बाबुल प्यारे compleet

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raj..
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Re: बाबुल प्यारे

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 10:45

गतान्क से आगे....................

बापू : चल घर चल.कोई दावा लगा ले.चल बेटी खड़ी हो मैं जैसे ही खड़ी हो कर थोड़ा चलने की कोशिश की तो फिरसे गिर गयी
बापू : अर्रे, क्या हुआ बेटी.चला नहीं जा रहा
मैं : नहीं बापू.चलने में तो और भी दुख़्ता है
बापू : बेटी, थोड़ी कोशिश कर, घर जा कर दावा लगा कर ही दर्द ख़तम होगा, घर तो जाना ही है, हेना. मैं फिरसे उठी , थोड़ा चली पर फिर गिर पड़ी
मैं : नहीं बापू, मुझसे बिल्कुल नहीं चला जा रहा
बापू : फिर तो तुझे उठा के ही ले जाना पड़ेगा यही तो मैं चाहती थी.बापू मुझे उठाएं.उनका एक हाथ मेरी टाँगों के नीचे और दूसरा हाथ मेरी पीठ के नीचे और मैं उनके नंगे जिस्म से चिपकी हुई. जब बापू मुझे उठा रहे थे तो मैने जल्दी से अपने सूट के सामने के बटन खोल दिए और मेरे आधे से ज़्यादा उभार बाहर आ गये. अब मैं बापू की गोद में थी और मेरी छाति खुला दरबार बनी हुई थी.
मैं : बापू बहुत दर्द हो रहा है बापू ने मेरी तरफ देखा तो उनकी आँखे पहले वहीं गयी जहाँ मैं चाहती थी.मेरे उभारों को देखते हुए बोले
बापू : बस बेटी घर चल के सब ठीक हो जाएगा मैने झूट-मूट में आँखें बंद करली और देखा कि बापू रुक-रुक कर मेरी गोलाइयाँ (ब्रेस्ट) देख रहे हैं.किसी बाप के सामने उसकी बेटी की आधी छाति नंगी हो तो वो बेचारा खुल के देख भी नहीं सकता. बापू ने मुझे उठा रखा था, इसलिए मेरी हिप्स बापू की पेनिस की हाइट पर थी.सडन्ली मुझे हिप्स पर कुच्छ हार्ड फील हुआ.मैं समझ गयी यह क्या है. मेरे बापू का लोडा .आज बाप बेटी कितने पास होकर भी कितने दूर थे .डंडे और छेद में मुश्किल से चार इंच का फासला था घर पहुँचते ही बापू ने मुझे लिटा दिया.मेरी आँखें बंद थी पर छाती तो खुली थी
बापू : बेटी घर आ गया है
मैं : बापू, कुच्छ करो ना.दर्द हो रहा है
बापू : अलमारी में दावा रखी है.मैं लाता हूँ बापू डिस्प्रिन की गोली लाए और साथ में पानी. पानी पीते वक़्त मैने जान-बूझ कर पानी अपने ब्रेस्ट पर गिरने दिया.अब मेरे आधे नंगे उभारों पर पानी था. मैने गोली ले ली और फिरसे आँखें बंद करके लेट गयी.बापू बार बार मेरे उभारों को देख रहे थे .जवान बेटी के गीले उभार.बाप करे तो क्या करे. मैने सोचा इतना काफ़ी है अभी के लिए.
मैं : बापू, आपको जाना है तो जाओ, खेत में काम पूरा कर आओ, अब दर्द में पहले से फरक है
बापू : ठीक है.मैं जल्द ही काम करके आता हूँ. मैने सोचा काम करके आता हूँ या काम करने आता हू. रात को बापू आए तो मैं थोड़ा चलने लगी थी
बापू : बेटी फरक पड़ा ?
मैं : हां बापू, थोड़ा थोड़ा. फिर हमने रोटी खाई.. अब मेरा जलवा दिखाने का टाइम आ गया था.मैने शहर से ली हुई मॅक्सी (फुल्ली कवर्ड नाइटी) पहेनी.इस मॅक्सी का अड्वॅंटेज यह था कि यह बिना कुच्छ एक्सपोज़ किए भी सब कुच्छ एक्सपोज़ कर सकती थी.मैने लिपस्टिक और रूज़ भी लगा लिया. मॅक्सी पहेन के मैं बापू के सामने आई तो बापू मुझे देख कर थोड़े हैरान और थोड़े खुश भी हुए. हैरान इसलिए की उन्होने पहली बार ऐसी ड्रेस देखी थी और खुश इसलिए की उनकी बेटी सुन्दर लग रही थी
मैं : बापू, मैने यह शहर से यह कपड़े भी लिए हैं.कैसे हैं ?
बापू : अच्छे हैं, पर इसमे नींद आ जाएगी ?
मैं : और क्या, शहर में तो लड़कियाँ और औरतें रात को यही पहन कर सोती हैं
बापू : अच्छा ज़मीन पे बिस्तर लग चुका था.मैं बापू के पास जा कर बैठ गयी
मैं : बापू, जो डेवॅया आपने शाम को दी थी वो बहुत पुरानी हो चुकी है और उसका असर नहीं होगा
बापू : अच्छा मुझे तो पता ही नहीं था.
मैं : धीरे धीरे दर्द बढ़ रहा है. हमारे गाओं में दर्द के लिए सरसों का गरम तेल लगते थे . मुझे पता था कि बापू मुझे तेल लगाने के लिए ज़रूर कहेंगे. नहीं कहेंगे तो मैं खुद केहदूँगी. तेल से ही तो सारा रास्ता खुलेगा

raj..
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Re: बाबुल प्यारे

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 10:46


बापू : फिर एक काम कर, सरसों का गरम तेल लगा ले
मैं -ओह यस.
बापू : तू मत उठ, मैं तेल गरम करके लता हूँ बापू तेल ले आए
बापू : ले बेटी, लगा ले
मैं : लाओ मैने मॅक्सी थोड़ी सी ऊपर की और हाथों से थोड़ा थोड़ा तेल लगाने लगी
मैं : ऊ.एयेए.
बापू : क्या हुआ ?
मैं : तेल लगाने पे और दर्द होता है.मैं नहीं लगाती
बापू : दर्द होना मतलब इसका असर हो रहा है. लगाले बेटी तभी ठीक होगा मैने थोड़ा सा तेल और लगाया
मैं : ऊओ.मुझसे नहीं लगेगा
बापू : इस वक़्त तेरी मम्मी को यहाँ होना चाहिए था.ला मैं लगता हूँ. मैने थोड़ी सी मॅक्सी ऊपर करली.बापू मुझे पैर पे तेल लगाने लगे
मैं : ऊह. आ. मर गयी.
बापू : तेल से तो अच्छे से अच्छा दर्द ठीक हो जाता है.
मैं : ऊह बापू दर्द पूरी टाँग में आ रहा है. मैं लेट गयी और मॅक्सी और ऊपर कर ली.मैने अपनी दूसरी टाँग थोड़ी ऊपर कर ली सो तट बापू को मॅक्सी के अंदर का सीन दिख सके.बापू थोड़ा शर्मा रहे थे और थोडा घबरा रहे थे
मैं : बापू, थोड़ा तेल टाँग पे भी लागाओ. मैने अपनी टांगे खोल दी और दोनो घुटने (नीस) ऊपर की तरफ कर दिए जिससे कि बापू को मेरी टाँगों के बीच में से मेरी सफेद (वाइट) कच्ची (पॅंटी) दिखने लगे. अब बापू की नज़र मेरी टाँगों के बीच में से मेरी कछि पर थी
मैं : ओ.बापू.दर्द तो ऊपर बढ़ता जा रहा है.
बापू : बेटी हिम्मत से काम ले.तेल ख़तम हो गया है.मैं और गरम करके लाता हूँ तेल तो ठंडा हो जाएगा.पर बाप बेटी तो गरम हो रहे थे
बापू : मैं और तेल ले आया.छेमिया यह काम तेरी मम्मी को करना चाहिए.
मैं : ठीक है तो आप छोड़ दो.दर्द थोड़ी देर से ही सही पर अपने आप ही ठीक हो जाएगा
बापू : नहीं, कभी कभी बाप को ही मा का धर्म निभाना पड़ता है.चल बता कहाँ लगाना है
मैं : बापू, दर्द दूसरी टाँग में भी हो रहा है.आप दोनो टाँगों पर लगा दो बापू मेरी दोनो टाँगों के बीच में बैठ गये और तेल लगाने लगे
मैं : बापू घुटनो पर भी लगा दो
बापू : बेटी तेल लगने से तेरे यह नये कपड़े तो खराब नहीं होंगे
मैं : हो सकता है.मैं थोड़ा ऊपर कर लेती हूँ मैने मॅक्सी थाइस तक ऊपर कर ली..अब मेरी नीस ऊपर.टाँगें खुलीं.मॅक्सी थाइस तक.और बापू मेरी टाँगों के बीच में.मेरी चूत उनके फेस के सीध में.

raj..
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Re: बाबुल प्यारे

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 10:47


मैं : बापू, आप तेल बहुत अच्छा लगाते हो.कुच्छ कुच्छ आराम मिल रहा है
बापू : तेरी मम्मी को भी दर्द होता है तो मैं ही लगाता हूँ.इसलिए मुझे तजुर्बा हो गया है.
मैं : अच्छा.बापू अब मैं पेट के बल (विथ स्टमक टुवर्ड्स फ्लोर) लेट जाती हूँ और आप टाँगों के पिच्छले भाग पर भी अच्छी तरह तेल लगा दो मैं पेट के बल लेट गयी.मैने मॅक्सी थोड़ा और उपर कर लिया.अब मॅक्सी मेरी हिप्स तक आ गयी थी.मेरा मकसद अपने बाप को अपनी फ्लेशी हिप्स दिखाने का था.मेरी टाँगें तो एक तरह से पूरी एक्सपोज़्ड थी. मैने थोड़ा सा मूड कर देखा तो बापू मेरी हिप्स को देख रहे थे.हलकी मेरी हिप्स अभी एक्सपोज़्ड नहीं थी.
मैं : एक बात बोलू.इस वक़्त आप मेरी मम्मी हो ना
बापू : हां
मैं : पहले मम्मी मेरी सरसों के तेल से मालिश किया करती थी, इसलिए मेरी हड़ियाँ मज़बूत थी, अब नहीं करती तो हड़ियाँ नाज़ुक हो गयी हैं
बापू : हो सकता है..मालिश तो करनी ही चाहिए
मैं : तो अगर आपको कोई दिक्कत नहीं है तो आप मेरी मालिश ही करदो. आप मेरी मम्मी तो बन ही चुके हो. पर हां बापू मम्मी की तरह खूब मसल मसल के कर'ना.
बापू : ठीक है बेटी. पर यह बात तुम किसी को बताना नहीं. अपनी मम्मी को भी नहीं.
मैं : कभी नहीं बताऊंगी.
बापू : फिर मैं तेल और ले आता हूँ अब बात बन रही थी.गर्मी सही नहीं जा रही थी.लेकिन मुझे अब भी लग रहा था कि बापू की नियत अब भी साफ है.मुझे लग रहा था कि उनके लिए मालिश का मतलब सिर्फ़ मालिश ही है और कुच्छ नहीं. खेर अब मैं फिरसे सीधी लेट गयी (पीठ के बल).मैने मॅक्सी और ऊपर करली.कछि तक. बापू तेल लेकर आ गये.
बापू : चल बेटी.लगता है आज सारा तेल मालिश में लग जाएगा मैं सीधे लेती हुई थी.मॅक्सी कछि तक चढ़ि हुई.
मैं : बापू , मालिश थोड़ा कस के करना.जैसे मम्मी करती हैं बापू मेरी टाँगों की मालिश कर रहे थे
मैं : बापू मैने शहर में टीवी और कंप्यूटर देखा
बापू : अच्छा.कौनसी फ़िल्मे देखी
मैं : उसमें क्या क्या दिखाते हैं मैं बता नहीं सकती
बापू : ऐसा क्या दिखाते हैं
मैं : टाँगें बाद में कर लेना.पहले ऊपर का भाग कर लो
बापू : ठीक है
मैं : मैं कपड़े ऊपर करूँ तो आपको कोई दिक्कत तो नहीं है. आप एक काम करो. आप आँखें बंद कर लो मैं अपने कपड़े ऊपर चढ़ाती हूँ.
बापू : हां, यह ठीक है.इस तरह बाप बेटी में परदा भी रहेगा माइ फुट ! मैने अपनी मॅक्सी अपने गले (नेक) तक चढ़ा ली .अब मैं अपने बापू के सामने एक तरह से सिर्फ़ ब्रा और कछि मैं थी
मैं : अब आप तेल की कटोरी को मेरे साइड मे रख दो और ऊपर आके मेरे पेट पर मालिश करो.जैसे मम्मी करती हैं बापू ने तेल की कटोरी एक साइड में रखी.और डॉगी स्टाइल में मेरे ऊपर आ गये.एक हाथ ज़मीन पर रखा सपोर्ट के लिए और दूसरे हाथ से मेरे पेट पर तेल लगाने लगे.अब वो मेरे सामने नहीं बल्कि ऊपर थे इसलिए हम ऑलमोस्ट फेस टू फेस थे.
मैं : हां बापू.तो मैं कह रही थी कि जो चीज़ें टीवी पर दिखातें हैं वो आपने पहले कभी नहीं देखी होंगी
बापू : ऐसा क्या है ?
मैं : लेकिन मैं नहीं मानती कि वो सचाई है
बापू : क्या नहीं मानती ?
मैं : वो दिखातें हैं कि..नहीं मैं वो बोल नहीं सकती
बापू : बता ना.ऐसा क्या है ?
मैं : नहीं.कैसे बोलू.नहीं बोल सकती.
बापू : ऐसा क्या है जो तू बोल नहीं सकती ?
मैं : मैं तो कभी सोच भी नहीं सकती कि ऐसा भी होता होगा ?
बापू : क्या होता होगा ?

क्रमशः........................ .........

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