत ही मस्त है स्स्स्स्स् बुआ थोडा नजदीक आओ ना...
सुमन सागर के नजदीक गयी। वो जानबुज के अपनी चुचिया सागर के चेहरे के एकदम सामने लेके गयी।
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् मजा आ गया...मैंने जितना सोचा था उससे कई जादा अछि है स्स्स्स्स् बुआ एक बार हाथो से थोडा ऊपर उठा के दिखाओ ना...
सुमन ने अपनी दोनों चुचियो को निचे पकड़ा और ऊपर की और उठाया...उससे अब रहा नहीं गया वो उन्हें धीरे धीरे मसलने लगी दबाने लगी।
सागर सुमन को ऐसे करता देख मदहोश हो उठा। सुमन को अब ये सब बर्दास्त के बाहर हो रहा था। वो अपने होश खो चुकी थी उसी सुरूर में वो अपने निप्प्ल्स को उंगिलयों में पकड़ के धीरे धीरे मसलने लगी।
सुमन:- स्सस्सस्सस सागर अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म
सागर:-बहोत मजा आ रहा है बुआ स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह ऐसेही करते रहो वाओ....आप सच में कमाल हो उफ्फ्फ्फ्फ्फ
सागर की बात सुनके सुमन थोड़ी होश में आयी।
उसने झट से अपने हाथ हटा लिए...
सागर:- क्या हुआ बुआ?? बहोत मजा आ रहा था आपको ऐसे करते देख...
सुमन:-तू ना सच में मुझे पागल करके छोड़ेगा आज...
सागर:- पागल तो मैं हो चूका हु आपके इस सेक्सी बदन को देख के....वो निप्प्ल्स को मसलते हुए क्या लग रही थी आप...बुआ एक बार हाथ खोल के छूने दो ना..
सुमन:- नहीं सागर...
सागर:- प्लीज बुआ...
सुमन:- नहीं मतलब नहीं...अगर तू जिद्द करेगा तो मैं चली जाउंगी...
सागर:- ठीक है ...लेकिन क्या एक बार आपके निप्प्ल्स को मेरे होठो से छुआ सकती हो प्लीज...
सुमन :- उम्म्म तू कुछ भी बोलने लगा है अब...
सागर:- नही बुआ..बस किस करना चाहता हु...
सुमन:- ठीक है...सुमन इस ख्याल से ही मस्ती से भर उठी के सागर के होठ उसके निप्प्ल्स को छुएंगे...उसकी चूत उत्तेजना से धड़ धड़ उड़ रही थी। पैंटी तो पूरी तरह भीग चुकी थी।
सुमन थोडा आगे हुई।उसने अपने चूची को पकड़ के निप्पल सागर के होठो पे रखा सागर थोडा आगे हुआ और निप्पल को किस किया। फिर उसने सुमन की तरफ देखा सुमन वो उत्तेजना सिसकारी ले रही थी।
सागर:-(धीरे से) बुआ दूसरा भी...
सुमन ने सागर के मुह के सामने अपनी दूसरी चूची का निप्पल ले गयी। सागर बहोत चालक था उसने पहले वाले को सर चूमा...लेकिन दूसरे को पहले चूम और फिर सुमन की आखो में देखते हुए उसे मुह में ले लिया और धीरे से चूसने लगा। सुमन के पुरे शारीर में एक बिजली सी कौंधी। सागर ने जैसे ही उसका निप्पल चूसा उसकी आखे अपने आप बंद हो गयी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स सागर उम्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ़
सागर सुमन का निप्पल को जुबान से गिला करने लगा। *सुमन उसका सर पकड़ के अलग करने लगी मगर सिर्फ दिखावे के लिए।
सुमन:- अह्ह्ह्ह छोड़ दे सागर स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म
सागर ने दो तिन मिनट तक उसे चूसता रहा ।
सागर:- उफ्फ्फ्फ़ बुआ मजा आ गया स्सस्सस्सस बहोत ही मस्त है आपके निप्पल स्स्स्स
सुमन:- बदमाश है तू...
सागर:-सॉरी बुआ कण्ट्रोल ही नहीं हुआ...
सुमन:- ह्म्म्म स्स्स्स यहाँ मेरी हालात ख़राब हो गयी उसका क्या??
सागर:- क्या हुआ अच्छा नहीं।लगा क्या??
सुमन:-नहीं ऐसे नहीं...छोड़ तू नहीं समझेगा...
सागर:-बुआ थैंक यू...सच में आप बहोत अच्छी हो...
सुमन:- रहने दे जादा मस्का मत लगा..
सुमन ब्रा उठाने लगी।
सागर:- बुआ रहने दो ना..एक बार ये पेटीकोट उतार दो फिर सब साथ में पहन लेना।
सुमन ने ब्रा वापस रख दी। और पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी। सुमन ने नाड़ा हाथ में लिया। उसके दिमाग में एक आईडिया आया। उसने गलत टोक पकड़ के खीचा जिससे पेटीकोट खुलने की बजाय वहा एक पक्की गाँठ बन गयी।
सुमन:- उफ्फ्फ ये क्या यहाँ तो गाँठ बन गयी...
सागर:- क्या हुआ बुआ??*
सुमन:-अरे मैंने गलत टोक खिंच लिया अब ये गाठ आसानी से नहीं खुलेगी।
सागर:- तो वहा अलमारी से कैची ले लो और काट दो...
सुमन:- फिर मैं इसे कैसे पहनू??*
सागर:- तो अब??
सुमन:- तो मैं तुझे ऐसेही उठा के दिखा देती हु।
सुमन धीरे धीरे अपणा पेटीकोट ऊपर की।तरफ खीचने लगी। सागर को उस पेटीकोट के ऊपर होते हुए देख रहा था। उसे धीरे धीरे सुमन की जांघे दिखाई दे रही थी। गोरी चिकनी जांघो को देख सागर मस्त होने लगा। जब उसने सुमन के जांघो के बिच उसकी काली निक्कर देखि तो उसकी साँस थम सी गयी। सुमन की उभरी हुई फूली हुई चूत कोंदेख सागर के होठ सुख से गए।*
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह क्या बात है उम्म्म्म ...बुआ थोडा पास आओ ना..
सुमन फिर से आगे हुई ।सागर थोडा झुका और गौर से देखने लगा। एक सास जोर से अंदर की तरफ खिची और....*
सागर:- स्सस्सस्स बुआ उफ्फ्फ्फ़ ...कितनी मस्त खुशबु आ रही है उफ्फ्फ्फ़ बुआ..ये पेटीकोट निकालो ना..ठीक से दिख नहीं रहा।
सुमन:- अरे ये गांठ बहोत पक्की है...ह्म्म्म एक काम कर इसे तू अपने दातो से थोडा ढीला कर दे...
सुमन ने पेटीकोट निचे किया और अपनी कमर को उसकी तरफ करते हुए पेटीकोट की गाँठ हात में लिया।
सागर ने देखा और अपना मुह आगे करके सुमन के कहे अनुसार गाठ खोलने लगा। जहा नाडा बांधते है वहा थोडा कट होता है। उस कट में से सुमन की पॅंटी और जांघ दिख रही थी। सागर *गाँठ खोलने के बहाने से उस कट में से सुमन की जांघ और पॅंटी को चूम रहा था। जुबान से चाट रहा था। सुमन भी तो यही चाहती थी इसीलिए उसने ऐसा किया था।*
सुमन:-स्स्स सागर क्या कर रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ जल्दी कर ...
सागर:- हा बुआ बस हो गया...
सुमन ने देखा सागर ने दातो से गाँठ ढीली कर दी थी। उसने धीरे से वो खोल दी और अपना पेटीकोट निचे गिरा दिया। सुमन सागर के सामने सिर्फ निक्कर में खड़ी थी। सुमन ने पेटीकोट पैरो से निकाल दिया।
और पलट के अपनी गांड मटकाते हुए सागर से थोडा दूर गयी और वापस पलट के सागर को देखने लगी। सागर सुमन की काली निक्कर में फसी गांड को देख रहा था। सुमन की गांड कुछ जादा ही मांसल थी। गोरी गोरी चिकनी गांड को देख सागर तो जैसे सातवे आसमान में पहोच गया था।*
सुमन:-देख लो जी भर के...
सागर:-देख ही तो रहा हु.....बुआ आपकी निकर तो सामने से पूरी भीग गयी है...
सुमन ने झट से उसे हाथ से छुपा लिया।
सुमन:- मेरी निकर क्या देख रहा है जरा खुद का देख ....
सागर ने देखा उसके प्रीकम बड़ा सा दाग उसके शार्ट पे दिख रहा था।
सागर:-अब इतना सेक्सी शो चल रहा है ये तो होना ही है...बुआ अपनी निकर को नितम्ब के दरारों में डाल के एक बार मुझे दिखाओ ना....
सुमन अब उसे किसी भी चीज के लिए मना नही करने वाली थी। वो तो चाहती थी की सागर उसे और भी कुछ करने को कहे...क्यू की उसे बहोत जादा मजा आ रहा था। उसने कभी भी इसतरह से अपना जिस्म किसी को नहीं दिखाया था।*
सागर के कहे नुसार सुमन ने पॅंटी को गांड के दरारों में घुसा दिया और पलट के थोडा झुक गयी।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ स्स्स्स्स् क्या लग रही है आपकी...सागर गांड कहना चाहता था मगर उसने खुद को रोक लिया।
सुमन:-अच्छा लगा??
सागर:- बहोत....बुआ सच में आप के जैसे नितम्ब दुनिया में किसी के नहीं होंगे....
सुमन:-और भी कुछ देखना चाहोगे??
सागर:- नेकी और पुच पुच...जल्दी से दिखाओ न...
सुमन सीधी हुई और उसने अपनी पॅंटी सामने से अपनी चूत के लिप्स में डाल दी और सागर की तरफ पलट गई...उसकी आँखों देखते हुए बेड पे बैठी और निचे की तरफ थोडा सा सरक गयी। फिर उसने अपने पैर फैलाये और पॅंटी को पकड़ के ऊपर खीचा। सागर ने देखा सुमन की पॅंटी उसकी चूत में कही खो सी गयी थी। भीगी भीगी चूत कमाल लग रही थी। सुमन की चूत पे बाल थे शायद बहोत दिनों से साफ़ नहीं किये थे। लेकिन सागर को वही सबसे जादा पसंद आ रहा था।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ मार डालोगी क्या स्सस्सस्स कितनी खूबसूरत है बुआ आपकी चूत स्सस्सस्स आहा हा हा..और बालो की वजह से तो चार चाँद लग गए उसकी खूबसूरती पे।
सागर के मुह से चूत सुनके सुमन का रोम रोम सिहर उठा।
सुमन:-अच्छा??इतनी अछि लगी तुझे?? तुझे बालो वाली चूत पसंद है??
सुमन अब खुलके शब्दों का प्रयोग कर रही थी क्यू की उसे अब चुदने की इच्छा बहोत तीव्र होने लगी थी। वो जल्द से जल्द सागर का लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी।
सागर:- बालो वाली या बिना बालो वाली...मुझे तो बस आपकी चूत पसंद है बुआ स्स्स्स्स् देखो ना कैसे झटके मार रहा है मेरा *उफ्फ्फ्फ़ आप जिस अदा से अपना बदन मुझे दिखा रही हो उससे तो ऐसे लग रहा है जैसे मेरा पानी तो ऐसेही छूट जाएगा।
सुमन:- हा हा हा..पागल कुछ भी बोलता है...
सागर:- सच में ....बुआ अब इतना दिखा ही चुकी हो तो पॅंटी निकाल दो ना...
सुमन ने कुछ नहीं बोला। वो सिर्फ सागर की तरफ देख के एक कातिल स्माइल दी और धीरे धीरे अपनी पॅंटी उतारने लगी। सुमन अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। सागर उसे आखे फाड़ के देखे जा रहा था। सुमन अधलेटी उसे मुस्कुराती हुई देख रही थी।
सुमन और सागर के दिल अब बहोत जोर जोर से धड़क रहे थे। सुमन ये सोच रही थी की सागर को अपना जिस्म ऐसी अदाओं के साथ दिखाएगी सागर उसे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा। सागर ये सोच रहा था की एकबार बुआ कपडे तो उतार दे फिर उसे ऐसे गरम करूँगा की खुद ही लंड पकड़ के चूत तक लेके जायेगी।
दोनों कमरे में गए सागर ने दरवाजा बंद किया। खिड़कीया ठीक से बंद है या नहीं देखा और पर्दो को ठीक किया ताकि कोई अंदर झाँक ना सके। सागर सुमन की तरफ देखा सुमन शरम भरी मुस्कान के। साथ उसे देख रही थी।
सागर:- बुआ। थैंक यू..आज मेरी बरसो। की तम्मना पूरी होगी...
सुमन:- सागर...मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा की मैं तेरी ऐसी इच्छा पूरी करने जा रही हु। बड़ा अजीब सा लग रहा है।
सागर:- बुआ प्लीज् अब कुछ मत सोचो...मुझसे रहा नहीं जा रहा....सागर आगे बढ़ के सुमन को पकड़ने की कोशिस करने लगा।
सुमन:- अ..ह अ..ह....पीछे रहो...तुमने कहा था की तुम मुझे नहीं छुओगे....
सागर:- सॉरी...
सुमन:- तुम।बहोत शैतान हो...यहाँ आओ इस चेयर पे बैठो....सुमन ने उसे चेयर पे बैठने को कहा...
सागर चेयर पे बैठ गया...सुमन ने इधर उधर देखा...फिर उसने अलमारी में देखा ...उसे कुछ रुमाल मिले...उसने वो उठा लिए और सागर के पास जाके उसने उसके दोनों हाथ और पाँव चेयर से बाँध दिए...
सागर:- ये क्या बुआ आपको भरोसा नहीं है ना मुझपे...
सुमन:- भरोसा है मगर इस बात को लेके मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती....
सागर :- आराम से अपनी पीठ चेयर पे टिकाते हुए...ठीक है बुआ आप को जो ठीक लगे...तो अब ...
सुमन:- क्या अब...यहाँ शर्म के मारे मेरी जान निकली जा रही है...
सागर:- मेरे हाथ पाँव तो बाँध दिए है आपने अब क्या प्रॉब्लम है...
सुमन:- हा ठीक है...
सुमन थोडा पीछे हुई...उसका धड़कने बहोत तेज चल रही थी। सागर भी अब अपनी साँस रोके सुमन को देख रहा था। सुमन ने अपने साडी के पल्लू को पकड़ा और उसे उठाया और वापस रख दिया।
सुमन:- नहीं..सागर मुझसे नहीं होगा...
सागर:- बुआ मेरी तरफ देखो ...कुछ नहीं होगा..प्लीज बुआ और मत तड़पाओ...
सुमन:- ठीक है...सुमन ने हिम्मत बटोरी और अपना साड़ी का पल्लू निचे किया...उसने अपनी आखे बंद कर ली और गर्दन दूसरी तरफ करके जोर जोर से साँसे लेने लगी। सागर ने देखा हरे रंग के ब्लाउज में उसकी बड़ी बड़ी चुचिया उसकी जोर जोर से चलती साँसों के साथ ऊपर निचे हो रही थी।ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें उस ब्लाउज में किसीने ठूस के भरा हो...सुमन ने साडी अपने नाभि के बहोत निचे बाँधी थी।*
सागर:- वाओ बुआ...क्या कमाल लग रही हो....साडी होने से पता ही नहीं चलता की आपके स्तन कितने बड़े है...और आपकी ये साडी और नाभि के बिच का पेट तो बहोत ही सेक्सी लग रहा है।
सुमन:- आखे खोलके सागर को देखा...सागर उसे लगातार ऊपर से निचे तक देख रहा था।
सुमन:- shhhhhh चुप रहो बाहर कोई सुन लेगा...
सागर:- आप मेरे नजदीक आओ फिर मैं धीरे से बात करू तो भी आपको सुनाई दे देगा....और वैसे भी बुआ मेरा कमरा सबसे अलग है...मेरे कमरे की तरफ कोई नहीं आता...और मैंने सब अछेसे बंद किया है...
सुमन थोडा आगे बढ़ी अब सागर और सुमन के बिच बस कुछ ही दुरी थी।
सुमन ने देखा की सागर रिलैक्स हो के चेयर पे पड़ा हुआ था उसका लंड ने उसके शॉर्ट्स में तम्बू बनाया हुआ था। सुमन उसे गौर से देखा उसेपे एक हल्का सा दाग दिखा उसे देख के सुमन की हँसी निकल गयी।
सागर:- क्या हुआ बुआ...क्यू है रही हो??
सुमन:- कुछ नहीं...
सागर:-तो बुआ साडी निकाल दो ना....
सुमन किसी गुलाम की तरह सागर का हुकुम माना..उसने साडी निकाल दी और बाजू में बेड पे रख दी....लेकिन अबकी बार उसने आखे बंद नहीं की बल्कि सीधा सागर की आखो में देखते हुए अपनी नशीली अदा के साथ किया था।
सागर:-उम्म्म्म बुआ मैं बता नहीं सकता आप कितनी सेक्सी लग रही हो।
सुमन अब मद्होश हो चुकी थी। सुमन सागर की आखो में देखते हुए अपने ब्लाउज के एक एक बटन खोलने लगी।
सागर अपनी साँस रोके आनेवाले नज़ारे का इंतजार कर रहा था। सुमन ने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए थे। उसकी काले रंग की ब्रा में गोरे गोरे स्तन को देख सागर पागल सा होने लगा था।
सागर:- वाओ बुआ ....आपकी चुचिया तो ब्रा में भी नहीं समां रही है स्सस्सस्सस
सागर के मुह से ये चुचिया शब्द सुनके सुमन के पुरे शारीर में सुरसुरिसि दौड़ गयी।
सागर:- उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसे लग रहा है जैसे जबरदस्ती कैदी बना के रखा है आपने उनको।बाहर निकलने को बेताब है बेचारे....बुआ ब्लाउज तो निकाल दो...
सुमन:- सिर्फ ब्लाउज निकालूंगी...ब्रा नहीं...पता है ना...
सागर:- हा बुआ...
सुमन ने ब्लाउज निकाल के बाजु में रख दिया ।
सुमन:- सागर ...
सागर:- हा बुआ बोलो ना...
सुमन:- कुछ नहीं...
सागर:- बोलो ना...
सुमन:- सच में मेरे स्तन इतने अच्छे है?? सुमन सागर के मुह से अपनी तारीफ़ सुनना चाहती थी और साथ साथ उसे और उकसाना चाहती थी।
सागर:- हा बुआ...सच में बोहोत ही मस्त है...एकदम बड़े बड़े गोल गोल...स्स्स्स लाजवाब स्स्स्स ...अब वो कितने नरम है कड़क है ये छूने के बाद ही पता चलेगा....सागर सुमन के तरफ ललचाई नजरो से। देखता हुआ बोला...
सुमन:- ह्म्म्म्म मैं सब समझ रही हु...
सागर:- समझ रही हो तो एक बार मेरे हाथ खोल दो...छूके देखता हु फिर बताता हु...
सुमन:- कोई जरुरत नहीं....
सागर:- ठीक है...लेकिन एक बार ब्रा तो खोल के दिखा दो...प्लीज...
सुमन तो यही चाहती थी मगर..अब उसे सागर के साथ ऐसे खेलने में मजा आने लगा था।
सुमन:- नहीं...अपने बिच जो तय हुआ था वही होगा...
सागर:- क्या बुआ..आपने मुझे यहाँ बाँध दिया है ये तय नहीं हुआ था...लेकिन मैं कुछ नहीं बोला...बस एक बार...मैं बस जी भर के एक बार आपकी गोरी गोरी चुचिया नंगी देख लू...आपके निप्प्ल्स का रंग देख लू कैसा है स्स्स्स्स् बस फिर आप लगे तो वापस पहन लेना...
सुमन:- सागर....चुप कर तेरे मुह से ये बाते सुनके मुझे अजीब सा लगने लगा है..
सागर:- स्स्स्स बुआ बस एक बार ...
सुमन:- बस एक बार...इसके आगे जो तय हुआ था..
सागर:- ठीक है...
सुमन ने अपने ब्रा के हुक खोले और ब्रा को अपनी चुचियो पे एक हाथ से दबा के रखा और दूसरा हाथ से ब्रा की स्ट्रिप निकाल ली..फिर दूसरे से ब्रा को पकड़ा और दूसरा हाथसे ब्रा की स्ट्रिप निकल ली। फिर सागर की आखो में देखते हुए एकं हाथ से अपनी चुचिया ढक ली और दूसरे से ब्रा निकाल के फेक दी...
सागर:- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ हाथ तो हटाओ....
सुमन:- नहीं मुझे शरम आ रही है...और फिर सुमन पलट गयी।
सागर के आखो के सामने सुमन की नंगी पीठ थी। एकदम चिकनी गोरी पीठ देख सागर पागल सा होने लगा। उसका लंड तो कबसे खड़ा था। वो उसे मसलना चाहता था मगर उसके हाथ बंधे हुए थे।*
सागर:- आह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसी खुबसुरती मैंने आजतक नहीं देखि स्स्स्स्स् बुआ प्लीज पलट जाओ...
सुमन धीरे धीरे पलटी उसने सागर की आखो में देखते हुए अपना हाथ हटा लिया...अब सागर के सामने सुमन की नंगी चुचिया थी। वो उन्हें मुह खोले देखता रहा। सुमन सागर की तरफ देख रहीं थी। उसकी बोलती बंद होते देख सुमन को खुद की खूबसूरती पे गुरुर होने लगा।
सुमन:- (धीरे से सेक्सी आवाज में) कुछ बोलेगे या देखते ही रहोगे।
:- क्या बोलू ...मेरे पास शब्द नहीं है अब तारीफ करने के लिए...स्सस्सस्स बुआ आपके ये निप्प्ल्स बहोत ही मस्त है स्स्स्स्स् बुआ थोडा नजदीक आओ ना...
सुमन सागर के नजदीक गयी। वो जानबुज के अपनी चुचिया सागर के चेहरे के एकदम सामने लेके गयी।
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् मजा आ गया...मैंने जितना सोचा था उससे कई जादा अछि है स्स्स्स्स् बुआ एक बार हाथो से थोडा ऊपर उठा के दिखाओ ना...
सुमन ने अपनी दोनों चुचियो को निचे पकड़ा और ऊपर की और उठाया...उससे अब रहा नहीं गया वो उन्हें धीरे धीरे मसलने लगी दबाने लगी।
सागर सुमन को ऐसे करता देख मदहोश हो उठा। सुमन को अब ये सब बर्दास्त के बाहर हो रहा था। वो अपने होश खो चुकी थी उसी सुरूर में वो अपने निप्प्ल्स को उंगिलयों में पकड़ के धीरे धीरे मसलने लगी।
सुमन:- स्सस्सस्सस सागर अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म
सागर:-बहोत मजा आ रहा है बुआ स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह ऐसेही करते रहो वाओ....आप सच में कमाल हो उफ्फ्फ्फ्फ्फ
सागर की बात सुनके सुमन थोड़ी होश में आयी।
उसने झट से अपने हाथ हटा लिए...
सागर:- क्या हुआ बुआ?? बहोत मजा आ रहा था आपको ऐसे करते देख...
सुमन:-तू ना सच में मुझे पागल करके छोड़ेगा आज...
सागर:- पागल तो मैं हो चूका हु आपके इस सेक्सी बदन को देख के....वो निप्प्ल्स को मसलते हुए क्या लग रही थी आप...बुआ एक बार हाथ खोल के छूने दो ना..
सुमन:- नहीं सागर...
सागर:- प्लीज बुआ...
सुमन:- नहीं मतलब नहीं...अगर तू जिद्द करेगा तो मैं चली जाउंगी...
सागर:- ठीक है ...लेकिन क्या एक बार आपके निप्प्ल्स को मेरे होठो से छुआ सकती हो प्लीज...
सुमन :- उम्म्म तू कुछ भी बोलने लगा है अब...
सागर:- नही बुआ..बस किस करना चाहता हु...
सुमन:- ठीक है...सुमन इस ख्याल से ही मस्ती से भर उठी के सागर के होठ उसके निप्प्ल्स को छुएंगे...उसकी चूत उत्तेजना से धड़ धड़ उड़ रही थी। पैंटी तो पूरी तरह भीग चुकी थी।
सुमन थोडा आगे हुई।उसने अपने चूची को पकड़ के निप्पल सागर के होठो पे रखा सागर थोडा आगे हुआ और निप्पल को किस किया। फिर उसने सुमन की तरफ देखा सुमन वो उत्तेजना सिसकारी ले रही थी।
सागर:-(धीरे से) बुआ दूसरा भी...
सुमन ने सागर के मुह के सामने अपनी दूसरी चूची का निप्पल ले गयी। सागर बहोत चालक था उसने पहले वाले को सर चूमा...लेकिन दूसरे को पहले चूम और फिर सुमन की आखो में देखते हुए उसे मुह में ले लिया और धीरे से चूसने लगा। सुमन के पुरे शारीर में एक बिजली सी कौंधी। सागर ने जैसे ही उसका निप्पल चूसा उसकी आखे अपने आप बंद हो गयी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स सागर उम्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ़
सागर सुमन का निप्पल को जुबान से गिला करने लगा। *सुमन उसका सर पकड़ के अलग करने लगी मगर सिर्फ दिखावे के लिए।
सुमन:- अह्ह्ह्ह छोड़ दे सागर स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म
सागर ने दो तिन मिनट तक उसे चूसता रहा ।
सागर:- उफ्फ्फ्फ़ बुआ मजा आ गया स्सस्सस्सस बहोत ही मस्त है आपके निप्पल स्स्स्स
सुमन:- बदमाश है तू...
सागर:-सॉरी बुआ कण्ट्रोल ही नहीं हुआ...
सुमन:- ह्म्म्म स्स्स्स यहाँ मेरी हालात ख़राब हो गयी उसका क्या??
सागर:- क्या हुआ अच्छा नहीं।लगा क्या??
सुमन:-नहीं ऐसे नहीं...छोड़ तू नहीं समझेगा...
सागर:-बुआ थैंक यू...सच में आप बहोत अच्छी हो...
सुमन:- रहने दे जादा मस्का मत लगा..
सुमन ब्रा उठाने लगी।
सागर:- बुआ रहने दो ना..एक बार ये पेटीकोट उतार दो फिर सब साथ में पहन लेना।
सुमन ने ब्रा वापस रख दी। और पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी। सुमन ने नाड़ा हाथ में लिया। उसके दिमाग में एक आईडिया आया। उसने गलत टोक पकड़ के खीचा जिससे पेटीकोट खुलने की बजाय वहा एक पक्की गाँठ बन गयी।
सुमन:- उफ्फ्फ ये क्या यहाँ तो गाँठ बन गयी...
सागर:- क्या हुआ बुआ??*
सुमन:-अरे मैंने गलत टोक खिंच लिया अब ये गाठ आसानी से नहीं खुलेगी।
सागर:- तो वहा अलमारी से कैची ले लो और काट दो...
सुमन:- फिर मैं इसे कैसे पहनू??*
सागर:- तो अब??
सुमन:- तो मैं तुझे ऐसेही उठा के दिखा देती हु।
सुमन धीरे धीरे अपणा पेटीकोट ऊपर की।तरफ खीचने लगी। सागर को उस पेटीकोट के ऊपर होते हुए देख रहा था। उसे धीरे धीरे सुमन की जांघे दिखाई दे रही थी। गोरी चिकनी जांघो को देख सागर मस्त होने लगा। जब उसने सुमन के जांघो के बिच उसकी काली निक्कर देखि तो उसकी साँस थम सी गयी। सुमन की उभरी हुई फूली हुई चूत कोंदेख सागर के होठ सुख से गए।*
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह क्या बात है उम्म्म्म ...बुआ थोडा पास आओ ना..
सुमन फिर से आगे हुई ।सागर थोडा झुका और गौर से देखने लगा। एक सास जोर से अंदर की तरफ खिची और....*
सागर:- स्सस्सस्स बुआ उफ्फ्फ्फ़ ...कितनी मस्त खुशबु आ रही है उफ्फ्फ्फ़ बुआ..ये पेटीकोट निकालो ना..ठीक से दिख नहीं रहा।
सुमन:- अरे ये गांठ बहोत पक्की है...ह्म्म्म एक काम कर इसे तू अपने दातो से थोडा ढीला कर दे...
सुमन ने पेटीकोट निचे किया और अपनी कमर को उसकी तरफ करते हुए पेटीकोट की गाँठ हात में लिया।
सागर ने देखा और अपना मुह आगे करके सुमन के कहे अनुसार गाठ खोलने लगा। जहा नाडा बांधते है वहा थोडा कट होता है। उस कट में से सुमन की पॅंटी और जांघ दिख रही थी। सागर *गाँठ खोलने के बहाने से उस कट में से सुमन की जांघ और पॅंटी को चूम रहा था। जुबान से चाट रहा था। सुमन भी तो यही चाहती थी इसीलिए उसने ऐसा किया था।*
सुमन:-स्स्स सागर क्या कर रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ जल्दी कर ...
सागर:- हा बुआ बस हो गया...
सुमन ने देखा सागर ने दातो से गाँठ ढीली कर दी थी। उसने धीरे से वो खोल दी और अपना पेटीकोट निचे गिरा दिया। सुमन सागर के सामने सिर्फ निक्कर में खड़ी थी। सुमन ने पेटीकोट पैरो से निकाल दिया।
और पलट के अपनी गांड मटकाते हुए सागर से थोडा दूर गयी और वापस पलट के सागर को देखने लगी। सागर सुमन की काली निक्कर में फसी गांड को देख रहा था। सुमन की गांड कुछ जादा ही मांसल थी। गोरी गोरी चिकनी गांड को देख सागर तो जैसे सातवे आसमान में पहोच गया था।*
सुमन:-देख लो जी भर के...
सागर:-देख ही तो रहा हु.....बुआ आपकी निकर तो सामने से पूरी भीग गयी है...
सुमन ने झट से उसे हाथ से छुपा लिया।
सुमन:- मेरी निकर क्या देख रहा है जरा खुद का देख ....
सागर ने देखा उसके प्रीकम बड़ा सा दाग उसके शार्ट पे दिख रहा था।
सागर:-अब इतना सेक्सी शो चल रहा है ये तो होना ही है...बुआ अपनी निकर को नितम्ब के दरारों में डाल के एक बार मुझे दिखाओ ना....
सुमन अब उसे किसी भी चीज के लिए मना नही करने वाली थी। वो तो चाहती थी की सागर उसे और भी कुछ करने को कहे...क्यू की उसे बहोत जादा मजा आ रहा था। उसने कभी भी इसतरह से अपना जिस्म किसी को नहीं दिखाया था।*
सागर के कहे नुसार सुमन ने पॅंटी को गांड के दरारों में घुसा दिया और पलट के थोडा झुक गयी।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ स्स्स्स्स् क्या लग रही है आपकी...सागर गांड कहना चाहता था मगर उसने खुद को रोक लिया।
सुमन:-अच्छा लगा??
सागर:- बहोत....बुआ सच में आप के जैसे नितम्ब दुनिया में किसी के नहीं होंगे....
सुमन:-और भी कुछ देखना चाहोगे??
सागर:- नेकी और पुच पुच...जल्दी से दिखाओ न...
सुमन सीधी हुई और उसने अपनी पॅंटी सामने से अपनी चूत के लिप्स में डाल दी और सागर की तरफ पलट गई...उसकी आँखों देखते हुए बेड पे बैठी और निचे की तरफ थोडा सा सरक गयी। फिर उसने अपने पैर फैलाये और पॅंटी को पकड़ के ऊपर खीचा। सागर ने देखा सुमन की पॅंटी उसकी चूत में कही खो सी गयी थी। भीगी भीगी चूत कमाल लग रही थी। सुमन की चूत पे बाल थे शायद बहोत दिनों से साफ़ नहीं किये थे। लेकिन सागर को वही सबसे जादा पसंद आ रहा था।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ मार डालोगी क्या स्सस्सस्स कितनी खूबसूरत है बुआ आपकी चूत स्सस्सस्स आहा हा हा..और बालो की वजह से तो चार चाँद लग गए उसकी खूबसूरती पे।
सागर के मुह से चूत सुनके सुमन का रोम रोम सिहर उठा।
सुमन:-अच्छा??इतनी अछि लगी तुझे?? तुझे बालो वाली चूत पसंद है??
सुमन अब खुलके शब्दों का प्रयोग कर रही थी क्यू की उसे अब चुदने की इच्छा बहोत तीव्र होने लगी थी। वो जल्द से जल्द सागर का लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी।
सागर:- बालो वाली या बिना बालो वाली...मुझे तो बस आपकी चूत पसंद है बुआ स्स्स्स्स् देखो ना कैसे झटके मार रहा है मेरा *उफ्फ्फ्फ़ आप जिस अदा से अपना बदन मुझे दिखा रही हो उससे तो ऐसे लग रहा है जैसे मेरा पानी तो ऐसेही छूट जाएगा।
सुमन:- हा हा हा..पागल कुछ भी बोलता है...
सागर:- सच में ....बुआ अब इतना दिखा ही चुकी हो तो पॅंटी निकाल दो ना...
सुमन ने कुछ नहीं बोला। वो सिर्फ सागर की तरफ देख के एक कातिल स्माइल दी और धीरे धीरे अपनी पॅंटी उतारने लगी। सुमन अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। सागर उसे आखे फाड़ के देखे जा रहा था। सुमन अधलेटी उसे मुस्कुराती हुई देख रही थी।