वैसे भी कुँवारी लड़की को चोदने के ख्याल से लंड कुछ टाइट हो गया। मैंने लंड भाभी की चूत में फिर से डाल दिया, वो कुछ कहे, इससे पहले मैंने चार पाँच धक्के मार ही लिए। लंड अब और खड़ा हो गया। मैंने भाभी की चूत से लंड निकाला, मेरा लंड भाभी की चूत के रस से चमक रहा था, एक झटके से निकिता की चूत का मूह खोला और अपना लंड डाल दिया। मेरा लंबा और मोटा लंड निकिता की छूट के अंदर जड़ तक जा कर फस गया था, मेरे लंड ने निकिता की छूट की झिल्ली के टुकड़े कर दिए थे
झिल्ली फटते ही निकिता चीख उठी लेकिन भाभी ने उसके लबों को अपने मुँह में लेकर दबोच लिया। अब मैंने लंड को चूत में दबाये रखा और खड़ा हो गया। तब निकिता को पता चला कि उसकी चूत की झिल्ली फट गई है, वो बोली- विक्की तुमने यह क्या किया? बहुत दर्द हो रहा है।
भाभी ने निकिता के नीचे दो तकिये लगाये और कहा- जो होना था, वो हो गया, अब देखना लंड तुम्हारी चूत में कैसे ठीक बैठता है। दर्द की फिकर मत कर, अभी चला जायेगा ! विक्की जरा रुको !
लंड को चूत में दबाये रख मैंने कहा- निकिता तेरी यही इच्छा थी, सच बता?
फिर निकिता ने अपना चेहरा ढक लिया और सर हिला कर हाँ कहा, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वो देख कर लंड ने ठुमका लगाया और ज्यादा चौड़ा होकर चूत को और भी चौड़ा कर डाला।
‘उ इ इ इ !’ कर निकिता फिर से चिल्ला उठी।
मैंने उसके मुंह को चूम कर कहा- यह आखिरी दर्द है। अब कभी नहीं दुखेगा।
लण्ड को दो इंच बाहर निकाला और फिर घुसा कर पूछा- दर्द हुआ?
इस बार उसने न कहा।
“अब नीचे देख, क्या होता है?”
वो देखती रही और मैंने आराम से लंड निकाला, जब सिर्फ़ सुपारा चूत में रह गया, तब रुका।
झिल्ली का खून और चूत के रस से गीला लंड देख कर निकिता बोली- तेरा इतना बड़ा तो कभी न था? कब बढ़ गया?
“मैंने भी तेरी भोंस इतनी खुली हुई नहीं देखी !”
भाभी- चुदाई के वक्त लंड और चूत का आकार बदल जाता है, वैसे भी तुम्हारे भाई का 6 इंच का है लेकिन जब चोदते हैं तो सात इंच जैसा दीखता है।
मैं- अच्छा ! तैयार रहना ! लण्ड फिर से चूत में जा रहा है, दर्द हो तो बताना !
आसानी से पूरा लंड निकिता की चूत में घुस गया, जब क्लिटोरिस दब गई तो निकिता ने कहा- बड़ी गुदगुदी होती है।
मैंने कूल्हे मटका कर क्लिटोरिस को रगडा, निकिता के नितम्ब भी हिल पड़े, वो बोली- सी सी इ अई ! इह, मुझे कुछ हो रहा है !
अब मुझे तसल्ली हो गई कि अब निकिता की चूत तैयार है, मैंने धीरे चोदना चालू किया। भाभी झुक कर निकिता को चूमने लगी। मैंने धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाई। निकिता भी कूल्हे उछाल कर जवाब दे रही थी।
निकिता ने अपने पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया, मैं दनादन चोदे जा रहा था। पूरे कमरे में फ़चा…फ़च…. फ़चा…फ़च…. की आवाज़ें गूँज रही थी
दस मिनट तक चुदने के बाद निकिता अचानक से बोल उठी- ओ ओ ओ इईईइ औ !
वो झटपटाने लगी, मेरे बदन पर कई जगह उसने नाख़ून गड़ा दिए, कमर के झटके ऐसे लगाये कि लंड चूत से बाहर निकल निकल कर वापिस घुस रहा था। लण्ड पर चूत ऐसे सिकुड़ी जैसे किसी ने मुट्ठी से जकड़ लिया हो। मेरा लंड तन कर लोहा हो गया, चूत में आते जाते सुपारा टकरा रहा था जैसे मुट्ठ मारते हैं।
और निकिता भी सातवें आसमान की सैर कर रही थी। तभी मैं झड़ गया और झटके से छोड़ते हुए लंड ने वीर्य की पिचकारी मारी। एक एक पिचकारी के साथ लण्ड से बिजली का करंट निकल कर सारे बदन में फ़ैल जाता था।
हम दोनों शिथिल हो कर ढल पड़े। थोड़ी देर अब निकिता के ऊपर गिर कर पड़ा रहा, लग रहा था कि अब मेरे शरीर से जैसे जान ही निकल गई हो ! हम दोनों शांत हो चुके थे।
निकिता की चूत पावरोटी की तरह फूल गई थी वो खड़ी नहीं हो पा रही थी। मैंने उसे गोदी में उठाया और बाथरूम में ले जाकर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर नहा धोकर बाहर आए।
भाभी ने तब तक नाश्ता बना दिया था।
हम तीनों के चेहरे पर अब मुस्कान थी, भाभी भी अब बहुत खुश नजर आ रही थी।
अब तो में भाभी जब भी याद करती, मैं उनके सेवा के लिए चला जाता था ….
अब मेरे पास दो दो हसीनाएे थी…. मेरी जिंदगी मज़े से कट रही थी….।
——–समाप्त——-