पेलो मुझे मेरे राजा भैया
मै राज, उमर २३ साल का एक जवान कम्प्युटर प्रोफेशनल हू. मेरे पिताजी गौरीशन्कर का देहान्त आज से ३ साल पहले हो गया था. घर मे मा शोभा और बहन नेहा रहते थे. मा की उमर ४६ साल की है. मा बहुत गोरी, सुन्दर और मासल जिस्म वाली औरत है. उसकी शादी बहुत कम उमर मे हुई थी जबकि पिताजी उमर मे उससे काफी बडे थे.
एक बार मेरे कुछ दोस्त घरपर आए थे, उन्होने मा-पिताजी को देखा तो दन्ग रह गए. मा ने उन्हे हमेशा की तरह चाय-नास्ता परोसा था और पिताजी वहीपे हमारे साथ बैठकर गपशप कर रहे थे. लेकिन मेरे दोस्तोका ध्यान ना तो पकोडोमे था और ना ही पिताजीकी बातोपे. वो बस टकटकी लगाए मेरी मा को देख रहे थे, यहा तक कि उनमेसे एक दोस्त तो सारी चाय अपने कपडेपर गिरा दी. हम सब हस पडे और फिर पिताजीने उसे अन्दर जाकर शर्ट बदलनेके लिए कहा. कुछ देर बाद हम मेरे घरसे निकल पडे और दूसरे दोस्त के घर गए.
मेरी साइकल लगाने मे थोडी देर लगी तो मै कुछ समय बाद घर मे दाखिल हुआ. घर मे प्रवेश करते हुए मैने मेरे दोस्तोकी बाते सुनी और थोडा रुक गया.
एक दोस्त: अरे पूछ मत, गजब की माल है........
दूसरा: पकोडे परोसते हुए उसकी पल्लु खिसका था, क्या मम्मे है, मेरा तो देखतेही खडा हुआ....और फिर मेरी चाय गिर गई.
पहला: हा तू तो है ही बेवकूफ........
दूसरा: अबे नही, वो तो बहाना था, मै तो अन्दर घुसना चाहता था, शर्ट बदलते हुए मैने बहुत गौर से देखा राज की मा को, अन्दर तो एकदम खुलके दिख रही थी.
मै यह बाते सुनकर स्तब्ध हो गया, तो ये कमीने मेरी मा के बारेमे ही बाते कर रहे थे.
उस दिन तो मैने किसी तरहसे समय बिता लिया लेकिन मुझे अहसास हुआ कि मा एक बेहद खूबसूरत और सेक्सी औरत है जिसपर सिर्फ मै ही नही बल्कि बहुत लोगोकी बुरी नजर है.
एक बार इन्ही दोस्तोके घर मै दोपहर मे बैठा था तो एक और दोस्त वहा पे आया. ये दोस्त बहुत चालू टाईप का था, हमेशा लडकियोकी और औरतोकी बात करता था. उसका नाम था मदन.
मदन: अरे ये देखो मै क्या लाया हू.
हमने देखा, उसने एक ब्लू-फिल्म की सीडी लाई थी, फिर क्या, हम लोग वहीपे सीडी लगाके बैठ गए. पिक्चर बहुत हॉट थी, एक लडका किसी रिश्तेदारके घर चला जाता है, जहापे कई औरते होती है और सारी उससे उम्रमे बडी होती है. वो शैतान लडका बारी बारीसे हर एक के साथ यौन सबन्ध बना लेता है. इन सब घटनाओका चित्रण बहुत दिलचप तरीकेसे किया था और फिल्म की औरतेभी बहुत सेक्सी थी. हम सब यह फिल्म देखकर बहुत उत्तेजित हुए.
फिल्म खतम होनेके बाद मै निकल पडा, मदन भी मेरे साथ था, बाते करते करते हम जा रहे थे तो मदन ने पूछा
मदन: राज तुझे फिल्म कैसी लगी
मै: हा बहुत सेक्सी थी यार...
मदन: मुझे भी..........असल मे मुझे ऐसीही फिल्मे पसन्द है
मै: ऐसी मतलब, वोही ना सेक्सी वाली...
मदन: नही रे, ऐसी मतलब............रिश्तोमे चुदाई वाली.
मदन की बात सुनकर मै हैरान हो गया, कुछ ना बोलते मै साईकल चला जा रहा था, तो मदन ने एक कोने मे मुझे रोक दिया और बोला
मदन: देख राज तू बुरा मत मान, मैने जो मनमे आया सो बोल दिया, तू मेरा जिगरी यार है इसलिए, तू बुरा मान गया तो बोल दे......
मै: नही ऐसी बात नही.........
मदन: सच कहू दोस्त.......तू नाराज तो नही होगा.
मै: नही, ऐसी क्या बात है........
मदन: मै सचमे तुम्हारे घर आता हू तो हमेशा तेरी मा को देखता हू.......वो....वो...मुझे वो बहुत अच्छी लगती है.
मै यह बात सुनकर चुप हो गया, मदन की इस नीयत का मुझे शक था लेकिन आज वो यकीन मे बदल गया.
मै: मदन, तू इतना साफ साफ बोल रहा है तो सुन, तेरी बहन रीना भी आज कल बहुत सुन्दर दिखने लगी है.
ये बात सही भी थी, रीना वाकई दिखनेमे बहुत सुन्दर थी, उसके वक्ष भी बडे दिखने लगे थे आजकल....
मदन: हा यार वो तो है, मै कई बार उसे और मेरी मा को घूरते रहता हू, खास करके जब वो झुककर काम करते है तो मै हमेशा उन दोनोके इर्द गिर्द रहता हू ताकि उनके चुचियोकी झलक दिखे.......
यह मदन तो और भी चालू निकला. इसके आगे मै कुछ बोलू इसके पहले उसीने कहा
मदन: हा लेकिन राज, तेरी मा मेरी मा से ज्यादा सेक्सी है...........
और फिर हम वहीपे खडे खडे अपनेही रिश्तेदारोके बारेमे गन्दी बाते करते रहे.
उस दिन मदन ने मुझे एक नई सोच दी, उसके बाद मै भी अपनी मा और बहन के अन्गोको गौरसे देखता निहारता और मूठ मारते वक्*त उनका जिस्म नजरके सामने लाता.
मा अब भी जवान लगती है, बडी बडी चुचिया और भरा पूरा चुतड......वो हमेशा साडी पहनती थी और ब्लाउझ मे से उसकी चुची की झलक देख कर कई बार मेरा लन्ड खडा हो जाता था.
एक बार मै दोपहर को जल्दी घर आया, दरवाजेपे ताला लगा था, शायद सब लोग कही गए होगे यह सोचकर अपनी चाबी से दरवाजा खोलकर अन्दर आ के बैठा था, कुछ समय बाद घर की बेल बजी, मैने दरवाजा खोला तो देखता ही रह गया, दरवाजेपे मा खडी थी, हाथमे कुछ थैलिया, पसीनेसे लथपथ......उसने गुलाबी कलरकी साडी पहनी थी और एक झीना सा ब्लाउझ.....क्या गजब की सेक्सी दिख रही थी, मै तो उसे घूरता रह गया.
मा चिल्लाकर बोली: खडे खडे मुह क्या देख रहा है, चल ये सामान ले जा और मुझे एक गिलास ठन्डा पानी ले आ.......
मै ने फौरन उसे पानी ला कर दिया और सामान किचन मे जाकर रखने लगा. काम खतम करने पर मै बाहर के कमरे मे आया तो मा वहा पे नही थी, शायद अपने कमरेमे गई होगी यह सोचकर मै मा-पिताजीके बेडरूम पे गया और मैने दरवाज ढकेल दिया और मुझे एक और शॉक लगा. अन्दर मा कपदे बदल रही थी, उसके बदन पे एक छोटीसी ब्रा और पेटिकोट था. अचानक दरवाजा खुलनेपे मा भी कुछ देर आश्चर्यसे देखने लगी और मै उसके सुन्दर गठीले बदन को निहारता रह गया. कुछ पल बाद मा को होष आया और वो चिल्लाई
मा: क्या कर रहे हो, दिखता नही मै चेन्ज कर रही हू.......
मैने डरकर दरवाजा बन्द कर लिया और वहासे चलता पडा. लेकिन उस दिन के बाद मै कई बार मा के बदन को याद करते मूठ मारता था.
मेरे पिताजी की तबियत अचानक एक दिन बिगड गई, उन्हे दिल का दौरा पडा था और फिर कुछ दिन बाद वो उसी बीमारी का शिकार बन गए और हमे छोड कर चल दिए. अब घर मे हम तीन लोग रह गए. मैने एक जॉब करना शुरु किया था, नेहा अब भी पढ रही थी, मै जॉबके साथ पढाई करता था. कुछ महिने तो उदासी मे चले गए. कुछ दिन बाद फिर मेरे दोस्त घर पे आए और मुझे लेकर बाहर घूमने चले गए. मै थोडा नॉर्मल होने लगा. ऐसेमे एक दिन दोस्तोके घर फिरसे ब्लू-फिल्म लगाकर बैठे थे. फिर एक बार एक नौजवान और एक अधेड उम्र की औरत की कहानी थी, मै बेचैन हो गया और वहासे चल पडा. लेकिन मेरे मन मे फिर एक बार मा के प्रति बुरे खयाल आने शुरु हो गए. शायद मा भी मर्द की कमी मेह्सूस होती होगी लेकिन लाज शरमसे शायद वो कुछ नही कहती. रात को मैने अक्सर उसके कमरेसे कामुक सिसकारिया सुनता था, उस वक्*त शायद वो अपनी चुत मे उन्गली कर के अपनी प्यास शान्त करती थी.
मेरी बहन नेहा भी जवान हो चुकी थी और उसके रिश्ते की बात चल रही थी. नेहा की उमर उस वक्*त कोई २० साल की होगी. नेहा भी बहुत सुन्दर और सेक्सी थी बिलकुल मेरी मा क जवानी का रूप थी, गोरी, हसमुख, स्लिम और बहुत ही कसा हुआ बदन थी. एक दिन मैने उसे नहाते हुए देखा था, क्या ज़ालिम हुस्न था मेरी बहन का! गोरे बदन पर जब वो साबुन मल कर नहा रही थी तो मेरा लन्ड काबू मे नही रहा. उसके हाथ कभी उसकी मस्त चुची पर और कभी उसकी मस्त गोरी गोल गान्ड पर चलते और मेरे दिल की धडकन तेज़ होती रही. मै यह सब नजारा बाथरूम के दरवाज़े के छेद से देख रहा था और अपनी पॅन्ट की झिप खोल कर लन्ड की मुठिया रहा था. मेरा हाल बुरा हो रहा था, कुछ ही पलोमे मै झड गया लेकिन मेरी बहन नेहा के नन्गे जिस्म की तस्वीर मेरी आन्खो से ओझल ना हो पायी.
पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories
Re: पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories
नेहा का बर्ताव भी दिन प्रति दिन अजीब होता जा रहा था, उसके लिये जो भी रिश्ते आती उनमेसे कुछ ना कुछ खोट निकाल लेती थी. मा भी परेशान थी कि कैसे इसकी शादी होगी या फिर जिन्दगी भर कुवारी बैठी रहेगी अपने घर मे.....
इसी दौरान मुझे पूना मे जॉब मिल गया, अच्छा खासा था कम्पनी शहरसे थोडी दूर थी लेकिन आने जाने के लिए कम्पनी की बस थी. मै वहा जाकर काम मे व्यस्त हो गया, इतना कि मुझे मा-नेहा का खयाल कम रहता. वो लोग मुझे बीच बीच मे फोन करते रहते लेकिन बहुत ज्यादा बाते नही हुआ करती थी. बस एक चीज की प्रॉब्लेम थी. मैने जो मकान किराये पे लिया था वो मकान का मालिक सिर्फ शादीशुदा लोगोको मकान देता था, अकेले मर्द को नही. मैने उसको झूठ बोला था कि मै शादीशुदा हू और मेरी बीवी आनेवाली है. उसका भतिजा- अनिल- मेरा दोस्त बन गया. उसका एक स्टुडिओ था जो कैसे तो भी चल रहा था. मै उसे मदद करता था, कभी कुछ पैसे दिया करता था.
मा अक्सर नेहा को लेकर परेशान रहती थी और पूछती कि पूना मे कोई लडका देखने मे है कि नही. एक दिन उसने कहा कि मै नेहा को ही पूना भेज देती हू. यह सुनकर मै अन्दरसे खुश हुआ, मुझे उसकी नन्गी तसवीर याद आने लगी और मैने हामी भर दी.
मेरे घर मे चार कमरे है. एक को मै अपनी नेहा के लिये तैयार किया. कमरा सजाया, और उसमे वेब-कॅम फ़िट किया जो की उसके कमरे की सारी फ़िल्म बना कर रिकार्ड करे. उस कॅमेरा का कनेक्शन मैने मेरे लॅपटॉप से जोड दिया. मुझे पता तो चले की मेरी बहना कितनी उतावली हो जाएगी बिना किसी मर्द के लन्ड के? अपने रूम मे मै वीसीआर और कुछ ब्लू फ़िल्म्स रख डाली और कुछ मस्तराम की किताबे अलमारी मे रखी. मै अपनी बहन को पटा कर चोदने की ताक मे था.
अगले दिन शनिवार को नेहा को मै स्टेशन से लेने गया. नेहा ने जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी और उसके बाल छोटे कटे हुये थे. उसके सीने का उभार देख कर मेरे दिल की धडकन तेज़ हो गयी. नेहा बिलकुल किसी हिरॉईन जैसी दिख रही थी. उसकी चुची किसी पहाडी की चोटी की माफ़िक कडी थी. लोग उसे घूर रहे थे जिसका मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. जब नेहा ने मुझे देखा तो दौड कर मेरी बाहो मे आ गयी. आलिन्गन मे लेते ही मुझे उसके जिस्म की मादक सुगन्ध मह्सूस हुई और उसकी चुची मेरे सीने के अन्दर घुसने को व्याकुल थी.
" कैसी हो, नेहा? कब से तेरी राह देख रहा था. वाह, मेरी बहना तू तो और भी सुन्दर हो गयी हो ! बहुत प्यारी लग रही हो मेरी बहना!" मैने कहा तो नेहा बोल उठी,
" सच भैय्या? मै तो सोच रही थी की तुम मेरी राह कम देख रहे थे और कुछ और अधिक देख रहे थे. भैय्या लडकिया मर्दो की नज़र पहचान लेती है. वैसे तूम भी बहुत स्मार्ट दिख रहे हो! लगता है शहर का असर है"
मुझे लगा की नेहा ने मुझे उसकी चुची को घूरते हुये देख लिया था. मै शरम के मारे चुप रहा. रास्ते मे बाईक पर जब मै ब्रेक मरता तो नेहा का सीना मेरी पीठ से जा टकराता और मेरी पॅन्ट मे तम्बू बन जाता. मुझे मह्सूस हो रह था की नेहा शरारती ढन्ग से मुस्कुरा रही थी.
"मुझे अच्ही तरह से पकड कर रखो, कही गिर ना जन!" मैने कहा तो नेहा ने मुझे कमर से कस के पकड लिया और उसका हाथ मेरे लन्ड से कोई अधीक दूर नही था. उसकी सान्स मेरी गर्दन से टकरा रही थी. उत्तेजना की हालत मे हम घर पहुन्च गये.
" भैय्या रसोई कहा है? मै कुछ खाना बन देती हून’ घर जा कर नेहा ने कहा. रसोई तो मै खोली भी नही थी."
"रसोई तो बन्द है, मेरी बहना, खाना तो बाज़ार से लाता हू. मै खाना बनाना नही जनता, येह तो तुम जानती ही हो" मैने कहा तो नेहा मुझ से लिपट कर बोली,
’ भैय्या, बिना औरत के घर घर नही होता. अब मै आ गयी हू तो आपके मकान को घर मे बदल दून्गी. आप जा कर सब्जी वगैरा ले आये फ़िर देखना मेरा कमाल"
मै अपनी बहन को अलिन्गन मे ले कर खडा रह और प्यार से उसकी गान्ड पर हाथ फ़ेरने लगा और वो भी मेरे लन्ड पर अपनी चूत को रगडने लगी. मुझे पता ही नही चला जब मेरे होठ नेहा के होठो से जा टकराये तो वो अलग होती हुई बोली,
"भैय्या, बस करो अब. अपनी बहन को प्यार दिखाने का बहुत वक्त है, आप बाज़ार जाइये और सामान ले आइये"
खडे लन्ड को ज़बरदस्ती बिठाते हुए मै बाज़ार चला गय. सामान खरीदा और वपिस आने ही वाला था की फोन बजा. फोन नेहा का था," भैय्या मेरे लिया एक ओडोमोस लेते आना, यहा मच्छर बहुत है" मै केमिस्ट की दुकन पर चला गया. वहा मुझे एक बोतल ऐसी दवा की भी मिली की जिसको पीने से औरत पर वो असर होता है जो मर्द पर वायाग्रा का होता है. घर आया तो नेहा मेरे कमरे मे बैठी मस्तराम की किताब पढ रही थी. मेरा अन्दाज़ा ठीक निकला. ऐसी किताब पढने से मेरी बहन के बदन मे वासना ज़रुर भडके गी. मुझे देख कर उसने किताब छुपा ली. मै उसको सामान दे कर बोला,
" अब मै बाहर एक दोस्त के यहा जा रहा हू. शाम को खाना खायेन्गे, तुम दरवाजा बन्द रखना"
मेरे दोस्त का एक फोटो स्टुडिओ था, मै वहा अक्सर जाया करता था और हम एक दूसरे से ऐसेही इधर उधर की बाते करते थे. मै वहा गया तो दोस्त किसी काम के सिलसिले मे बाहर गया था, लेकिन उसके असिस्टन्ट मुझे जानते थे, उन्होने मुझे उसके ऑफिस मे बिठाया. मैने बैठे बैठे वहा अपना लॅपटॉप खोला और बहन के कमरे मे लगे वेब कॅम को देखने लगा. वेब कॅम ठीक काम कर रहा था. नेहा अपने कपडे बदल रही थी. मुझे उसकी तस्वीर के साथ आवाज़ भी सुनायी दे रही थी. नेहा ने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसकी चुची चमक उठी. वो मस्तराम की किताब ले कर अपने बिस्तर मे बैठी हुइ थी और एक हाथ से अपनी चुची मसल रही थी.
" वाह भैय्या, किताब तो बहुत मस्त रखी हुइ है घर मे! मेरे प्यारे भैय्या, स्टेशन पर तो बहुत घूर रहे थे अपनी बहन की चुची को.......... क्या बात है अपनी बहन को पत्नि बनाने का प्लान तो नही है? मेरे प्यारे भाई, मै जानती हू तुम मुझे नहाते वक्त देखा करते थे..........लो मै आ गयी तुम्हारे पास, अब और मत तडपाओ.........अब कितनी देर लगाओगे मुझे अपनाने मे? तुम्हारी प्यारी बहना की चूत तुम्हारे लिये बेकाबु हो राही है भैय्या आपके लन्ड को याद कर के.........अब आ भी जाओ ना....."
मै हैरान रह गया. मै तो मै, मेरी बहन खुद मेरी पत्नि बन जाना चाहती थी! मैने पॅन्ट की ज़िप खोली और घर फोन लगाया. नेहा ने उठाया तो मैने पूछा
"नेहा, मेरी बहन क्या कर रही हो?" मेरा हाथ मेरे लन्ड को सहला रहा था. वेब कॅम मे अब मेरी बहना अपनी चूत को मसल रही थी.
"कुछ नही भैय्या कुछ ज़रूरी कम कर रही थी. क्या बात है भैय्या?"
मैने कहा,"कुछ नही, बस तेरी याद आ रही थी"
इस पर नेहा ने अपनी चुची मसलते हुए जवाब दिया"हा भैया....मुझे भी......." उसकी ये अदा देखकर मै तो बस झडते झडते रह गया. लन्ड को पॅन्ट के अन्दर डालकर खुद पर काबू रखकर बोला
"बस थोडा सब्र करना, मै जल्दी ही आ जाऊन्गा"
तभी मेरा दोस्त अनिल - जो उस स्टुडिओ का मालिक था- आ गया. वो मुझसे कुछ पैसे उधार ले चुका था जो वापिस करना चाहता था. मेरे दिमाग मे आयडिया आयी, जिससे मेरे मकान मालिक का भी शक दूर हो सकता था. मैने उसे कहा
"अभी मै कही और जा रहा हू, तू पैसे मेरे घर पे भिजवा देना, और हा साथ मे अपनी भाभी को भी देख लेना"
अनिल खुश हुआ और बोला "साले, छुपे रुस्तम, भाभी को ले आया और बताया तक नाही, घर पे अब खाने का प्रोग्राम हो जाये"
मैने हस के कहा" अरे आज ही तो आयी है, उसे थोडा सेटल होने मे वक्त लगेगा, फिर जरूर पार्टी करेन्गे" यू कह कर मै वहासे चला गया.
शाम को अनिल पैसे देने आया तो मैने नेहा को दरवाजा खोलने को बोल,
" भाभी जी नमस्ते, ये पैसे राज भाई को देने थे."
नेहा ने उसे बैठने के लिये कहा और चाय-पानी पूछा. मै भी अन्दरसे बाहरके कमरे मे आया. अनिल ने मजाक मे कहा
"क्यू भाभी, ये शैतान आपको कहा छुपा कर रखता है? इतनी सुन्दर बिवी है, राज तुमने कभी भनक भी नही होने दी"
अनिल की इन बातोसे नेहा शरमाकर मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई. मै और अनिल कुछ देर यूही बाते करते रहे और फिर वो चला गया.
ये प्लान मैने जान बूझ कर किया था, मै जानना चाहता था कि नेहा इस का क्या जवाब देती है. जैसे ही अनिल चला गया, नेहा हसते हुये मेरे पास आयी,
"भैय्या आपका दोस्त तो मुझे भाभी कह कर बुला रहा था." मैने थोडा हिचकिचाने का नाटक किया.
"अब क्या बताउ नेहा तुझे, यहा मकान सिर्फ शादीशुदा लोगो को देते है, और मुझे घर के सख्त जरूरत थी, तुम तो जानती हो कि मै यहा बिलकुल अकेला आया था. तो घर मिलाने के लिये मैने मकान मालिक को झूठ बोला कि मेरी शादी हो चुकी है और बीवी आनेवाली है. ये अनिल उस मकान मालिक का भान्जा है, उसने तुम्हे देखा तो उसे लगा कि मेरी बीवी आयी है.
नेहा हसते हुए बोली,
" लेकिन मै कहा बुरा मान रही हू, क्या मै जानती नही तुमने घर के लिये कितनी मेहनत की है" और उसने मेरे गालोपे चूम लिया. मेरी चेहरा लाल हो गया, लेकिन अपने आप को सम्भालते हुए मैने कहा
"मुझे खुशी है तुमने बुरा नही मन उसकी बात का. चलो अब खाना खाते है, भूख लगी है" और हम दोनो भाई बहन किचन मे गये. मैने कुर्ता और लुन्गी पहनी थी और नेहाने एक टी-शर्ट और एक स्कर्ट जो उसके घुटनो तक आ रही थी. मै बार बार उसकी चुचियो और टान्गोकी तरफ ललचाई नजरोसे देख रहा था.
नेहा ने खाना बडा स्वादिष्ट बनाया था. खाना खा के हम बाहर वाले कमरे मे आकर बैठ गए. मैने नेहासे कहा," वाह भाई ऐसा खाना कितनी देर के बाद नसीब हुआ है. नेहा, सचमुच, तुम जिसकी पत्नि बनोगी, बडा खुशनसीब होगा. बाहर का खाना खा कर तो मै तन्ग आ चुका था."
इसी दौरान मुझे पूना मे जॉब मिल गया, अच्छा खासा था कम्पनी शहरसे थोडी दूर थी लेकिन आने जाने के लिए कम्पनी की बस थी. मै वहा जाकर काम मे व्यस्त हो गया, इतना कि मुझे मा-नेहा का खयाल कम रहता. वो लोग मुझे बीच बीच मे फोन करते रहते लेकिन बहुत ज्यादा बाते नही हुआ करती थी. बस एक चीज की प्रॉब्लेम थी. मैने जो मकान किराये पे लिया था वो मकान का मालिक सिर्फ शादीशुदा लोगोको मकान देता था, अकेले मर्द को नही. मैने उसको झूठ बोला था कि मै शादीशुदा हू और मेरी बीवी आनेवाली है. उसका भतिजा- अनिल- मेरा दोस्त बन गया. उसका एक स्टुडिओ था जो कैसे तो भी चल रहा था. मै उसे मदद करता था, कभी कुछ पैसे दिया करता था.
मा अक्सर नेहा को लेकर परेशान रहती थी और पूछती कि पूना मे कोई लडका देखने मे है कि नही. एक दिन उसने कहा कि मै नेहा को ही पूना भेज देती हू. यह सुनकर मै अन्दरसे खुश हुआ, मुझे उसकी नन्गी तसवीर याद आने लगी और मैने हामी भर दी.
मेरे घर मे चार कमरे है. एक को मै अपनी नेहा के लिये तैयार किया. कमरा सजाया, और उसमे वेब-कॅम फ़िट किया जो की उसके कमरे की सारी फ़िल्म बना कर रिकार्ड करे. उस कॅमेरा का कनेक्शन मैने मेरे लॅपटॉप से जोड दिया. मुझे पता तो चले की मेरी बहना कितनी उतावली हो जाएगी बिना किसी मर्द के लन्ड के? अपने रूम मे मै वीसीआर और कुछ ब्लू फ़िल्म्स रख डाली और कुछ मस्तराम की किताबे अलमारी मे रखी. मै अपनी बहन को पटा कर चोदने की ताक मे था.
अगले दिन शनिवार को नेहा को मै स्टेशन से लेने गया. नेहा ने जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी और उसके बाल छोटे कटे हुये थे. उसके सीने का उभार देख कर मेरे दिल की धडकन तेज़ हो गयी. नेहा बिलकुल किसी हिरॉईन जैसी दिख रही थी. उसकी चुची किसी पहाडी की चोटी की माफ़िक कडी थी. लोग उसे घूर रहे थे जिसका मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. जब नेहा ने मुझे देखा तो दौड कर मेरी बाहो मे आ गयी. आलिन्गन मे लेते ही मुझे उसके जिस्म की मादक सुगन्ध मह्सूस हुई और उसकी चुची मेरे सीने के अन्दर घुसने को व्याकुल थी.
" कैसी हो, नेहा? कब से तेरी राह देख रहा था. वाह, मेरी बहना तू तो और भी सुन्दर हो गयी हो ! बहुत प्यारी लग रही हो मेरी बहना!" मैने कहा तो नेहा बोल उठी,
" सच भैय्या? मै तो सोच रही थी की तुम मेरी राह कम देख रहे थे और कुछ और अधिक देख रहे थे. भैय्या लडकिया मर्दो की नज़र पहचान लेती है. वैसे तूम भी बहुत स्मार्ट दिख रहे हो! लगता है शहर का असर है"
मुझे लगा की नेहा ने मुझे उसकी चुची को घूरते हुये देख लिया था. मै शरम के मारे चुप रहा. रास्ते मे बाईक पर जब मै ब्रेक मरता तो नेहा का सीना मेरी पीठ से जा टकराता और मेरी पॅन्ट मे तम्बू बन जाता. मुझे मह्सूस हो रह था की नेहा शरारती ढन्ग से मुस्कुरा रही थी.
"मुझे अच्ही तरह से पकड कर रखो, कही गिर ना जन!" मैने कहा तो नेहा ने मुझे कमर से कस के पकड लिया और उसका हाथ मेरे लन्ड से कोई अधीक दूर नही था. उसकी सान्स मेरी गर्दन से टकरा रही थी. उत्तेजना की हालत मे हम घर पहुन्च गये.
" भैय्या रसोई कहा है? मै कुछ खाना बन देती हून’ घर जा कर नेहा ने कहा. रसोई तो मै खोली भी नही थी."
"रसोई तो बन्द है, मेरी बहना, खाना तो बाज़ार से लाता हू. मै खाना बनाना नही जनता, येह तो तुम जानती ही हो" मैने कहा तो नेहा मुझ से लिपट कर बोली,
’ भैय्या, बिना औरत के घर घर नही होता. अब मै आ गयी हू तो आपके मकान को घर मे बदल दून्गी. आप जा कर सब्जी वगैरा ले आये फ़िर देखना मेरा कमाल"
मै अपनी बहन को अलिन्गन मे ले कर खडा रह और प्यार से उसकी गान्ड पर हाथ फ़ेरने लगा और वो भी मेरे लन्ड पर अपनी चूत को रगडने लगी. मुझे पता ही नही चला जब मेरे होठ नेहा के होठो से जा टकराये तो वो अलग होती हुई बोली,
"भैय्या, बस करो अब. अपनी बहन को प्यार दिखाने का बहुत वक्त है, आप बाज़ार जाइये और सामान ले आइये"
खडे लन्ड को ज़बरदस्ती बिठाते हुए मै बाज़ार चला गय. सामान खरीदा और वपिस आने ही वाला था की फोन बजा. फोन नेहा का था," भैय्या मेरे लिया एक ओडोमोस लेते आना, यहा मच्छर बहुत है" मै केमिस्ट की दुकन पर चला गया. वहा मुझे एक बोतल ऐसी दवा की भी मिली की जिसको पीने से औरत पर वो असर होता है जो मर्द पर वायाग्रा का होता है. घर आया तो नेहा मेरे कमरे मे बैठी मस्तराम की किताब पढ रही थी. मेरा अन्दाज़ा ठीक निकला. ऐसी किताब पढने से मेरी बहन के बदन मे वासना ज़रुर भडके गी. मुझे देख कर उसने किताब छुपा ली. मै उसको सामान दे कर बोला,
" अब मै बाहर एक दोस्त के यहा जा रहा हू. शाम को खाना खायेन्गे, तुम दरवाजा बन्द रखना"
मेरे दोस्त का एक फोटो स्टुडिओ था, मै वहा अक्सर जाया करता था और हम एक दूसरे से ऐसेही इधर उधर की बाते करते थे. मै वहा गया तो दोस्त किसी काम के सिलसिले मे बाहर गया था, लेकिन उसके असिस्टन्ट मुझे जानते थे, उन्होने मुझे उसके ऑफिस मे बिठाया. मैने बैठे बैठे वहा अपना लॅपटॉप खोला और बहन के कमरे मे लगे वेब कॅम को देखने लगा. वेब कॅम ठीक काम कर रहा था. नेहा अपने कपडे बदल रही थी. मुझे उसकी तस्वीर के साथ आवाज़ भी सुनायी दे रही थी. नेहा ने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसकी चुची चमक उठी. वो मस्तराम की किताब ले कर अपने बिस्तर मे बैठी हुइ थी और एक हाथ से अपनी चुची मसल रही थी.
" वाह भैय्या, किताब तो बहुत मस्त रखी हुइ है घर मे! मेरे प्यारे भैय्या, स्टेशन पर तो बहुत घूर रहे थे अपनी बहन की चुची को.......... क्या बात है अपनी बहन को पत्नि बनाने का प्लान तो नही है? मेरे प्यारे भाई, मै जानती हू तुम मुझे नहाते वक्त देखा करते थे..........लो मै आ गयी तुम्हारे पास, अब और मत तडपाओ.........अब कितनी देर लगाओगे मुझे अपनाने मे? तुम्हारी प्यारी बहना की चूत तुम्हारे लिये बेकाबु हो राही है भैय्या आपके लन्ड को याद कर के.........अब आ भी जाओ ना....."
मै हैरान रह गया. मै तो मै, मेरी बहन खुद मेरी पत्नि बन जाना चाहती थी! मैने पॅन्ट की ज़िप खोली और घर फोन लगाया. नेहा ने उठाया तो मैने पूछा
"नेहा, मेरी बहन क्या कर रही हो?" मेरा हाथ मेरे लन्ड को सहला रहा था. वेब कॅम मे अब मेरी बहना अपनी चूत को मसल रही थी.
"कुछ नही भैय्या कुछ ज़रूरी कम कर रही थी. क्या बात है भैय्या?"
मैने कहा,"कुछ नही, बस तेरी याद आ रही थी"
इस पर नेहा ने अपनी चुची मसलते हुए जवाब दिया"हा भैया....मुझे भी......." उसकी ये अदा देखकर मै तो बस झडते झडते रह गया. लन्ड को पॅन्ट के अन्दर डालकर खुद पर काबू रखकर बोला
"बस थोडा सब्र करना, मै जल्दी ही आ जाऊन्गा"
तभी मेरा दोस्त अनिल - जो उस स्टुडिओ का मालिक था- आ गया. वो मुझसे कुछ पैसे उधार ले चुका था जो वापिस करना चाहता था. मेरे दिमाग मे आयडिया आयी, जिससे मेरे मकान मालिक का भी शक दूर हो सकता था. मैने उसे कहा
"अभी मै कही और जा रहा हू, तू पैसे मेरे घर पे भिजवा देना, और हा साथ मे अपनी भाभी को भी देख लेना"
अनिल खुश हुआ और बोला "साले, छुपे रुस्तम, भाभी को ले आया और बताया तक नाही, घर पे अब खाने का प्रोग्राम हो जाये"
मैने हस के कहा" अरे आज ही तो आयी है, उसे थोडा सेटल होने मे वक्त लगेगा, फिर जरूर पार्टी करेन्गे" यू कह कर मै वहासे चला गया.
शाम को अनिल पैसे देने आया तो मैने नेहा को दरवाजा खोलने को बोल,
" भाभी जी नमस्ते, ये पैसे राज भाई को देने थे."
नेहा ने उसे बैठने के लिये कहा और चाय-पानी पूछा. मै भी अन्दरसे बाहरके कमरे मे आया. अनिल ने मजाक मे कहा
"क्यू भाभी, ये शैतान आपको कहा छुपा कर रखता है? इतनी सुन्दर बिवी है, राज तुमने कभी भनक भी नही होने दी"
अनिल की इन बातोसे नेहा शरमाकर मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई. मै और अनिल कुछ देर यूही बाते करते रहे और फिर वो चला गया.
ये प्लान मैने जान बूझ कर किया था, मै जानना चाहता था कि नेहा इस का क्या जवाब देती है. जैसे ही अनिल चला गया, नेहा हसते हुये मेरे पास आयी,
"भैय्या आपका दोस्त तो मुझे भाभी कह कर बुला रहा था." मैने थोडा हिचकिचाने का नाटक किया.
"अब क्या बताउ नेहा तुझे, यहा मकान सिर्फ शादीशुदा लोगो को देते है, और मुझे घर के सख्त जरूरत थी, तुम तो जानती हो कि मै यहा बिलकुल अकेला आया था. तो घर मिलाने के लिये मैने मकान मालिक को झूठ बोला कि मेरी शादी हो चुकी है और बीवी आनेवाली है. ये अनिल उस मकान मालिक का भान्जा है, उसने तुम्हे देखा तो उसे लगा कि मेरी बीवी आयी है.
नेहा हसते हुए बोली,
" लेकिन मै कहा बुरा मान रही हू, क्या मै जानती नही तुमने घर के लिये कितनी मेहनत की है" और उसने मेरे गालोपे चूम लिया. मेरी चेहरा लाल हो गया, लेकिन अपने आप को सम्भालते हुए मैने कहा
"मुझे खुशी है तुमने बुरा नही मन उसकी बात का. चलो अब खाना खाते है, भूख लगी है" और हम दोनो भाई बहन किचन मे गये. मैने कुर्ता और लुन्गी पहनी थी और नेहाने एक टी-शर्ट और एक स्कर्ट जो उसके घुटनो तक आ रही थी. मै बार बार उसकी चुचियो और टान्गोकी तरफ ललचाई नजरोसे देख रहा था.
नेहा ने खाना बडा स्वादिष्ट बनाया था. खाना खा के हम बाहर वाले कमरे मे आकर बैठ गए. मैने नेहासे कहा," वाह भाई ऐसा खाना कितनी देर के बाद नसीब हुआ है. नेहा, सचमुच, तुम जिसकी पत्नि बनोगी, बडा खुशनसीब होगा. बाहर का खाना खा कर तो मै तन्ग आ चुका था."
Re: पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories
नेहा प्यार से मेरी गोद मे बैठ कर बोली," भैया अगर तुम चाहो तो ऐसा खाना तुम्हे सारी उमर मिल सकता है, बस मुझे अपने पास रख लो, कभी अलग न करो" मै उसे अपनी बाहो मे भर के कहा,
"मै भी तो यही चाहता हू, मेरी रानी बहना, लेकिन कभी तो तुम्हे अपने पति के घर जाना पडेगा, तुम मेरी पत्नी बनके नही रह सकती"
"क्यू नही भैया, दुनिया मे इतनी सारी बाते होती रहती है, अगर हम दोनो पति-पत्नि जैसे रहे तो क्या फर्क पडता है" नेहा बोली. उसके ये बोल सुन कर मेरे रोन्गटे खडे हो गये, मेरी बहन तो मुझसे दो कदम आगे निकली. मै बोला
"क्या बोल रही हो, उसके लिये तुझे मेरी पत्नि बनना होगा. ये दुनिया उसको कभी स्वीकार नही करेगी, दुनिया की छोडो, मा क्या कहेगी? मै भी तुम्हे बहुत चाहता हू, तुझे प्यार करता हू, तुम्हारे जैसी प्यारी बहन को किसी और के सन्ग भेजने की कल्पनासे मुझे जलन होने लगती हौ, लेकिन क्या करे मेरी रानी........"
नेहा मेरी प्यार भरी बात सुन कर भावुक हो उठी और मेरे होठ चूमने लगी," सच भैय्या? इतना प्यार करते हो मुझे ?"
मैने भी उसके चुम्बन को साथ देते हुए कहा "सच मेरी प्यारी बहना, कई दिनोसे मेरे मन मे यह इच्छा थी लेकिन कैसे कहू समझ मे नही आ रहा था, आज तुमने मेरे मन की बात कहकर सारा मामला खोल दिया"
नेहा मुस्कुराकर बोले" तो भैया, बनाओगे मुझे अपनी दुल्हन? मेरी किस्मत खुल जायेगी, तुम्हारे जैसे प्यार करनेवाला कहा मिलेगा.....!"
मै अभीभी थोडा उलझन मे था
"अरी पगली ऐसा भी होता है, सिर्फ कहनेसे क्या होगा, हमे तो यहा रहना है, समाज मे कैसे रहेन्गे"
लेकिन नेहा के पास हर चीज का जवाब था.
"उसमे कौनसी बडी बात है भैया, हम तो अपने गाव से कई मील दूर आ चुके है, यहा हमारा कोई रिश्तेदार नही, बल्कि यहा तो लोग हमे पति-पत्नि मानने लगे है, तो अच्छा है, उसी को आगे बढाते है"
"लेकिन, नेहा...." मै बोलने लगा तो मेरे होठोपे अपने होठ रखकर नेहाने मेरा मुह बन्द किया और मुझसे लिपट गई.
"मुझे अपना लो भैया, मेरे पति बन जाओ, मेरे स्वामी, मेरे मालिक. मैने आज तक कई रिश्ते देखे और कई लडकोको ना कहा इसी लिए कि मै अपने भैया की बन जाऊ, मै आपसे बहुत प्यार करती हू भैया, आय लव्ह यू........"
मै बस इन्ही शब्दोको सुनने के लिए व्याकुल था, नेहा के मुख से सुन लिया तो मानो धन्य हो गया और उसे कसके बाहोमे भर लिया. नेहा भी उसी आग मे जल रही थी, उसने मेरे आलिन्गन का साथ देना शुरु किया.
"भैया मुझे प्यार करो! मुझे आज बहन का नही पत्नि का प्यार दो, मेरे प्यारे भैया! कब से अपने भैया की प्यार भरी नज़र को तरस रही हू, राज भैया वर्ना अभी तक शादी न कर लेती. कई लडके तो मुझ से शादी करने को तरस रहे है, लेकिन मै अपनी जवानी अपने राज भैया के लिये सम्भाल कर रखी हू, इसे स्वीकार कर लो मेरे राजा.......!"
अब मुझे अपने आप पर काबू रखना सम्भव नही था, मै वहासे उठ के खडा हुआ और नेहा को अपनी बाहो मे उठा लिया, उसने अपनी बाहे मेरे गले मे डाल दी और मुझे चूमने लगी. मै उसे उठाकर बेडरूम मे ले गया और उसे बिस्तर पर पटक दिया. उस वक्त नेहा ने सफ़ेद स्कर्ट और सफ़ेद कुर्ती पहनी हुई थी, उसके बाल खुले छोडे थे और होठोपे एक अजीबसे मुस्कान थी, कसमसे वो एक अप्सरा दिख रही थी.
"आओ ना भैया अब और मत तडपाओ" नेहा ने ये कहते हुए अपना निचला होठ दातोतले दबाया. मेरा लन्ड अब तम्बू बनकर लोहे की रॉड जैसा बना था. मै उसपर झपट पडा और उसके मुख पर झुक कर उसको चूमने लगा. उसकी बाहे मेरे गले पर थी और वो मुझे चूम रही थी जैसे एक पत्नि अपने पति को प्यारसे चूमती है. ये हम दोनोका शायद पहला अनुभव था, शुरु मे तो हम सिर्फ एक दूसरे के होठ चबानेकी कोशिश किए जा रहे थे, लेकिन फिर हम बडे प्यारसे होठ चूसने लगे, मैने नेहा के होठ ही नही बल्कि पूरा चेहरा चूम लिया. प्यार के जोश मे आकर नेहा के मुह से मादक आवाजे निकल रही थी जो मुझे और भडका रही थी. इसी बीच मैने फिरसे उसका चुम्मा लिया और अचानक मेरी जीभ उसके मुह मे चली गई. नेहा और उत्तेजित हो गई और मुझे कसके पकड लिया और उसकी जीभ अब मेरी जीभ से पेन्चा लडाने लगी. हम दोनो भाई बहन बडे प्यार से इस तरह मुख-रस का आदान-प्रदान करते रहे.
मै नेहा के पूरे बदन को सहला रहा था, मेरा एक हाथ अपनी बहन की जान्घो के बीच चला गया और उसने अपनी जान्घे खोल दी. नेहा की चिकनी जान्घे बिलकुल रेशम जैसी थी. मै देखा की नेहा ने पॅन्टी नही पहनी थी इसका मतलब वो तो पूरी तैयारी से आयी थी. उसकी चूत किसी फूल की तरह मुलायम थी. मेरी प्यारी बहन ने शायद मेरे लिये चूत साफ़ की थी. उसकी चूत पर बाल का नामोनिशान नही था. मेरे हाथ के स्पर्श से मेरी बहन का जिस्म काम्प उठा और वो मुझ से और जोरसे चिपक गयी.
नेहा का मखमली जिस्म मेरी बाहो मे मचल रहा था. मुझे मालुम ही न था की मेरी सेक्सी बहन मुझ पर पहलेसे फ़िदा है और मुझ से ही चुदवाने के सपने देखती आ रही है. इन विचारोने मुझमे और उत्तेजना भर दी और मै उसकी जान्घे और चूत सहला रहा था. पावरोटी की तरह फुली हुई चूत को जब मेरे हाथो ने स्पर्श किया तो मेरी बहन की आह्ह्ह निकल गयी,
"भैया...........आआआ, धीरे धीरे करो, प्लीझ.......मै कुवारी हू, अपनी ये चीज मैने तुम्हारे लिए सम्भाल के रखी है........."
मेरे बदन मे खून मानो दौडने लगा, सच नेहा मुझे इतना चाहती थी. मैने बिलकुल धीरे से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया, उन्गलियोसे उसकी चूत की पन्खुडियोको छेडता और कभे उन्हे मुठ्*ठी मे लेकर हलकेसे दबाता. मेरी इन क्रियाओसे नेहा और जोश मे आती गई.
"भैया.............मेरी .....मुझमे आग लगा दी है तुमने.......मेरे प्यारे भैया....मुझे प्यार करो भैया...आज अपनी नेहा को अपनी पत्नि बना कर प्यार करो भैया...आआह्ह्ह्ह मेरे प्यारे राज भैया!!"
मैने शरारती ढन्ग मे पूछा
"कहा आग लगी है बताओ ना मेरी जान, मेरी प्यारी बहना" और उसे फिर बेतहाशा चूमने लगा.
"चलो हटो ना........आप भी ना........जाओ मै नही बताती............" नेहा शरमाई.
"अरी पगली बताओ ना........प्लीज......" यू कहके मैने एक उन्गली हलकेसे उसकी चूत मे घुसेड दी. नेहा के मुह से एक और मादक सिसकारी निकली
"स्स्स्स्स.........आआआह........भैया........जाओ..........तुम भी ना........मेरी उसमे......उम्म्म्म्म्म्म...." नेहा अब भी बोल नही पा रही थी. लेकिन मैने थोडी जिद की.
"उसमे मतलब.........बताओ ना डार्लिन्ग..............."
"इस्स्स............भैया............मेरे राजा.........मेरी................मेरी......मेरी चूत मे आग लगी है और उसमे आपका ये हथियार डाल दो अब................" नेहा ने मेरे कान मे फुसफुसाते हुए ये कहा और एक हाथ नीचे ले जाकर मेरा लन्ड सहलाने लगी. मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा जब नेहा अपना हाथ निचे ले जा कर मेरे लन्ड को पकड कर सहलाने लगी. मेरा लन्ड लोहे की तरह सख्त हो चुका थ और मेरी बहन के हाथ मे तो जैसे कोई जादु था. मेरा रोम रोम खिल उठा जब मेरी नेहा ने मेरे लन्ड को मुठी मे लिया. जोश मे आ कर मै अपनी उन्गली अपनी प्यारी नेहा के चूत मे घुसेड दी. चूत पानी पानी हो रही थी. मेरी प्यारी बहना उतेजित थी और शायद लन्ड अपनी चूत मे घुसवाने को बेकरार थी. उसने अपने चूतड उपर उठा कर मेरी उन्गली पूरी तरह चूत मे लेने का प्रयास किया,
" भैया, अपनी बहन को चोदोगे नही? क्या उन्गली से ही तडपाते रहोगे? मेरे हाथ मे जो प्यारा लन्ड है उसको नही पेलोगे अपनी बहना की चूत मे? भैया आपका लन्ड अब मेरी सम्पति है जिसको अब आपकी बहन अपनी चूत मे छुपा कर रखेगी! भैया अब देर मत करो, अपनी नेहा को चोद डालो, राज भैया, प्लीऽऽऽऽझ.......
नेहा की इन सेक्सी बातो से मै भी उत्तेजित होते हुए उसकी कुर्ती उतार फ़ेकी. अन्दर एक सफेद कलर की ब्रा थी जिससे नेहा की चुचिया आजाद होने का प्रयास कर रही थी, मैने उसे भी शरीर से अलग कर दिया. वाह क्या नज़ारा था! नेहा का दुधिया जिस्म कमरे मे चमक उठा. उसकी दूध जैसी सफेद चुची कितनी सेक्सी लग रही थी! और उसके उपर गुलाबी कलर के निपल, जो सख्त होकर खडे थे........मै मस्ती से भर गया. मै अपने होठ अपनी बहन के निपले पर रख दिया और चूसने लगा. नेहा के निपल मेरे होठोका स्पर्श पा कर और कडे हो गए और मै उनको चूसने लगा. नीचे मेरी बहन के हाथ मेरे लन्ड से खेल रहे थे और मेरी उन्गली उसकी चूत मे अन्दर बाहर हो रही थी,
"चुसो भैया, चुसो मेरी चुची...ऊऊह्ह मेरे प्यारे भैया, चुस लो मेरे निपल.........आआह्ह्ह्ह्ह........बहुत प्यारे हो मेरे भैया आआआआआ!"
"मै भी तो यही चाहता हू, मेरी रानी बहना, लेकिन कभी तो तुम्हे अपने पति के घर जाना पडेगा, तुम मेरी पत्नी बनके नही रह सकती"
"क्यू नही भैया, दुनिया मे इतनी सारी बाते होती रहती है, अगर हम दोनो पति-पत्नि जैसे रहे तो क्या फर्क पडता है" नेहा बोली. उसके ये बोल सुन कर मेरे रोन्गटे खडे हो गये, मेरी बहन तो मुझसे दो कदम आगे निकली. मै बोला
"क्या बोल रही हो, उसके लिये तुझे मेरी पत्नि बनना होगा. ये दुनिया उसको कभी स्वीकार नही करेगी, दुनिया की छोडो, मा क्या कहेगी? मै भी तुम्हे बहुत चाहता हू, तुझे प्यार करता हू, तुम्हारे जैसी प्यारी बहन को किसी और के सन्ग भेजने की कल्पनासे मुझे जलन होने लगती हौ, लेकिन क्या करे मेरी रानी........"
नेहा मेरी प्यार भरी बात सुन कर भावुक हो उठी और मेरे होठ चूमने लगी," सच भैय्या? इतना प्यार करते हो मुझे ?"
मैने भी उसके चुम्बन को साथ देते हुए कहा "सच मेरी प्यारी बहना, कई दिनोसे मेरे मन मे यह इच्छा थी लेकिन कैसे कहू समझ मे नही आ रहा था, आज तुमने मेरे मन की बात कहकर सारा मामला खोल दिया"
नेहा मुस्कुराकर बोले" तो भैया, बनाओगे मुझे अपनी दुल्हन? मेरी किस्मत खुल जायेगी, तुम्हारे जैसे प्यार करनेवाला कहा मिलेगा.....!"
मै अभीभी थोडा उलझन मे था
"अरी पगली ऐसा भी होता है, सिर्फ कहनेसे क्या होगा, हमे तो यहा रहना है, समाज मे कैसे रहेन्गे"
लेकिन नेहा के पास हर चीज का जवाब था.
"उसमे कौनसी बडी बात है भैया, हम तो अपने गाव से कई मील दूर आ चुके है, यहा हमारा कोई रिश्तेदार नही, बल्कि यहा तो लोग हमे पति-पत्नि मानने लगे है, तो अच्छा है, उसी को आगे बढाते है"
"लेकिन, नेहा...." मै बोलने लगा तो मेरे होठोपे अपने होठ रखकर नेहाने मेरा मुह बन्द किया और मुझसे लिपट गई.
"मुझे अपना लो भैया, मेरे पति बन जाओ, मेरे स्वामी, मेरे मालिक. मैने आज तक कई रिश्ते देखे और कई लडकोको ना कहा इसी लिए कि मै अपने भैया की बन जाऊ, मै आपसे बहुत प्यार करती हू भैया, आय लव्ह यू........"
मै बस इन्ही शब्दोको सुनने के लिए व्याकुल था, नेहा के मुख से सुन लिया तो मानो धन्य हो गया और उसे कसके बाहोमे भर लिया. नेहा भी उसी आग मे जल रही थी, उसने मेरे आलिन्गन का साथ देना शुरु किया.
"भैया मुझे प्यार करो! मुझे आज बहन का नही पत्नि का प्यार दो, मेरे प्यारे भैया! कब से अपने भैया की प्यार भरी नज़र को तरस रही हू, राज भैया वर्ना अभी तक शादी न कर लेती. कई लडके तो मुझ से शादी करने को तरस रहे है, लेकिन मै अपनी जवानी अपने राज भैया के लिये सम्भाल कर रखी हू, इसे स्वीकार कर लो मेरे राजा.......!"
अब मुझे अपने आप पर काबू रखना सम्भव नही था, मै वहासे उठ के खडा हुआ और नेहा को अपनी बाहो मे उठा लिया, उसने अपनी बाहे मेरे गले मे डाल दी और मुझे चूमने लगी. मै उसे उठाकर बेडरूम मे ले गया और उसे बिस्तर पर पटक दिया. उस वक्त नेहा ने सफ़ेद स्कर्ट और सफ़ेद कुर्ती पहनी हुई थी, उसके बाल खुले छोडे थे और होठोपे एक अजीबसे मुस्कान थी, कसमसे वो एक अप्सरा दिख रही थी.
"आओ ना भैया अब और मत तडपाओ" नेहा ने ये कहते हुए अपना निचला होठ दातोतले दबाया. मेरा लन्ड अब तम्बू बनकर लोहे की रॉड जैसा बना था. मै उसपर झपट पडा और उसके मुख पर झुक कर उसको चूमने लगा. उसकी बाहे मेरे गले पर थी और वो मुझे चूम रही थी जैसे एक पत्नि अपने पति को प्यारसे चूमती है. ये हम दोनोका शायद पहला अनुभव था, शुरु मे तो हम सिर्फ एक दूसरे के होठ चबानेकी कोशिश किए जा रहे थे, लेकिन फिर हम बडे प्यारसे होठ चूसने लगे, मैने नेहा के होठ ही नही बल्कि पूरा चेहरा चूम लिया. प्यार के जोश मे आकर नेहा के मुह से मादक आवाजे निकल रही थी जो मुझे और भडका रही थी. इसी बीच मैने फिरसे उसका चुम्मा लिया और अचानक मेरी जीभ उसके मुह मे चली गई. नेहा और उत्तेजित हो गई और मुझे कसके पकड लिया और उसकी जीभ अब मेरी जीभ से पेन्चा लडाने लगी. हम दोनो भाई बहन बडे प्यार से इस तरह मुख-रस का आदान-प्रदान करते रहे.
मै नेहा के पूरे बदन को सहला रहा था, मेरा एक हाथ अपनी बहन की जान्घो के बीच चला गया और उसने अपनी जान्घे खोल दी. नेहा की चिकनी जान्घे बिलकुल रेशम जैसी थी. मै देखा की नेहा ने पॅन्टी नही पहनी थी इसका मतलब वो तो पूरी तैयारी से आयी थी. उसकी चूत किसी फूल की तरह मुलायम थी. मेरी प्यारी बहन ने शायद मेरे लिये चूत साफ़ की थी. उसकी चूत पर बाल का नामोनिशान नही था. मेरे हाथ के स्पर्श से मेरी बहन का जिस्म काम्प उठा और वो मुझ से और जोरसे चिपक गयी.
नेहा का मखमली जिस्म मेरी बाहो मे मचल रहा था. मुझे मालुम ही न था की मेरी सेक्सी बहन मुझ पर पहलेसे फ़िदा है और मुझ से ही चुदवाने के सपने देखती आ रही है. इन विचारोने मुझमे और उत्तेजना भर दी और मै उसकी जान्घे और चूत सहला रहा था. पावरोटी की तरह फुली हुई चूत को जब मेरे हाथो ने स्पर्श किया तो मेरी बहन की आह्ह्ह निकल गयी,
"भैया...........आआआ, धीरे धीरे करो, प्लीझ.......मै कुवारी हू, अपनी ये चीज मैने तुम्हारे लिए सम्भाल के रखी है........."
मेरे बदन मे खून मानो दौडने लगा, सच नेहा मुझे इतना चाहती थी. मैने बिलकुल धीरे से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया, उन्गलियोसे उसकी चूत की पन्खुडियोको छेडता और कभे उन्हे मुठ्*ठी मे लेकर हलकेसे दबाता. मेरी इन क्रियाओसे नेहा और जोश मे आती गई.
"भैया.............मेरी .....मुझमे आग लगा दी है तुमने.......मेरे प्यारे भैया....मुझे प्यार करो भैया...आज अपनी नेहा को अपनी पत्नि बना कर प्यार करो भैया...आआह्ह्ह्ह मेरे प्यारे राज भैया!!"
मैने शरारती ढन्ग मे पूछा
"कहा आग लगी है बताओ ना मेरी जान, मेरी प्यारी बहना" और उसे फिर बेतहाशा चूमने लगा.
"चलो हटो ना........आप भी ना........जाओ मै नही बताती............" नेहा शरमाई.
"अरी पगली बताओ ना........प्लीज......" यू कहके मैने एक उन्गली हलकेसे उसकी चूत मे घुसेड दी. नेहा के मुह से एक और मादक सिसकारी निकली
"स्स्स्स्स.........आआआह........भैया........जाओ..........तुम भी ना........मेरी उसमे......उम्म्म्म्म्म्म...." नेहा अब भी बोल नही पा रही थी. लेकिन मैने थोडी जिद की.
"उसमे मतलब.........बताओ ना डार्लिन्ग..............."
"इस्स्स............भैया............मेरे राजा.........मेरी................मेरी......मेरी चूत मे आग लगी है और उसमे आपका ये हथियार डाल दो अब................" नेहा ने मेरे कान मे फुसफुसाते हुए ये कहा और एक हाथ नीचे ले जाकर मेरा लन्ड सहलाने लगी. मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा जब नेहा अपना हाथ निचे ले जा कर मेरे लन्ड को पकड कर सहलाने लगी. मेरा लन्ड लोहे की तरह सख्त हो चुका थ और मेरी बहन के हाथ मे तो जैसे कोई जादु था. मेरा रोम रोम खिल उठा जब मेरी नेहा ने मेरे लन्ड को मुठी मे लिया. जोश मे आ कर मै अपनी उन्गली अपनी प्यारी नेहा के चूत मे घुसेड दी. चूत पानी पानी हो रही थी. मेरी प्यारी बहना उतेजित थी और शायद लन्ड अपनी चूत मे घुसवाने को बेकरार थी. उसने अपने चूतड उपर उठा कर मेरी उन्गली पूरी तरह चूत मे लेने का प्रयास किया,
" भैया, अपनी बहन को चोदोगे नही? क्या उन्गली से ही तडपाते रहोगे? मेरे हाथ मे जो प्यारा लन्ड है उसको नही पेलोगे अपनी बहना की चूत मे? भैया आपका लन्ड अब मेरी सम्पति है जिसको अब आपकी बहन अपनी चूत मे छुपा कर रखेगी! भैया अब देर मत करो, अपनी नेहा को चोद डालो, राज भैया, प्लीऽऽऽऽझ.......
नेहा की इन सेक्सी बातो से मै भी उत्तेजित होते हुए उसकी कुर्ती उतार फ़ेकी. अन्दर एक सफेद कलर की ब्रा थी जिससे नेहा की चुचिया आजाद होने का प्रयास कर रही थी, मैने उसे भी शरीर से अलग कर दिया. वाह क्या नज़ारा था! नेहा का दुधिया जिस्म कमरे मे चमक उठा. उसकी दूध जैसी सफेद चुची कितनी सेक्सी लग रही थी! और उसके उपर गुलाबी कलर के निपल, जो सख्त होकर खडे थे........मै मस्ती से भर गया. मै अपने होठ अपनी बहन के निपले पर रख दिया और चूसने लगा. नेहा के निपल मेरे होठोका स्पर्श पा कर और कडे हो गए और मै उनको चूसने लगा. नीचे मेरी बहन के हाथ मेरे लन्ड से खेल रहे थे और मेरी उन्गली उसकी चूत मे अन्दर बाहर हो रही थी,
"चुसो भैया, चुसो मेरी चुची...ऊऊह्ह मेरे प्यारे भैया, चुस लो मेरे निपल.........आआह्ह्ह्ह्ह........बहुत प्यारे हो मेरे भैया आआआआआ!"