desi sex story - गाँव में जन्नत का मजा

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: desi sex story - गाँव में जन्नत का मजा

Unread post by sexy » 09 Feb 2017 10:26

काकी ने मेरी हथेली पकडी और जिस उंगली पर चोट लगी थी उस उंगली को देखने लगी
काकी - हायययययय राम कितना खून बह रहा है ( इतना कहकर उनहोने तुरंत मेरे उंगली चूसने लगी ऐसे जैसै कोई मोटा लंड मिल गया हो )
काकी मेरे कटी हुई उंगली को चूसे जा रही थी
मै-आहहहह काकी दर्द हो रहा है
काकी - बेटवा ध्यान से काटना चाहिए था ना उंगली काट ली तूने
(काकी बिलकुल लंड चुसने की स्टाइल मे उंगली चूस रही थी अपने होंठो पर रगडकर )
मै - हा काकी ध्यान से ही तो काट रहा था पता नही कैसे उंगली पर लग गई ।
काकी - खूब जानती हू तेरा ध्यान कहा था (और इतना कहकर उन्होंने अपने पल्लू से अपना सीना ढक लिया )
मैने शर्म से आखे नीचे कर ली
मै- काकी मै क्या करू दर्द हो रहा है
काकी - बेटवा वहा किनारे बैठ जा मुझे ही काटनी पडेगी अब फसल सूरज सर पर चढ रहा है धूप हो जाएगी तो काम करते नही होगा
(इतना कहकर उन्होंने अपना पल्लू अपनी कमर मे बांध लिया और फसल काटने लगी )
सफेद ब्लाउज पहनने के कारन धूप मे उनका चुचिया झलक रही थी
मै वही किनारे जाकर बैठ गया और काकी को घूरने लगा ।
काकी - बेटवा तेरी उंगली तो ठीक है ना
मै - हा काकी खून नही बह रहा लेकिन दर्द है
काकी - अरे बेटवा मेरी ही गलती है जो तुझ शहरी बाबू से फसल कटवाने जा रही थी
मै- नही काकी ऐसी बात नही है मै काट लेता फसल लेकिन ये चोट लग गई ( और उठकर उनके सामने जाकर बैठ गया और उनकी चुचियो को खा जाने वाली नजरो से देखने लगा )
उनकी चुचिया मानो अभी ब्लाउज से उछल कर बाहर आ जाएगी
काकी मेरी नजर को पकड चुकी थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी
काकी- हा बेटवा लेकिन फसल काटने के मामले मे तू नौसिखिया है
मै - हा काकी
और काकी फसल काटे जा रही मै उनकी चुचियो को देखकर अपना लंड सहला रहा था
मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नही था की 50 साल की औरत भी इतनी कामुक हो सकती है ।काकी की चुचिया अब भी टाईट थी जो किसी भी जवान का लंड खडा करने के लिए काफी था ।
काकी जानती थी की मेरा हाथ मेरे लंड पर है

मै काकी के चुचियो को खा जानेवाली नजरो से देख रहा था लंड अपनी पूरी औकात मे आ गया था ।
काकी को पता चल चुका था लेकिन फिर भी वो अंजान बनकर फसल काटने मे लगी हुई थी ।और मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।
काकी - बेटवा कैसा है तेरी उंगली का दर्द?
मै- ठीक ही है काकी

काकी - देख बेटवा हम जो भी काम करते है उसी पर हमारा ध्यान होना चाहिए ।तू जब फसल काट रहा था तब तेरा ध्यान ही नही था इसलिए तुझे चोट लगी है।
मै- काकी ऐसी बात नही है मेरा ध्यान था फसल काटने पर ही लेकिन अचानक ही उंगली पर लग गई ।
काकी - ठीक है बेटवा
(काकी का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था और चुचियो को देखकर मै भी गरम हो रहा था । काकी इस गरमी को भाप चुकी थी )
काकी - बेटवा मेरे करीब आकर बैठ जा (थोडी देर के लिए उन्होंने फसल काटना रोक दिया )
मै अपना तना हुआ लंड लेकर उनके दाहिने तरफ बैठ गया उन्होंने पूरी तरह देख लिया था कि मै उनके दूध को घूरे जा रहा हू । इसके बाद भी वो उसे ढकने का नाम नही ले रही थी ।
काकी - (मेरे लंड की तरफ घूरते हुए ) बेटवा अगर भूख लगेगी ततो बता देना ।काकी अपना पूरा परोस देगी ।
(मै समझ चुका था काकी डबल मिनिंग बोल रही है )
मै - काकी अभी तो भूख नही लगी है लेकिन वो मै.....वो मुझे
काकी- क्या मै , मुझे सीधे बोल बेटवा क्या हुआ अचानक ही तेरे भाव कैसे परिवर्तित हो गए ।
मै - काकी वो मुझे बहुत जोर से पेशाब लगी है ।
काकी - हा हा हा हा हा ये भी शरमाने की बात है अरे बेटवा यही किनारे झाडी मे कर लो
मै - पर काकी आप यही हो , आपके सामने कैसे ?
काकी- अरे बेटवा शरमाओ नही कर लो देर तक रोकना अच्छा नही ।मै नही रोक पाती कभी भी ।
मै- ठीक है काकी
(और उठकर काकी के बाई तरफ जाने लगा मेरे खडे लंड का तंबू काकी की नजरो के सामने था ।जिसे देखकर वो हैरान थी और उनका हाथ अनायास ही उनकी चूत पर चला गया )
काकी - बेटवा लगता है बडी जोर से लगी है
मै- हा काकी
(और जाकर इस तरह खडा होकर मुतने लगा कि काकी को मेरा लंड आसानी से नजर आए )
मै मूत रहा था और काकी मेरे लंड को घूर रही थी उनका मुह खुला का खुला रह गया था ।शायद उन्होंने पहली बार इतना बडा लंड देखा था ।)
वो साडी के उपर से ही अपनी चूत को रगड रही थी और वो इस तरह धीरे से रगडती की मेरी नजर ना पडे लेकिन मै सब देखकर अंजान बने रहना चाहता था ।
काकी पूरी तरह गरम हो चुकी थी पर वो इस बात को जताना नही चाहती थी ।
वो फिर से फसल काटने लगी और मै आकर उनके दाहिने तरफ बैठ गया ।

User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: desi sex story - गाँव में जन्नत का मजा

Unread post by sexy » 09 Feb 2017 10:27

काकी- देख बेटवा सूरज सिर पर चढे जा रहा है और अभी तक एक तिहाई फसल भी नाही कटी है
मै- काकी हो जाएगा आप चिंता मत किजिये

(इतने मे वही गाय जो थोडी देर पहले चुदवा रही थी वो खेत मे घुसने लगी )
काकी - बेटवा ये कहा घुसी चली आ रही है जरा हाक तो इसे वरना फसल नुकसान कर देगी
मै - हा काकी अभी हाकता हू इसे
(और मै उठकर उसे भगाने लगा और थोडी देर बाद आकर फिर बैठ गया )
मै - काकी एक बात पूछू
काकी -हा बेटवा पूछ
मै - काकी ये वही गाय है ना जो बाहर बैल के उपर चढने की कोशिश कर रही थी (ये पूछते हुए मेरी गांड फट रही थी )
काकी- हा हा हा हा हा अरे बुद्धु तू सच मे अनाडी है
मै- क्यू क्या हुआ काकी
काकी- अरे बेटवा ये गाय उपर नही बैल के नीचे थी
मै - काकी ऐसा क्यू वो दोनो कर रहे थे
काकी -बेटवा वो दोनो प्रेम संबंध बना रहे थे (और ये कहकर काकी का चेहरा लाल हो गया )
मै-(भोला बनकर ) काकी मगर वो बैल ऊपर क्यू चढ रहा था
काकी- (मुस्कुराते हुए) बेटा वो गाय की उसमे अपना वो डालना चाहता था
मै - काकी मै कुछ समझा नही अच्छे से बताइए ना ।

काकी- रहने दे बेटवा इन बातो को तेरी समझ नही आएगी (और उठकर खडी हो गई )
काकी- बेटवा अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा ले ।
मै- क्या हुआ काकी
काकी- अरे मुझे पेशाब करनी है (इतना कहकर मुस्कुराते हुए खेत के किनारे झाडी की तरफ जाने लगी )
मै - ठीक है काकी (और हल्का सा मुह दूसरी तरफ घुमा लिया )
काकी जानती थी कि मै उन्हे मुतते हुए जरूर देखूंगा ।वो भी यही चाहती थी इसलिए उन्होंने कुछ कहा नही और जाकर किनारे पर खडी हो गई ।दाहिने बाये देखने लगी फिर पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखने लगी तो मुझसे बोली
काकी - बेटवा मुह घुमा उस तरफ लाज नही आती क्या
मै -जी काकी
और मैने मुह घुमा लिया ।
फिर थोड़ी देर बाद मेरा मन नही माना मैने मुह काकी की तरफ कर लिया वो नीचे झुककर अपनी साडी को पकडकर उपर उठाने लगी धीरे-धीरे
मेरा लंड मानो फट जाएगा ऐसी अवस्था हो चली थी ।
काकी ने पैटी नही पहनी थी उन्होंने साड़ी कमर तक उठा ली ओर कुछ देर ऐसे ही खडी रही
मै- काकी हो गया क्या अब मै मुह घुमा लू ।
काकी - ना रे नालायक इधर मत ताकना अभी मेरा हुआ नही है (जबकी वो जानती थी कि मै उनकी गांड को देख रहा हू )
काकी की गांड गोल थी एकदम शेप मे मोटी सी गुदाज इतनी ज्यादा उम्र होने के बावजूद उनकी गांड एकदम सेक्सीथी और उसपर एक बड़ा सा तिल था । उनहोने अपने गांड के छेद को सिकोड रखा था , जैसे कि मै अभी उनकी गांड मारने जा रहा हू ।
अब काकी धीरे धीरे चूतड फैलाकर नीचे बैठने लगी
काकी- बेटवा तू यहा ताक तो नही रहा
मै - (हड़बड़ा के) नही काकी ।
मगर फिर भी मैने नजर नही हटाइ
काकी बैठ गई और मुतने लगी फिर काकी उसी तरह धीरे-धीरे उठने लगी और अपनी साड़ी को नीचे गिरा दिया ।
यहा मेरे लंड का एकदम बुरा हाल थी वो इसतरह सिर उठा कर खडा हो गया था कि किसी की भी नजरो से छिप नही सकता था ।
काकी अब आकर मेरे पाफ बैठ गई और मेरे लंड पर नजर गडाते हुए अपनी चुत पर जोर से रगड दी मानो जैसे पेशाब पोछ रही हो
काकी - बेटवा तू बहुत बदमाश हो गया है क्यू देख रहा था मना कि थी ना की इस तरफ नही देखना
मै - भगवान कसम काकी मैने कुछ नही देखा
(काकी हसने लगी )
काकी का पल्लू नीचे गिर गया था । सांस लेने की वजह से चुचिया उपर नीचे हो रही थी ये सब देखकर मेरा लंड ठुनकी मार रहा था ।काकी सब जानती थी मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।
काकी- अच्छा बेटवा तू कवनो नशा तो नही करता होगा ।
मै - नही काकी ऐसा क्यू पूछ रही हो
काकी - सूखा खाएगा (गांव मे हमारे यहा तंबाकू को सूखा कहते है। और देहात की औरते तंबाकू खाती है )
मै -काकी वो मै कैसे ...वो मै
काकी - अरे बेटवा घबरा मत मै हू ना
(और ब्लाउज मे हाथ डालकर काकी एक पुड़िया निकालने लगी , मै उनकी चुचिया देख रहा था । फिर वो तंबाकू बनाने लगी ।तंबाकू बनाते बनाते अचानक .......

काकी-आहहहहहहह बेटवा
मै - क्या हुआ काकी
काकी- अरे आॅख मे तंबाकू उडकर चली गई है ।आहहहहहहहहह हाययययययययययय बहुत जलन हो रही है , जरा आॅख मे फूकमारकर निकाल दे तो बेटवा हायययययययय आहहहहहहहहहह
(इतना कहकर काकी खडी हो गई अपनी एक आॅख पकडकर ।
मेरा लंड पूरी तरह से खडा था ।मै खडा हुआ , नीचे 90° का कोण बना था ।मै जाकर काकी के सामने खडा हो गया और उनका हाथ पकड़कर हटा दिया और जैसे ही फूक मारने आगे बढा मेरा लंड काकी के फूले हुए पेट से टकरा गया ।मै रूक गया , गांड फट गई थी डर के मारे )
काकी - क्या हुआ बेटवा रूक क्यू गया रे दर्द हो रहा है आहहहहहहहहहहहहह
मै - काकी वो मै .....वो कुछ नही अभी ठीक करता हू
(इतना कहकर मैने काकी का चेहरा हाथ मे लिया और आॅख मे फूक मारने लगा नीचे मेरा लंड काकी की पेट मे रगड खा रहा था ।काकी अपना पेट खुद हिला रही थी मेरे लंड की नसें मानो फट जाएगी । मैने अपने होठ काकी के चेहरे के एकदम करीब कर दिया और फूक मारने लगा आखो में। मेरे होठ काकी के होठो से छू रहे थे फूक मारते मारते थोडी ही देर मे कचरा बाहर आ गया ।)
मै- काकी निकल गया कचरा
काकी -अच्छा बेटे थोडी फूक और मार दे अब भी जलन हो रही है रे
मै - जी काकी
और काकी से बिल्कुल चिपकर आॅखो मे फूकने लगा । काकी के हाथ मेरे कमर पर आ गए थे । और मै अपने होठो को काकी के आँखो से छू रहा था ।
काकी - आहहहहहहहहहह सी ओहहहहहहहहह बेटवा ।
(थोडी देर बाद )रहने दे बेटवा अब ठीक है ।
मै - ठीक है काकी
और जाकर उनकी बगल मे बैठ गया
काकी - तुझे तंबाकू खिलाना तो मंहगा पढ गया बेटवा
मै - नहक काकी ऐसी बात नही है हो जाता है गलती से ।
काकी - बेटवा तू बिल्कुल मेरे बेटे जैसा है ।
मै - हा काकी
काकी- अच्छा देख बातो बातो मे पता नही चला सूरज बिल्कुल सर पर चढ गया है धूप तेज हो गई है ऐसे मे कोई फसल कैसे काटेगा
मै - हा काकी धूप तो निकल आई है
काकी -( मेरे लंड की तरफ देखते हुए ) भूख लगी है ?
( मानो जैसे लंड से ही पूछ रही है और अपना भोसडा परोसकर दे दें।)
मै -हा काकी भूख तो लगी है , लेकिन काजल भाभी आई नही अबतक
काकी - आती होगी तेरी काजल भाभी , अपनी काकी का नही पसंद क्या तुझे
मै - नही काकी ऐसी बात नही है आपका तो सबसे ज्यादा पसंद है
काकी - अच्छा! ऐसा काहे ?
काकी- आप तो इतने सालो की अनुभवी है तो आपका ही स्वादिष्ट होगा ना ,काजल भाभी का नही
(इतना बोलते ही मेरे लंड ने ठुनकि मारी जिसे काकी बडे ध्यान से देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी , वो सब जानती थी की मै डबल मिनिंग मे बोल रहा हू इसलिए रह रहकर नजरे बचाकर अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी )
काकी - मै खूब समझती हू बेटवा तेरी बाते, तू कैसे कह सकता है कि मेरा स्वादिष्ट है जबकि तूने अबतक मेरा चखा ही नही ।
मै- (लंड मसलते हुए ) चखा दिजिये ना काकी
काकी - सबर कर बेटवा चखा दूंगी तू जानता है ना सबर का फल मीठा होता है ।
मै - काकी आपका फल तो बहुत मीठा होगा
काकी - बेटवा ये तो तू चखने के बाद ही बताना ।
(इतने मे बाहर से आवाज आती है "बाबू कहा है आप ......?" )
काकी - बेटवा देख तेरी काजल भाभी आ गई
(इतना कहकर काकी ने अपने सीने पर पल्लू ओढ लिया और अच्छे से बैठ गई ।)
मै - हा काकी
भाभी - बाबू मै आ गई खाना लेकर खा लिजिये
मै - हा भाभी परोसिये , काकी आप भी निकालिए अपना
काकी - हा बेटवा । ले खा ले ।
( इसके बाद हम तीनो ने खाना खाया खाना खाकर खेत के किनारे बैठे रहे भाभी मुझे घूरे जा रही थी मानो जैसे अभी चूत खोलकर दे दें।)
भाभी - बाबू जलदी से काम निपटाकर चलिए घर नही तो धूप ना हो जाएगा
मै- हा भाभी अभी थोडी सी फसल काटनी है बची है
भाभी - ठीक है बाबू मै जाती हू आप आराम से आ जाइए , मुझे बहुत से काम है इतना कहकर भाभी चली गई ।
अब खेत मे सिर्फ मै और काकी थी
काकी - बेटवा कैसा था खाना
मै - अच्छा था काकी
काकी - कैसी लगी तुझे बेटवा अपनी भाभी का पकवान
मै- अचछी लगी काकी
काकी -आज शाम तू एक काम कर मेरे घर आ जाना तुझे अपना स्वाद चखाउंगी ।
मै - ठीक है काकी
काकी- बेटवा देख धूप निकल आई है , तू चाहे तो घर चले जा
मै - नही काकी आप के साथ ही जाउगा
काकी - बेटवा शाम होते होते अंधेरा हो जाएगा
मै - नही काकी मै आपको यहा खेत मे अकेले नही छोड सकता
काकी - अरे बेटवा अभी मै आम की छाया मे आराम करूंगी तू अकेले धूप मे क्या करेगा घर लौट जा (इतना कहकर काकी ने चूत पर हलके से हाथ फेरा )
मै- नही काकी मै आपके साथ ही घर जाऊंगा ( मै काकी के शरीर को घूर रहा था मेरी नजरे उनकी चुचियो पर जाकरर अटक जा रही थी । हो भी क्यू ना इतनी ज्यादा उम्र मे भी चुचियो का मिजाज कातिलाना था ।)
काकी- ठिक है बेटवा जैसी तेरी इच्छा, देख धूप तेज हो रहा है चल आम की छाया मे धूप लग गई तो मुसीबत हो जाएगी । तू नही जानता यहा की धूप को बडे बडे पानी मांगते है इस गर्मी मे ।
मै - हा काकी धूप तो लग ही रही है देखिए ना पसीने आ रहे है
काकी - बेटवा इसलिए बोल रही हू चल पेड के नीचे बैठ जा छाया मे ( इतना बोलकर काकी ने अपने पललू को कमरमे बांध लिया अब उनकी चुचिया उभर कर आखो के सामने आ रही थी बार बार और यही बात मै सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था लंड सर उठाने लगा यही सब काकी गौर से देख रही थी और रहरहकर अपनी चूत पर हाथ मार देती )
मै - चलो काकी
(काकी खेत के दूसरी तरफ बने आम के पेड की तरफ चल दी मै उनसे 10 कदम दूर चल रहा था उसी दिशा मे )
काकी पेड के छाव मे जैसे ही पहुची वैसे ही .........
काकी - आहसहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययययय राममममममममम मरर गई
मै - ( दोडते हुए उनकी तरफ गया )
क्या हुआ काकी
काकी - ( जल्दबाजी मे अपना ब्लाज उतार रही थी ) हाययययय रे बेटवा उपर देख माठा है आहहहहहहहहहहह मेरे पूरे शरीर पर गिर गया है और काट रहा है आहहहहहहहहहहहहह देख ना बेटवा आईईईईईईईईईईईईईई
( माठा - अर्थात गांव मे आम के पेड पर रहनेवाली बडी बडी चीटिया जो लाल रंग की होती है काफी जहरीली )
काकी -आहहहहहहहहहहहह बेटवाआ ओहहहहहहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई मररररररर गई ( इतना कहकर काकी ने अपना पूरा ब्लाउज उतारकर जमीन पर फेक दिया और शरीर पर चुचियो पर खुजली करने लगी ।)
मेरी आखे फटी की फटी रह गई क्या चुचिया थी गोल एकदम सुडौल बडी बडी , काकी लगातार खुजाए जा रही थी ।
काकी - आहहहहहहहहह बेटवा देख तो हायययययय काट लिया कमबख्तो ने
मै - हा काकी उठिए वहा से इस तरफ आइए( काकी दर्द के मारे जमीन परबैठ गई थी )
काकी - अरररररररे बेटवा दर्द हो रहा है ( काकी की चुचिया हिल रही थी मैखडाहोकर निहार रहा था लंड पूरी तरह औकात मे आ गया था तंबू बन चूका था कोई तंबू को देखकर मेरी स्थिति और लंड की लंबाई का अंदाजा आसानी से लगा सकता था )
आहहहहहहहहहहह बेटवा वहा क्यू खडा है आकर उठा मुझे , मुससे उठा नही जा रहा है रे ।
मै - हा काकी आ रहा हू ( मै तुरंत गया और काकी के पीछे जाकर खडा हो गया )
काकी - अररररररररे जालिम खडा क्यू है पीडा हो रही है उठा मुझे
मै - हा काकी (और काकी की दोनो हाथो को पकडकर उन्हे पीछे से सहारा देकर उठाने लगा , मै विश्वास नही कर पा रहा था की काकीबिना चोली के मेरी बाहो मे है , जब काकी खडी हो रही थी तो मेरा लंड उनकी पीठ से रगडने लगा था )
काकी -( सिसकाकी भरते हुए ) बेटवा बहौत दर्द हो लहा है रे बहुत जहरीला होता है सीआहहहहहहहहहहहहस
मै - हा काकी ( और अपने लंड को उनकी पीठ से रगड दिया )
काकी पूरी तरह खडी हो गई मेरा लंड पूरी तरह खडा था उनकी खडे होने की वजह से सीधे साड़ी के उपर से हीउनकी गांड की दरार मे रगड खाने लगा ।।
काकी - (चुचिया खुजाते हुए पूरी लाल हो गई थी लंड गांड मे रगड खा रहा था ) आहहहहहहहहहहहह ससससससससीईईईईईईईई आहहहहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययय ओहहहहहहहहह ऐसे ही अच्छा लगता है
मै - क्या काकी ( उनकी बाहें पकडे उनकी गांड पर लंड का झटका मारते हुए) क्या हुआ काकी ?
काकी - आआआआआआआहहहहह बेटवा कुछ नही रे उस तरफ ले चल खेत के उस किनारे ( काकी उस तरफ ले जाने बोल रही थी जहा सरपत की झाडिया ऊची ऊची थी और फसल भी नही कटी थी )
मै - ठीक है काकी चलिए .........काकी.... . वो आपकी चोली ( अब मैने काकी की बाहें छोडकर कमर पकड ली दोनो तरफ से और बगल से चुचियो को छूने की कोशिश करने लगा ।)
काकी- रहने दे बेटवा चोली को यही अभी आहहहहहहहहह ( लंड का झडका गांड मे लगता है ) दर्द है छाती मे जहर फैल गया है पहन नही पाऊँगी ।
मै - ठीक है काकी ( काकी को ले जाकर वही बैठा दिया मेढ पर और मै भी उनकी बगल मे बैठ गया )
काकी को चीटियो ने काटा था और सचमुच उनकी चुचिया लाल हो गई थी । अभी भी वो चुचियो को तो कभी पेट को खुजाए जा रही थी हालांकि उनका दर्द शायद कम हो गया था। उनकी नजर मेरे लंड पर थी और वो एकदम सेकसी अंदाज से चुचियो को सहला रही थी मेरी हालत खराब हो गई थी एक अधेड उम्र की औरत मेरे सामने आधी नंगी होकर चुचियो को सहलाए जा रही थी इतनी बडी और टाईट चुचिया शायद ही इतनी उम्र मे किसी की हो मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया था मै काकी के डर से उसे बिठाने की कोशिश कर रहा था
काकी - हाय बेटवा देख तो कैसी लाल हो गई है (अपनी चुचियो को पकडकर काकी मेरी तरफ देखते हुए बोली )
मै - ( शर्म से गर्दन नीचे झुकाकर ) हाॅ काकी
काकी - आहहहह बेटवा यहा आ , आकर देख तो जहर तो नही फैल गया ये चीटिया जहरीली थी रे
मै - ( करीब जाकर ) हा काकी लाल तो हो गई है ( काकी का निप्पल सख्त हो चुका था ये देखकर ऐसा लग रहा था जैसे अभी चूस लू दोस्तो अपनी स्थिति बता नही सकता पहली बार इतने करीब से निप्पल देख रहा था )
काकी - देख ना सूजन आ गई है रे ( इतना कहकर काकी ने मेरा हाथ पकड़कर सीधे अपने चूची पर रख दिया )
मैने तुरंत वहा से हाथ हटा लिया
काकी - क्या हुआ बेटवा देख ना ( फिर से मेरा हाथ अपनी चुची पर रख देती है )
मै - हायययययय काकी ये आपके दूध है (तबतक काकी ने मेरा दूसरा हाथ पकडकर अपनी दूसरी चूची पर रख दिया , मेरी हालत खराब हो गई थी मैने हाथ को उसी तरह रहने दिया कोई प्रतिक्रिया नही दी
काकी -- आहहहहहहहहहह बेटवा दर्द कर रहा है रे , जरा देख तो सूजन की वजह से तो नही कर रहा ना

मै एक दम उत्तेजित हो गया,
मैने काकी की दोनो चुचियो को पकडकर सहलाने लगा
मै- हाकाकी सूजन आ गई है लाल भी हो गई है
काकी - सससससससीईईईईईईईई आहहहहहहहहह बेटवा , कहा आ गई है सूजन
मै - काकी मै .........वो मै........
काकी -आहहहहहहहहहहह बेटवा बोल भी
मै - काकी वो आपे दूध मे सूजन आ गई है
(इतना कहकर मैने काकी की चुचियो को जोर से मरोड दिया )
काकी - आहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययय दर्द हो रहा है रे तेरी काकी को हायययय रामममभ
मै - क्यू काकी ?
काकी - बेटवा लगता है जहर जढ गया है दूध मे रे, आहहहहहहहहहह बेटवा (काकी ने मुझे अपनी तरफ खीच लिया मै उनकी चुचियो को मरोडे जा रहा था दबाए जा रहा था काकी दरद से कराह रही थी )
काकी - हाययययययय रे बेटवा लगता है जहरफैल गया है पूरे दूध मे
मै - अब क्या होगा काकी , कैसे निकलेगा जहर आपको दर्द हो रहा होगा
काकी - हा रे बेटवा मेरी जान निकले जा रही है दरद के मारे उपर से जहल आहहहहहहहहहहहहस बेटवा
मै - (काकी की चुचियो को दबाते हुए ) काकी बताइए कैसे निकलेगा ये जहर मै निकालूंगा
काकी - आहहहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययय कितना खयाल है रे तुझे अपनी काकी का
मै - ( मेरा लंड पूरी तरह कडक हो चुका था काकी की नजर मेरे तंबू पर थी और उनका हाथ साडी के उपर से ही चूत को सहलाने लगा था )
मै - काकी बताइए आपको तकलीफ मे नही देख सकता कैसे निकलेगा जहर
काकी - आहहहहहहह बेटवा , अरे मुॅह से चूसकर खीच ले सारा जहर बेटवा ( काकी लंड को देखती हुई बोली )
मै - क्या चूस लू काकी ?
काकी - अरे बेटवा मेरे चुचियो को चूस उसी मे जहर है देख तो कैसे फूल गई है जहर के कारन आहहहहहहहहहह बेटवा
मै ने सीधे बिना समय गवाए अपना मुह काकी की चूची पर रख दिया और चूसने लगा और दूसरे हाथ से काकी की चूची कोरगड रहा था
काकी - ( चूत सहलाते हुए ) आहहहहहहहह बेटवाआआ ऐसे ही आहहहहहहहहहहहह ओहहहहहहहहहह पी जा सारा पी ले पिले बेटवा बहुत तंग करती है रे कोई नही छेडता अब इन्हे
मै - उममममममममममममम आहहहहहहहहहहहहहहहह काकीईईईईईईईईईईई उमममममममममममममममाहहहहहहहहहहहहहहहहहह
काकी - आहहहहहहहहहह बेटवा चूस लेदबादबाकर सारा जहर निकाल दे ( काकी सिर्फ अपने मजे ले रही थी अबतक उनहोने मेरे लंड को अपने हाथो से नही छुआ था मेरी हालत खराब थी मै रहरहकर काकी के निप्पल को जोरो से काटे जा रहा था
काकी - आहहहहहहहहहहहहहहहहहहह बेटवा काटता क्यू है रे दर्द हो रहा रहा है
( मै जोरो से मसल रहा था इसतरहमसलता की सामना वाली अपनी चीख निकल दे ।य)
चूचीचूसते हुए अचानक काकी ने अपनी चुचियोओ मेरे मरे मुह अलग कर दी । शायद वो झड गई थी चल बेटवा घर चल वही जाकर आराम करते है ।

Post Reply