hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू

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rajkumari
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Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू

Unread post by rajkumari » 20 Jan 2017 09:48

आज के दिन कॉलेज मे कोई ऐसी आने वाली थी, जिसे नही आना चाहिए था, उस दिन भी मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर गये और सीधे अपनी क्लास के अंदर दस्तक दी....नवीन पहले से ही आ चुका था...
"चल बाहर से आते है..."मैं अपनी सीट पर बैठा ही था कि नवीन ने अपने बॅग मे कुछ टटोलते हुए मुझसे बोला....
"क्यूँ....क्या हुआ ? "
"लगता है, बाइक की चाबी बाइक मे ही लगी रह गयी..."उसने घबराहट मे जवाब दिया...
मैने सोचा,अरुण को इसके साथ भेज दूं, लेकिन अरुण तो पीछे किसी से जान पहचान बना रहा था इसलिए मुझे ही उसके साथ जाना पड़ा....
"बाइक मे लगी है चाबी..."बाइक मे चाबी लगी देखकर नवीन ने राहत की साँस ली...
हम दोनो अभी बाइक स्टॅंड पर ही खड़े थे कि एक तेज़ी से आती हुई एक कार ने वहाँ खड़े सभी लोगो का ध्यान खींचा....कार देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि अंदर बैठे हुए शक्स की हसियत कितनी ज़्यादा है....
"कोई रहीस बाप का लौंडा होगा..."मैने सोचा, लेकिन मेरी सोच मुझे तब धोका दे गयी, जब उस चमचमाती कार से लड़के की जगह एक लड़की बाहर आई,...लड़की क्या पूरी मॉडर्न अप्सरा थी वो, इयररिंग से लेकर उसके सॅंडल तक उसकी रहिसी और उसकी मॉडर्न जमाने के रंग मे रंगी उसकी शक्सियत की पहचान करा रही थी....पहले तो मैने उस लड़की को पूरा उपर से लेकर नीचे तक देखा और बाद मे मेरे नज़र अपने आप उस जगह पर अटक गयी, जो एक लड़की मे मुझे सबसे अधिक पसंद था,...और ऐसी हरकत करने वाला मैं वहाँ अकेला नही था, वहाँ खड़े लगभग सभी लड़कों का यही हाल था, सब अपनी पसंदीदा जगह देख कर ललचा रहे थे.....
"ये कौन है..."मैने नवीन से पुछा तो उसने जवाब मे कंधे उचका कर मना कर दिया....
वैसे तो उस कॉलेज मे बहुत सारी खूबसूरत लड़किया थी,लेकिन वो लड़की जो अभी-अभी कार से बाहर आई थी ,वो उनमे से सबसे अलग लगी मुझे...ऐसा मुझे क्यूँ लगा इसका रीज़न आज तक मैं नही जान पाया......उसे देखकर मैं और नवीन वही खड़े रह गये, हमारे कदम ज़मीन पर और आँखे उस लड़की पर ही जमी हुई थी....उसके साथ कार से एक और भी लड़की बाहर निकली, जो उसकी करीबी फ्रेंड होगी, ऐसा मैने मान लिया....
"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....

"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....
"एश...."मैने भी दिल ही दिल मे ये नाम लिया, और बहुत खुश भी हुआ और मेरे अरमान उसे देखकर बाहर आए
"इसको तो पटाना पड़ेगा..."
"क्या...?"नवीन बोला...
"कुछ नही, चल क्लास शुरू हो गयी होगी..."
बरसो से कुछ लफ्ज़ , कुछ अल्फ़ाज़ बड़ी मुश्किल और शिद्दत से लिख रखे थे मैने किसी के लिए, जो मेरे लिए खास हो और आज एसा को देखकर वो अल्फ़ाज़ मेरे दिल से बाहर आने के लिए मचल रहे थे......
"व्हेनएवेर आइ क्लोज़ माइ आइज़ , आइ सॉ मेनी फेसस इन माइ माइंड बट वन फेस ऑल्वेज़ रिमेन सेम इन माइ माइंड, इन माइ हार्ट......"


दट फेस ईज़ माइ लव........


"व्हेनएवेर आइ हियर एनी सॉंग , आइ फील हर इन एवेरी वर्ड ऑफ दट सॉंग, आइ हियर ,.हर वाय्स इन एवेरी बीट्स ऑफ दा सॉंग......"


दट वाय्स ईज़ माइ लव........


"व्हेनएवेर आइ फील एंपटिनेस इन माइ लाइफ, आइ सॉ आ ड्रीम वित माइ ओपन आइज़,

इन विच आन एंजल कम्ज़ इन माइ ड्रीम......"


दट एंजल ईज़ माइ लव........
.
"बाहर...बाहर, बिल्कुल बाहर..."दमयंती मॅम ने मुझसे कहा, जब मैने उनसे अंदर आने की पर्मिशन माँगी तो"ये क्या तुम्हारा घर है..."
"सॉरी मॅम..."नज़रें झुका कर मासूम बनने का नाटक करते हुए मैं बोला...
लेकिन मेरी उस मासूमियत का दम्मो रानी पर कोई असर नही हुआ, और उपर से उसने धमकी भी दे डाली कि यदि मैने उससे बहस की तो वो आने वाले 3 दिन तक अटेंडेन्स नही देगी
कल से ये सब कुछ मेरे साथ पहली बार हो रहा था, पहले कभी भी किसी ने क्लास से बाहर नही भगाया था, इसलिए मुझे मालूम तक नही था कि , टाइम पास कैसे करूँ ,उस समय कॉलेज मे घूम भी नही सकता था, क्या पता कोई सीनियर पकड़ कर रॅगिंग ले ले....दिल कर रहा था कि दमयंती के बाल पकडू और घसीट कर उसे क्लास से बाहर कर दूं....
"अंदर आ जाओ, और अगली बार से समय का ख़याल रखना..."दम्मो रानी ने मेरी तरफ देखा ,शायद मेरी झूठी मासूमियत और भोलेपन को उसने असली समझ लिया था....जब क्लास के अंदर आया तो एक बार फिर पूरी क्लास मुझे घूर रही थी, कुछ मुझपर हंस भी रहे थे और कलेजा तब जल गया तब देखा कि अरुण भी हंस रहा है....

"और बेटा, कहाँ घूम रहा थे तुम दोनो..."मैं अरुण के लेफ्ट साइड मे बैठा और नवीन राइट साइड मे बैठ गया...

"कहीं नही यार, बाइक स्टॅंड तक गये थे..."नवीन बोला"टाइम से वापस भी आ जाते यदि वो लड़की नही दिखी होती तो...."

"कौन लड़की बे, जल्दी बता..."

मॅम को शक़ ना हो इसलिए हम तीनो अपनी कॉपी मे सामने बोर्ड पर लिखा हुआ सब कुछ छाप रहे थे, और धीमी आवाज़ मे गप्पे भी लड़ा रहे थे.....

"मालूम नही कौन है, लेकिन है एकदम करारी आइटम....उसके सामने तो दीपिका भी कम है..."सामने बोर्ड की तरफ देखकर मैं बोला,...

एक दो बार दम्मो रानी से मेरी नज़र भी मिली, तब मैने अपना सर उपर नीचे करके उसे अहसास दिलाया कि मुझे सब कुछ समझ आ रहा है , जबकि ऐसा कुछ भी नही था, मैं तो उस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे सोच रहा था, उस वक़्त मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे बात करना चाहता था....

"कितना अच्छा हो , यदि इस दम्मो की जगह वो अप्सरा हमे मेद्स पढ़ाए...."दिल के अरमानो ने एक बार फिर घंटिया बजाई, और इन घंटियो को किसी ने बहुत ज़ोर से बजाया....

"मॅम..."क्लास के गेट की तरफ से किसी की आवाज़ आई....और जब नज़ारे उस तरफ मूडी तो बस वही जमकर रह गयी, गेट पर एसा खड़ी थी...

"यस..."मैथ वाली मॅम ने एश से कहा...

"ये भी इसी क्लास मे पढ़ेगी ,"खुश तो बहुत हुआ था , बेंच पर कूद कूद कर डॅन्स करना चाहता था, अरुण और नवीन से कहना चाहता था कि"तुम लोग यहाँ से उठ जाओ बे, वो यहाँ बैठेगी..."लेकिन अफ़सोस तब हुआ जब वो बोली कि....
"मॅम सीएस ब्रांच की क्लास कौन सी है..."
" "
कॉरिडर मे सबसे पहला क्लास हमारा ही था, इसलिए वो शायद हमारे क्लास मे अपनी क्लास पुछने आई थी, सोचा कि रो रो कर उसे इस बात का अहसास दिलाऊ कि मैं कितना दुखी हूँ, उसके यूँ जाने से , अरुण मेरे अंदर की बेचैनी को समझ गया और बोला...
"ओये, ये नाटक बंद कर, नाउ कॉन्सेंट्रेट ओन्ली ऑन दीपिका मॅम"

एश तो अपनी क्लास मे चली गयी, लेकिन उसकी छाप मेरे दिल पर वो छोड़ गयी थी, और एश की छाप केवल मुझपर ही नही पड़ी थी, और बहुत से लोग थे, जिनका दिल एश के इस तरह से जाने के कारण उदास था....अरुण और नवीन भी इसी लिस्ट मे थे.....

"वो मेरी माल है, उसको देखना भी मत..."एश के जाने के बाद मैने फिर से बोर्ड पर नज़र गढ़ाई और जो कुछ भी दम्मो रानी लिख रही थी, मैं उसे अपनी नोटबुक मे छापते हुए उन दोनो से बोला....

"सेट तो मुझसे ही होगी..."नवीन ने कहा...

"गान्ड मे भर लो सब लड़कियो को, दीपिका को देखोगे तब भी यही बोलॉगे कि ये मेरी माल है, एश को देखोगे तब भी यही बोलोगे कि ये मेरी माल है, किसी और लड़की को भी देखोगे तो वो भी तुम दोनो की ही आइटम है, मैं यहाँ हिलाने आया हूँ है ना "

मैं और नवीन हंस पड़े, और एक बार फिर दमयंती मॅम अपनी ज्वालामुखी नज़रों से हम दोनो को घूर्ने लगी, दमयंती के इस तरह से देखने के कारण मैं और नवीन चुप हो गये और एकदम सीरीयस स्टूडेंट बनकर सामने डेस्क पर रखी बुक्स के पन्ने उलटने लगे.....

"चल आजा कॅंटीन से आते है..."रिसेस मे अरुण ने मुझसे कॅंटीन चलने के लिए कहा, और मेरी आँखो के सामने वो नज़ारा छा गया जब वरुण की आइटम मेरे चेहरे से प्यार कर रही थी....मैने अरुण को सॉफ मना कर दिया कि मैं कॅंटीन की तरफ नही जाउन्गा,और फिर मैं अपने ही क्लास के सामने आकर खड़ा हो गया, जहाँ कुछ लड़के खड़े होकर बात कर रहे थे, मैं खड़ा तो अपने क्लास मे था लेकिन आँखे सीएस ब्रांच की क्लास की तरफ टिकी हुई थी,...मैं उस वक़्त वहाँ खड़ा उस वक़्त का इंतेजार कर रहा था कि कब वो मॉडर्न अप्सरा अपने क्लास से बाहर निकल कर आए और मेरी आँखो को सुकून मिले....उपरवाले ने जैसे मेरी मन की बात सुन ली हो, एश अपने उसी फ्रेंड के साथ क्लास से बाहर निकली और बाहर खड़े सभी लोग मचल उठे, सभी एश को देख रहे थे.....हमारी क्लासस फर्स्ट फ्लोर पे थी और कॉरिडर के दोनो तरफ से नीचे जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी....एश अपने फ्रेंड के साथ हमारी तरफ आने लगी,...मैं ये जानता था कि वो मेरे लिए तो इस तरफ नही आ रही है, लेकिन फिर भी धड़कने तेज हो गयी, और वो जब मेरे सामने से गुज़री तो मेरी ज़ुबान लड़खड़ाई
"आइ....."बस इतना ही बोल पाया मैं एश को देखकर , और आवाज़ भी इतनी धीमी थी कि मेरे साथ खड़े मेरे क्लास वाले भी उस आवाज़ का ना सुन पाए....
.
मैं पहले भी हैरान हुआ करता था और अब भी हैरान हुआ करता हूँ, कि अरुण कैसे जान जाता है कि दूसरे क्या सोच रहे है....
"मतलब...."ज़मीन पर औधा लेटा वरुण सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए मुझसे पुछा...

"मतलब की.."मैने अरुण की तरफ देखा, साला दारू की बोतल लिए बाथरूम से बाहर आ रहा था"अरुण की एक ख़ासियत है, वो किसी का भी शकल देखकर ये बता देता है कि उसके अंदर क्या चल रहा है ,वो बंदा किस सोच मे डूबा हुआ है...."
"ऐश है क्या..."
"हाँ बे,.."
"फिर तो..."ये बोलते हुए वरुण ज़मीन पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखा....

"ये साला बाथरूम मे बोतल लेकर क्यूँ गया था ?"

"अपनी आदत है..."मेरे पास बैठते हुए वरुण की तरफ देखकर अरुण ने जवाब दिया...

"बड़ी अजीब आदत है बे, अच्छा हुआ खाने की प्लेट लेकर बाथरूम जाने की आदत नही है ,वरना एक तरफ से मेटीरियल बाहर निकलता तो दूसरी तरफ से अंदर जाता...."वरुण ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगा और मुझसे बोला"तू क्यूँ रुक गया बे, आगे बता क्या हुआ...."
.
उस दिन रिसेस मे जब मैने धीमी आवाज़ मे "आइ"बोला था , तब अरुण मेरे बगल मे ही खड़ा था, और जब एश हमारी आँखो के सामने से गुज़री तो वहाँ एक अरुण ही ऐसा लड़का था जो एश की जगह मुझे देख रहा था और मेरे चेहरे के बदलते रंग को देखकर वो समझ गया था कि मेरे अंदर अभी क्या चल रहा है......
"चल आजा..."मेरा हाथ पकड़ कर अरुण बोला...
"अबे कहाँ आजा..."
"चल एश से तेरी बात कराता हूँ..."
ये सुनते ही मैने तुरंत उसका हाथ दूर किया और बोला"तुझे ऐसा क्यूँ लगा कि मैं एश से बात करना चाहता हूँ ?"
"अब बेटा हम को गिनती गिनना ना ही सिख़ाओ...जब से तूने उसे देखा है, तेरे फेस पर लाली छाइ हुई है..."
"अबे हट....ऐसी दर्जनो लड़कियो को मैं रोज देखता हूँ, तो इसका मतलब ये तो नही कि मैं उससे बात करू...."
"अभी उन दर्जनो लड़कियो को छोड़ और बाई तरफ देख..."
दूसरी तरफ से एश अपनी जुल्फे लहराती हुए आ रही थी, उस वक़्त दिल मे अरमान उठे कि काश एश सीधे मेरे पास आए और मुझे बोले कि "हे हॅंडसम, व्हाट ईज़ युवर नेम..."
दिल मे अरमान जागे कि वो मुझे देखे और मुझे देखते ही उसे मुझसे प्यार हो जाए,
वो करीब आती गयी और मेरे मूह से "आइ......"वर्ड एक बार फिर बाहर आया, लेकिन जब वो अपने क्लास की तरफ घूमी तो ये "आइ...."वर्ड वापस अंदर चला गया....
"दिल तोड़ दिया उसने उस तरफ घूमकर..."अपने सीने मे हाथ रखकर सहलाते हुए मज़किया अंदाज़ मे मैं बोला...."यार, अरुण कुछ जुगाड़ करना....उसे एक बार सही से देखना चाहता हूँ...."
"चल आजा फिर..."अरुण ने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ा...
"अबे कुत्ते हाथ छोड़, छोटा बच्चा हूँ क्या, जो बात-बात पर हाथ पकड़ लेता है..."
"प्यार है पगले..."
"इस प्यार को थोड़ा कम ही रहने दियो "
सीएस ब्रांच मे अरुण का एक दोस्त था,जिसके पास जाकर मैं और अरुण बैठ गये....जहा अरुण अपने दोस्त से बात करने लगा वही मैं चुपके से एश को तकने लगा....
ऐसा नही था कि मैने एश से पहले कोई खूबसूरत लड़की नही देखी थी, लेकिन जो कशिश उसमे थी वो आज तक मुझे किसी भी लड़की मे महसूस नही हुई थी, उस वक़्त हम दोनो किसी मॅगनेट के नॉर्थ-साउत पोल की तरह थे, जो हमेशा एक दूसरे को अट्रॅक्ट करते है.....इसी बीच फर्स्ट टाइम उसने मुझे देखा लेकिन मेरी नज़रे एका-एक दूसरी तरफ हो गयी, दिल की धड़कनो ने एक बार फिर बुलेट ट्रेन की स्पीड पकड़ ली.....
"क्या हुआ बे..."मुझे दूसरी तरफ देखते हुए देखकर अरुण ने पुछा...
"कुछ नही, बस उसने मुझे देख लिया...."
"तो, यही तो मौका था , आँख मार देता उसे उसी वक़्त..."
"फाटती है मेरी इन सब कामो से..."
"तब तो वो सेट हो चुकी तेरे से...."अरुण ने एश की तरफ देखा...
"अबे अरमान, एश तुझे ही देख रही है...."
"क्या...."दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़का...और मैने एश की तरफ देखा, अरुण सच बोल रहा था वो मेरे तरफ ही देख रही थी...उस वक़्त मुझे ऐसा लगा जैसे की वक़्त ठहर गया हो, उस वक़्त मुझे ऐसा लगा कि वहाँ उस क्लास रूम मे मेरे और उसके सिवा कोई नही है....
"टू आइज़ इंटरक्ट वित ईच अदर अट कोन्स्टत टाइम "अरुण बोला और बोलने के तुरंत बाद मेरे कंधे को पकड़ कर ज़ोर से हिलाया"रिसेस ख़तम हुआ प्यारे, अब अपनी क्लास की तरफ चले या इस बार भी यही इरादा है कि नेक्स्ट पीरियड का टीचर तुझे बाहर निकाल दे...."
"रिसेस ख़तम हो गया..."
"बिल्कुल और तू पिच्छाले 20 मिनट. से उसको घूरे जा रहा है बिना पलके झपकाए...."
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अरुण और मैं एश की क्लास से बाहर आए, क्लास तो लग चुकी थी लेकिन टीचर अभी तक लापता था.....अपनी सीट पर बैठकर मैं कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ, उसको याद करने लगा और हाथो मे पेन पकड़ कर डेस्क पर उसका नाम लिखने लगा.....
"एश....."इस नाम को सामने वाली डेस्क पर पेन से लिखने के बाद मैं उसे अपने हाथो से छुने लगा,
वो नाम मैने नॉर्मल पेन से लिखा था, उस नॉर्मल पेन के नॉर्मल स्याही से लिखा था, लेकिन जो 4 अक्षर वहाँ उभरे थे, वो मेरे लिए नॉर्मल नही था,...उन चार अक्षरो से एक लगाव सा हो गया था....लेकिन उस वक़्त मैं ये भूल गया था कि मेरे बगल मे मेरा सबसे कमीना खास दोस्त अरुण बैठा है, जो मुझे एक पल के लिए भी चैन से साँस लेने नही देगा....मेरी इस हरकत वो मुझपर चिल्लाया...
"अबे ये क्या कर रहा है..."
उसके इस तरह से अचानक बोलने से मेरा ध्यान टूटा और जिन 4 अक्षरो से मुझे लगाव था ,उन्हे मैं मिटाने की कोशिश करने लगा....लेकिन स्याही सूख चुकी थी, इसलिए नाम मिटना थोड़ा मुश्किल था......
"हाथ हटा..."
"नही..."मैने एश के नाम के आगे ऐसे हाथ रख कर खड़ा था जैसे की मेरी हाथ हटाते ही मेरी इज़्ज़त लूटने वाली हो....
"देख अरमान, मुझे दिखा दे कि क्या लिखा है डेस्क पर तूने, वरना पूरी क्लास को बता दूँगा...."
"तेरी तो"क्या करता, मजबूरी मे हाथ हटाना ही पड़ा...
"तेरी हेडराइटिंग तो सॉलिड है..."ये बोलकर अरुण पीछे मुड़ा तो मैने वापस एश के नाम को अपने हाथो से ढक लिया...
"बोतल है..."अरुण पीछे बैठे किसी लड़के से बोला...
"पानी की बोतल..."
"नही दारू की बोतल....अबे क्लास मे हूँ तो पानी की बोतल ही माँगूंगा ना...."
"तो सीधे से बोल ना...."अरुण ने जिससे पानी का बोतल माँगा था वो बोला...
"अबे घोनचू ऐसे मे क्या खाक इंजिनियर बनेगा, साले ने 12थ का एग्ज़ॅम पक्का ओपन से पास किया होगा...अब ला दे बोतल"उसके हाथ से बोतल लेकर अरुण ने पानी की कुछ बूंदे डेस्क पर डाली और एश का नाम मिटाकर मुझसे बोला...
"ये आशिक़ी का जो भूत सवार है ना, उसको संभाल कर रख वरना लेने के देने पड़ जाएँगे...."
"साले तू मुझे बत्ती दे रहा है..."
"यही तो प्यार है पगले"
हफ्ते मे 3 दिन हमारा लॅब रहता था, और हर एक लॅब दो-दो पीरियड्स के बराबर था, हम सभी अपने बाकी के काम लॅब क्लास मे ही निपटाते थे, शुरू के आधे घंटे मे लॅब वाले सिर आकर हमे एक्सपेरिमेंट और एक्विपमेंट्स को कैसे उसे करना है, ये बता कर अपनी सीट पर विराजमान हो जाते और उसके बाद का पूरा समय हम एसएमएस भेजने मे, असाइनमेंट कंप्लीट करने मे यूज़ करते थे, हमारे कॉलेज के टीचर्स की एक बहुत ही खराब आदत ये थी कि वो छोटी सी छोटी बात पर या तो अटेंडेन्स कट कर देते थे, या फिर सीधे क्लास से बाहर ही भगा देते थे...उस दिन फिज़िक्स का लॅब था और लॅब मे मैं सीएस का असाइनमेंट कर रहा था और इस काम मे अरुण भी बखूबी मेरा साथ दे रहा था कि तभी कुर्रे सर की आवाज़ पूरे लॅबोरेटरी मे गूँजी....
"जो स्टूडेंट रीडिंग और फाइनल रिज़ल्ट दिखाएगा , मैं उसी को आज का अटेंडेन्स दूँगा...."
"लग गयी तब तो...."एक दर्द भरी गुस्से से भरपूर आवाज़ मे अरुण धीमे से बोला....
"अब क्या करे..."
"मालूम नही..."
तभी मुझे अपने स्कूल के दिनो की याद आ गयी, जब मैं लॅब से अक्सर पास आउट हो चुके स्टूडेंट्स की कॉपी मारकर छाप दिया करता था.....
"हम दोनो को प्रॅक्टिकल का मनुअल नही मिला है ना..."मैने अरुण से पुछा....हम दोनो का रोल नंबर. आगे पीछे था, इसलिए एक्सपेरिमेंट भी सेम था....
"कुर्रे दे रहा था, लेकिन मैने लिया ही नही....और वैसे भी इसको रीडिंग दिखानी है...."
"तू रुक मैं जुगाड़ जमा के आता हूँ..."
ये काम मैं पहले भी बहुत बार कर चुका था, इसलिए डर तो नही लग रहा था लेकिन फिर थोड़ी सी घबराहट हो रही थी....
"सर, हमारे पास मनुअल नही है..."लॅब वाले सर के पास खड़े होकर मैं मासूमियत से बोला...
उसके बाद कुर्रे ने बहुत माथापच्ची की, हमारा रोल नंबर. पूछा, और उसके बाद साले ने एक्सपेरिमेंट्स के बारे मे मुझसे पुछा....उस वक़्त तो साला एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट क्या है मुझे ये तक नही मालूम था तो फिर बाकी उसका प्रिन्सिपल कैसे बताता......
"सर, यदि कोई पुरानी कॉपी मिल जाती तो थोड़ा आइडिया मिल जाता...."अपना रामबान मैने फैंका...
जहाँ कुर्रे बैठा हुआ था, वहाँ से बाई तरफ थोड़ा अंदर एक छोटा सा रूम था...उसने पहले 5 मिनट. तक मेरी शकल देखी और फिर मुझे अंदर जाने के लिए बोला....
"वो अंदर बैठी हुई है, उनसे माँग लो...."
"थॅंक यू सर...."
आधा काम तो निपटा लिया था, बस आधा काम और बाकी था, पहले मैने सोचा कि अंदर जिस रूम मे मैं जा रहा था वहाँ कोई कुर्रे की एज का ही टीचर होगा, यानी की 40 से 45 उम्र का, लेकिन मैने जैसे ही मैं अंदर घुसा आँखे बाहर आ गयी ये देखकर की अंदर दीपिका मॅम बैठी हुई है......
"मॅम, वो पुरानी प्रॅक्टिकल कॉपी चाहिए थी...."उस रूम के चारो तरफ देखते हुए मैं बोला....
"सर से पुछा है..."वो टेबल पर ऐसे बैठी थी, जैसे कि वो इस कॉलेज की प्रिन्सिपल हो....
"जी मॅम, उन्होने ही कहा है कि मैं अंदर जाकर अपना काम कर सकता हूँ..."मैने जान बुझ कर ऐसा कहा....
"कैसा काम..."चेयर पर सीधी होते हुए उसने मेरी तरफ निगाह डाली....
"वही वाला....."मैं बोला, फ्लर्टिंग करना मेरे लिए कोई नयी बात नही थी, मैं अक्सर मौका मिलने पर ये सब काम कर दिया करता था पर अफ़सोस की आज तक किसी लड़की ने मेरे अरमानो को ठंडा नही किया था......
"मकेनिकल फर्स्ट एअर राइट...."
मैने हां मे सर हिलाया तो दीपिका मॅम ने एक तरफ इशारा कर दिया...जहाँ पास आउट स्टूडेंट्स की प्रॅक्टिकल कॉपीस जमा की हुई थी, मैं वहाँ पहुचा एक दो कॉपी को खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगा, लेकिन इस बीच मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ दीपिका मॅम पर था कि वो मुझे देख तो नही रही है....दीपिका मॅम इस समय अपने मोबाइल मे बिज़ी थी, और यही मेरे लिए सही मौका था...मैने चुपके से एक प्रॅक्टिकल कॉपी को अपने शर्ट के नीचे पेट के पास फँसा लिया और उसके कुछ देर बाद तक मैं वही खड़ा रहा....
"ठीक है मॅम, मैं चलता हूँ...."
मुझे पूरी उम्मीद थी कि दीपिका मॅम ने मुझे नही देखा था, और मैं अपनी स्मार्टनेस पर खुद को प्रेज़ करता हुआ वहाँ से जा ही रहा था कि दीपिका माँ ने पीछे से आवाज़ दी...
"रूको..."
"जी मॅम..."दिल मे घबराहट एक बार फिर पैदा हो गयी....
"यू थिंक दट ऑल दा स्टाफ ऑफ कॉलेज आर फूल..."
"मतलब...?"
"मतलब ये कि..."वो अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आई और सीधा मेरे पेट पर हाथ फिराती हुई बोली"ये तुम्हारे सिक्स पॅक्स इतने मजबूत है या लॅब की कॉपी चुरा कर ले जा रहे हो...."
इसके आगे बोलने की मेरी हिम्मत नही हुई,मैं किसी अपराधी की तरह वहाँ खड़ा दीपिका मॅम के अगले आक्षन का इंतज़ार कर रहा था....
"तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं यही से पास आउट हूँ और मुझे मालूम है ये फंडे...इसलिए मेरे सामने होशियार बनने की कोशिश मत करना..."ऐसा बोलते हुए उसने प्रॅक्टिकल कॉपी निकाल ली और बोली"तुम्हारे जाने के बाद कुर्रे सर यहा आएँगे और वो मुझसे पुछेन्गे कि मैने कहीं कुछ उठा तो नही लिया, और फिर जब तुम बाहर जाओगे तो तुम्हारी चेकिंग भी होगी...."
" सालो ने कोहिनूर हीरा छुपा रखा है क्या यहाँ..."
"तुमने कुछ बोला..."
"सॉरी मॅम,..."
"अब जाओ..."उसके अगले पल ही दीपिका मॅम ने वो हरकत की जिसके कारण मेरा दिल लेफ्ट साइड से राइट साइड मे शिफ्ट होने वाला था, 1000 वोल्ट्स का झटका दिया दीपिका मॅम ने मुझे....उसने मेरा हाथ पकड़ा और सीधे अपनी गरम चूत से टच करा दिया और बोली "पसंद आया हो तो दोबारा बताना....."

मैं, उस रूम से बाहर निकला,वहाँ से आने के बाद मेरी सिट्टी पिटी गुम हो गयी थी, ऐसा लगने लगा था जैसे की किसी ने मेरे हाथ मे कुछ देर पहले करेंट का वाइयर पकड़ा दिया हो.......
"क्या हुआ ? लाया प्रॅक्टिकल कॉपी ?"मुझे अपने बगल मे चुपचाप बैठा देखकर अरुण ने मुझसे पुछा....
"अभी कुछ देर बात मत कर ,सदमे मे हूँ...."
"क्या हुआ....किसी ने चोरी करते हुए देख लिया क्या ? "
"मेरी चोरी पकड़ी भी गयी और उसकी सज़ा भी दे दी गयी..."मैं अब भी सदमे मे था.....
"आख़िर हुआ क्या..."
"कुछ नही, अब मैं ठीक हूँ..."मेरे दिल-ओ-दिमाग़ मे , मेरे पूरे जहाँ मे सिर्फ़ वही नज़ारा घूम रहा था, जब दीपिका मॅम ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपनी चूत से टच करा दिया....
"आइ वाज़ ट्रेंबल्ड..."मैं बड़बड़ाया...
"ऐसा क्या देख लिया तूने..."
"कुछ नही..."
दीपिका मॅम ने जो किया उसपर मुझे यकीन नही हो रहा था, कोई भी लड़की बिना जान पहचान के ऐसे कैसे कर सकती है, ये जानते हुए भी कि मैं उसकी कंप्लेंट कर सकता हूँ, शायद मैने ही दीपिका मॅम को बढ़ावा दिया था ऐसा करने के लिए...ना मैं डबल मीनिंग मे उससे बात करता और ना ही वो मेरा हाथ पकड़ती और ना ही... अभी तक जो कुछ भी मेरे साथ हुआ था वो सब अनएक्सपेक्टेड था, मैने कभी नही सोचा था की मैं एक लड़की के पीछे पागल हो जाउन्गा और ना ही मैने ये सोचा था कि शुरुआत के कुछ दिनो मे ही मुझे वो छुने को मिल जाएगा......उस दिन के बाद दीपिका मॅम से जैसे मैं नज़र ही नही मिला पा रहा था, वो जब तक क्लास मे रहती मैं अपना सर झुकाए रहता और चुपके से उनकी तरफ देखता तो वो मंद-मंद मुस्कुराती नज़र आती....
"साला मैं कितना शर्मिला हूँ..."
मुझे मेरी ज़िंदगी के 18 साल बीत जाने के बाद ये मालूम चला कि, मैं भी उन लड़को मे से हूँ ,जिनकी लड़कियो को देखकर कुछ बोलने की हिम्मत नही होती.....एश कुछ दिनो से कॉलेज नही आई थी, मैं जब भी उसके क्लास मे जाकर अरुण के दोस्त से पुछ्ता तो वो ना मे सर हिला देता,...दिल बेचैन रहता था उसके बगैर , हर दिन रिसेस मे मैं अरुण को लेकर उसकी क्लास मे उसके दोस्त के पास जाता था और जहाँ वो बैठा करती थी, उस जगह को इस आस मे देखता था कि शायद वो लेट आई हो,लेकिन हर दिन उसकी जगह कोई और लड़की ही वहाँ बैठी हुई मिलती और हर दिन मैं उसके क्लास से उदास ही लौटता था....
अभी तक तो मैं बहुत सी अनएक्सपेक्टेड चीज़ो को झेल चुका था, लेकिन इन सबके आलवा भी कुछ और था जो कि मेरी ज़िंदगी मे पहली बार होने वाला था और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि मुझे इस बात की भनक तक नही थी....


कुछ दिन बीतने के बाद मेरी कुछ और लड़को से दोस्ती हो गयी और हर दिन की तरह हम आज भी रिसेस मे अपनी क्लास के बाहर खड़े आस-पास से गुजरने वाली लड़कियो का मज़ा ले रहे थे.....एश के लिए मेरा इंटेरेस्ट कम होता जा रहा था, मैं अब हर खूबसूरत लड़की को देखकर इसी ख़याल मे डूब जाता कि मैं उसे अपने हॉस्टिल के रूम मे चोद रहा हूँ, एक अजीब सा बदलाव आ रहा था मुझमे दीपिका मॅम की उस हरकत से....
"सब लाइन मे खड़े हो..."किसी ने गला फाड़ कर कहा, और जब मेरी नज़र उस तरफ पड़ी तो देखा कि दो सीनियर्स हमे लाइन मे खड़े रहने के लिए कह रहे थे.....उनका कहना था कि हम सब लाइन मे खड़े हो गये....
"आँख नीचे कर बे...अपने बाप से आँख मिलाता है साले बीसी..."किसी एक को उसने चमकाया....
"क्या है बेटा , विश नही करते तुम लोग सीनियर्स को...गान्ड मे डंडा डाल के याद दिलाना पड़ेगा क्या...."उन दो मे से एक ने बॅग टाँग रखा था यानी वो रिसेस के बाद वो बंक मारने के प्लान मे था और दूसरा अपनी हथेलियो को रगड़ रहा था....
"चलो इधर आ जाओ और क्लास मे जितने लड़के है उन्हे भी बुलाओ..."जिसने बॅग टाँग रखा था वो बोला...
क्लास मे जितने लड़के थे उन सबको बुला लिया गया, मैं दिल ही दिल मे ये चाह रहा था कि कही से कोई टीचर आ जाए....लेकिन साला कोई नही आया, सब अपना पेट भरने मे लगे हुए थे.....
"तेरा नाम क्या है...."मुझे उपर से नीचे देखते हुए वो बोला....
"ज..ज..जी..."मैं हकलाया...सच तो ये था कि वहाँ खड़े हर लड़के की बुरी तरह से फट चुकी थी...
"नाम क्या है इंजिनियर साहेब आपका..."
"अरमान..."मैने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा और जवाब देकर वापस अपनी गर्दन नीचे कर ली....
"दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये...."वो गाते हुए मेरे पास आया और बेल्ट के पास पैंट को पकड़ कर ज़ोर से हिलाता हुआ बोला "यहाँ क्या करने आता है..."
"पढ़ने..."
"तो फिर कल से फॉर्मल ड्रेस मे आया कर, वरना यही से नीचे फैंक दूँगा...समझा"
"ज...ज...जी सर..."(तेरा बाप देगा पैसा फॉर्मल ड्रेस खरीदने का , बे साले चूतिए...)
"चल रिलॅक्स हो जा..."बेल्ट छोड़ कर मेरा कंधा सहलाते हुए वो बोला"मेरा नाम जानता है...."
"नही...."
"मैं हूँ बाजीराव सिंघम....समझा, कल से स्टूडेंट्स की तरह दिखना..."
उन दो चूतियो को मैं अकेला ही दिखा था क्या जो साले मेरी लेके चले गये, उनके जाने के बाद मालूम चला कि वो दोनो माइनिंग ब्रांच के थे.....
"ये तो माइनिंग के थे, इसका मतलब मेकॅनिकल वाले भी कुछ दिनो मे अपने दर्शन देंगे..."
हर कॉलेज मे अलग-अलग फंडा चलता है, हमारे यहाँ रॅगिंग तब होती थी, जब कुछ हफ्ते निकल जाते थे...सिटी मे रहने वाले तो फिर भी बच जाते थे, लेकिन हॉस्टिल वालो की ऐसी तैसी हो जाती थी....
उस दिन रिसेस के बाद हम सबके मन मे यही सवाल घूम रहा था कि इन सबसे कैसे बचा जाए, और उस दिन के बाकी के पीरियड्स इसी ख़ौफ़ मे निकल गये,...
मैं और अरुण कॉलेज की छुट्टी के बाद हॉस्टिल की तरफ ही जा रहे थे कि हॉस्टिल से थोड़ी दूर पर भीड़ दिखाई दी.....
"ये साले बीसी, यही चालू हो गये..."अरुण वही रुक गया और मुझसे बोला"इस रास्ते से मत जा, सामने सीनियर्स खड़े है...."

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Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू

Unread post by rajkumari » 20 Jan 2017 09:49

हम दोनो दूसरे रास्ते से जाने के लिए पीछे मुड़े ही थे कि किसी सीनियर ने हमे देख लिया और उधर आने के लिए कहा, जहाँ भीड़ जमा थी....
"वापस कहाँ जा रहे थे सर..."मेरे कंधे पर हाथ रखकर कोई बोला...
"वो मोबाइल छूट गया है, क्लास मे..."
"अच्छा..."उसने मेरा बॅग एक झटके से खींचा और बॅग की चैन खोलकर पूरा समान रास्ते मे ही बिखेर कर बॅग मेरे हाथ मे थमा दिया....
"अपना समान उठा और निकल यहाँ से..."
मैने एक हाथ मे अपना बॅग पकड़ कर अपनी बुक्स और कॉपी को उठाने के लिए झुका ही था कि उस Mcएल सीनियर ने मेरे पिछवाड़े पर कसकर एक लात मारी और मैं वही ज़ोर से मुँह के बल गिरा....

"चूतिया समझ के रखा है क्या..."पीछे से उसकी आवाज़ आई, हाथो की मुत्ठिया बँध चुकी थी, और यदि उस वक़्त वो वहाँ अकेले रहता तो उस साले को इतना मारता कि रॅगिंग की स्पेलिंग तक भूल जाता वो, लेकिन मैं उठता उसके पहले ही उसके कुछ और दोस्त आ गये, और उसको पकड़ कर बोले कि...

"अभी नही, बाद मे देख लेंगे इन दोनो को..."जिसके जवाब मे वो चिल्लाया कि "साले झूठ बोलता है, तू रुक आज रात तेरी धुलाई करता हूँ ,साले बीसी..."

उसके बाद सिर्फ़ ये हुआ कि मेरी गुस्से से बंद मुत्ठिया ढीली पड़ गयी, और वो सीनियर जिसने मेरे पिछवाड़े पर अपने जूते के निशान छोड़े थे वो मुझे गालियाँ देते हुए वहाँ से चला गया....

"मैने उसे मारा क्यूँ नही, क्या मैं डरपोक....नही..."आज ज़िंदगी के 18 साल गुज़ार लेने के बाद एक और सच से सामना करना पड़ रहा था....आज तक स्कूल मे सिर्फ़ छोटी-मोटी लड़ाई हुई थी, जिसमे मैं हर बार पूरे ज़ोर और शोर से भाग लेता था....और अपनी ए ग्रेड स्टडी के लिए हर बार बच भी जाता था....स्कूल मे अक्सर सब यही बोलते कि मैं बहुत हिम्मतवाला हूँ, लेकिन आज कुँए का मेंढक समुंदर मे आया था, जिसका मुक़ाबला बड़े बड़े कछुओ और शार्क से था......

"चल अपने रूम चलते है...."अरुण ने मेरा बॅग उठाकर मुझे पकड़ते हुए बोला....मैं चुप रहा, चेहरा गुस्से से अब भी लाल था.....

"चल, भूल जा..."मुझे ज़बरदस्ती अरुण ने खींचा, जिसके चलते मैं उसपर झल्ला उठा....
"अबे छोड़"
"भाड़ मे जा..."गुस्से मे वो भी था, इसलिए वो भी मुझ पर चिल्लाया और मेरा बॅग मेरे हाथ मे पकड़ा कर वहाँ से हॉस्टिल की तरफ चला गया......

"उस साले ने लात मेरे पिछवाड़े पर मारी है और गुस्सा ये हो रहा है...."अरुण को हॉस्टिल की तरफ जाते हुए मैं देख रहा था....कुछ देर पहले जो हुआ, वो सब देखकर शायद अरुण को भी गुस्सा आया था...

"सॉरी...."जब अरुण ने दरवाजा खोला तो मैने उससे कहा....जिसके जवाब मे वो हँसते हुए बोला

"सॉरी से काम नही चलेगा, मैं तो गान्ड मारूँगा...."

"चल बे, दूर चल...मैं तो तुझे देखते ही समझ गया था कि तू है..."
अंदर आकर मैने अपना बॅग एक तरफ फैंका और बिस्तर पर लेट गया, अभी कुछ ही देर हुए थे कि एक छोटे कद का लड़का अरुण के पास आया, उसकी आँखो मे लगा चश्मा उसे एक सीरीयस स्टूडेंट की उपाधि दे रहा था....वो सीधे मेरे पास आया और मुझसे हाथ मिलाया वो भी बिना कुछ बोले.....और फिर सीधे जाकर अरुण के पास बैठ गया...

"साला पागल लगता है..."उसे देखकर मैने कहा....

अरुण के पास जाकर वो बात करने लगा, और अरुण से बात करने के दौरान वो अपना चश्मा उतारता और मेरी तरफ कुछ देर तक देख कर वापस अपना चश्मा अपनी आँखो मे टांगता अरुण से बात करने लगता.......
" सुन बे अरमान...ये भूपेश मेरे ही यहाँ का है...."

उस छोटी सी हाइट वाले लड़के का नाम भूपेश था, जिसका नामकरण अरुण ने पहले ही कर दिया था....
"बी.एच.यू."अरुण उसे इसी नाम से बुलाता था....

"उस लड़की का नाम क्या है , जो सीएस मे है..."भू ने एक बार फिर अपना चस्मा निकाल कर मेरी तरफ देखा और फिर चश्मे पर फूक मार कर अरुण की चादर से चश्मे को सॉफ करने लगा....

"एश...."अरुण बोला...
एश का नाम सुनते ही सारी थकान दूर हो गयी, मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखकर बोला"क्या हुआ..."

"भू को एश से प्यार हो गया है..."

"इसे और एश से प्यार "भूपेश की तरफ देखकर मैं बोला....(अबे साले, अपनी शकल देखी है, कहाँ वो और कहाँ तू)

"इसके पास उसका मोबाइल नंबर भी है..."

ये सुनकर मुझे झटका लगा,वैसे तो एश का नंबर. मालूम करना कोई बड़ी बात नही थी, उसके क्लास मे जो भी उसके करीब हो उससे एश का नंबर लिया जा सकता है....लेकिन मुझे झटका इसलिए लगा क्यूंकी भू एश के मामले मे मुझसे ज़्यादा आक्टिव था....जहाँ मैने उसे चुपके से घूर्ने का अलावा और कुछ नही किया था, वही भू ने उसका नंबर. अपने मोबाइल मे सेव करके रखा था.....

"उसे कॉल करता हूँ..."अरुण से वो बोला और अपना नोकिया 1200 निकाल लिया....

मैने अपनी 18 साल की ज़िंदगी मे बहुत से प्रेमी जोड़े देखे थे, लेकिन उनमे से सिर्फ़ एक या दो प्रेमी जोड़े ही एक-दूसरे के लिए पर्फेक्ट थे....वरना एक से बढ़कर एक घोनचू लौन्डे टनटन माल लेकर घूमते है, जिसे देखकर अक्सर मेरा कलेजा जल उठता है और सिर्फ़ एक लाइन मुँह से निकलती है
"हम मर गये है क्या, जो इस गन्दू के साथ घूम रही है...."

और इसी डर मे कि कही एश के साथ ये भू ना सेट हो जाए, मैं अपने बिस्तर से उठा और भूपेश के हाथ से उसका मोबाइल छीन लिया....

"अबे यदि उसने तेरे मोबाइल नंबर. की रिपोर्ट कर दी तो...."उसे डरते हुए मैं बोला....

"कोई बात नही सिम फ़र्ज़ी है..."

"आजकल लोकेशन ट्रेस हो जाते है, और वैसे भी वो किसी ना किसी से सेट होगी तो क्यूँ अपना बॅलेन्स फालतू मे खर्च कर रहा है...."

"बाद की बाद मे देखेंगे..."मेरे हाथ से मोबाइल लेकर अरुण ने मोबाइल भू को थमा दिया और बोला"तू कॉल कर..."

"ये साला अरुण, मेरे साथ है या इसके साथ"

"तूने कुछ बोला क्या..."अरुण मेरी तरफ देखकर मुझसे पुछा....

"ना, मैने कुछ नही बोला....मैं क्यूँ बोलूँगा कुछ...एश मेरी वाइफ है क्या, जो मुझे उसकी फिकर होगी...."
मेरा इतना कहना था कि दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी...

"ले यार खोल..."अरुण मुझसे बोला,...
मैने पूरा दरवाजा खोला भी नही था कि एक जोरदार तमाचा मेरे गाल और कान पर पड़ा, मैं सन्न रह गया उस वक़्त और कान पर हाथ रखकर वही खड़ा रहा...अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि रूम के अंदर कौन आया था, जिसने अभी-अभी मेरा गाल लाल किया था वो वही था जिससे मेरी मुलाक़ात हॉस्टिल के बाहर हुई थी.....

"चल बे साइड चल..."मैं इस वक़्त दरवाजे और रूम के बीच मे खड़ा था, इसलिए उसने मुझे धक्का देते हुए कहा और सीधे जाकर मेरे बिस्तर पर बैठ गया, जो हाल मेरा था, वो हाल भू और अरुण का भी था, वो दोनो बिस्तर से खड़े हो गये थे.....

"नीचे बैठ वही ज़मीन पर..."मेरी तरफ इशारा करते हुए वो बोला"शकल याद है मेरी या भूल गया..."

"याद है..."

"हां तो हमेशा याद रखना, तेरे बाप की शकल है..."

उसने जैसे ही ये बोला, पूरा जिस्म गुस्से से लाल -पीला हो गया, यदि उस वक़्त मुझे अपने भाई के कहे हुए शब्द याद ना आए होते तो मा कसम उस साले को बहुत मारता......

"आइ कॉंटॅक्ट करेगा बे..."बिस्तर पर पूरा पसारता हुए रूम के दीवार की तरफ इशारा किया"उस दीवार को देख रहा है...मैने उसी दीवार पर तेरे जैसे ही एक चूतिए का सर पकड़ कर दे मारा था, साला चार महीने कोमा मे था....पोलीस भी कुछ नही उखाड़ पाई, क्यूंकी उसे कोई गवाह ही नही मिला जो ये बोलता कि वो सब मैने किया था...."

"तो ये सब मुझे क्यूँ बता रहे हो...."खून मेरा भी गरम था, इसलिए मैने बोल दिया...जिसका नतीज़ा ये हुआ कि वो सीनियर जो कुछ देर पहले मेरे बिस्तर पर पसरा हुआ था वो एकदम से उठ खड़ा हुआ और गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए मेरे पास आया....

"सॉरी सर, उसे छोड़ दो, पागल है वो..."अरुण ने उस सीनियर को पकड़ा....

"समझा दे इस लौन्डे को वरना यहीं जान से मार दूँगा...."

"ठीक है, मैं इसे समझा दूँगा...."

"जा एक ग्लास पानी ला..."
अरुण वहाँ से पानी लेने चला गया और इधर रूम मे चुप्पी छाइ रही, अरुण कुछ देर मे ही वापस आ गया,लेकिन उसके हाथ खाली थे....

"सर, वो वहाँ का ग्लास शायद किसी लड़के ने अपने रूम मे रखा हुआ है, मैं बोतल मे आपके लिए पानी लाता हूँ...."अंदर घुसते ही अरुण बोला और बोतल लेकर वहाँ से पानी लेने चला गया.....

"तू इधर आ बे..."अरुण के जाने के बाद उसने मुझे अपने पास बुलाया और सिगरेट पीने के लिए पुछा....

"मैं नही पीता..."तपाक से मैने बिना एक पल गँवाए जवाब दिया,

वो सीनियर आगे कुछ बोलता उसके पहले ही अरुण दौड़ते भागते हुए बोतल मे पानी भरकर ले आया और उसे दे दिया....उसने बोतल मे मुँह लगाकर एक घूट पानी पिया और फिर बोतल मेरी तरफ बढ़ा दी...
"रिलॅक्स हो जा, और ले पानी पी..."

"मुझे प्यास नही है..."खून मेरा अब भी गरम था....

"पी ले पानी ,क्यूंकी इसके बाद मैं जो करने वाला हूँ उससे तेरा गला सूख जाएगा..."

उसके बात का मैने कोई जवाब नही दिया और वो अपने कंधे उचकाता हुआ बोला"तेरी मर्ज़ी...."

उसने अपने जेब से सिगरेट की पॅकेट निकाली और भूपेश को अपने पास बुलाया और रूम मे जल रहे बल्ब को ऑफ करने के लिए कहा....

"वापस ऑन कर जाके..."अंधेरे मे धुआ उड़ाते हुए उसने भू से वापस बल्ब को ऑन करने के लिए कहा और जब भू ने वापस बल्ब को ऑन कर दिया तो वो बोला....
"अब तू 100 बार बल्ब को ऑन करने के बाद बिस्तर पर आकर बैठ जाना और फिर उठकर बल्ब को ऑफ कर देना...चल शुरू हो जा...."

भूपेश की पहले से ही सिट्टी-पिटी गुम थी ,वो क्या बोलता...बिना कुछ बोले वो अरुण के बेड से बोर्ड तक 200 चक्कर मारने लगा......

"ले पी..."ऑन-ऑफ होते हुए बल्ब के बीच मे उसने मुझे एक सिगरेट दिया....

"मेरी आदत नही है..."

"इसीलिए तो पिला रहा हूँ, इंजिनियर साहेब...जब तक नशा पट्टी नही करोगे तो इंजिनियर कैसे बनॉगे...."

मज़बूरी मे सिगरेट को मुँह से लगाना पड़ा, भैया के द्वारा दी गयी नसीहत मे ये भी था कि मैं सिगरेट और शराब से दूर रहूं, लेकिन यदि मैं उस वक़्त ये सब नही करता तो उनके द्वारा दी गयी दूसरी नसीहत ,जिसमे उन्होने कहा था कि लड़ाई - झगड़ा मत करना, वो टूट जाती.....

"धुआ अंदर ले...मुँह मे रखकर तो पहली-दूसरी क्लास के लौन्डे भी सिगरेट पी लेते है..."

मैने वैसा ही किया, सिगरेट के धुए को अंदर लिया...सिगरेट के कश को अंदर क्या खींचा, पूरा का पूरा कलेजा जैसे बाहर आ गया, और मैं खांसने लगा.....

"एक कश और मार..."
मैने फिर कश अंदर लिया और नतीज़ा वही पहले जैसे ही रहा...
"एक कश और..."
तीसरी बार हिम्मत तो नही हो रही थी, लेकिन उस वक़्त कोई दूसरा रास्ता भी नही... भू अब भी बल्ब को ऑन-ऑफ करने मे लगा हुआ था....

"तेरे कितने राउंड हुए बे.."

"80...." हान्फते हुए भू ने जवाब दिया,

"बेटा अभी तो आधे भी नही हुए,...चल शुरू हो जा..."

तीसरी बार भी मैने सिगरेट के धुए को अपने सीने मे घुसाया और इस बार खांसने के साथ-साथ मेरी आँखो से आँसू भी निकल गये और सर भी घूमने लगा....

"आज के लिए इतना ही काफ़ी है, कल फिर मिलेंगे...."
उसका रूम से बाहर जाना था कि मैं और भू बिस्तर पर लेट कर हांपने लगे.....

"गंद....गंद...."भू बस इतना बोल पाया और हांपने लगा,
"क्या गंद-गंद कर रहा है बे..."
"गंद मार ली साले ने, चक्कर आ रहा है, पानी....पानी..."वो फिर हांपने लगा....
"इधर तो बीसी सर ही घूम रहा है...."अपना सर पकड़ कर मैं बोला...
"सिगरेट का असर ज़्यादा देर तक नही रहता, डॉन'ट वरी..."
"वरी गयी माँ चुदाने, तू जा दौड़कर पानी ला..."
अरुण के वहाँ से जाने के बाद मैं भू की तरफ मुड़ा, वो अपने सर छत की तरफ किए हुए हाँफ रहा था....
"क्यूँ बेटा, क्या हाल है...मज़ा आया.."
"बहुत मज़ा आया, दोबारा करने का मन कर रहा है...."
"जब से कॉलेज मे आया हूँ, साला सब मार के चले जाते है, अब दीपिका मॅम को ही ले ले, आज लॅब मे साली ने मेरा हाथ चूत से ही टच करवा दिया...."
"क्या...."उसने जैसे ही ये सुना उसकी सारी थकान दूर हो गयी और वो मेरे पास आकर बोला"दीपिका मॅम के बहुत चर्चे है कॉलेज मे ,ज़रा संभाल कर...एक बार जिसको ताड़ लेती है, उसे चोद्कर सॉरी उससे चुदवाकर ही दम लेती है....साली करॅक्टरलेस है..."
"तुझे कैसे पता..."
"मेरा एक दोस्त 2न्ड एअर मे है, उसी ने बताया दीपिका के जलवे के बारे मे, उसने ये भी बताया कि इसी वजह से उसको लास्ट एअर कॉलेज से निकालने भी वाले थे...लेकिन फिर होड़ और उसके बीच .....लेकिन तू फिकर मत कर, तुझे वो छोड देगी..."
"ऐसे कैसे छोड देगी..."
"तेरे मे वो बात ही नही है, वो उन्ही लड़को के साथ सेट्टिंग करती है जो हॅंडसम हो..."
"साला खुद तो बावरची लगता है और मुझे बोल रहा है, चल भाग यहाँ से..."

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Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू

Unread post by rajkumari » 20 Jan 2017 09:50

उस वक़्त भू के उपर मेरा पूरा दिमाग़ उखड़ा हुआ था...साला मुझे बोल कैसे सकता है कि दीपिका मॅम मुझसे नही पट सकती....अरुण जब बहुत देर तक पानी लेकर नही आया तो हम दोनो ही बाहर निकले, मैने ये अंदाज़ा लगाया था कि हॉस्टिल मे हमारे रूम के बाहर बाकी लड़के झुंड बनाकर खड़े होंगे और हमसे पुछेन्गे कि सीनियर्स ने हमारी रॅगिंग कैसे ली...लेकिन उस वक़्त वहाँ कोई नही था, और जब आस-पास के रूम से जानी पहचानी आवाज़ जैसे कि थप्पड़, गालियाँ...आई तो मैं समझ गया कि ये सब झेलने वाला मैं अकेला नही हूँ....और सबसे ज़्यादा सुकून मुझे इस बात से मिल रहा था कि अब कोई मुझे ये नही कहेगा कि मैं डरपोक हूँ, क्यूंकी उस वक़्त तो सभी डरपोक थे......


"कहाँ मर गया था बे..."वॉटर कूलर की तरफ जाते हुए हमे अरुण मिला लेकिन उसके हाथ मे पानी का बोतल नही था , और वो हाँफ भी रहा था....
"कुछ सीनियर ने पकड़ लिया था..."अपने घुटनो पर हाथ रखकर हान्फते हुए वो बोला"जा मेरे लिए पानी लेकर आ...."
"बोतल तो आप ले गये थे..."
"वॉटर कूलर के पास जो ग्लास रखा होगा, उसी मे ले आ...."और लड़खड़ाते हुए अरुण रूम की तरफ निकल गया.....
मेरी और भू की हालत तो फिर भी ठीक थी ,लेकिन अरुण बिस्तर पर लेटा उल्टी साँसे भर रहा था.....

"अबे गर्ल्स हॉस्टिल मे कैसी रॅगिंग होती होगी..."भू वैसे शकल से तो चोदु दिखता था, लेकिन ट्रिक बड़ी धाँसू लगता था,.....
"मेरे ख़याल से सीनियर गर्ल्स, जूनियर गर्ल्स को ब्लूफिल्म दिखाकर अपना चूत चटवाती हों..."भू के इन अनमोल शब्दो ने मेरा और अरुण का रोम-रोम खड़ा कर दिया.....

"पागल है क्या बे, ऐसा थोड़े होता है..."मैने ऐसा इसलिए कहा ताकि भू अपने शुद्ध दिमाग़ से और भी ऐसे ख़यालात बुने, जिससे की हमारा रोम-रोम खड़ा हो जाए.....

"अबे किसी प्राइवेट कॉलेज मे तो सीनियर लड़के, ब्लूफिल्म दिखा रहे थे....लेकिन फिर पोलीस केस बन गया.."
फर्स्ट एअर का स्टूडेंट होने के नाते मुझे वैसे अच्छी बाते करनी चाहिए थी, लेकिन मेरा तर्की दिमाग़ उस वक़्त पूरे ले मे था,...
"जिस कॉलेज मे ये हुआ, उस वक़्त वहाँ फर्स्ट एअर के लड़के भी मौजूद थे क्या..."मैने सवाल किया और बेसब्री से जवाब का इंतज़ार करने लगा....
"तेरा मतलब ,जब फर्स्ट एअर की लड़कियो को ब्लूफिल्म दिखाया जा रहा था तब..."
"हां...हां, उसी वक़्त..."
"मालूम नही "
"साले ने कलपद कर दिया "
"मैं तो गर्ल्स हॉस्टिल जाउन्गा..."अरुण की साँस सीधी चलने लगी तो वो भी हमारी ज्ञान देने वाली बातो मे शामिल होते हुए बोला....
"क्या करेगा वहाँ जाकर सीनियर्स की चूत चाटेगा...."
"नही बे, सुनने मे आया है कि कुछ लड़के हमेशा गर्ल'स हॉस्टिल मे अपनी सेट्टिंग से मिलने - जुलने जाते रहते है....तो क्यूँ ना अपुन लोग भी चले..अरमान तू क्या बोलता है..."
""कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."
"जी भाई..."

"अबे किधर मर गया..."मेरे कंधो को ज़ोर से हिलाते हुए अरुण ने मुझसे दोबारा पुछा...जिसके लिए मैने तुरंत ना कर दी और प्लान ये बना कि मौका देखते ही अरुण और भू गर्ल'स हॉस्टिल मे जाएँगे और मैं यहीं रूम मे पड़ा-पड़ा मक्खिया मारूँगा.....
अगले दिन हम फिर कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर जा रहे थे, लेकिन आज भू भी हमारे साथ था, वो 5 चुड़ैल आज भी गेट के बाहर खड़ी थी.....
"मर गये..."
"मर्द बन बे, इन लौंदियो से क्या डरता है..."भू सीना तान के आगे चलता हुआ बोला...
"ओये चूतिए..."उन 5 चुडेलो मे से एक ने भू को आवाज़ दी "इधर आ बे चपरगंजू..."

पहले पहल तो भूपेश को यकीन नही हुआ और वो वही खड़ा होकर पीछे की तरफ देखकर कन्फर्म करने लगा कि उन्होने उसे ही चूतिया और चपरगंजू कहा...लेकिन जब उनमे से एक ने मादरचोद कहा तो भू को यकीन हो गया कि वो लड़किया उसे ही बुला रही है.....

"क्यूँ बे तुझे सुनाई नही देता..."भू की आँख मे लगे चश्मे को निकालकर उनमे से एक बोली, आज वहाँ उन पाँच चुडेलो मे सात साल से इंजिनियरिंग करने वाले वरुण की माल भी थी....

"एक भारतीय नारी को इस तरह से बात करना शोभा नही देता...."भू ने बुरी शकल बनाकर कहा और ये सुनते ही वो पाँचो चुड़ैल हंस पड़ी, हँसी तो मुझे और अरुण को भी आई लेकिन हम दोनो ने जैसे-तैसे अपनी हँसी को कंट्रोल किया.....

"मेरा नाम विभा है..."वरुण की आइटम ने अपना हाथ भू की तरफ करते हुए मुस्कुरा कर बोली,...

"माइसेल्फ भू..."विभा का हाथ अपने हाथो मे थामकर भू ने जवाब दिया"विभा, वो दोनो मेरे दोस्त है...अरुण आंड अरमान..."

विभा ने पहले अरुण को देखा और फिर उसकी नज़र मुझसे मिली और वो खिलखिला कर हंस पड़ी "ये तो वही चूतिया है, जिसके मुँह पर मैने समोसा पोता था...."

"तेरी माँ की "मेरा दिल एक बार फिर खुद पर चिल्लाया....

भू ने उन लड़कियो से कुछ देर और बात की और जिस शालीनता से वो पाँचो आइटम भू से बात कर रही थी उससे मेरे दिल मे एक डर पैदा हो गया कि कहीं ये एश को ना पटा ले.....
.

"वो आई है क्या..."अपने क्लास मे घुसने से पहले मैं एश की क्लास मे घुसा, और पिछले कुछ दिनो की तरह आज भी अरुण के दोस्त ने ना मे सर हिला दिया और उदास मन से मैं वहाँ से अपने क्लास मे आया, वैसे आज का फर्स्ट पीरियड तो दम्मो रानी का था, लेकिन उसकी जगह दीपिका मॅम आई थी और मैं समझ गया कि इस पूरे पीरियड को अपना सर झुका कर गुज़ारना है....
________________________

"अरमान, स्टॅंड अप...."दीपिका मॅम ने मुझे आवाज़ दी, लेकिन क्यूँ...ना तो मैने पूरी क्लास मे कुछ बोला और ना ही किसी से बात की,...उस क्लास मे उस वक़्त सबसे शांत बच्चा मैं ही था, फिर मुझे क्यूँ खड़ा किया

"व्हाट ईज़ जेवीएम ? " अपनी जगह पर मैं ठीक से खड़ा भी नही हो पाया था कि उसने मिज़ाइल दाग दी....दीपिका मॅम के इस क्वेस्चन का आन्सर देना तो दूर की बात थी मैने तो ये वर्ड जेवीएम ही पहली बार सुना था.....

"चुप क्यूँ हो आन्सर बताओ, अभी कुछ देर पहले ही तो बताया था...."

"मॅम, वो मैं भूल गया....एक बार फिर से बता दो..."कुछ देर तक दीपिका मॅम को देखा, फिर सामने की दीवार को देखा, और जब कुछ नही सूझा तो कुछ देर इस इंतज़ार मे चुप-चाप खड़ा रहा कि शायद मेरे अगल-बगल बैठे नवीन और अरुण मे से कोई धीरे से बोल दे,...लेकिन जब चारो खाने मैं चित हो गया तो दीपिका मॅम के आगे मैने सरेंडर कर दिया.....

"जावा वर्चुयल मशीन....अब याद रखना..."स्माइल मारते हुए वो बोली, मुझे आन्सर उसने इस अंदाज़ मे बताया जैसे कि थे मेट्रिक्स मूवी उसी ने बनाई हो....

"नाउ सिट डाउन..."घमंड भरी आवाज़ मे वो बोली...
उसके बाद उसने अपना प्रवचन फिर चालू कर दिया, आधे लुढ़क गये और आधे सामने की तरफ देखकर अपने ख़यालो मे खोए हुए थे....

"नाउ आइ'म गोयिंग टू अस्क सम बेसिक क्वेस्चन्स...."
"अरमान...."
"यस मॅम..."एक बार फिर बलि बकरा मैं ही बना(आ चूस ले अरमान का, साली जब देखो गान्ड हिलाती रहती है...)
"कुछ नॉर्मल क्वेस्चन पुच्छ रही हूँ तुमसे, आइ होप कि मुझे जवाब मिलेंगे..."
"आइ विल ट्राइ..."....(लंड फैंक के मारूँगा नही तो बैठा दे)
"विंडोस एक्सपी क्या है..."
"मतलब..."
"मतलब कि व्हाट डू यू मीन बाइ विंडोस एक्सपी ? "

"वो तो ऑपरेटिंग सिस्टम है, बस इतना ही मालूम है..."

"नोट बॅड, अच्छा ये बताओ, कंप्यूटर यूज़ करते हो..."सामने की चेयर पर अपनी गान्ड सटा कर उसने अगला सवाल किया...
"बिल्कुल करता हूँ..." (ब्लूफिल्म देखने का मज़ा तो बड़े स्क्रीन मे ही आता है...)

"तो बताओ कि किसी भी डॉक्युमेंट को प्रिंट करने के लिए शॉर्टकट तरीका क्या है...."

"कटरल + प...."इधर एक तरफ मैने जवाब दिया और वही दूसरी तरफ अपने बड़े भाई का मन ही मन शुक्रिया अदा किया , क्यूंकी उन्ही के बदौलत ही मैने इस सवाल का जवाब दिया था.....

दीपिका मॅम के दो क्वेस्चन्स का आन्सर क्या दिया, उसने मुझे कंप्यूटर की दुनिया का गॉडफादर समझ लिया और फिर एक के बाद एक सवाल पूछती गयी, और मैं हर बार यही बोलता"सॉरी मॅम...."

सीएस सब्जेक्ट का कोई थियरी एग्ज़ॅम नही था, ये सब्जेक्ट फुल्ली प्रॅक्टिकल बेस्ड था और जिस सब्जेक्ट का केवल प्रॅक्टिकल हो तो उसे प्रॅक्टिकल एग्ज़ॅम वाले दिन के आलवा किसी और दिन पढ़ना पाप था, और ये पाप मैं कैसे करता, इसीलिए दीपिका मॅम के बाकी के क्वेस्चन्स पर सिर्फ़ दो शब्द मुँह से निकले "सॉरी मॅम..."
"पढ़ना चालू कर दो ,वरना फैल कर दूँगी...सिट डाउन..."

उसने फैल करने की धमकी देकर सिट डाउन क्या बोला , मेरा शट डाउन ही हो गया, और मैं चुप चाप किसी लूटे पीटे की तरह बैठ गया.....

"अरमान, इस पर ट्राइ कर ,ये पट जाएगी..."दीपिका मॅम के क्लास से जाने के बाद अरुण बोला

"इसे पटा कर क्या करूँगा, साली चुदते वक़्त एचटीटीपी का फुल फॉर्म पुछेगि"
"अबे इससे अच्छी माल नही मिलेगी, "
"एश डार्लिंग है ना...."
" अपने अरमानो पर काबू रक्खो बेटा अरमान ,वरना....."
"वरना...."
"ये बीसी फिर आ गयी..."अरुण के इस तरह से तुरंत टॉपिक चेंज करने से मैं चौका
"क्या हुआ बे..."
"ये शेरीन लोडी ,फिर आ गयी सामने..."
मैने सामने की तरफ नज़र डाली तो देखा कि सामने वही लड़की खड़ी थी, जो कॉलेज के पहले दिन ही नेतागिरी झाड़ते हुए इंट्रोडक्षन क्लास चला रही थी, अरुण वैसे तो क्लास की दूसरी लड़कियो को गाली नही देता था,लेकिन शेरीन को देखते ही उसका पारा गरम हो जाता और उसके मुँह से शेरीन के लिए प्यार भरे शब्द निकल जाते......
"इतने दिन हो गये है और हम सब एक-दूसरे का नाम भी नही जानते...."मुँह बनाते हुए वो बोली....शेरीन ना ज़्यादा मोटी थी और ना ही ज़्यादा पतली...लेकिन यदि उसका फेस और उसकी आदत ढंग की हो तो शायद हम उसे छोड़ भी देते....क्लास खाली जा रही थी और इंट्रोडक्षन का दौर आगे बढ़ते हुए अरुण तक आया....
"युवर टर्न...."अरुण की तरफ उंगली दिखती हुए शेरीन बोली....
अपने अरुण भाई ताव मे आ गये और खड़े होकर बोले कि जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो दबी मे आकर मुझसे मिल ले....
___________________

"व्हाट..."नाक सिकोडती हुए शेरीन बोली,...

"हवेली मे मिलना फिर बताउन्गा तुझे ,व्हाट...."

"ये तो बहुत डेरिंग है साला..."इस वक़्त मेरी दोनो आँखे दो तरफ देख रही थी, मैं कभी शेरीन का चेहरा देखता तो कभी अरुण का और मुझे ना जाने क्या सूझा मैं अरुण के कान मे धीरे से बोला...
"तेरे लिए पर्फेक्ट माल है..."

"ज़िंदगी भर मूठ मार लूँगा, लेकिन इसे नही चोदुन्गा...."

अरुण तो शेरीन को धमकी देकर चुप हो गया, लेकिन अब अगला नंबर मेरा था ,उस वक़्त मुझे भी खड़े होकर अरुण की तरह बोल देना चाहिए था कि"जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो हवेली मे आकर मिले,...."

लेकिन मुझमे उस वक़्त उतनी हिम्मत नही थी, सबके सामने जाने से दिल घबरा रहा था,लेकिन फिर भी मैं उठा और जैसे -जैसे मेरे कदम आगे बढ़े, मैं अंदर ही अंदर काँपने लगा....
"गुडमॉर्निंग , फ्रेंड्स... आइ'म अरमान..."एक मरी सी आवाज़ मेरे मुँह से निकली...जिसे सामने वाले बेंच पर बैठे स्टूडेंट्स ही सुन पाए होंगे.....

"प्लीज़ स्पीक लाउड्ली...."शेरीन फिर बोली....

उस वक़्त शेरीन का फेस देखकर मन कर रहा था कि अपना जूता उतारकर सीधे उसके मुँह पे दे मारू,...और उसी वक़्त सिविल सब्जेक्ट वाली मॅम अंदर घुसी और घुसते ही मुझे पर गोली दाग दी....

"यहाँ क्या कर रहे हो खड़े होकर...."

"व...व...वो वो कुछ नही, बस अपना इंट्रोडक्षन दे रहा था और कुछ नही...."
"जाओ, अपनी जगह पर जाकर बैठो..."
.
"देख बे वो बाजीराव सिंघम पूरे कॉरिडर मे घूम रहा है..." अपनी कॉपी मे लिखकर अरुण ने बताया...

"अबे फॉर्मल ड्रेस तो मैने नही पहनी है...साला फिर लफडा करेगा"
"एक प्लान है...."सामने बोर्ड पर जो कुछ लिखा हुआ था उसे उतारते हुए अरुण बोला"रिसेस मे यदि कॉलेज के बाहर चलें तो बचा जा सकता है, और रिसेस जैसे ही ख़तम होगा वापस आ जाएँगे...."
"सॉलिड आइडिया है...."
इसी दौरान सिविल वाली मॅम बोर्ड पर कुछ लिखने के लिए मूडी, और उसकी बड़ी-बड़ी गान्ड हमारे सामने थी....वैसे तो सिविल वाली मॅम की एज 45+ रही होगी और उन्हे सामने से देखकर कोई ग़लत ख़यालात अपने मन मे ना लाए, लेकिन पीछे से यदि कोई उन्हे देखे तो फिर........
"ओये, साले इसको तो चोद दे"मेरी नज़र पूरी तरह से सिविल वाली मॅम के गान्ड पर जमी हुई थी....
"क्या हुआ..."मैं ऐसे रिएक्ट करने लगा जैसे मैने कुछ किया ही ना हो , लेकिन अरुण मुझसे ज़्यादा कमीना था
"अबे इसे क्यूँ घूर रहा है, इसे तो सब लोग मम्मी बोलते है...."
"मम्मी "
"नवीन बोल रहा था कि ये बहुत प्यार से पढ़ती है...मतलब कि एक क्वेस्चन को चाहे जितने बार भी पुछ लो, हमेशा शांत ही रहती है...प्रोफाइल. है ये यहाँ लेकिन इस बात का इसे बिल्कुल भी घमंड नही है..."

उस पूरे क्लास मे मैने और अरुण ने फुल2 मस्ती की , सिविल वाली मॅम ने हमे काई बार बात करते हुए और हँसते हुए भी देखा, लेकिन वो हर बार इग्नोर कर देती....सिविल वाली मॅम सच मे मम्मी थी
.
पिछले कुछ दिनो की तरह मैं आज भी रिसेस मे एश के क्लास मे घुसा इस आस मे कि शायद वो लेट आई होगी, लेकिन जवाब एक बार फिर ना मे सर हिलाकर अरुण के दोस्त ने दिया....उसके बाद मैं और अरुण बाइक स्टॅंड पर आए, मैने नवीन की बाइक की चाबी उससे माँग ली थी, बाइक स्टॅंड पर जहाँ एक तरफ अरुण ,नवीन की बाइक निकाल रहा था वही मैं दूसरी तरफ उस जगह को देख रहा था,जब कुछ दिन पहले मैने एश को पहली बार देखा था....उसकी कार आज वहाँ नही खड़ी थी और ना ही एश उस दिन की तरह वहाँ थी,लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे मोहब्बत सी हो गयी थी उस जगह से, मैं उस तरफ बढ़ ही रहा था कि अरुण ने हॉर्न मारा....
"ओये इधर पेशाब मत कर, बाहर कर लेना...."

"अबे मैं...."आगे क्या बोलू कुछ समझ नही आया इसलिए मैं इतना बोलकर चुपचाप बाइक मे बैठ गया....

"दो प्लेट समोसा देना काका..."कॉलेज के मेन बिल्डिंग से 2 कि.मी. दूर कॉलेज का मेन गेट था और उसी के आस-पास बनी दुकानो मे से एक दुकान पर बैठ कर मैने दो प्लेट समोसे का ऑर्डर दिया....

"एक प्लेट बना के देना...मतलब नमकीन, सलाद, तीखी-मीठी चटनी सब डाल देना....और हाँ थोड़ा दही भी डाल देना..."अरुण ने अपनी फरमाइश झड़ी, जिसे सुनकर मैने कहा...

"जब इतना सब कुछ डलवा रहा है तो थोड़ा ज़मीन की मिट्टी भी डलवा लियो..."
"वो तेरे लिए छोड़ी है...."
"थॅंक्स..."
पेट पूजा करने के बाद अरुण ने अपने जेब से 10 का नोट निकालकर टेबल पर ऐसे फैंका जैसे ताश खेलने वाला हुकुम का इक्का फैंकता है.....

"मैं आज भी फेके हुए पैसे नही उठाता हाइईई...."

"ठीक है..."उस 10 के नोट को उठाते हुए अरुण ने कहा"तू ही दे दे मेरा बिल..."

"नही बे मैं तो ऐसे ही अमिताभ बच्चन का डाइलॉग मार रहा था...."और मैने उसके हाथ से 10 का नोट छीन लिया.....
रिसेस मे जब कुछ देर ही रह गयी थी तब मैं और अरुण क्लास की तरफ पहुचे, हम दोनो उस वक़्त खुद को चालाक समझ कर बहुत खुश हो रहे थे कि रिसेस मे होने वाली रॅगिंग से हम दोनो बच गये, लेकिन हमारी चालाकी उस वक़्त दम तोड़ गयी जब बाइक स्टॅंड पर सीनियर्स ने हमे पकड़ लिया.....
"अरमान & अरुण...."सीनियर्स के पुच्छने पर मैने हम दोनो का नाम बताया.....
"तेरा क्या नाम है..."
"अरमान...."
अभी मैने अपना नाम ही बताया था कि हॉस्टिल वाला वो सीनियर वहाँ आ धमका जिसने कल से मुझे परेशान कर रखा था, उसने पहले अपने दोस्तो से हाथ मिलाया और फिर मुझे देखकर अपने दोस्तो से बोला...
"और पहलवान क्या हाल चाल है..."
"सब बढ़िया...."
मेरा इतना कहना था कि उसने कस कर एक थप्पड़ मुझे जड़ दिया, और उसके बाकी दोस्त हँसने लगे.....
"कितनी बार समझाया कि आइ कॉंटॅक्ट मत कर...लेकिन तेरे गान्ड मे बात घुसती ही नही...."
खून का घूट पीकर मैने अपनी आँखे नीचे की, और जब सारे सीनियर्स ने मुझे घेर लिया तो मैं समझ गया कि मेरे साथ कुछ बुरा होने वाला है कुछ बहुत ही बुरा....जिसकी मैने कल्पना तक नही की थी..........
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हमारे भारत देश के संविधान के किसी धारा के किसी अनुच्छेद मे ये सॉफ कहा गया है रॅगिंग अल्लाउ नही है पर वहाँ बिके स्टॅंड पर सब कुछ ग़लत हो रहा था.....मुझसे जाने क्या दुश्मनी थी कि वो हॉस्टिल वाला सीनियर हाथ धो के मेरे पीछे पड़ा हुआ था और उस वक़्त मैं वहाँ बिल्कुल अकेला था....कुछ देर पहले अरुण ने बीच बचाव करने की कोशिश की थी,लेकिन जब अरुण की रोक टोक से सीनियर ज़्यादा परेशान हो गये थे तो उन्होने एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर उसे वहाँ से चलता किया और मुझे अपनी बाइक पर बैठा कर वहाँ से दूर कॉलेज ग्राउंड पर ले आए.....
"बाइक से उतरेगा बीसी ,या उतार कर फेकू..."
उस वक़्त मुझे लगा कि काश मेरे पास कोई सूपर पॉवर या कुछ ऐसा होना चाहिए था जिससे मैं इनकी बॅंड बज़ा सकूँ....लेकिन मैं एक नॉर्मल स्टूडेंट था जिसने फर्स्ट अटेंप्ट मे ही इतना शानदार कॉलेज पाया था.......
"मुझे यहाँ क्यूँ लाए हो सर..."बाइक से उतर कर मैं बोला....मेरे सवाल करने से वो और भी भड़क जाएँगे ये मैं जानता था, लेकिन वहाँ चुप खड़ा रह भी तो नही सकता था....इसलिए मैने उनसे मुझे वहाँ लाने का रीज़न पुछा और जैसे कि मेरा अनुमान था मुझे जवाब मे एक थप्पड़ मिला और साथ ही साथ मेरे पीठ पर एक लात और नतीज़ा ये हुआ कि मैं सीधे ग्राउंड पर बिखर पड़ा.....
"ऐसा तो सबके साथ होता होगा..."ये सोचते हुए मैं उठा, और अपने चेहरे की धूल सॉफ करने लगा..

ग्राउंड कॉलेज से थोड़ी दूर मे था और जब कॉलेज लगा हो तो उधर एक्का-दुक्का ही आते थे, लेकिन उस दिन जब मैं अपने चेहरे पर हाथ फिरा कर धूल सॉफ कर रहा था तो मुझे दो-तीन बाइक की आवाज़ सुनाई दी जो समय बीतने के साथ बढ़ती गयी और फिर वो बाइक ग्राउंड मे आकर खड़ी हो गयी, उन बाइक्स पर लड़किया थी और वो वही चुड़ैल थी जो अक्सर कॉलेज के पीछे वाले गेट पर खड़ी होकर गालियाँ बकती थी.....

"7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाले उस गधे को भी बुला लो बे, बस उसी की कमी है...."ये मैने खुद से कहा....एक नॉर्मल पढ़ने वाला स्टूडेंट जब ऐसी सिचुयेशन मे फँसता है तो वो अक्सर घबराया हुआ होता है और कुछ का मूत तक निकल जाता है,लेकिन मैं थोड़ा अजीब बिहेवियर कर रहा था और अंदर ही अंदर कॉमेडी करे जा रहा था......

"ये तो वही कॅंटीन वाला है.."एक और बाइक आकर वहाँ खड़ी हो गयी और उस बाइक पर वही 7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाला रावण सवार था.....वरुण बाइक से उतरा तो दूसरे सीनियर ने उसे एक सिगरेट दी और सर कहकर उसे विश भी किया.......
"गुड आफ्टरनून सर..."इरादा तो नही था लेकिन फिर भी मैं वरुण से बोला, क्या पता साला खुश हो जाए और मुझे बचा ले....
"यहाँ क्यूँ बुलाया छोटे..."उसी हॉस्टिल वाले सीनियर से वरुण ने पुछा ,जो मुझसे ना जाने किस जनम का बदला ले रहा था.....

"ये वही लड़का है सर, जो बहुत उचक रहा था...आज पकड़ मे आया है...."

"इधर आ..."वरुण ने अपनी दो उंगलियो से मुझे करीब आने का इशारा किया...

"नेम क्या है..."
"अरमान.....फर्स्ट एअर....ब्रांच-मेकॅनिकल....."मैने सब कुछ एक बार मे ही बता दिया क्यूंकी मुझे मालूम था कि उसका अगला सवाल यही होगा....

"ये तो बड़ा स्मार्ट बंदा है छोटे...."

"कुछ नही सर, आप देखो अभी इसकी स्मार्टनेस निकालता हूँ...."फिर उस छोटू ने मुझे वही बैठने के लिए कहा....
"अप...."जब मैं बैठा तब उसने कहा...

मैं खड़ा हो गया तो उसने फिर डाउन बोला....साली पूरी इज़्ज़त की लगी पड़ी थी, वो सब सीनियर लड़किया अपना पेट पकड़-पकड़ कर ठहाके लगा रही थी और इधर उठक बैठक करके मेरी साँसे फहूल रही थी.....

"सबसे बड़ा चूतिया है ये....मैने आज तक इससे बड़ा घोनचू नही देखा..."विभा ने मुझे देखते हुए कहा,

मेरा पूरा शरीर उस वक़्त पसीने से लथपथ था, पाँव दर्द का रहा था....और इसी बीच वो सिचुयेशन आई जब मैं केवल बैठ कर रह गया....दोबारा उठने की हिम्मत ही नही बची थी....

"अबे उठ.....,"वरुण ने विभा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा और अपने जूते से वहाँ धूल को मेरे चेहरे पर उड़ाता हुआ बोला....

"अब....हिम्मत......नही है.."ज़ोर-ज़ोर से साँस लेते हुए मैने जवाब दिया और एक नज़ारा देखा कि वरुण और विभा के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे.....

"देखो सर, ये नही उठ रहा..."

"अबे उठ..."वरुण ताव से बोला"उठ जा वरना नंगा करके दौड़ाउंगा...."
"हाथ लगा के देख तेरी माँ चोद दूँगा..."ताव-ताव मे मैने बोल दिया ,लेकिन उसके अगले पल जब मुझे ख़याल आया कि मैने क्या बोला है तो मैं कुछ देर के लिए शुन्य हो गया और समझ गया कि मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन आज आने वाला है.....

"बेल्ट निकाल, बीसी को इसकी औकात दिखाता हू..."विभा को दूर करके वरुण मेरे पास आया और अपने बड़े-बड़े मज़बूत हाथो से मेरे जबड़ो को पकड़कर दबाते हुए अपने दोस्तो से बोला"अबे बेल्ट दो..."
"सर, छोड़ो उसे....मर जाएगा ये..."
"मरने दे "
"अरे सर छोड़ो उसे..."बाकी सीनियर्स ने वरुण को मुझसे दूर किया और फिर मेरे पास आए...
"चल पुश अप कर..."
"आइ कॅन'ट..."
"तेरा बाप भी करेगा ,साले एमसी"वरुण की आवाज़ आई,

उनलोगो ने मालूम नही क्या प्लान बनाया था कि सभी ने मुझे घेर लिया और फिर पुश अप करने के लिए कहने लगे.....
"एक बात अपनी गान्ड मे ठूंस ले ,यदि तू ज़रा भी रुका तो वही खींच कर एक लात सब मारेंगे...चल अब शुरू हो जा...."

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