daru aur chut - दारु और चूत कभी भी झूठी नहीं होती

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sexy
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Re: daru aur chut - दारु और चूत कभी भी झूठी नहीं होती

Unread post by sexy » 29 Sep 2016 09:58

उसने अपना एक मम्मा मेरे मुँह में डाल दिया और कहा- चूस बेटा। मेरी चूत का तो आज तुमने हलवा बना दिया, एकदम कोरी चूत थी, उसका भोसड़ा बना के रख दिया।
यह सब सुनते मेरा भैय्यालाल फिर से हिलने लगा।
मैंने कहा- कव्या बेबी ! लेट जाओ। तुम्हें आगे से चोदूंगा।
कव्या ने कहा- पहले मेरी चूत को गीला करो।
मैंने उसकी चूत में ऊँगली घुसेड़ी, थोड़ी सूख गई थी। लेकिन मेरी ऊँगली की कम्पन से फिर से उसमे जान आ गई और वो फिर थोड़ी गीली हो गई। मैं उसकी चूत को और ऊँगली करता रहा। जब बिलकुल तैयार हो गई, तब मैं उसके बीच में आया। उसके हाथ में लंड दिया और कहा- मेरी जान इस कलम को अपनी दवात में डाल लो।

अब लगा कि जैसे मैं भी फटने वाला हूँ, मैंने कहा कव्या – मेरा रायता भी निकालने वाला है। कहाँ डालूँ? चूत के अन्दर डाल दूं क्या?
उसने कहा- चूत छोड़कर कहीं भी गिरा दो।
मैंने उसको और जोर से चोदा।
वो बोली- अज्जू कितना बढ़िया चोदते हो तुम यार। खूब चोदो मुझे।
मेरा लण्ड फटने से पहले मैंने अपने लण्ड को कव्या की झांटों पर रख दिया। लंड का सारा रायता उसकी झांटों पर फैल गया मैंने उसकी झांटों पर खूब लंड घुमाया। काली काली घुंगराली झांटों में मेरा श्वेत रायता ओस की बूँदों की तरह दिख रहा था।
मैं उसकी चूत देखता रहा- मज़ा आ गया।
मैंने जोर से बोला- अबे विशु देख तेरी जिज्जी की चूत का क्या कर डाला। इसकी प्यारी सी चूत को मैंने तहस नहस कर डाला।
कव्या बोली- क्या कह रहे हो विशु से?

मैंने कहा- मेरी जान, तेरे भाई ने एक बार मुझे चेतावनी दो थी कि मैं तुझसे दूर रहूँ और मैंने प्रण किया था कि तुझे चोदूँगा ज़रूर ! और आज मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई। मैं चाहता हूँ कि विशु देखे कि तू मेरा लंड कैसे लेती है, कैसे चूसती है और मेरे लंड से कैसे चुदती है।
कव्या बोली- तुम लड़के लोग भी ना !?!
मैंने कव्या की चूत को देखा, रायता सूख रहा था- ऐसा लग रहा था जैसे कव्या अपनी झांटों में कलफ लगवा कर आई हो।



कव्या की साँसें अब भी बहुत ही तेज़ चल रही थी। उसके मम्मे ऐसे ऊपर नीचे हो रहे थे मानो कोई जहाज़ समुद्र में हिचकोले खा रहा हो। मैं निढाल हो कर कव्या पर लेट गया और उसके गाल चूमने लगा। फिर धीरे से उसके बगल में लेटकर उसका एक मम्मा हौले से दबाने लगा।
इतना चुदने के बाद तो एक कुतिया भी थक जाती है और फिर कव्या तो एक अट्टारह साल की नव-युवती थी। उसका पूरा जिस्म टूट रहा था। उसकी दोनों टांगें अभी भी फैली हुई थीं। एक हाथ कमर के पास और एक हाथ सर के ऊपर था। मैंने उसका एक मम्मा अपने मुँह में लिया और उसे चूसा।

कव्या बोली- तुम थकोगे नहीं? कब तक मेरी लेते रहोगे?
मैंने कहा- मेरी रानी, तू है ही इतनी मस्त लौंडिया कि बार बार तुझे चोदने का मन करता है। यह लंड है कि मानता ही नहीं।
उसने मेरे लंड को बड़े ध्यान से देखा- धीरे से हाथों में लिया और कहा- क्या सबके लंड इतने ही बड़े होते हैं? और इतने मोटे?
मैंने कहा- मेरी जान जिस तरह लौंडियों के मम्मे अलग अलग साइज़ के होते हैं, लंड भी अलग अलग साइज़ के होते हैं।
कव्या ने कहा- अब क्या करना है?
मैंने झट से कहा- कव्या , मुझे तुम्हारी गांड मारनी है।
कव्या बोली- बिल्कुल नहीं ! बहुत दर्द होगा।
मैंने कहा- बेबी, अगर ज्यादा दर्द होगा तो मैं निकाल दूंगा। तेरी गांड को मैं पहले खूब चिकना करूंगा और फिर धीरे से अपना मूसल उसमें डाल दूंगा। बस तुम्हें कुछ पता ही नहीं चलेगा।
कव्या असमंजस में थी।
मैंने पूछा- किसने कहा कि दर्द होता है?
वो बोली- अभी अभी माया की शादी हुई है। उसके पति ने उसे रात में तीन बार अलग अलग स्टाइल से उसकी चूत को चोदा और फिर गांड मारी। दूसरे दिन वो चल नहीं पा रही थी।
मैंने कहा- मेरी लाडो माया की गांड को उसके पति ने चिकना नहीं किया होगा। तुम देखो मैं कैसे क्या करता हूँ।
कव्या ने हारकर सहमति दे दी लेकिन इस शर्त पर कि अगर उसे दर्द हुआ तो मैं अपना लंड निकाल लूँगा।
मैंने कहा- ठीक है बाबा ! निकाल लूँगा।
कव्या अपने पेट पर लेट गई। दोनों बाहें उसने अपने सर के इर्द-गिर्द डाल दीं। मैंने उसके बालों को पीठ से अलग किया और उसकी नंगी पीठ देखता रहा। खूब हाथ फेरकर मैं उसके चूतड़ों पर पहुँचा। उन्हें खूब दबाया। कभी कभी उसकी चूत में भी ऊँगली घुसेड़ देता था तो वो उचक जाती। मुझे कव्या की झांटें बहुत पसंद आईं। काफी घनी और घुंघराली थीं। फिर मैंने उसकी गांड का मुआयना किया। छोटी सी गांड थी। गुलाबी रंग की। एक बार तो मुझे भी दया आ गई- कि मेरा लंड तो आज इसे फाड़ कर रख देगा। लेकिन साब ! छेद है तो लंड तो घुसेगा ही। अब घोड़ा घास से दोस्ती नहीं करता।

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Re: daru aur chut - दारु और चूत कभी भी झूठी नहीं होती

Unread post by sexy » 29 Sep 2016 09:59

मैंने इधर उधर देखा- एक क्रीम की बोतल दिखाई दी। मैंने खूब सारी क्रीम अपने हाथों में ली और उसकी गांड में मलने लगा। गांड का छेद थोड़ा खोलकर मैंने उसमें क्रीम डाल दी। फिर एक और बोतल खोली और उसमे अपना लंड भिगो दिया। लंड साब को जब बाहर निकाला तो श्वेत हो चुका था। मैंने कव्या का हाथ लेकर अपने लंड पर रखा। उसने उसे धीरे धीरे सहलाया। अब पूरा क्रीम उसमे अच्छी तरह से लग गया था। अब लंड भी तैयार, गांड भी तैयार, मैं भी तैयार उधर कव्या भी तैयार !
देख विशु ! तेरी बहन की अब मैं गांड मारता हूँ।
मैंने अपना सुपारा धीरे से उसकी गांड पर रखा और एक झटका दिया। सुपारा अन्दर और उसके साथ ही कव्या की एक चीख।
चूंकि उसने अपना मुँह तकिये के अन्दर डाला था- ज्यादा आवाज़ नहीं आई। मैं उसकी बगलों में हाथ फेरने लगा।

एक और झटका- तीन इंच अन्दर।
कव्या हिलने लगी- एक और झटका- चार इंच और अन्दर।
और फिर आखिरी झटके में पूरा लंड अन्दर।
मैं कव्या के ऊपर गिर पड़ा। उसकी कमर के नीचे से दोनों हाथ को मैं उसके मम्मों तक ले गया और फिर अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा। कव्या की आँखों में आँसू आ गए, बोली- अज्जू बस। चाहो तो मुझे पच्चीस बार और चोद लो, मेरे मुँह में अपना लंड भर दो लेकिन प्लीज़, मेरी गांड से इसे निकालो।
लेकिन चाहकर भी मैं निकाल नहीं पा रहा था। मेरे लंड को खूब मज़ा आ रहा था। मैं उसकी गांड मारता रहा और वो मरवाती रही। फिर मैंने अपने लंड को निकाला, उसको सीधा किया। उसके मम्मों को खूब दबाया और फिर उसकी टांगें चौड़ी कीं और फिर अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया।
वो उचक गई और बोली- बाज़ नहीं आओगे?
मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है या नहीं?
कव्या बोली- आ तो रहा है लेकिन दर्द भी तो हो रहा है।
फिर वो थोड़ा उठकर देखने लगी कि यह लंड घुस कैसे रहा है।
वो बोली- क्या घुस रहा है तेरा लंड अज्जू। और कितना भयंकर दिख रहा है।
मैंने अपना लंड पूरा बहार निकालकर क्रीम के शीशी में घुसेड़ा और निकालकर फिर उसकी गांड में पेला। उसने भी खूब गांड मरवाई। मैंने आखिर में उसकी गांड में अपना सारा रायता डाल दिया। उसको एक गर्म एहसास हुआ।
उसने कहा- अज्ज..जज…ज्ज्जूऊउ मज़ा आ गया। अब मैं मर गई।
मैंने धीरे से अपना लंड निकालकर उसके हाथों पर रख दिया। उसने उसे एक बार दबाया और फिर मुझसे लिपट गई।
अब तक साढ़े पांच बज चुके थे। मैंने कपड़े पहने और विशु के घर से निकलने लगा। कव्या अभी भी नंगी लेटी हुई थी।
मैंने कहा- कव्या डार्लिंग ! कपड़े पहन लो, वरना कोई आ गया तो खैर नहीं।
कव्या उठी और मेरे ही सामने कपड़े पहनने लगी। जब वो पूरी तरह तैयार हो गई तो मेरे पास आई।
मैंने कहा- तुम बहुत सुन्दर हो कव्या और तुम्हारा दिल भी अच्छा है।
उसने कहा- और मेरी चूत?
मैंने कहा- अति सुन्दर।
वो बोली- और मेरे मम्मे?
मैंने कहा- स्वादिष्ट !
उसने पूछा- मेरी झांटें?
मैंने कहा- रेशमी।
मेरे चूतड़?
मैंने कहा- गुदगुदे।

इतना सब कहने सुनने पर मेरा फिर से खड़ा होने लगा। उसको एक अच्छी सी चुम्बन देकर मैं दरवाजे तक पहुंचा। पीछे घूमकर मैंने विशु की फोटो देखी।
मैं बोल्यो- रे विशु, तेरी जिज्जी की तो मैंने अग्गे-पिच्छे खूबई लाल की। मैन्ने तो मज्जा आ गयो। के चुद्तो है रे तेरी भैण।
विशु मियां अभी तो यह शुरुआत है- उसकी शादी तक मैं उसकी चूत का बम भोसड़ा बना दूंगा।
मैं अपने घर पहुंचा और माँ से कहा- मैं बहुत थक गया हूँ- मुझे सोने दें।
फिर मैं तीन घंटे सोया। रात के आठ बजे मैं बाहर निकला। कव्या और उसकी मम्मी बाहर बैठीं थीं। मैंने आंटी से नमस्ते की और कव्या से बोला- अरे कव्या , तू तो दिखती ही नहीं है आजकल? आंटी ! कहाँ रहती है यह?
आंटी बोली- बेटा जब तुम लोग बच्चे थे तब अच्छा था- कम से कम साथ खेल तो लेते थे। अब तुम अपनी पढ़ाई में व्यस्त और यह अपनी पढ़ाई में ! कभी कभी आ जाया करो।
मैंने कव्या को देखा और आँख मारी और बोला- हाँ आंटी मैं आऊँगा।
इतने में आंटी अन्दर गईं और मैं कव्या के पास जाकर बोला- कब दे रही हो फिर से?
कव्या बोली- मैं खड़ी नहीं हो पा रहीं हूँ ठीक से। चूत पर सूजन हो गई है। गरम पानी का सेंक लगाया है।
मैंने उसको टाटा किया और घर आ गया।
लिखियेगा कि यह कैसी लगी।

समाप्त

ravalipune000
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Re: daru aur chut - दारु और चूत कभी भी झूठी नहीं होती

Unread post by ravalipune000 » 30 Sep 2016 22:26

मजा आया पड़कर में एक असंतृप्त भाभी हूँ whatsapp करो 9515546238 मेरा सर्विस के लिए

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