आरती की वासना compleet

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rajaarkey
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Re: आरती की वासना

Unread post by rajaarkey » 22 Oct 2014 05:32



मंगल के मुँह से गालियाँ सुनके आरती को अच्छा लगा लेकिन पूजा डर गयी। एक तो मंगल ने पूजा की नंगी कमर पकड़ी हुई थी और आरती के सामने लंड मसलते हुए उसने गालियाँ देके पूजा के बारे में भी सब बातें बता दी थीं। पूजा को यकीन हो गया कि अब उसकी माँ उसे बहुत मारेगी और इन दोनों को पुलीस में ज़रूर देगी। उसने देखा कि उसकी माँ की चूचियाँ भी ऊपर-नीचे हो रही हैं। पूजा को क्या पता था कि आरती का दिल गुस्से से नहीं बल्कि मंगल की गालियों से और उन दोनों का नंगा लंड देख के धड़क रहा था। बड़ी मुश्किल से आरती ने अपने आप पे काबू रखा और बड़ी मुश्किल से अपनी नज़र मंगल के लंड से हटाती हुई पूजा से बोली, “पूजा क्या यह सच है...? तू कॉलेज में भी ऐसा करती है... वो भी दो-दो लड़कों के साथ...? और तेरे साथ यह सब करने के बाद यह तुझे पास करने वाले हैं? अरे बेटी तूने तो खुद का सौदा कर दिया... बेच दिया एक तरह से अपने आपको तूने।” यह कहते वक्त भी आरती की नज़र जसवंत के लंड पे थी और मंगल अभी भी पूजा की कमर में हाथ डाले हुए था और पूजा ने अपना सीना टॉवल से ढका हुआ था। तब जसवंत आरती की कमर में हाथ डालते हुए बोला, “क्या सब अपनी बेटी के सामने पूछेगी? वैसे बहुत अच्छी बेटी है तेरी... बस थोड़ा सा बहक गयी है लेकिन अब हम उसे ठीक करेंगे। तू कोई टेंशन मत ले आरती... ठीक है? पूजा तू जा और तेरी माँ के लिए पानी ले आ... तब तक मैं तेरी माँ को अच्छे से समझाता हूँ।” आरती पूजा से पानी के बजाय सब के लिए व्हिस्की के पैग बना के लाने को बोली पर जसवंत और मंगल ने इनकार कर दिया के वो लोग शराब छूते भी नहीं हैं।

पूजा अपने बदन पे टॉवेल लपेटे ही आरती के लिए पैग बनाने चली गयी। वो सोच रही थी कि आज तो उसकी माँ उसकी जान ही ले लेगी। अब उसे पूजा के बारे में सब पता चल गया था कि वो कॉलेज में दो-दो लड़कों से चुदवाती है और लेक्चर बँक करती है... उसको कॉलेज से निकालने वाले थे और अब उसकी माँ ने अपनी आँखों से उसे जसवंत सर और मंगल के साथ चुदवाते देखा था। पूजा चाहती थी कि किसी भी तरह जसवंत सर उसकी माँ को समझायें और उसकी माँ का गुस्सा कम करें। एक ग्लास में व्हिस्की और बर्फ डाल के और साथ में ठंडे पानी की बोतल लेके जब वो आयी तो जो नज़ारा उसने देखा उससे वो आश्चर्य चकित रह गयी। आरती अब जसवंत और मंगल के नंगे बदन के बीच में खड़ी थी और उन मर्दों ने उसे सैंडविच किया हुआ था। जसवंत आगे से आरती को किस कर रहा था और पीछे से मंगल आरती को दबोच के के उसके मम्मे मसलते हुए अपना नंगा लंड साड़ी के ऊपर से उसकी गाँड पे रगड़ रहा था। पूजा ने देखा कि उसकी माँ जो अभी तक उनसे गुस्से से बात कर रही थी अब खुशी से उन मर्दों के साथ खेल रही है। आरती ने जसवंत का लंड पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से जसवंत का बदन अपने बदन पे दबा रही थी। यह सब देख के पूजा ज़ोर से बोली, “मम्मी यह क्या कर रही हो...? अभी मुझे इतना सुनाके अब खुद तुम इन दोनों के साथ मस्ती कर रही हो...? मुझे बेशरम कहती हो पर अब खुद को देखो कैसे लिपट रही हो?”

पूजा की बात सुनके मंगल उसके पास आके और पूजा का हाथ पकड़के बोला, “मेरी राँड... अब तुझे कोई डरने की जरूरत नहीं... हमने तेरी माँ को सब समझा दिया है और वो मान गयी है... अब हम तेरी चुदाई बिंदास कर सकते हैं... वो भी तेरी माँ के सामने... है ना आरती?” आरती मुस्कुराती हुई अपना सिर हिला कर से हाँ बोली पर पूजा को फिर भी यकीन नहीं हो रहा था। वो हैरान होके बोली, “मम्मी तुम क्यों यह सब कर रही हो? इन्होंने ऐसा क्या बताया तुम्हें कि तुमने इनकी बात मान ली...? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है... प्लीज़ कोई मुझे बताओ कि यह सब क्या चल रहा है...।”

पूजा की हैरनी देखके आरती ने पूजा का हाथ पकड़ के उसे सोफ़े पे अपने पास बिठाया और मंगल भी सोफ़े के पीछे खड़ा हो गया और जसवंत आरती के सामने। आरती ने पूजा के हाथ से अपना पैग लिया और बिना पानी मिलाये ही एक ही घूँट में गटक गयी और फिर जसवंत का लंड पकड़के प्यार से एकदम बेशरम होके पूजा से बोली, “अरे पूजा... मुझे यह साले जसवंत ने परसों कॉलेज में बुलाया था तेरी शिकयत करने के लिए... और तुझे कॉलेज से निकालने की बात बतायी। मुझे यह भी बताया कि तू दो-दो लड़कों से एक साथ मस्ती करती है... सच बोलूँ तो तेरी कहानी सुनके मुझे जलन हुई... क्योंकि तेरे पापा साल में एक महीने के लिए ही आते हैं पर उसके बाद मैं भी इधर-उधर जब भी मौका मिलता है किसी से भी चुदवा के अपनी चूत को शाँत करती हूँ... वैसे मुझे कभी भी चोदने वालों की कमी नहीं हुई... मैं बहुत ही चुदास हूँ और बहुत अय्याशी करती हूँ पर दो-दो मर्दों से एक साथ चुदवाने का मुझे कभी-कभार ही मौका मिलता है पर... मेरी बेटी को दो-दो लड़के अक्सर चोदते हैं। तब तुझे कॉलेज से ना निकाले जाने और अपनी प्यास बुझाने के लिए मैंने जसवंत को अपना जिस्म दिया। जसवंत ने मुझे अपने ऑफिस में बहुत चोदा। एक बार चोदने के बाद भी हम दोनों का दिल नहीं भरा तो दूसरा राऊँड शुरू किया। इस बार जसवंत ने मुझे पीछे से लिया। उसका यह मोटा लंड मेरी गाँड में अंदर घुसा तो मुझे दर्द हुआ और मैं चिल्लाई... तब मेरी आवाज़ सुनके यह मंगल आया...।”

मंगल ने आरती का पल्लू हटाके उसके मम्मे दबाते हुए झुक के आरती का गाल किस किया। आरती फिर आगे बोली, “हाँ मंगल आज भी तुझे मेरा जिस्म मिलेग चोदने को... थोड़ा सब्र कर...। हाँ तो पूजा... मैं बता रही थी कि... तो मेरी आवाज़ सुनके मंगल भी आया और परसों मुझे इन दोनों ने मुझे एक साथ खूब चोदा। इतना चोदने के बाद भी इनका दिल नहीं भरा और यह मुझे और चोदना चाहते थे। तब मैंने सोचा कि क्यों ना तुझे भी इसमें शामिल करूँ। इससे हम दोनों के बीच की शरम की दीवार भी खतम हो जायेगी और हम एक-दूसरे से छिपाए बगैर मिल कर अयाशियाँ कर सकेंगी और इसलिए मैंने जसवंत और मंगल को आज आपने घर बुलाया ताकि यह दोनों मर्द हम माँ बेटी को चोद सकें। जिस तरह से इन्होंने मुझे कल चोदा... मैं समझ गयी कि तू भी इनसे चुदवाके खुश होगी... बोल मैंने ठीक सोचा न बेटी?” यह बोल के आरती ने अपनी बाहें पूजा की तरफ फैला दी।

rajaarkey
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Re: आरती की वासना

Unread post by rajaarkey » 22 Oct 2014 05:32

पहले तो पूजा को अपनी माँ की गंदी बातें सुन के अचम्भा हुआ लेकिन फिर उसका डर खतम हो गया और वो खुशी से आरती की बाहों में जाके बेशरम होके बोली, “मम्मी तुम भी दूसरे मर्दों से चुदवाती हो... मुझे इस बात की भनक थी पर मुझे मालूम नहीं था कि तुम मेरे लिए इतना करोगी... मुझे डर था कि कहीं आपको पता चला तो आप मुझे मारोगी... पर अब कोई डर नहीं है मुझे। अब मैं समझी कि सर और मंगल बार-बार क्यों मुझे आपके बारे में गंदी बातें बोल रहे थे। मम्मी... तुम तीनों ने तो मेरी जान ही निकाल दी थी लेकिन अब मैं एकदम खुश हूँ... और आज से हम माँ-बेटी नहीं बल्कि सहेलियाँ हैं।” आरती पूजा के होंठ चूमते हुए बोली, “हमारे इस नए रिश्ते के नाम एक-एक जाम हो जाए... यह साले... दोनों तो पीते नहीं हैं पर मुझे पता है तू कभी-कभी मेरी व्हिस्की की बोतल में से चुरा के पीती है... क्या बोलती है... हो जाये एक-एक पैग.... और फिर शराब के सुरूर में चुदाई क मज़ा दूगुना हो जाता है... आरती ने उठ कर खुद ही व्हिस्की के दो तगड़े पैग बनाये और पूजा को उसका पैग देते हुए बोली, एक ही बार में ग्लास खाली करना है... पूजा... हमारे नये रिश्ते के नाम.... चीयर्स...।” फिर दोनों माँ बेटी अपने ग्लास आपस में टकरा के गटा-गट अपने पैग पी गयीं और फिर आरती ने खुद पूजा का टॉवल निकाल दिया। पूजा का नंगा जिस्म अपनी आँखों में भरती हुई आरती बेशरम हो के पूजा का निप्पल किस करने लगी। पूजा भी पहली बार एक औरत और वो भी अपनी माँ से निप्पल चुसवाते हुए और व्हिस्की के सुरूर से गरम हो गयी और आरती के मुँह में अपना निप्पल चुसवाने लगी। पूजा के दोनों निप्पल खूब चूस के आरती बोली, “अरे सालों... क्या सिर्फ़ हम माँ-बेटी का खेल ही देखते रहोगे या हमें चोदोगे भी...? जसवंत मेरे राजा तुझे क्या मेरी बेटी इतनी पसंद आयी कि तूने अभी तक मुझे नंगा भी नहीं किया...? परसों तो मेरे लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था तू... आज क्या मेरी बेटी पे ज्यादा दिल आ गया क्या तेरा? जसवंत चल तू उठ जा और मुझे नंगी करके चोद... और मंगल तू मेरी बेटी की गाँड मार... आज तुम मर्द हम माँ बेटी की प्यास बुझओ।” आरती का नशा पहले से बढ़ गया था और उसकी आवाज़ थोड़ी बहकने लगी थी और उसकी आँखें भी नशे और वासना से गुलाबी हो गयी थीं।

मंगल ने पीछे से आके पूजा को दबोच लिया और जसवंत ने आरती को अपनी तरफ घुमाके उसे किस करते हुए उसकी साड़ी पेटीकोट से खींच के उतार दी। फिर आरती का ब्लाऊज खोल के उसके पेटीकोट के नाड़े को भी खींच दिया। अब आरती सिर्फ़ लाल पैंटी और सढ़े चार इन्च ऊँची हील के काले सैंडल पहने हुए थी। पूजा पे भी अब व्हिस्की क नशा छा रहा था और उसे अपने सिर का हल्कापन बहुत अच्छा लग रहा था। पहली बार अपनी माँ को नंगी देखा तो पूजा अपनी माँ का नंगा शबाब देख कर बहुत प्रभावित हुई। आरती का हर अँग जैसे तराशा हुआ था और वो उन काले हाई हील सैंडलों और लाल जी-स्ट्रिंग पैंटी में किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। जसवंत जब पीछे से आरती को पकड़के उसके मम्मे मसलने लगा तो पूजा भी आगे आके आरती के निप्पल चूसने लगी। मंगल पूजा के मम्मे मसलते बोला, “देखो सर... मेरी रंडी पूजा कैसे आपकी रंडी आरती के मम्मे चूस रही है... और यह आपकी रंडी आरती भी कैसे मस्त हो रही है मेरी राँड से अपने मम्मे चुसवा के। बहनचोद साली... मस्त रंडियाँ हैं दोनों।” जसवंत आरती की पैंटी उतारके उसकी गाँड को अँगुली से सहलाते हुए बोला, “हाँ मंगल... यह दोनों तो एकदम छिनाल निकलीं पर यह हमारी खुश किस्मती है कि यह हमारी रंडियाँ हैं। मादरचोद पूजा अच्छे से अपनी माँ के मम्मे चूसके उसे गरम कर ताकि बाद में यह चूत और गाँड खोलके हमसे चुदवा सके। पूजा... तेरी माँ की चूत ऐसे चोदूँगा मैं कि आज के बाद तेरी माँ मेरी पर्सनल रखैल बनके रहेगी और तू मंगल की छिनाल बनेगी समझी? चलो छिनाल रंडियों... अब आ जाओ हमारे मूसल लौड़ों से अपनी जवानी चुदवाने।” आरती पूजा को बाहों में भरती हुई बोली, “हाँ हम तैयार हैं तुमसे चुदवाने को लेकिन यह तो बोलो कि किसका लौड़ा किसको चोदेगा?” जसवंत आके आरती के हाथ में अपना लंड देके आरती के मम्मे मसलते हुए बोला, “आरती तू तो मेरी पर्सनल रंडी है... मेरे साथ अपने बेडरूम में बिस्तर पे चल और पूजा तू मंगल की रंडी बनके उससे यहाँ चुदवा।” मंगल ने आके नंगी पूजा को बाहों में उठाया और उसे सोफ़े पे ले गया। पूजा को सोफ़े पे बिठाके उसके मुँह में लंड देके वो बोला, “सर... आज आप इस रंडी आरती को चोदो और मैं पूजा की गाँड मारके उसे पास करवाता हूँ। आप अपनी रखैल की आरती उतारो और मैं अपनी छिनाल की पूजा करता हूँ।”


rajaarkey
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Re: आरती की वासना

Unread post by rajaarkey » 22 Oct 2014 05:38

मंगल की बात सुनके सब हँसने लगे और पूजा नशे में मतवाली होके बिंदास बोली, “सर आप आरती की चुदाई के बाद मुझे चोदना और मंगल आरती को चोदेगा । इससे हम माँ बेटी को भी चेंज मिलेगा और आप दोनों को भी।” आरती ने उन दोनों के पास जा के झुक के पूजा को किस किया और फिर जसवंत उसे बेडरूम की तरफ ले जाते हुए बोला, “ठीक है पूजा... जब तक माँ बेटी को पूरी तसल्ली नहीं होगी हम तुम दोनों को एक के बाद एक करके चोदते रहेंगे। अब मैं तेरी रंडी माँ को बेडरूम में चोदने को ले जाता हूँ तब तक तू मंगल से चुदवा ले। उसके बाद मैं तेरी चूत चोदूँगा और मंगल तेरी माँ की गाँड मारेगा।”

आरती पे अब पूरी तरह से शराब और चुदाई का नशा सवार हो चुका था और वो अपने सढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैंडल में ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। वो बेडरूम की तरफ जाते-जाते बुरी तरह लड़खड़ा रही थी और जसवंत का लंड उसे देख कर कड़ा हो गया। जसवंत ने आगे बढ़ कर झूमती हुई आरती को पकड़ा और बेडरूम में ले जाते हुआ बोला, “साली आरती... तू तो बेवड़ी निकली... देख कितनी चढ़ गयी है तुझे... कुत्तिया राँड।” आरती अपनी ही मदहोशी में बड़बड़ाने लगी, “हाँ मेरे राजा... मैं कुत्तिया हूँ और तू भी मेरा कुत्ता है... (हुच्च)...” फिर जोर से हँसते हुए रासते में ही घूम के जसवंत से बेल की तरह लिपट गयी और उसके होंठ चूमते हुए बोली, “मेरे प्यारे कुत्ते... (हिच्च)... कभी पी के देख... कितनी मस्ती चड़ती है... मुझे कुत्तिया बोलता है... अरे पीने के बाद तो मेरी अंदर इतनी मस्ती भर जाती है कि मैं गधे-घोड़े के लंड भी ले के चुदवा लूँ... (हुँच्च).... उम्म्म... तू मेरा घोड़ा है... ले चल मुझे अंदर मेरे प्यारे घोड़े... (हुच्च)... चोद अपने लंड से अपनी घोड़ी को... साला हरामी... तू भी क्या याद रखेगा... किस चुदक्कड़ चूत से पाला पड़ा था...।” जसवंत उसे लगभग धकेलता हुआ बेडरूम में लाया और फिर आरती को बाहों में भरके किस करने लगा। आरती भी अपना नंगा जिस्म उससे भिड़ाती हुई उसे किस करने लगी। जसवंत आरती को इस हालत में देख कर बहुत गरम हो गया था। एक हाथ से आरती की गाँड और दूसरे से उसके मम्मों को निचोड़ते हुए जसवंत बोला, “आरती तू साली बहुत चुदास औरत है... जबसे तुझे चोदा है... मेरा लंड बार-बार तेरी चूत की याद में खड़ा हो रहा है। तू जानती नहीं कि तेरे इस मस्त बदन ने मुझ पे क्या जादू किया है। आज तक मैंने बहुत चूतें चोदी हैं पर जैसे खुल के तू चूत चुदवाती है... किसी ने वैसे चूत नहीं चुदवायी मुझसे। आरती आज के बाद तू मेरी रंडी बनके रहेगी? बोल मेरी जान तू मेरी रखैल बनेगी?” आरती जसवंत की बात सुनके बिस्तर पे बैठती हुई उसके लंड को सहलाते हुए किस करने लगी और बोली, “जसवंत मुझे भी दो दिनों से हर पल तेरा यह राजपुताना लौड़ा याद आ रहा था। मेरा भी हाल तेरे जैसा ही है... पता है पर्सों से कितनी ही बार अपनी चूत को बैंगन और मोटी मोमबती से चोद चुकी हूँ... (हुच्च)... मुझे भी कितने मर्दों ने चोद लेकिन जो बात तेरे इस तगड़े लंड में है... (हुच्च)... वो किसी में नहीं थी...। तेरा लंड मुझे कितना भा गया इसका सबूत... उम्म्म... (हुच्च)... यह है कि मैंने अपनी बेटी को भी तुझसे चुदवा दिया। सोच... साले... सोच... कोई माँ अपनी बेटी देगी क्या किसी मर्द को चोदने के लिए? उसे भी तेरे जैसे लंड की जरूरत थी जसवंत... रही बात तेरी रंडी बनने की तो राजा मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिए... बस जब दिल करे अपने इस लंड से खूब चोद मेरी छिनाल चूत और गाँड को और मुझे खुश रख...।”

जसवंत आरती का चेहरा पकड़ के उसके मुँह में अपना लौड़ा देते हुए बोला, “ले आरती ले... आज मेरे इस लौड़े को तसल्ली बख्श दे... बहनचोद कसम से तू मस्त औरत है... राँड साली जैसे तू मर्द को मज़ा देती है कोई भी औरत नहीं दे सकती। मुझे मालूम है कि तूने अपनी बेटी को भी हमसे चुदवाके एक चुदास रंडी होने का सबसे बड़ा सबूत दिया है। मुझे उस दिन तेरी चूत मिली तो मैं खुश हुआ लेकिन आज अपनी बेटी को चुदवा के तूने मुझे जीत लिय मेरी छिनाल... आज के बाद तू मेरी खास रंडी है... तेरी बेटी मंगल की रंडी बनेगी।” आरती होंठ टाईट करके जसवंत के लंड से अपना मुँह चुदवाने लगी। पूरा लंड चूसने के बाद वो जसवंत की गोटियाँ चूस के बोली, “हाँ जसवंत आज से मैं और मेरी बेटी तेरी रंडियाँ बन गयी हैं। तू हमसे जो चाहे वो करवा सकता है... हम दोनों तुझे कभी शिकायत का मौका नहीं देंगी... साले... जसवंत मेरे मम्मे मसल के और ज़ोर से चोद मेरा मुँह... यह तेरी राँड कुत्तिया का मुँह है... (हुच्च)... बिंदास चोद इसे... जसवंत साले... यह तो बता कि मेरी बेटी कैसी लगी तुझे...? मस्त माल है ना पूजा? पूजा... साली... अपनी राँड माँ पे गयी है कि नहीं?” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

जसवंत आरती को बिस्तर पे लिटाते हुए उसकी चूत में अँगुली डाल के मम्मे मसलते हुए बोला, “आरती तेरी बेटी तेरे जैसी हसीन है... बड़ी कुत्तिया बेटी है तेरी... बिल्कुल माँ पे गयी है... पूजा भी आगे चल के तेरे जैसी ही मस्त छिनाल बनेगी... बहनचोद मुझे लगता है कि शादी के बाद पूजा को उसके पति के दोस्त भी चोदेंगे... मेरी रंडी आरती... तेरी बेटी तेरे जैसी चुदक्कड़ है... तूने बड़ी मादरचोद लड़की को पैदा किया है आरती... तेरी बेटी तेरे नक्शे कदम पे चलके मर्दों को बराबर रिझाना सीख रही है और चुदाई में तेरा नाम रोशन करेगी। वैसे मेरी राँड अब मुझे पूजा की माँ की चूत चोदनी है... मेरा लंड पूजा की माँ की चूत चोदने को बेकरार है... बोल चोदूँ मैं पूजा की माँ की चूत... आरती?” जसवंत के मुँह से अपने और पूजा के लिए गालियाँ सुनके आरती और गरम हो गयी। वो जसवंत का लंड पकड़ के बोली, “हाँ साले भड़वे... तू सच बोला... मैं भी चाहती हूँ कि पूजा मेरी जैसी छिनाल राँड बने। और अब जब तू साथ रहेगा तो जरूर पूजा एक मस्त राँड बनेगी। रही बात पूजा की माँ की चूत चोदने की तो मेरे प्यारे कुत्ते... पूजा के माँ की चूत को भी बड़ी बेसब्री से तेरे इस तगड़े राजपुताना लंड का इंतज़ार है... साले अब तू टाइम खराब किए बिना जल्दी से पूजा की चुदक्कड़ माँ की चूत चोद।”

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