एक अनोखा बंधन

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The Romantic
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Re: एक अनोखा बंधन

Unread post by The Romantic » 25 Dec 2014 22:51

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अब आगे ....

वो बोलीं;

भौजी: तो? हमारा प्लान कैंसिल?

मैं: शायद! (मैंने नजरें चुराते हुए कहा)

भौजी: मैं नहीं जानती... Tonight I want you here !

मैं: पर....

भौजी: पर-वार कुछ नहीं...

फिर हम नीचे आ गए| मैंने घर जाके माँ को आज अपने प्लान के बारे में बता दिया| डेढ़ घंटे बाद ही मैं तैयार हो के स्टेशन के लिए निकल गया| स्टेशन पे उससे मिला और उसने अपना प्लान मुझे बताया| साले ने PUB जाने का प्लान बनाया था|

मैं: अबे पागल हो गया है तू? साले घर अगर पिके पहुँचा ना, तो पिताजी खाल खींच लेंगे|

दिषु: अबे चल ना यार.... साल में एक बार सब चलता है|

अब दोस्त को मना कैसे करूँ...वो भी जिगरी दोस्त को! मैंने घर फोन कर दिया की मैं लेट आऊँगा| शायद भौजी भी वहीँ मौजूद थीं और उन्होंने भी सुन लिया था की मैं लेट आऊँगा...इसलिए उन्होंने दो मिनट बाद अपने मोबाइल से फोन किया;

भौजी: हेल्लो मिस्टर ...भूल गए मुझे? (भौजी ने शिकायत की)

मैं: नहीं यार...मैं आ जाऊँगा....

भौजी: आज रात आपके भैया साइट पे रुकने वाले हैं और देर से आएंगे...उनके आने से पहले आ जाना...वार्ना याद है ना... (भौजी ने प्यार भरी धमकी दी|)

मैं: हाँ-हाँ बाबा आजाऊँगा....

और मैंने फोन काट दिया|

दिषु: क्या बात है?

मैं: कुछ नहीं यार| चल जल्दी चल|

मैं उसके साथ PUB आगया| Loud Music , Dance .... Awesome !!! मैं एक occasional drinker हूँ| पर अपनी लिमिट जानता हूँ| घर में मेरी इस आदत के बारे में कोई नहीं जानता| मैं बड़ा सोच समझ के ड्रिंक कर रक था..पर तभी दिषु ने ड्रिंक में कुछ मिलाया|

मैं: अबे ये क्या है?

दिषु: पी के देख| हवा में ना उड़े तो कहिओ!

मैं: पर है क्या ये?

दिषु: पता नहीं..बारटेंडर ने कहा बहुत अच्छी चीज है!

मैं: Fuck .... You Kidding Me ! अबे साले ड्रग्स हुआ तो?

दिषु: अबे चल न यार...एक बार ले के तो देख|

मैंने एक घूंट पिया..कुछ फर्क नहीं पड़ा| फिर धीरे-धीरे मैंने पूरा ड्रिंक खत्म किया| पर वो साल बाज नहीं आया और एक और ड्रिंक पिला दिया| इधर भौजी के फोन आने लगे...एक के बाद एक...लगातार दस कॉल| पर इधर मेरा सर घूमने लगा था...मुझे तो अपने मोबाइल की स्क्रीन पे नंबर और नाम तक ठीक से दिखाई नहीं दे रहे थे| अब तो पिताजी ने भी फोन करने शुरू कर दिए!

मैं: अबे...तूने ..ये क्या दे दिया....साले सर...घूम रहा है! ले फोन पे बात कर!

दिषु: अबे...सर तो मेरा....भी घूम रहा है!!!

मैं: साले फोन देख...बापू ने आज तो मेरी सुताई कर देनी है|

दिषु: अबे ... सुन...मेरा एक ऑफिस का ददोसत यहीं रहता है| उसके पास एक जुगाड़ है…..चल उसके घर चलते हैं …..और आज जुगाड़ पेलते हैं!

मैं: अबे …… ठरकी ...साले.....तूने .....सब प्लान कर ....रखा था! पर मुझे ...घर .......जाना है.....cause...I made a promise to her ..... फोन मिला और टैक्सी बुला|

दिषु: तेरी मर्जी .......

इतने में एक और बार भौजी का फोन आया और इस बार मैंने उठा भी लिया;

मैं: हेल्लो....

भौजी: कहाँ हो आप? घडी देखि है...साढ़े ग्यारह बज रहे हैं|

मैं: हाँ....आ ...रहा....हूँ!

भौजी: आप इतना खींच-खींच के क्यों बोल रहे हो?

मैं: आके...बताता ...हूँ!

मैंने फोन रखा और टैक्सी पकड़ी…… और भौजी के घर पहुँचते-पहुँचते साढ़े बारह बज गए| अब मैं इस हालत में सीधा घर तो जा नहीं सकता था| तो मैं लड़खड़ाते हुए भौजी के घर पहुँचा और उनके घर का दरवाजा खटखटाया| भौजी ने दरवाजा खोला..और मेरी हालत देख के वो सब समझ गईं|

भौजी: अपने पी है?

मैं: अह्ह्ह...हम्म्म्म....

भौजी ने मुझे अंदर बुलाया;

मैं: Sorry ....

मैं अंदर कुर्सी पे बैठा और लुढक गया|

भौजी: अंदर चल के लेट जाओ|

मैं: नहीं...बच्चे ...मुझे ऐसे न देखें ....

मैं किसी तरह उठ के खड़ा हुआ, वॉशबेसिन में मुँह धोया... और बाहर जाने लगा|

भौजी: कहाँ जा रहे हो?

मैं: घर...

भौजी: पर ऐसी हालत में घर जाओगे तो पिताजी...

मैं: जानता हूँ...गलती की है तो....

भौजी: मैं साथ चलती हूँ|

मैं: नहीं...आप यहीं रहो ...

मैं आगे दो कदम चला और लड़खड़ा के गिर पड़ा|

खुद को किसी तरह संभाला और खड़ा हुआ;

भौजी: आप कहीं नहीं जा रहे ...चलो अंदर जाके लेट जाओ|

मैं: नहीं...माँ-पिताजी.....चिंता.....

भौजी: नहीं मैं कहीं नहीं जाने दूंगी आपको| चलो लेट जाओ|

भौजी ने मुझे अपने कमरे में पलंग पे लिटा दिया|मैंने पाँव को एड़ी से रगड़ के जुटे उतारे और फ़ैल के लेट गया| मुझे कुछ तो होश था ही...और अब तो मन में अजीब सी तरंगे उठने लगीं थी|Excited feel हो रहा था|मन कर रहा था की भौजी को दबोश लूँ... पर ये क्या हो रहा है मुझे? आजतक पीने के बाद कभी मुझे ऐसा नहीं लगा| जब भी पी, चुप चाप घर आके, कमरा लॉक किया, ब्रश किया और सो गया| पर इस बार ऐसा क्यों लग रहा है...बस यही सोच रहा था की इधर दिमाग ने जिस्म से लड़ाई छेड़ दी| दिमाग अब भी conscious state में था और जिस्म बगावत पे उतर आया था| ऐसा लगा मानो दिमाग का जिस्म पे कंट्रोल ही ना हो....जैसे-तैसे कर के खुद को रोक!| फिर में थोड़ा बड़बड़ाया;

मैं: माँ-पिताजी....फोन....

भौजी: हाँ मैं अभी फोन करती हूँ|

इधर खुद को रोकने का एक ही तरीका था...की सो जाऊँ| दिमाग को हल्का छोड़ दिया और सोने लगा|कुछ देर बाद मुझे कुछ आवाजें सुनाई देने लगीं... पर इतनी हिम्मत नहीं हुई की उठ के देखूं की कौन है| करीब आधे घंटे बाद मैं उठा...मूतने ...देखा भौजी मेरी बगल में सोई हैं! मन किया उन्हें छू के देखूं...प्यार करूँ पर अगले ही पल खुद को झिड़क दिया और मूतने बाथरूम में घुसा...फिर से मुंह धोया...की शायद होश में आउन और यहाँ से चुप-चाप चला जाऊँ...पर नशा अब भी सीधा खड़ा होने नहीं दे रहा था| तो चल के घर तक कैसे जाता| भौजी का घर 3 BHK था...जहाँ मैं पहले लेता था वो उनका बैडरूम था...दूसरे रूम में बहू सो रहे थे और तीसरे रूम की हालत ज्यादा सही नहीं थी...उसमें सामान भरा हुआ था..बास एक सिंगल बेड रखा था, जिसपे चादर तक नहीं थी| अब खुद को रोकने का यही एक तरीका था...मैं उसी बेड पे लेट गया...पर शरीर में जैसे छतियां काटने लगी थीं| मन कर रहा था की जाके वापिस भौजी के करे में सो जाऊँ...पर नहीं....ये मैं कैसे कर सकता था| कुछ देर की लड़ाई के बाद जिस्म ने हार मान ली और मैं सो गया, उसके बाद कुछ होश नहीं की क्या हुआ... सीधा सुबह दस बजे आँख खुली!

सर दर्द से फटा जा रहा था| मैं उठ के बैठा और इतने में भौजी आ गईं| मैं सर पकडे बैठा था...

भौजी: कॉफ़ी लोगे?

मैं: हाँ... पर ब्लैक!

भौजी: अभी लाई...

कुछ देर बाद भौजी कॉफ़ी ले के लौटीं|

मैं: I hope मैंने कल रात कोई बदतमीजी नहीं की!

भौजी: उसके बारे में बाद में बात करते हैं| अभी घर चलो!

हम दोनों घर आ गए| घर में घुसते ही माँ का गुस्से से तमतमाया हुआ चेहरा दिखाई दिया और इधर पिताजी डाइनिंग टेबल पे अखबार पढ़ रहे थे| मैं भी डाइनिंग टेबल पे जाके बैठ गया और सर पकड़ लिया, इधर जैसे ही उनकी नजर मुझ पे गई वो बोले;

पिताजी: उतर गई तेरी? या अभी बाकी है? और मंगाऊँ शराब? (ये पिताजी का पहला आक्रमण था)

मुझे बहुत बुरा लग रहा था की मैंने ये क्या किया.... की इतने में चन्दर भैया आ गए और वो भी टेबल पे बैठ गए|

चन्दर भैया: भैया इतनी क्यों पीते हो? (उन्होंने मुझे छेड़ते हुए पूछा)

मैं: वो...कल...पहलीबार था..... इसलिए होश नहीं रहा| Sorry पिताजी!

पिताजी: तू तो कह के गया था की ट्रीट देने जा रहा है और तू शराब पीने गया था? (पिताजी ने गुस्से में सवाल पूछा)

मैं: जी...वो प्लान अचानक बन गया... दिषु और मैंने कभी पी नहीं थी...तो सोचा की एक बार ...

पिताजी: तेरी हिम्मत कैसे हुई? (पिताजी गरजते हुए बोले)

मैं: sorry पिताजी...आगे से एस एकभी नहीं होगा| मैंने तो बस एक ग्लास बियर पी थी...वहाँ पहले से पार्टी चल रही थी| हम दोनों की ड्रिंक्स एक्सचेंज हो गईं...

पिताजी: कहाँ गया था तू? (उन्होंने फिर गरज के कहा)

मैं: जी...याद नहीं! (मैंने जूठ बोला..वरना दिषु की शामत थी)

इतने में माँ ने चाय का कप मेरे सामने टेबल बे दे पटका और गुस्से में बोलीं;

माँ: ये ले... चाय...तेरा सर दर्द ठीक होगा|

पिताजी: पता नहीं? इतना भी होश नहीं.... दिषु को तो पता होगा?

मैं: जी नहीं...मैंने बताया ना वहाँ पार्टी चल रही थी..और हमारी ड्रिंक्स उन लोगों के साथ बदल गईं| इसलिए हमारी ये हालत हुई ...

पिताजी: अगर अगली बार तूने कभी भी शराब पी...तो तेरी टांगें तोड़ दूंगा और दिषु...उसके घर वालों से मैं बात करता हूँ, कल रात से वो भी पचास बार फोन कर चुके हैं| वो तो कल तेरी भौजी का फोन आया तब पता चला की तू उनके घर पे पड़ा है! इतनी शर्म आ रही थी घर आने में तो पी ही क्यों?

मैं: Sorry पिताजी...आज के बाद कभी नहीं पीऊँगा|

पिताजी कुछ नहीं बोले बस चन्दर भैया के साथ काम पे निकल गए| मैं भी उठा और अपने कमरे में घुस गया और फ्रेश हो के बाहर आया|

भौजी: रात को कुछ खाया था?

मैं: नहीं...

भौजी: मैं अभी खाने को कुछ लाती हूँ|

और भौजी नाश्ता बनाने चली गईं, इतने में दिषु का फोन आ गया|

दिषु: हेल्लो

मैं: साले...कुत्ते...कमीने...बहनचोद...ये क्या पिला दिया तूने? भोसड़ी वाले....

दिषु: (हँसते हुए) मजा आया ना रात भाभी के साथ?

मैं: क्या बकवास कर रहा है तू?

दिषु: अबे...you didn't had sex with your bhabhi?

मैं: ओ भोसड़ीवाले!!! क्या कह रहा है तू? क्या मिलाया था तूने?

दिषु: यार नाम तो याद नहीं...बारटेंडर ने कहा था बड़ी मस्त चीज है और उसने लड़कियों के नंबर भी दिए थे! अबे काश कल तू रात को आता| खेर तूने अपनी भाभी के साथ तो किया ही होगा?

मैं: बहनचोद! मुझे कुछ याद नहीं.... थोड़ा बहुत याद है...पर बेटा अगर कुछ हुआ होगा तो तेरी गांड लंगूर के जैसी लाल कर दूँगा| सच कह रहा हूँ भाई!

दिषु: भाई भड़क क्यों रहा है? मैंने तो तेरा काम आसान कर दिया||

मैं: साले नशे में मैं उन्हें छूने की भी नहीं सोच सकता! और तेरी वजह से मैंने कल रात पता नहीं क्या किया उनके साथ!!! तू गया बेटा !! बहनचोद अब तो तेरी गांड लाल हो के रहेगी!! (मैंने उसे बहुत गुस्से में ये सब कह दिया|)

मैंने फोन काटा और इतने में भौजी नाश्ता लेके अंदर आईं| उन्होंने मेरी बात सुन ली थी| मैं उनके सामने अपनेघुटनों पे आ गया और एक सांस में बोल गया;

मैं: जान.... I’m very Sorry..... मैंने कल रात को आपके साथ बदसलूकी की! …. I’m very sorry….प्लीज मुझ माफ़ कर दो!!!

भौजी: जानू...पर आपने कुछ नहीं किया?

मैं: क्या? How’s that possible? दिषु ने अभी कहा की उसने दोनों की ड्रिंक में कुछ sexual drug मिलाई थी.... और उसने तो रात को...मतलब.... (मैंने आगे कुछ नहीं कहा) तो मतलब मैंने आपको नहीं छुआ?

भौजी: नहीं....पर आप drugs लेते हो?

मैं: नहीं...वो उसने पहली बार ....

भौजी: सच कह रहे हो? खाओ मेरी कसम?

मैं: आपकी कसम मैं drugs नहीं लेता| कल रात पहलीबार था! और आखरी भी! Thank God … मैंने कल आपको नहीं छुआ....वरना कसम से खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाता|

भौजी: कल आप बड़ा कह रहे थे की मैं संगे मर्मर की पवित्र मूरत हूँ और वो सब....!!! कल बड़ी बड़ाई कर रहे थे मेरी...और कल रात आप भी बहुत कुछ कर सकते थे! नशे में तो थे ही...पर फिर भी आपने ऐसा कुछ नहीं किया? drugs के नशे में होते हुए भी खुद को रोके रखा| उठ के मुझे देखा पर फिर भी....कोई बदसलूकी नहीं की| तो अब बताओ की कौन ज्यादा प्यार करता है? मैं या आप? मिल गया न अपने सवालों का जवाब?

मैं: हाँ जी!

फिर भौजी मेरे गले लग गईं| मैंने नाश्ता किया और अब Guilty महसूस नहीं हो रही थी!

थोड़ी देर में दिषु का फोन आया और वो बहुत घबराया हुआ था, बल्कि ये कहना गलत नहीं होगा की उसकी फटी हुई थी!

मैं: बोल? (गुस्से में)

दिषु: यार..Sorry ....पर मेरी फटी हुई है! मेरे पापा ने कल तेरे घर फोन किया था...तो औन्क्ले ने उन्हें बताया नहीं की मैंने तेरे साथ हूँ?

मैं: उन्हें नहीं पता था की तू कहाँ है? तो वो क्या कहते? Hell I wasn't even conscious ! Thanks to you !

दिषु: यार आज तो मेरी चुदाई पक्की है!

मैं: सही है..कल रात तूने बजाई और आज तेरी बजेगी!!! ही..ही..ही..

दिषु: हँस ले भाई! बजी तो तेरी भी होगी?

मैं: हाँ... पर शुक्र कर तुझे बचा लिया वरना ...

फिर मैंने उसे सारी बात समझा दी| भौजी सारी बात सुन रही थीं, और जब मैंने फोन काटा तब वो बोलीं;

भौजी: अभी क्या कह रहे थे आप?

मैं: वो कल मुझे वहाँ ले जाना चाहता था!

भौजी: कहाँ?

मैं: G.B. Road !

भौजी: वो कौन सी जगह है?

मैं: Red Light Area!

भौजी: Hwwwwww ! पर आप गए क्यों नहीं?

मैं: Because ….. I ….. Love…….. You !!!!

भौजी: I Love You too जानू!

मैं: अच्छा ...आप मेरा एक काम करोगे?

भौजी: हाँ..हाँ बोलो जानू!

मैं: आप यहाँ बैठो! (मैंने उन्हें कंप्यूटर टेबल के पास पड़ी कुर्सी पे बिठा दिया|) और अब अपनी आँखें बंद करो!

भौजी: पर क्यों?

मैं: यार...सवाल मत पूछो!

भौजी: ठीक है बाबा!

भौजी ने आँखें बंद की| फिर मैंने अपने तकिये के नीचे से चांदी की पायल निकाली और भौजी के ठीक सामने जमीन पर आलथी-पालथी मार के बैठ गया| फिर उनका दाहिना पैर उठा के अपने दाहिने घुटनों पे रखा और उन्हें पायल पहनाई| इतने में भौजी ने आँखें खोल लीं;

भौजी: हाय राम! ये आप कब लाये? और क्यों?

मैं: उस दिन जब आप बीमार पड़े थे तब मैंने देखा था की आपके पाँव में पायल होती थी, जो अब नहीं थी| इसलिए उस दिन सोचा था की मैं अपने जन्मदिन के दिन आपको दूँगा| फिर कल शाम को आपने कहा था की रात को आपके पास आउन..तो फिर मैंने सोचा की रात को आपको पहनाऊँगा| पर कल रात वाले काण्ड के बाद...समय ही नहीं मिला|

भौजी: wow ! ये तो लॉक वाली पायल है! आपको कैसे पता चला की मुझे ऐसी पायल पसंद है? मैंने तो आपको कभी बताया नहीं? फिर कैसे पता चला?

मैं: ह्म्म्म्म्म ... हमारे दिल कनेक्टेड हैं!

भौजी हँस पड़ीं|

भौजी: अब ये बताओ की कितनी की आई?

मैं: क्यों? पैसे दोगे मुझे?

भौजी: नहीं बस...ऐसे ही पूछा!

मैं: वो सब छोडो और ये बताओ की आपकी पुरानी वाली पायल कहाँ है?

भौजी: वो....अनिल को कुछ पैसे चाहिए थे...Exams के लिए...मेरे पास थे नहीं तो.. मैंने उसे पायल और चूड़ियाँ दे दी|

मैं: और ये कब के बात है?

भौजी: यहाँ आने से पहले की|

मैं: और आपने मुझे ये बताना जर्रुरी नहीं समझा?

भौजी: नहीं...नहीं...ऐसी बात नहीं है| मुझे याद नहीं रहा|

मैं: आप जानते हो ना आपकी पायल की आवाज मुझे कितनी अच्छी लगती थी?

भौजी: Sorry बाबा!

मैं: चलो कोई बात नहीं| अच्छा...एक कप चाय मिलेगी?

भौजी: हाँ-हाँ जर्रूर....

मैं: और हाँ मेरे फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है| आपके फोन में बैलेंस है?

भौजी: हाँ ये लो|

मैंने जानबूझ के जूठ बोल के उनसे फोन लिया और फटाफट अनिल का नया नंबर ले लिया| फिर चाय पी और घर से निकल गया|

बहार जाके मैंने अनिल को फोन किया;

मैं: हेल्लो अनिल?

अनिल: नमस्ते जीजू!

मैं: नमस्ते...यार तुमने अपनी दीदी से कुछ पैसे लिए थे?

अनिल: जी..वो कॉलेज की फीस भरनी थी....

मैं: मुझे क्यों नहीं बताया? मेरा नंबर तो था ना तुम्हारे पास?

अनिल: जी व...वो.....

मैं: अच्छा ये बताओ पैसे पूरे पड़ गए थे?

अनिल: जी.....वो...

अनिल: देख भाई जूठ मत बोल....

अनिल: जी नहीं.... पर काम चल गया था...मैंने कुछ पैसे उधार ले लिए थे|

मैं: कितने पैसे?

अनिल: जी....पाँच...पाँच हजार... PG के पैसे भरने के लिए|

मैं: अच्छा...आपकी दीदी ने कुछ पैसे दिए हैं आपको भेजने को! NEFT कर दूँ? अभी पहुँच जायेंगे|
(मैंने कूठ बोला, क्योंकि मैं जानता था की अनिल कभी भी मुझसे पैसे नहीं लेगा|)

अनिल: जी...

फिर उसने मुझे अपना बैंक अकाउंट नंबर और बाकी की डिटेल दी| दरअसल अनिल मुंबई में MBA करने गया है| भौजी के पिताजी अब चूँकि काम-धंदा नहीं कर पाते उम्र के चलते तो उन्होंने अपनी जमीन जुताई के लिए किाराये पे दी है| अब छोटे से टुकड़े से कहाँ इतनी आमदनी होती है? मैंने ये पैसे भेजने की बात भौजी को नहीं बताई और चुप-चाप एक घटे बाद वापस आ गया| दो घंटों बाद मुझे अनिल का फोन आया की उसे पैसे मिल गए हैं| मने फोन रखा और लेट गया| सीधा शाम को उठा और भौजी सामने चाय का कप ले के कड़ी थीं| उनकी आँखों में आंसूं थे, उन चेहरा देख के एकदम से उठा और उनका हाथ पकड़ के अपने पास बिठाया और उनके आँसूं पोछे;

मैं: Hey क्या हुआ? किसी ने कुछ कहा?

भौजी ने चाय का कप मेरे कंप्यूटर टेबल पे रखा और मुझसे लिपट गईं और रोने लगीं|

मैं: Hey..Hey…Hey…क्या हुआ?

भौजी सुबकते हुए बोलीं;

भौजी: अनिल का फोन आया था....

मैं: वो ठीक तो है ना?

भौजी: आपने....उसे पैसे....भेजे थे?

मैं: (मैं उनसे जूठ नहीं बोल सकता था) हाँ

भौजी ने अपनी बाँहों को मेरे इर्द-गिर्द कस लिया|

भौजी: thank you

मैं: किस लिए? अब आप तो मुझे अपनी प्रोब्लेम्स के बारे में बताते नहीं हो...तो मुझे ही कुछ करना पड़ा|

इतने में अनिल का फोन आ गया|

मैं: हेल्लो

अनिल: thank you जीजू!

मैं: अरे यार thank you वाली फॉर्मेलिटी बाहर वालों के साथ होती है| अपनों के साथ नहीं...और हाँ ...कभी कोई जर्रूरत हो तो मुझे फोन किया कर....दीदी को नहीं...!

अनिल: पर दीदी ने तो आपको कुछ बताया नहीं...फिर आपको कैसे?

मैं: आज मैंने उन्हें बिना पायल के देख तो पूछा..उन्होंने कहा की उन्होंने पायल और कुछ छुड़ियां बेच के तुम्हें पैसे भेजे...चांदी के पायल के कितने मिलते हैं....? चूड़ियों के फिर भी कुछ मिले होंगे| इसलिए मैंने तुम्हें फोन कर के पूछा| Anyways छोडो इन बातों को और पढ़ाई में मन लगाओ|

अनिल: जी जीजू!

मैं: बाय and take care!

अनिल: बाय जीजू!

भौजी ने हमारी बातें सुन ली थी|

मैं: और आप....अगर आपने दुबारा मुझसे को बात छुपाई ना...तो देख लेना!!! ढूंढने से भी नहीं मिलूंगा आपको?

भौजी मुझसे फिर से लिपट गईं| फिर जैसे-तैसे मैंने उन्हें चुप कराया और जो चाय वो लाईं थीं वो आधी उन्हें पिलाई और आधी मैंने पी| बच्चों के साथ खेलते-कूदते दिन गुजरा....हाँ मैं पिताजी और माँ से अब भी नजरें बचा रहा था और अपने कमरे से बाहर नहीं निकला था| रात को पिताजी घर आये और तब माँ मुझे खाने के लिए बोलने आईं| सब डाइनिंग टेबल पे बैठ गए और अब बारी थी फिर से पिताजी के ताने सुनने की!

पिताजी: तो क्या किया सारा दिन?

माँ: पलंग तोड़ रहा था ...और क्या?

पिताजी: हम्म्म्म .... कल साइट पे आजइओ!!

मैं: जी (मैंने सर झुकाये हुए कहा|)

मैं हैरान था की बस ...इतनी ही दांत पड़ने थी की तभी चन्दर भैया ने चुटकी ली;

चन्दर भैया: मानु भैया... चाचा अच्छे मूड में हैं इसलिए बच गए आप!

मुझे गुस्सा तो बहुत आया की आग ठंडी पड़ चुकी है...और इन्हें उसमें घांसलेट डालने की पड़ी है| तभी पिताजी बोले,

पिताजी: ऐसा नहीं है बेटा.... क्लास तो मैं आज फिर इसके लगाता पर अब ये जवान हो गया है...आज तक इसने कोई गलत काम नहीं किया...पहली बार किया जिसके लिए इसे ग्लानि भी हो रही है| ऐसे में मैं इसकी सुताई कर दूँ तो ये सुधरेगा नहीं बल्कि..और बिगड़ेगा| फिर है भी तो ये गर्म खून! इतना ही बड़ा है की इसने वादा कर दिया की ये कभी ऐसी गलती नहीं करेगा|

मैं: I promise पिताजी...आज के बाद कभी शराब को हाथ नहीं लगाउँगा|

पिताजी मेरी बात से निश्चिन्त लगे और मेरे सर पे हाथ फेरा| डिनर के बाद पिताजी अपने कमरे में सोने चले गए और इधर चन्दर भैया ने भौजी से घर की चाभी ली और वो भी सोने चले गए| अब चूँकि मिअन दिनभर पलंग तोड़ चूका था तो नींद आ नहीं रही थी तो बैठक में माँ, मैं और भौजी बैठे थे| बच्चों को मैंने अपने कमरे में कहानी सुनाते हुए सुला दिया था| शुक्रवार का दिन था और रात दस बजे CID आता है| माँ उसकी बहुत बड़ी फैन है और अब तो ये आदत भौजी को भी लग चुकी थी| मैं भी वहां ऐसे ही बैठा था| CID खत्म हुआ तो माँ भी सोने चली गई और मुझे कह गई की;

माँ: बेटा...अगर देर तक टी.वी देखने का प्लान है तो .अपनी भौजी को घर छोड़ दिओ... अकेले मत जाने दिओ|

मैं: जी...

हम क्राइम पेट्रोल देख रहे थे| मैं दूसरी कुर्सी पे बैठा था और भौजी सोफे पे| उन्होंने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया, मैं जाके उनके पास बैठ गया|

भौजी: एक बात पूछूं? आप बुरा तो नहीं मानोगे?

मैं: पूछो?

भौजी: आपने वो पैसे कहाँ से भेजे?

मैं: मेरे अकाउंट से|

भौजी: और आपके पास पैसे कहाँ से आये?

मैं: studies पूरी होने के बाद मैंने कुछ डेढ़-दो साल जॉब की थी| घर तो पिताजी के पैसों से चल जाया करता था| मैं बस अपनी सैलरी से appliances खरीदा करता था| कभी Washing Machine तो कभी desktop ..... ये उसी की savings हैं|

भौजी आगे कुछ नहीं बोलीं बस गर्दन झुका के बैठ गईं|

मैं: Hey? बुरा लग रहा है?

भौजी कुछ नहीं बोलीं;

मैं: अच्छा ये बताओ की अगर यो आपका भाई है तो क्या मेरा कुछ नहीं? आपने ही तो उसे मेरा साल बनाया ना? अब दुनिया में ऐसा कौन सा जीजा है जिसे साले की मदद करने में दुःख होता हो? I mean जेठा लाल को छोड़ के! (तारक मेहता का उल्टा चश्मा)

मेरी बात सुन के भौजी मुस्कुरा दीं| चलो तारक मेहता का उल्टा चश्मा के जरिये ही सही ...वो हँसी तो!!!

मैं: चलो अब रात बहुत हो रही है...मैं आपको घर छोड़ देता हूँ|

मैंने भौजी को घर छोड़ा...उन्होंने Kiss मांगी पर उस वक़्त वो अंदर थीं और मैं बाहर...ऊपर से चन्दर भैया भी घर पर...तो मैंने "कल" कह दिया और Good Night कह के वापस आ गया| वापस आया तो आयसुह जाग रहा था और मेरे कमरे में पड़े खिलौनों से खेल रहा था|

मैं: आयुष...बेटा नींद नहीं आ रही?

आयुष: नहीं पापा...

मैं: बेटा कल स्कूल जाना है...जल्दी सोओगे नहीं तो सुबह जल्दी कैसे उठोगे?

आयुष: पापा...मुझे गेम खेलनी है|

मैं: ठीक है... पर शोर नहीं करना वरना नेहा जाग जाएगी|


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Re: एक अनोखा बंधन

Unread post by The Romantic » 25 Dec 2014 22:52

85

अब आगे ....

मैंने आयुष को गेम लगा के दी और उसे अपनी गोद में लेके बैठ गया| कीबोर्ड के बटन की चाप-चाप से नेहा भी उठ गई और बगल वाली कुर्सी पे आके बैठ गई| अब उसे भी गेम खेलने थी| दोनों लड़ने लगे की मैं खेलूंगा...मैं खेलूंगी|

मैं: बच्चों...आज रात एडजस्ट कर लो...कल मैं आप दोनों के लिए दो controllers ले आऊँगा|

खेर गेम खलते-खेलते बारह बज गए| अब देर से सोये थे तो बच्चों को उठने में देरी हो गई...हालाँकि मैं जल्दी उठ गया पर मन नहीं किया बच्चों को उठाने का| इतने में गुस्से में भौजी आ गईं और बड़बड़ाती हुई बच्चों को उठाने लगीं| "कितनी बार कहा की जल्दी सोया करो..ताकि जल्दी उठो.... पर ये दोनों दीं पर दीं बदमाश होते जा रहे हैं|"

मैं: Relax यार.... गलती मेरी है...रात को तीनों कंप्यूटर पे गेम जो खेल रहे थे| बारह बजे तो सोये हैं हम....

भौजी: हम्म्म्म...तो सजा आपको मिलेगी!

मैं: बताइये मालिक क्या सजा मुक़र्रर की है|

भौजी: आप ही इन्हें तैयार करोगे |

मैं: वो तो मैं रोज करता हूँ|

भौजी: और ...आज मेरे साथ शॉपिंग चलोगे!

मैं: done पर शाम को.... सुबह पिताजी के साथ जाना है|

भौजी: done !

फिर मैंने बच्चों को एक बार प्यार से पुकारा और दोनों उठ के बैठ गए और मेरे गले लग गए|

भौजी: अरे वाह! मैं इतनी देर से गुस्से में उबाल रही थी ...तब तो नहीं उठे! और पापा की एक आवाज में ही उठ गए?

मैं: आपसे ज्यादा प्यार करता हूँ इनहीं...तो मेरी हर बात मानते हैं|

भौजी मुस्कुराईं और चलीं गईं| बच्चों को तैयार कर...वैन में बिठा के घर लौटा...फ्रेश हो के...नाश्ता कर के पिताजी के साथ निकलने वाला था की भौजी ने आँख से इशारा किया और मुझे मेरे ही कमरे में आने को कहा| मैंने पिताजी से कहा की मैं पर्स भूल आया हूँ और लेने के लिए कमरे में आगया|

भौजी: आप कुछ भूल नहीं रहे?

मैं: नहीं तो/ (मैंने अपना पर्स..रुम्माल...फोन सब चेक करते हुए कहा|)

भौजी: कल रात से आपकी एक Kiss due है?

मैं: ओह! हाँ याद आया...पर अभी नहीं...शाम को ठीक है?

भौजी: ठीक है!

पर भौजी कहाँ मानने वालीं थीं| उन्होंने फिर भी अचनक से मेरे होंठों को चूमा और बाहर चलीं गईं|

मैं: बदमाश.... अगर करना ही था तो ढंग से करते!

आज मैं बहुत जोश में था... साइट पे वर्कर्स भी कह रहे थे की क्या बात है भैया आज बड़े मूड में हो? अब मैं उन्हें क्या कहता की मैं मूड में इसलिए हूँ क्योंकि आज दिन की शुरुआत बड़ी मीठी हुई है| शाम होने से पहले मैंने पिताजी को फोन कर के कह दिया की मैं घर जा रहा हूँ... माँ ने बुलाया है| फिर मैं वहां से निकला और सीधा दिषु के ऑफिस पहुँच गया| उससे उसकी नैनो (Tata Nano) की चाभी ली और घर के बाहर पहुँच गया| वहां से मैंने भौजी को फोन किया और उनहीं और बच्चों को बाहर बुलाया| फिर उन्हें लेके मैं सीधा Saket Select City Mall की तरफ गाडी भगाई! वहाँ पहुँच के बच्चों का मन था मूवी देखने का...पर शो पहले ही शुरू हो चूका था| तो बच्चों का मुँह बन गया|

मैं: Awwww .... देखो कल मूवी पक्का! आज के लिए..... अम्म्म्म.... गेम कंट्रोलर्स ले लेते हैं!

बच्चे खुश हो गए.... फिर भौजी जिद्द करने लगीं की उन्हें जीन्स खरीदनी है| पर मैंने टाल दिया....

मैं: यार...आप जीन्स में अच्छे नहीं लगोगे....चलो आपके लिए साडी लेते हैं|

भौजी: OK ..पर पसंद आप करोगे?

मैं: ठीक है!

मैंने अपनी पसंद की उन्हें एक सीफोन की साडी दिलाई| अब उन्होंने जिद्द पकड़ ली की मेरे लिए शर्ट लेंगी...अब मेरे पास पैसे थे नहीं...मेरा Debit Card घर रह गया था| मैंने जान के बहाना मारा की कल ले लेंगे| फिर वहाँ से बच्चों को कॉर्न दिलाये और घर आ गया| घर आके दिषु से कह दिया की कल का दिन गाडी मेरे पास रहेगी| वो भी मान गया.... मैंने अपना कार्ड उठाया और वापस mall आ गया| वहाँ से मैंने भौजी के लिए जीन्स ली और एक टॉप भी| मैंने मन ही मन imagine किया की वो इसमें कैसी दिखेंगी| मैं चुप-चाप घर आया और ड्रेसेस अपने कमरे में छुपा दीं| मैं वापस डाइनिंग टेबल पे आकर बैठ गया और अखबार देखने लगा| फिर मैंने माँ से चाय मांगी;

मैं: माँ..एक कप चाय मिलेगी?

माँ: हाँ...बहु तू भी पियेगी?

भौजी: माँ..आप बैठो...मैं बनाती हूँ| सारे पी लेते हैं|

माँ: तो कहाँ गई थी सवारी?

मैं: माँ...बच्चों को गेम खलने के लिए कंट्रोलर्स दिलाने गया था| सोचा इन्हें भी घुमा दूँ थोड़ा...कल को कुछ सामान लाना हो और मैं ना हूँ तो ये अकेले जा तो सकें|

माँ: हाँ ..अच्छा किया| (नेहा और आयुष से) बच्चों...ज्यादा गेम मत खेल करो...चस्मा लग जायेगा|

मैं: माँ...अब कोई चिंता नहीं...ये कंट्रोलर्स हैं ना... दरअसल कल रात को दोनों को गेम खेलनी थी...और दोनों लड़ रहे थे की पहले मैं..पहले मैं ..

भौजी: हाँ माँ...देखो ना रात-रात भर तीनों गेम खेलते हैं?

माँ: बहु....तू चिंता मत कर...माना की ये लड़का बहुत शरारती है पर अपनी जिम्मेदारियाँ समझता है... एक आध बार चलता है|

फिर मैं डाइनिंग टेबल से उठा और भौजी को आँख मारते हुए कमरे में आने का इशारा किया| दो मिनट बाद भौजी चाय लेके कमरे में आ गईं|

मैं: बैठो... और आँखें बंद करो|

भौजी: एक और सरप्राइज? लो कर ली आँखें बंद!

फिर मैंने भौजी को जीन्स और टॉप निकाल के दी| जब भौजी ने आँखें खोल के ड्रेस को देखा तो वो हैरान होते हुए बोलीं;

भौजी: ये...पर आपने तो कहा था की ये मुझ पे अच्छी नहीं लगेगी|

मैं: वो इसलिए क्योंकि मैं आपको सरप्राइज देना चाहता था| और वैसे भी मैं अपना Debit Card घर भूल गया था तो!

भौजी: O तो आप पहले घर आये हमें छोड़ा...Debit Card लिया और फिर दुबारा गए| हे भगवान!!! तो इसीलिए आपने मुझे शर्ट नहीं लेने दी?

मैं: हाँ! और सुन लो Don’t you dare to surpirise me with any shirt?

भौजी बड़ी हलकी आवाज में बुद्बुदाईन;

भौजी: मेरे पास पैसे ही कहाँ?

इतना कह के उन्होंने नजरें चुरा लीं| उन्हें लगा की मैंने सुना नहीं| पर मुझे एहसास हुआ की भैया उन्हें पैसे नहीं देते...क्यों नहीं देते ये नहीं जानता पर मुझे बहुत बुरा लगा| दिल कचोट उठा और मैंने फटाफट पर्स निकला और उसमें से अपना Debit Cad निकला और उन्हें देते हुए कहा;

मैं: ये लो...Keep it !

भौजी: पर किस लिए?

मैं: आज के बाद कभी भी....कभी भी मत कहना की आपके पास पैसे नहीं हैं| और कल आप ही मुझे एक अच्छी सी शर्ट दिलाओगे!

भौजी; पर मैं ये नहीं ले सकती? ये आपके पैसे हैं!

मैं: Hey I’m not asking…I’m ordering you. Keep it! और ये मेरा और तुम्हारा कब से हो गया| दिल भी तो मेरा था...पर फिर क्यों ले लिया आपने?

भौजी ये सुनके थोड़ा मुस्कुराईं और शर्मा गईं|

भौजी: पर?

मैं: पर-वर कुछ नहीं!

भौजी: मैं आपसे माँग लूंगी...जब जर्रूरत होगी!

मैं: और मैं अगर घर पे ना हुआ तो? और what about surprises?

भौजी: पर मुझे ये इस्तेमाल करना कहाँ आता है?

मैं: कल मैं सीखा दूंगा..तब तक इसे आप ही सम्भालो|

भौजी: अगर आपको जर्रूरत होगी तो?

मैं: मेरे पास checkbook है| और आपको मेरी कसम ये सवाल-जवाब बंद कोर और इसे संभाल के रख लो|

मैंने वो कार्ड भौजी की मुट्ठी में थमा दिया और उन्हें गले लगा लिया|

मैं: अच्छा सुनो... कल आप यही पहनना|

भौजी: hwwwwwwwww !!!

मैं: क्या hwwwww !!! सुनो मेरी बात...कल ये ड्रेस अपने साथ ले लेना और हम मॉल चलेंगे| वहाँ बाथरूम में जाके चेंज कर लेना| फिर वहाँ से मैं आपको मल्टीप्लेक्स ले चलूँगा|

भौजी: और बच्चे?

मैं: वो कुछ नहीं कहेंगे|

भौजी: न..बाबा ना....मुझे शर्म आएगी!!!

मैं: Come on यार!

भौजी: ठीक है!

वो रात मैंने गिन-गिन के काटी! अगली सुबह मैं जल्दी से तैयार हुआ और पिताजी के निकलने से पहले ही साइट पे चा गया| एक से दूसरी साइट के बीच juggle करता रहा और पताजी बड़े खुश नजर आये| फिर जब मैंने उन्हें कहा की मुझे आधे दिन की छुट्टी चाहिए तो उन्होंने मना नहीं किया| यही तो मेरा प्लान था...की पहले पिताजी को खुश करो और बाद में आधे दिन की छुट्टी| रास्ते में ही मैंने मोबाइल से टिकट बुक कीं और फटाफट घर पहुँचा| अब माँ से मैंने बात कुछ इस प्रकार की;

मैं; माँ... बच्चों को मैंने प्रॉमिस किया था की आज उन्हें फिल्म दिखाऊँगा| तो मैं ले जाऊँ उन्हें?

माँ: आज बड़ा पूछ रहा है मुझसे? ले जा...मैंने कब मना किया है|

मैं; ठीक है...

अब मैं उम्मीद करने लगा की माँ कहेंगी की अपनी भौजी को भी ले जा, पर उन्होंने नहीं कहा|| भौजी भी वहीँ किचन काउंटर पे सब्जियां काट रहीं थीं| अभी बच्चों को आने में घंटा भर बचा हुआ था| अब कैसे न कैसे कर के मुझे माँ को मनाना था की भौजी महि मेरे साथ चलें|पर बात कैसे शुरू करूँ?

पहले की बात और थी...तब मेरी उम्र कम थी...और माँ मना नहीं करती....पर अब मैं बड़ा हो चूका था...दाढ़ी-मुछ उग चुकी थी|

पर शायद ऊपर वाले को मेरी हालत पे तरस आ गया और उसने दूसरी बिल्डिंग में रहने वाली कमला आंटी को हमारे घर भेज दिया| वैसे वो भी दूसरी मंजिल पे रहती थीं!!! आंटी ने आके माँ से कहा की लंच के बाद उनके एक common friend के यहाँ कोई साडी वाला आया है| तो वो माँ को और भौजी को लेने आ गईं| माँ ने कहा की वो लंच के बाद सीधा आजाएंगी| अब मैं भौजी को इससे कैसे निकालूँ मैं यही सोच रहा था की तभी मैंने उनहीं मूक इशारा किया और उन्होंने माँ से बहाना मारा;

भौजी: माँ.... मैं भी पिक्चर देखने जाऊँ?

माँ: बच्चों के साथ? ठीक है...पर तुझे साड़ियाँ नहीं खरीदनी?

मैं: अरे भैया...कहाँ आपकी पुराने डिज़ाइन की साड़ियाँ...सारी तो aunty होंगी वहाँ...और इनकी पसंद तो नए जमाने की है| इन्हें कहाँ भाएँगी पुरानी साड़ियाँ!!!

माँ: अच्छा बाबा...ले जा...

भौजी: माँ ऐसा नहीं है...ये अपनी बात कर रहे हैं| मैं आपके साथ ही जाऊँगी!

मैंने भौजी को आँख दिखाई की आप ये क्या कर रहे हो?

माँ: नहीं बहु..तेरा मन पिक्चर देखने का है तो जा.... साडी फिर कभी ले लेंगे|

मैं: हाँ...माँ ठीक तो कह रही है|

भौजी: नहीं...माँ...आज तो मैं साडी ही खरीदुंगी|

अब मेरे मूड की लग गई थी| अब मरता क्या ना करता...बच्चों को प्रॉमिस जो किया था| बच्चे आये और उन्हें फटाफट तैयार करके मूवी दिखाने ले गया| शाम को आठ बजे लौटे...बच्चे बहुत खुश थे और गाडी में ऊधम मचा रखा था दोनों ने! सबसे ज्यादा टेस्टी तो उन्हें शवरमा लगा जो हमने अल-बेक से खाया था|जब हम पहुंचे तो सब घर में मौजूद थे सिवाय चन्दर भैया के|

पिताजी: अरे वाह भई...घुमी करके आ रहे हो सब!

आयुष: दादा जी..हम ने मूवी देखि! उसमें न ...वो सीन था जब....

इस तरह से आयसुह ने फिम की कहानी सुनाई| मैं बड़े प्यार से उसे कहानी सुनाते हुए देख रहा था| नेहा मेरी गोद में बैठ थी और आयुष को बार-बार टोक कर कहानी ढीक कर रही थी| इधर भौजी भी बहुत खुश थीं| ,अं समझ गया था की भौजी ने मेरे साथ जाने से मना क्यों किया था...और मैंने उस बात का कुछ समय तक तो बुरा लगा पर फिर ...छोड़ दिया|

रात के खाने के बाद भौजी मेरे पास आईं;

भौजी: Sorry !!! (कान पकड़ते हुए)

मैं: अब आपको सब को खुश रखना है तो रखो खुश!

भौजी: अच्छा बाबा...कल मूवी चलेंगे?

मैं: रोज-रोज...माँ को क्या बोलूंगा की आज आपको मूवी दिखाने ले जा रहा हूँ?

भौजी: तो फिर कभी चलेंगे|

मैं: और वो कपडे कब पहनके दिखाओगे?

भौजी: आज रात को!

मैं: मजाक मत करो!

भौजी सच...आपके भैया देर से आएंगे ... That means we’ve plenty of time togeteher!

मैं: Done पर इस बार आपने कुछ किया ना तो मैं आपसे बात नहीं करूँगा!

भौजी: नहीं बाबा..आज पक्का!

चलो भई आज रात का सीन तो पक्का था| मैंने दिषु को फोन किया और उसे प्लान समझा दिया| मैंने जल्दी से भौजी को उनके घर भेज दिया और बच्चों को अपने कमरे में सुला दिया| आज की धमाचौकड़ी के बाद वो थक जो गए थे| फिर दस बजे उसने मुझे फोन किया...उस समय मैं माँ के साथ बैठा था और टी.वी. देख रहा था|

मैं: हेल्लो...

दिषु: भाई...तेरी मदद चाहिए!

मैं: क्या हुआ? तू घबराया हुआ क्यों है? (ये सुन के माँ भी हैरान हो गई|)

दिषु: यार...मेरे चाचा के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है...बाइक disbalance हो गई और उसके पाँव में चोट आई है| तू जल्दी से ट्रामा सेंटर पहुँच!

मैं: अभी आया!

बहाना सॉलिड था! और माँ ने बिलकुल भी मना नहीं किया| मैंने गाडी की चाभी ली और निकला गया| गाडी को मैंने कुछ दूरी पे अंडरग्राउंड पार्किंग में खड़ा किया और मैं भागता हुआ भौजी के घर पे आया और दस्तक दी|

जब उन्होंने दरवाजा खोला तो मैं उन्हें देखता ही रह गया!

उनका टॉप लाइट पिंक कलर का था और Jeans स्लिम फिट थी| ऊपर से उन्होंने हाथों पे लाल चूड़ियाँ पहनी थी जैसे की नई-नवेली दुल्हनें पहनती हैं|

मैं: WOW ! You’re looking Gorgeous !!!

भौजी: Thanks ! पसंद आपकी जो है!! अंदर तो आओ!!!

मैं अंदर आके कुर्सी पे बैठ गया|

भौजी: यहाँ क्यों बैठ गए...अंदर चलो|

अब मुझे थोड़ी घबराहट होने लगी .... खेर मैं अंदर तो चला गया| उनके बैडरूम में आज कुछ अलग महक थी.... मीठी-मीठी सी.... पर मुझ कहने से पहले ही वो बोल पड़ी|

भौजी: आपको कैसे पता की मेरे ऊपर ये इतनी मस्त लगेगी?

मैं: बस आँखें बंद कर के आपको Imagine किया!!! वैसे ये बताओ की आज बात क्या है? कमरा महक रहा है?

भौजी: आपके लिए ही है ये सब!

जिस तरह से उन्होंने ये बोला मेरे पसीने छूट गए|

मैं: मेरे लिए? समझा नहीं!

भौजी: ओफ्फो ...आज की रात बड़े सालों बाद आई है|

मैं: (उनसे नजरें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगा) पर ...

भौजी: (मेरी हालत समझते हुए) आप शर्मा क्यों रहे हो? ये पहली बार तो नहीं?

मैं: नहीं है...पर ....अब हालात बदल चुके हैं! What if you got pregnant?

भौजी: तो क्या हुआ?

मैं: I mean I don’t want you to have another baby!

भौजी: पर क्यों? उसमें हर्ज़ ही क्या है?

मैं: यार उस वक़्त हालात और थे...हम जानते थे की हम दूर हो जायेंगे...आपको जिन्दा रहने के लिए एक सहारे की जर्रूरत थी...जो मैं दूर रह के नहीं दे सकता था... इसलिए आयुष... (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)

भौजी: तो अब क्या हुआ? अब तो हम साथ हैं!

मैं: Exactly ...अब हम साथ हैं...और आपको अब कोई सहारा नहीं चाहिए|

भौजी मैंने कब कहा की मुझे कोई सहारा चाहिए.... ये सात साल मैंने किस तरह काटे हैं..मैं जानती हूँ! अपनी एक बेवकूफी...जिसकी सजा...मैंने दोनों को दी| पर यकीन मानो ...मैं अपने बच्चों की कसम, खाती हूँ...मैंने ना आपके भैया और न ही किसी और को खुद को छूने दिया!

मैं: Hey ... Hey .... आप ये क्या कह रहे हो? मैं आप पर शक नहीं कर रहा .... मुझे आप पर अपने से ज्यादा भरोसा है| I don't need any proof for that! मैं ये कह रहा हूँ की अगले 2 - 3 सालों में मेरी शादी हो जाएगी, तब? आप इस रिश्ते को क्यों आगे बढ़ा रहे हो? मैं नहीं चाहता की आपकी वो हालत हो जो मेरी हुई थी! मैं रिश्ता खत्म करने को नहीं कह रहा...पर अगर हम फिर से Physical हो गए तो...मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा ....और फिर से वो सब.... मैं नहीं दोहराना चाहता|

भौजी: You once said, की Live in the past .... Forget the future !

मैं: हाँ..कहा था...पर उस वक़्त आप प्रेग्नेंट थे... ऐसे में सुनीता का रिश्ता और वो सब.... आपके लिए कितना कहस्तदाई था ये मैं जानता था| आपको खुश रखना मेरी जिम्मेदारी थी... और मैं नहीं चाहता था की आपकी सेहत खराब हो? इसलिए उस समय मेरा वो कथन बिलकुल सही था...पर अभी नहीं!

भौजी: तो अब आपको मेरी फीलिंग्स की कोई कदर नहीं|

मैं: नहीं यार...ऐसा नहीं है... मैं आपसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ....पर ....oh God कैसे समझाऊं आपको?

भौजी: ठीक है...You don't want me to get pregnant right ?

मैं: हाँ

भौजी: Okay we'll use protection.

मैं: पर अभी मेरे पास कंडोम नहीं है?

भौजी: तो किसने कहा की आप ही प्रोटेक्शन use कर सकते हो| मैं कल I-pill ले लूंगी!

मैं: यार ये सही नहीं है!!!

भौजी: मैं आपको बता नहीं सकती की मैं कितनी प्यासी हूँ आपके लिए...जब से आई हूँ..आपने कभी भी मेरे साथ quality time spend नहीं किया| जैसे की आप किया करते थे|

मैं: जानता हूँ...उसके लिए मैं आपका दोषी हूँ! पर अब मैं बड़ा हो चूका हूँ...और अब ये चीजें सब के सामने नहीं चल सकती| सब आप पर उँगलियाँ उठाएंगे| और वो मुझसे कतई बर्दाश्त नहीं होगा|

भौजी: एक बार...मेरे लिए!!!

उन्होंने इतने प्यार से बोला की मेरा मन नहीं किया की मैं उनका दिल तोड़ूँ|

मैंने उन्हें अपने गले लगा लिया और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा| उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया, उनकी बाहें मेरी पीठ पे रास्ता बनाते हुए ऊपर-नीचे घूम रहीं थीं| मैंने उन्हें गोद में उठाया और पलंग पे लेटा दिया| मैं उनके ऊपर आगया और उन्होंने चूमने लगा| उनका बयां कन्धा तो पहले से ही बहार निकला हुआ था| मैंने उस पे अपने होंठ रखे तो भौजी की सिसकारी छूट गई; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.....जानू" उन्होंने मेरा मुंह उठा के अपने होठों पे रख दिया और मेरे होठों को चूसने लगीं| मैंने भौजी के टॉप के अंदर हाथ डाला तो पाया की उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है| मैं उनके स्तनों को मींजने लगा और भौजी मेरे होठों को चूस रहीं थीं| फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में प्रवेश कराई और वो मेरी जीभ को अपने दाँतों से दबाने लगी| अगले दस मिनट तक हम एक दूसरे को smooch करते रहे| सालों की दबी हुई प्यास अब उभर के बहार आने लगी थी| दोनों की धड़कनें बहत तेज हो चलीं थीं| जब हमारा smooch टूटा तब हम दोनों ने एक पल के लिए एक दूसरे को देखा| भौजी के चेहरे पे उनकी एक लट आगई थी| मैंने अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से उनकी लट हटाई और उनके होठों को एक बार और चूम लिया|

भौजी: क्या सोच रहे हो?

मैं: कुछ नहीं... आपको इस तरह अपनी बाहों में लेटा देख.... तो ....

भौजी: तो क्या?

मैं: तो ये की मुझे आप पर बहुत प्यार आ रहा है!

भौजी: तो इन्तेजार किस का है?

मैंने उनका टॉप निकाल दिया और उनके स्तनों को निहारने लगा| मैंने अपने हाथ को धीरे-धीरे उनकी छाती पे फिराने लगा...उनकी घुंडियों के इर्द-गिर्द अपनी उँगलियों को चलते हुए उनके निप्पल को दबा देता और वो कसमसा कर रह जातीं| फिर झुक के मैंने उनके बाएं निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा| भौजी का हाथ अब मेरे सर पे हा और वो उसे दबाने लगीं...बालों में उँगलियाँ फिराने लगीं| मैं रह-रह के उनके निप्पल को दाँत से काट लेता और वो बस "आह!" कर के कराह उठती| मैं महसूस करने लगा था की मेरे अंदर एक आग सी भड़क उधि है...और हर पल वो आग भड़कती जा रही है| उन्हें तकलीफ देने में मुझ मज़ा आने अलग था! मैं....पहले तो ऐसा नहीं था!!! मेरा एक हाथ उनकी नाभि से होता हुआ सीधा उनकी जीन्स के अंदर घुस गया| उँगलियों ने उनकी पेंटी के अंदर घुसने का रास्ता खुद बा खुद ढूंढ लिया था| मैं ऊपर उनके बाएं स्तन को चूस रहा था और उधर दूसरी ओर मेरी उँगलियाँ भौजी की योनि में चहलकर्मी करने लगी थीं| मैंने उनके बाएं स्तन को छोड़ा और नीचे खिसक के उनके जीनस का बटन खोलने लगा|

भौजी: (आने दायें स्तन की ओर इशारा करते हुए) ये वाला रह गया!

मैं: हम्म्म्म...Patience My Dear .....उसकी बारी आएगी.....

जैसे ही उनकी जीन्स का बटन खुला और उनकी पेंटी का दीदार हुआ...अंदर की आग और भड़कने लगी| भौज ने अपनी कमर उठाई और मैंने उनकी जीन्स खींच के नीचे कर दी| उनकी जीन्स घुटनों तक आ गई थी...फिर उनकी पेंटी भी नीचे खिसका दी| अब मैंने उनकी योनि को अपनी जीभ छुआ...और भौजी सिहर उठीं; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स"| आज बरसों बाद उनकी योनि को छूने का एहसास.....कमाल था! मैंने उनकी योनि को चाटना शुरु किया और भौजी बुरी तरह कसमसाने लगीं| वो ज्यादा देर टिक ना पाईं और दो मिनट में ही स्खलित हो गईं| मैंने उनका योनिरस पी लिया.....अब तो मेरा बुरा हाल था.... ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुझे aphrodisiac दे दिया हो| शरीर में चींटीयाँ काटने लगीं थीं.... लंड इतना अकड़ चूका था की पेंट फाड़ के बहार आ जाये| अंदर सोया हुआ जानवर जागने लगा| उधर भौजी अपने स्खलन से अभी उबरी भी नहीं थीं ... मैं अपने घुटनों पे बैठ गया और अपने दिमाग और दिल पे काबू करने लगा| दिमाग ने तो अब काम करना बंद कर दिया था| सामने भौजी आधी नग्न अवस्था में लेटीं थीं| मन कह रहा था की सम्भोग कर .... पर कुछ तो था जो मुझे बांधे हुए था| मैं डरने लगा था... अचानक दिमाग को किसी ने करंट का झटका मारा हो और अचानक दिमाग ने चलना शुरू कर दिया| मुझे एहसास हुआ की ये मैं क्या करने जा रहा हूँ| अगर भौजी प्रेग्नेंट हो गईं तो क्या होगा? बवाल...बवाल...और सिर्फ बवाल! अच्छी खासी जिंदगी तबाह हो जाएगी...मेरी..उनकी...और बच्चों की! खुद को उस समय रोक पाना ऐसा था जैसे की Suicide करना! आप मारना नहीं चाहते पर हालत आपको मजबूर कर देते हैं..उसी तरह मैं खुद को रोकना चाहता था पर शरीर साथ नहीं दे रहा था| अब दिमाग और जिस्म में जंग छिड़ गई थी| शरीर लोभी हो गया था और दिमाग अब उनके हित की सोचने लगा था| मैं छिटक के उनसे अलग हो गया! और अपने कपडे ठीक करने लगा....तभी माँ का फोन आ गया|

मैं: हेल्लो माँ ...

माँ: बेटा क्या हुआ? वहां सब ठीक तो है ना?

मैं: जी...मैं अभी ड्राइव कर रहा हूँ....दिषु के भाई को पलास्टर चढ़या है| दस मिनट में घर पहुँच जाऊँगा|

माँ: ठीक है बेटा... आराम से गाडी चलाइओ|

मैं फोन कटा और भौजी की तरफ देखा ...वो हैरानी से मेरी तरफ देख रहीं थीं|

भौजी: आप जा रहे हो?

मैं: हाँ

भौजी: पर क्यों? अभी तो.....

मैं: sorry .... I can't !!! प्लीज !!!
मुझे उन्हें इस तरह छोड़ के जाने का दिल नहीं कर रहा था....बहत बुरा लग रहा था! पर अगर मैं वहां रुकता तो शायद वो हो जाता जिसका मुझे उम्र-भर पछतावा रहता| मैं घर पहुंचा और कमरे में जाके देखा तो बच्चे सो रहे थे| शरीर में अब भी आग लगी थी...मन तो किया की मुट्ठ मार के शांत हो जाऊँ पर मन स्थिर नहीं था| मैंने सोचा की ठन्डे पानी से नहा लेता हूँ| आखिर नहाने के बात थोड़ा फ्रेश महसूस करने लगा और अपने बिस्तर में घुस गया| नींद तो सारी रात नहीं आई...बस बच्चों को देखता रहा| सुबह उठा...और भौजी से नजरे नहीं मिला पा रहा था| नाश्ता करके काम पे निकल गया|
शाम को जब मैं लौटा तो पिताजी, मैं और चन्दर भैया एक साथ बैठे चाय पी रहे थे और अगले प्रोजेक्ट के बारे में discuss कर रहे थे| मैंने सब की नजर बचा के भौजी को देखा| मेरी नजर जैसे ही उन पर पड़ी, उन्होंने इशारे से मुझे अलग बुलाया| मैं नहीं उठा...और बातों में लगा रहा| मैं जानता था की उन्हें क्या बात करनी है| तभी कुछ हिसाब-किताब के लिए पिताजी ने मुझे और चन्दर भैया को अपने कमरे में बुलाया| चन्दर भैया तो एकदम से उठ के उनके पीछे चले गए| मैं चाय खत्म कर के जैसे ही उठा, भौजी तेजी से मेरी तरफ आइन, मेरे हाथ से चाय का कप लिया और टेबल पे रखा और मेरा हाथ पकड़ के खींच के मेरे कमरे में ले आईं|

भौजी: अब बताओ की क्यों मुझसे नजरें चुरा रहे हो? और कल रात क्या हुआ था आपको?

मैं: अभी जाने दो...पिताजी बुला रहे हैं| बाद में बात करते हैं!

भौजी: ठीक है....

मैं पिताजी के पास आया| उनसे बात हुई तो पता चला की हमें एक बिलकुल नया प्रोजेक्ट मिला है| ये first time है की हमें Construction का काम मिला है| आज तक हम केवल रेनोवेशन का ही काम करते थे| पिताजी ने काम की जिम्मेदारियां तीनों में बाँट दीं| चन्दर भैया को plumbing का ठेका दिया और उसमें से जो भी Profit होगा वो उनका| इसी तरह मुझे carpentry और electrician का काम सौंपा| उसका पूरा प्रॉफिट मेरा| और पिताजी खुद construction का काम संभालेंगे| उसका प्रॉफिट उनका! ये पहलीबार था की पिताजी ने इस तरह सोचा हो! काम कल से शुरू होना था और मुझे एडवांस पेमेंट लेने NOIDA जाना था| अब उनसे बात कर के मैं अपने कमरे में लौटा तो देखा भौजी वहीँ कुर्सी पे बैठीं हैं| बच्चे पलंग पे बैठे अपना होमवर्क कर रहे थे|

The Romantic
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Re: एक अनोखा बंधन

Unread post by The Romantic » 25 Dec 2014 22:53

86

अब आगे ....

भौजी: (खुसफुसाते हुए) अब बताओ?

मैं: क्या बताऊँ?

भौजी: उखड़े-उखड़े क्यों हो?

मैं: नहीं ऐसा नहीं है... वो कल रात को...जो हुआ ...उसके लिए I'm Terribly Sorry ! मैं आपको समझा नहीं सकता की मुझे कितना बुरा लगा था....और किस तरह मैंने खुद को रोक|

भौजी: जानती हूँ.... और समझ सकती हूँ| पर मैं वो सब नहीं जानना चाहती .... मैं बस आपको चाहती हूँ! किसी भी कीमत पे!!!

मैं: पर मैं वो नहीं कर सकता| मुझे डर लगता है....की अगर आप प्रेग्नेंट हो गए तो?

भौजी: तो क्या होगा?

मैं: आप सब से क्या कहोगे...की ये किसका बच्चा है?

मेरी बात सुन के भौजी चुप हो गईं|

मैं: तब आप ये नहीं कह सकते की ये चन्दर भैया का है...क्योंकि उन्होंने तो आको सात सालों में छुआ नहीं| और हर बार आप तभी प्रेग्नेंट क्यों होते हो जब मैं आपके आस-पास होता हूँ? पिछली बार भी आप तभी प्रेग्नेंट हुए जब मैं गाँव में थे| और इस बारी भी...जब आप शहर में हो? है को जवाब इन सवालों का? इसी सब के चलते मैं वो सब नहीं कर सकता| कम से कम हम एक साथ तो हैं! इसलिए प्लीज...प्लीज मुझे उसके लिए मत कहो|

भौजी: आप जानते हो मुझे किस बात का सबसे ज्यादा बुरा लगा? की आपने मेरे अंदर जल रही आग को तो शांत कर दिया पर अपने अंदर की आग को दबा दिया|

मैं: किसने कहा? मैंने कल रात को (हाथ हिला के इशारा करते हुए) किया था...I was okay !

भौजी: क्यों जूठ बोल रहे हो? गाँव आने से पहले करते थे वो सब..गाँव से आने के बाद मैं शर्त लगा के कहती हूँ आपने वो कभी नहीं किया|

उनकी बात बिलकुल सही थी|

भौजी: और आज सुबह छत पे आपके दो अंडरवियर टंगे थे! मतलब कल रात को आप नहाये थे... इसी तरह खुद को ठंडा किया ना?

मेरी चोरी पकड़ी गई थी....तो मैंने सर झुका के हाँ कहा|

भौजी: इसलिए मेरे लिए ना सही...कम से कम आपके लिए तो एक बार..... let me help you? Let me relieve you!

मैं: ना यार... I'm alright ...और अगर ये सब एक बार शुरू हो गया तो.....फिर रुकेगा नहीं| its better we don’t involve in this physical relationship!

भौजी: तो अब आप मुझे गले भी नहीं लगाओगे? Kiss भी नहीं करोगे? मतलब मेरे आस-पास भी नहीं भटकोगे?

मैं: मैंने ऐसा कब कहा| मैं आपको दिल से अब भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले प्यार किया करता था| पर प्यार में ये जरूरी तो नहीं की इंसान physical भी हो? मैं आपको इस तरह गले लगाउँगा... (मैंने भौजी को अपने गले लगाया) ...और आपको Kiss भी करूँगा (मैंने भौजी के होठों को हलके से चूम लिया|) पर इसके आगे ....कभी नहीं बढूँगा|

भौजी: ठीक है .... मेरे लिए इतना ही काफी है|

मैं दिल से नहीं चाहता था की ऐसी किसी दुविधा में खुद पडूँ या उन्हें डालूँ| पर भौजी के जवाब में ना जाने मुझे क्यों वो आश्वासन नजर नहीं आया जो आना चाहिए था! खेर दिन बीतने लगे...नए प्रोजेक्ट के चलते मुझे और भौजी को साथ बिताने के लिए समय कम मिलने लगा| पर हम एक दूसरे से कटे नहीं थे| फ़ोन पे चैट किया करते थे ... जब कभी समय मिलता तो मैं उन्हें गले लगा लेता...Kiss करता ...पर इसके आगे जाने की कभी हिम्मत नहीं हुई! करवाचौथ से एक हफ्ते पहले की बात थी| सुबह-सुयभ जब भौजी मेरे कमरे में चाय ले के आईं तो उनका मूड ऑफ था!

मैं: Good Morning जान!

भौजी: ह्म्म्म्म्म....

मैं: क्या बात है? मूड क्यों ऑफ है?

भौजी: कुछ नहीं...

मैं: यार बताओ तो सही ?

पर वो कुछ नहीं बोलीं और बाहर चली गईं| सुयभ-सुबह मुझे कुछ सामान लेने जाना था तो मैं वहाँ निकल गया और फिर समय नहीं मिला की उनसे कुछ और पूछ सकूँ| दोपहर को लंच तुम्हे मैं फ्री हो गया और उन्हें फोन किया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया| मैंने फिर माँ को फोन किया तब पता चला की भौजी का मन बहुत दुखी है, क्यों ये वो बताती नहीं! मैंने माँ को फोन किया;

मैं: हेल्लो माँ...

माँ: हाँ बेटा...कब आ रहा है लंच के लिए?

मैं: मैं अभी फ्री हूँ और रास्ते में हूँ| आप ये बताओ की आखिर हुआ क्या है उनको? सुबह से उनका मुँह क्यों उतरा हुआ है? (मेरा तातपर्य भौजी से था|)

माँ: पता नहीं बेटा.... शायद तेरे भैया से कुछ कहा-सुनी हुई होगी|

मैं: माँ...आप अगर कहो तो मैं बच्चों को और उनका पिक्चर ले जाऊँ...शायद मूड बदल जाए|

माँ: ठीक है...कब जा रहे हो तुम?

मैं: मैं अभी आता हूँ...फिर पूछता हूँ उनसे|

मैं आधे घंटे बाद घर पहुँचा, भौजी उस समय किचन में चावल बना रहीं थीं| मैं अंदर घर में घुसा और बिना कुछ कहे उनका हाथ पकड़ के उन्हें कमरे में खींच लाया|

मैं: Okay tell me what is it? Why are you so pissed off?

भौजी कुछ नहीं बोलीं|

मैं: okay ... get ready we're going for a movie .... get dressed !

भौजी: मूड नहीं है|

मैं: Hey I'm not asking you .... I'm ordering you ! (मैंने अपना वही डायलॉग मारा|)

भौजी: तो आप भी मुझे हुक्म दोगे? आप भी जबरदस्ती करोगे?

मैं: Hey ..Hey .... Hey .... I didn't mean that ! और जबरदस्ती..... did he?

भौजी कुछ नहीं बोलीं बस उनकी आँख से आँसूं का एक कटरा छलका और वो चली गईं| मेरे रोम-रोम में आग लग गई| आँखों में खून उतर आया.... I just wanted to punch that guy! मैंने अपना फोन उठाया और चन्दर भैया को फोन मिलाया....

मैं: (गरजते हुए) कहाँ हो?

चन्दर भैया: गुडगाँव ..पर हुआ क्या? इतने गुस्से में क्यों हो?

मैं: वहीँ रहना ....मैं आ रहा हूँ|

मैंने गाडी भगाई और घर से गुडगाँव का एक घंटे का रास्ता 39 मिनट में पूरा किया| जैसे ही मैं गाडी पार्क कर रहा था की तभी मुझे दूसरी साइट से फोन आया| फोन लेबर का था, उसने बताया की आपके चन्दर भैया ने defective fitting लगवाई थीं और अब मालिक गुस्से में आग-बबूला हो रखा है| पिताजी गाजियाबाद गए हुए थे और यहाँ सिर्फ मैं ही संभालने वाला था| अब इस फोन ने तो आग में घी का काम किया| अभी उसका फोन रखा ही था की उसी मालिक का फोन आगया|

सतीश जी: मानु...ये क्या ड्रामा है? तुमने किस आदमी को ठेका दिया है? साले ने साड़ी की साड़ी फिटिंग बकवास लगवाई है... कमोड लीक कर रह है...वाश बसिनस (washbasins) सारे गंदे मंगवाए हैं....कोई फिनिश नहीं...सब बकवास काम| हमने Faucets के लिए कहा था और तुम्हारे आदमी ने प्लास्टिक के नल लगा दिए! इसीलिए काम दिया था तुम्हें?

मैं: सर..सर..please listen to me ....

सतीश जी: क्या सुनूँ? आगे से कोई भी काम तुम लोगों को नहीं दूँगा| और पूरी कोशिश करूँगा की कोई काम न मिले तुम लोगों को!!!

मैं: सर देखिये...आपका गुस्सा जायज है...but please let me talk to the guy and don't worry I'll get it replaced at no extra cost! Please Sir gimme a chance!

सतीश जी: ठीक है..कल तक साड़ी चीजें रेप्लस हो जानी चाहिए वरना....

मैं: Sir I won't give you another chance!

सतीश जी: You Better Be!



अब मैंने फोन काटा और समय था गुस्से को बाहर निकालने का|

मैं पाँव पटकते हुए पहुँचा और उन्हें इशारे से अलग बुलाया| अंदर एक कमरा था जिसमें सामान पड़ा हुआ था पर कोई लेबर नहीं थी .....उनसे मुझे शराब की बू आ रही थी|

मैं: शराब पी है?

चन्दर भैया: नहीं तो...

मैं: कसम खाई थी न तुमने ...वो भी अपनी माँ की...की तुम शराब को हाथ तक नहीं लगाओगे?

चन्दर भैया: वो मेरी माँ है... मैं चाहे कसम तोडूं या जो भी करूँ...तुझे उससे क्या?

मैंने चन्दर भैया को धक्का दिया और दिवार से लगा के खड़ा किया और उसकी कमीज के कालर पकड़ लिए;

मैं: वो मेरी भी बड़की अम्मा हैं...और क्यों परेशान करते हो अपनी पत्नी को?

चन्दर भैया: ओह! तो ये बात है! तो उसने भेजा है तुम्हें? और तुम्हें उससे क्या?

मैं: उन्होंने कुछ नहीं कहा...पर उनके बिना कहे ही मैं समझ गया की कौन सी आग लगी है तुझ में| वो मेरी दोस्त है..और अगर कोई भी उसे परेशान करे तो मैं ये भूल जाऊँगा की मेरे सामने कौन खड़ा है| I don't give a danm about who you are?

चन्दर भैया: अबे ओ ...दूर रह मेरे परिवार से!

उन्होंने अपना कालर छुड़ाया और मुझे धक्का देना चाहा पर मैंने उसे फिर से धक्का दिया और दिवार से उसका सर जा टकराया| मैंने एक घूसा उनके पेट मारा और सीधे हाथ से उन्हें लताड़ा फिर उन्हें दुबारा दिवार से टिका के खड़ा किया| अपनी कोहनी उनके गले पे रखी और कहा;

मैं: सुन...एक बार बोलूँगा.....दुबारा तूने उन्हें हाथ भी लगाया ना तो तेरी हड्डियां तोड़ दूँगा ...समझ गया?

उस समय चन्दर भैया नशे में धूत थे.... और मेरे एक धक्के से उनकी फट गई| अब चूँकि मैं शरीर में उनसे बलिष्ठ था तो वो मुझे कुछ डरे हुए से लगे| फिर अचानक कुछ बुदबुदाये;

चन्दर भैया: साल...न घर में बीवी छूने देती है...और यहाँ ये ...अपने शरीर का डर दिखा के मुझे डराता है| कुत्ते...कुत्ते जैसी हालत हो गई है|

मैं: तू इसी के लायक है! ना तू उनकी बहन पे बुरी नजर डालता और न आज तेरी ये हालत होती!

चन्दर भैया: तुझे...तुझे सब पता है?

मैं: हाँ... और ये भी पता है की तूने सतीश जी के यहाँ जो plumbing के काम में गबन किया है उसके बारे में भी|

चन्दर भैया: क...क...क्या...क्या किया मैंने?

मैं: सारा माल घटिया लगाया तूने...और वो फोन कर के मेरी मार रहा था| बताऊँ पिताजी को?

चन्दर भैया: मैंने कुछ ....कुछ नहीं किया....वो तो... (उनकी आवाज में घबराहट थी|)

मैं: Shut Up!!!

चन्दर भैया: (गिड़गिड़ाते हुए) नहीं भैया...प्लीज चाचा को कुछ मत कहना ....प्लीज... मैं हाथ जोड़ता हूँ| आप जो कहोगे वो करूँगा...कभी उसे हाथ नहीं लगाउँगा...वैसे भी वो कौन सा मुझे छूने देती है| कल कोशिश की तो साली ने मुझे धकेल दिया|

मैंने एक बार फिर उनका गाला पकड़ा और उन्हें दिवार से दे मारा;

मैं: (मैंने गुस्से में उन्हें तीन-चार थप्पड़ जड़ दिए) ओये ...तमीज से बात कर उनसे! समझा.... वरना मुँह तोड़ दूँगा तेरा!

चन्दर भैया: ओह सॉरी...सॉरी भैया...माफ़ कर दो....प्लीज मुझे जाने दो...मैं आगे से उसे कभी नहीं छूँगा.... कोई तकलीफ नहीं दूँगा...प्लीज...प्लीज ...प्लीज !

मैंने उसका गाला छोड़ा और वहाँ से निकल के सतीश जी के यहाँ पहुँचा| वहाँ पहुँच के मैंने सारी तसवीरें खींचीं...इस आदमी ने सारा काम उल्टा कराया था| प्लास्टिक की पाइप की जगह लोहे की पाइप्स लगवाईं वो भी जंग लगी हुई| कमोड ...wash basins ....Faucets .... सब कुछ थर्ड क्वालिटी! अगर पिताजी देखते तो पक्का चन्दर को सुना देते... उसने तो सामान के Bill में भी घपला किया था| जहाँ से उसने सामान मंगवाया था वो whole seller था और हमारी अच्छी जान-पहचान थी| जब मैंने उसे फोन किया तो उसने इस घपले के बारे में बताया| मेरे कान खड़े हो गए, ये सुन के की उसने दस हजार का घपला किया था और जान-बुझ के ये सामान आर्डर किया था| जब दुकानदार ने उससे कहा की ऐसा सामान क्यों मंगवा रहे हो तो वो बोला की एक बार लग जाए तो घंटा कोई कुछ उखाड़ लेगा मेरा| मैंने उसकी साड़ी बातें रिकॉर्ड कर लीन और उससे नए सामान का आर्डर दिया और पुराने समानक बिल भी मँगवा लिया| मैं पिताजी को ये सब नहीं बताना चाहता था पर मैं जानता था की कभी न कभी ये बात खुलेगी जर्रूर| उस दिन मैं घर नहीं लौटा...लेबर से ओवरटाइम करा के सारा काम सुबह तक खत्म करा दिया| दोपहर बारह बजे सतीश जी आये और काम देख के खुश हुए| उन्होंने कल के व्यवहार के लिए अपनी तरफ से क्षमा मांगी....मैंने बात संभाल ली और उन्हें खुश कर दिया| अगले दिन दोपहर को घर आया तो पिताजी घर से निकलने वाले थे| जब उन्होंने कहा की मई कहाँ था तो मैंने कह दिया की सतीश जी का काम करवा रहा था| तब उन्होंने चन्दर भैया को डाँट लगवाई क्योंकि उन्होंने एक दिन पहले कहा था की काम लघभग खत्म हो गया है| पर जब मैंने एक पूरा दिन उसमें बर्बाद किया तो उन्हें गुस्सा आ गया| वो तो शुक्र था की मैंने उन्हें घपले वाली बात बताई नहीं वरना आज तो काण्ड हो जाता| पिताजी ने आज मुझे आराम करने को कहा और चन्दर भैया को अपने साथ ले के चले गए| मैं नहाया और फिर अपने कमरे में प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने लगा| ये मेरी आदत थी की काम खत्म होने के बाद उसकी रिपोर्ट जर्रूर बनाता था| अब इसमें मैं घपले का जिक्र तो कर नहीं सकता था पर फिर भी मैंने उसकी एक अलग रिपोर्ट बनाई! इतने में भौजी खाना ले आईं;

भौजी: कल आप घर आये नहीं?

मैं: हाँ काम ज्यादा था...

भौजी: जानती हूँ...क्या काम था....तो सबक सीखा दिया आपने उन्हें?

मैं: बता दिया सब उसने?

भौजी: हाँ...कल रात को कह रहे थे की मैंने आप से शिकायत की ...और आपने उनकी पिटाई भी की!

मैं: He deserved that ! आपका ख़याल आगया इसलिए ज्यादा नहीं पीटा वरना कल धुलाई पक्की थी उसकी| साले ने अम्मा की जूठी कसम खाई और आपको छूने की कोशिश की| सजा तो मिलनी ही थी|

भौजी: पर आपने ऐसा क्यों किया? अगर उन्होंने पिताजी से शिकायत कर दी तो?

मैं: नहीं करेगा..और कर भी तो I don't give a fuck !!!

भौजी: ये क्या हो गया है आपको? क्यों ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हो?

मैं: मेरा दिमाग खराब हो गया है... उस साले की हिम्मत कैसे हुई आपको हाथ लगाने की?

भौजी: देखिये अभी शांत हो जाइए और खाना खाइये|

मैं: आपने खाया?

भौजी: नहीं...

मैं: तो बैठो यहाँ और मेरे साथ खाओ|

हम खाना खाने लगे| भौजी मुझे अपने हाथों से खिला रहीं थीं और मैं उन्हें खिला रहा था|

भौजी: आप गुस्से में अच्छे नहीं लगते|

मैं: और आप भी ....

भौजी: हम्म्म्म ...

मैं: आपने कभी बताया नहीं की भैया फिर से शराब पीने लगे हैं?

भौजी: वो.... गाँव में कभी-कभी रात को पी लिया करते थे..... पर किसी को पता नहीं था की...वो पीते हैं|

मैं: आप कब से उनकी गलतियों पे पर्दा डालने लगे?

भौजी: मुझे डर था की आप उनके साथ यही करोगे जो आपने आज किया|

मैं: उन्होंने अपनी माँ की कसम तोड़ी है...मैं क्या अगर पिताजी को पता चल गया की उन्होंने उनकी भाभी की कसम तोड़ी है तो...वो उन्हीने मारने से बिलकुल नहीं हिचकेंगे|

हम पलंग पे बैठे खाना खा रहे थे| पलंग पे फाइल्स और कागज़, bills वगैरह फैले हुए थे... इतने में उनकी नजर मेरी रिपोर्ट पर पढ़ी| उन्होंने उसे उठाया और पढ़ा;

भौजी: ये...ये क्या है?

मैं: चन्दर भैया की करनी!

भौजी: क्या? (वो हैरान थीं)

मैं: हाँ...उन्होंने दस हजार का घपला किया| मुझे पता नहीं चलता पर कल उस मालिक का फोन आया और उसने मुझे खरी-खोटी सुनाई ... साइट पे पहुँच के मैंने छन-बीन की तो ये सच सामने आया| इसीलिए कल सारा दिन उनका काम फाइनल कराया और घर नहीं आ पाया!

भौजी: मैंने कुछ दिन पहले उनके पास नोटों की गड्डी देखी थी...मुझे लगा की शायद पिताजी ने उन्हें दिए होंगे...पर ....ये .... OMG !!! आपने पिताजी को बताया?

मैं: नहीं....

भौजी: पर क्यों?

मैं: क्योंकि पिताजी ये सब बर्दाश्त नहीं करेंगे! काम के प्रति वो बहुत ही संवेदनशील हैं| वो बैमानि बर्दाश्त नहीं करते| अगर मैने ये गलती की हो तो वो मुझे घर से निकाल देते| और अगर उन्हें पता लग गया तो वो भैया को और आपको वापस भेज देंगे! और ये मैं नहीं चाहता! मैं आपको दुबारा खो नहीं सकता!

भौजी: तो ये नुक्सान कौन भरेगा?

मैं: मैं..और कौन.... वैसे भी खुदगर्ज़ी की कुछ तो सजा मिलनी ही चाहिए!

भौजी: नहीं...आप नहीं भरेंगे...मेरे पास कुछ....

मैं: Shut Up! खबरदार जो मेरे सामने दुबारा ऐसी बात कही तो|

हमारा खाना हो गया और वो बर्तन ले के चली गईं| मैं रिपोर्ट बनाने में लग गया और वो भी बिस्तर के दूसरी तरफ बैठ के कुछ सिलने लगीं|

भौजी: अब सो जाइए....

मैं: आप की गोद में सर रखने की इज्जाजत है?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया और मुस्कुराने लगीं| मैंने उनकी गोद में सर रखा और उन्होंने मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया| इतने में बच्चे आ गए और मेरे साथ लिपट के सो गए| भौजी की उँगलियाँ बालों में अपना जादू चला रहीं थीं| और अभी मेरी आँख बंद ही होने वाली थी की भौजी ने झुक के मेरे होठों को अपने मुंह में भर लिया और उन्हें चूसने लगीं| मैंने अपने दोनों हाथ ऊके सर पे पीछे से रखे और अपने ऊपर और झुका लिया और उनके होठों को चूसने लगा| मन तो नहीं था सोने का पर रात की थकावट के कारन नींद आने लगी और मैं सो गया| शाम को छः बजे उठा तो भौजी चाय लेके आ गईं|

मैं: यार ...(अंगड़ाई लेते हुए) क्या नींद आई....

भौजी: अच्छा जी?

मैं: हाँ यार.... आपकी Kiss में जादू है|

भौजी: हाय! जानू...आपने बड़ी प्यारी-प्यारी बातें करते हो|

मैं: सब आप की सौबत का असर है|

रात को खाना खाने के बाद भौजी कमरे में आईं;

भौजी: आप प्लीज रात को साइट पे मत रुका करो ...बच्चे आप के बिना सोते नहीं हैं|कल बड़ी मुश्किल से मैंने उन्हें सुलाया था|

आयुष: पापा...आपके बिना नीनी नहीं आती!

मैं: Awwwww ....बेटा वादा तो नहीं कर सकता ...पर कोशिश पूरी करूँगा|

भौजी: आपकी कोशिश ही मेरे लिए काफी है|

बस इतनी बात हुई, और भौजी अपने घर चली गईं और बच्चे मेरे पास सो गए| अगले दिन उठा तो एक और सियाप्पा खड़ा हो गया| मैं सो के लेट उठा था...सर दर्द से फ़ट रहा था ...और जैसे ही नजर भौजी पे पड़ी तो उनके चेहरे के भावों को मैं ठीक से पढ़ नहीं पाया...समझ नहीं आया की वो खुश हैं की दुखी?

मैं: क्या हुआ जान?

भौजी: आपके भैया आज सुबह ही गाँव चले गए?

मैं: फ़ट गई साले की?

भौजी: क्या मतलब?

मैं: उसे लगा की मं पिताजी को उसके घपले के बारे में बता दूँगा| इसलिए फ़ट गई उसकी! आपने पिताजी को कुछ बताया?

भौजी: माँ को बताया था...उन्होंने पिताजी को बता दिया| आठ बजे से पिताजी फोन मिला रहा हैं और वो उठाते नहीं|

मैं: और कितने बजे घर से निकला वो?

भौजी: सुबह पाँच बजे!

मैं: चलो देखें हुआ क्या है?

मैं बाहर आया तो भैया अब भी पिताजी का फोन नहीं उठा रहे थे| आखिर हार के पिताजी ने गाँव में बड़के दादा को फोन कर दिया की चन्दर गाँव आ रहा है...अकेला! वो हैरान तो हुए पर अभी किसी को पूरी बात पता नहीं थी|

पिताजी: आखिर कल इस लड़के को हुआ क्या> ये क्यों चला गया इस तरह? बहु तुझे कुछ कहा नहीं?

मैंने भौजी का हाथ पकड़ के दबा दिया और उन्हें कुछ भी कहने से रोक दिया|

इतने में सतीश जी का फोन आ गया|

पिताजी: प्रणाम मालिक!

सतीश जी: प्रणाम भाईसाहब! दरअसल मैं आज आपसे मिलना चाहता था|

पिताजी: बोलो मालिक कब आऊँ?

सतीश जी: बारह बजे आजाईये और हाँ मानु को साथ ले आना|

पिताजी: क्यों उसका कोई ख़ास काम है आपको?

सतीश जी: देखो भाईसाहब आपको उसने तो सब बता ही दिया होगा| आज जो काम मैं आपको बताने वाला हूँ वो सिर्फ मानु ही करायेगा...नहीं तो मैं किसी और को बुला के करवा लूँगा|

पिताजी: अरे नहीं मालिक... वो ही देख लेगा सारा काम| मैं बारह बजे मिलता हूँ आपसे|

पिताजी ने फोन काटा|

माँ और भौजी नाश्ता बनाने में लगे थे|

पिताजी: हाँ तो अब तू बता?

मैं: क्या?

पिताजी: सतीश जी कह रहे थे की कल कुछ हुआ है!

मैं; कुछ भी तो नहीं!

पिताजी: देख जूठ मत बोल! बता क्या हुआ है?

मैं: सच में कुछ नहीं...बस वो काम थोड़ा ज्यादा खिंच गया था बस!

इतने में भौजी मेरे कमरे से मेरी रिपोर्ट वाली फाइल ले आईं और पिताजी के सामने रख दी|

भौजी: पिताजी...ये कारन है ...उनके जाने का और शायद सतीश जी भी यही कह रहे होंगे|

पिताजी ने फाइल खोली और सारे बिल देखे| उन्होंने अपना सर पीट लिया;

पिताजी: हे भगवान! ये लड़का हमारे साथ ही धोका-धडी कर रहा था| और मैं इसे अपना आध बिज़नेस सौंपना चाहता था! सच में किसी का विश्वास नहीं कर सकते|

भौजी: और एक बात है पिताजी|

पिताजी: बोलो बहु|

भौजी: ये शराब भी पीते हैं!

पिताजी: क्या? पर...इसने तो अपनी माँ की कसम खाई थी.....

मैं: कल जब मैं इनसे मिलने साइट पे पहुँचा तब ये नशे में धुत्त थे! उसी समय मुझे सतीश जी का फोन भी आया और वो आग-बबूला हो रखे थे| ऊपर से ये इन्हें (भौजी) को मारते-पीटते भी थे...और गुस्से में मैंने इनपे हाथ उठा दिया| जब मैंने इस घपले की बात की तो ये डर गए और मेरे आगे हाथ जोड़ने लगे की मैं आपको ना बताऊँ|

पिताजी: और तू उसके गुनाहों पे पर्दा डाल रहा था.....वो तो बहु ने साडी बात बताई.... हमारी बरसों की इज्जत ये मिटटी में मिलाने पे तुला है|

पिताजी ने फोरना बड़के दादा को फोन मिलाया और उन्हें साड़ी बात बता दी| ये भी कह दिया की चन्दर भैया के लिए अब इस घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं| उधर बड़के दादा भी चन्दर भैया को गालियाँ निकाल रहे थे| उनके लाख बार पूछने पर भी पिताजी ने ये नहीं बताय की उन्होंने कितने पैसों का गबन किया है| बड़के दादा ने इतना जर्रूर कहा की वो आएगा तो यहाँ से जिन्दा नहीं जायेगा और साथ ही पिताजी को मिलने के लिए बुलाया|


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