Page 11 of 11

Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

Posted: 15 Nov 2016 23:09
by shubh
पूरी स्टोरी तो दो

Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

Posted: 16 Nov 2016 11:11
by sexy
भाग 29
सागर की माधवी के प्रति प्यास बहोत बढ़ गयी थी। अब वो प्रभा को चोदते वक़्त भी माधवी उसकी जगह इमेजिन करने लगा था। और जब वो ऐसा सोचता तो उसमे जोश और बढ़ जाता।प्रभा उसके बढ़ाते जोश को और भी एन्जॉय करने लगी थी।


एक दिन माधवी और सागर कॉलेज से आये तो देखा की घर पे ताला लगा हुआ था। सागर ने प्रभा को फ़ोन लगाया तो उसने कहा की वो मार्केट में है और थोड़ी देर बाद आने वाली है। माधवी के पास दूसरी चाबी थी उसने दरवाजा खोला और वो अंदर आये। दोनों अपने अपने रूम में चले गए। सागर अपने कपडे बदलने लगा। उसको एकदम से ख्याल आया की माधवी भी अपने कपडे बदल रही होगी। उसने फटाफट अपने कपडे बदले और माधवी के रूम की तरफ गया। उसने की होल से देखने लगा।माधवी बिलकुल उसके आखो के सामने थी। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।वो बिलकुल सही समय पे वहा आया था। माधवी की गांड दरवाजे की तरफ थी। छोटी सी। निकर में फसी उसकी गोरी कोमल गांड को देख सागर का लंड झट से खड़ा हो गया। वो अपना लंड मसलने लगा। माधवी फिर मूडी तो उसे माधवी की चुचिया दिखाई देने लगी। गोरी गोरी बड़ी चुचिया देख सागर का लंड और जोर मारने लगा। वो उसे मसलने लगा। अब उससे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। उसने दरवाजा धकेला। उसके नसीब से माधवी ने दरवाजा बंद नहींकिया था। वो सीधा अंदर गया और माधवी के सामने खड़ा हो गया। माधवी कुछ समझ नहीं पायी। सागर माधवी के सामने खड़ा उसे देख रहा था माधवी भी उसे देख रही थी। अगले ही पल माधवी ने टॉवल लिया और खुद को ढक लिया।

माधवी:-भैया क्या है?

सागर:- वो वो..सॉरी मैं..मैं वो मुझे चाय चाहिए थी...मुझे लगा की तुझे बोल दू..

माधवी:- हा ठीक है आप जाओ बाहर..मैं आती हु।

सागर उसे देखे जा रहा था। माधवी उसे अपनी तरफ ऐसे देखते हुए देख शरमा रही थी। सागर बाहर चला गया। माधवी भी कपडे चेंज करके उसके लिए चाय बना दी। तब तक प्रभा भी आ गयी थी।

माधवी सागर से नजरे नहीं मिला पा रही थी। उसे अब भी ऐसा लग रहा था जैसे वो अधनंगी है और सागर उसे ही देख रहा है।

सागर भी चुप था। दोनों को ऐसे चुप देख प्रभा को अजीब सा लगा।

प्रभा:- क्या हुआ ? झगड़ा हो गया क्या तुम दोनों का??

सागर:- नहीं तो क्यू??

प्रभा:- दोनों चुप हो इसलिए पूछ रही हु।

मधवि:- कुछ नहीं वो मैं थक गयी आज बहोत...

प्रभा:- थक तो मैं भी गयी हु..

सागर:- तो चलो आज बाहर ही जाते है खाना खाने..।

माधवी:- हा चलो मेरा भी मन है आज..

प्रभा:- ठीक है चलते है आज बाहर ही..लेकिन 8 बजे चलते है।

सागर:- ठीक है।

वो सब 8 बजे पास के ही एक रेस्टारेंट में खाना खाने चले गए।

माधवी और सागर अब थोडा नार्मल हो गए थे। तीनो ने खाना खाया और वापस आ गए।

माधवी पढाई में लगी थी सागर फ़ोन पे बात कर रहा था। प्रभा सो गयी थी।

करीब 12 बजे सागर प्रभा के रूम में गया। उसने प्रभा को जगाया मगर वो आज बहोत थक गयी थी तो उसने सागर को कहा की आज नहीं करते। लेकिन सागर आज बहोत मुड़ में था मधवि को देख के वो बहोत उत्तेजित था। लेकिन प्रभा को देख के वो भी चुपचाप वापस आ गया। लेकिन अपने कमरे में जाने से पहले वो माधवी के रूम की और गया। उसने वापस से की होल से देखा माधवी अपने बेड पे लेटी हुई थी और मोबाइल पे कुछ देख के *अपने नाईट पैंट में हाथ डाल के चूत सहला रही थी। सागर ये देख के शॉक हो गया। ऊपर से सीधी दिखने वाली माधवी अपनी चूत में उंगली कर रही है ये देख के सागर को यकीं नहीं हो रहा था। माधवी के रूम में नाईट बल्ब था उसे ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। वो उठा और उसने माधवी के दरवाजे पे नॉक किया। माधवी एकदम से डर गयी। वो फटाफट मोबाइल बंद किया और दरवाजा खोलने के लिए दरवाजे की और बढ़ी।उसने दरवाजा खोला और ...

माधवी:- क्या हुआ भैया??

सागर:- कुछ नहीं मैं पानी पिने गया तो मुझे तेरे रूम। से आवाज आ रही थी..मुझे लगा की शायद तेरी तबियत तो ख़राब नहीं...

माधवी:- मैं...मैं ठीक हु..

माधवी को लगा शायद सागर ने उसकी आहे सुन ली इसलिए वो थोड़ी घबरा गयी।

सागर:- क्या कर रही तू?? सोई नहीं अब तक...??

सागर माधवी के बाजु से रूम के अंदर चला गया। माधवी:- नहीं बस सो ही रही थी। आप क्यू नहीं साये??

सागर:- (माधवी के बेड पे जेक लेट गया) अरे वो प्रियंका से बात कर रहा था।

माधवी सागर को ऐसे देख के थोड़ी हैरान थी क्यू किं सागर उसके रूम में कभी भी ऐसे नहीं आता और उसके बेड पे आके ऐसे तो कभी भी नहीं सोता।

वो उसके बाजु में बैठ गयी।

माधवी:- ओह्ह हो..क्या बोल रही थी??

सागर:- वही उसका रोज का...कब आ रहे हो...बहोत याद आती है...तुम लडकिया न पागल होती हो..समझती ही नहीं कुछ..

माधवी:- उसमे उसकी क्या गलती है?? आपने उसे दीवाना बना दिया है..और अब खुद ही उसे कोस रहे हो..

सागर:- कुछ भी क्या?? मैंने ऐसा क्या कर दिया जो वो मेरे बगैर एक पल भी नहीं रह सकती।

माधवी:- वो आप मुझसे क्यू पूछ रहे हो...आप को ही पता...

सागर:- तेरी तो दोस्त है ना...तुझे पता ही होगा..

माधवी:- हा पता है...मतलब नहीं ...मतलब हा...

सागर:- क्या हा नहीं हा नहीं कर रही है...

माधवी:- कुछ नहीं आप जाओ...मुझे नींद आ रही है।

सागर:- हा तो सो जा मैंने कब मना किया है...मुझे लगा की कुछ देर बात करूँगा फिर चला जाऊंगा...वो प्रियंका को थोडा डांट दिया आज मैंने...मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए तुझसे बात करने आ गया...लेकिन तू है की...

ऐसा बोल के सागर उठा और जाने लगा। माधवी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे वापस बिठा दिया।

माधवी:- बैठो...पहले बोलना चाहिए ना...

सागर:- बता ही तोरहा था ...तूने उसके पहले ही ..

माधवी:- ओके सॉरी...बोलो क्या हुआ??

सागर:- अरे अब हमें यहाँ आके 20 दिन ही तो हुए है...वो बोल रही थी आ जाओ मिलने..अब तू ही बता अब कोई बहाना भी तो चाहिए ना घर जाने का...बाबा हर हफ्ते आ जाते है..फिर कैसे जाये??

माधवी:-ये बात प्यार से भी रो समझा सकते थे ना आप उसे...डांटने की क्या जरुरत थी??

सागर:- अरे चार बार बोला मैं उसे लेकिन वो सुनाती नहीं..आ जाओ दिल नहीं लगता...ये वो यार पागल हो गया हु मैं...

माधवी:- आपकी गलती है...आप ने पहले से ही थोड़ी दुरी बना के राखी होती तो आज उसका ये हाल नहीं होता..

माधवी जोश जोश में बोल पड़ी। उसे खुद भी नहीं पता चला की वो क्या बोल गयी।

सागर:- क्या?? हा तू तो है उसकी दोस्त तु उसीकी साइड लेगी...(थोडा सोच के) और ये दुरी का क्या मतलब??

माधवी को लगा की शायद सागर को नहीं समझा होगा लेकिन अब वो फस गयी थी।

माधवी:- मतलब की...वो ..मैं..वो आप उसे रोज फ़ोन करते हो ..

माधवी थोडा कवर अप करने की कोशिस कर रही थी। मगर सागर को अब सही निशाना मिल गया था। अब वो माधवी के साथ थोडा खुल के बात करना चाहता था।

सागर:- जादा बन मत ये तो मैं बहोत पहले से उससे फ़ोन पे बात करता हु...तेरा मतलब कुछ और ही है...

माधवी:- कुछ नहीं है सच में...

सागर:- प्रियंका ने क्या बताया तुझे बता...क्या वो तुझे सारी बात बताती है??

माधवी सागर की और देखा उसके चहरे पे कुछ अलग ही भाव थे। माधवी समझ गयी की सागर जानबुज के इस बात पे जोर दे रहा है।

माधवी:- हा बताती है...और इसीलिए मैंने कहा की गलती आपकी है...

सागर:- कैसे??

माधवी:- भैया....क्या ?? मुझे नहीं बतानी...जाओ आप..

सागर:- अरे पागल तू थोडा एक्सप्लेन करेगी तो ही तो मुझे समझेगा ना..

माधवी:-अरे आप समझो ना...मुझसे मत पूछो...मुझे शरम आती है...


सागर:- ठीक है....रहने दे मुझे कुछ नहीं समझना...और अगर कल हमरा झगड़ा और बढ़ गया तो मुझे मत कहना...

माधवी:- सुनो ना भैया...अरे सिंपल सी बात है...अगर आपने वो नहीं किया होता तो प्रियंका इतनी उतावली नहीं होती आपसे मिलने के लिए...

सागर:- वो मतलब??*

माधवी को अब सब समझ आने लगा था की सागर ये सब जानबुज के कर रहा है। वो शाम को उसे ऐसी हालात में देख शायद उसकी और आकर्षित हो गया है। माधवी ये मन ही मन सोच रोमांचित हो रही थी। वो जिसके बारे में सोच के थोड़ी देर पहले अपनी चूत सहला रही थी वो खुद भी उसके लिए वही सोच रखे हुए है और धीरे धीरे उसका मन टटोल रहा है की वो क्या चाहती है।

सागर:- क्या?? कहा खो गयी??

माधवी:- अ..हा..क्या?..हा वो अरे वो मतलब वो..जो एक लड़का और लड़की अकेले में करते है...

सागर:- अच्छा वो....उससे क्या होता है??*

माधवी:- अरे मेरे भोन्दु भैया...जब एक बार किसी लड़की को उसका चस्का लग जाता है तो उससे कण्ट्रोल करना बहोत मुश्किल हो जाता है...प्रियंका को अब आपने उसकी आदत सी लगा दी है..इसलिए वो आपको बोलती रहती है।

सागर:- ओह्ह्ह तो ये बात है....सच में यार..ये तो मैंने सोचा ही नहीं..थैंक यू माधवी..मैं उसको प्यार से समझा दूंगा और जल्दी ही उससे मिलने जाऊंगा..

माधवी:- हा जरूर जाओ..और उसे खुश कर दो...

सागर:- हा...लेकिन तुझे ये सारी बाते कैसे पता??

माधवी:- मैं लड़की हु..अब एक लड़की की मन की बात मैं नहीं समझूँगी तो कोण समझेगा??

सागर:- वो तो ठीक है ..मगर एक बात मेरे मन में अभी आयी...तू और वो तो एक ही उम्र के हो...फिर उसमे इतना उतावला पैन क्यू है??

माधवी:- वो ही तो बोला ना...अगर आपने उसके साथ कुछ किया नहीं होता तो वो भी मेरी तरह उस पल के इन्तजार में रहती..

सागर:- ओह्ह तो तू इन्तजार में है हा??

माधवी:- मेरा वो मतलब नहीं था...

सागर:-क्या मतलब था फिर तेरा??

माधवी:- कुछ नहीं...आप भी न बस..

सागर:- तेरा मतलब है की अगर तेरे साथ भी अगर वो हो जाय तो तू भी प्रियंका की तरह ही हो जायेगी...

माधवी:- भैयाआआआ ..पागल कुछ भी बोलते हो...

माधवी उसे मारते हुए धकेलने लगती है।

सागर:- अरे अरे रुक तो...मैं तो मजाक कर रहा था...लेकिन सच में सभी लड़कियो के साथ ऐसा होता है?

माधवी को सागर से ये सब बाते करना अच्छा लगने लगा था।

माधवी:- हा..और इस उम्र में तो कुछ जादा ही होता है।

सागर:- ओह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म एक बात पुछु??

माधवी:- हा पूछो...

सागर:- नहीं जाने दे...तू बुरा मान जायेगी...

माधवी:-नहीं बोलो क्या बात है??

सागर:- तुझे ऐसा कभी नहीं लगा की प्रियंका का bf यानि मैं हु..तो मुझे भी एक bf बना लेना चाहिए...

माधवी:- नहीं मुझे नहीं लगा कभी...मुझे पढाई से फुरसत नह मिलती...तो ककब सोचूंगी इन सब बातो के बारे में??

सागर:- झूटी है तू...मैंने देखा है तेरा मोबाइल..क्या क्या करती रहती है तू मोबाइल पे मुझे सब पता है....ये तो सागर ने तुक्का मारा था पर वो सटीक बैठा था।

माधवी:- मैं? मैं क्या देखती हु मोबाइल पे?? कुछ भी तो नहीं...आप कुछ भी मत बोलो...माधवी की बातो से साफ पता चल रहा था की वो झूठ बोल रही है।

सागर:- मैंने देखने की बात तो की नहीं....मतलब की तू मोबाइल पे कुछ देखती है...

माधवी:- नहीं ना भैया...सच में...माधवी की आवाज रोने जैसी हो गयी थी। सागर ने उसके कंधे पे हाथ रखा और अपनी और खीचा।

सागर:- अरे पागल मैं तो मजाक कर रहा था...इतना क्या दिल पे ले रही है...और हम अब दोस्त है..जैसे प्रियंका वैसे मैं...और अगर तू कुछ देखती भी है तो कोई बात नहीं...आजकल सभी करते है....

माधवी:- जाओ मुझे आपसे बात नहीं करनी...आप बहोत बुरे हो...माधवी उसके कंधे पे अपना सर रखते हुए बोली।

सागर:- ओके बाबा सॉरी...चल अब ये गुस्सा छोड़...मुझे नींद आ रही है...

माधवी:- हा मुझे भी...

सागर उठा और उसने माधवी का चेहरा हथेली में लिया और माथे पे एक किस किया।

सागर:- गुड नाईट...

माधवी:- गुड नाईट...माधवी सागर की और देख मुस्कुराके बोली...

सागर चला गया।

माधवी:- उफ्फ्फ आज तो भैया अलग ही मुड़ में थे। शाम को मुझे अधनंगी देख शायद उनके मन में कुछ हो रहा है...और वो किस उफ्फ्फ माथे पे किया लेकिन हाय रे पूरा शरीर झनझना उठा था मेरा...लगता है बुआ प्रियंका के बाद मुझपे नजर है भैया की...ऐसेही सोचते हुए माधवी सो गयी।

उधर सागर भी खुश था।

सागर:- ह्म्म्म चलो माधवी थोडा खुल रही है...बस अब एक बार उसकी और से सिग्नल मिल जाय तो बात आगे बढ़ाऊंगा।

सागर भी उसके बारे में। सोचते हुए नींद की आग़ोश में समां गया।

Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

Posted: 16 Nov 2016 11:12
by sexy
भाग 30
अगले दिन सुबह जब माधवी की नींद खुली तो देखा 8 बज गए थे। माधवी को हैरानी हुई की प्रभा ने उसे उठाया क्यू नहीं...वो उठ के बाहर आयी लेकिन प्रभा किचेन में भी नहीं थी। वो प्रभा के कमरे में गयी तो देखा प्रभा सो रही थी। माधवी उसके पास गयी और उसे उठाने के लिए हाथ लगाया तो देखा उसे तेज बुखार था।

माधवी:- माँ..माँ..आपको तो बुखार है...उठाया क्यू नहीं??

प्रभा ने आँख खोली।

प्रभा:- अह्ह्ह हा रे अभी सुबह जब मैं उठी तो तो चक्कर से आ रहे थे...सोचा थकान की वजह से होगा...तो लेट गयी और आँख लग गयी...

माधवी:- ठीक है मैं भैया को बुलाती हु...

माधवी ने सागर को जगाया...और उसे प्रभा की तबियत के बारे में बताया..सागर ने प्रभा को देखा और माधवी से कहा की चाय बना दे वो प्रभा को डॉ के पास लेके जाने वाला है।

माधवी ने जल्दी से चाय बना दी और प्रभा और सागर को दे दी..सागर प्रभा को लेके डॉ के पास गया। डॉ ने प्रभा को कुछ दवाई लिख दी। फिर सागर प्रभा को लेके घर वापस आ गया। तब तक माधवी ने खाना बना लिया था। प्रभा ने थोडा खाना खाया और। दवाई लेके सो गयी। सागर और। माधवी उसके पास बैठे रहे। शाम तक प्रभा का बुखार कम हो गया था मगर कमजोरी थी।

माधवी ने जसवंत को फ़ोन पे बता दिया था। लेकिन वो दूसरे दिन आने वाला था। उस रात माधवी और सागर प्रभा के कमरे में ही सोये। उन्होंने निचे जमीन पे बिस्तर लगा दिया और निचे ही सो गए।


दूसरे दिन प्रभा को फिर से बुखार चढ़ गया। सागर ने डॉ से फ़ोन पे बात की तो उन्होंने कहा की दो तिन दिन ऐसे ही होगा उसे दवाई टाइम पे देते रहे।*

वो दोनों आज भी कॉलेज नहीं गए थे। दिन भर वो प्रभा के आस पास बैठे रहे।

शाम को जसवंत आ गया था। सब प्रभा के रूम में बैठे बाते कर रहे थे। सागर और माधवी दोनों भी इस भागा दौड़ी में बहोत थक गए थे। सागर निचे सोने की वजह से उसकी गर्दन और पीठ अकड़ गयी थी। माधवी के भी पैरो और कमर में दर्द था।

रात को जसवंत ने उनको अपने अपने कमरे जाने को कहा। वो दोनों चले गए। प्रभा और जसवंत सो गए।


सागर को बिलकुल भी नींद नहीं आ रही थी। वो पीठ और गर्दन के दर्द की वजह से परेशां था। उसने दवाई देखि मगर उसे नहीं मिली। फिर उसे याद आया की प्रभा के कमरे में होगी..वो देखने गया लेकिन प्रभा और जसवंत सो गए थे। उसने उन दोनों को उठाना ठीक नहीं समजा...वो फिर अनायास ही माधवी के कमरे की और गया...उसने दरवाजा खटखटाया...माधवी भी कमर दर्द से परेशांन थी वो भी सोई नहीं थी। उसने दरवाजा खोला...

सागर:- तेरे पास कोई पेन किलर दवाई है क्या??

माधवी:- नहीं भैया...मेरी भी कमर और पेअर बहोत दर्द कर रहे है...

सागर:- ओह्ह्ह ठीक है...लगता है माँ को जगाना ही पड़ेगा...

माधवी:- रहने दो भैया...माँ को क्यू जगा रहे हो..

सागर:- पूरी गर्दन अकड़ गयी है...सो नहीं पाउँगा बिना दवाई लिए...

माधवी:- ओह्ह्ह एक मिनट मेरे पास शायद मूव है...मैं देखती हु...

माधवी मूव देखने लगी। सागर उसे देखने लगा। आज माधवी ने एक टाइट पजामा और टॉप पहना था। टॉप बहोत टाइट था। माधवी की मस्त चुचिया उभर के आ रही थी।और टाइट पजामे में माधवी की गांड को देख उसका लंड खड़ा होने लगा था। सागर के दिमाग में फ़टाफ़ट कुछ चला ...वो अंदर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया। माधवी को मूव मिल गया था। वो वापस पलटी तो देखा सागर उसके बेड पे बैठा था उसने दरवाजे की और देखा तो दरवाजा बंद था। वो समझ गयी की सागर के दिमाग में कुछ खुराफात चल रही है। वो मन ही मन मुस्कुराई वो भी तो कुछ ऐसाही ही चाहती थी।

माधवी:- ये लो...

सागर:- एक काम कर तू ही लगा दे...

माधवी:- ठीक है आप लेट जाओ...

माधवी का दिल जोर जोर से धड़क रहा था। उसे एक अनजानी सी ख़ुशी महसूस हो रही थी।

सागर ने अपना टी शर्ट निकाला और बेड पे उल्टा लेट गया। माधवी बेड पे साइड में बैठी और सागर के गर्दन और पीठ पे मूव लगाने लगी। माधवी के कोमल हाथो के स्पर्श से सागर को बहोत अच्छा लग रहा था। उसके लंड में हलचल होने लगी थी।

सागर:- आह्ह्ह्ह माधवी बहोत अच्छा लग रहा है।तुम्हारे छूटे ही दर्द तो जैसे गायब ही गया।

माधवी:- हा क्या?? कुछ भी ..जादा मस्का मत लगाओ...

सागर:-सच में माधवी...

माधवी सागर के पीठ और गर्दन पे अच्छेसे मूव लगा दिया।*

माधवी:- चलो हो गया...मैं हाथ धो के आती हु।

सागर उठा और उसने अपना टी शर्ट पहन लिया। अब वो पहले से बेहतर महसूस कर रहा था। मधवि हाथ धो के वापस आयी।

सागर:- माधवी जरा पैर भी दबा दे...

माधवी:- क्या?? वो भैयाजी मैं आपकी बहन हु बीवी नहीं...

सागर:- अरे ये क्या बात हुई यार...बहन भाई के पेअर नहीं दबाती क्या?? क्या जमाना आ गया है...भाई दर्द से तड़प रहा है और बहन है की....

माधवी:- जादा नाटक मत करो...मुझे भी कमर और पैर दर्द है...

सागर:- प्लीज माधवी...दबा दे थोड़ी देर...लगे तो बाद में मैं तेरी कमर और पैरो को मूव की मालिश कर दूंगा...सागर ने तो ऐसेही बोल दिया था मगर तुरंत उसे अहसास हुआ की साला ये तरकीब अच्छी है...

माधवी भी उसके ऐसे बोलने से सोच में पड़ गयी...हम्म तो भैया मुझे छूने के बहाने ढूंढ रहे है...चलो इनको आज मौका दे ही देती हु इत्मीनान से मेरे जिस्म को छूने का..लेकिन थिंदा नाटक तो करना ही पड़ेगा।

माधवी:-नहीं कोई जरुरत नहीं...मैं खुद लगा लुंगी...आप लेट जाओ मैं आपके पैर दबा देती हु।

सागर बेड पे सीधा लेट गया। माधवी उसके बाजु में बैठ गयी और उसके पैर दबाने लगी। माधवी सिर्फ घुटनो तक ही उसके पैर दबा रही थी।

सागर:- माधवी थोडा ऊपर भी दबा दे...

माधवी निचे देख के मंद मंद मुस्कुराते हुए सागर की जांघे भी दबाने लगी। सागर माधवी के चहरे के हाव भाव पढने की कोशिस करने लगा। माधवी जब सागर के जांघे दबाने लगी तो सागर का लंड हरकत में आने लगा। माधवी तिरछी नजरो से *उसके पैंट के उभरते हुए हिस्से को देख रही थी।

माधवी:-मन में..ह्म्म्म लगता है मेरे छूने से भाई के लंड खड़ा होने लगा है...चलो थोडा और तड़पाती हु...क्या पता भैया आज ही मेरी इच्छा पूरी कर दे..मस्त मेरी चूत की चुदाई कर दे...

माधवी अब सागर की जांघे ऊपर तक दबाने लगी। सागर ने अपनी आँखे बंद कर ली। माधवी ने देखा की सागर की आँखे बंद है तो वो गौर से उसका लंड देखने लगी। अब्बतक वो काफी हार्ड हो गया था।

10 मिनट तक ऐसेही माधवी उसके पैर दबाती रही।सागर माधवी के कोमल हाथो के स्पर्श के मजे लेता रहा।

माधवी:- अह्ह्ह बस हो गया भैया..मेरे हाथ दर्द करने लगे है।

सागर:- ठीक है...थैंक यू...सागर बेड से उठता हुआ बो.....चल अब मैं तेरे पैर और कमर की मालिश कर देता हु।


माधवी:- नहीं मैं कर लुंगी...

सागर:- अरे तेरे हाथो में दर्द होने लगा है ना...चल ला मूव...

माधवी:- नहीं भैया आप रहने दो...मुझे अच्छा नह लगेगा...आप बड़े हो मुझसे...

सागर:- कुछ नहीं होता...ला दे..

माधवी तो पहले से ही तैयार थी ...थोडा ना नुकर तो लड़कियो का स्वाभाव ही होता है। सागर को भी ये बात अच्छेसे पता थी की लड़कियो की ना में हा होती है।

माधवी ने मूव सागर के हाथो में दिया। माधवी बेड पे लेट गयी। सागर ने माधवी का पजामा थोडा ऊपर किया और मूव लगाने लगा।

सागर:- अरे ऐसे तो नहीं लगाते आएगा ठीक से...

सागर माधवी सामने बैठ गया और माधवी के पैरो को घुटने से मोड़ क अपने गोद में रख लिया। माधवी को ये सब बहोत अजीब मगर उत्तेजित करने वाला लग रहा था। सागर माधवी की और देखते हुए उसके पैरो को मूव लगा रहा था। माधवी ने अंदर निकर नहीं पहनी थी। पजामे का हिस्सा उसकी चूत की दरार में फस गया था। उसकी फूली हुई चूत का आकार सागर को साफ़ साफ़ दिख रहा था। उसने माधवी के पैरो को अपने और थोडा खीचा। माधवी के पैर अब थोडा थोडा उसके खड़े लंड को छु रहे थे। माधवी ने आखे बंद कर ली। उसे अहसास हो रहा था की उसके पैर सागर के लंड को हलके से छु रहे है।

माधवी:- उम्म्म भैया आपके हाथो में जादू है...

सागर:- ह्म्म्म बस लेटी रह देख 5 मिनट में तेरा दर्द गायब करता हु।

सागर ने माधवी के पैरो को थोडा और अपनी तरफ खीचा...सागर ने माधवी के दोनों *पैरो को अपने लंड के साइड से ले लिया था। माधवी को यकीं नहीं हो रहा था की सागर इतनी जल्दी इतना आगे बढ़ जाएगा। वो मालिश के बहाने से माधवी के पैर हिला रहा था जिससे माधवी के पैरो को उसका लंड अछेसे रगड़ सके। माधवी की साँसे तेज होने लगी थी। उसकी चूत गीली होने लगी थी। वो बहोत ही अजीब सा फील कर रही थी। उसे लग रहा था जैसे उसका दम घुट रहा है।सागर के लंबे मोटे लंड का स्पर्श उसे बहोत अच्छा तो लग रहा था मगर साथ साथ डर भी लग रहा था।

माधवी:- अहह भैया ..ब..बस..हो ग..गया...

सागर:- अरे क्या हुआ??आराम से करू क्या??

सागर ने देखा उसका पजामा।पे एक छोटा सा दाग उभर रहा था। वो समज गया की माधवी उत्तेजित हो गयी है मगर वो अभी शायद इसके आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं है।

माधवी:- नहीं बस ठीक है अभी...

सागर:- ठीक है...चल अभी उल्टा लेट जा...कमर को लगा देता हु..

माधवी अब ये सब जल्द से जल्द खत्म करना चाहती थी। उसे वो सब भी करना था मगर घबराहट इतनी हो रही थी उसे की शायद सागर ने उसे कही उसके वीक पॉइंट को छु लिया तो शायद बेहोश हो जायेगी।

माधवी उल्टा लेट गयी। सागर ने उसका टॉप थोडा ऊपर किया और *पजामा थोडा निचे किया।

माधवी:- अह्ह्ह भैया जल्दी लगा दो...मुझे बहोत शरम आ रही है..बहोत अजीब लग रहा है।

सागर:- इसमे क्या है पागल..

सागर ने मूव लगाया और उसकी कमर की मालिश करने लगा। सागर के। हाथो का स्पर्श अपने कमर पे पाक माधवी की आह निकल गयी। सागर भी उसकी पतली सी नाजुक गोरी कमर को देख हैरान रह गया।

सागर:-माधवी...तुम्हारी स्किन कितनी अछि है...

माधवी :- थैंक यू भैया...क्यू प्रियंका की तो मुझसे अछि है..

सागर:- नहीं रे..उससे जादा तेरी बहोत अच्छी है...

माधवी:- रहने दो...मुझे पता है...वो मुझसे जादा अच्छी है..

सागर:- नहीं ...बिलकुल नहीं...तू उससे कई गुना जादा सुन्दर है। कभी कभी तो मुझे लगता है की काश तू उसकी जगह होती...

माधवी ये सुनके मन ही मन बहोत खुश हुई...

माधवी:- कुछ भी बोलते हो...

सागर:- अरे सच में...सागर को। लगा शायद माधवी अब झांसे में आ रही है...उसने अपना हाथ मधवि के कमर के साइड से थोडा ऊपर की और बढ़ाया। माधवी को ये बिलकुल भी अपेश्कित नहीं था। वो एकदम। से उठ के बैठ गयी।

माधवी:-भ..भैया..बस हो गया आप जाओ अभी...मुझे नींद आ रही है।

सागर उसके ऐसे कहने से चौक गया।

सागर:-अ..अ.वो..क..क्या हुआ?

माधवी:- कुछ नहीं...बस अब ठीक लग रहा है।

सागर:- ठीक है..सो जा तू..गुड नाईट..

माधवी:- गुड नाईट...

सागर बड़े ही निराश मन से उठा और बाहर जाने लगा। माधवी उसके पीछे वो जैसे बहार गया माधवी ने उसकी और देखा और स्माइल करते हुए दरवाजा बंद कर लिया।*

सागर अपने कमरे में जाके खुद को कोसने लगा...अरे इतना जल्दी करने क्या जरुरत थी? थोडा और उसे गरम करता तो वो खुद ही कहती चोदने के लिए।

सागर अपने आप से। ही बहोत गुस्सा हो रहा था।

माधवी ने अब चैन की सास ली। अब वो बहोत फ्री महसूस कर रही थी। जब उसने सब बाटी को दुबारा रिकॉल किया तो वो भी खुद से खफा हो गयी।

माधवी:- अरे यार मैं भी ना पागल हु...अभी इतना अच्छा मौका हाथ आया था...भैया को थोडा और अपने जिस्म से खेलने देती तो वो आज मेरे साथ....सच में पागल ही हु मैं।


दोनों भी चाहते थे मगर एकदूसरे के दिल का हाल नहीं जानते थे। और ऐसा भी नहीं था की वो खुल के अपने दिल की चाहत एकदूसरे से बयां कर दे...क्यू की उनका रिश्ता ही कुछ ऐसा था...........