hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू

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rajkumari
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Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू

Unread post by rajkumari » 20 Jan 2017 09:52

"अरमान...."इस नाम ने वहाँ बाइक स्टॅंड पर बैठे सभी लोगो की ज़िंदगी मे खलबली मचा कर रखी थी....उन सबको ये हजम नही हो रहा था कि कल का आया हुआ लौंडा उनकी छमियो के साथ ऐसा बर्ताव करे.....वरुण अपने बाइक पर टेक दिए किसी शानशाह की तरह बैठा हुआ था, लेकिन उस वक़्त उसे ये नही मालूम था कि आज उसकी शानशाह की गद्दी ज़मीन मे गिरने वाली थी......

"औन, कम वित मी ,बिग्गेस्ट चूतियास ऑफ दिस कॉलेज यहाँ बैठे है अपनी गान्ड पसार कर...बहन के लोडो जाकर पढ़ाई करो ,वरना इस साल भी फैल हो जाओगे....."मैने बोला और जोश - जोश मे अरुण भी बोल पड़ा "और तू वरुण, साले तुझसे बड़ा गधा मैने अपनी पूरी ज़िंदगी मे नही देखा, साले तुझे शरम नही आती क्या जो 7 साल से फैल होता आ रहा है, बक्चोद ,म्सी ,बीसी, फ्सी, ए टू Z सी"

"ये सब मुझसे बोल रहा है क्या..."वरुण एक झटके मे खड़ा हो गया,

मैं जानता था कि अब यदि उसने मुझे धर लिया तो ज़िंदा नही छोड़ेगा..लेकिन मैं क्या करता रिस्क तो लेना ही था क्यूंकी ये सब हमारे प्लान का हिस्सा था और वैसे भी एमरान हाशमी ने कहा है कि जो रिस्क नही लेता उसका सबकुछ रिस्की हो जाता है.....

" वरुण ,तू एक बात बता ,तू हर साल फैल हो जाता है तो तेरे घरवाले तुझे गालियाँ नही देते क्या, साले तेरी शादी के लिए जब लड़कीवाले आएँगे तब तू क्या बोलेगा कि तूने 8 साल इंजिनियरिंग की लेकिन फिर भी इज़ीनियरिंग. कंप्लीट नही कर पाया....अबे चोदु एन्वाइरन्मेंट जैसे सब्जेक्ट मे तू फैल हुआ है , उस सब्जेक्ट मे तो अगर मैं दाए की बजाए बाए हाथ से भी लिखता तो पास हो जाता...."

अरुण लगातार वरुण के सर पर डंडे मारे जा रहा था और उसका असर भी वरुण पर होने लगा था , वो अपने दोस्तो के साथ गुस्से से मेरी तरफ भागा, और वहाँ मैं और अरुण भी भाग दिए.....मैं और अरुण आगे और वरुण और उसके दोस्त पीछे थे,...

"यार अरुण यदि , सीडार भाई वाला प्लान काम नही किया तो..."

"अबे डरा मत, तेरे चक्कर मे आके मैने भी वरुण को इतनी गालियाँ दे दी है कि, अब वो मुझे भी ज़िंदा नही छोड़ेगा...."
"चल और तेज भाग ,वरना ये साले पकड़ लेंगे...."
भागते-भागते मैं और अरुण ठीक उसी ग्राउंड पर पहुचे जहाँ कुछ दिनो पहले मेरी इज़्ज़त की खाल उतारी गयी थी....वहाँ ग्राउंड पर पहुच कर हम दोनो रुक गये.....

"ला तो बे, बात देना...आज इसकी सारी चर्बी उतार देता हूँ, बीसी हमसे पंगा लेगा...."
"सब मेरे पैर पकड़ कर माफी माँग लो, वरना ऐसी पेलाइ होगी कि महीनो मूठ मारने के काबिल नही रहोगे....."
सबसे पहले वरुण आगे बढ़ा लेकिन तभी सीडार पूरे हॉस्टिल वालो को लेकर वहाँ आ पहुचा जिन्हे देखकर वरुण और उसके दोस्त की हालत खराब हो गयी....मेरी तरफ बढ़ते हुए वरुण के कदम वही रुक गये और वो कभी मेरी तरफ देखता तो कभी सीडार की तरफ तो कभी हॉस्टिल के लड़को की तरफ.....
"तुझे बोला था ना, अपनी औकात मे रहना...."सीडार ने आते ही एक लात वरुण को जमा दी....
"सीडार, ये तेरा मामला नही है..."
"क्या बोला था मैने....हॉस्टिल वालो को हाथ तक मत लगा देना, लेकिन तू नही माना...."
"अबे ओये सीडार....आज इतने सारे लौन्डे तेरे साथ है इसीलिए उचक रहा है....भूल मत मैं तेरा सूपर सीनियर हूँ...."
"बीसी बोलता बहुत है....."ना जाने अरुण को क्या हुआ और उसने एक थप्पड़ वरुण के गाल पर धर दिया"उस दिन बाइक स्टॅंड का हिसाब चुकता हुआ..."
"अबे देख क्या रहे हो, मारो सालो को..."वरुण ने वहाँ मौजूद अपने दोस्तो से कहा....
वरुण और उसके दोस्त हमसे भीड़ पड़े, लेकिन हम उनसे कयि गुना ज़्यादा थे इसलिए चन्द मिनट मे ही हमने उन सबको बुरी तरह मारा, लात से, हाथ से उन सबको फूटबाल की तरह धोया और कुछ देर मे ही वरुण और उसके दोस्त ज़मीन पर लेटे कराह रहे थे......
"क्या हाल है गधे..."जहाँ वरुण लेटा हुआ था, उसके पास जाकर मैने कहा और पूरी ताक़त के साथ एक झापड़ उसके गाल पर दे मारा....साला क्या पॉवर थी उसके गाल पर खून जम गया....और उसका फेस रंग बिरंगा हो गया, एक तरफ का गाल सफेद तो दूसरी तरफ का एक दम लाल......
"चल पुश अप कर...."आराम से वहाँ बैठकर मैने वरुण से कहा.....
"आइ कॅन'ट..."रोते हुए उसने कहा....
"आ जाओ भाई लोग...."
आज भी वही होने वाला था जो कुछ दिन पहले इसी ग्राउंड पर हुआ था ,लेकिन फरक सिर्फ़ इतना सा था कि आज ग्राउंड पर मेरी जगह मुझे लिटाने वाला लेटा हुआ था और उसके उपर कूदने की बारी मेरी थी....और यदि टेक्निकल लॅंग्वेज मे बोला जाए तो इसे "थियरी ऑफ रेलेटिविटी ऑर फ्रेम ऑफ रेफरेन्स "भी कह सकते है ,

"सॉरी...."वरुण ने मरी सी आवाज़ मे कहा, उस दिन की तरह ही आज उसके मुँह से खून निकल रहा था...उस दिन की तरह ही आज उसका शरीर वहाँ की धूल मे सना हुआ था....
"रुक क्यूँ गये सब पेलो सबको...आख़िर थियरी ऑफ रेलेटिविटी का प्रिन्सिपल जो प्रूव करना है...."
"तुझे छोड़ूँगा नही..."
"सॉरी वरुण सर, आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते....मार तो आपको ही खाना पड़ेगा "
"मैं चलता हूँ, नेक्स्ट क्लास अटेंड करनी है..."सीडार भाई ने अपनी घड़ी मे देखते हुए कहा और अपने कपड़े को ठीक किया...
"पर अभी तो रिसेस ख़तम होने मे बहुत टाइम है...."
"होड ने आज पहले बुलाया है, मैं चलता हूँ , तुम लोग ऐश करो...."इतना कहकर सीडार वहाँ से चला गया....
"बीसी , रुक क्यूँ गया , पुश अप कर..."पिछवाड़े पर एक ज़ोर की लात मारकर मैने वरुण से कहा, और मेरी देखा सीखी मे बाकियो के भी पिछवाड़े पर लात पड़े.....

"बस , अब और नही...."हान्फते हुए वरुण बोला....
वरुण के दोस्त तो कब के सरेंडर कर चुके थे और उन सबका मार खा के बुरा हाल भी था, उन सबकी हालत देख कर मन मे आया की छोड़ दूं, लेकिन तभी अरुण मेरे पास आया और मेरे कान मे कुछ ऐसा कहा ,जिसे सुनकर मैं फ़ौरन वरुण के पास पहुचा....
"चल जल्दी कर अभी 100 बार और उपर नीचे होना है...."
"ना, अब हिम्मत नही है..."पसीने से भीगा हुआ वरुण ज़मीन पर लेट गया और लंभी लंभी साँसे लेने लगा....
"एक शर्त मे छोड़ूँगा तुझे..."
"हहाआंन्न...."
"उन पाँचो चुदैलो को यहा कॉल करके बुला...."
मेरा अंदेशा जानकार वरुण ने सॉफ मना कर दिया और उसी वक़्त अरुण ने पास पड़ा हुआ एक मोटा सा डंडा उठाकर वरुण के सर पर निशाना लगाया और ज़ोर से डंडे को उसके सर पर ना मारकर ज़मीन पर दे मारा....वरुण ने सोचा कि अरुण उसे मारने वाला है ,इसीलिए वो ज़ोर से चिल्लाता हुआ बोला कि वो तैयार है उन पाँचो चुदैलो को यहा बुलाने के लिए......

"पानी दो वरुण सर को...."वरुण जब हान्फते हुए उठकर वहाँ बैठा तब मैने अपने ही क्लास वाले एक लड़के से कहा और भीड़ की झुंड मे से किसी ने बोला कि वरुण को पानी नही अपना मूत पिला दे....खैर मैने ऐसा कुछ भी नही किया और वरुण को बोतल वाला पानी ही पिलाया.....
"विभा, कहाँ हो...."वरुण ने विभा को कॉल किया और मैने उसे लाउडस्पिकर ऑन करने का इशारा किया...
"कब से ढूँढ रही हूँ तुझे....चूत मे खुज़ली हो रही है...कहाँ हो तुम...."
"ग़ज़ब...."मैं धीरे से बोला और सबको इशारा किया कि कोई नही हँसेगा.....
"मैं, वो ग्राउंड पर हूँ...."वरुण मेरी तरफ देखते हुए विभा से बोला"यहीं आ जाओ..."
"उसी ग्राउंड पर ना जहाँ कुछ दिन पहले हमने फर्स्ट एअर के एक लड़के की रॅगिंग ली थी...."
मोबाइल का लाउडस्पिकर अब भी ऑन था और मैं सब कुछ सुन रहा था, "आजा चुड़ैल , तू आजा एक बार "मैने खुद से बोला....
"हाँ, उसी ग्राउंड पर मैं हूँ..."
" ,यहाँ मेरी चूत जली जा रही है और तुम वहाँ क्या कर रहे हो....तुमने तो कहा था कि रिसेस मे बाइक स्टॅंड पर मिलना, और जब मैं वहाँ पहुचि तो ना तो तुम वहाँ थे और ना ही तुम्हारा कोई दोस्त...."
"तू अपनी चूत मे उंगली डाल और सीधे ग्राउंड पहुच...वरना बहुत बुरी तरह गान्ड मारूँगा अगली बार....समझी"
"ओके , आइ आम कमिंग...कॉंडम है ना इस बार, याद है लास्ट टाइम बहुत प्राब्लम हुई थी..."
"सब है, तू आजा जल्दी से..."
"फ्लेवर कौन सा है, आइ लाइक स्ट्रॉबेरी वाला कॉंडम...."
वरुण ने अपना सर पीटकर कॉल डिसकनेक्ट कर दी और फिर मेरी तरफ देखने लगा, जाने उसे ऐसा क्यूँ लगने लगा कि मैं उसे और उसकी महबूबा को वहाँ से सही-सलामत जाने दूँगा.... हम मे से सभी सीनियर्स वहाँ से चले गये और ग्राउंड पर उस वक़्त फर्स्ट एअर के 20-25 लड़के मौजूद थे....हम सब अलग-अलग जगह पर छिप गये थे और वरुण को वापस से पुश अप करने के लिए बोल दिया था और उसे ये भी बोला था कि यदि वो इस बीच कहीं रुका तो हम सब उसे पागल कुत्ता समझ कर उसपर पत्थर फेकेंगे....
"वरुण..व्हाट दा फक ?"अपनी स्कूटी से उतरकर विभा ,वरुण की तरफ भागी और उसी बीच मैं बाहर निकला और वरुण के पास खड़े हो गया....
"सुन बे झक़लेट , यदि तू एक पल्स के लिए भी रुका तो सब के सब मिलकर मारेंगे तुझे...ना ही रुकना और ना ही कुछ बोलना...."मैं धीरे से बोला...
विभा जब वरुण और मेरे एकदम करीब आ गयी तो मैने अपना दाया पैर उठाया और पुश अप कर रहे वरुण के उपर रख दिया,...,जिससे वरुण रुक गया.
"आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते, अब उपर उठे हो तो नीचे तो जाना पड़ेगा ड्यू टू ग्रॅविटी..."वरुण के पीठ पर पाँव से दबाव बना कर मैने कहा......
विभा समझ गयी कि कुछ गड़बड़ है, वरना...... उसने अपने आस-पास देखा तो उसे उसके बाकी दोस्त भी पड़े दिखाई दिए....
"ये सब तुमने किया क्या ?"
"हाँ, सूपर पॉवर है मेरे पास, आँखे गुस्से से नीली हो जाती है और मुझे दर्द नही होता, भले ही कोई पूरे कॉलेज की बिल्डिंग उठा कर मेरे उपर पटक दे "
"तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अपने सीनियर पर हाथ उठाओ,"विभा ने मुझसे कहा और फिर वरुण की तरफ देख कर बोली"कमोन वरुण, उठो..."
"ये तो आज उठ चुका.....अब तेरी बारी है..."
"दूध दबा दे अरमान, पटक कर पेल दे इसे, झक्कास माल है, छोड़ना मत...."ये मैने अंदर ही अंदर सोचा और विभा से बोला"टेन्निस बॉल का रेट क्या है..."
"हाऐईयईईन्न्णणन्....."
"ज़्यादा चौकने की ज़रूरत नही है, जब ज़मीन पर पड़े इस गधे से तू चूत-लंड की बात कर सकती है तो फिर टेन्निस बॉल के बारे मे बात करने मे क्या हर्ज़ है......चल बता तेरे टेन्निस बॉल टाइट है या ढीले-ढाले...."
"एकदम टाइट...."
"साइज़ क्या है..."
"व्हाट...."नाक सिकोडकर विभा बोली,
"मैं नही डरा, इसलिए अपना ये बनावटी गुस्सा उतार कर फेक दो...."कहते हुए मैने वरुण की तरफ नज़र दौड़ाई....साला ज़मीन पर पड़ा हाँफ रहा था, इस वक़्त उसकी साँसे ही इतनी तेज चल रही थी कि वो हमारी आवाज़ नही सुन सकता था और हमे देखने के लिए वो अपना सर घुमाए ,इतनी उसमे एनर्जी नही बची थी.......
"साइज़ नही बताया "मैने अपना सवाल दोहराया...
"व्हाई आरे यू डूयिंग दिस वित मी...."वो परेशान होकर बोली...
"उस दिन इसी ग्राउंड पर सॅंडल पहन कर जब मेरे उपर कूद रही थी, तब ये समझ मे नही आया था क्या तुझे, रोज कॉलेज के बॅक गेट पर खड़े होकर दूसरो को गाली देना, कॅंटीन मे बैठे एक भूखे लड़के के चेहरे पर समोसा लगाते वक़्त तेरे जेहन मे ये ख़याल क्यूँ नही आया...."
"सॉरी...."अपनी आँखो मे दया की भीख लिए विभा बोली, वहाँ आस-पास खड़े मेरे सभी दोस्तो का हंस-हंस कर बुरा हाल था...जब विभा ने सॉरी बोला तो अरुण अपने चिर-परिचित अंदाज़ मे मेरे पास आया....
"सॉरी से काम नही चलेगा, मैं तो गान्ड मारूँगा...."
"अववववव......"
"अरुण तू इन सबको संभाल, मैं विभा डार्लिंग को कोंटे मे लेकर जाता हूँ...."

अरुण मुझपर बहुत चिल्लाया, मुझे बहुत रोका और कहा कि तू तो दीपिका मॅम के मज़े लेता है, विभा को मेरे साथ भेज दे,...लेकिन मैं नही माना और विभा का ज़बरदस्ती हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गया.....हमारा कॉलेज सिटी से दूर लंबे-चौड़े एरिया मे फैला हुआ था, जहाँ हद से ज़्यादा हरियाली थी , झाड़ी-झुँझटी, जंगल सब कुछ था....

"डू यू लाइक गॅंग-बंग ऑर सिंगल सेक्स अट आ टाइम..."चलते-चलते जब हम दोनो ग्राउंड से बहुत दूर आ गये तो मैने विभा से पुछा और उसका हाथ छोड़ दिया.....
"अरमान , मैं कोई स्लट नही हूँ, जो हर किसी के साथ वो सब कुछ करूँ...."
"मतलब कि सिंगल सेक्स "
"मैं केस कर दूँगी...."
"किसलिए...."
"अटेंप्ट टू रेप, और तुम्हे मालूम ही होगा कि अटेंप्ट टू रेप ऑर रेप की सज़ा सेम है...."
"फिर तो रेप ही करना पड़ेगा....."
अब मैं विभा को लेकर घनी हरियाली मे घुस रहा था, जैसे-जैसे हम दोनो आगे बढ़ते विभा का चेहरा भी हरा होता जा रहा था, और एक जगह पर आकर वो रुक गयी....
"मैं शोर मचा दूँगी और कॉलेज मे कंप्लेंट भी करूँगी कि तुमने मेरे साथ मिस्बेहेव किया...."
विभा की बात पर मैं मुस्कुराया और बोला"मेरे ख़याल से मेरे पीठ पर तुम्हारे सॅंडल के निशान अभी तक मौजूद है और यदि मैने इसकी कंप्लेंट की तो तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारे उन सारे फ्रेंड्स की लाइफ बर्बाद हो जाएगी,जो उस दिन ग्राउंड पर मौजूद थे,..."
विभा गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी और विभा को देखकर मैने अंदाज़ा लगाया कि वो मुझे अंदर ही अंदर गालियाँ दे रही है.....
"खड़े मत रहो, जल्दी चलो....क्यूंकी 2-3 घंटो से पहले मैं नही झाड़ता ,और यदि दो राउंड मारने की सोची तो फिर 6-7 घंटे बुक....."
ये सुनकर तो विभा की हालत और खराब हो गयी, वो ज़मीन आसमान एक करके सोचने लगी कि मुझसे कैसे बचा जाए, वो वहाँ से भाग भी सकती थी,लेकिन उसके कदम मेरी रॅगिंग वाली धमकी के कारण बँधे हुए थे.....वो डरी हुई थी और उसका डर बढ़ाने के लिए मैने एक और मिज़ाइल छोड़ी.....
"जल्दी सोचो, क्यूंकी जब मैं तुम्हारे साथ कबड्डी खेलूँगा तो उसका वीडियो भी रेकॉर्ड करूँगा, और यदि अंधेरा ज़्यादा हो गया तो वीडियो क्वालिटी अच्छी नही आएगी....."
"प्लीज़ वीडियो रेकॉर्ड मत करना...."उसके कदम आख़िर कार मेरी तरफ बढ़ाया, वो मेरे पास आकर बोली"मैं बदनाम हो जाउन्गी...."
"मैं तो हॉस्टिल मे हर एक को वो वीडियो सेंड करूँगा, साथ ही साथ फ़ेसबुक मे फेंक आइडी से अपलोड करके , सारे टीचर्स को टॅग भी करूँगा...."

"प्लीज़ ऐसा मत करना...."वो रोते हुए बोली"यदि तुमने ऐसा किया तो मैं स्यूयिसाइड कर लूँगी...."

"स्यूयिसाइड....."उसकी तरफ देखकर मैने कहा"और तुम जैसो की वजह से जो स्टूडेंट स्यूयिसाइड करते है, उनके बारे मे कभी सोचा है....आज पता चलेगा कि घुट-घुट के अपना सर झुका कर जीना किसे कहते है, मुझे उस दिन कैसा लगा होगा, जब तुमने कॅंटीन मे सबके सामने मेरे फेस पर समोसा लगाया था, उसे तो मैं भूल भी जाउ....लेकिन उस दिन ग्राउंड पर जब तुम और तुम्हारी चुड़ैल फ्रेंड्स अपनी धारदार सॅंडल पहन कर मेरे पीठ पर नाच रही थी....बीसी दूसरो की जान की कोई कीमत नही समझते हो तुम लोग और आज खुद पे बन आई तो औकात पे आ गये...."मैं कुछ देर के लिए रुका और फिर चिल्ला कर बोला...
"आज 2 नही 3 राउंड मारूँगा, और यदि मूड हुआ तो पूरी रात चोदुन्गा और इस बीच तूने ज़रा सी भी आवाज़ की तो....हर दिन चोदुन्गा..."
उस दिन मुझे लड़कियो के बारे मे एक और चीज़ मालूम चली, लड़किया भले ही कितनी भी आगे निकल जाए, वो भले ही शेर बनती फिरती रहे....लेकिन जब उनकी बारी आती है तो वो वही जाने-पहचाने अंदाज़ मे रोना-गाना शुरू कर देती है.....जैसा कि विभा अभी कर रही थी, जब मैं विभा को लेकर ग्राउंड से निकला था तो सोचा था कि वो तुरंत अपनी चूत मे लंड ले लेगी और थोड़ी हिम्मत , थोड़ी डेरिंग भी शो करेगी...लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ था...वो इस वक़्त सड़क के बीचो बीच अपने घुटनो पर बैठ कर रो रही थी.....
"चल नाटक बंद कर, जहाँ तुझे चोदुन्गा वो अड्डा बस पास मे ही है...."उसका हाथ पकड़ कर मैने उसे उठाया,....वो चुप-चाप मेरे साथ चलने लगी ,बगैर कुछ बोले....
"एक बार मैने एक लड़की को चोदा था और जोश-जोश मे अपना पूरा हाथ घुसा दिया था...."मैं अब भी उसकी फाड़ने मे लगा हुआ था.....लेकिन वो चुप रही...सड़क पर चलते-चलते मैने अपना एक हाथ उसके सीने पर रखा और दूसरे हाथ को उसके कंधे पर रखकर उसे अपनी तरफ खींच लिया...मैने उसे खुद से सटा लिया था और यदि हमे उस वक़्त कोई देखता तो वो बस यही कहता कि "वो देखो लैला-मजनू की जोड़ी जा रही है...."
विभा पूरे रास्ते भर अपना सर नीचे किए सिसकती हुई चलती रही....
"जाओ...."मैने जब विभा से ये कहा तो उसने हैरत भरी नज़रों से मेरी तरफ देखा, जैसे उसे यकीन नही हुआ हो कि मैने उसे जाने के लिए कहा है.....
"मुझे मालूम है कि मैं बहुत हॅंडसम हूँ, लेकिन अब मुझे देखने के बजाय ,सामने देखो....तुम्हारी स्कूटी खड़ी है...."
एक बार फिर वो चुप थी, वो चुप-चाप कभी मुझे देखती तो कभी अपनी स्कूटी की तरफ....लेकिन फिर कुछ देर बाद वो मुझे ही घूर्ने लगी,
"साली पट तो नही गयी ,मुझसे "उसकी देखकर मैने कहा, लेकिन जब वो फिर भी मुझे घूरती रही तो मैने कसकर एक तमाचा उसके गाल पर मार दिया और वो चौक कर होश मे आई....
"देखा, ये सपना नही है, ...अब जल्दी से चले जाओ...."
"तुम तो कह रहे थे कि........"
"सब झूठ था..."उसे बीच मे ही रोक कर मैने कहा"मेरा वैसा इरादा बिल्कुल भी नही था,...मैने जब तुम्हे यहाँ बुलाया तो समझ गया कि हॉस्टिल के मेरे दोस्त तुम पर टूट पड़ेंगे और तब मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ, और उन हवस के प्यासो से तुम्हे बचाने के लिए ही मैं तुम्हे अपने साथ ले गया था, क्यूंकी मुझे मालूम था कि वो कुछ देर मे यहाँ से चले जाएँगे.....लेकिन मैने ये भी सोचा था कि तुम्हारे दोस्त, तुम्हारा यार वरुण तुम्हे कॉल करेगा, पर अफ़सोस कि उसने एक कॉल तो क्या एक मेसेज तक नही किया...."
"ववव...वो...."वो हकलाते हुए बोली, अब उसकी आँखे खुशी से भर आई थी"मोबाइल साइलेंट मे था...."
"आई ला, साला इतना बढ़िया डाइलॉग मारा था, उसकी माँ बहन एक कर दी...."
"मैं जाउ...."अपनी स्कूटी की तरफ देखकर वो बोली..."थॅंक्स..."
"और एक बात, जो तुमसे कहनी थी...."
"बोलो..."
"आइ आम स्टिल वर्जिन, सिर्फ़ 61-62 किया है....वहाँ मैने तुमसे दो घंटे, तीन घंटे...वाली जो भी बात कही, वो सब झूठ थी...."
वो मुस्कुराने लगी और अपनी स्कूटी स्टार्ट की तब मैने एक और बार उसे टोका"एक और बात है, जो कहनी थी..."
"बोलो..."पहले की तरह ही उसने मुस्कुरा के कहा....
"मैं तुम्हारा वीडियो भी नही बना सकता था...क्यूंकी मेरा मोबाइल मेरे बॅग मे ही है...."
"अब जाउ, या कुछ और कहना है..."
"एक सलाह लेती जाओ...वरुण ने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हे यहाँ बुला लिया था, तो हो सके तो अपने लिए कोई दूसरा बॉय फ्रेंड ढूँढ लेना...."

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Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू

Unread post by rajkumari » 20 Jan 2017 09:53

जब हॉस्टिल पहुचा तो मेरे दोस्त अगल बगल ऐसे खड़े थे जैसे कि कोई बहुत बड़ा शानशाह घुसा हो....सब मुझे देख - देख कर मुस्कुरा रहे थे, अभी मैं अपने रूम मे पहुचा तक नही था कि छोटी हाइट का मालिक ,भू वहाँ आया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला...
"चोदा उसे...."
मैने आस-पास खड़े लड़को को देखा और धीरे से कहा "नही बे, छोड़ दिया, बेचारी रोने लगी थी...."
"गे है तू,"पता नही उस वक़्त अरुण कहाँ से टपक पड़ा और दूसरी तरफ से उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और दाँत चबाते हुए गुस्से से बोला"कुत्ते, ना तो खुद किया और ना ही मुझे करने दिया, अब मैं तुझे चोदुन्गा....चल रूम मे तू"

जैसे ही सबको मालूम चला कि मैने विभा के साथ कुछ नही किया है तो सब मुझे गालियाँ देने लगे, कुछ बोल रहे थे कि इतना बढ़िया मौका मैने हाथ से जाने दिया....कुछ ने ये भी कहा की चोदु बना रहा है हमे, उधर माल को ठोक भी दिया और यहाँ आके होशियारी छोड़ रहा है.....और बाकी जितने बचे सबने गे की उपाधि दे डाली, लेकिन उन सबको क्या पता कि इस दिल के अरमान तो कुछ और ही थे.......
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वरुण और उसके दोस्तो की हॉस्टिल वालो ने धुलाई की ,ये खबर रात-ओ-रात लगभग सबको मालूम पड़ चुकी थी और जो दो नाम उच्छल कर सामने आए थे वो थे सीडार और अरमान....फर्स्ट एअर के एक लड़के ने अपने सीनियर को बुरी तरह धोया, ये खबर लगभग हर कोई जानने लगा था, जिसका मतलब था कि कॉलेज मे मेरी पॉप्युलॅरिटी शेयर मार्केट के सेंसेक्श की तरह रातो रात बढ़ चुकी थी.....वरुण की पिलाई से जहा कुछ लोग खुश थे वही बहुत से लोग ऐसे थे, जिनको मैने अपना दुश्मन बना लिया था....दूसरे दिन से फिर वही घिसी पीटी ज़िंदगी शुरू हो गयी, लेकिन आज मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गाते से ना जाकर सामने वाले गेट से गये....आज मुझे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था कि कौन जूनियर है और कौन सीनियर और जब मैं फर्स्ट एअर की क्लास वाली कॉरिडर मे पहुचा तो वहाँ क्लास के बाहर खड़े सभी स्टूडेंट्स की नज़र मुझ पर ज़म गयी....
"देखा बे, मेरे साथ चलने का फ़ायदा" बकवास करते हुए अरुण बोला
"सुबह सुबह खा मत....अभी कुर्रे भी आएगा और फिज़िक्स के लॉ पढ़ा-पढ़ा के सर पर हथौड़ा मारेगा....."
क्लास मे बॅग रख कर मैं बाहर आ गया लेकिन अरुण किसी लड़के की कॉपी से सीजी का असाइनमेंट कॉपी करने लगा,....क्लास शुरू होने मे अभी टाइम था, इसलिए मैने बाहर खड़े लड़को के साथ गप्पे शप्पे मारना ही बेहतर समझा, वहाँ कुछ लड़के हॉस्टिल के भी थे तो कुछ लड़के सिटी वाले भी थे, सब अपनी आँखो मे चमक लिए मुझसे पुछ रहे थे कि क्या मैने सच मे वरुण और उसके दोस्तो को मारा या ये सिर्फ़ एक अफवाह है......

"अरमान के केस मे जो कुछ भी होता है वो सब हक़ीक़त होती है, अफवाहे तो इस चोदु के केस मे बनती है, जो अपने नोकिया 1200 मे मेसेज टाइप कर रहा है....."भू की तरफ देखकर मैने इशारा किया और उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया....
"अबे मेरी माल का मेसेज आने वाला है, बक्चोदि मत कर...."
"लवदा माल, तेरे से कौन लड़की पटेगी बे...."
"ये वही लड़की है...."
"कौन वही...."
"अबे वही...."
"बीसी नाम बता..."
"एश...."भू शरमा कर बोला, वो एश का नाम बताते वक़्त ऐसे शर्मा रहा जैसे की हल्दी लगाने वाली रस्म हो रही हो,....
मैने नंबर देखा, साला सच मे एश से मेसेज-मेसेज खेल रहा था, यकीन तो नही हो रहा था लेकिन एश का जब रिप्लाइ आया तो मुझे यकीन करना पड़ा.....
"कहाँ हो...."एश ने मेसेज किया...
"अपनी क्लास के बाहर खड़ा हूँ, "
"मैं तुम्हे पहचानूँगी कैसे..."
"तुम बस कॉलेज आओ, मैं तुम्हे पहचान लूँगा......"
"क्लास से बाहर निकलो, मैं बस पहुचने ही वाली हूँ...."
"मैं बाहर ही हूँ...."मेसेज टाइप करके भू ने एश को सेंड कर दिया, और वहाँ खड़े सभी लड़को का मुँह खुला रह गया है, खुद मेरा भी बुरा हाल था कि इसने एश को मिलने के लिए राज़ी कर लिया....कही ये इससे पट गयी तो ...

"एश...."इस नाम को मैं हॉस्पिटल वाले कांड से भूलने लगा था ,लेकिन आज भू और एश के बीच हुए इस मेसेज-मेसेज के खेल ने मेरे अंदर एक टीस पैदा कर दी थी, पूरे जहाँ मे वो एश और गौतम के बीच का लव सीन फिर याद आ गया....और जब कॉरिडर मे एश को गौतम के साथ आते हुए देखा तो दिल से आवाज़ आई कि काश एश गौतम को छोड़ कर मेरे पास आ जाए, दिल से आवाज़ आई कि काश गौतम को दूसरी लड़की पसंद आ जाए, और वो एश को छोड़ दे, आवाज़ आई कि काश एश के दिल मे भी मेरे लिए वही अरमान जाग जाए जो अरमान मेरे दिल मे उसके लिए थे......


तभी जोरदार आवाज़ आई, किसी ने किसी को कस कर थप्पड़ मारा था, और जब नज़रें आवाज़ की तरफ हुई तो हँसी के साथ गुस्सा भी उफन पड़ा, गौतम ने भू को करारा तमाचा मारा था, हँसी इसलिए आ रही थी क्यूंकी भू जहाँ कुछ देर पहले एश के लिए अपने अरमानो को उछाल रहा था वो अब अपने गाल सहला रहा था, गुस्सा इसलिए आया क्यूंकी जिसको पाने की तमन्ना कॉलेज के पहले दिन से थी उसके बॉय फ्रेंड ने मेरे दोस्त को मारा था........

"ओये लंगूर की औलाद, शकल तो देख लेता आईने मे मुझे मेसेज करने से पहले...."एश भू का मज़ाक उड़ा रही थी और गौतम जिसने अभी हाल फिलहाल मे भू को तमाचा जड़ा था वो भी हंस रहा था........

गौतम कॉलेज का फेमस स्टूडेंट था और वरुण का करीबी भी था, रंग-रूप और चाल चलन उसकी रहिसी को दिखाती थी, और कल रात हॉस्टिल मे किसी ने मुझे ये बताया था कि वरुण की तरह वो भी बड़ी हार्ड रॅगिंग लेता है और इसी सिलसिले मे कुछ दिनो पहले कॉलेज से डिसमिस होते होते बचा था, हुआ कुछ यूँ था कि सिटी बस मे उसने फर्स्ट एअर के एक लड़के के बाल पकड़ कर चलती बस की खिड़की से बाहर फेक दिया था......

"सुन बे लंगूर, दोबारा यदि एश के आस-पास भटका तो पूरे कॉलेज मे दौड़ा दौड़ा कर मारूँगा....."गौतम अपनी सीनियारिटी की अकड़ दिखाते हुए बोला....

"साइन्स कहता है सभी इंसान के पूर्वज बंदर और लंगूर थे, इसलिए अपने बाप-दादा की इज़्ज़त करो....."भू के कंधे पर हाथ रखकर मैने कहा"दोबारा हाथ उठाया तो हाथ तोड़ दूँगा..."

उस वक़्त मुझमे वो हिम्मत शायद जलन की वजह से आई थी, वरना भू मेरा उतना खास दोस्त नही था कि मैं उसके लिए लड़ाई करता फिरू....

"क्या बोला बे..."
"इसको दूर कर दे वरना, लड़की के सामने बेज़्जती हो जाएगी...."मेरा इशारा एश की तरफ था, जो हालत वहाँ गौतम की थी वही हालत एश की भी थी, मेरे लिए गौतम के साथ साथ एश के मन मे नफ़रत थी......

"एश जान....तुम यही खड़ी रहना, मैं देखता हूँ कि कल का आया ये क्या करता है..."कहते हुए उसने एक बार और भू को मारा....

"ऐसा क्या, फिर ये ले..."मैं उससे थोड़ा पीछे गया और कसकर एक थप्पड़ गौतम को जड़ दिया,...


वो थप्पड़ मैने अपनी पूरी ताक़त के साथ मारा था, इसलिए उसकी गूँज सबके कानो तक तो पहुचनी थी, वहाँ खड़े सभी स्टूडेंट्स मे से हर किसी की आँखे बड़ी हो गयी तो किसी का मुँह खुला का खुला रह गया, कुछ लड़कियो ने अपने मुँह पर हाथ रखकर लड़कियो वाली स्टाइल मे अवववव भी किया....फर्स्ट एअर की सभी क्लास मे जितने भी स्टूडेंट्स बैठे थे वो सब लड़ाई का नाम सुनकर बाहर कॉरिडर पर आ गये, तब मुझे लगा कि गौतम को नही मारना चाहिए था,...गौतम की गर्ल फ्रेंड भी वही खड़ी थी,इसलिए वो उसके सामने मुझे गाली नही दे सकता था और मेरे सामने जिसे मैं गर्लफ्रेंड बनाना चाहता था वो खड़ी थी, इसलिए उस वक़्त गाली तो मैं भी नही दे सकता था....

"चल साइड मे साले..."मेरा कॉलर पकड़ कर गौतम ने बोला और जवाब मे मैने भी अपने दोनो हाथो से उसका कॉलर कसकर पकड़ लिया.....

"तू खुद को समझता क्या है बे, तुझे ज़रा भी अंदाज़ा है कि हू आम आइ आंड व्हाट कॅन आइ डू "दाँत पीसकर उसने धीरे से कहा...

"मेरा हाथ फ्रिकशन्लेस है, यदि एक बार मारना शुरू करूँगा तो मारता ही जाउन्गा और जिसे मारता हूँ उसका क्या हाल होता है ये तू वरुण से पुछ लेना....."

गौतम थोड़ा ढीला पड़ गया मेरी बात सुनकर और मुझसे पुछा कि मैं रहता कहाँ हूँ और जब मैने उसे बताया कि मैं हॉस्टिल का हूँ तू उसने मेरा नाम पुछा....

"अरमान...."मैने अपना नाम बताया और मेरे इस नाम का बहुत ज़्यादा असर गौतम पर हुआ उसने तुरंत मेरे गिरेबान से अपना हाथ हटा लिया....

"सीडार के दम पे उचक रहा है तू, अगले साल क्या करेगा जब वो निकल जाएगा...."

"मैं इस एक साल मे ही तुम लोगो की इतनी मार लूँगा कि अगले साल की ज़रूरत ही नही पड़ेगी..."

"अबे अरमान मार साले को..."भू ने चिल्लाकर कर कहा,

"तू चुप बे फुद्दु, वरना एक हाथ मारूँगा तो यही से नीचे गिर जाएगा...."

"चल छोड़ ,मुझे क्लास अटेंड करनी है"कहते हुए मैने गौतम को दूर धकेला और क्लास मे जाने लगा, तभी गौतम की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी....

"यदि इतना ही दम है तो आज रिसेस के टाइम पर कॅंटीन मे मिलना...."

"सॉरी, टाइम नही है..." पीछे मुड़े बिना ही मैने कहा और क्लास के अंदर घुस गया,...

जिनसे थोड़ी बहुत पहचान थी वो सभी अपने क्लास से बाहर निकल आए थे, लेकिन जो मेरा सबसे खास दोस्त था, जो मेरा रूम मेट होने के साथ साथ मेरा क्लासमेट, मेरा बेंच मेट था वही बस क्लास से बाहर नही आया था, और इसका पता मुझे तब लगा जब मैने क्लास मे घुसते ही अरुण को असाइनमेंट लिखते हुए देखा,....

"क्या लिख रहा है..."मैं नॉर्मल होता हुआ बोला, जबकि सच तो ये था कि मैं उस वक़्त बहुत ही गुस्से मे था.....अरुण को तो ये तक नही मालूम था कि कुछ देर पहले मेरी लड़ाई एश के बाय्फ्रेंड से हो रही थी....

"कहाँ था तू...."असाइनमेंट छापते हुए उसने कहा...
"बाहर गया था , क्यूँ "
"अभी कुछ देर पहले आता तो मस्त नज़ारा दिखाता तुझे, बाहर दो लौन्डो की लड़ाई हो रही थी..."
"किन दो लौन्डो को..."
"मालूम नही, मैं तो असाइनमेंट लिख रहा था...."
उसके अगले ही पल मैने अरुण को एक मुक्का जड़कर कहा "साले बाहर मैं एक सीनियर से लड़ रहा था और तू यहाँ बैठकर पढ़ाई कर रहा था...."

"तेरी लड़ाई "वो चौक गया "नाम बता साले का ,क्लास मे घुस कर मारेंगे..."

"गौतम, मेकॅनिकल सेकेंड एअर....एश का बाय्फ्रेंड..."गौतम का नाम सुनकर अरुण के तेवर कम हो गये और फिर से असाइनमेंट लिखने लगा,
"फॅट गयी ना, उसका नाम सुनकर..."
"मैं किसी से नही डरता..."
"तो चल ना, चल क्लास मे घुसकर मारते है उसे...."
"कभी और..."
"साला नौटंकी...."बॅग खोलते हुए मैने अरुण से पुछा"आज फर्स्ट क्लास किसकी है..."
"दीपिका मॅम की "
दीपिका मॅम का नाम सुनते ही एक बार फिर से मूड ऑफ हो गया क्यूंकी आज असाइनमेंट चेक करना था , और असाइनमेंट करना तो दूर मैने अभी तक कॉपी ही नही खरीदी थी, उपर से लास्ट असाइनमेंट भी इनकंप्लीट था,...जैसे जैसे समय बीतता गया बाहर खड़े सभी स्टूडेंट अंदर आने लगे, मेरी नज़र एक बार फिर सबकी तरफ थी, मैं चाहता था कि इस बार कोई तो ऐसा हो जो असाइनमेंट ना करने वालो की लिस्ट मे अपना नाम लिखवाए,लेकिन उस दिन भी मैं अकेला ही था.. साले सब पढ़ाकू की औलाद थे....
"अरमान, ..."
"एस मॅम" खड़े होकर मैने अपना सर झुका लिया....
"तुम्हारे दो असाइनमेंट थे, याद है ना..."
"यस मॅम"सर झुकाकर ही मैने जवाब दिया...
"गुड...लाओ,चेक कर देती हूँ..."
"असाइनमेंट तो मैने नही किया , सॉरी मॅम, अगली बार तीनो असाइनमेंट एक साथ चेक करा दूँगा...."मैने सोचा कि इस एक्सक्यूस से शायद कोई बात बन जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ, दीपिका मॅम बिल्ली की तरह मुझे घूरती रही और फिर मेरा रोल नंबर नोट करके ,मुझे प्रॅक्टिकल मे कम नंबर देने की धमकी दी और फिर बैठा दिया.....
"लोलोलोलोलोलोलो....."अरुण खीस निपोर्ते हुए बोला
"ये क्या है बे लोलोलोलोलो...."
"कुछ नही, तू इसे एक बार हवेली मे लेके आजा कसम से साल भर का असाइनमेंट एक बार मे इसे दे दूँगा, साली के क्या चुत होगी क्या दूध होंगे , यदि ये मुझसे चुद जाए तो कसम से मैं अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई छोड़ दूं....."
"तेरा इनस्पेक्टर बाप तुझे जैल मे डाल देगा ,यदि तूने इंजिनियरिंग छोड़ी तो...."
"अरुण आंड अरमान...."
"जी...जी मॅम"हम दोनो बौखला गये और कॉपी खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगे....
"गेट आउट...."
"क्या मॅम...."
"गेट लॉस्ट....अब सुनाई दिया...."
"गेट लॉस्ट....अब सुनाई दिया"
"येस मॅम "
"सब बीसी तेरी ग़लती है, ना तू उसके दूध और चूत की बात करता , ना मैं हंसता और ना ही वो हमे बाहर निकालती...."क्लास से बाहर निकलते ही मैं अरुण पर बरस पड़ा....
"घंटा मेरी ग़लती है, तू ही मुँह फाड़ कर हंस रहा था..."
अरुण अपनी ग़लती मानने से तो रहा उपर से जब हमे बाहर कर दिया गया तो वो अपनी हथेलिया रगड़ते हुए मुझसे दीपिका मॅम के बारे मे पुछने लगा कि उस दिन कंप्यूटर लॅब मे क्या हुआ था, मैने कहाँ कहाँ टच किया था....वो सिसकारिया ले रही थी या नही....एट्सेटरा. एट्सेटरा.
"साली ब्लूफिल्म दिखा कर जोश दिखा रही थी मुझे...."
"आगे बता..."
"आगे क्या बताऊ, शुरू मे मेरा मन नही था, लेकिन फिर वो हार्डकोर फक्किंग वाला बाय्फ्रेंड देखकर खड़ा हो गया मेरा और मैने उसकी चुचिया पकड़ ली...."
"आगे बता,..."
"फिर थोड़ा सा दबाया..."
"अच्छा फिर..."
"फिर उसने खड़े लंड पर हथौड़ा मार दिया , बोली कि अब जाओ..."
"एक बात समझ मे नही आई..."अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए अरुण बोला"जब तेरे और उसके बीच मे इतना सब कुछ हो चुका है, फिर वो असाइनमेंट के लिए तुझे हर दिन छोड़ देती है...."
"धीरे बोल,..."
"तू कहीं मुझे चोदु तो नही बना रहा...."
"गान्ड मरा ले , जो सच था वो बता दिया...."
वहाँ क्लास के बाहर और भी कयि बाते हुई , बहुत देर तक हुई....और जब पीरियड ख़तम हुआ तो दीपिका मॅम बाहर आकर हम दोनो के पास खड़ी हो गयी और हम दोनो का रोल नंबर. नोट कर के बोली....
"आज तो छोड़ दे रही हूँ, लेकिन अगली बार से ध्यान रखना...."ये उसने अरुण की तरफ देखकर कहा और फिर मेरी तरफ देख कर वो बोली"और तुम, रिसेस मे आकर कंप्यूटर लॅब मे मिलना...."
"ज...जी मॅम..."
वो एक बार मुस्कुराइ और पीछे पलटकर अपनी गान्ड मटकाते हुए चल दी......नेक्स्ट क्लास होड़ की थी और वो सब्जेक्ट रिलेटेड पढ़ाने की बजाय आज दुनिया दारी की बाते करने के मूड मे थे, पहले उन्होने इंडिया और दूसरे देशो की तुलना की और फिर उनके सब्जेक्ट की स्टडी कैसे करना है, ये बताने लगे और आख़िरी मे प्लेसमेंट के टॉपिक पर आ धम्के और बोला कि इंजिनियरिंग के चार साल कैसे निकल जाएँगे मालूम नही चलेगा, इसलिए अभी से पढ़ाई करना शुरू कर दो, ताकि फ्यूचर मे जॉब के लिए भटकना ना पड़े....उन्होने ये भी कहा कि आजकल इंजिनियर इतने ज़्यादा हो गये हैं कि यदि पत्थर उठा के सड़क पर मारोगे तो वो कुत्ते को नही एक इंजिनियर को लगेगा....साले ने बेज़्जती कर के रख दी, उनके क्लास से जो एक बात ध्यान मे आई वो ये थी कि मैने अभी तक एक भी सब्जेक्ट का बुक खोलकर नही देखा था, ऐसे मे मैं टॉप कैसे मारूँगा.....इसलिए मैने आज हॉस्टिल जाकर पढ़ने की सोची....

"पढ़ना पड़ेगा यार...."होड़ सर का भाषण अब भी जारी था, "चल कल सुबह 4 बजे से उठ कर स्टडी करेंगे..."
"लवदा 4 बजे तो मेरे सोने का टाइम है...."
"सीधे बोल ना कि दम नही है..."
"बाद मे बात करना ,अभी कहीं दीपिका मॅम की तरह ये भी हमे बाहर ना कर दे...."अरुण चुप हो गया और बड़े ध्यान से होड़ का लेक्चर सुनने लगा.....
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कुछ लोग जिन्होने गौतम से मेरी लड़ाई देखी थी ,वो यही सोच रहे थे कि मैं आज रिसेस मे कॅंटीन जाउन्गा, लेकिन मेरा ऐसा बिल्कुल भी मूड नही था, और वैसे भी आज दीपिका मॅम ने मुझे बुलाया था,...पहले दिन तो मैं डर भी रहा था और थोड़ी सी झिझक भी थी, लेकिन फिर मेरे अंदर बैठे मर्द ने कहा कि जब वो लड़की होकर ऐसी हरकते कर रही है तो तू क्या डर रहा है, मार दे साली की चूत......

"मे आइ कम इन...."अंदर आने के लिए मैने पर्मिशन माँगी....

"ओह अरमान....कम इन, कम इन....मैं तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी...."

"साली कितनी जल्दी रंग बदलती है, नागिन कही की...."अंदर घुसते हुए मैने उस दिन की तरह आज भी ये देखा कि कोई वहाँ है या नही, और उस दिन की तरह आज भी वहाँ कोई नही था,...दीपिका मॅम चेयर पर बैठी नेल कटर से अपने नखुनो का साइज़ बराबर कर रही थी.....
"आपने ने बुलाया...."
"उस दिन कैसा लगा था..."
"एकदम बेकार.....बिल्कुल भी मज़ा नही आया..."मैने जानबूझ कर ऐसा कहा, मैं देखना चाहता था कि उसका रियेक्शन क्या होता है, और जैसा मैने सोचा था था दीपिका मॅम का रियेक्शन बद से बदतर होता जा रहा था...आज तक मैने सिर्फ़ सुना था कि लड़कियो को अपनी बुराई बिल्कुल भी पसंद नही होती, और आज देख भी लिया था और तो और दीपिका मॅम का गुस्सा इस कदर बढ़ गया कि वो लगभग चिल्लाती हुए मुझे असाइनमेंट कंप्लीट ना करने की पनिशमेंट देते हुए मेरा डबल कर दिया......

"नॉर्मली एक हफ्ते मे दो असाइनमेंट मतलब कि एक महीने के 8 और इस हिसाब से 6 महीने के 8क्ष6=48 हुए, और ये अब डबल कर रही है मतलब कि 96 फिर 4 और दे दे बीसी , सेंचुरी मार लूँगा "दीपिका मॅम की तरफ देखते हुए मैने उसे पूरे खानदान की गली दे डाली और फिर बोला "मॅम, मैं तो मज़ाक कर रहा था, आक्च्युयली उस दिन बहुत ज़्यादा मज़ा आया , उस दिन जैसी बेटर फीलिंग्स मुझे कभी नही हुई....आप मुझे कभी भी ,किसी भी समय बुला लो, मैं आ जाउन्गा....मैं तो बस मज़ाक कर रहा था..."कुछ देर पहले रंग बदलने वाली नागिन मैने दीपिका मॅम को कहा था, लेकिन अब रंग मैं भी बदल रहा था.....
"मैं भी मज़ाक ही कर रही थी...."नागिन की तरह उसने एक बार फिर रंग बदला और अपने नखुनो पर फूक मार कर नेल कटर को अपने पर्स मे रखकर लिपस्टिक निकाल कर बोली"खड़े क्यूँ हो ,बैठ जाओ...."

अपने होंठो पर लिपस्टिक लगाते हुए वो बीच बीच मे अक्सर मुझे देखती और फिर अपने काम मे लग जाती.....मुझे नही पता था कि मैं इतना सारीफ़ था या सरीफ़ बनने का नाटक कर रहा था,पर मैं जो भी था बहुत अजीब ही था,क्यूंकी यदि मेरी जगह वहाँ कोई और होता, तो वो मेरी तरह दीपिका मॅम के सामने वाली चेयर पर शांत नही बैठा रहता, यदि मेरी जगह कोई और होता यदि अरुण ही होता तो मैं पक्का यकीन के साथ कह सकता हूँ वो दीपिका मॅम पर झपट्टा मार कर उन्हे चोद देता, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया, मैं शांत, चुप चाप वही दीपिका मॅम के सामने बैठा रहा.......

"तुम असाइनमेंट कंप्लीट क्यूँ नही करते, पढ़ते नही हो क्या हॉस्टिल मे..."

"नो मॅम, ऐसी बात नही है..."मेरी नज़र अब भी उनके होंठो पर थी ,जो लिपस्टिक लगाने के कारण गुलाबी थे"वो आक्च्युयली आज कल टाइम की थोड़ी किल्लत है...."

"लड़ाई झगड़े के लिए टाइम मिल जाता है , स्टडी के लिए नही....ऐसा क्यूँ ? "

मैं थोड़ा सकपका गया, जब उसने ऐसा कहा तो"आपको कैसे पता..."

"कॉलेज का स्टूडेंट क्या करता है ,क्या नही करता वो कॉलेज स्टाफ को मालूम रहता है ,लेकिन हम कुछ नही बोलते...."लिपस्टिक लगाने के बाद दीपिका मॅम ने अपने दोनो होंठो को जोड़ा....

"मतलब कि सबको पता है कि मैने उस साले वरुण को"

"यस....आंड बिहेव लाइक आ स्टूडेंट, डॉन'ट यूज़ वर्ड्स लाइक साले,अबे हियर..."
"सॉरी मॅम..."
"सो व्हाट ईज़ युवर नेक्स्ट प्लान...."
"किस बारे मे..."मैने सोचा कि वो अब उस दिन की तरह चुदाई की बात करेगी,
"वरुण और उसके दोस्त तुम्हे ऐसे नही छोड़ेंगे...."
"फिर से पेलुँगा सालो को,..."मैं जोश मे आते हुए बोला...
"मैने बोला ना, डॉन'ट यूज़ वर्ड्स लाइक साले,अबे.....और ये क्या है पेलुँगा..."
"सॉरी मॅम...."
"विभा के साथ तुमने मिस्बेहेव किया...."
"इसको तो सब पता है "मैं चुप ही रहा....
"शी ईज़ माइ फ्रेंड और उसी ने बताया मुझे...."
"सब कुछ बता दिया ?"
"हां...."अपना मेकप बंद करके उसने अब पहली बार मुझे अच्छे से देखा,उसके पर्फ्यूम की खुश्बू बड़ी जबर्दश्त थी और ना चाहते हुए भी मैने दीपिका मॅम की तरफ अपना चेहरा किया.....
"आज रात क्या कर रहे हो...."
"कुछ नही..."मैं ये बोलना चाहता था, लेकिन तब तक दीपिका मॅम अपनी चेयर से उठकर मेरी ही चेयर पर मेरी तरफ अपना फेस करके मेरे उपर बैठ गयी थी, और वो पहला मौका था जब उसका पिछवाड़ा मेरी जाँघो पर महसूस हुआ....उस वक़्त मुझे ना चाहते हुए भी बहुत अच्छा लगा, बहुत ही अच्छा महसूस हुआ.

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