hindi long sex story - मेरे बलात्कार की कहानी
hindi long sex story - मेरे बलात्कार की कहानी
हेलो दोस्तों, मेरा नाम दिया है| मैंने Adult Sex Stories पर सारी कहानियां पढ़ी है, इनको पढ़कर मुझमे भी हिम्मत आ गयी है की मेरे साथ जो घटना कुछ समय पहले हुई थी वो बयान कर सकूँ.. शायद आपके साथ ये बात शेयर करके मेरा दिल कुछ हल्का हो जाये.. आप सब मेरी sex story पढ़िए और अपने विचार कमेंट्स में बताइए.
काफी देर हो चुकी थी उस रात को ऑफिस से रवाना होते हुए। मैंने जल्दी-जल्दी अपनी साड़ी ठीक की और ऑफिस का दरवाज़ा बंद कर के चली। मेरी कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में अकेली खड़ी हुई थी। बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे। मैं पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से मेरे ब्लाऊज़ के अंदर मेरे निप्पल एकदम टाईट हो गयी थी। मेरा ब्लाऊज़ मेरे रसीले मम्मों को ढाँकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था। मेरे एक-तिहाई मम्मे ब्लाऊज़ के लो-कट होने की वजह से और साड़ी के भीग जाने से एकदम साफ़ नज़र आ रहे रहे थे। मैंने साढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैण्डल पहने हुए थे और पानी मे फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रही थी। हवा भी काफ़ी तेज़ थी और इस वजह से मेरा पल्लू इधर-उधर हो रहा था जिसकी वजह से मेरी नाभी साफ़ देखी जा सकती थी। मैं आमतौर पे साड़ी नाभी के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती हूँ। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, मैं हक़ीकत में नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि मेरी साड़ी मेरे पूरे जिस्म से चिपक चुकी थी। ऊपर से मेरी साड़ी और पेटीकोट कुछ हद तक झलकदार थे।
मैं जितनी जल्दी-जल्दी हो सका, अपनी कार के करीब पहुँची। मुझे मेरे आसपास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था। मैंने देखा कि मेरी वो अकेली ही कार पार्किंग लॉट के इस हिस्से में थी और वहाँ घना अँधेरा छाया हुआ था। बारिश एकदम ज़ोरों से बरस रही थी। मैं कॉर्नर पे मुड़ी और अपनी कार के करीब आ के अपनी पर्स में से चाबी निकालने लगी। अचानक किसी ने मुझे एक जोर का धक्का लगाया और मैं अपनी कार के सामने जा टकराई।
“हिलना मत कुत्तिया!”
मुझे महसूस हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म मुझे मेरी कार की तरफ़ पुश कर रहा था। उसका पुश करने का ज़ोर इतना ताकतवर था कि उसने मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकाल दी थी जिसकी वजह से मैं चिल्ला भी ना सकी। मैं एक दम घबरा गयी। बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आसपास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था और जहाँ मेरी कार खड़ी हुई थी वहाँ मुझे कोई देख नहीं सकता था। वो आदमी मुझे हर जगह छूने लगा। उसके हाथ बेहद मजबूत थे… जैसे लोहे के बने हों। उसने मेरा पल्लू खींच के निकाल दिया और मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और मेरे पहले से टाईट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।
वो गुर्राया। उसकी इस आवाज़ ने जैसे मुझे बेहोशी में से उठाया हो और मैंने भागने की नाकाम कोशिश की। फिर उसने मेरे एक मम्मे को छोड़ के मेरे गीले हो चुके बालों से मुझे खींचा।
“आआहहहहह…।” मैं जोर से चिल्लाई और मैंने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया।
“अगर तू ज़िंदा रहना चाहती है तो… ठीक तरह से पेश आ! समझी कुत्तिया… अभी मैं तुझे अपनी तरफ़ धीरे से मोड़ रहा हूँ… अगर ज़रा भी होशियारी दिखायी तो….!!”
उसने मुझे धीरे से अपनी तरफ़ मोड़ा। इस दौरान उसने अपना जिस्म मेरे जिस्म से सटाय रखा। उसका लंड मेरे गीले जिस्म को घिस रहा था, और मेरी चूत में थोड़ी सरसराहट हुई। “ऑय कैन नॉट बी टर्नड ऑन बॉय दिस” मेरे जहन में ये सवाल उठा। मैंने ऊपर देखा। मैंने इस बार उसे पहली बार देखा। वो एक लंबा-चौड़ा और काला आदमी था। उसने अपने जिस्म पर एक पैंट और सर पर टोपी के अलावा कुछ नहीं पहना था। उसका कसरती जिस्म मुझे किसी बॉडी-बिल्डर की याद दिला गया। वो एकदम काला और डरावना था और ऐसी अँधेरी रात में मुझे सिर्फ़ उसकी आँखें और उसके काले जिस्म पे दौड़ती हुई बारिश की बूँदें ही नज़र आती थी। मैं डर से थर-थर काँपने लगी। मेरे इतनी ऊँची हील के सैण्डल पहने होने के बावजूद वो करीबन मुझसे एक फुट लंबा था। मैं उससे रहम की भीख माँगने लगी।
“प्लीज़… प्लीज़ मुझे मत मारो।”
तभी एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पे आ गिरा। मुझे तो ऐसा लगा कि मुझे तारे दिख गये। उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ कर अपने मुँह तक ऊपर खींचा।
काफी देर हो चुकी थी उस रात को ऑफिस से रवाना होते हुए। मैंने जल्दी-जल्दी अपनी साड़ी ठीक की और ऑफिस का दरवाज़ा बंद कर के चली। मेरी कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में अकेली खड़ी हुई थी। बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे। मैं पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से मेरे ब्लाऊज़ के अंदर मेरे निप्पल एकदम टाईट हो गयी थी। मेरा ब्लाऊज़ मेरे रसीले मम्मों को ढाँकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था। मेरे एक-तिहाई मम्मे ब्लाऊज़ के लो-कट होने की वजह से और साड़ी के भीग जाने से एकदम साफ़ नज़र आ रहे रहे थे। मैंने साढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैण्डल पहने हुए थे और पानी मे फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रही थी। हवा भी काफ़ी तेज़ थी और इस वजह से मेरा पल्लू इधर-उधर हो रहा था जिसकी वजह से मेरी नाभी साफ़ देखी जा सकती थी। मैं आमतौर पे साड़ी नाभी के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती हूँ। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, मैं हक़ीकत में नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि मेरी साड़ी मेरे पूरे जिस्म से चिपक चुकी थी। ऊपर से मेरी साड़ी और पेटीकोट कुछ हद तक झलकदार थे।
मैं जितनी जल्दी-जल्दी हो सका, अपनी कार के करीब पहुँची। मुझे मेरे आसपास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था। मैंने देखा कि मेरी वो अकेली ही कार पार्किंग लॉट के इस हिस्से में थी और वहाँ घना अँधेरा छाया हुआ था। बारिश एकदम ज़ोरों से बरस रही थी। मैं कॉर्नर पे मुड़ी और अपनी कार के करीब आ के अपनी पर्स में से चाबी निकालने लगी। अचानक किसी ने मुझे एक जोर का धक्का लगाया और मैं अपनी कार के सामने जा टकराई।
“हिलना मत कुत्तिया!”
मुझे महसूस हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म मुझे मेरी कार की तरफ़ पुश कर रहा था। उसका पुश करने का ज़ोर इतना ताकतवर था कि उसने मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकाल दी थी जिसकी वजह से मैं चिल्ला भी ना सकी। मैं एक दम घबरा गयी। बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आसपास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था और जहाँ मेरी कार खड़ी हुई थी वहाँ मुझे कोई देख नहीं सकता था। वो आदमी मुझे हर जगह छूने लगा। उसके हाथ बेहद मजबूत थे… जैसे लोहे के बने हों। उसने मेरा पल्लू खींच के निकाल दिया और मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और मेरे पहले से टाईट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।
वो गुर्राया। उसकी इस आवाज़ ने जैसे मुझे बेहोशी में से उठाया हो और मैंने भागने की नाकाम कोशिश की। फिर उसने मेरे एक मम्मे को छोड़ के मेरे गीले हो चुके बालों से मुझे खींचा।
“आआहहहहह…।” मैं जोर से चिल्लाई और मैंने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया।
“अगर तू ज़िंदा रहना चाहती है तो… ठीक तरह से पेश आ! समझी कुत्तिया… अभी मैं तुझे अपनी तरफ़ धीरे से मोड़ रहा हूँ… अगर ज़रा भी होशियारी दिखायी तो….!!”
उसने मुझे धीरे से अपनी तरफ़ मोड़ा। इस दौरान उसने अपना जिस्म मेरे जिस्म से सटाय रखा। उसका लंड मेरे गीले जिस्म को घिस रहा था, और मेरी चूत में थोड़ी सरसराहट हुई। “ऑय कैन नॉट बी टर्नड ऑन बॉय दिस” मेरे जहन में ये सवाल उठा। मैंने ऊपर देखा। मैंने इस बार उसे पहली बार देखा। वो एक लंबा-चौड़ा और काला आदमी था। उसने अपने जिस्म पर एक पैंट और सर पर टोपी के अलावा कुछ नहीं पहना था। उसका कसरती जिस्म मुझे किसी बॉडी-बिल्डर की याद दिला गया। वो एकदम काला और डरावना था और ऐसी अँधेरी रात में मुझे सिर्फ़ उसकी आँखें और उसके काले जिस्म पे दौड़ती हुई बारिश की बूँदें ही नज़र आती थी। मैं डर से थर-थर काँपने लगी। मेरे इतनी ऊँची हील के सैण्डल पहने होने के बावजूद वो करीबन मुझसे एक फुट लंबा था। मैं उससे रहम की भीख माँगने लगी।
“प्लीज़… प्लीज़ मुझे मत मारो।”
तभी एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पे आ गिरा। मुझे तो ऐसा लगा कि मुझे तारे दिख गये। उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ कर अपने मुँह तक ऊपर खींचा।
Re: hindi long sex story - मेरे बलात्कार की कहानी -2
“प्लीज़ मुझे जाने दो…। मैं तुम्हें जो चाहो वो दे दूँगी… देखो मेरे पर्स में पैसे हैं… तुम वो सारे के सारे ले लो…” मैं गिड़गिड़ायी।
वो मेरे सामने जोर-जोर से हँसने लगा और बोला “देख… हरामजादी मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिये… मुझे तो तेरी यह कसी हुई टाईट चूत चाहिये… मैं तेरी इस चूत को ऐसे चोदूँगा कि तू ज़िन्दगी भर किसी दूसरे मर्द का लंड नहीं माँगेगी”
उसकी बातों से मुझे तो जैसे किसी साँप ने सूँघ लिया हो ऐसी हालत हो गयी। तभी मुझे खयाल आया कि मेरा रेप होने वाला है। मैं बहुत घबरा गयी थी और समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। बारिश अभी भी पूरे जोरों से बरस रही थी और बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक ने पूरे आसमन को भर लिया था।
मेरे बाल बारिश की वजह से काफी भीग चुके थे और वो मेरे चेहरे को ढक रहे थे। तभी उस काले लंबे चौड़े आदमी ने मुझे कार के हुड पे खींचा। उसके मुझे इस तरह ऊपर खींचने से मेरी भीगी हुई साड़ी मेरी गोरी-गोरी जाँघों तक ऊपर खिंच गयी।
“पीछे झुक… पीछे झुक … हरामजादी!” वो गुर्राया।
मैं ज़रा भी नहीं हिली। वो तिलमिला गया और मेरे नज़दीक मेरे चेहरे के पास आके एकदम धीरे से लेकिन डरावनी आवाज़ में बोला “मैं तेरी हालत इस से भी बदतर बना सकता हूँ… साली राँड!” और मुझे एक धक्का देकर कार के बोनेट पर लिटा दिया। इस के साथ ही उसने अपना हाथ मेरी साड़ी के अंदर मेरी फ़ैली हुई जाँघों के बीच डाल दिया और झट से मेरी पैंटी फाड़ के खींच निकाली। मेरी पैंटी के चीरने की आवाज़ बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच अँधेरी रात में दब गयी। अब वो मेरी दोनों टाँगों को अपने मजबूत हाथों से पूरे जोर और ताकत से फ़ैला रहा था। कुछ पल के लिए मुझे लगा कि मैं कोई बुरा ख्वाब देख रही हूँ और यह सब मेरे साथ नहीं हो रहा है। लेकिन जब वो फिर से गुर्रायातोमैं जल्दी ही हकीकत में वापस आ गयी।
उसने अब अपना एक हाथ मेरे पीछे रखा और मेरी कसी हुई गीली चूत में अपनी दो मोटी उँगलियाँ घुसेड़ दी। मैं फिर चिल्ला उठी लेकिन इस बार भी मेरी चीख बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच दबकर रह गयी। वो जरा भी वक्त गंवाये बिना मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से ऊँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत में उसके हर एक धक्के से मेरे निप्पल और ज्यादा कड़क होने लगे। मेरी चूत में अपनी उँगलियों के हर एक धक्के के साथ वो गुर्राता था। मेरा डर मेरी चूत तक नहीं पहुँचा था और मेरी चूत में से रस झड़ने लगा, जैसे कि चूत भी मेरी इज़्ज़त लूटने वाले की मदद कर रही थी।
“हे भगवान… बेहद दर्द हो रहा है,”मैंने अपने आप को कहा और अचानक जैसेमैं सातवें आसमान पे थी।“ओहह भगवान नहींईंईंईंईं…. प्लीज़” और मेरी चूत उसकी उँगलियों के आसपास एकदम टाईट हो गयी। मैंने अपनी आँखें बँद कर लीं और मेरी आँखों से आँसू मेरे चेहरे पे आ गये। बारिश की ठँडी बूँदों में मिल कर वो बह गये।
वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी गीली चूत में उँगलियाँ अंदर-बाहर कर रहा था। हर दफ़ा जब वो अपनी उँगलियाँ मेरी चूत के अंदर डालता था तो मैं इंतेहाई के करीब पहुँच जाती थी। उसकी ताकत लाजवाब थी। हर दफ़ा वो मुझे मेरी गाँड पकड़ के ऊपर करता था और अपनी उँगलियाँ मेरी गीली चूत में जोर से घुसेड़ता था जो अब चौड़ी हो चुकी थी। मेरा सर अब चक्कर खा रहा था और मैं थोड़ी बेहोशी महसूस कर रही थी। मुझे पता नहीं था कि वाकय यह उसकी ताकत थी या फिर मेरी मदहोश चूत थी जो बार-बार मेरी गाँड को ऊपर नीचे कर रही थी। मैंने काफी चाहा कि ऐसा ना हो।
वो मेरे सामने जोर-जोर से हँसने लगा और बोला “देख… हरामजादी मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिये… मुझे तो तेरी यह कसी हुई टाईट चूत चाहिये… मैं तेरी इस चूत को ऐसे चोदूँगा कि तू ज़िन्दगी भर किसी दूसरे मर्द का लंड नहीं माँगेगी”
उसकी बातों से मुझे तो जैसे किसी साँप ने सूँघ लिया हो ऐसी हालत हो गयी। तभी मुझे खयाल आया कि मेरा रेप होने वाला है। मैं बहुत घबरा गयी थी और समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। बारिश अभी भी पूरे जोरों से बरस रही थी और बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक ने पूरे आसमन को भर लिया था।
मेरे बाल बारिश की वजह से काफी भीग चुके थे और वो मेरे चेहरे को ढक रहे थे। तभी उस काले लंबे चौड़े आदमी ने मुझे कार के हुड पे खींचा। उसके मुझे इस तरह ऊपर खींचने से मेरी भीगी हुई साड़ी मेरी गोरी-गोरी जाँघों तक ऊपर खिंच गयी।
“पीछे झुक… पीछे झुक … हरामजादी!” वो गुर्राया।
मैं ज़रा भी नहीं हिली। वो तिलमिला गया और मेरे नज़दीक मेरे चेहरे के पास आके एकदम धीरे से लेकिन डरावनी आवाज़ में बोला “मैं तेरी हालत इस से भी बदतर बना सकता हूँ… साली राँड!” और मुझे एक धक्का देकर कार के बोनेट पर लिटा दिया। इस के साथ ही उसने अपना हाथ मेरी साड़ी के अंदर मेरी फ़ैली हुई जाँघों के बीच डाल दिया और झट से मेरी पैंटी फाड़ के खींच निकाली। मेरी पैंटी के चीरने की आवाज़ बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच अँधेरी रात में दब गयी। अब वो मेरी दोनों टाँगों को अपने मजबूत हाथों से पूरे जोर और ताकत से फ़ैला रहा था। कुछ पल के लिए मुझे लगा कि मैं कोई बुरा ख्वाब देख रही हूँ और यह सब मेरे साथ नहीं हो रहा है। लेकिन जब वो फिर से गुर्रायातोमैं जल्दी ही हकीकत में वापस आ गयी।
उसने अब अपना एक हाथ मेरे पीछे रखा और मेरी कसी हुई गीली चूत में अपनी दो मोटी उँगलियाँ घुसेड़ दी। मैं फिर चिल्ला उठी लेकिन इस बार भी मेरी चीख बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच दबकर रह गयी। वो जरा भी वक्त गंवाये बिना मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से ऊँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत में उसके हर एक धक्के से मेरे निप्पल और ज्यादा कड़क होने लगे। मेरी चूत में अपनी उँगलियों के हर एक धक्के के साथ वो गुर्राता था। मेरा डर मेरी चूत तक नहीं पहुँचा था और मेरी चूत में से रस झड़ने लगा, जैसे कि चूत भी मेरी इज़्ज़त लूटने वाले की मदद कर रही थी।
“हे भगवान… बेहद दर्द हो रहा है,”मैंने अपने आप को कहा और अचानक जैसेमैं सातवें आसमान पे थी।“ओहह भगवान नहींईंईंईंईं…. प्लीज़” और मेरी चूत उसकी उँगलियों के आसपास एकदम टाईट हो गयी। मैंने अपनी आँखें बँद कर लीं और मेरी आँखों से आँसू मेरे चेहरे पे आ गये। बारिश की ठँडी बूँदों में मिल कर वो बह गये।
वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी गीली चूत में उँगलियाँ अंदर-बाहर कर रहा था। हर दफ़ा जब वो अपनी उँगलियाँ मेरी चूत के अंदर डालता था तो मैं इंतेहाई के करीब पहुँच जाती थी। उसकी ताकत लाजवाब थी। हर दफ़ा वो मुझे मेरी गाँड पकड़ के ऊपर करता था और अपनी उँगलियाँ मेरी गीली चूत में जोर से घुसेड़ता था जो अब चौड़ी हो चुकी थी। मेरा सर अब चक्कर खा रहा था और मैं थोड़ी बेहोशी महसूस कर रही थी। मुझे पता नहीं था कि वाकय यह उसकी ताकत थी या फिर मेरी मदहोश चूत थी जो बार-बार मेरी गाँड को ऊपर नीचे कर रही थी। मैंने काफी चाहा कि ऐसा ना हो।
Re: hindi long sex story - मेरे बलात्कार की कहानी - 3
तभी उसने अपना अँगूठा मेरी क्लिट पे रख कर दबाया। एक झनझनाहट सी हो गयी मेरे जिस्म में… मेरी चूत की दीवारें सिकुड़ गयीं और मैं एकदम से झड़ गयी। मस्ती भरा तूफान मेरे जिस्म में समा गया। मैं बहुत शरमिंदगी महसूस करने लगी। कैसे मैं अपने आप को ऐसी मस्ती महसूस करवा सकती थी जब वो आदमी मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था? मैं खुद को एक बहुत गंदी और रंडी जैसा महसूस करने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ के उसे रोकना चाहा तो वो मेरे सामने देख कर हँसने लगा। वो जानता था कि मैं झड़ गयी हूँ।
“तू एकदम चालू किस्म की औरत है… क्यों? तू तो राँड से भी बदतर है… है ना? तुझे तो अपने आप पे शरम आनी चाहिए” वो खुद से वासिक़ होते हुए और हँसते हुए बोला। वो हकीकत ही बयान कर रहा था।
मेरा सर शरम के मारे झुक गया और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया और रोने लगी। झड़ने की वजह से मेरे जिस्म में अजब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें मेरे जिस्म को छेड़ रही थी। ठंडी हवा की वजह से मेरा पूरा जिस्म काँप रहा था। मैं सचमुच उस वक्त एक बाजारू रंडी के मानिन्द लगरही होऊँगी। अचानक उसने मुझे धक्का दिया और मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुटनों के बल बिठा दिया।
“अब मेरी बारी है रंडी और तू जानती है मुझे क्या चाहिए… है ना? तू जानती है ना?”
मैं जानती थी वो क्या चाहता था जब उसने मेरे कंधे पकड़ के मुझे घुटनों के बल बिठा दिया था। मेरा नीचे का होंठ काँपने लगा था। मैंने अपने गीले बाल अपने चेहरे से हटाये और शरम से अपना सर हिलाया। मेरा दिमाग ना कह रहा था लेकिन मेरा दिल उसे देखने को बेताब था। जब मैं अपने घुटनों पे थी तब मैंने अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और खामोशी से मुझे जाने देने की फरियाद की। पर जब मैंने उसकी आँखों में देखा तब मुझे एहसास हो गया कि उसे जो चाहिए वो मिलने से पहले वो मुझे नहीं जाने देगा।
जब मैंने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड मेरे सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था… तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था… शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे किग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम मैंने तो हकीकत में तब तकइतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।
“तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड… सीखोगी ना?” उसने मुझसे पूछा।
“तू एकदम चालू किस्म की औरत है… क्यों? तू तो राँड से भी बदतर है… है ना? तुझे तो अपने आप पे शरम आनी चाहिए” वो खुद से वासिक़ होते हुए और हँसते हुए बोला। वो हकीकत ही बयान कर रहा था।
मेरा सर शरम के मारे झुक गया और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया और रोने लगी। झड़ने की वजह से मेरे जिस्म में अजब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें मेरे जिस्म को छेड़ रही थी। ठंडी हवा की वजह से मेरा पूरा जिस्म काँप रहा था। मैं सचमुच उस वक्त एक बाजारू रंडी के मानिन्द लगरही होऊँगी। अचानक उसने मुझे धक्का दिया और मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुटनों के बल बिठा दिया।
“अब मेरी बारी है रंडी और तू जानती है मुझे क्या चाहिए… है ना? तू जानती है ना?”
मैं जानती थी वो क्या चाहता था जब उसने मेरे कंधे पकड़ के मुझे घुटनों के बल बिठा दिया था। मेरा नीचे का होंठ काँपने लगा था। मैंने अपने गीले बाल अपने चेहरे से हटाये और शरम से अपना सर हिलाया। मेरा दिमाग ना कह रहा था लेकिन मेरा दिल उसे देखने को बेताब था। जब मैं अपने घुटनों पे थी तब मैंने अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और खामोशी से मुझे जाने देने की फरियाद की। पर जब मैंने उसकी आँखों में देखा तब मुझे एहसास हो गया कि उसे जो चाहिए वो मिलने से पहले वो मुझे नहीं जाने देगा।
जब मैंने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड मेरे सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था… तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था… शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे किग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम मैंने तो हकीकत में तब तकइतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।
“तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड… सीखोगी ना?” उसने मुझसे पूछा।