कलयुग की द्रौपदी

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raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:59

राका को साहूकार के रातों रात फरार होने की बात की भनक लग गयी थी. वो लाव-लश्कर लेकर उसके घर पहुँचा तो देखा की घर लॉक था और सब नदारद थे.

गुस्से से आग बाबूला राका बस-स्टॅंड और रेल स्ट्न पर अपने आदमी दौड़ा दिए.

½ घंटे में ही उसे पता लगा की शेठ अपने परिवार के साथ पटना कोलकाता जाने वाली बस में अपने परिवार के साथ 1 घंटे पहले रवाना हुआ है.

राका ने ट्रक भरकर नॅडलाइट्स के साथ रास्ते में उस बस पर हुम्ला कर दिया.

शेठ को तो उसने लूटा ही पर साथ में पूरे बस के लोगों को भी नही बक्शा. बिंदिया के हाथ पैर बाँधा और मूह में कपड़ा थूस कर अपने जीप में डाला और च्चल पड़ा.

रंगा-जग्गा से उसने वादा किया था की इस बार के शिकार को वो उनके साथ बाट कर खाएगा. उसने जीप जंगल के तरफ घुमा दी.

1 घंटे में उसकी जीप रंगा-जग्गा के दरवाज़े पर थी.

रात के करीब 10 बज रहे होंगे जब बाहर गाड़ी के एंजिन की आवाज़ सुन रंगा बाहर आ गया.

राका को देख वो आती प्रसन्न हो गया और गाले से लगा लिया. जीप की दूसरी सीट पर गठरी जैसी बँधी पड़ी बिंदिया को देख वो आनंदित हो गया और बोला – वाह दोस्त, खूब वादा निभाया तुमने.

इतने में जग्गा भी बाहर आ गया और राका के गाले लग गया. रंगा ने बिंदिया को उठाकर उपर वाले कमरे में ले गया और बिस्तर पर पटक दिया. वो अभी भी बेहोश थी.

रानी बाहर कमरे में जग्गा-राका की आवाज़ें सुन बेडरूम से निकल आई. राका को देख वो एक बार जग्गा की तरफ देखी और दुपट्टा अपने सर पर डाल राक के पाव छूने के लिए झुक गयी. राका जग्गा को देख मुस्कुराया और रानी के कंधे पकड़ उठाता हुआ बोला – दूधो नहाओ, पूतों फलो. का नाम है तोहार?

रानी नज़रें नीचे किए बोली – रानी!

अरे वाह, एकद्ूम सही नाम है! हुमरे दोस्तों की लुगाई का इससे अच्छा नाम हो ही नही सकता है? – राका बोला.

जग्गा ने रानी से कहा – जाओ जाके बॉटल और चखना बाहर बरामदे में लगा दो. थोड़ा देर वहीं यार लोग जसन मनाएँगे फिर पूजा करेंगे इसकी लुगाई का!

रानी ने मूक हामी भारी और रसोई की तरफ बढ़ गयी.

रानी बहुत गर्व महसूस कर रही थी की उसके पति का इतना सम्मान है की लोग उनसे अपने बीवियों का इलाज करने आते हैं.

बाहर दारू-चखना लगान एके बाद रानी ने खाना बनाया और टीवी देखने लगी.

कोई 1 घंटे के बाद जब 10 बजे होंगे, तीनो अंदर आ गये और रंगा ने रानी से कहा- चलो गुड़िया रानी थोड़ा खाना खिला दो फिर पूजा करेंगे.

रानी ने खाना परोसते हुए राका से पूछा – आपकी लुगाई खाना नही खाएँगी क्या?

राका हस्ते हुए बोला – अरे वो? वो तो थोड़ी देर में हम सबका प्रसाद ग्रहण करेगी तो अपने आप ही पेट भर जाएगा.

raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 09:00

उनके खाने के बाद रानी ने भी थोड़ा खा लिया और सॉफ-सफाई के लिए किचन में चली गयी.

तीनो उपर आ गये और बेड पे सोती हुई बिंदिया को देखने लगे. उस मदमस्त जवानी को देख उनके मूह से लार टपकने लगा.

राका बेड के करीब आया और झींझोर कर बिंदिया को उठाने लगा. रंगा ने इतने में 1 ग्लास पानी उठाकर बिंदिया के मूह पर दे मारा. बिंदिया हड़बड़ा कर उठ बैठी. तीन दानवों को अपने इर्द-गिर्द देख अनायास ही उसके मूह से चीख निकल पड़ी. राका की शकल पहचान उसे सारा वाक़या याद आया और व्हो बकरी की तरह मिन्मीनाते हुए राका को हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी – प्लीज़ हुमको जाने दीजिए,…….उउउउ….मा-बाबूजी के पास जाना है…….उ लोग हमारा इंतेजार करते होंगे……….आपको हुम्से क्या मिलेगा……..हम बाबूजी को बोलेंगे, वो आपको खूब पैसा देंगे. हुमको जाने दो प्लीएzzzzzz!

उसके आँसू भारी आँखें और दर्द भारी गिड़गिडाहट का राका पर कोई असर ना हुआ और वो हस्ते हुए बोला – अरे तोहार बाप को पैसा ही देना होता तो उ गाओं छ्चोड़ के भागता थोड़े. और शाम को तो हम उसका सारा धन लूट ही लिए तो अब पैसा का कौनो चिंता नही. अब तो जसन मनाने की घड़ी है. और उ जसन में तुमको तो शामिल होना ही पड़ेगा!!!!

राका के इरादों को भाप बिंदिया सर-से-पाव तक सिहर गयी. उन दानव का आकर-विकार और बदनीयती का अंजाम उसे दिखाई देने लगा. शहम्ते और रोते हुए उसने पूछा – ह.ह..हुमरे साथ कककाअ करोगे आपलोग. ज्ज्ज्ज्ज्जने दीजीएना. हहूम तो आआअपके बेटी जैसे हैं???

तीनों एक साथ हस्ने लगे और जग्गा बोला – सच बोली तू, और हम सब हैं बेटीचोड़!!!!

ये कहके तीनों फिर से अट्टहास करने लगे.

बिंदिया इस वक़्त एक पीले कलर के सलवार कुर्ते में थी. बॉल बिखरे हुए और चेहरा सफेद फक़्क़ पड़ा हुआ था.

राका लपक कर बिंदिया के बाजू में बैठ गया और उसके इर्द-गिर्द अपनी बाहें डालने लगा. बिंदिया छटपटा उठी. दूसरे तरफ से रंगा ने हुम्ला किया और उसे बिस्तर पे लिटा दिया और अपने एक पैर से बिंदिया को जाट दिया.

बिंदिया उनके चंगुल में सिर्फ़ चीख और छॅट्पाटा ही पा रही थी.

जग्गा दूर खड़ा अपनी धोती ढीली कर रहा था. बिस्तर के करीब आते तक उसके बदन पर कपड़े का एक भी रेशा ना था. बिंदिया कसमसाते हुए जब कनखियों से जग्गा को देखा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी. भालू जैसे बॉल भरे विशालकाय नंगे बदन पे मोटे सोट जैसा लंड ने बिंदिया के होश उड़ा दिए.

raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 09:01

रंगा ने रोती-कलापति बिंदिया के होठों पर अपने मूछों वाले लब रख दिया और उसका लार पीने लगा. ऐसा करने से बिंदिया की आवाज़ गले में ही अटक गयी और वो गूऊव….गूऊऊऊ करने लगी. अब रंगा की राइट हथेली बिंदिया के लेफ्ट वक्ष स्थल पर था और पूर-ज़ोर मालिश कर रहा था.
उस दानव के मोज़बूत हथेली के मालिश से बिंदिया की छाती दुखने लगी पर होंठ बंद होने की वजह से सिर्फ़ अंदर से तड़प के रह गयी.
जग्गा को नंगा देख राका ने भी झट से अपने कपड़े उतार दिए और जनम जात अवस्था में आ गया.
रंगा के कलापों से बिंदिया छटपटा रही थी. पर उसके पैरों पर रंगा के वजनी जांघों के भार से वो सिर्फ़ तिलमिला के रह जा रही थी.
नग्न हो कर राका ने बिंदिया के पेट पर से कुर्ता चूची तक उठा दिया और उसके नाभि और मांसल पेट पर चूमने-चाटने लगा.
इस अप्रत्याशित क्रीड़ा से बिंदिया के बदन में एक सिरहन दौड़ गयी और उसका रोवा-रोआवा खड़ा हो गया. पेट पर हल्की गुदगुदी होने लगी जिस वजह से उसके छाती की पीड़ा कुछ कम हो गयी.
इतने में जग्गा बिंदिया के पैरों की तरफ आया और उसके पयज़ामे का नाडा खोलने लगा.
उसके इस हरकत से बिंदिया सहम गयी और अपना पूरा ज़ोर लगा कर रंगा को उपर की तरफ धक्का दिया और उसके होठों को अपने दातों से काट लिया.
रंगा इसके लिए तैयार ना था इसलिए सपकपाकर उठ बैठा.
उसके चंगुल से आज़ाद होते ही बिंदिया दहाड़ मारकर रोने लगी और अपने हाथ जोड़कर जग्गा को बोली – प्लीज़ ई मत कीजीएना, हम किसी को मूह दिखाने के लायक नही रह जाएँगे. बाबूजी हुमरा बियाह करने वाले है. ज़िंदगी खराब हो जाएगा मेरा. छ्चोड़ दीजीएना!!!

हालाकी बिंदिया के काटने से रंगा का होंठ कट गया था और हल्का खून भी निकल रहा था, और उसका गुस्सा सातवे आसमान पे था, फिर भी वो इस जवानी को मज़े से हलाल करना चाहता था, खून बहाकर नही.
उसने पहल की और बिंदिया के सर पे हाथ फिराते हुए प्यार से पुच्कार्ते हुए बोला- देखो बिटिया, तुंरा बदन तो आज रात हुमारा घर है. इसको तो लूटना ही है, अब मर्ज़ी तोहार की इसको प्यार से लुटाओ या बलात्कार से.
प्यार से करोगी तो तुमको कोई शारीरिक हानि नही होगी. बलात्कार से तुमको शारीरिक हानि तो होगी ही और मज़ा भी नही आएगा. हो सकता है कि मर भी जाओ. हुमरे हिसाब से तो जब बलात्कार से बचने का कोई रास्ता ना हो तो उसका मज़ा उठना चाहिए. अगर प्यार से मान जाती हो तो हम वादा करते है की तुमको मज़ा आएगा और कोई नुकसान नही पहुचेगा. सही सलामत तुमको घर भी छ्चोड़ आएँगे और कल को तुम्हारी शादी भी हो जाएगी. बोला का कहती हो???

बिंदिया अभी भी सिसक रही थी पर रंगा की बातों से उसे अपनी बेचारगी का क्लियर एहसास होने लगा. उसने गाओं के लड़कों को अपने लटके-झटकों से बहुत तडपया था और अपने दाने की खुजली भी उंगलियों से मिटाई थी पर ऐसे सांड़ों के मूसलों के बारे में कभी नही सोचा था. बाँवरी सेठ का बेटा सरजू जो 18-19 का होगा, उसके लंड का दर्शन भी एक बार उसने छुप कर किया था जब वो बरगद के पीछे हल्का हो रहा था. पर वो तो मिर्ची थी और ये मूला.
‘शायद ये उतना भी बूरा ना हो जैसा उसने रेप के बारे में सुना था. और फिर दूसरे शहर में बसने के बाद वहाँ लोगों को इस कांड की जानकारी नही होगी तो उसके शादी में भी बाधा नही पड़ेगी’.

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