Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
Posted: 20 Jan 2017 09:48
आज के दिन कॉलेज मे कोई ऐसी आने वाली थी, जिसे नही आना चाहिए था, उस दिन भी मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर गये और सीधे अपनी क्लास के अंदर दस्तक दी....नवीन पहले से ही आ चुका था...
"चल बाहर से आते है..."मैं अपनी सीट पर बैठा ही था कि नवीन ने अपने बॅग मे कुछ टटोलते हुए मुझसे बोला....
"क्यूँ....क्या हुआ ? "
"लगता है, बाइक की चाबी बाइक मे ही लगी रह गयी..."उसने घबराहट मे जवाब दिया...
मैने सोचा,अरुण को इसके साथ भेज दूं, लेकिन अरुण तो पीछे किसी से जान पहचान बना रहा था इसलिए मुझे ही उसके साथ जाना पड़ा....
"बाइक मे लगी है चाबी..."बाइक मे चाबी लगी देखकर नवीन ने राहत की साँस ली...
हम दोनो अभी बाइक स्टॅंड पर ही खड़े थे कि एक तेज़ी से आती हुई एक कार ने वहाँ खड़े सभी लोगो का ध्यान खींचा....कार देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि अंदर बैठे हुए शक्स की हसियत कितनी ज़्यादा है....
"कोई रहीस बाप का लौंडा होगा..."मैने सोचा, लेकिन मेरी सोच मुझे तब धोका दे गयी, जब उस चमचमाती कार से लड़के की जगह एक लड़की बाहर आई,...लड़की क्या पूरी मॉडर्न अप्सरा थी वो, इयररिंग से लेकर उसके सॅंडल तक उसकी रहिसी और उसकी मॉडर्न जमाने के रंग मे रंगी उसकी शक्सियत की पहचान करा रही थी....पहले तो मैने उस लड़की को पूरा उपर से लेकर नीचे तक देखा और बाद मे मेरे नज़र अपने आप उस जगह पर अटक गयी, जो एक लड़की मे मुझे सबसे अधिक पसंद था,...और ऐसी हरकत करने वाला मैं वहाँ अकेला नही था, वहाँ खड़े लगभग सभी लड़कों का यही हाल था, सब अपनी पसंदीदा जगह देख कर ललचा रहे थे.....
"ये कौन है..."मैने नवीन से पुछा तो उसने जवाब मे कंधे उचका कर मना कर दिया....
वैसे तो उस कॉलेज मे बहुत सारी खूबसूरत लड़किया थी,लेकिन वो लड़की जो अभी-अभी कार से बाहर आई थी ,वो उनमे से सबसे अलग लगी मुझे...ऐसा मुझे क्यूँ लगा इसका रीज़न आज तक मैं नही जान पाया......उसे देखकर मैं और नवीन वही खड़े रह गये, हमारे कदम ज़मीन पर और आँखे उस लड़की पर ही जमी हुई थी....उसके साथ कार से एक और भी लड़की बाहर निकली, जो उसकी करीबी फ्रेंड होगी, ऐसा मैने मान लिया....
"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....
"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....
"एश...."मैने भी दिल ही दिल मे ये नाम लिया, और बहुत खुश भी हुआ और मेरे अरमान उसे देखकर बाहर आए
"इसको तो पटाना पड़ेगा..."
"क्या...?"नवीन बोला...
"कुछ नही, चल क्लास शुरू हो गयी होगी..."
बरसो से कुछ लफ्ज़ , कुछ अल्फ़ाज़ बड़ी मुश्किल और शिद्दत से लिख रखे थे मैने किसी के लिए, जो मेरे लिए खास हो और आज एसा को देखकर वो अल्फ़ाज़ मेरे दिल से बाहर आने के लिए मचल रहे थे......
"व्हेनएवेर आइ क्लोज़ माइ आइज़ , आइ सॉ मेनी फेसस इन माइ माइंड बट वन फेस ऑल्वेज़ रिमेन सेम इन माइ माइंड, इन माइ हार्ट......"
दट फेस ईज़ माइ लव........
"व्हेनएवेर आइ हियर एनी सॉंग , आइ फील हर इन एवेरी वर्ड ऑफ दट सॉंग, आइ हियर ,.हर वाय्स इन एवेरी बीट्स ऑफ दा सॉंग......"
दट वाय्स ईज़ माइ लव........
"व्हेनएवेर आइ फील एंपटिनेस इन माइ लाइफ, आइ सॉ आ ड्रीम वित माइ ओपन आइज़,
इन विच आन एंजल कम्ज़ इन माइ ड्रीम......"
दट एंजल ईज़ माइ लव........
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"बाहर...बाहर, बिल्कुल बाहर..."दमयंती मॅम ने मुझसे कहा, जब मैने उनसे अंदर आने की पर्मिशन माँगी तो"ये क्या तुम्हारा घर है..."
"सॉरी मॅम..."नज़रें झुका कर मासूम बनने का नाटक करते हुए मैं बोला...
लेकिन मेरी उस मासूमियत का दम्मो रानी पर कोई असर नही हुआ, और उपर से उसने धमकी भी दे डाली कि यदि मैने उससे बहस की तो वो आने वाले 3 दिन तक अटेंडेन्स नही देगी
कल से ये सब कुछ मेरे साथ पहली बार हो रहा था, पहले कभी भी किसी ने क्लास से बाहर नही भगाया था, इसलिए मुझे मालूम तक नही था कि , टाइम पास कैसे करूँ ,उस समय कॉलेज मे घूम भी नही सकता था, क्या पता कोई सीनियर पकड़ कर रॅगिंग ले ले....दिल कर रहा था कि दमयंती के बाल पकडू और घसीट कर उसे क्लास से बाहर कर दूं....
"अंदर आ जाओ, और अगली बार से समय का ख़याल रखना..."दम्मो रानी ने मेरी तरफ देखा ,शायद मेरी झूठी मासूमियत और भोलेपन को उसने असली समझ लिया था....जब क्लास के अंदर आया तो एक बार फिर पूरी क्लास मुझे घूर रही थी, कुछ मुझपर हंस भी रहे थे और कलेजा तब जल गया तब देखा कि अरुण भी हंस रहा है....
"और बेटा, कहाँ घूम रहा थे तुम दोनो..."मैं अरुण के लेफ्ट साइड मे बैठा और नवीन राइट साइड मे बैठ गया...
"कहीं नही यार, बाइक स्टॅंड तक गये थे..."नवीन बोला"टाइम से वापस भी आ जाते यदि वो लड़की नही दिखी होती तो...."
"कौन लड़की बे, जल्दी बता..."
मॅम को शक़ ना हो इसलिए हम तीनो अपनी कॉपी मे सामने बोर्ड पर लिखा हुआ सब कुछ छाप रहे थे, और धीमी आवाज़ मे गप्पे भी लड़ा रहे थे.....
"मालूम नही कौन है, लेकिन है एकदम करारी आइटम....उसके सामने तो दीपिका भी कम है..."सामने बोर्ड की तरफ देखकर मैं बोला,...
एक दो बार दम्मो रानी से मेरी नज़र भी मिली, तब मैने अपना सर उपर नीचे करके उसे अहसास दिलाया कि मुझे सब कुछ समझ आ रहा है , जबकि ऐसा कुछ भी नही था, मैं तो उस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे सोच रहा था, उस वक़्त मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे बात करना चाहता था....
"कितना अच्छा हो , यदि इस दम्मो की जगह वो अप्सरा हमे मेद्स पढ़ाए...."दिल के अरमानो ने एक बार फिर घंटिया बजाई, और इन घंटियो को किसी ने बहुत ज़ोर से बजाया....
"मॅम..."क्लास के गेट की तरफ से किसी की आवाज़ आई....और जब नज़ारे उस तरफ मूडी तो बस वही जमकर रह गयी, गेट पर एसा खड़ी थी...
"यस..."मैथ वाली मॅम ने एश से कहा...
"ये भी इसी क्लास मे पढ़ेगी ,"खुश तो बहुत हुआ था , बेंच पर कूद कूद कर डॅन्स करना चाहता था, अरुण और नवीन से कहना चाहता था कि"तुम लोग यहाँ से उठ जाओ बे, वो यहाँ बैठेगी..."लेकिन अफ़सोस तब हुआ जब वो बोली कि....
"मॅम सीएस ब्रांच की क्लास कौन सी है..."
" "
कॉरिडर मे सबसे पहला क्लास हमारा ही था, इसलिए वो शायद हमारे क्लास मे अपनी क्लास पुछने आई थी, सोचा कि रो रो कर उसे इस बात का अहसास दिलाऊ कि मैं कितना दुखी हूँ, उसके यूँ जाने से , अरुण मेरे अंदर की बेचैनी को समझ गया और बोला...
"ओये, ये नाटक बंद कर, नाउ कॉन्सेंट्रेट ओन्ली ऑन दीपिका मॅम"
एश तो अपनी क्लास मे चली गयी, लेकिन उसकी छाप मेरे दिल पर वो छोड़ गयी थी, और एश की छाप केवल मुझपर ही नही पड़ी थी, और बहुत से लोग थे, जिनका दिल एश के इस तरह से जाने के कारण उदास था....अरुण और नवीन भी इसी लिस्ट मे थे.....
"वो मेरी माल है, उसको देखना भी मत..."एश के जाने के बाद मैने फिर से बोर्ड पर नज़र गढ़ाई और जो कुछ भी दम्मो रानी लिख रही थी, मैं उसे अपनी नोटबुक मे छापते हुए उन दोनो से बोला....
"सेट तो मुझसे ही होगी..."नवीन ने कहा...
"गान्ड मे भर लो सब लड़कियो को, दीपिका को देखोगे तब भी यही बोलॉगे कि ये मेरी माल है, एश को देखोगे तब भी यही बोलोगे कि ये मेरी माल है, किसी और लड़की को भी देखोगे तो वो भी तुम दोनो की ही आइटम है, मैं यहाँ हिलाने आया हूँ है ना "
मैं और नवीन हंस पड़े, और एक बार फिर दमयंती मॅम अपनी ज्वालामुखी नज़रों से हम दोनो को घूर्ने लगी, दमयंती के इस तरह से देखने के कारण मैं और नवीन चुप हो गये और एकदम सीरीयस स्टूडेंट बनकर सामने डेस्क पर रखी बुक्स के पन्ने उलटने लगे.....
"चल आजा कॅंटीन से आते है..."रिसेस मे अरुण ने मुझसे कॅंटीन चलने के लिए कहा, और मेरी आँखो के सामने वो नज़ारा छा गया जब वरुण की आइटम मेरे चेहरे से प्यार कर रही थी....मैने अरुण को सॉफ मना कर दिया कि मैं कॅंटीन की तरफ नही जाउन्गा,और फिर मैं अपने ही क्लास के सामने आकर खड़ा हो गया, जहाँ कुछ लड़के खड़े होकर बात कर रहे थे, मैं खड़ा तो अपने क्लास मे था लेकिन आँखे सीएस ब्रांच की क्लास की तरफ टिकी हुई थी,...मैं उस वक़्त वहाँ खड़ा उस वक़्त का इंतेजार कर रहा था कि कब वो मॉडर्न अप्सरा अपने क्लास से बाहर निकल कर आए और मेरी आँखो को सुकून मिले....उपरवाले ने जैसे मेरी मन की बात सुन ली हो, एश अपने उसी फ्रेंड के साथ क्लास से बाहर निकली और बाहर खड़े सभी लोग मचल उठे, सभी एश को देख रहे थे.....हमारी क्लासस फर्स्ट फ्लोर पे थी और कॉरिडर के दोनो तरफ से नीचे जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी....एश अपने फ्रेंड के साथ हमारी तरफ आने लगी,...मैं ये जानता था कि वो मेरे लिए तो इस तरफ नही आ रही है, लेकिन फिर भी धड़कने तेज हो गयी, और वो जब मेरे सामने से गुज़री तो मेरी ज़ुबान लड़खड़ाई
"आइ....."बस इतना ही बोल पाया मैं एश को देखकर , और आवाज़ भी इतनी धीमी थी कि मेरे साथ खड़े मेरे क्लास वाले भी उस आवाज़ का ना सुन पाए....
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मैं पहले भी हैरान हुआ करता था और अब भी हैरान हुआ करता हूँ, कि अरुण कैसे जान जाता है कि दूसरे क्या सोच रहे है....
"मतलब...."ज़मीन पर औधा लेटा वरुण सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए मुझसे पुछा...
"मतलब की.."मैने अरुण की तरफ देखा, साला दारू की बोतल लिए बाथरूम से बाहर आ रहा था"अरुण की एक ख़ासियत है, वो किसी का भी शकल देखकर ये बता देता है कि उसके अंदर क्या चल रहा है ,वो बंदा किस सोच मे डूबा हुआ है...."
"ऐश है क्या..."
"हाँ बे,.."
"फिर तो..."ये बोलते हुए वरुण ज़मीन पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखा....
"ये साला बाथरूम मे बोतल लेकर क्यूँ गया था ?"
"अपनी आदत है..."मेरे पास बैठते हुए वरुण की तरफ देखकर अरुण ने जवाब दिया...
"बड़ी अजीब आदत है बे, अच्छा हुआ खाने की प्लेट लेकर बाथरूम जाने की आदत नही है ,वरना एक तरफ से मेटीरियल बाहर निकलता तो दूसरी तरफ से अंदर जाता...."वरुण ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगा और मुझसे बोला"तू क्यूँ रुक गया बे, आगे बता क्या हुआ...."
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उस दिन रिसेस मे जब मैने धीमी आवाज़ मे "आइ"बोला था , तब अरुण मेरे बगल मे ही खड़ा था, और जब एश हमारी आँखो के सामने से गुज़री तो वहाँ एक अरुण ही ऐसा लड़का था जो एश की जगह मुझे देख रहा था और मेरे चेहरे के बदलते रंग को देखकर वो समझ गया था कि मेरे अंदर अभी क्या चल रहा है......
"चल आजा..."मेरा हाथ पकड़ कर अरुण बोला...
"अबे कहाँ आजा..."
"चल एश से तेरी बात कराता हूँ..."
ये सुनते ही मैने तुरंत उसका हाथ दूर किया और बोला"तुझे ऐसा क्यूँ लगा कि मैं एश से बात करना चाहता हूँ ?"
"अब बेटा हम को गिनती गिनना ना ही सिख़ाओ...जब से तूने उसे देखा है, तेरे फेस पर लाली छाइ हुई है..."
"अबे हट....ऐसी दर्जनो लड़कियो को मैं रोज देखता हूँ, तो इसका मतलब ये तो नही कि मैं उससे बात करू...."
"अभी उन दर्जनो लड़कियो को छोड़ और बाई तरफ देख..."
दूसरी तरफ से एश अपनी जुल्फे लहराती हुए आ रही थी, उस वक़्त दिल मे अरमान उठे कि काश एश सीधे मेरे पास आए और मुझे बोले कि "हे हॅंडसम, व्हाट ईज़ युवर नेम..."
दिल मे अरमान जागे कि वो मुझे देखे और मुझे देखते ही उसे मुझसे प्यार हो जाए,
वो करीब आती गयी और मेरे मूह से "आइ......"वर्ड एक बार फिर बाहर आया, लेकिन जब वो अपने क्लास की तरफ घूमी तो ये "आइ...."वर्ड वापस अंदर चला गया....
"दिल तोड़ दिया उसने उस तरफ घूमकर..."अपने सीने मे हाथ रखकर सहलाते हुए मज़किया अंदाज़ मे मैं बोला...."यार, अरुण कुछ जुगाड़ करना....उसे एक बार सही से देखना चाहता हूँ...."
"चल आजा फिर..."अरुण ने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ा...
"अबे कुत्ते हाथ छोड़, छोटा बच्चा हूँ क्या, जो बात-बात पर हाथ पकड़ लेता है..."
"प्यार है पगले..."
"इस प्यार को थोड़ा कम ही रहने दियो "
सीएस ब्रांच मे अरुण का एक दोस्त था,जिसके पास जाकर मैं और अरुण बैठ गये....जहा अरुण अपने दोस्त से बात करने लगा वही मैं चुपके से एश को तकने लगा....
ऐसा नही था कि मैने एश से पहले कोई खूबसूरत लड़की नही देखी थी, लेकिन जो कशिश उसमे थी वो आज तक मुझे किसी भी लड़की मे महसूस नही हुई थी, उस वक़्त हम दोनो किसी मॅगनेट के नॉर्थ-साउत पोल की तरह थे, जो हमेशा एक दूसरे को अट्रॅक्ट करते है.....इसी बीच फर्स्ट टाइम उसने मुझे देखा लेकिन मेरी नज़रे एका-एक दूसरी तरफ हो गयी, दिल की धड़कनो ने एक बार फिर बुलेट ट्रेन की स्पीड पकड़ ली.....
"क्या हुआ बे..."मुझे दूसरी तरफ देखते हुए देखकर अरुण ने पुछा...
"कुछ नही, बस उसने मुझे देख लिया...."
"तो, यही तो मौका था , आँख मार देता उसे उसी वक़्त..."
"फाटती है मेरी इन सब कामो से..."
"तब तो वो सेट हो चुकी तेरे से...."अरुण ने एश की तरफ देखा...
"अबे अरमान, एश तुझे ही देख रही है...."
"क्या...."दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़का...और मैने एश की तरफ देखा, अरुण सच बोल रहा था वो मेरे तरफ ही देख रही थी...उस वक़्त मुझे ऐसा लगा जैसे की वक़्त ठहर गया हो, उस वक़्त मुझे ऐसा लगा कि वहाँ उस क्लास रूम मे मेरे और उसके सिवा कोई नही है....
"टू आइज़ इंटरक्ट वित ईच अदर अट कोन्स्टत टाइम "अरुण बोला और बोलने के तुरंत बाद मेरे कंधे को पकड़ कर ज़ोर से हिलाया"रिसेस ख़तम हुआ प्यारे, अब अपनी क्लास की तरफ चले या इस बार भी यही इरादा है कि नेक्स्ट पीरियड का टीचर तुझे बाहर निकाल दे...."
"रिसेस ख़तम हो गया..."
"बिल्कुल और तू पिच्छाले 20 मिनट. से उसको घूरे जा रहा है बिना पलके झपकाए...."
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अरुण और मैं एश की क्लास से बाहर आए, क्लास तो लग चुकी थी लेकिन टीचर अभी तक लापता था.....अपनी सीट पर बैठकर मैं कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ, उसको याद करने लगा और हाथो मे पेन पकड़ कर डेस्क पर उसका नाम लिखने लगा.....
"एश....."इस नाम को सामने वाली डेस्क पर पेन से लिखने के बाद मैं उसे अपने हाथो से छुने लगा,
वो नाम मैने नॉर्मल पेन से लिखा था, उस नॉर्मल पेन के नॉर्मल स्याही से लिखा था, लेकिन जो 4 अक्षर वहाँ उभरे थे, वो मेरे लिए नॉर्मल नही था,...उन चार अक्षरो से एक लगाव सा हो गया था....लेकिन उस वक़्त मैं ये भूल गया था कि मेरे बगल मे मेरा सबसे कमीना खास दोस्त अरुण बैठा है, जो मुझे एक पल के लिए भी चैन से साँस लेने नही देगा....मेरी इस हरकत वो मुझपर चिल्लाया...
"अबे ये क्या कर रहा है..."
उसके इस तरह से अचानक बोलने से मेरा ध्यान टूटा और जिन 4 अक्षरो से मुझे लगाव था ,उन्हे मैं मिटाने की कोशिश करने लगा....लेकिन स्याही सूख चुकी थी, इसलिए नाम मिटना थोड़ा मुश्किल था......
"हाथ हटा..."
"नही..."मैने एश के नाम के आगे ऐसे हाथ रख कर खड़ा था जैसे की मेरी हाथ हटाते ही मेरी इज़्ज़त लूटने वाली हो....
"देख अरमान, मुझे दिखा दे कि क्या लिखा है डेस्क पर तूने, वरना पूरी क्लास को बता दूँगा...."
"तेरी तो"क्या करता, मजबूरी मे हाथ हटाना ही पड़ा...
"तेरी हेडराइटिंग तो सॉलिड है..."ये बोलकर अरुण पीछे मुड़ा तो मैने वापस एश के नाम को अपने हाथो से ढक लिया...
"बोतल है..."अरुण पीछे बैठे किसी लड़के से बोला...
"पानी की बोतल..."
"नही दारू की बोतल....अबे क्लास मे हूँ तो पानी की बोतल ही माँगूंगा ना...."
"तो सीधे से बोल ना...."अरुण ने जिससे पानी का बोतल माँगा था वो बोला...
"अबे घोनचू ऐसे मे क्या खाक इंजिनियर बनेगा, साले ने 12थ का एग्ज़ॅम पक्का ओपन से पास किया होगा...अब ला दे बोतल"उसके हाथ से बोतल लेकर अरुण ने पानी की कुछ बूंदे डेस्क पर डाली और एश का नाम मिटाकर मुझसे बोला...
"ये आशिक़ी का जो भूत सवार है ना, उसको संभाल कर रख वरना लेने के देने पड़ जाएँगे...."
"साले तू मुझे बत्ती दे रहा है..."
"यही तो प्यार है पगले"
हफ्ते मे 3 दिन हमारा लॅब रहता था, और हर एक लॅब दो-दो पीरियड्स के बराबर था, हम सभी अपने बाकी के काम लॅब क्लास मे ही निपटाते थे, शुरू के आधे घंटे मे लॅब वाले सिर आकर हमे एक्सपेरिमेंट और एक्विपमेंट्स को कैसे उसे करना है, ये बता कर अपनी सीट पर विराजमान हो जाते और उसके बाद का पूरा समय हम एसएमएस भेजने मे, असाइनमेंट कंप्लीट करने मे यूज़ करते थे, हमारे कॉलेज के टीचर्स की एक बहुत ही खराब आदत ये थी कि वो छोटी सी छोटी बात पर या तो अटेंडेन्स कट कर देते थे, या फिर सीधे क्लास से बाहर ही भगा देते थे...उस दिन फिज़िक्स का लॅब था और लॅब मे मैं सीएस का असाइनमेंट कर रहा था और इस काम मे अरुण भी बखूबी मेरा साथ दे रहा था कि तभी कुर्रे सर की आवाज़ पूरे लॅबोरेटरी मे गूँजी....
"जो स्टूडेंट रीडिंग और फाइनल रिज़ल्ट दिखाएगा , मैं उसी को आज का अटेंडेन्स दूँगा...."
"लग गयी तब तो...."एक दर्द भरी गुस्से से भरपूर आवाज़ मे अरुण धीमे से बोला....
"अब क्या करे..."
"मालूम नही..."
तभी मुझे अपने स्कूल के दिनो की याद आ गयी, जब मैं लॅब से अक्सर पास आउट हो चुके स्टूडेंट्स की कॉपी मारकर छाप दिया करता था.....
"हम दोनो को प्रॅक्टिकल का मनुअल नही मिला है ना..."मैने अरुण से पुछा....हम दोनो का रोल नंबर. आगे पीछे था, इसलिए एक्सपेरिमेंट भी सेम था....
"कुर्रे दे रहा था, लेकिन मैने लिया ही नही....और वैसे भी इसको रीडिंग दिखानी है...."
"तू रुक मैं जुगाड़ जमा के आता हूँ..."
ये काम मैं पहले भी बहुत बार कर चुका था, इसलिए डर तो नही लग रहा था लेकिन फिर थोड़ी सी घबराहट हो रही थी....
"सर, हमारे पास मनुअल नही है..."लॅब वाले सर के पास खड़े होकर मैं मासूमियत से बोला...
उसके बाद कुर्रे ने बहुत माथापच्ची की, हमारा रोल नंबर. पूछा, और उसके बाद साले ने एक्सपेरिमेंट्स के बारे मे मुझसे पुछा....उस वक़्त तो साला एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट क्या है मुझे ये तक नही मालूम था तो फिर बाकी उसका प्रिन्सिपल कैसे बताता......
"सर, यदि कोई पुरानी कॉपी मिल जाती तो थोड़ा आइडिया मिल जाता...."अपना रामबान मैने फैंका...
जहाँ कुर्रे बैठा हुआ था, वहाँ से बाई तरफ थोड़ा अंदर एक छोटा सा रूम था...उसने पहले 5 मिनट. तक मेरी शकल देखी और फिर मुझे अंदर जाने के लिए बोला....
"वो अंदर बैठी हुई है, उनसे माँग लो...."
"थॅंक यू सर...."
आधा काम तो निपटा लिया था, बस आधा काम और बाकी था, पहले मैने सोचा कि अंदर जिस रूम मे मैं जा रहा था वहाँ कोई कुर्रे की एज का ही टीचर होगा, यानी की 40 से 45 उम्र का, लेकिन मैने जैसे ही मैं अंदर घुसा आँखे बाहर आ गयी ये देखकर की अंदर दीपिका मॅम बैठी हुई है......
"मॅम, वो पुरानी प्रॅक्टिकल कॉपी चाहिए थी...."उस रूम के चारो तरफ देखते हुए मैं बोला....
"सर से पुछा है..."वो टेबल पर ऐसे बैठी थी, जैसे कि वो इस कॉलेज की प्रिन्सिपल हो....
"जी मॅम, उन्होने ही कहा है कि मैं अंदर जाकर अपना काम कर सकता हूँ..."मैने जान बुझ कर ऐसा कहा....
"कैसा काम..."चेयर पर सीधी होते हुए उसने मेरी तरफ निगाह डाली....
"वही वाला....."मैं बोला, फ्लर्टिंग करना मेरे लिए कोई नयी बात नही थी, मैं अक्सर मौका मिलने पर ये सब काम कर दिया करता था पर अफ़सोस की आज तक किसी लड़की ने मेरे अरमानो को ठंडा नही किया था......
"मकेनिकल फर्स्ट एअर राइट...."
मैने हां मे सर हिलाया तो दीपिका मॅम ने एक तरफ इशारा कर दिया...जहाँ पास आउट स्टूडेंट्स की प्रॅक्टिकल कॉपीस जमा की हुई थी, मैं वहाँ पहुचा एक दो कॉपी को खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगा, लेकिन इस बीच मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ दीपिका मॅम पर था कि वो मुझे देख तो नही रही है....दीपिका मॅम इस समय अपने मोबाइल मे बिज़ी थी, और यही मेरे लिए सही मौका था...मैने चुपके से एक प्रॅक्टिकल कॉपी को अपने शर्ट के नीचे पेट के पास फँसा लिया और उसके कुछ देर बाद तक मैं वही खड़ा रहा....
"ठीक है मॅम, मैं चलता हूँ...."
मुझे पूरी उम्मीद थी कि दीपिका मॅम ने मुझे नही देखा था, और मैं अपनी स्मार्टनेस पर खुद को प्रेज़ करता हुआ वहाँ से जा ही रहा था कि दीपिका माँ ने पीछे से आवाज़ दी...
"रूको..."
"जी मॅम..."दिल मे घबराहट एक बार फिर पैदा हो गयी....
"यू थिंक दट ऑल दा स्टाफ ऑफ कॉलेज आर फूल..."
"मतलब...?"
"मतलब ये कि..."वो अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आई और सीधा मेरे पेट पर हाथ फिराती हुई बोली"ये तुम्हारे सिक्स पॅक्स इतने मजबूत है या लॅब की कॉपी चुरा कर ले जा रहे हो...."
इसके आगे बोलने की मेरी हिम्मत नही हुई,मैं किसी अपराधी की तरह वहाँ खड़ा दीपिका मॅम के अगले आक्षन का इंतज़ार कर रहा था....
"तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं यही से पास आउट हूँ और मुझे मालूम है ये फंडे...इसलिए मेरे सामने होशियार बनने की कोशिश मत करना..."ऐसा बोलते हुए उसने प्रॅक्टिकल कॉपी निकाल ली और बोली"तुम्हारे जाने के बाद कुर्रे सर यहा आएँगे और वो मुझसे पुछेन्गे कि मैने कहीं कुछ उठा तो नही लिया, और फिर जब तुम बाहर जाओगे तो तुम्हारी चेकिंग भी होगी...."
" सालो ने कोहिनूर हीरा छुपा रखा है क्या यहाँ..."
"तुमने कुछ बोला..."
"सॉरी मॅम,..."
"अब जाओ..."उसके अगले पल ही दीपिका मॅम ने वो हरकत की जिसके कारण मेरा दिल लेफ्ट साइड से राइट साइड मे शिफ्ट होने वाला था, 1000 वोल्ट्स का झटका दिया दीपिका मॅम ने मुझे....उसने मेरा हाथ पकड़ा और सीधे अपनी गरम चूत से टच करा दिया और बोली "पसंद आया हो तो दोबारा बताना....."
मैं, उस रूम से बाहर निकला,वहाँ से आने के बाद मेरी सिट्टी पिटी गुम हो गयी थी, ऐसा लगने लगा था जैसे की किसी ने मेरे हाथ मे कुछ देर पहले करेंट का वाइयर पकड़ा दिया हो.......
"क्या हुआ ? लाया प्रॅक्टिकल कॉपी ?"मुझे अपने बगल मे चुपचाप बैठा देखकर अरुण ने मुझसे पुछा....
"अभी कुछ देर बात मत कर ,सदमे मे हूँ...."
"क्या हुआ....किसी ने चोरी करते हुए देख लिया क्या ? "
"मेरी चोरी पकड़ी भी गयी और उसकी सज़ा भी दे दी गयी..."मैं अब भी सदमे मे था.....
"आख़िर हुआ क्या..."
"कुछ नही, अब मैं ठीक हूँ..."मेरे दिल-ओ-दिमाग़ मे , मेरे पूरे जहाँ मे सिर्फ़ वही नज़ारा घूम रहा था, जब दीपिका मॅम ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपनी चूत से टच करा दिया....
"आइ वाज़ ट्रेंबल्ड..."मैं बड़बड़ाया...
"ऐसा क्या देख लिया तूने..."
"कुछ नही..."
दीपिका मॅम ने जो किया उसपर मुझे यकीन नही हो रहा था, कोई भी लड़की बिना जान पहचान के ऐसे कैसे कर सकती है, ये जानते हुए भी कि मैं उसकी कंप्लेंट कर सकता हूँ, शायद मैने ही दीपिका मॅम को बढ़ावा दिया था ऐसा करने के लिए...ना मैं डबल मीनिंग मे उससे बात करता और ना ही वो मेरा हाथ पकड़ती और ना ही... अभी तक जो कुछ भी मेरे साथ हुआ था वो सब अनएक्सपेक्टेड था, मैने कभी नही सोचा था की मैं एक लड़की के पीछे पागल हो जाउन्गा और ना ही मैने ये सोचा था कि शुरुआत के कुछ दिनो मे ही मुझे वो छुने को मिल जाएगा......उस दिन के बाद दीपिका मॅम से जैसे मैं नज़र ही नही मिला पा रहा था, वो जब तक क्लास मे रहती मैं अपना सर झुकाए रहता और चुपके से उनकी तरफ देखता तो वो मंद-मंद मुस्कुराती नज़र आती....
"साला मैं कितना शर्मिला हूँ..."
मुझे मेरी ज़िंदगी के 18 साल बीत जाने के बाद ये मालूम चला कि, मैं भी उन लड़को मे से हूँ ,जिनकी लड़कियो को देखकर कुछ बोलने की हिम्मत नही होती.....एश कुछ दिनो से कॉलेज नही आई थी, मैं जब भी उसके क्लास मे जाकर अरुण के दोस्त से पुछ्ता तो वो ना मे सर हिला देता,...दिल बेचैन रहता था उसके बगैर , हर दिन रिसेस मे मैं अरुण को लेकर उसकी क्लास मे उसके दोस्त के पास जाता था और जहाँ वो बैठा करती थी, उस जगह को इस आस मे देखता था कि शायद वो लेट आई हो,लेकिन हर दिन उसकी जगह कोई और लड़की ही वहाँ बैठी हुई मिलती और हर दिन मैं उसके क्लास से उदास ही लौटता था....
अभी तक तो मैं बहुत सी अनएक्सपेक्टेड चीज़ो को झेल चुका था, लेकिन इन सबके आलवा भी कुछ और था जो कि मेरी ज़िंदगी मे पहली बार होने वाला था और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि मुझे इस बात की भनक तक नही थी....
कुछ दिन बीतने के बाद मेरी कुछ और लड़को से दोस्ती हो गयी और हर दिन की तरह हम आज भी रिसेस मे अपनी क्लास के बाहर खड़े आस-पास से गुजरने वाली लड़कियो का मज़ा ले रहे थे.....एश के लिए मेरा इंटेरेस्ट कम होता जा रहा था, मैं अब हर खूबसूरत लड़की को देखकर इसी ख़याल मे डूब जाता कि मैं उसे अपने हॉस्टिल के रूम मे चोद रहा हूँ, एक अजीब सा बदलाव आ रहा था मुझमे दीपिका मॅम की उस हरकत से....
"सब लाइन मे खड़े हो..."किसी ने गला फाड़ कर कहा, और जब मेरी नज़र उस तरफ पड़ी तो देखा कि दो सीनियर्स हमे लाइन मे खड़े रहने के लिए कह रहे थे.....उनका कहना था कि हम सब लाइन मे खड़े हो गये....
"आँख नीचे कर बे...अपने बाप से आँख मिलाता है साले बीसी..."किसी एक को उसने चमकाया....
"क्या है बेटा , विश नही करते तुम लोग सीनियर्स को...गान्ड मे डंडा डाल के याद दिलाना पड़ेगा क्या...."उन दो मे से एक ने बॅग टाँग रखा था यानी वो रिसेस के बाद वो बंक मारने के प्लान मे था और दूसरा अपनी हथेलियो को रगड़ रहा था....
"चलो इधर आ जाओ और क्लास मे जितने लड़के है उन्हे भी बुलाओ..."जिसने बॅग टाँग रखा था वो बोला...
क्लास मे जितने लड़के थे उन सबको बुला लिया गया, मैं दिल ही दिल मे ये चाह रहा था कि कही से कोई टीचर आ जाए....लेकिन साला कोई नही आया, सब अपना पेट भरने मे लगे हुए थे.....
"तेरा नाम क्या है...."मुझे उपर से नीचे देखते हुए वो बोला....
"ज..ज..जी..."मैं हकलाया...सच तो ये था कि वहाँ खड़े हर लड़के की बुरी तरह से फट चुकी थी...
"नाम क्या है इंजिनियर साहेब आपका..."
"अरमान..."मैने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा और जवाब देकर वापस अपनी गर्दन नीचे कर ली....
"दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये...."वो गाते हुए मेरे पास आया और बेल्ट के पास पैंट को पकड़ कर ज़ोर से हिलाता हुआ बोला "यहाँ क्या करने आता है..."
"पढ़ने..."
"तो फिर कल से फॉर्मल ड्रेस मे आया कर, वरना यही से नीचे फैंक दूँगा...समझा"
"ज...ज...जी सर..."(तेरा बाप देगा पैसा फॉर्मल ड्रेस खरीदने का , बे साले चूतिए...)
"चल रिलॅक्स हो जा..."बेल्ट छोड़ कर मेरा कंधा सहलाते हुए वो बोला"मेरा नाम जानता है...."
"नही...."
"मैं हूँ बाजीराव सिंघम....समझा, कल से स्टूडेंट्स की तरह दिखना..."
उन दो चूतियो को मैं अकेला ही दिखा था क्या जो साले मेरी लेके चले गये, उनके जाने के बाद मालूम चला कि वो दोनो माइनिंग ब्रांच के थे.....
"ये तो माइनिंग के थे, इसका मतलब मेकॅनिकल वाले भी कुछ दिनो मे अपने दर्शन देंगे..."
हर कॉलेज मे अलग-अलग फंडा चलता है, हमारे यहाँ रॅगिंग तब होती थी, जब कुछ हफ्ते निकल जाते थे...सिटी मे रहने वाले तो फिर भी बच जाते थे, लेकिन हॉस्टिल वालो की ऐसी तैसी हो जाती थी....
उस दिन रिसेस के बाद हम सबके मन मे यही सवाल घूम रहा था कि इन सबसे कैसे बचा जाए, और उस दिन के बाकी के पीरियड्स इसी ख़ौफ़ मे निकल गये,...
मैं और अरुण कॉलेज की छुट्टी के बाद हॉस्टिल की तरफ ही जा रहे थे कि हॉस्टिल से थोड़ी दूर पर भीड़ दिखाई दी.....
"ये साले बीसी, यही चालू हो गये..."अरुण वही रुक गया और मुझसे बोला"इस रास्ते से मत जा, सामने सीनियर्स खड़े है...."
"चल बाहर से आते है..."मैं अपनी सीट पर बैठा ही था कि नवीन ने अपने बॅग मे कुछ टटोलते हुए मुझसे बोला....
"क्यूँ....क्या हुआ ? "
"लगता है, बाइक की चाबी बाइक मे ही लगी रह गयी..."उसने घबराहट मे जवाब दिया...
मैने सोचा,अरुण को इसके साथ भेज दूं, लेकिन अरुण तो पीछे किसी से जान पहचान बना रहा था इसलिए मुझे ही उसके साथ जाना पड़ा....
"बाइक मे लगी है चाबी..."बाइक मे चाबी लगी देखकर नवीन ने राहत की साँस ली...
हम दोनो अभी बाइक स्टॅंड पर ही खड़े थे कि एक तेज़ी से आती हुई एक कार ने वहाँ खड़े सभी लोगो का ध्यान खींचा....कार देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि अंदर बैठे हुए शक्स की हसियत कितनी ज़्यादा है....
"कोई रहीस बाप का लौंडा होगा..."मैने सोचा, लेकिन मेरी सोच मुझे तब धोका दे गयी, जब उस चमचमाती कार से लड़के की जगह एक लड़की बाहर आई,...लड़की क्या पूरी मॉडर्न अप्सरा थी वो, इयररिंग से लेकर उसके सॅंडल तक उसकी रहिसी और उसकी मॉडर्न जमाने के रंग मे रंगी उसकी शक्सियत की पहचान करा रही थी....पहले तो मैने उस लड़की को पूरा उपर से लेकर नीचे तक देखा और बाद मे मेरे नज़र अपने आप उस जगह पर अटक गयी, जो एक लड़की मे मुझे सबसे अधिक पसंद था,...और ऐसी हरकत करने वाला मैं वहाँ अकेला नही था, वहाँ खड़े लगभग सभी लड़कों का यही हाल था, सब अपनी पसंदीदा जगह देख कर ललचा रहे थे.....
"ये कौन है..."मैने नवीन से पुछा तो उसने जवाब मे कंधे उचका कर मना कर दिया....
वैसे तो उस कॉलेज मे बहुत सारी खूबसूरत लड़किया थी,लेकिन वो लड़की जो अभी-अभी कार से बाहर आई थी ,वो उनमे से सबसे अलग लगी मुझे...ऐसा मुझे क्यूँ लगा इसका रीज़न आज तक मैं नही जान पाया......उसे देखकर मैं और नवीन वही खड़े रह गये, हमारे कदम ज़मीन पर और आँखे उस लड़की पर ही जमी हुई थी....उसके साथ कार से एक और भी लड़की बाहर निकली, जो उसकी करीबी फ्रेंड होगी, ऐसा मैने मान लिया....
"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....
"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....
"एश...."मैने भी दिल ही दिल मे ये नाम लिया, और बहुत खुश भी हुआ और मेरे अरमान उसे देखकर बाहर आए
"इसको तो पटाना पड़ेगा..."
"क्या...?"नवीन बोला...
"कुछ नही, चल क्लास शुरू हो गयी होगी..."
बरसो से कुछ लफ्ज़ , कुछ अल्फ़ाज़ बड़ी मुश्किल और शिद्दत से लिख रखे थे मैने किसी के लिए, जो मेरे लिए खास हो और आज एसा को देखकर वो अल्फ़ाज़ मेरे दिल से बाहर आने के लिए मचल रहे थे......
"व्हेनएवेर आइ क्लोज़ माइ आइज़ , आइ सॉ मेनी फेसस इन माइ माइंड बट वन फेस ऑल्वेज़ रिमेन सेम इन माइ माइंड, इन माइ हार्ट......"
दट फेस ईज़ माइ लव........
"व्हेनएवेर आइ हियर एनी सॉंग , आइ फील हर इन एवेरी वर्ड ऑफ दट सॉंग, आइ हियर ,.हर वाय्स इन एवेरी बीट्स ऑफ दा सॉंग......"
दट वाय्स ईज़ माइ लव........
"व्हेनएवेर आइ फील एंपटिनेस इन माइ लाइफ, आइ सॉ आ ड्रीम वित माइ ओपन आइज़,
इन विच आन एंजल कम्ज़ इन माइ ड्रीम......"
दट एंजल ईज़ माइ लव........
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"बाहर...बाहर, बिल्कुल बाहर..."दमयंती मॅम ने मुझसे कहा, जब मैने उनसे अंदर आने की पर्मिशन माँगी तो"ये क्या तुम्हारा घर है..."
"सॉरी मॅम..."नज़रें झुका कर मासूम बनने का नाटक करते हुए मैं बोला...
लेकिन मेरी उस मासूमियत का दम्मो रानी पर कोई असर नही हुआ, और उपर से उसने धमकी भी दे डाली कि यदि मैने उससे बहस की तो वो आने वाले 3 दिन तक अटेंडेन्स नही देगी
कल से ये सब कुछ मेरे साथ पहली बार हो रहा था, पहले कभी भी किसी ने क्लास से बाहर नही भगाया था, इसलिए मुझे मालूम तक नही था कि , टाइम पास कैसे करूँ ,उस समय कॉलेज मे घूम भी नही सकता था, क्या पता कोई सीनियर पकड़ कर रॅगिंग ले ले....दिल कर रहा था कि दमयंती के बाल पकडू और घसीट कर उसे क्लास से बाहर कर दूं....
"अंदर आ जाओ, और अगली बार से समय का ख़याल रखना..."दम्मो रानी ने मेरी तरफ देखा ,शायद मेरी झूठी मासूमियत और भोलेपन को उसने असली समझ लिया था....जब क्लास के अंदर आया तो एक बार फिर पूरी क्लास मुझे घूर रही थी, कुछ मुझपर हंस भी रहे थे और कलेजा तब जल गया तब देखा कि अरुण भी हंस रहा है....
"और बेटा, कहाँ घूम रहा थे तुम दोनो..."मैं अरुण के लेफ्ट साइड मे बैठा और नवीन राइट साइड मे बैठ गया...
"कहीं नही यार, बाइक स्टॅंड तक गये थे..."नवीन बोला"टाइम से वापस भी आ जाते यदि वो लड़की नही दिखी होती तो...."
"कौन लड़की बे, जल्दी बता..."
मॅम को शक़ ना हो इसलिए हम तीनो अपनी कॉपी मे सामने बोर्ड पर लिखा हुआ सब कुछ छाप रहे थे, और धीमी आवाज़ मे गप्पे भी लड़ा रहे थे.....
"मालूम नही कौन है, लेकिन है एकदम करारी आइटम....उसके सामने तो दीपिका भी कम है..."सामने बोर्ड की तरफ देखकर मैं बोला,...
एक दो बार दम्मो रानी से मेरी नज़र भी मिली, तब मैने अपना सर उपर नीचे करके उसे अहसास दिलाया कि मुझे सब कुछ समझ आ रहा है , जबकि ऐसा कुछ भी नही था, मैं तो उस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे सोच रहा था, उस वक़्त मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे बात करना चाहता था....
"कितना अच्छा हो , यदि इस दम्मो की जगह वो अप्सरा हमे मेद्स पढ़ाए...."दिल के अरमानो ने एक बार फिर घंटिया बजाई, और इन घंटियो को किसी ने बहुत ज़ोर से बजाया....
"मॅम..."क्लास के गेट की तरफ से किसी की आवाज़ आई....और जब नज़ारे उस तरफ मूडी तो बस वही जमकर रह गयी, गेट पर एसा खड़ी थी...
"यस..."मैथ वाली मॅम ने एश से कहा...
"ये भी इसी क्लास मे पढ़ेगी ,"खुश तो बहुत हुआ था , बेंच पर कूद कूद कर डॅन्स करना चाहता था, अरुण और नवीन से कहना चाहता था कि"तुम लोग यहाँ से उठ जाओ बे, वो यहाँ बैठेगी..."लेकिन अफ़सोस तब हुआ जब वो बोली कि....
"मॅम सीएस ब्रांच की क्लास कौन सी है..."
" "
कॉरिडर मे सबसे पहला क्लास हमारा ही था, इसलिए वो शायद हमारे क्लास मे अपनी क्लास पुछने आई थी, सोचा कि रो रो कर उसे इस बात का अहसास दिलाऊ कि मैं कितना दुखी हूँ, उसके यूँ जाने से , अरुण मेरे अंदर की बेचैनी को समझ गया और बोला...
"ओये, ये नाटक बंद कर, नाउ कॉन्सेंट्रेट ओन्ली ऑन दीपिका मॅम"
एश तो अपनी क्लास मे चली गयी, लेकिन उसकी छाप मेरे दिल पर वो छोड़ गयी थी, और एश की छाप केवल मुझपर ही नही पड़ी थी, और बहुत से लोग थे, जिनका दिल एश के इस तरह से जाने के कारण उदास था....अरुण और नवीन भी इसी लिस्ट मे थे.....
"वो मेरी माल है, उसको देखना भी मत..."एश के जाने के बाद मैने फिर से बोर्ड पर नज़र गढ़ाई और जो कुछ भी दम्मो रानी लिख रही थी, मैं उसे अपनी नोटबुक मे छापते हुए उन दोनो से बोला....
"सेट तो मुझसे ही होगी..."नवीन ने कहा...
"गान्ड मे भर लो सब लड़कियो को, दीपिका को देखोगे तब भी यही बोलॉगे कि ये मेरी माल है, एश को देखोगे तब भी यही बोलोगे कि ये मेरी माल है, किसी और लड़की को भी देखोगे तो वो भी तुम दोनो की ही आइटम है, मैं यहाँ हिलाने आया हूँ है ना "
मैं और नवीन हंस पड़े, और एक बार फिर दमयंती मॅम अपनी ज्वालामुखी नज़रों से हम दोनो को घूर्ने लगी, दमयंती के इस तरह से देखने के कारण मैं और नवीन चुप हो गये और एकदम सीरीयस स्टूडेंट बनकर सामने डेस्क पर रखी बुक्स के पन्ने उलटने लगे.....
"चल आजा कॅंटीन से आते है..."रिसेस मे अरुण ने मुझसे कॅंटीन चलने के लिए कहा, और मेरी आँखो के सामने वो नज़ारा छा गया जब वरुण की आइटम मेरे चेहरे से प्यार कर रही थी....मैने अरुण को सॉफ मना कर दिया कि मैं कॅंटीन की तरफ नही जाउन्गा,और फिर मैं अपने ही क्लास के सामने आकर खड़ा हो गया, जहाँ कुछ लड़के खड़े होकर बात कर रहे थे, मैं खड़ा तो अपने क्लास मे था लेकिन आँखे सीएस ब्रांच की क्लास की तरफ टिकी हुई थी,...मैं उस वक़्त वहाँ खड़ा उस वक़्त का इंतेजार कर रहा था कि कब वो मॉडर्न अप्सरा अपने क्लास से बाहर निकल कर आए और मेरी आँखो को सुकून मिले....उपरवाले ने जैसे मेरी मन की बात सुन ली हो, एश अपने उसी फ्रेंड के साथ क्लास से बाहर निकली और बाहर खड़े सभी लोग मचल उठे, सभी एश को देख रहे थे.....हमारी क्लासस फर्स्ट फ्लोर पे थी और कॉरिडर के दोनो तरफ से नीचे जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी....एश अपने फ्रेंड के साथ हमारी तरफ आने लगी,...मैं ये जानता था कि वो मेरे लिए तो इस तरफ नही आ रही है, लेकिन फिर भी धड़कने तेज हो गयी, और वो जब मेरे सामने से गुज़री तो मेरी ज़ुबान लड़खड़ाई
"आइ....."बस इतना ही बोल पाया मैं एश को देखकर , और आवाज़ भी इतनी धीमी थी कि मेरे साथ खड़े मेरे क्लास वाले भी उस आवाज़ का ना सुन पाए....
.
मैं पहले भी हैरान हुआ करता था और अब भी हैरान हुआ करता हूँ, कि अरुण कैसे जान जाता है कि दूसरे क्या सोच रहे है....
"मतलब...."ज़मीन पर औधा लेटा वरुण सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए मुझसे पुछा...
"मतलब की.."मैने अरुण की तरफ देखा, साला दारू की बोतल लिए बाथरूम से बाहर आ रहा था"अरुण की एक ख़ासियत है, वो किसी का भी शकल देखकर ये बता देता है कि उसके अंदर क्या चल रहा है ,वो बंदा किस सोच मे डूबा हुआ है...."
"ऐश है क्या..."
"हाँ बे,.."
"फिर तो..."ये बोलते हुए वरुण ज़मीन पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखा....
"ये साला बाथरूम मे बोतल लेकर क्यूँ गया था ?"
"अपनी आदत है..."मेरे पास बैठते हुए वरुण की तरफ देखकर अरुण ने जवाब दिया...
"बड़ी अजीब आदत है बे, अच्छा हुआ खाने की प्लेट लेकर बाथरूम जाने की आदत नही है ,वरना एक तरफ से मेटीरियल बाहर निकलता तो दूसरी तरफ से अंदर जाता...."वरुण ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगा और मुझसे बोला"तू क्यूँ रुक गया बे, आगे बता क्या हुआ...."
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उस दिन रिसेस मे जब मैने धीमी आवाज़ मे "आइ"बोला था , तब अरुण मेरे बगल मे ही खड़ा था, और जब एश हमारी आँखो के सामने से गुज़री तो वहाँ एक अरुण ही ऐसा लड़का था जो एश की जगह मुझे देख रहा था और मेरे चेहरे के बदलते रंग को देखकर वो समझ गया था कि मेरे अंदर अभी क्या चल रहा है......
"चल आजा..."मेरा हाथ पकड़ कर अरुण बोला...
"अबे कहाँ आजा..."
"चल एश से तेरी बात कराता हूँ..."
ये सुनते ही मैने तुरंत उसका हाथ दूर किया और बोला"तुझे ऐसा क्यूँ लगा कि मैं एश से बात करना चाहता हूँ ?"
"अब बेटा हम को गिनती गिनना ना ही सिख़ाओ...जब से तूने उसे देखा है, तेरे फेस पर लाली छाइ हुई है..."
"अबे हट....ऐसी दर्जनो लड़कियो को मैं रोज देखता हूँ, तो इसका मतलब ये तो नही कि मैं उससे बात करू...."
"अभी उन दर्जनो लड़कियो को छोड़ और बाई तरफ देख..."
दूसरी तरफ से एश अपनी जुल्फे लहराती हुए आ रही थी, उस वक़्त दिल मे अरमान उठे कि काश एश सीधे मेरे पास आए और मुझे बोले कि "हे हॅंडसम, व्हाट ईज़ युवर नेम..."
दिल मे अरमान जागे कि वो मुझे देखे और मुझे देखते ही उसे मुझसे प्यार हो जाए,
वो करीब आती गयी और मेरे मूह से "आइ......"वर्ड एक बार फिर बाहर आया, लेकिन जब वो अपने क्लास की तरफ घूमी तो ये "आइ...."वर्ड वापस अंदर चला गया....
"दिल तोड़ दिया उसने उस तरफ घूमकर..."अपने सीने मे हाथ रखकर सहलाते हुए मज़किया अंदाज़ मे मैं बोला...."यार, अरुण कुछ जुगाड़ करना....उसे एक बार सही से देखना चाहता हूँ...."
"चल आजा फिर..."अरुण ने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ा...
"अबे कुत्ते हाथ छोड़, छोटा बच्चा हूँ क्या, जो बात-बात पर हाथ पकड़ लेता है..."
"प्यार है पगले..."
"इस प्यार को थोड़ा कम ही रहने दियो "
सीएस ब्रांच मे अरुण का एक दोस्त था,जिसके पास जाकर मैं और अरुण बैठ गये....जहा अरुण अपने दोस्त से बात करने लगा वही मैं चुपके से एश को तकने लगा....
ऐसा नही था कि मैने एश से पहले कोई खूबसूरत लड़की नही देखी थी, लेकिन जो कशिश उसमे थी वो आज तक मुझे किसी भी लड़की मे महसूस नही हुई थी, उस वक़्त हम दोनो किसी मॅगनेट के नॉर्थ-साउत पोल की तरह थे, जो हमेशा एक दूसरे को अट्रॅक्ट करते है.....इसी बीच फर्स्ट टाइम उसने मुझे देखा लेकिन मेरी नज़रे एका-एक दूसरी तरफ हो गयी, दिल की धड़कनो ने एक बार फिर बुलेट ट्रेन की स्पीड पकड़ ली.....
"क्या हुआ बे..."मुझे दूसरी तरफ देखते हुए देखकर अरुण ने पुछा...
"कुछ नही, बस उसने मुझे देख लिया...."
"तो, यही तो मौका था , आँख मार देता उसे उसी वक़्त..."
"फाटती है मेरी इन सब कामो से..."
"तब तो वो सेट हो चुकी तेरे से...."अरुण ने एश की तरफ देखा...
"अबे अरमान, एश तुझे ही देख रही है...."
"क्या...."दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़का...और मैने एश की तरफ देखा, अरुण सच बोल रहा था वो मेरे तरफ ही देख रही थी...उस वक़्त मुझे ऐसा लगा जैसे की वक़्त ठहर गया हो, उस वक़्त मुझे ऐसा लगा कि वहाँ उस क्लास रूम मे मेरे और उसके सिवा कोई नही है....
"टू आइज़ इंटरक्ट वित ईच अदर अट कोन्स्टत टाइम "अरुण बोला और बोलने के तुरंत बाद मेरे कंधे को पकड़ कर ज़ोर से हिलाया"रिसेस ख़तम हुआ प्यारे, अब अपनी क्लास की तरफ चले या इस बार भी यही इरादा है कि नेक्स्ट पीरियड का टीचर तुझे बाहर निकाल दे...."
"रिसेस ख़तम हो गया..."
"बिल्कुल और तू पिच्छाले 20 मिनट. से उसको घूरे जा रहा है बिना पलके झपकाए...."
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अरुण और मैं एश की क्लास से बाहर आए, क्लास तो लग चुकी थी लेकिन टीचर अभी तक लापता था.....अपनी सीट पर बैठकर मैं कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ, उसको याद करने लगा और हाथो मे पेन पकड़ कर डेस्क पर उसका नाम लिखने लगा.....
"एश....."इस नाम को सामने वाली डेस्क पर पेन से लिखने के बाद मैं उसे अपने हाथो से छुने लगा,
वो नाम मैने नॉर्मल पेन से लिखा था, उस नॉर्मल पेन के नॉर्मल स्याही से लिखा था, लेकिन जो 4 अक्षर वहाँ उभरे थे, वो मेरे लिए नॉर्मल नही था,...उन चार अक्षरो से एक लगाव सा हो गया था....लेकिन उस वक़्त मैं ये भूल गया था कि मेरे बगल मे मेरा सबसे कमीना खास दोस्त अरुण बैठा है, जो मुझे एक पल के लिए भी चैन से साँस लेने नही देगा....मेरी इस हरकत वो मुझपर चिल्लाया...
"अबे ये क्या कर रहा है..."
उसके इस तरह से अचानक बोलने से मेरा ध्यान टूटा और जिन 4 अक्षरो से मुझे लगाव था ,उन्हे मैं मिटाने की कोशिश करने लगा....लेकिन स्याही सूख चुकी थी, इसलिए नाम मिटना थोड़ा मुश्किल था......
"हाथ हटा..."
"नही..."मैने एश के नाम के आगे ऐसे हाथ रख कर खड़ा था जैसे की मेरी हाथ हटाते ही मेरी इज़्ज़त लूटने वाली हो....
"देख अरमान, मुझे दिखा दे कि क्या लिखा है डेस्क पर तूने, वरना पूरी क्लास को बता दूँगा...."
"तेरी तो"क्या करता, मजबूरी मे हाथ हटाना ही पड़ा...
"तेरी हेडराइटिंग तो सॉलिड है..."ये बोलकर अरुण पीछे मुड़ा तो मैने वापस एश के नाम को अपने हाथो से ढक लिया...
"बोतल है..."अरुण पीछे बैठे किसी लड़के से बोला...
"पानी की बोतल..."
"नही दारू की बोतल....अबे क्लास मे हूँ तो पानी की बोतल ही माँगूंगा ना...."
"तो सीधे से बोल ना...."अरुण ने जिससे पानी का बोतल माँगा था वो बोला...
"अबे घोनचू ऐसे मे क्या खाक इंजिनियर बनेगा, साले ने 12थ का एग्ज़ॅम पक्का ओपन से पास किया होगा...अब ला दे बोतल"उसके हाथ से बोतल लेकर अरुण ने पानी की कुछ बूंदे डेस्क पर डाली और एश का नाम मिटाकर मुझसे बोला...
"ये आशिक़ी का जो भूत सवार है ना, उसको संभाल कर रख वरना लेने के देने पड़ जाएँगे...."
"साले तू मुझे बत्ती दे रहा है..."
"यही तो प्यार है पगले"
हफ्ते मे 3 दिन हमारा लॅब रहता था, और हर एक लॅब दो-दो पीरियड्स के बराबर था, हम सभी अपने बाकी के काम लॅब क्लास मे ही निपटाते थे, शुरू के आधे घंटे मे लॅब वाले सिर आकर हमे एक्सपेरिमेंट और एक्विपमेंट्स को कैसे उसे करना है, ये बता कर अपनी सीट पर विराजमान हो जाते और उसके बाद का पूरा समय हम एसएमएस भेजने मे, असाइनमेंट कंप्लीट करने मे यूज़ करते थे, हमारे कॉलेज के टीचर्स की एक बहुत ही खराब आदत ये थी कि वो छोटी सी छोटी बात पर या तो अटेंडेन्स कट कर देते थे, या फिर सीधे क्लास से बाहर ही भगा देते थे...उस दिन फिज़िक्स का लॅब था और लॅब मे मैं सीएस का असाइनमेंट कर रहा था और इस काम मे अरुण भी बखूबी मेरा साथ दे रहा था कि तभी कुर्रे सर की आवाज़ पूरे लॅबोरेटरी मे गूँजी....
"जो स्टूडेंट रीडिंग और फाइनल रिज़ल्ट दिखाएगा , मैं उसी को आज का अटेंडेन्स दूँगा...."
"लग गयी तब तो...."एक दर्द भरी गुस्से से भरपूर आवाज़ मे अरुण धीमे से बोला....
"अब क्या करे..."
"मालूम नही..."
तभी मुझे अपने स्कूल के दिनो की याद आ गयी, जब मैं लॅब से अक्सर पास आउट हो चुके स्टूडेंट्स की कॉपी मारकर छाप दिया करता था.....
"हम दोनो को प्रॅक्टिकल का मनुअल नही मिला है ना..."मैने अरुण से पुछा....हम दोनो का रोल नंबर. आगे पीछे था, इसलिए एक्सपेरिमेंट भी सेम था....
"कुर्रे दे रहा था, लेकिन मैने लिया ही नही....और वैसे भी इसको रीडिंग दिखानी है...."
"तू रुक मैं जुगाड़ जमा के आता हूँ..."
ये काम मैं पहले भी बहुत बार कर चुका था, इसलिए डर तो नही लग रहा था लेकिन फिर थोड़ी सी घबराहट हो रही थी....
"सर, हमारे पास मनुअल नही है..."लॅब वाले सर के पास खड़े होकर मैं मासूमियत से बोला...
उसके बाद कुर्रे ने बहुत माथापच्ची की, हमारा रोल नंबर. पूछा, और उसके बाद साले ने एक्सपेरिमेंट्स के बारे मे मुझसे पुछा....उस वक़्त तो साला एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट क्या है मुझे ये तक नही मालूम था तो फिर बाकी उसका प्रिन्सिपल कैसे बताता......
"सर, यदि कोई पुरानी कॉपी मिल जाती तो थोड़ा आइडिया मिल जाता...."अपना रामबान मैने फैंका...
जहाँ कुर्रे बैठा हुआ था, वहाँ से बाई तरफ थोड़ा अंदर एक छोटा सा रूम था...उसने पहले 5 मिनट. तक मेरी शकल देखी और फिर मुझे अंदर जाने के लिए बोला....
"वो अंदर बैठी हुई है, उनसे माँग लो...."
"थॅंक यू सर...."
आधा काम तो निपटा लिया था, बस आधा काम और बाकी था, पहले मैने सोचा कि अंदर जिस रूम मे मैं जा रहा था वहाँ कोई कुर्रे की एज का ही टीचर होगा, यानी की 40 से 45 उम्र का, लेकिन मैने जैसे ही मैं अंदर घुसा आँखे बाहर आ गयी ये देखकर की अंदर दीपिका मॅम बैठी हुई है......
"मॅम, वो पुरानी प्रॅक्टिकल कॉपी चाहिए थी...."उस रूम के चारो तरफ देखते हुए मैं बोला....
"सर से पुछा है..."वो टेबल पर ऐसे बैठी थी, जैसे कि वो इस कॉलेज की प्रिन्सिपल हो....
"जी मॅम, उन्होने ही कहा है कि मैं अंदर जाकर अपना काम कर सकता हूँ..."मैने जान बुझ कर ऐसा कहा....
"कैसा काम..."चेयर पर सीधी होते हुए उसने मेरी तरफ निगाह डाली....
"वही वाला....."मैं बोला, फ्लर्टिंग करना मेरे लिए कोई नयी बात नही थी, मैं अक्सर मौका मिलने पर ये सब काम कर दिया करता था पर अफ़सोस की आज तक किसी लड़की ने मेरे अरमानो को ठंडा नही किया था......
"मकेनिकल फर्स्ट एअर राइट...."
मैने हां मे सर हिलाया तो दीपिका मॅम ने एक तरफ इशारा कर दिया...जहाँ पास आउट स्टूडेंट्स की प्रॅक्टिकल कॉपीस जमा की हुई थी, मैं वहाँ पहुचा एक दो कॉपी को खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगा, लेकिन इस बीच मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ दीपिका मॅम पर था कि वो मुझे देख तो नही रही है....दीपिका मॅम इस समय अपने मोबाइल मे बिज़ी थी, और यही मेरे लिए सही मौका था...मैने चुपके से एक प्रॅक्टिकल कॉपी को अपने शर्ट के नीचे पेट के पास फँसा लिया और उसके कुछ देर बाद तक मैं वही खड़ा रहा....
"ठीक है मॅम, मैं चलता हूँ...."
मुझे पूरी उम्मीद थी कि दीपिका मॅम ने मुझे नही देखा था, और मैं अपनी स्मार्टनेस पर खुद को प्रेज़ करता हुआ वहाँ से जा ही रहा था कि दीपिका माँ ने पीछे से आवाज़ दी...
"रूको..."
"जी मॅम..."दिल मे घबराहट एक बार फिर पैदा हो गयी....
"यू थिंक दट ऑल दा स्टाफ ऑफ कॉलेज आर फूल..."
"मतलब...?"
"मतलब ये कि..."वो अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आई और सीधा मेरे पेट पर हाथ फिराती हुई बोली"ये तुम्हारे सिक्स पॅक्स इतने मजबूत है या लॅब की कॉपी चुरा कर ले जा रहे हो...."
इसके आगे बोलने की मेरी हिम्मत नही हुई,मैं किसी अपराधी की तरह वहाँ खड़ा दीपिका मॅम के अगले आक्षन का इंतज़ार कर रहा था....
"तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं यही से पास आउट हूँ और मुझे मालूम है ये फंडे...इसलिए मेरे सामने होशियार बनने की कोशिश मत करना..."ऐसा बोलते हुए उसने प्रॅक्टिकल कॉपी निकाल ली और बोली"तुम्हारे जाने के बाद कुर्रे सर यहा आएँगे और वो मुझसे पुछेन्गे कि मैने कहीं कुछ उठा तो नही लिया, और फिर जब तुम बाहर जाओगे तो तुम्हारी चेकिंग भी होगी...."
" सालो ने कोहिनूर हीरा छुपा रखा है क्या यहाँ..."
"तुमने कुछ बोला..."
"सॉरी मॅम,..."
"अब जाओ..."उसके अगले पल ही दीपिका मॅम ने वो हरकत की जिसके कारण मेरा दिल लेफ्ट साइड से राइट साइड मे शिफ्ट होने वाला था, 1000 वोल्ट्स का झटका दिया दीपिका मॅम ने मुझे....उसने मेरा हाथ पकड़ा और सीधे अपनी गरम चूत से टच करा दिया और बोली "पसंद आया हो तो दोबारा बताना....."
मैं, उस रूम से बाहर निकला,वहाँ से आने के बाद मेरी सिट्टी पिटी गुम हो गयी थी, ऐसा लगने लगा था जैसे की किसी ने मेरे हाथ मे कुछ देर पहले करेंट का वाइयर पकड़ा दिया हो.......
"क्या हुआ ? लाया प्रॅक्टिकल कॉपी ?"मुझे अपने बगल मे चुपचाप बैठा देखकर अरुण ने मुझसे पुछा....
"अभी कुछ देर बात मत कर ,सदमे मे हूँ...."
"क्या हुआ....किसी ने चोरी करते हुए देख लिया क्या ? "
"मेरी चोरी पकड़ी भी गयी और उसकी सज़ा भी दे दी गयी..."मैं अब भी सदमे मे था.....
"आख़िर हुआ क्या..."
"कुछ नही, अब मैं ठीक हूँ..."मेरे दिल-ओ-दिमाग़ मे , मेरे पूरे जहाँ मे सिर्फ़ वही नज़ारा घूम रहा था, जब दीपिका मॅम ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपनी चूत से टच करा दिया....
"आइ वाज़ ट्रेंबल्ड..."मैं बड़बड़ाया...
"ऐसा क्या देख लिया तूने..."
"कुछ नही..."
दीपिका मॅम ने जो किया उसपर मुझे यकीन नही हो रहा था, कोई भी लड़की बिना जान पहचान के ऐसे कैसे कर सकती है, ये जानते हुए भी कि मैं उसकी कंप्लेंट कर सकता हूँ, शायद मैने ही दीपिका मॅम को बढ़ावा दिया था ऐसा करने के लिए...ना मैं डबल मीनिंग मे उससे बात करता और ना ही वो मेरा हाथ पकड़ती और ना ही... अभी तक जो कुछ भी मेरे साथ हुआ था वो सब अनएक्सपेक्टेड था, मैने कभी नही सोचा था की मैं एक लड़की के पीछे पागल हो जाउन्गा और ना ही मैने ये सोचा था कि शुरुआत के कुछ दिनो मे ही मुझे वो छुने को मिल जाएगा......उस दिन के बाद दीपिका मॅम से जैसे मैं नज़र ही नही मिला पा रहा था, वो जब तक क्लास मे रहती मैं अपना सर झुकाए रहता और चुपके से उनकी तरफ देखता तो वो मंद-मंद मुस्कुराती नज़र आती....
"साला मैं कितना शर्मिला हूँ..."
मुझे मेरी ज़िंदगी के 18 साल बीत जाने के बाद ये मालूम चला कि, मैं भी उन लड़को मे से हूँ ,जिनकी लड़कियो को देखकर कुछ बोलने की हिम्मत नही होती.....एश कुछ दिनो से कॉलेज नही आई थी, मैं जब भी उसके क्लास मे जाकर अरुण के दोस्त से पुछ्ता तो वो ना मे सर हिला देता,...दिल बेचैन रहता था उसके बगैर , हर दिन रिसेस मे मैं अरुण को लेकर उसकी क्लास मे उसके दोस्त के पास जाता था और जहाँ वो बैठा करती थी, उस जगह को इस आस मे देखता था कि शायद वो लेट आई हो,लेकिन हर दिन उसकी जगह कोई और लड़की ही वहाँ बैठी हुई मिलती और हर दिन मैं उसके क्लास से उदास ही लौटता था....
अभी तक तो मैं बहुत सी अनएक्सपेक्टेड चीज़ो को झेल चुका था, लेकिन इन सबके आलवा भी कुछ और था जो कि मेरी ज़िंदगी मे पहली बार होने वाला था और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि मुझे इस बात की भनक तक नही थी....
कुछ दिन बीतने के बाद मेरी कुछ और लड़को से दोस्ती हो गयी और हर दिन की तरह हम आज भी रिसेस मे अपनी क्लास के बाहर खड़े आस-पास से गुजरने वाली लड़कियो का मज़ा ले रहे थे.....एश के लिए मेरा इंटेरेस्ट कम होता जा रहा था, मैं अब हर खूबसूरत लड़की को देखकर इसी ख़याल मे डूब जाता कि मैं उसे अपने हॉस्टिल के रूम मे चोद रहा हूँ, एक अजीब सा बदलाव आ रहा था मुझमे दीपिका मॅम की उस हरकत से....
"सब लाइन मे खड़े हो..."किसी ने गला फाड़ कर कहा, और जब मेरी नज़र उस तरफ पड़ी तो देखा कि दो सीनियर्स हमे लाइन मे खड़े रहने के लिए कह रहे थे.....उनका कहना था कि हम सब लाइन मे खड़े हो गये....
"आँख नीचे कर बे...अपने बाप से आँख मिलाता है साले बीसी..."किसी एक को उसने चमकाया....
"क्या है बेटा , विश नही करते तुम लोग सीनियर्स को...गान्ड मे डंडा डाल के याद दिलाना पड़ेगा क्या...."उन दो मे से एक ने बॅग टाँग रखा था यानी वो रिसेस के बाद वो बंक मारने के प्लान मे था और दूसरा अपनी हथेलियो को रगड़ रहा था....
"चलो इधर आ जाओ और क्लास मे जितने लड़के है उन्हे भी बुलाओ..."जिसने बॅग टाँग रखा था वो बोला...
क्लास मे जितने लड़के थे उन सबको बुला लिया गया, मैं दिल ही दिल मे ये चाह रहा था कि कही से कोई टीचर आ जाए....लेकिन साला कोई नही आया, सब अपना पेट भरने मे लगे हुए थे.....
"तेरा नाम क्या है...."मुझे उपर से नीचे देखते हुए वो बोला....
"ज..ज..जी..."मैं हकलाया...सच तो ये था कि वहाँ खड़े हर लड़के की बुरी तरह से फट चुकी थी...
"नाम क्या है इंजिनियर साहेब आपका..."
"अरमान..."मैने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा और जवाब देकर वापस अपनी गर्दन नीचे कर ली....
"दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये...."वो गाते हुए मेरे पास आया और बेल्ट के पास पैंट को पकड़ कर ज़ोर से हिलाता हुआ बोला "यहाँ क्या करने आता है..."
"पढ़ने..."
"तो फिर कल से फॉर्मल ड्रेस मे आया कर, वरना यही से नीचे फैंक दूँगा...समझा"
"ज...ज...जी सर..."(तेरा बाप देगा पैसा फॉर्मल ड्रेस खरीदने का , बे साले चूतिए...)
"चल रिलॅक्स हो जा..."बेल्ट छोड़ कर मेरा कंधा सहलाते हुए वो बोला"मेरा नाम जानता है...."
"नही...."
"मैं हूँ बाजीराव सिंघम....समझा, कल से स्टूडेंट्स की तरह दिखना..."
उन दो चूतियो को मैं अकेला ही दिखा था क्या जो साले मेरी लेके चले गये, उनके जाने के बाद मालूम चला कि वो दोनो माइनिंग ब्रांच के थे.....
"ये तो माइनिंग के थे, इसका मतलब मेकॅनिकल वाले भी कुछ दिनो मे अपने दर्शन देंगे..."
हर कॉलेज मे अलग-अलग फंडा चलता है, हमारे यहाँ रॅगिंग तब होती थी, जब कुछ हफ्ते निकल जाते थे...सिटी मे रहने वाले तो फिर भी बच जाते थे, लेकिन हॉस्टिल वालो की ऐसी तैसी हो जाती थी....
उस दिन रिसेस के बाद हम सबके मन मे यही सवाल घूम रहा था कि इन सबसे कैसे बचा जाए, और उस दिन के बाकी के पीरियड्स इसी ख़ौफ़ मे निकल गये,...
मैं और अरुण कॉलेज की छुट्टी के बाद हॉस्टिल की तरफ ही जा रहे थे कि हॉस्टिल से थोड़ी दूर पर भीड़ दिखाई दी.....
"ये साले बीसी, यही चालू हो गये..."अरुण वही रुक गया और मुझसे बोला"इस रास्ते से मत जा, सामने सीनियर्स खड़े है...."