celebrity sex story - उंची सोसाईटी के औरतेँ और उनकी ऐयाशी जिन्दगी
celebrity sex story - उंची सोसाईटी के औरतेँ और उनकी ऐयाशी जिन्दगी
विजय माल्य सुबह का अखबार पढ़ रहे थे, सामने मेज़ पर गर्म चाय की प्याली रखी हुई थी, व चाय की चुस्की के साथ-साथ अखबार भी पढ़ रहे थे । तभी उनके कानों में आवाज आई-
"सर, आपका फोन !"
उन्होंने अखबार से नजर उठाई, सामने सफेद शर्ट, काली पैन्ट में उनका नौकर खड़ा था ।
"किसका फोन है मोहन?"
"सर, मलहोत्रा सर का फोन है ।"
"इस वक्त? इतनी सुबह?... हैलो, हां मलहोत्रा ! बोलो, इतनी सुबह-सुबह? क्या हो गया भई ?"
माल्य साहब बात करते हुए-
"अच्छा अच्छा ! हम्म ! यह कब की बात है? ... फिर तुमने क्या किया? ... चलो अभी कुछ भी करने की जरुरत नहीं है, मैं आता हूं थोड़ी देर में और जब तक मैं न पहुंचु, तुम लोग कुछ मत करना ! समझे न?" यह कह कर माल्य साहब ने फोन रख दिया और वहीं मेज़ पर अखबार रखते हुए उठ खड़ा हुआ और मोहन से पूछा-
"मेमसाब कहां हैं?"
मोहन ने जवाब दिया-
"सर, व मार्निंग-वॉक के लिए गई हैं ।"
माल्य साहब ने कहा-
"ठीक है, व आ जाएं तो उन्हें बता देना कि मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूं, लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी । यह कह कर माल्य साहब अपने कमरे की ओर चले गए और तैयार होने लगे ।
मोहन ने पूछा-
"साहब, नाश्ता लगाऊं?"
माल्य साहब ने जवाब दिया-
"नहीं, मैं बाहर ही कर लूंगा, तुम गाड़ी निकलवाओ ।"
विजय माल्य की पत्नी समीरा माल्य घर लौटती है-
"मोहन ! मोहन ! विजय कहां हैं?"
मोहन तेज कदमों के साथ आता है और अदब के साथ खड़ा होकर जवाब देता है-
"मैडम, साहब के पास मलहोत्रा साहब का जरूरी फोन आया था तो वो ऑफिस चले गए हैं ।"
"साहब ने कुछ खाया या नहीं?" समीरा पुछी ।
"नहीं मैडम, साहब ने कहा कि व बाहर ही खा लेंगे ।"
"अच्छा, ऐसी भी क्या एमरजेंसी थी उन्हें? ... साहब से बात करवाना मेरी !"
"जी मैडम, अभी फ़ोन लगाता हूं ।" कह कर मोहन ने फोन लगाकर मैडम को दिया ।
"विजय, तुम कहां हो यार? इतनी सुबह ऑफिस में क्या कर रहे हो?"
अचानक समीरा चिन्तित दिखने लगी और कहा-
"ठीक है, लेकिन ज्यादा परेशान मत होना तुम ।"
समीरा अपने कमरे में चली गई । अपने कमरे में पहुंचकर उसने मोहन को आवाज लगाई। मोहन अब समीरा के कमरे में था । समीरा ने कहा-
"मालती को बोलो मेरी मालिश की मेज़ तैयार करे, मैं आती हूं अभी कपड़े बदल कर !"
मोहन दूसरे कमरे में जाकर मालती को ये बता दिया जो किचन मेँ काम पर लगी थी । मोहन की बातें सुनकर मालती तुरंत सारा सामान लेकर बगल के कमरे मेँ पहुंच गई । थोड़ी देर में वहां समीरा भी पहुंच गई, उसने गाउन पहन रखा था। सामने मालिश की मेज़ थी और मेज़ के एक तरफ़ तेल और क्रीम की कई शीशियां रखी थी। मालती वहीं पास में सिर्फ एक पेटीकोट पहने खड़ी थी, उसकी बडे-बडे उभार खुले थे । गठीला सांवला बदन था, मालती की उम्र यही कोई 43 की रही होगी । तीन बच्चोँ की मां है फिर भी उसकी बदन काफी कसी हुई थी । लेकिन मालती की गांड बहुत चौडी और उभरी हुई थी । उसकी मस्त
चुतड देख कर कोई भी मर्द का नियत खराब हो सकता था ।
समीरा ने अपने गाउन की नॉट को खोल दिया । उसने सिर्फ काले रंग की पैंटी पहन रखी थी । बहुत ही सेक्सी बदन था समीरा का । बडी-बडी चुचियां, पतली कमर और चौडी उभरी चुतड, बदन थोडी सी गदराई हुई थी । इस अधेड उम्र मेँ भी समीरा ने अपनी शरीर को सुडौल रखा था । समीरा रोज पुरुषोँ के तरह जिम में कसरत करती थी । जिसकी वजह से समीरा की जांघ और वाकी अंगोँ के मॅसल्स बढने लगे थे । इसिलीए रोज सुबह को जिम के बाद अपनी पुरी बदन की मालिस करवाती थी ।
फिर समीरा ने सिर्फ पैँटी मेँ ही वहां से मेज़ की ओर बढ़ गई और बोली-
"मालती, पूरा बदन टूट रहा है ! आज जरा बढ़िया मालिश करना मेरी !"
"जी मैडम... इससे पहले कभी शिकायत का मौका दिया है कभी आपको? आप बिल्कुल बेफिक्र रहें ! एन्ड जस्ट रिलेक्स ।" मालती हंसती हुई बोली ।
समीरा पेट के बल लेट गई..बगल से उसकी चूची साफ झलक रही थी और गोरे जिस्म पर उसकी काली पैंटी बहुत सेक्सी लग रही थी। गांड काफी चौडी और उभरी हुई थी । मालती ने अपने हथेली में थोडा ऑलिव-आयल लिया और हल्के-हल्के कंधों की मालिश करने लगी । मालिश करते करते व समीरा की पीठ पर पहुंच गयी और बडे प्यार से पूरी पीठ की मालिश करने लगी । मालिश करते करते उसकी उंगलियां बगल से समीरा की चूचियों को स्पर्श करने लगी । जैसे ही बगल से मालती ने चूचियों को छुआ, मस्ती से समीरा की आंखें बंद होने लगी । मालती समझ गयी थी कि मैडम अब मस्त हो रही हैं ! व धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी ।
अब व समीरा की कमर की मालिश कर रही थी, कभी कभी उसके हाथ समीरा की पैंटी की इलास्टिक को भी छू जाते थे । मालती ने धीरे से मालिश करते करते समीरा की पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया । अब उसकी आंखों के सामने समीरा की गांड की दरार साफ दिखाई दे रही थी । व गांड की दरारों पर खूब अच्छी तरह से तेल की मालिश करने लगी । मालती धीरे-धीरे मालीश करते करते समीरा की गांड की छेद को भी मलने लगी । समीरा अब सांसें तेजी से लेने लगी थी।
मालती ने आगे बढ़कर पूछा-
"मैडम, आपकी पैंटी खराब हो जाएगी, इसमें तेल लग जाएगा, आप कहें तो उतार दूं पैंटी को?"
समीरा पूरी मस्ती में थी और उसने सिसियाते स्वर में कहा-
"हां, उतार दे !"
मालती ने धीरे से समीरा की काली पैंटी बड़े प्यार से गांड से अलग कर दी । अब समीरा पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी । मालती की बुर मेँ भी खुजली होने लगी । मालती के हाथ फिर से चलने लगे, वह अब अपने अंगूठे को समीरा की गांड के छेद को मसलने लगी । समीरा एकदम मस्ती में आ गई और पलट गई । अब उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मालती की आंखों के सामने थी । समीरा ने अपनी टांगें भी खोल दी थी और उसकी बुर के जगह एक मोटा तगडा लंड लहरा रहा था । हैरानी की बात तो थी, कि समीरा तो औरत थी फिर उसकी शरीर पर मर्दानी की छाप कैसे? व भी इतना लम्बा मोटा । समीरा की अधेड नारी शरीर पर हल्के रेशमी झांटोँ से भरी लंड और बडे बडे अंडकोष किसी अजुबे से कम नहीँ था ।
"सर, आपका फोन !"
उन्होंने अखबार से नजर उठाई, सामने सफेद शर्ट, काली पैन्ट में उनका नौकर खड़ा था ।
"किसका फोन है मोहन?"
"सर, मलहोत्रा सर का फोन है ।"
"इस वक्त? इतनी सुबह?... हैलो, हां मलहोत्रा ! बोलो, इतनी सुबह-सुबह? क्या हो गया भई ?"
माल्य साहब बात करते हुए-
"अच्छा अच्छा ! हम्म ! यह कब की बात है? ... फिर तुमने क्या किया? ... चलो अभी कुछ भी करने की जरुरत नहीं है, मैं आता हूं थोड़ी देर में और जब तक मैं न पहुंचु, तुम लोग कुछ मत करना ! समझे न?" यह कह कर माल्य साहब ने फोन रख दिया और वहीं मेज़ पर अखबार रखते हुए उठ खड़ा हुआ और मोहन से पूछा-
"मेमसाब कहां हैं?"
मोहन ने जवाब दिया-
"सर, व मार्निंग-वॉक के लिए गई हैं ।"
माल्य साहब ने कहा-
"ठीक है, व आ जाएं तो उन्हें बता देना कि मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूं, लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी । यह कह कर माल्य साहब अपने कमरे की ओर चले गए और तैयार होने लगे ।
मोहन ने पूछा-
"साहब, नाश्ता लगाऊं?"
माल्य साहब ने जवाब दिया-
"नहीं, मैं बाहर ही कर लूंगा, तुम गाड़ी निकलवाओ ।"
विजय माल्य की पत्नी समीरा माल्य घर लौटती है-
"मोहन ! मोहन ! विजय कहां हैं?"
मोहन तेज कदमों के साथ आता है और अदब के साथ खड़ा होकर जवाब देता है-
"मैडम, साहब के पास मलहोत्रा साहब का जरूरी फोन आया था तो वो ऑफिस चले गए हैं ।"
"साहब ने कुछ खाया या नहीं?" समीरा पुछी ।
"नहीं मैडम, साहब ने कहा कि व बाहर ही खा लेंगे ।"
"अच्छा, ऐसी भी क्या एमरजेंसी थी उन्हें? ... साहब से बात करवाना मेरी !"
"जी मैडम, अभी फ़ोन लगाता हूं ।" कह कर मोहन ने फोन लगाकर मैडम को दिया ।
"विजय, तुम कहां हो यार? इतनी सुबह ऑफिस में क्या कर रहे हो?"
अचानक समीरा चिन्तित दिखने लगी और कहा-
"ठीक है, लेकिन ज्यादा परेशान मत होना तुम ।"
समीरा अपने कमरे में चली गई । अपने कमरे में पहुंचकर उसने मोहन को आवाज लगाई। मोहन अब समीरा के कमरे में था । समीरा ने कहा-
"मालती को बोलो मेरी मालिश की मेज़ तैयार करे, मैं आती हूं अभी कपड़े बदल कर !"
मोहन दूसरे कमरे में जाकर मालती को ये बता दिया जो किचन मेँ काम पर लगी थी । मोहन की बातें सुनकर मालती तुरंत सारा सामान लेकर बगल के कमरे मेँ पहुंच गई । थोड़ी देर में वहां समीरा भी पहुंच गई, उसने गाउन पहन रखा था। सामने मालिश की मेज़ थी और मेज़ के एक तरफ़ तेल और क्रीम की कई शीशियां रखी थी। मालती वहीं पास में सिर्फ एक पेटीकोट पहने खड़ी थी, उसकी बडे-बडे उभार खुले थे । गठीला सांवला बदन था, मालती की उम्र यही कोई 43 की रही होगी । तीन बच्चोँ की मां है फिर भी उसकी बदन काफी कसी हुई थी । लेकिन मालती की गांड बहुत चौडी और उभरी हुई थी । उसकी मस्त
चुतड देख कर कोई भी मर्द का नियत खराब हो सकता था ।
समीरा ने अपने गाउन की नॉट को खोल दिया । उसने सिर्फ काले रंग की पैंटी पहन रखी थी । बहुत ही सेक्सी बदन था समीरा का । बडी-बडी चुचियां, पतली कमर और चौडी उभरी चुतड, बदन थोडी सी गदराई हुई थी । इस अधेड उम्र मेँ भी समीरा ने अपनी शरीर को सुडौल रखा था । समीरा रोज पुरुषोँ के तरह जिम में कसरत करती थी । जिसकी वजह से समीरा की जांघ और वाकी अंगोँ के मॅसल्स बढने लगे थे । इसिलीए रोज सुबह को जिम के बाद अपनी पुरी बदन की मालिस करवाती थी ।
फिर समीरा ने सिर्फ पैँटी मेँ ही वहां से मेज़ की ओर बढ़ गई और बोली-
"मालती, पूरा बदन टूट रहा है ! आज जरा बढ़िया मालिश करना मेरी !"
"जी मैडम... इससे पहले कभी शिकायत का मौका दिया है कभी आपको? आप बिल्कुल बेफिक्र रहें ! एन्ड जस्ट रिलेक्स ।" मालती हंसती हुई बोली ।
समीरा पेट के बल लेट गई..बगल से उसकी चूची साफ झलक रही थी और गोरे जिस्म पर उसकी काली पैंटी बहुत सेक्सी लग रही थी। गांड काफी चौडी और उभरी हुई थी । मालती ने अपने हथेली में थोडा ऑलिव-आयल लिया और हल्के-हल्के कंधों की मालिश करने लगी । मालिश करते करते व समीरा की पीठ पर पहुंच गयी और बडे प्यार से पूरी पीठ की मालिश करने लगी । मालिश करते करते उसकी उंगलियां बगल से समीरा की चूचियों को स्पर्श करने लगी । जैसे ही बगल से मालती ने चूचियों को छुआ, मस्ती से समीरा की आंखें बंद होने लगी । मालती समझ गयी थी कि मैडम अब मस्त हो रही हैं ! व धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी ।
अब व समीरा की कमर की मालिश कर रही थी, कभी कभी उसके हाथ समीरा की पैंटी की इलास्टिक को भी छू जाते थे । मालती ने धीरे से मालिश करते करते समीरा की पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया । अब उसकी आंखों के सामने समीरा की गांड की दरार साफ दिखाई दे रही थी । व गांड की दरारों पर खूब अच्छी तरह से तेल की मालिश करने लगी । मालती धीरे-धीरे मालीश करते करते समीरा की गांड की छेद को भी मलने लगी । समीरा अब सांसें तेजी से लेने लगी थी।
मालती ने आगे बढ़कर पूछा-
"मैडम, आपकी पैंटी खराब हो जाएगी, इसमें तेल लग जाएगा, आप कहें तो उतार दूं पैंटी को?"
समीरा पूरी मस्ती में थी और उसने सिसियाते स्वर में कहा-
"हां, उतार दे !"
मालती ने धीरे से समीरा की काली पैंटी बड़े प्यार से गांड से अलग कर दी । अब समीरा पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी । मालती की बुर मेँ भी खुजली होने लगी । मालती के हाथ फिर से चलने लगे, वह अब अपने अंगूठे को समीरा की गांड के छेद को मसलने लगी । समीरा एकदम मस्ती में आ गई और पलट गई । अब उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मालती की आंखों के सामने थी । समीरा ने अपनी टांगें भी खोल दी थी और उसकी बुर के जगह एक मोटा तगडा लंड लहरा रहा था । हैरानी की बात तो थी, कि समीरा तो औरत थी फिर उसकी शरीर पर मर्दानी की छाप कैसे? व भी इतना लम्बा मोटा । समीरा की अधेड नारी शरीर पर हल्के रेशमी झांटोँ से भरी लंड और बडे बडे अंडकोष किसी अजुबे से कम नहीँ था ।
Re: celebrity sex story - उंची सोसाईटी के औरतेँ और उनकी ऐयाशी जिन्दगी
ये सब लंडन, अमेरिका और ब्राजिल मेँ आम बात है । वहां पर आप कोई भी मस्तानी हसीनाएं यानि किसीकी पत्नी या फिर मां को देख के अंदाजा लगा नहीँ सकते की व भी किसी मर्द से कम नहीँ है । अब ये फॅन्टासी भारतीय महिलाएं भी ज्यादा से ज्यादा अपनाने लगीँ है । और क्योँ न हो! दोहरी चोदाई का मजा जो इसमेँ है । और बडे-बडे घराने के औरतेँ इसके शौकीन बनते जा रहे थे । खैर, लेकिन मालती पर इसका कोई असर नहीँ था । तभी मालती की नजर समीरा मैडम की तन रही लंड पर पड़ी । मालती ने अपनी एक हाथ से समीरा की लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी । समीरा को भी काफ़ी मजा आ रहा था ।
"मालती, इसे उतार दे ! मेरी मालिश के लिए इसका भी इस्तेमाल कर ना ! कितना तगड़ा हो चुका है मेरी लंड । तेरी बुर के दर्शन तो करा इसे ।" समीरा ने मालती की बुर को पेटीकोट के उपर से मसलती हुई बोली ।
मालती ने बिना किसी देरी के अपनी पेटीकोट को अपने से अलग कर दिया । अब उसकी गदराई मस्त बदन समीरा के सामने था । समीरा उसकी मस्त चुचियां और बुर को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी ।
समीरा थोड़ी देर यूं हीं मालती की बदन को मसलती हुई मजा लेती रही, और उठ कर मालती को टेबल पर लिटा दिया । फिर वहीं पास के मेज़ पर रखी शहद की शीशी को लेकर मालती की चूत के पास पहुंच गयी । उसने बहुत सारा शहद मालती की चूत पर टपका दिया । समीरा ने अपने हाथोँ से मालती की बुर के झांटें साफ कर रखी थी, ताकि बुर चाटने मेँ मस्ती आ जाए । शहद सीधे चूत की दरार में जाता दिखने लगा । समीरा वहीं अपनी लंड को मुठ्ठी मेँ सहलाती हुई पैरों पर झुक गयी और अपनी जीभ से मालती की बुर के दरार को चाटने लगी । समीरा को मालती की चूत का स्वाद काफी अच्छा लग रहा था और मालती भी पूरी मस्ती में आ चुकी थी । समीरा अपनी जीभ बुर के छेद मेँ घुसाने का प्रयास कर रही थी और साथ ही अपनी मूषल लंड को मुठिया रही थी ।
"चाटो चाटो मैडम ! ऐसे ही चाटो ! बड़ा मजा आ रहा है ... वाह, क्या चाटती है आप ! हां हां ! ऐसे ही ! ऐसे ही! और अन्दर तक ! बहुत अच्छा लग रहा है ।" मालती मस्ती मे बडबडा रही थी ।
समीरा बुर चाटती ही जा रही थी । अचानक मालती कांपने लगी, उसका बदन झटके खाने लगा और उसने हाथ बढ़ाकर अपनी मालकिन की सर को पकड़ लिया और जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी ।
"मैडम, ऐसे ही चाटो ! मैं झड़ रही हूं ! हां हां ! चाटती रहो ! रुकना मत ! हां हां ! बड़ा अच्छा लग रहा है !" मालती उत्तेजना मेँ कराहने लगी और फिर व पूरी तरह से झड़ चुकी थी ।
समीरा सारे चुत रस को चाट गई । कुछ देर पडे रहने के बाद मालती ने अपनी आंखें खोल कर अपनी मालकिन की तरफ देखा । समीरा की 10 इंच का लंड लोहे की तरह खड़ा था, मालती ने उसे बड़े प्यार से अपने हाथ में थाम लिया और हिलाने लगी । मालती की आंखों में मस्ती साफ दिखने लगी थी ।
"मैडम, बड़ा प्यारा लंड है आपकी ।" मालती लंड के सुपाडी को बाहर निकालते हुए बोली । यह कह कर मालती ने समीरा को अपनी ओर खींच लिया और अपने मुंह के करीब ले गई । उसने जबान निकालकर समीरा की लंड को चाटना शुरु कर दिया । फिर धीरे से पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे चुसने लगी । समीरा अपनी उभरी गांड हिलाए जा रही थी और मालती के मुंह में अपना लंड पेले जा रही थी ।
"मैडम, आप बहुत अच्छी हैं ! कितना ख्याल रखती हैं हम लोगों की " मालती लंड को मुंह से बाहर निकाल कर समीरा की और देखते हुए बोली ।
"अरे पगली ! मैं तुम्हारा ख्याल नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा? बता ! देख, मेरी लंड कितना गरम हो चला है ? कितनी झटके ये रहा है यह !" अपनी लंड को मालती की होँठोँ पर रगडते हुए समीरा बोली ।
"जी मैडम, मैं अभी आपकी लंड से गरमी निकालती हूं । पर मैडम जरा प्यार से ! आपकी लंड काफी बड़ा और मोटा है ।" मालती अपनी बुर को चिदोर कर लेटते हुए बोली ।
"तु चिन्ता मत कर मालती ! मैँ ज्यादा जोर नहीँ लगाउंगी ।" मालती की चिकनी मोटी जांघोँ को फैलाते हुए समीरा बोली ।
समीरा मालती की चूत के पास जाकर अपना लंड उस पर घिसने लगी । पानी से उसकी चूत एकदम लथपथ थी । फिर समीरा अपनी लंड अपने हाथ में लेकर चूत के छेद पर भिड़ा कर अन्दर डालने लगी और अन्दर-बाहर करने लगी । मालती की बुर के कसाव से समीरा एकदम से मस्ती में आ गई ।
अब समीरा ने अपना पूरा लंड बाहर निकाली और उसकी चूत के पास झुककर उसे चाटने लगी । कुछ देर तक चाटने के बाद समीरा उठी और अपनी लंड मालती की चूत में फ़िर से पेल दी । इस बार समीरा का पूरा का पूरा लंड मालती की चूत के अन्दर जा चुका था, अब समीरा अपनी लंड को अन्दर-बाहर करते हुए मालती को चोदने लगी ।
"मैडम, काहे तड़पा रही हैं ! जम कर चुदाई करो न ! और जोर से पेलो ! हां हां ! ऐसे ही ... वाह क्या लंड पाई है मैडम आप ने ! इतना बड़ा ! बड़ा मजा आ रहा है ! करो करो ! और जोर से करो न ।" मालती निचे से गांड उछालते हुए बडबडाने लगी ।
समीरा भी अब पूरी रफ़्तार से लंड पेले जा रही थी । मालती निचे से समीरा की चुचियोँ को मुंह मेँ भर कर चुसने लगी और दोनोँ हाथोँ से मैडम की भारी चुतड को अपनी बुर पर दबाने लगी । इससे समीरा की मुंह से सिसकारीयां निकलने लगी और व जोर से चिल्लाए जा रही थी । तभी अचानक मालती का बदन काम्पने लगा और व झड़ गई ।
समीरा वैसे ही अपना लंड बुर मेँ पेलती रही, चोदती रही ... फ़िर उसने अपना लंड मालती की बुर से बाहर निकाल लिया । समीरा की लंड अब भी वैसे ही तन कर खड़ा था । पुरे दस इंच का तगडा लंड था समीरा का, मालती की चुत रस से लपलपा गया था ।
"मालती, चल अपना गांड इधर कर, बहुत मस्त गांड है तेरी ! चाट खा जाने को मन करता है ।" समीरा मालती की उभरी हुई मस्त चुतडोँ को सहलाते हुए बोली ।
"मैँने कभी मना किया है आपको मैडम? पर पहले तेल लगा लेना अच्छी तरीके से और धीरे धीरे घुसाना ! आपका बहुत बड़ा मूसल जैसे लंड है ।"
"तु बस देखती जा !" कह कर समीरा ने मालती को बांई और लेट जाने को कहा और व भी उसिके पिछे उसी पोजिसन पे लेट कर अपनी लंड को मालती की गांड के दरार मेँ रगडने लगी । तभी समीरा ने अपने दांए हाथ के एक उंगली को मालती के मुंह मेँ घुसा दिया, मालती उंगली को चाट चाट कर गिला कर दिया । अब समीरा गिले उंगली को मुंह से सिधे मालती की गांड के छेद मेँ अंदर पेल कर घुमाने लगी ।
फिर समीरा अपनी दोनों उंगली एक साथ उसकी गांड में अंदर-बाहर करने लगी । थोड़ी देर तक अंदर-बाहर करने के बाद समीरा उसी अवस्था में पर्स से एक कंडोम निकाल कर अपनी लंड पे चढा लिया और थोडा ऑलिव-ऑयल लंड पर डाल दिया । फिर समीरा अपनी लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया और मालती की होँठ को एक बार फिर चुमते हुए हल्के से धक्का दिया । समीरा की लंड का सुपाडा मालती की गांड में अंदर चला गया । मालती ने अपने होंठ भींच लिये, उसे थोड़ा दर्द हो रहा था ।
समीरा फिर से एक हल्का सा धक्का दिया तो उसकी पुरी लंड अब मालती की गांड मेँ चला गया । समीरा वैसे ही अपने लंड को मालती की गांड में घुसाए रखा । और धिरे से लंड को पुरा बाहर निकाल कर फिर से जड तक पेल दिया । अब समीरा कोई दस-ग्यारह बार इस प्रकार लंड को अंदर-बाहर करने लगी । फिर उसने हाथ बढ़ाकर मालती की चूचियों को मसलना शुरु कर दिया ।
थोड़ी देर तक यही सब चलता रहा, फिर समीरा ने अपनी लंड को हौले-हौले अन्दर-बाहर करने लगी । अब समीरा मालती की गाण्ड मारनी शुरु की और धीरे धीरे रफ़्तार पकड़ती चली गयी । अब मालती भी मजा लेने लगी थी, उसकी गांड की कसावट से समीरा को भी मजा आने लगा था।
समीरा अब अपनी पूरी रफ़्तार में आ चुकि थी और व मालती की गांड जोरदार तरीके से चोद रही थी । थोड़ी देर तक चुदाई करने के बाद समीरा की शरीऱ अकड़ने लगी और व मालती के गांड में तेज धक्के लगाती हुई झड़ गई । मालती ने अब अपनी आंखें खोली और देखा कि मैडम बुरी तरह से हांफ रही है । समीरा ने अपनी लंड उसकी गांड से बाहर निकाली । कंडोम पर समीरा के लंड से निकले ढेर सारे सफेद वीर्य दिख रहे थे । फिर समीरा और मालती एक-दुसरे को बाहोँ मेँ भर कर चुमती रहीँ । थोड़ी देर वैसे ही चुम्मा-चाटी के बाद मालती ने समीरा की लंड से कंडोम निकाल दिया और अपने जीभ से उसकी लंड को अच्छी तरह से चाट कर साफ किया । फिर समीरा ने भी एक भिगे हुए तौलिए से मालती की गांड की सफाई की ।
समीरा अब उठने लगी और वहीं पड़े गाउन को पहन लिया फिर पास खड़ी मालती की सर पर हाथ फेरते हुए वहां से अपने कमरे की ओर चली गई । मालती सीधे बाथरूम में घुस गई और भीतर से अपने आपको अच्छी तरह साफ करके साडी पहनकर बाहर आ गयी थी ।
समीरा जब बाहर निकली तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी, कोई उसे देख कर यह नहीं कह सकता था कि उसकी उम्र 47 के आसपास है और व तीन बच्चोँ की मां है । सेक्स उसे अच्छा लगता था या यूं कहें कि सेक्स उसकी हॉबी थी । पर एक अजीब किस्म के सेक्स उसकी हॉबी बन चुकी थी । शीमेल सेक्स ! अपने पति विजय के साथ विदेश की दौरे पर कोई बार उन लगोँ ने शीमेल के साथ मिल कर सेक्स का आनंद भी उठाया था । पर समीरा को लेसबियन सेक्स मेँ भी बहुत रुचि थी । हालांकि उसका और विजय का सेक्स जीवन खासा अच्छा नहीँ था ।
"मालती, इसे उतार दे ! मेरी मालिश के लिए इसका भी इस्तेमाल कर ना ! कितना तगड़ा हो चुका है मेरी लंड । तेरी बुर के दर्शन तो करा इसे ।" समीरा ने मालती की बुर को पेटीकोट के उपर से मसलती हुई बोली ।
मालती ने बिना किसी देरी के अपनी पेटीकोट को अपने से अलग कर दिया । अब उसकी गदराई मस्त बदन समीरा के सामने था । समीरा उसकी मस्त चुचियां और बुर को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी ।
समीरा थोड़ी देर यूं हीं मालती की बदन को मसलती हुई मजा लेती रही, और उठ कर मालती को टेबल पर लिटा दिया । फिर वहीं पास के मेज़ पर रखी शहद की शीशी को लेकर मालती की चूत के पास पहुंच गयी । उसने बहुत सारा शहद मालती की चूत पर टपका दिया । समीरा ने अपने हाथोँ से मालती की बुर के झांटें साफ कर रखी थी, ताकि बुर चाटने मेँ मस्ती आ जाए । शहद सीधे चूत की दरार में जाता दिखने लगा । समीरा वहीं अपनी लंड को मुठ्ठी मेँ सहलाती हुई पैरों पर झुक गयी और अपनी जीभ से मालती की बुर के दरार को चाटने लगी । समीरा को मालती की चूत का स्वाद काफी अच्छा लग रहा था और मालती भी पूरी मस्ती में आ चुकी थी । समीरा अपनी जीभ बुर के छेद मेँ घुसाने का प्रयास कर रही थी और साथ ही अपनी मूषल लंड को मुठिया रही थी ।
"चाटो चाटो मैडम ! ऐसे ही चाटो ! बड़ा मजा आ रहा है ... वाह, क्या चाटती है आप ! हां हां ! ऐसे ही ! ऐसे ही! और अन्दर तक ! बहुत अच्छा लग रहा है ।" मालती मस्ती मे बडबडा रही थी ।
समीरा बुर चाटती ही जा रही थी । अचानक मालती कांपने लगी, उसका बदन झटके खाने लगा और उसने हाथ बढ़ाकर अपनी मालकिन की सर को पकड़ लिया और जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी ।
"मैडम, ऐसे ही चाटो ! मैं झड़ रही हूं ! हां हां ! चाटती रहो ! रुकना मत ! हां हां ! बड़ा अच्छा लग रहा है !" मालती उत्तेजना मेँ कराहने लगी और फिर व पूरी तरह से झड़ चुकी थी ।
समीरा सारे चुत रस को चाट गई । कुछ देर पडे रहने के बाद मालती ने अपनी आंखें खोल कर अपनी मालकिन की तरफ देखा । समीरा की 10 इंच का लंड लोहे की तरह खड़ा था, मालती ने उसे बड़े प्यार से अपने हाथ में थाम लिया और हिलाने लगी । मालती की आंखों में मस्ती साफ दिखने लगी थी ।
"मैडम, बड़ा प्यारा लंड है आपकी ।" मालती लंड के सुपाडी को बाहर निकालते हुए बोली । यह कह कर मालती ने समीरा को अपनी ओर खींच लिया और अपने मुंह के करीब ले गई । उसने जबान निकालकर समीरा की लंड को चाटना शुरु कर दिया । फिर धीरे से पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे चुसने लगी । समीरा अपनी उभरी गांड हिलाए जा रही थी और मालती के मुंह में अपना लंड पेले जा रही थी ।
"मैडम, आप बहुत अच्छी हैं ! कितना ख्याल रखती हैं हम लोगों की " मालती लंड को मुंह से बाहर निकाल कर समीरा की और देखते हुए बोली ।
"अरे पगली ! मैं तुम्हारा ख्याल नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा? बता ! देख, मेरी लंड कितना गरम हो चला है ? कितनी झटके ये रहा है यह !" अपनी लंड को मालती की होँठोँ पर रगडते हुए समीरा बोली ।
"जी मैडम, मैं अभी आपकी लंड से गरमी निकालती हूं । पर मैडम जरा प्यार से ! आपकी लंड काफी बड़ा और मोटा है ।" मालती अपनी बुर को चिदोर कर लेटते हुए बोली ।
"तु चिन्ता मत कर मालती ! मैँ ज्यादा जोर नहीँ लगाउंगी ।" मालती की चिकनी मोटी जांघोँ को फैलाते हुए समीरा बोली ।
समीरा मालती की चूत के पास जाकर अपना लंड उस पर घिसने लगी । पानी से उसकी चूत एकदम लथपथ थी । फिर समीरा अपनी लंड अपने हाथ में लेकर चूत के छेद पर भिड़ा कर अन्दर डालने लगी और अन्दर-बाहर करने लगी । मालती की बुर के कसाव से समीरा एकदम से मस्ती में आ गई ।
अब समीरा ने अपना पूरा लंड बाहर निकाली और उसकी चूत के पास झुककर उसे चाटने लगी । कुछ देर तक चाटने के बाद समीरा उठी और अपनी लंड मालती की चूत में फ़िर से पेल दी । इस बार समीरा का पूरा का पूरा लंड मालती की चूत के अन्दर जा चुका था, अब समीरा अपनी लंड को अन्दर-बाहर करते हुए मालती को चोदने लगी ।
"मैडम, काहे तड़पा रही हैं ! जम कर चुदाई करो न ! और जोर से पेलो ! हां हां ! ऐसे ही ... वाह क्या लंड पाई है मैडम आप ने ! इतना बड़ा ! बड़ा मजा आ रहा है ! करो करो ! और जोर से करो न ।" मालती निचे से गांड उछालते हुए बडबडाने लगी ।
समीरा भी अब पूरी रफ़्तार से लंड पेले जा रही थी । मालती निचे से समीरा की चुचियोँ को मुंह मेँ भर कर चुसने लगी और दोनोँ हाथोँ से मैडम की भारी चुतड को अपनी बुर पर दबाने लगी । इससे समीरा की मुंह से सिसकारीयां निकलने लगी और व जोर से चिल्लाए जा रही थी । तभी अचानक मालती का बदन काम्पने लगा और व झड़ गई ।
समीरा वैसे ही अपना लंड बुर मेँ पेलती रही, चोदती रही ... फ़िर उसने अपना लंड मालती की बुर से बाहर निकाल लिया । समीरा की लंड अब भी वैसे ही तन कर खड़ा था । पुरे दस इंच का तगडा लंड था समीरा का, मालती की चुत रस से लपलपा गया था ।
"मालती, चल अपना गांड इधर कर, बहुत मस्त गांड है तेरी ! चाट खा जाने को मन करता है ।" समीरा मालती की उभरी हुई मस्त चुतडोँ को सहलाते हुए बोली ।
"मैँने कभी मना किया है आपको मैडम? पर पहले तेल लगा लेना अच्छी तरीके से और धीरे धीरे घुसाना ! आपका बहुत बड़ा मूसल जैसे लंड है ।"
"तु बस देखती जा !" कह कर समीरा ने मालती को बांई और लेट जाने को कहा और व भी उसिके पिछे उसी पोजिसन पे लेट कर अपनी लंड को मालती की गांड के दरार मेँ रगडने लगी । तभी समीरा ने अपने दांए हाथ के एक उंगली को मालती के मुंह मेँ घुसा दिया, मालती उंगली को चाट चाट कर गिला कर दिया । अब समीरा गिले उंगली को मुंह से सिधे मालती की गांड के छेद मेँ अंदर पेल कर घुमाने लगी ।
फिर समीरा अपनी दोनों उंगली एक साथ उसकी गांड में अंदर-बाहर करने लगी । थोड़ी देर तक अंदर-बाहर करने के बाद समीरा उसी अवस्था में पर्स से एक कंडोम निकाल कर अपनी लंड पे चढा लिया और थोडा ऑलिव-ऑयल लंड पर डाल दिया । फिर समीरा अपनी लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया और मालती की होँठ को एक बार फिर चुमते हुए हल्के से धक्का दिया । समीरा की लंड का सुपाडा मालती की गांड में अंदर चला गया । मालती ने अपने होंठ भींच लिये, उसे थोड़ा दर्द हो रहा था ।
समीरा फिर से एक हल्का सा धक्का दिया तो उसकी पुरी लंड अब मालती की गांड मेँ चला गया । समीरा वैसे ही अपने लंड को मालती की गांड में घुसाए रखा । और धिरे से लंड को पुरा बाहर निकाल कर फिर से जड तक पेल दिया । अब समीरा कोई दस-ग्यारह बार इस प्रकार लंड को अंदर-बाहर करने लगी । फिर उसने हाथ बढ़ाकर मालती की चूचियों को मसलना शुरु कर दिया ।
थोड़ी देर तक यही सब चलता रहा, फिर समीरा ने अपनी लंड को हौले-हौले अन्दर-बाहर करने लगी । अब समीरा मालती की गाण्ड मारनी शुरु की और धीरे धीरे रफ़्तार पकड़ती चली गयी । अब मालती भी मजा लेने लगी थी, उसकी गांड की कसावट से समीरा को भी मजा आने लगा था।
समीरा अब अपनी पूरी रफ़्तार में आ चुकि थी और व मालती की गांड जोरदार तरीके से चोद रही थी । थोड़ी देर तक चुदाई करने के बाद समीरा की शरीऱ अकड़ने लगी और व मालती के गांड में तेज धक्के लगाती हुई झड़ गई । मालती ने अब अपनी आंखें खोली और देखा कि मैडम बुरी तरह से हांफ रही है । समीरा ने अपनी लंड उसकी गांड से बाहर निकाली । कंडोम पर समीरा के लंड से निकले ढेर सारे सफेद वीर्य दिख रहे थे । फिर समीरा और मालती एक-दुसरे को बाहोँ मेँ भर कर चुमती रहीँ । थोड़ी देर वैसे ही चुम्मा-चाटी के बाद मालती ने समीरा की लंड से कंडोम निकाल दिया और अपने जीभ से उसकी लंड को अच्छी तरह से चाट कर साफ किया । फिर समीरा ने भी एक भिगे हुए तौलिए से मालती की गांड की सफाई की ।
समीरा अब उठने लगी और वहीं पड़े गाउन को पहन लिया फिर पास खड़ी मालती की सर पर हाथ फेरते हुए वहां से अपने कमरे की ओर चली गई । मालती सीधे बाथरूम में घुस गई और भीतर से अपने आपको अच्छी तरह साफ करके साडी पहनकर बाहर आ गयी थी ।
समीरा जब बाहर निकली तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी, कोई उसे देख कर यह नहीं कह सकता था कि उसकी उम्र 47 के आसपास है और व तीन बच्चोँ की मां है । सेक्स उसे अच्छा लगता था या यूं कहें कि सेक्स उसकी हॉबी थी । पर एक अजीब किस्म के सेक्स उसकी हॉबी बन चुकी थी । शीमेल सेक्स ! अपने पति विजय के साथ विदेश की दौरे पर कोई बार उन लगोँ ने शीमेल के साथ मिल कर सेक्स का आनंद भी उठाया था । पर समीरा को लेसबियन सेक्स मेँ भी बहुत रुचि थी । हालांकि उसका और विजय का सेक्स जीवन खासा अच्छा नहीँ था ।
Re: celebrity sex story - उंची सोसाईटी के औरतेँ और उनकी ऐयाशी जिन्दगी
उनके तीन बच्चे भी थे, एक लडका और दो लडकी, तीनोँ बडे हो चुके थे और लंदन में रहते थे । रुपये पैसे की कमी नहीं थी, पति विजय माल्य देश के नामी रईस आदमियोँ मेँ गिने जाते हैँ । जिनकी कई फैक्ट्रियां थी और कम्पनियां थी, देश भर में बिजनेस फैला हुआ था।
इन सब के बावजुद विजय और समीरा अपने तरीके से जिंदगी गुजार लेती हैँ । कोई किसी के निजी जिंदगी मेँ दखल नहीँ रखते । जिस्मानी तौर पर पति से अलग होने पर समीरा की लेसबियन सेक्स की आदत बढ गई ।
उम्र बढने के साथ उसकी ये आदत बढती चली गई । और अपनी लेसबियन मनसुबोँ को और कामयाब बनाने के लिए समीरा ने शीमेल बनने का निश्चय कर लिया । फिर उसने फ्रांस के एक प्रसिद्ध जेंडर थेरपिष्ट की मदद से शरीर को बदल डाली । उसकी शरीर से बुर और बच्चेदानी को हटाकर एक बडा सा लंड ट्रांसप्लांट किया गया और साथ मेँ व दो साल तक testosterone की खुराक लेती रही ताकि लंड पुरी मर्द की तरह काम करने लगे । सिर्फ लंड को छोड कर पुरी शरीर पहले जैसा औरत का ही रहा ।
उसके बाद समीरा ने ढलती उम्र मेँ अपनी बदली हुई शरीर से भरपुर सेक्स का मजा उठाने लगी । माल्य साहब को भी अपनी पत्नी की बदली हुई सेक्स से कोई ऐतराज नहीँ था । सारे बच्चे भी अब दुर रहते है । व बहुत दिनोँ से अपनी जिद्दी पत्नी को आजाद कर दिया था । अब समीरा की निजी मामले मेँ दखल नहीँ देते । फिर भी दोनोँ एक अच्छे पति-पत्नी की तरह ही रहते हैँ ।
मुम्बई की डिफेन्स कॉलोनी में माल्य साहब का पुरा परिवार रहता था। आलीशान बंगला कई नौकर-चाकर रहते थे मगर इन सबमें मालती सबसे ज्यादा चहेती नौकर थी । समीरा नाश्ते के लिए आकर मेज़ पर बैठी और नाश्ता करने लगी । तभी सामने समीरा की एक और नौकरानी आई जो मालती की बहू थी और उसके सामने रखे ग्लास में जूस डालने लगी ।
उसका नाम शीतल था । देखने मेँ थोडी सी मोटी थी पर मस्त लौँडिया थी । उसकी उम्र 25 का आसपास ही थी । अभी तक कोई बच्चा नहीँ हुआ था । व रोज अपनी सास मालती के साथ काम पर आती थी ।
समीरा ने शीतल को भी नहीँ छोडी थी । जब नाश्ता करते समय शीतल की मटकती गांड देखी तो समीरा से रही नहीँ गयी । समीरा उठ कर शीतल की भारी गांड पर थपकी लगाते हुए बोली-
"आज रात को अपनी सास को लेकर आ जाना । मेरी पुरी बदन मेँ दर्द हो रहा है । तुम दोनोँ मिलकर मसाज कर देना ।"
"जी मैडम ।" शीतल अपनी गर्दन हिला कर बोली और जल्द ही अपनी सास को ये बात बताने चली गई ।
उस रात समीरा अपने कमरे मेँ सारी इंतजाम करके एकदम नंगी ही दोनोँ का इंतजार करने लगी । कुछ देर बाद मालती अकेली नाइटी पहने आई और सोफे पे चिंतित बैठ गई । उसे चिँतित बैठी देख समीरा ने विस्की की बॉटल टेबल पे रखी तो मालती ने फौरन ही उसको उठा के सोफे के पीछे रख दिया और शीतल को फोन किया तो व भी आ गयी ।
फिर समीरा ने एक ग्लास मेँ विस्की डाली तो मालती ने विस्की का ग्लास समीरा के हाथ से ले लिया और एक घूंट शीतल को भी पीला दिया जिसे शीतल ना ना करते पी गयी और इसी तरह से मालती ने तकरीबन आधा ग्लास अपनी बहू को भी पीला दिया । अब शीतल को भी मज़ा आने लगा था और थोड़ी सी ही शराब से उसको नशा चढ़ने लगा था । पहली बार विस्की पीने की वजह से शीतल जल्दी ही आउट भी हो गयी थी । उसका बदन शराब की और चूत की गर्मी से जलने लगा था ।
उसने मालती के हाथ पकड़ के उठाया और नशे मे झूमते हुए बोली के मम्मी मुझे तो बहुत ही गर्मी लग रही है और अपनी नाइटी के बटन खोलने लगी और देखते ही देखते उतार भी दिया । उसने पैँटी और ब्रा नहीँ पहनी थी और यही समीरा और मालती ने प्लान भी किया हुआ था पहले से ।
नंगी शीतल ने मालती से पूछा-
"मम्मी आपको गर्मी नहीँ लग रही है ?"
"अरे बहू, मैं तो कब से अपने बदन की आग मेँ जल रही हूं ।"
"तो आप भी अपने कपड़े निकाल दो ना "
"तुम ही निकाल दो बहु ।" मालती ने मुस्कराते हुए बोली ।
शीतल ने हाथ बढा के अपनी सास की नाइटी को भी उतार दी और अंदर से मालती भी नंगी थी । उधर समीरा कबसे हाथ मेँ एक विस्की ग्लास लिए पीये जा रही थी और सास-बहू के कारनामोँ को देख कर अपनी लंड सहला रही थी । और अब समीरा के सामने दो-दो नंगे वासना की आग मेँ जलते बदन खड़े थे । जिन्हेँ देख के समीरा की मूसल लंड भी लोहे जैसा सख़्त हो गया । अब व दो-दो बुर की गर्मी को शांत करने के लिए तय्यार था ।
कमरे मेँ धीमी लाइट जल रही थी, कमरे का माहौल बहुत ही रोमांटिक हो गया था । मालती उठते-उठते एक ग्लास भर के शराब और पी गयी थी । शीतल ने जब समीरा को लंड सहलाते हुए देखी तो लड़खड़ाती हुई करीब आ गयी । और समीरा की हिलते हुए मूसल लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और चूमने लगी और देखते ही देखते अपने मूंह मेँ डाल के चूसने लगी । थोड़ी देर उसको लंड चूसने दिया उसके बाद समीरा ने उसको बगल से पकड़ के उठाया और बेड पे लिटा दिया । समीरा उसके टांगोँ के बीच मे बैठ गयी ।
अपने सामने दो-दो नंगी बदन देख के समीरा तो पहले ही जोश मेँ आ चुकी थी । फिर शीतल की छोटी सी चूत को देख के समीरा एक दम से पागल ही हो गयी और झुक के उसकी चूत को चूमने और चाटने लगी । शीतल ने समीरा की बालोँ को पकड़ के अपनी चूत मेँ दबाने लगी ।
मालती खड़ी-खड़ी यह सब देख रही थी और अपनी टांगोँ को फैलाए हुए अपनी बुर को अपने ही हाथोँ से सहलाने लगी थी । साथ मे शराब भी पीये जा रही थी ।
समीरा ने शीतल की बुर को पूरे मूंह मेँ भर के दांतो से काटा तो उसका मूह ऊऊऊ...ईईईई..,स्स्स्स् की आवाज़ के साथ खुल गया तो मालती ने ग्लास मेँ बची हुई शराब को अपनी बहू के मूंह मेँ डाल दिया । जिससे शीतल बडी आराम से पी गयी ।
समीरा अपनी जगह से उठ कर शीतल के ऊपर लेट गयी और उसकी चुचिओँ को चूसने लगी । समीरा की लंड उसकी चूत के दरार के बीच छेद मेँ अटकी हुई थी । तभी मालती पिछे से आकर समीरा की उभरी गांड को सहलाते हुए उसकी लंड को शीतल की बुर मेँ भिडा कर ज़ोर से दबायी । समीरा की मूसल लंड पूरा का पूरा शीतल की गीली और टाइट चूत के अंदर जड़ तक उतर गया । फिर से शीतल की मूंह से सिसकारी छुट गयी तो समीरा ने मालती से बोली-
"मालती, तु शीतल की मूंह पे बैठ जा और उसको अपनी बुर का जूस पिला ।"
तो मालती बेड के ऊपर आ गयी और समीरा की तरफ मुंह करके शीतल की मूंह के ऊपर बैठ गयी और उसके मूंह मेँ अपनी चूत को रगड़ने लगी । शीतल अपनी सास की चूत को चाटने लगी जिसमे से जूस निकल रहा थी ।
समीरा कराहती हुई शीतल की बुर को चोद रही थी और साथ मेँ मालती की होंठोँ को अपने मूंह मेँ ले के चूस रही थी । मालती भी मस्ती मेँ समीरा की चुचियोँ को मसल रही थी और चूत से अपनी बहू को चोद रही थी । देखते ही देखते मालती की बदन कांपने लगा और व अपनी बहू के मूंह मेँ झड़ने लगी । जिसे शीतल जोश मेँ पी गयी और चाट-चाट कर सास की चूत को सॉफ कर दिया ।
इसी बीच समीरा गांड उछालती हुई शीतल की कसी बुर मेँ लंड अंदर-बाहर करके चोद रही थी । शीतल की चूत मेँ से लगातार जूस निकल रहा था जिससे समीरा की लंड आसानी से बुर मेँ जा रहा था । और फिर समीरा की धक्के तेज़ होते चले गये । अचानक शीतल की बदन कांपने लगा और उसने समीरा की उभरी गांड के उपर अपने पैर ज़ोर से लपेट लिए और चिल्लाते हुए झड़ने लगी ।
जैसे ही शीतल झड़ने लगी उसकी चूत बहुत टाइट हो गयी और उसकी चूत के मसल्स समीरा की मूसल लंड को निचोड़ने लगी । समीरा भी अपनी लंड को जड तक पेल दी और उसकी गरम चूत के अंदर ही अपनी सारी गरम-गरम वीर्य उडेल दिया । फिर शीतल की चुचियोँ पर अपनी चुचियां रगडते हुए ढेर हो गयी । इस बीच मालती की चूत से पानी निकल गया था और व भी फिर से खल्लास हो चुकी थी, गहरी सांसें लेती हुई व शीतल के ऊपर से लुढ़क के बगल मेँ लेट गयी ।
तीनोँ एक-दुसरे से लपेटे हांफ रहे थे । सबकी सांसेँ तेजी से चल रही थी । दोनोँ सास-बहू अपनी शीमेल मैडम की लंड से चोदाई का मजा लिया । आधा घंटे तक पडे रहने के बाद तीनोँ उठे और ग्लास मेँ विस्की निकल के फिर से पी गये और बिस्तर पर नंगे ही सो गये ।
इन सब के बावजुद विजय और समीरा अपने तरीके से जिंदगी गुजार लेती हैँ । कोई किसी के निजी जिंदगी मेँ दखल नहीँ रखते । जिस्मानी तौर पर पति से अलग होने पर समीरा की लेसबियन सेक्स की आदत बढ गई ।
उम्र बढने के साथ उसकी ये आदत बढती चली गई । और अपनी लेसबियन मनसुबोँ को और कामयाब बनाने के लिए समीरा ने शीमेल बनने का निश्चय कर लिया । फिर उसने फ्रांस के एक प्रसिद्ध जेंडर थेरपिष्ट की मदद से शरीर को बदल डाली । उसकी शरीर से बुर और बच्चेदानी को हटाकर एक बडा सा लंड ट्रांसप्लांट किया गया और साथ मेँ व दो साल तक testosterone की खुराक लेती रही ताकि लंड पुरी मर्द की तरह काम करने लगे । सिर्फ लंड को छोड कर पुरी शरीर पहले जैसा औरत का ही रहा ।
उसके बाद समीरा ने ढलती उम्र मेँ अपनी बदली हुई शरीर से भरपुर सेक्स का मजा उठाने लगी । माल्य साहब को भी अपनी पत्नी की बदली हुई सेक्स से कोई ऐतराज नहीँ था । सारे बच्चे भी अब दुर रहते है । व बहुत दिनोँ से अपनी जिद्दी पत्नी को आजाद कर दिया था । अब समीरा की निजी मामले मेँ दखल नहीँ देते । फिर भी दोनोँ एक अच्छे पति-पत्नी की तरह ही रहते हैँ ।
मुम्बई की डिफेन्स कॉलोनी में माल्य साहब का पुरा परिवार रहता था। आलीशान बंगला कई नौकर-चाकर रहते थे मगर इन सबमें मालती सबसे ज्यादा चहेती नौकर थी । समीरा नाश्ते के लिए आकर मेज़ पर बैठी और नाश्ता करने लगी । तभी सामने समीरा की एक और नौकरानी आई जो मालती की बहू थी और उसके सामने रखे ग्लास में जूस डालने लगी ।
उसका नाम शीतल था । देखने मेँ थोडी सी मोटी थी पर मस्त लौँडिया थी । उसकी उम्र 25 का आसपास ही थी । अभी तक कोई बच्चा नहीँ हुआ था । व रोज अपनी सास मालती के साथ काम पर आती थी ।
समीरा ने शीतल को भी नहीँ छोडी थी । जब नाश्ता करते समय शीतल की मटकती गांड देखी तो समीरा से रही नहीँ गयी । समीरा उठ कर शीतल की भारी गांड पर थपकी लगाते हुए बोली-
"आज रात को अपनी सास को लेकर आ जाना । मेरी पुरी बदन मेँ दर्द हो रहा है । तुम दोनोँ मिलकर मसाज कर देना ।"
"जी मैडम ।" शीतल अपनी गर्दन हिला कर बोली और जल्द ही अपनी सास को ये बात बताने चली गई ।
उस रात समीरा अपने कमरे मेँ सारी इंतजाम करके एकदम नंगी ही दोनोँ का इंतजार करने लगी । कुछ देर बाद मालती अकेली नाइटी पहने आई और सोफे पे चिंतित बैठ गई । उसे चिँतित बैठी देख समीरा ने विस्की की बॉटल टेबल पे रखी तो मालती ने फौरन ही उसको उठा के सोफे के पीछे रख दिया और शीतल को फोन किया तो व भी आ गयी ।
फिर समीरा ने एक ग्लास मेँ विस्की डाली तो मालती ने विस्की का ग्लास समीरा के हाथ से ले लिया और एक घूंट शीतल को भी पीला दिया जिसे शीतल ना ना करते पी गयी और इसी तरह से मालती ने तकरीबन आधा ग्लास अपनी बहू को भी पीला दिया । अब शीतल को भी मज़ा आने लगा था और थोड़ी सी ही शराब से उसको नशा चढ़ने लगा था । पहली बार विस्की पीने की वजह से शीतल जल्दी ही आउट भी हो गयी थी । उसका बदन शराब की और चूत की गर्मी से जलने लगा था ।
उसने मालती के हाथ पकड़ के उठाया और नशे मे झूमते हुए बोली के मम्मी मुझे तो बहुत ही गर्मी लग रही है और अपनी नाइटी के बटन खोलने लगी और देखते ही देखते उतार भी दिया । उसने पैँटी और ब्रा नहीँ पहनी थी और यही समीरा और मालती ने प्लान भी किया हुआ था पहले से ।
नंगी शीतल ने मालती से पूछा-
"मम्मी आपको गर्मी नहीँ लग रही है ?"
"अरे बहू, मैं तो कब से अपने बदन की आग मेँ जल रही हूं ।"
"तो आप भी अपने कपड़े निकाल दो ना "
"तुम ही निकाल दो बहु ।" मालती ने मुस्कराते हुए बोली ।
शीतल ने हाथ बढा के अपनी सास की नाइटी को भी उतार दी और अंदर से मालती भी नंगी थी । उधर समीरा कबसे हाथ मेँ एक विस्की ग्लास लिए पीये जा रही थी और सास-बहू के कारनामोँ को देख कर अपनी लंड सहला रही थी । और अब समीरा के सामने दो-दो नंगे वासना की आग मेँ जलते बदन खड़े थे । जिन्हेँ देख के समीरा की मूसल लंड भी लोहे जैसा सख़्त हो गया । अब व दो-दो बुर की गर्मी को शांत करने के लिए तय्यार था ।
कमरे मेँ धीमी लाइट जल रही थी, कमरे का माहौल बहुत ही रोमांटिक हो गया था । मालती उठते-उठते एक ग्लास भर के शराब और पी गयी थी । शीतल ने जब समीरा को लंड सहलाते हुए देखी तो लड़खड़ाती हुई करीब आ गयी । और समीरा की हिलते हुए मूसल लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और चूमने लगी और देखते ही देखते अपने मूंह मेँ डाल के चूसने लगी । थोड़ी देर उसको लंड चूसने दिया उसके बाद समीरा ने उसको बगल से पकड़ के उठाया और बेड पे लिटा दिया । समीरा उसके टांगोँ के बीच मे बैठ गयी ।
अपने सामने दो-दो नंगी बदन देख के समीरा तो पहले ही जोश मेँ आ चुकी थी । फिर शीतल की छोटी सी चूत को देख के समीरा एक दम से पागल ही हो गयी और झुक के उसकी चूत को चूमने और चाटने लगी । शीतल ने समीरा की बालोँ को पकड़ के अपनी चूत मेँ दबाने लगी ।
मालती खड़ी-खड़ी यह सब देख रही थी और अपनी टांगोँ को फैलाए हुए अपनी बुर को अपने ही हाथोँ से सहलाने लगी थी । साथ मे शराब भी पीये जा रही थी ।
समीरा ने शीतल की बुर को पूरे मूंह मेँ भर के दांतो से काटा तो उसका मूह ऊऊऊ...ईईईई..,स्स्स्स् की आवाज़ के साथ खुल गया तो मालती ने ग्लास मेँ बची हुई शराब को अपनी बहू के मूंह मेँ डाल दिया । जिससे शीतल बडी आराम से पी गयी ।
समीरा अपनी जगह से उठ कर शीतल के ऊपर लेट गयी और उसकी चुचिओँ को चूसने लगी । समीरा की लंड उसकी चूत के दरार के बीच छेद मेँ अटकी हुई थी । तभी मालती पिछे से आकर समीरा की उभरी गांड को सहलाते हुए उसकी लंड को शीतल की बुर मेँ भिडा कर ज़ोर से दबायी । समीरा की मूसल लंड पूरा का पूरा शीतल की गीली और टाइट चूत के अंदर जड़ तक उतर गया । फिर से शीतल की मूंह से सिसकारी छुट गयी तो समीरा ने मालती से बोली-
"मालती, तु शीतल की मूंह पे बैठ जा और उसको अपनी बुर का जूस पिला ।"
तो मालती बेड के ऊपर आ गयी और समीरा की तरफ मुंह करके शीतल की मूंह के ऊपर बैठ गयी और उसके मूंह मेँ अपनी चूत को रगड़ने लगी । शीतल अपनी सास की चूत को चाटने लगी जिसमे से जूस निकल रहा थी ।
समीरा कराहती हुई शीतल की बुर को चोद रही थी और साथ मेँ मालती की होंठोँ को अपने मूंह मेँ ले के चूस रही थी । मालती भी मस्ती मेँ समीरा की चुचियोँ को मसल रही थी और चूत से अपनी बहू को चोद रही थी । देखते ही देखते मालती की बदन कांपने लगा और व अपनी बहू के मूंह मेँ झड़ने लगी । जिसे शीतल जोश मेँ पी गयी और चाट-चाट कर सास की चूत को सॉफ कर दिया ।
इसी बीच समीरा गांड उछालती हुई शीतल की कसी बुर मेँ लंड अंदर-बाहर करके चोद रही थी । शीतल की चूत मेँ से लगातार जूस निकल रहा था जिससे समीरा की लंड आसानी से बुर मेँ जा रहा था । और फिर समीरा की धक्के तेज़ होते चले गये । अचानक शीतल की बदन कांपने लगा और उसने समीरा की उभरी गांड के उपर अपने पैर ज़ोर से लपेट लिए और चिल्लाते हुए झड़ने लगी ।
जैसे ही शीतल झड़ने लगी उसकी चूत बहुत टाइट हो गयी और उसकी चूत के मसल्स समीरा की मूसल लंड को निचोड़ने लगी । समीरा भी अपनी लंड को जड तक पेल दी और उसकी गरम चूत के अंदर ही अपनी सारी गरम-गरम वीर्य उडेल दिया । फिर शीतल की चुचियोँ पर अपनी चुचियां रगडते हुए ढेर हो गयी । इस बीच मालती की चूत से पानी निकल गया था और व भी फिर से खल्लास हो चुकी थी, गहरी सांसें लेती हुई व शीतल के ऊपर से लुढ़क के बगल मेँ लेट गयी ।
तीनोँ एक-दुसरे से लपेटे हांफ रहे थे । सबकी सांसेँ तेजी से चल रही थी । दोनोँ सास-बहू अपनी शीमेल मैडम की लंड से चोदाई का मजा लिया । आधा घंटे तक पडे रहने के बाद तीनोँ उठे और ग्लास मेँ विस्की निकल के फिर से पी गये और बिस्तर पर नंगे ही सो गये ।