xossip hindi - गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

xossip hindi - गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग

Unread post by sexy » 23 May 2017 00:50

रामु ने सासुमाँ की दोनो बड़ी बड़ी चूचियों को दोनो हाथों से पकड़ा और उनके मोटे, काले निप्पलों को एक एक करके अपनी मुंह मे लेकर चूसने लगा. सासुमाँ मज़े मे कसमसाने लगी.

रामु कुछ देर तक सासुमाँ की चूचियों को पीता रहा, फिर उसके संयम का बांध टूट गया. सासुमाँ के कमर मे हाथ डालकर उसने उन्हे अपने नंगे सीने से लगा लिया और अपने होंठ सासुमाँ के होठों पर रखकर उन्हे जबरदस्ती चूमने लगा.

सासुमाँ ने उसे धक्का देकर हटा दिया और चिल्लायी, "रंडी की औलाद! तु तो मेरा भी बलात्कार करने लगा! मेरी बेचारी बहु की इज़्ज़त लूटकर तेरी हवस नही मिटी है?"

रामु हक्का-बक्का होकर बोला, "मालकिन, हम बिलकुल नही बूझ रहे आप चाहती का हैं!"
"बेवकूफ़, मैं तुझे अपनी चूचियां चखा रही हूँ ताकि तु बता सके मेरी चूचियां अच्छी हैं या मेरी बहु की!"
"आपकी ज्यादा अच्छी हैं, मालकिन!" रामु बोला.

सुनकर सच कहूं, वीणा, मेरे सीने पर सांप लोट गया! मेरी चूचियां तुम्हारी मामीजी जैसी बड़ी तो नही है, पर ज़्यादा कसी कसी हैं.

"तु झूठ तो नही बोल रहा?" सासुमाँ ने पूछा, "मेरी बहु जवान है और उसकी चूचियां बहुत उठी उठी हैं. मैं दो जवान बेटों की माँ हूँ."
"जी मालकिन, पर हमे बड़ी चूचियां ज़्यादा अच्छी लगती हैं." रामु बोला, "हमरी चाची की चूचियां भी आपके जैसी बहुत बड़ी बड़ी हैं. हम बहुत प्यार से दबाते और चूसते हैं."

"चल ठीक है. तु कहता है तो मान लेती हूँ." सासुमाँ ने खुश होकर कहा. फिर बोली, "उफ़्फ़! कितनी गर्मी हैं यहाँ! इतनी गरमी मे चुदाने मे बहु को मज़ा कैसे आया होगा! ठहर मैं ज़रा अपनी साड़ी उतार लेती हूँ, फिर बाकी सब पूछती हूँ."

रामु अपने कंधे पर सासुमाँ की ब्लाउज़ और ब्रा रखे उनके सामने नंगा खड़ा रहा. सासुमाँ ने कमर से अपनी साड़ी खोलकर रामु को दे दी. उसने वह भी अपने कंधे पर रख ली. अब सासुमाँ अपने जवान नंगे नौकर से सामने सिर्फ़ एक पेटीकोट मे खड़ी थी. रामु का लन्ड उन्हे देखकर फुंफ़कार रहा था.

सासुमाँ ने अपने नंगी चूचियों के अपने हाथों मे लिया और मसलते हुए बोली, "हाँ तो बता, फिर तुने मेरी बहु के साथ क्या किया."

"फिर भाभी अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दी और अपनी साड़ी चादर की तरह जमीन पर बिछाकर उस पर नंगी लेट गयी. फिर ऊ हमको बोली, रामु आओ चोदो मुझे." रामु ने कहा.
"हूं! तो बहु ने खुद ही अपने कपड़े उतारे और खुद ही अपनी चुदाई के लिये बिस्तर बनायी. फिर तुझे खुद ही चोदने को बोली. अब समझी." सासुमाँ ने कहा, "अरे तु यह मेरे कपड़े लेकर क्यों खड़ा है? तु भी मेरी साड़ी को चादर की तरह बिछा दे. थोड़ा बैठ लेती हूँ. बहुत देर से खड़े-खड़े थक गयी हूँ."

रामु ने सासुमाँ की साड़ी को ज़मीन पर बिछाया और उनकी ब्लाउज़ और ब्रा उस पर रख दी.

सासुमाँ साड़ी पर बैठ गयी और बोली, "फिर क्या किया तुने मेरी बहु के साथ?"
"फिर हम भी नंगे हो गये और भाभी पर चढ़ गये." रामु ने कहा.
"ऐसे ही चढ़ गया? पहले तुने उसकी चूत नही चाटी?" सासुमाँ ने पूछा.
"नही मालकिन." रामु ने कहा, "हमको चूत चाटने से घिन्न आती है."
"तु तो बहुत स्वर्थी आदमी है!" सासुमाँ बोली, "बहु ने तुझे चोदने के लिये अपनी चूत दे दी, और तुने उसे चाटा भी नही? ठहर मैं तेरी घिन्न निकालती हूँ."

सासुमाँ अपनी साड़ी पर अध-नंगी बैठी थी और रामु उनके सामने नंगा खड़ा था. सासुमाँ ने अपने पैर फैला दिये और अपनी पेटीकोट कमर तक चढ़ा ली. उनकी सांवली, मोटी बुर रामु के सामने आ गयी. बुर पर कोई बाल नही थे क्योंकि सासुमाँ आजकल बुर के बालों को नियमित तौर पर साफ़ करती थी. बुर के फूले फूले लब फैले हुए थे जिसमे से चूत की गुलाबी रंग के छोटे होंठ दिख रहे थे. चूत की फांक चमक रही थी - यानी की सासुमाँ बहुत गरम हो चुकी थी और उनकी चूत बहुत गीली हो गयी थी.

रामु को अपनी नंगी चूत दिखाकर सासुमाँ बोली, "हरामज़ादे, औरत तेरा लन्ड चूसकर तेरी मलाई खाये, यह तुझे बहुत पसंद है. पर तुझे औरत की चूत चाटने मे घिन्न आती है? इधर आ और मेरी चूत को चाट!"
रामु बोला, "मालकिन, ई आप का कह रही हैं? हम ई सब नही कर सकते हैं!"
"तुने सुना नही मैने क्या कहा?" सासुमाँ चिल्लायी, "तु अभी इधर बैठकर मेरी चूत चाटेगा! मैं तेरे मुंह मे मूतुंगी तो तु वह भी पीयेगा. क्या समझा तु? तुने मेरी बहु का बलात्कार किया और उसकी ठीक से चूत भी नही चाटी!"

रामु थोड़ा हिचकिचा कर सासुमाँ के जांघों के बीच बैठ गया. उसका खड़ा लन्ड सासुमाँ की बुर मे घुसने के लिये बेचैन था. पर रामु को सासुमाँ के इरादे कुछ समझ मे नही आ रहे थे. उसने अपनी सांस रोक ली और आंखें बंद करके सासुमाँ की मोटी बुर पर अपनी जीभ रखी.

सासुमाँ कराह उठी और बोली, "आह!! हाँ, अब अपनी जीभ को मेरी चूत के होठों के बीच रखकर ऊपर-नीचे कर."

रामु ने ऐसा ही किया. सासुमाँ अपने हाथों का सहारा लिये पीछे के तरफ़ झुक गयी और आंखे बंद कर के चूत चुसाई का मज़ा लेने लगी.

रामु कुछ देर अपनी जीभ सासुमाँ की बुर मे रगड़ता रहा.

"रामु, तुझे तो औरत को खुश करना ही नही आता! सिर्फ़ चूत मे लन्ड घुसाकर पेलने से ही औरत को शांति नही मिलती!" सासुमाँ बोली, "अच्छा अब अपनी जीभ को कड़ा करके मेरी चूत के छेद मे घुसाने की कोशिश कर."

रामु ने सासुमाँ के घुटनों को पकड़कर और फैला दिया और अपनी जीभ उनकी बुर के छेद मे डालकर उसे चोदने लगा. सासुमाँ मस्ती मे सित्कारने लगी. "उम्म!! आह!! रामु, मेरे चूत की टीट को हलके से चाट!"

रामु ने जैसे से सासुमाँ की चूत की टीट पर जीभ लगाई वह गनगना उठी और जोर से "आह!!" कर उठी. "बस, उसे ज़्यादा छेड़ मत!" वह बोली, "अब ज़रा मेरी चूत के होठों को चाट अच्छे से."

रामु ने अब जीभ से सासुमाँ के बुर के फुले होठों को चाटना शुरु किया. फिर थोड़ी देर बाद वह सासुमाँ की चूत के अन्दर चाटने लगा और चूत के छेद को जीभ से चोदने लगा.

सासुमाँ की चूत से पानी बह रहा था और एक तेज महक चारों तरफ़ फैल रही थी.

सासुमाँ ने अपने हाथों से रामु के सर को पकड़ लिया और अपनी बुर उसके मुंह पर जोरों से रगड़ने लगी. "आह!! ऊह!! चाट अच्छे से मेरी चूत, हराम की औलाद! अब तो घिन्न नही आ रही ना?"
"नही मालकिन." रामु ने चूत पर मुंह लगाये ही जवाब दिया. उसके लन्ड की हालत बहुत ही खराब लग रही थी.

"अब से....चूत चाहे गुलाबी की हो...या बहु की...या मेरी..." सासुमाँ अपनी सित्कारीयों के बीच बोली, "चोदने से पहले....तु हमारी चूत चाटकर...एक बार हमे झड़ायेगा....वर्ना हमारे चूत मे...लन्ड घुसाने को नही मिलेगा...समझा?"
"जी मालकिन." रामु खुश होकर बोला. अब उसे मामला समझ मे आ रहा था. यह अधेड़ उम्र की औरत उससे चुदवना चाहती थी, पर उसे अपने इशारों पर नचा-नचा के.

"हाय! चाटता रह! आह!!" सासुमाँ झड़ते हुए बोली, "आह!! चोद मेरी चूत को अपनी जीभ से! आह!!"

रामु तब तक चाटता रहा जब तक सासुमाँ शांत नही हो गयी.

User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

xossip hindi - गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग

Unread post by sexy » 23 May 2017 00:50

थोड़ा शांत होकर सासुमाँ बोली, "अब आगे बता तुने मेरी बहु पर चढ़कर क्या किया. ज़रा खोलकर बता."
"फिर हमने अपना औजार...भाभी के भीतर घुसा दिया...." रामु ने कहा, "फिर हम कमर हिला हिलाकर भाभी को....चोदने लगे."
"कितनी देर चोदा तुने बहु को?" सासुमाँ ने पूछा.
"पता नही, मालकिन. 20-25 मिनट चोदे होंगे." रामु ने जवाब दिया.

"बस 20 मिनट?" सासुमाँ ने टिप्पणी की, "इतनी सी चुदाई से मेरी जवान बहु का क्या हुआ होगा?"
"मालकिन, हम तो और चोदना चाहते थे, पर भाभी बोली कि जल्दी करो, कोई आ जायेगा." रामु ने सफ़ाई दी.
"अरे तु मर्द की औलाद होता तो मेरी बहु जैसी सुन्दर औरत को चोदना बंद नही करता, चाहे कोई भी आ जाये." सासुमाँ बोली, "तु तब तक उसे चोदता रहता जब तक वह झड़ झड़ के पस्त नही हो जाती. पता नही तु अपनी जोरु को संतुष्ट कर भी पता है या नही! किसी दिन गुलाबी मेरे बलराम से चुदेगी तो समझेगी कि असली चुदाई क्या होती है."
"ऐसा काहे बोलती हैं, मालकिन!" रामु थोड़ा नाराज़ होकर बोला, "गुलाबी को हम बहुत संतुस्ट रखते हैं. रोज चोदते हैं उसे."
"अच्छा तो दिखा मुझे तु क्या कर सकता है." सासुमाँ पीठ के बल लेट गयी और बोली.

रामु ने पूछा, "का दिखायें, मालकिन? गुलाबी को लाकर चोदकर दिखायें?"
"नही रे, मूरख!" सासुमाँ खीजकर बोली, "मुझे चोद और दिखा तेरे लौड़े मे कितना दम है."

रामु तो यही चाहता था. तुरंत उसने अपने लन्ड का सुपाड़ा सासुमाँ के बुर के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्के से पूरा लन्ड पेलड़ तक सासुमाँ की चूत मे उतार दिया.

सासुमाँ अचानक के धक्के से चिहुक उठी. गाली देकर बोली, "मादरचोद! अपनी माँ की भोसड़ी चोद रहा है क्या? धीरे से नही घुसा सकता? मैं जिस रफ़्तार से कहूं, तु उस रफ़्तार से चोदेगा. लन्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाल, फिर धीरे से पेलड़ तक अन्दर कर."

रामु ने ऐसा ही किया. वह धीरे धीरे सासुमाँ को चोदने लगा. सासुमाँ आंखें बंद किये अपनी साड़ी पर लेटी रही और अपनी चूत मे घुसते और निकलते लन्ड का मज़ा लेने लगी.

मैं इस तमाशे का भरपूर रस ले रही थी, तभी मुझे लगा कोई मेरे पीछे से आ रहा है. मुड़कर देखा गुलाबी चली आ रही थी. मै जल्दी से उसके पास गयी ताकि उसे झाड़ी के पास आने से रोक सकूं.

"भाभी, सब लोग कहाँ गायब हो गये हैं!" गुलाबी ने पूछा, "पहिले आप किसन भैया को खाना देने गयी और नही लौटी. फिर मेरा मरद आपको ढूंढने गया और नही लौटा. अब मालकिन भी आपको ढूंढने आयी और नही लौटी!"
"मुझे नही पता रामु और सासुमाँ कहाँ गये हैं." मैने कहा, "चल हम घर चलते हैं."

मैने गुलाबी का हाथ पकड़ा और उसे लेके घर को जाने को हुई कि खेत के सन्नाटे मे सासुमाँ की आवाज़ सुनाई दी, "आह!! ऊह!! उम्म!!"

गुलाबी रुक गयी और बोली, "भाभी किसकी आवाज आयी वहाँ से?"
"कैसी आवाज़?" मैने अनजान बनकर कहा, "हवा आवाज़ कर रही होगी. तु घर चल जल्दी से. बहुत काम है घर पर."
"नही भाभी. ई हवा की आवाज नही है!" गुलाबी बोली, "ई आवाज हम खूब पहिचानते हैं. सुनकर लगता है झाड़ी के पीछे कोई औरत अपना मुंह काला करवा रही है. हम उस झाड़ी के पीछे अपने मरद से बहुत बार चुदाये हैं!"
"तो कोई चुदा रही होगी! हमे क्या? उन्हे हम क्यों टोकने जायें?" मैने लापरवाही दिखाकर कहा, "चल, हम घर चलते हैं."

झाड़ी के पीछे से सासुमाँ की आवाज़ आयी, "अब ज़रा तेज़ ठाप लगा!"

कहते ही झाड़ी के पीछे से "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" आवाज़ आने लगी.

"अरे, तु इतने जोश मे क्यों आ गया? तु तो अभी पानी गिरा देगा." सासुमाँ बोली, "थोड़ा संयम रखकर चोद. अभी तो मुझे और एक घंटा चुदाना है."
"हमसे नही हो रहा है, मालकिन!" रामु की आवाज़ आयी, "आपको पहली बार चोद रहे हैं ना!"

सुनकर गुलाबी की आंखें बड़ी बड़ी हो आयी. बोली, "भाभी, ई आवाज़ तो हम अच्छी तरह पहिचानते हैं! हमे तो दाल मे कुछ काला दिखायी दे रहा है!"

बोलकर वह दौड़कर झाड़ी के पास गयी और आड़ से देखने लगी. मैं भी उसके पीछे पीछे गई.

झाड़ी के पीछे सासुमाँ रामु से चुदाये जा रही थी. सासुमाँ की पेटीकोट उनके कमर पर सिकुड़ी हुई थी और रामु पूरा नंगा था. दोनो सासुमाँ की साड़ी पर लेटकर एक दूसरे से लिपटे हुए थे. रामु का काला लन्ड सासुमाँ की मोटी बुर मे आ जा रहा था. उसके हाथ सासुमाँ की बड़ी बड़ी चूचियों को बेरहमी से मसल रहे थे और उसके होंठ सासुमाँ के होठों से चिपके हुए थे.

गुलाबी सदमे मे आ गयी. कुछ देर वह अपने सामने की अश्लील दृश्य को देखती रही, फिर मुझे फुसफुसाकर बोली, "भाभी! ई का हो रहा है! मालकिन मेरे मरद के साथ....ऊ तो मालकिन को अपनी माँ की तरह इज्जत देता है!"
"मै भी यही देख रही थी, गुलाबी." मैने कहा, "बहुत सी औरतें तो अपने बेटों से चुदवाती हैं. रामु तो घर का नौकर है."
"और हमरे रहते हमरा आदमी कैसे किसी और औरत को चोद सकता है!" गुलाबी बोली, "साला बेवफा, हर्जाई, कमीना!"
"सब मरद एक जैसे होते हैं, गुलाबी." मैने कहा, "तु बुरा मत मान. तुने भी तो बड़े भैया के कमरे मे उनसे अपने जोबन और चूत मसलवायी थी ना?"
"बड़े भैया तो हमरे साथ जबरदस्ती किये थे!"
"पर तुझे मज़ा तो आया था ना?" मैने कहा.

गुलाबी ने कुछ जवाब नही दिया. फिर वह सासुमाँ और अपने पति की अवैध चुदाई को देखने लगी.

User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

xossip hindi - गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग

Unread post by sexy » 23 May 2017 00:51

रामु मध्यम रफ़्तार से सासुमाँ को चोद रहा था. उसका काला, जवान बदन पसीने-पसीने हो रहा था. उसकी सांसें फूल रही थी. सासुमाँ भी रामु के होंठ पीते पीते अपना कमर उठा रही थी और उसका लन्ड ले रही थी.

कुछ देर बाद सासुमाँ बोली, "रामु अब और जोर से चोद! पर ध्यान रहे, अपना पानी नही गिराना! तुने मुझे प्यासा छोड़ दिया...तो तेरा लन्ड काटकर...गाँव के चौराहे पर लटका दूंगी...ताकि आने-जाने वाले देखें...और कहें की यह रामु हिजड़े का लन्ड है. आह!!"

रामु ने अपनी रफ़्तार और बड़ा दी और "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" करके ठाप लगाने लगा.

"आह!! और जोर से!" सासुमाँ बोली, "और जोर से चोद मुझे, रामु! आह!! ऊह!!"

रामु और जोर से चोदने लगा.

सासुमाँ झड़ने के करीब आ गयी थी. "हाय और तेज पेल रे बहिनचोद! गांड मे दम नही था...तो चोदने क्यों चला था? ऐसे लल्लु की तरह चोदता रहेगा...तो जल्दी ही तेरी गुलाबी...मेरे बलराम के नीचे होगी! बहुत चुदेगी मेरे बलराम से और मज़ा पायेगी! आह!! मैं बस झड़ने वाली हूँ! पेल और जोर से!! उम्म!! भोसड़ा बना दे मेरी चूत का, रामु!! आह!! ऊह!! हाय मैं मरी!!"

रामु अपनी पूरी ताकत से कमर चलाने लगा. ठाप! ठाप! ठाप! ठाप! की आवाज़ खेत के सन्नाटे मे गूंजने लगी. सासुमाँ ने अपनी उंगलियां रामु के नंगे पीठ मे गाड़ दी और झड़ने लगी.

सासुमाँ के झड़ने के दो-तीन मिनट बाद रामु बोला, "मालकिन, अब हम नही रुक सकते हैं! पानी निकाल दें?"
"हाँ निकाल दे!" सासुमाँ बोली.

उनका कहना था कि रामु ने अपना लौड़ा पेलड़ तक पूरा सासुमाँ की बुर मे उतार दिया और "हंह!! हंह!! हंह!! हंह!!" की आवाज़ करते हुए अपना वीर्य सासुमाँ की चूत की गहराई मे छोड़ने लगा. करीब 10-15 सेकंड पानी छोड़ने के बाद वह पस्त होकर सासुमाँ के ऊपर ही लेट गया.

मैने गुलाबी का हाथ पकड़ा और खींचकर उसे घर ले आयी.


गुलाबी इतनी परेशान थी कि मेरे कपड़ों ही हालत और मेरे शरीर से आते वीर्य की महक पर उसका ध्यान नही गया. घर जाते ही मैने नहाने चली गयी और नये कपड़े पहनकर रसोई मे आयी.

गुलाबी रसोई के ज़मीन पर बैठी सब्ज़ी काट रही थी. उसका मुंह गुस्से से तमतमा रहा था.

मुझे देखते ही बोली, "साला हरामी! मेरे रहते दूसरी औरतों पर मुंह मारता है! घर आने दो कमीने को! यह छुरी उसके सीने मे उतार दूंगी!"
"अरे गुलाबी! ऐसा कहते हैं क्या अपने पति के बारे मे?" मैने कहा, "कितना प्यार करता है रामु तुझे!"
"पियार! भाभी इसे पियार कहते हैं!" गुलाबी भड़क के बोली, "मेरे पीछे अपनी माँ जैसी मालकिन को चोद रहा है!"
"तो क्या हुआ. पति किसी और औरत को चोदे इसका यह मतलब तो नही वह अपनी पत्नी से प्यार नही करता." मैने कहा, "अब देख, तेरे बड़े भैया तुझे चोदने के लिये जबरदस्ती करते रहते हैं. पर वह मुझे फिर भी बहुत प्यार करते हैं. तभी तो तु उनसे चुदा लेगी तो मैं बिलकुल बुरा नही मानुंगी. और मैं भी तो सोनपुर मे कितनो से चुदी हूँ. मैं क्या तेरे बड़े भैया को प्यार नही करती?"

"हमे ई सब नही पता, भाभी!" गुलाबी बोली, "हम इसका बदला जरूर लेंगे!"
"कैसे लेगी बदला?" मैने पूछा, "देख खून-खराबा मत करना! खून करेगी तो तुझे जेल हो जायेगी. और जेल के संत्री लोग तेरे जैसी सुन्दर कातिलों का पता है क्या करते हैं?"
"नही."
"उन्हे सब मिलकर बहुत बेदर्दी से चोदते हैं. और जबरदस्ती रंडीबाज़ी करवाते हैं." मैने कहा.

"अच्छा हम उसका खून नही करेंगे." गुलाबी से कुछ सोचकर कहा, "पर फिर हम बदला कैसे लें?"

मैने कुछ सोचकर कहा, "खून का बदला खून. ईंट का जवाब पत्थर."
"का मतलब, भाभी?" गुलाबी ने पूछा.
"अच्छा यह बता, अगर रामु तुझे किसी और मर्द के साथ देख ले तो क्या करेगा?" मैं पूछा.
"पता नही, भाभी." गुलाबी बोला, "सायद खून-खराबा करेगा. साला ढोंगी, पाखंडी! इधर मालकिन की और न जाने किस किस औरत की चूत मारता फिरता है. पर किसी और मरद से हम हंसकर बात भी करें तो हमरा गला काट देगा."
"कैसे काट देगा तेरा गला?" मैने कहा, "देश मे कोई कानून है कि नही!"

"पर हमे पीट तो सकता हैं ना!" गुलाबी बोली, "ऊ सराब पीके गुस्सा करता है तो हमे बहुत डर लगता है."
"तुझ पे रामु हाथ उठाये तो तेरे बड़े भैया उसकी एक एक हड्डी तोड़ देंगे!" मैने कहा. "तेरे बड़े भैया बहुत प्यार करते हैं तुझे."
"सच, भाभी?" गुलाबी थोड़ा खुश होकर बोली. तीर निशाने पर जा लगा था. "तो बतायिये ना, भाभी. हम कैसे बदला लें? हम कुछ भी करने को तैयार हैं!"

"तु रामु को चोट पहुंचाना चाहती हैं ना?" मैने पूछा.
"हाँ भाभी!" गुलाबी बोली. उसकी आंखें अब चमक रही थी. "जैसे हमरे दिल को ठेस लगी, वैसे उसका दिल भी टूट कर चूर चूर हो जाना चाहिये!"
"तो तुझे वही करना होगा जो रामु कर रहा था."
"हम समझे नही, भाभी." गुलाबी बोली, "हम मालकिन के साथ काहे पियार-सियार करेंगे. ऊ तो औरत है."
"औरत के साथ भी बहुत मज़ा आता है प्यार करने मे, गुलाबी. मैने कई बार किया है. तु भी कभी करके देखना." मैने कहा, "पर मैं तुझे अभी सासुमाँ के साथ मज़े लेने को नही कह रही हूँ. तुझे किसी और मर्द के से चुदवाना होगा."

"हाय! का कह रही हैं आप?" गुलाबी बोली, "ई सब भी करना पड़ेगा, भाभी?"
"हाँ, गुलाबी. तुझे किसी पराये मर्द से चुदवाना होगा." मैने जोर देकर कहा, "रामु जब तुझे किसी और मर्द के नीचे नंगी देखेगा...देखेगा कैसे वह मर्द तेरे इन सुन्दर चूचियों को मसल रहा है. कैसे वह तेरे इन नर्म, फुले फुले होठों का रस पी रहा है. कैसे वह अपने मोटे, लंबे लन्ड से तेरी प्यारी सी चूत को पेल रहा है. और देखेगा तु कैसे मज़े से अपनी कमर उठा उठाकर उसका लन्ड अपनी चूत मे ले रही है. तब सोच उसकी क्या हालत होगी!"

अपनी सुन्दरता की बढाई सुनकर गुलाबी को खुशी भी हो रही थी और उत्तेजना भी. वह बोली, "साला जल-भुनकर राख हो जायेगा!"

"बिलकुल सही! और तेरा बदला पूरा हो जायेगा." मैने उसे बढ़ावा दिया, "ऊपर से तुझे एक पराये मरद से चुदवाने का अनुभव भी हो जायेगा! पराये मर्द से चुदवाने का एक अलग मज़ा होता है, गुलाबी! हर औरत को एक बार ज़रूर इसका स्वाद लेना चाहिये."
"पर, भाभी, हम अब मरद ढूंढने कहाँ जायें!" गुलाबी ने पूछा.
"पगली, घर भर के मर्द तेरी जवानी पर लट्टू हैं!" मैने कहा, "तुझे तो पता है तेरे बड़े भैया तुझे कबसे चोदने की कोशिश कर रहे हैं. और तेरे किशन भैया भी तेरी सुन्दरता को निहारते रहते हैं. और तो और, तेरे मालिक भी चोली मे तेरे इन बड़े बड़े चूचियों को ताड़ते रहते हैं."
"हाय, भाभी! मालिक भी?" गुलाबी ने पूछा, "ऊ तो कितने बड़े हैं हमसे!"
"बड़े हैं तो क्या वह मर्द नही हैं?" मैने कहा, "तु नही जानती कितने रसिले हैं मेरे ससुरजी! सासुमाँ को तो रोज़ दबा के चोदते हैं. और मेरे चूचियों को हमेशा ताड़ते रहते हैं. कभी मौका मिले तो दबा भी देते हैं!’
"हाय, आपका बुरा नही लगता, भाभी?" गुलाबी ने हैरान होकर पूछा.
"बुरा क्यों लगेगा? कोई मर्द चूची दबाये उसमे मज़ा ही तो आता है!" मैने कहा, "सब की नज़र बचाकर मैं बाबूजी को अपनी चूची दबाने का मौका देती हूँ. इसलिये तो वह इतना प्यार करते हैं अपनी बहु से!"

मेरी बात सुनकर गुलाबी गुदगुदी से भर उठी. रामु से बदला लेने की योजना से वह बहुत उत्तेजित हो ही चुकी थी.
page 22

Post Reply