बाबुल प्यारे compleet

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raj..
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Re: बाबुल प्यारे

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 10:48

गतान्क से आगे....................

मैं : करके देखूं.पर आप बुरा तो नहीं मनोगे ?
बापू : नहीं मनुगा.
मैं : तो फिर अपना चेहरा इधर लाओ मैने बापू का फेस अपनी तरफ किया और उनके होंठो पर किस कर दिया.बापूने आँखें खोल ली.
मैं : बापू आपने कहा था कि आप बुरा नहीं मनोगे
बापू : मुझे याद है
मैं :मालिश क्यों रोक दी.वो तो करते रहो
बापू : क्या टीवी पर यह दिखाते हैं
मैं : हाँ बापू.आप ही बताओ , क्या लड़का लड़की एक दूसरे से होंठ (लिप्स) मिलाते हैं ?
बापू : मैने तो नहीं सुना
मैं : टीवी में तो लड़का लड़की ऐसे होंठ मिलते हैं जैसे होंठो से होंठो की मालिश कर रहे हो...बापू यह आप मालिशकर रहे हो या सिर्फ़ हाथ फेर रहे हो.अच्छी तरह करो.आप तो मेरे कपड़ो पर भी तेल लगा रहे हो.एक कामकरो...आँखें खोल लो.
बापू : आँखें तो खोल लेता हूँ लेकिन तुम किसी को बताना मत
मैं : कहा ना.कभी नहीं बताऊंगी अब बापू ने आँखें खोल ली और उनकी जवान बेटी ऑलमोस्ट फुल्ली नग्न उनकेसामने उनसे मालिश कराती हुई.अपनी बेटी का बदन देखते ही वो थोड़ा शर्मा गये.
मैं : थोड़े लंबे लंबे हाथ चलाओ..टीवी पर तो लड़का लड़की के होंठो से इतनी अच्छी मालिश कर रहा था और आप तोहाथों से भी अच्छी नहीं कर रहे.
बापू : नहीं ऐसी बात नहीं है.अब मैं कस के करता हूँ बापू ने लूँगी और बनियान पहनी हुई थी
मैं : बापू देखो ना, आपकी बनियान पर तेल लग रहा है, यह खराब ना हो जाए. इससे निकाल दो.
बापू : ठीक है. और बापू ने बनियान उतार दी.अब मेरी मॅक्सी मेरे ब्रा से ऊपर थी, बापू सिर्फ़ लूँगी में थे और मेरेऊपर चढ़ कर मेरे पेट की मालिश कर रहे थे
मैं : बापू. होंठो से होंठ मिलाना तो मैने पहली बार देखा ही.लेकिन इससे बड़ी चीज़ भी देखी.जो मैं नहीं मानती किअसली में होता होगा
बापू : अच्छा.क्या देखा
मैं : बता नहीं सकती.अपना चेहरा इधर लाओ बापू का फेस अपने हाथों में लेके मैं फिरसे बापू के होंठो पे किस करनेलगी.कुच्छ देर तक हमारे होंठ ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहे.फिर बापू ने कहा
बापू : पर यह तो तू बता चुकी है
मैं : हाँ यह तो बता चुकी हूँ.अब जो करना है वो करने में थोडा सा अजीब लग रहा है.चलो करती हूँ.लाओ अपने होंठहमने फिरसे किस शुरू की. अब मैने अपनी जीभ (टंग) बापू के होंठो पर चलाई और बापू के मूह (माउत) के अंदरडालनी चाही. बापू ने हल्के से अपना मूह खोल दिया.तो मैने अपनी जीभ बापू के मूह में डाल दी.
मैं बापू की जीभ को चाटने लगी.अब बापू भी अपनी जीभ मेरी जीभ पर घुमाने लगे.उन्होने अपनी जीभ मेरे दाँतोंतीथ) पर मारी.कुच्छ देर एक दूसरे की जीभ चूसने के बाद बापू ने अपना फेस ऊपर किया.
मैं : बापू, अच्छा लगा
बापू : मैने तो यह सब पहली बार सुना.मेरा मतलब पहली बार किया है
मैं : तो मैं कौनसा रोज़ करती हूँ.मैने भी पहली बार किया, बापू एक बात कहूँ.आपकी जीभ है बड़ी स्वाद
बापू : अच्छा.
मैं : मेरी जीभ का स्वाद आपको कैसा लगा?
बापू : ह्म.
मैं : याद नहीं तो फिर चख (टेस्ट) कर देख लो मैने बापू का फेस पकड़ कर अपनी तरफ लिया और अपनी जीभबाहर निकल दी.बापू मेरी जीभ को चाट-ने लगे..इस दौरान मैने तेल की कटोरी से थोड़ा तेल लिया औट बापू की पीठपर लगाने लगी..... कुच्छ देर तक चाटने के बाद बापू अलग हुए.
मैं : बापू, अब तो बताओ कैसा है मेरी जीभ का स्वाद
बापू : अच्छा है..पर तू यह सब किसी से बताना मत
मैं : बिल्कुल नहीं.बापू मैं अपनी मॅक्सी निकाल ही देती हूँ मैने अपनी मॅक्सी उतार दी.अब मैं सिर्फ़ ब्रा-पॅंटी में थीऔर बापू सिर्फ़ लूँगी में.
मैं : बापू.अब आप मेरी पीठ (बॅक) की मालिश करो यह कह कर मैं पेट (स्टमक) के बल लेट गयी. बापू के सामनेमेरी नंगी पीठ और मेरी हिप्स थी. बापू मेरी पीठ की मालिश करने लगे

raj..
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Re: बाबुल प्यारे

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 10:48


मैं : मेरे कूल्हों (हिप्स) पर लगाओ तेल.दबा दबा कर करो मालिश. बापू मेरे हिप्स पर तेल लगाने लगे.मेरी हिप्सउमर के हिसाब से बड़ी हैं
मैं : बापू, आप मम्मी के कूल्हों (हिप्स) पर भी मालिश करते हो
बापू : हां.लेकिन अब तो उसकी मालिश किए पाँच च्छेः साल हो गये बापू मेरी हिप्स की मालिश बहुत दबा दबा केकर रहे तह..मुझे यहीं था की अब तक बापू का लॉडा पूरी तरह कड़क हो चुका था.
मैं : बापू, चलो अब आप थोड़ा आराम कर लो.काफ़ी देर से मालिश कर रहे हो.कुच्छ देर मैं आपकी मालिश कर देतीहूँ अब बापू लेट गये और मैं उनके ऊपर आ गयी.मैने हाथ में तेल लिया और उनकी छाती पर लगाने लगी.बापू कीनज़रें मेरे बदन पे थी.उनकी जवान बेटी ब्रा पॅंटी में उनकी मालिश कर रही थी.
मैं : बापू आप अंपनी लूँगी निकाल दो तो मैं आपकी टाँगों की भी मालिश कर दूं मैं जानती थी की बापू का लॉडा खड़ाहोगा
बापू : नहीं बेटी.मुझे तो मालिश की ज़रूरत ही नहीं.तू ऊपर से ही कर ले
मैं : क्यूँ बापू.आज आपने कच्छा (अंडरवेर) नहीं पहना
बापू : पहना है.लेकिन मुझे मालिश की ज़रूरत नहीं. मैं बापू के ऊपर डॉग्गी स्टाइल में थी.उनकी छाति पर तेललगा रही थी. मैं जान बूझ कर स्लिप कर गयी और बापू के ऊपर आ पड़ी.हम दोनो के नंगे जिस्म कॉंटॅक्ट में आगये.अब मैं बापू के ऊपर लेटी हुई थी.मेरे ब्रेस्ट बापू की छाती से सटे हुए थे
मैं : ओह.
बापू : क्या हुआ
मैं : बापू वो हाथ चिकने हैं ना इसलिए फिसल गये और मैं आपके ऊपर आ पड़ी.मैं थोड़ा थक गयी हूँ.थोड़ी देर ऐसेही रहू
बापू : मेरी छाती पर तेल लगा है.तेरा कपड़ा (ब्रा) खराब हो जाएगा
मैं : अब तो हो ही गया.जाने दो.लेकिन आपके हाथ खाली हैं.आप मेरी पीठ की मालिश कर सकते हो अब बापू लेतेहुए थे, मैं बापू के ऊपर, अपने ब्रेस्ट बापू की छाती पर दबाए, और बापू के हाथ मेरी पीठ पर तेल मल रहे थे .दोनो मेंगर्मी बढ़ती जा रही थी.हम दोनो के नंगे पेट एक दूसरे से सटे हुए थे
मैं : ऊ.बापू.मेरी मालिश करो.अच्छी तरह.
बापू : छेमिया क्या हम ठीक कर रहे हैं.?.एक बाप बेटी ऐसे करते हैं.
मैं : (धीरे आवाज़ में) कैसे.
बापू : जैसे तू और मैं कपड़ों के बिना एक दूसरे से चिपके हुए हैं.
मैं : कपड़े पहेने तो हैं.मैने ब्रा और कच्ची और आपने लूँगी.बचपन में तो आपने मुझे बिल्कुल नंगा देखा होगा. मैंअपने बूब्स बापू की छाति पे रगड़ने लगी.
बापू : बचपन की बात और थी.अब तू जवान है
मैं : बापू.क्या आपको मेरा जिस्म अच्छा लगा.?.
बापू : पर मैं तेरा बाप हूँ.
मैं : हम जो भी करेंगे मैं किसी से ना कहूँगी.हम थोड़ा सा ही करेंगे.अब बताओ आपको मेरा जिस्म अच्छा लगा ?.
बापू : हां.सच कहूँ तो तेरे कूल्हे (हिप्स) बहुत आकर्षक हैं. यह कह कर बापू मेरे हिप्स को प्रेस करने लगे
मैं : ऊ.बापू.बदन से बदन की मालिश का मज़ा ही कुच्छ और है.मेरे कूल्हों को दबाओ.
बापू : ओह.छेमिया.तेरे कूल्हे तो तेरी मा से भी ज़्यादा अच्छे हैं.
मैं : बापू.आप मेरे ऊपर आ जाओ बापू मेरे ऊपर आ गये और मेरी गर्दन (नेक) तो चूमने लगे
मैं : ऊओ.बापू.आइ लव यू सो मच.मैं आपसे कितना प्यार करती हूँ यह आप नहीं जानते.चूमो.अपनी बेटी को चूमो
बापू : छेमिया.तेरे बदन ने मुझे पागल कर दिया है.

raj..
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Re: बाबुल प्यारे

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 10:49


मैं : आपकी मालिश ने मुझे भी पागल कर दिया है. बापू का एक हाथ मेरे बूब पर गया और उससे हल्का हल्कादबाने लगे.वह मेरी गर्दन और मेरा चेहरा चूमते जा रहे थे.
मैं : पाप्पा.ओ.आपके चुंबन मुझे पागल कर देंगे.यह आपका एक हाथ मेरी छाति पर क्यूँ है. क्या करोगे उसका
बापू : जी चाहता है तेरी छाति को मसल दूँ.
मैं : ओईमा. जो करना है कर लो. मेरी छातियाँ मेरे बापू के काम नहीं तो किसके काम आएँगी. यह ब्रा बाप बेटी केबीच में आ रहा है. निकाल दो इसे.कर दो मेरे संतरों (ऑरंजस) को आज़ाद. बापू ने मेरा ब्रा निकाल दिया.वो मेरीछाती को देखते ही पागल से हो गये.दोनो हाथों से दोनो बूब्स को दबाने लगे.
बापू : छेमिया.तेरी चूचिया संतरे नहीं. नारियल (कोकनट) हैं. कितने बड़े और भरे भरे.
मैं : ऊ. दबाते रहो. कितना मज़ा आ रहा है. मैने अपने नारियलों मैं आपके लिए बहुत सारा पानी भरा हुआ है. पियोना अपनी बेटी का नारियल पानी. यह कहने की देर थी के बापू ने मेरे स्तन (बूब) अपने मूह (माउत) में ले लिएऔर चूसने लगे.
मैं : उऊँ. आह.ऊ.चूऊऊस. ऊ.मेरे अच्छे बापू. दूध पियो मेरा. बापू और ज़ोर से मेरे स्तन चूसने लगे.बीच बीच में मेरेनिपल्स को अपने दातों (टीत) से काट रहे तह..जब भी वह मेरे निप्स (निपल्स) को काट - ते तो , मेरी जान निकलजाती.लेकिन मज़ा आ रहा था.
मैं : ओमा.सारा दूध पी जाओ मेरा. खाली कर दो मेरे दूध के कटोरे. मैं आपकी मा हूँ, और आप मेरे बेटे हो. मेरे बेटेमेरी छाती से दुदू पी मेरी जान. मैने अपना एक हाथ बापू की लूँगी में डाला और लूँगी खोल दी. बापू ने अंदर कच्छापहना था.बापू मेरा दूध पीईईईन्न्नने में मगन थे .मेरे निपल्स को रुक रुक के जीभ से चाट - ते और दातों से काट - ते. मैने बापू की लूँगी में हाथ डाला.और उनके हिप्स को मसल्ने लगी.सच कहूँ तो मुझे बापू के हिप्स बहुत आकर्षकलगते थे .मैं इमॅजिन किया करती थी के उनके हिप्स कितने बड़े और कितने हार्ड होंगेः.मैने बापू की सारी लूँगीनिकाल दी.अब बापू सिर्फ़ कच्चे में और उनकी बेटी सिर्फ़ पॅंटी में.मेरे दोनो हाथ बापू की हिप्स पर थे.
मैं : ओ बापू.आपका जिस्म कितना कठोर (स्ट्रॉंग) है.
बापू : बेटी तेरे अंग जितने मुलायम हैं मेरे अंग उतने ही कठोर हैं.तेरा दूध बड़ा मीठा है.तू खुद भी चीनी है.बाप बेटीके नंगे जिस्मों का मिलन और गरम होता जा रहा था.बापू अब मेरा दूध ख़तम कर के मेरे पेट को चूम रहे थे ...वोमेरी नाभि (नेवेल) में अपनी जीभ चला रहे थे ..मेरी चूत तो पूरी गीली हो चुकी थी..अब बापू मेरी काली पॅंटी को चूमरहे थे .
मैं : ओह.प्प्प.आपपा.म.याइ.यह.आपन्न् ( ने.क्या कर दिया.है.मुझसे अब और सहेन नहीं होता..और मूततड़पाव.ऊ.बुज्ज्झा.भुजा दो मेरी प्यास.भुजा दो अपनी प्प्प्प्पयारी बेटी की प्यास.
बापू : अब मुझसे भी और सहेन नहीं हो रहा. यह कह के बापू ने पहले मेरी पॅंटी निकाल दी.फिर अपना कच्छा.ओहनो.बापू का लॉडा देख कर मैं घबरा गयी.इतना मोटा..
बापू : चल मेरी बेटी.
मैं : ओह.बापू.कितना मोटा डंडा है आपका.मुझे बहुत दर्द होगा.
बापू : थोड़ी दर्द तो होगा.लेकिन कुच्छ देर बाद अच्छा लगेगा.चल जल्दी कर.डलवा. मैने आँखें बंद (क्लोज़) करली.बापू ने एक झटके में मेरी चूत में लॉडा डाल दिया.मैं दर्द से कराह उठी.
मैं : ऊ.बापू.मैं मर जाऊंगी.निकाल लो इसे.
बापू : बस थोड़ी देर की ही बात है.सबर का फल बहुत मीठा होगा. अब बापू लॉड को मेरी चूत के अंदर बाहर करनेलगे. आगे पीछे आगे पीछे. अंदर. बाहर अंदर. बाहर..मुझे मज़ा आने लगा.

क्रमशः........................ .........

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