Re: marwari sex story - मारवाड़ की मस्त मलाई
Posted: 28 Feb 2017 08:19
आंटी के मूह से यह सुनते ही मेरे लंड मे जैसे हलचल मचने लगी और वो एक दम से आंटी की चूत के अंदर ही फुल टाइट हो गया और बिना लंड को बाहर निकाले के चोदना शुरू कर दिया. चूत पहले से ही दोनो की क्रीम से भरी हुई थी और चुदाई शुरू होते ही पच पच पच की आवाज़ें आने लगी और मैं धना धन आंटी की टाइट चूत को चोदने लगा. आंटी ने पैर मेरी पीठ पे लपेट लिए और मेरे मूह मे आनी जीभ डाल के
चूसने लगी. मैं आंटी के मस्त कड़क चुचिओ को मसल रहा था और आंटी को किस कर रहा था. थोड़ी ही देर मे आंटी के मूह से मस्ती भरी आवाज़ें निकलने लगी और बोली आआहह रराज्ज्जाआ आईसस्सीए हीईए ऊऊओिईई म्*म्माआआ कचूओद्दड़ दददाअलल्ल्ल्ल र्रररीईए. उनके डॅन्स करती हुई चुचिओ को अपने मूह मे ले के चूसने लगा तो आंटी जैसे दीवानी हो गयी. उनके निपल्स बोहोत ही सेनसेंटिव थे बूब्स को मूह मे लेते ही आंटी वासना की आग मे जल के पागल हो जाती थी. मैं फिर से पहले वाले स्टाइल मे मिशनरी पोज़िशन मे पैर पीछे टीका के फुल स्पीड और पूरी ताक़त से आंटी की चूत को चोद रहा था और वो भी मस्ती मे चुदवा रही थी. पचक पचक की चुदाई की आवाज़ें ही कमरे मे गूँज रही थी. लंड पूरा बाहर तक निकल निकल के लोंग स्ट्रोक्स दे रहा था. ऐसे पूरा लंड बाहर निकालने से आंटी के चूत के अंदर हमारी मिक्स मलाई थोड़ी थोड़ी बाहर निकल रही थी और बेड पे गिर रही थी. मैं फुल फोर्स से चोद रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड आंटी के पेट मे घुस रहा है और आंटी भी मस्ती मे मेरे शोल्डर्स को काट रही थी. आंटी फिर से 3 – 4 बार झाड़ चुकी थी और चूत बे इंतेहा गीली हो गये थी. अब मैं भी छूटने के कगार पे था और मैं ने स्पीड बढ़ा दी और तूफ़ानी रफ़्तार से लंड आंटी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फिर एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के मेरा लंड एक बार फिर से उनकी बच्चे दानी के अंदर घुस्स गया और आंटी अपनी चीख को रोकने की कोशिश करते हुए जो मेरे शोल्डर को मस्ती मे चूस रही थी अब तकलीफ़ से अपने दांतो से काट डाला फिर भी उनके मूह से निकल ही गया आआआआआहह म्*म्म्ममाआआआआआआआअ र्र्र्र्र्ररराआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जाआाआअ ऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईई और मेरे लंड मे से गाढ़ी गाढ़ी मलाई का फव्वारा निकलना शुरू हुआ और आंटी की बच्चे दानी को भरने लगा.
मैं उनके सीने पे ही लेटा रहा. दोनो के बदन से पसीना पानी की तरह से बह रहा था. मैं थोड़ी देर के बाद उनके बदन से उठ के उनकी बगल मे लेट गया. जैसे ही लंड उनकी चूत से बाहर निकला वैसे ही उनकी चूत मे इकट्ठा हुआ दोनो का मिक्स जूस बह कर उनकी गंद पे से होता हुआ बिस्तर पे गिरने लगा और फिर हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे बाहें डाले लिपट के सो गया. मेरी थाइ पे लगी हुई चोट का दरद पता नही कब ख़तम हो गया था.
सुबह 10 बजे के करीब मैं और आंटी दोनो नंगे ही साथ साथ उठे. आंटी बोली के आहह राजा आज से पहले इतनी मीठी और इतनी गहरी नींद कभी नही आई. आंटी की आवाज़ सुनते ही मेरे दिमाग़ मे रात की चुदाई की फिल्म चलने लगी और देखते ही
देखते मेरा लंड अकड़ के हिलने लगा और आंटी के बदन से लंड लगा तो वो चोंक गये और हाथ नीचे लगा के देखा तो लंड मूसल बना हुआ था तो वो मुस्कुरा के अपने हाथ मे मेरा लंड पकड़ के बोली के cछ्ह्ह cछ्ह्ह्ह बेचारे को शाएद रात मे पेट भर चोदने को नही मिला आजओ मेरे प्यारे लुंडु मैं तेरी भूक मिटा देती हू और मेरे लंड को प्यार से सहलाने और दबाने लगी. हम दोनो एक दूसरे की तरफ मूह कर के करवट लेते थे तो आंटी ने अपनी एक टांग उठा के मेरे थाइ पे रख ली जिस से उनकी चूत के पंखाड़ियाँ खुल गयी और लंड के सूपदे से टच करने लगी और फिर आंटी ने लंड के डंडे को पकड़ के लंड के सूपदे को अपनी चूत मे रगड़ना चालू कर दिया और देखते ही देखते उनकी चूत भी गीली हो गयी और मेरे लंड के प्री कम से स्लिपरी भी होगयि तो मैं ने उनको अपने ऊपेर खेच लिया. आंटी मेरे ऊपेर जॉकी की तरह से बैठ गयी और मेरा लंड ऑटोमॅटिकली उनकी चूत के सुराख से सॅट गया और आंटी को पकड़ के एक ही धक्का मारा तो आधा लंड उनकी टाइट गीली चूत मे घुस गया. आंटी को झुका के उनके बूब्स को चूसने लगा. दिन के टाइम पे आंटी को नंगी देख रहा था वो
चूसने लगी. मैं आंटी के मस्त कड़क चुचिओ को मसल रहा था और आंटी को किस कर रहा था. थोड़ी ही देर मे आंटी के मूह से मस्ती भरी आवाज़ें निकलने लगी और बोली आआहह रराज्ज्जाआ आईसस्सीए हीईए ऊऊओिईई म्*म्माआआ कचूओद्दड़ दददाअलल्ल्ल्ल र्रररीईए. उनके डॅन्स करती हुई चुचिओ को अपने मूह मे ले के चूसने लगा तो आंटी जैसे दीवानी हो गयी. उनके निपल्स बोहोत ही सेनसेंटिव थे बूब्स को मूह मे लेते ही आंटी वासना की आग मे जल के पागल हो जाती थी. मैं फिर से पहले वाले स्टाइल मे मिशनरी पोज़िशन मे पैर पीछे टीका के फुल स्पीड और पूरी ताक़त से आंटी की चूत को चोद रहा था और वो भी मस्ती मे चुदवा रही थी. पचक पचक की चुदाई की आवाज़ें ही कमरे मे गूँज रही थी. लंड पूरा बाहर तक निकल निकल के लोंग स्ट्रोक्स दे रहा था. ऐसे पूरा लंड बाहर निकालने से आंटी के चूत के अंदर हमारी मिक्स मलाई थोड़ी थोड़ी बाहर निकल रही थी और बेड पे गिर रही थी. मैं फुल फोर्स से चोद रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड आंटी के पेट मे घुस रहा है और आंटी भी मस्ती मे मेरे शोल्डर्स को काट रही थी. आंटी फिर से 3 – 4 बार झाड़ चुकी थी और चूत बे इंतेहा गीली हो गये थी. अब मैं भी छूटने के कगार पे था और मैं ने स्पीड बढ़ा दी और तूफ़ानी रफ़्तार से लंड आंटी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फिर एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के मेरा लंड एक बार फिर से उनकी बच्चे दानी के अंदर घुस्स गया और आंटी अपनी चीख को रोकने की कोशिश करते हुए जो मेरे शोल्डर को मस्ती मे चूस रही थी अब तकलीफ़ से अपने दांतो से काट डाला फिर भी उनके मूह से निकल ही गया आआआआआहह म्*म्म्ममाआआआआआआआअ र्र्र्र्र्ररराआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जाआाआअ ऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईई और मेरे लंड मे से गाढ़ी गाढ़ी मलाई का फव्वारा निकलना शुरू हुआ और आंटी की बच्चे दानी को भरने लगा.
मैं उनके सीने पे ही लेटा रहा. दोनो के बदन से पसीना पानी की तरह से बह रहा था. मैं थोड़ी देर के बाद उनके बदन से उठ के उनकी बगल मे लेट गया. जैसे ही लंड उनकी चूत से बाहर निकला वैसे ही उनकी चूत मे इकट्ठा हुआ दोनो का मिक्स जूस बह कर उनकी गंद पे से होता हुआ बिस्तर पे गिरने लगा और फिर हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे बाहें डाले लिपट के सो गया. मेरी थाइ पे लगी हुई चोट का दरद पता नही कब ख़तम हो गया था.
सुबह 10 बजे के करीब मैं और आंटी दोनो नंगे ही साथ साथ उठे. आंटी बोली के आहह राजा आज से पहले इतनी मीठी और इतनी गहरी नींद कभी नही आई. आंटी की आवाज़ सुनते ही मेरे दिमाग़ मे रात की चुदाई की फिल्म चलने लगी और देखते ही
देखते मेरा लंड अकड़ के हिलने लगा और आंटी के बदन से लंड लगा तो वो चोंक गये और हाथ नीचे लगा के देखा तो लंड मूसल बना हुआ था तो वो मुस्कुरा के अपने हाथ मे मेरा लंड पकड़ के बोली के cछ्ह्ह cछ्ह्ह्ह बेचारे को शाएद रात मे पेट भर चोदने को नही मिला आजओ मेरे प्यारे लुंडु मैं तेरी भूक मिटा देती हू और मेरे लंड को प्यार से सहलाने और दबाने लगी. हम दोनो एक दूसरे की तरफ मूह कर के करवट लेते थे तो आंटी ने अपनी एक टांग उठा के मेरे थाइ पे रख ली जिस से उनकी चूत के पंखाड़ियाँ खुल गयी और लंड के सूपदे से टच करने लगी और फिर आंटी ने लंड के डंडे को पकड़ के लंड के सूपदे को अपनी चूत मे रगड़ना चालू कर दिया और देखते ही देखते उनकी चूत भी गीली हो गयी और मेरे लंड के प्री कम से स्लिपरी भी होगयि तो मैं ने उनको अपने ऊपेर खेच लिया. आंटी मेरे ऊपेर जॉकी की तरह से बैठ गयी और मेरा लंड ऑटोमॅटिकली उनकी चूत के सुराख से सॅट गया और आंटी को पकड़ के एक ही धक्का मारा तो आधा लंड उनकी टाइट गीली चूत मे घुस गया. आंटी को झुका के उनके बूब्स को चूसने लगा. दिन के टाइम पे आंटी को नंगी देख रहा था वो