nonvag sex story - पलंग तोड़ कबड्डी और पलंग पोलो

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sexy
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Re: nonvag sex story - पलंग तोड़ कबड्डी और पलंग पोलो

Unread post by sexy » 14 Dec 2016 10:54

श्रुति की कराह भी बढ़ती जा रही थी।
लेकिन वो, गाँव की “शरीफ” लड़की थी।
उसकी आँखें, अभी भी बंद थीं।
मैं उसके ऊपर से उठ पड़ा और बगल में बैठ कर चाँद की रौशनी में उसका चेहरा निहार रहा था।
वो आनंद में डूबी हुई, अपने हाथ खुद ही चबा रही थी।
मैंने धीरे से पुकारा – श्रुति.. !!
उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखा।
मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और बोला – आई लव यू.. !!
वो बोली – क्या.. !! ??
मैंने कहा – मैं तुमसे प्यार करता हूँ, श्रुति.. !!
वो एक टक मुझे ताकती रही और फिर एक झटके में उठ कर, मेरे से लिपट गई।
मैंने अपने होंठ उसकी तरफ बढ़ाए और उसने भी वही किया।
हम फिर से एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे।
मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो फ़ौरन उसने उसे अपने दांतो से दबा लिया और हल्के हल्के काटने लगी और चूसने लगी।
मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
अपना हाथ मैंने, उसके घाघरे के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया।
वो जैसे, बिल्कुल तिलमिला गई।
मैंने महसूस किया की वो नीचे पूरी गीली हो गई है।
मैंने उसके घाघरे का नाडा खींचा तो उसने एक हल्का सा विरोध किया और अपने घाघरे को पकड़ कर लेटी रही।
मैंने फिर से कोशिश की तो वो सिर हिला कर “ना ना” करने लगी।
मैं हंस पड़ा और ज़बरदस्ती उसकी डोरी खींच दी और घाघरे को नीचे सरका दिया।
मेरे सामने “जन्न्त की गुफा का दरवाजा” दिखाई पड़ रहा था।
गुफा के बाहर हल्की हल्की झाड़ियाँ उगी हुई थीं, जो की मुलायम रेशमी बालों की थीं।
उफ्फ!!
नंगी चूत.. !!
मैंने अपना हाथ उसकी नंगी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे रगड़ने लगा।
एक बार मैंने सोचा की अपना लण्ड उसके मुँह में दूँ पर फिर मैंने फ़ैसला किया की पहली बार है, पहले चोद ही लेता हूँ।
“चूसना चूसाना” अगली बार, कर लेंगे।
मैंने उसकी टाँगों को खोल दिया और अपनी एक उंगली, उसकी चूत में डाल दी।
नहीं गई, जनाब।
बड़ा ही तंग रास्ता था, उस जन्नत की गुफा का।
मैं उठा और तेल की शीशी ले कर, फिर से पलंग पर आ गया।
मैंने अपने लण्ड पर बढ़िया से तेल लगाया और फिर श्रुति की चूत में भी तेल लगाने लगा।
श्रुति, कसमसा रही थी।
मैंने निशाना लगाया और धीरे से, अपने लण्ड को उसकी चूत पर रख कर सहलाने लगा।
श्रुति, अब घबराने लगी थी।
मैंने धीरे से पुश किया।
मैं जानता था की इसकी चूत बहुत ही ज़्यादा टाइट होगी और अगर, मैंने ज़ोर ज़बरदस्ती की तो ये चिल्लाने लगेगी, दर्द के मारे।
फिर तो, बवाल होने की पूरी संभावना थी।
नीचे चाचा और जमुना चोदा चादी करने के बाद, एक ही बिस्तर में एक दूसरे से गुथम गुत्था सो रहे थे।
अगर, वो उठ जाते तो मेरी तो खैर नहीं थी।
इसलिए, मैंने श्रुति से कहा – श्रुति, अब मैं तुझे चोदने जा रहा हूँ.. !! मेरी बात ध्यान से सुनो.. !! जब मैं अपना लण्ड तुम्हारी चूत में डालूँगा तो तुम्हें थोड़ा दर्द होगा.. !! क्योंकि ये तुम्हारा पहली बार हैं.. !! इसलिए.. !! लेकिन, कुछ देर बाद ये दर्द चला जाएगा और तुम्हें मैं भरपूर मज़ा और आनंद दूँगा.. !! तो प्लीज़, एकदम आवाज़ नहीं करना.. !! ठीक है.. !! क्यूंकी अगर किसी ने सुन लिया तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.. !!
श्रुति ने कोई जवाब नहीं दिया। बस “हाँ” में सिर हिला दिया।
मैंने फिर कहा – श्रुति, ये मेरा वादा है मैं तुम्हें भरपूर सुख दूँगा.. !! इतना मज़ा तुम्हें पहले कभी नहीं आया होगा.. !! तुमने तो खुद जमुना को आनंद में चीखते हुए, सुना ही है.. !!
श्रुति ने फिर सिर हिलाया।
मैं अब तैयार था।
मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा।
श्रुति, सनसना रही थी।
उसका शरीर मारे उत्तेजना के काँप रहा था।
मैंने फिर शुभारंभ किया।

टोपी को घुसने में ही, मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी।
ना जाने, आगे क्या होने वाला था।
मैंने अपने तेल लगे हुए लण्ड को, छेद पर रखा और एक ज़ोर का झटका लगाया।
साथ ही, मैंने श्रुति के मुँह पर अपना हाथ ढक्कन की तरह चिपका दिया।
श्रुति के मुँह से, घुट घुटि चीख निकल गई।
उसको लगा जैसे, किसी ने उसकी चूत में एक “दो धारी तलवार” डाल दी है।
उसकी आँखों से, आँसू छलक आए।
मैंने अपना हाथ नहीं हटाया और एक और झटका लगाया।
अभी तक सिर्फ़ सुपाड़ा ही अंदर गया था।
मुझे खुद, काफ़ी जलन हो रही थी।
श्रुति मेरे नीचे से निकलने के लिए तड़प रही थी और पूरे ज़ोर से, मुझे धकेलने की कोशिश कर रही थी।
मैं जानता था की अगर, आज मैं हार गया तो ये चिड़िया कभी मेरे फंदे में नहीं आईगी।
उसकी चूत भी, बहुत ज़्यादा टाइट थी।
मैंने अपने दाँतों को दबाते हुए, एक और धक्का मारा।
करीब 80% तक, मेरा लण्ड उसकी चूत में धँस गया था।
मैंने अपना हाथ नहीं हटाया था।
श्रुति जैसे, रहम की भीख माँग रही थी।
मैंने उसको फुसफुसा के बोला – एकदम शांत पड़ी रहो, वरना और दर्द होगा.. !! अभी 2-3 मिनट में, सब ठीक हो जाएगा.. !!
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके दूध को चूसने लगा और उसके निप्पल को अपने दाँतों से सहलाने लगा।
थोड़ी देर बाद, श्रुति का जिस्म थोड़ा ढीला पड़ा और वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने फाइनल धक्का मारा।
मेरा लण्ड पूरी तरह, श्रुति की चूत की गिरफत में था।
मैं फिर शांत पड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद, मैंने अंदर बाहर करना शुरू किया।
बहुत धीरे धीरे।
श्रुति के जिस्म में भी, हरकत होने लगी थी।
उसने अपनी बाहों का हार, मेरी गर्देन के चारों तरफ डाल दिया था और अपनी कमर भी थोड़ा थोड़ा उठाने लगी थी।
मैं समझ गया की शिकार अब चुदवाने के लिए, तैयार है।
मैंने दूसरा गियर डाला और स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी।

कसम लण्ड के बाल की!! इतना मज़ा मैंने कभी भी महसूस नहीं किया था।
मैं नहीं जानता था की लौंडिया को चोदने में इतना मज़ा आता है।
हम “मिशनरी पोज़िशन” में चुदाई कर रहे थे।
श्रुति भी हाँफ रही थी और सिसकारी भर रही थी।
उसका दर्द अब ख़त्म हो गया था और वो अपनी जवानी लूटा कर, जवानी के मज़े लूट रही थी।
उसके हाथ मेरी पीठ पर काफ़ी तेज़ी से घूम रहे थे और मैं “जबरदस्त चुदाई” कर रहा था।
मेरी रफ़्तार टॉप गियर पर थी और हम दोनों के मुँह से, आहें निकल रही थीं।
मैं बीच बीच में झुक कर, उसकी चूचियों को अपने मुँह में दबोच लेता था और ज़ोर ज़ोर से चूसते हुए उसको चोद रहा था।
श्रुति की सिसकारियाँ, अब चीख में बदल रही थीं पर वो मेरे कहे मुताबिक, सावधान थी और हल्के हल्के ही चीख रही थी।
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. !! उन्हम्म.. !! इनयः इस्स उफ्फ फूहस आह हह आ आ आ आह उन्म आह आ हह आह.. !! आह आह अहह.. !! नहीं स स स स स.. !! उन्हम्मह म म म म म.. !! आहम्म उईईए सस्स्शह.. !! अहहआहम्म.. !! मर र र र र र गई ई ई ई ई ई.. !! या या आह आ आ आ ह ह ह ह ह.. !!
अचानक श्रुति का शरीर अकड़ने लगा और वो ज़ोर से मचलने लगी।
उसकी बाहों का दायरा कसने लगा और वो ज़ोर से मेरी छाती में चिपक कर, झड़ गई।
मैंने अपने लण्ड पर उस के उबाल की गरमी को महसूस किया।
श्रुति अब, निढाल पड़ी थी ।
मैंने और रफ़्तार बड़ाई और उसको दबा दबा के चोदने लगा।
उसका “कामरस” उसकी चूत में मेरे लण्ड के घर्षण से फूच फूच की आवाज़ पैदा कर रहा था।
मैं तो सातवें आसमान की सैर कर रहा था और धक्के लगाए जा रहा था।
1-2 मिनट के बाद, मेरी साँस भी रुकने लगी।
मेरी गोलियों में तनाव पैदा होने लगा और मैं भी गया।
मैंने दना दना कई फव्वारे खोल दिए, श्रुति की चूत में और गले सा अजीब सी आवाज़ निकालते हुए, श्रुति के ऊपर ही गिर पड़ा।
मैं आनंद के सागर में हिलोरे ले रहा था और मुझे पता था की श्रुति भी हिलोरे ले रही होगी।
थोड़ी देर बाद, श्रुति कसमासने लगी और मुझे धकेलने लगी।
मैं उठा और पलट कर वहीं सो गया।
सुबह भोर में जब मेरी आँखें खुली तो सुबह हो गये थी और पेट में चूहे दौड़ रहे थे।
भूख के मारे, बुरा हाल था।
अचानक, मुझे होश आया की श्रुति बिल्कुल “नंगी” मेरे पास ही सो रही थी।
उसकी नंगी काया को देखते ही, मेरा लण्ड फिर से जोश में आने लगा।
उसके होठों पर, एक प्यारी सी मुस्कान तैर रही थी।
उसके दूध, खुली रौशनी में बहुत ही प्यारे लग रहे थे।
मैं अपने को रोक ना पाया और उसकी एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरी छाती को, अपने हाथों से मसलने लगा।
श्रुति की आँख खुल गई।
उसने भी तुरंत प्यार से मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और फिर, हम एक दूसरे के होठों का रस पीने लगे।
अचानक, मुझे झटका लगा और मैं हड़बड़ा के उठ गया।
श्रुति से बोला – जल्दी कपड़े पहनो और निकलो.. !!
किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।
वो भी हड़बड़ा के उठी और अपनी चोली और लहंगा पहन कर, धीरे से वहाँ से निकल गई।
शुक्र था की अभी घर के लोग सो कर नहीं उठे थे क्योंकि सब रात को शादी से, बहुत देर से आए थे।
समाप्त.. .. .. ..

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