आरती की वासना compleet

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rajaarkey
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Re: आरती की वासना

Unread post by rajaarkey » 22 Oct 2014 05:28

पूजा को मंगल पे गुस्सा आया क्योंकि उसने पूजा को कई बार लड़कों के साथ देखा था और पूजा ने देखा कि मंगल की आँखें उसकी चूचियों पे टिकी थीं। पूजा जसवंत की और देखते हुए बोली, “क्या... क्या पता है मंगल? और सर ऐसा क्यों कह रहे हैं आप कि मामला खराब हो गया है? कौन सा मामला खराब हुआ है? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।” जसवंत आरती को वासना भरी नज़रों से देखते हुए बोला, “पूजा तेरा चाल-चलन दिन-ब-दिन खराब हो रहा है, तू लेक्चर बँक करती है, अवारा लड़कों के साथ घूमती है... तेरी कम्पनी भी अच्छे लड़के लड़कियों से नहीं है... इसलिए मुझे तेरी माँ से मिलना है। मुझे तेरे जैसी स्टूडेंट नहीं चाहिए मेरे कॉलेज में।”

पूजा चौंक के उनको देखते हुए सोचने लगी, इनको यह सब कैसे पता चला? शायद इस हरामी मंगल ने ही बताया होगा। वो डरते हुए जसवंत से बोली, “माना मैं लेक्चर बँक करती हूँ पर मेरा चाल-चलन क्या खराब है? सहेलियों के साथ कैन्टीन में होती हूँ मैं... कहीं घूमने नहीं जाती। प्लीज़ सर... इतनी छोटी सी बात के लिए मुझे क्यों पनिश कर रहे हो?” जसवंत ने अब ज़रा गुस्से से पूजा को देखा और तब मंगल पूजा का हाथ पकड़के उसे खींचते हुए उन दोनों के बीच बिठाते हुआ बोला, “इधर बैठ हमारे पास... पूजा मैं तेरे बारे में सब जानता हूँ, मेरे मुँह से सुनेगी अपनी कहानी?” उनके बीच में गिरने से पूजा का स्कर्ट उठ गया। उसने जल्दी से अपना स्कर्ट ठीक किया पर तब तक उनको पूजा की गोरी जाँघों का दर्शन हो गया। पूजा अब घबराते हुए बोली, “देखो ना सर... यह मंगल कैसे बर्ताव करता है मेरे साथ। और मंगल क्या जानता है तू? मैंने कुछ भी किया नहीं तो क्यों झूठ बोल रहा है? कुछ भी बकवास मत कर समझा ना? क्यों जसवंत सर को मेरे खिलाफ़ भड़का रहा है तू? कुछ है ही नहीं तो क्या बतायेगा तू?”

मंगल ने पूजा के कँधे प हाथ रखा और जसवंत पूजा की कमर में अपना हाथ डालते हुए बोला, “अब पूजा मेरी बात सुनो, यह मंगल भड़का नहीं रहा मुझे। तेरे बारे में सब जानता है वो। अगर मंगल झूठ बोल रहा है तो यह बता कि यह राजेश और वैभव कौन हैं? राजेश और वैभव से क्यों मिलती हो बार-बार? उनके साथ उनके घर, पिक्चर, गार्डन और कार में क्यों जाती दिखती हो?” पूजा ने इन दो मर्दों के हाथों को अपने बदन को सहलाते देखा तो थोड़ा डर गयी और उठने की कोशिश करने लगी लेकिन जसवंत ने उसे उठने नहीं दिया। पूजा समझ गयी कि इनको सब बात मालूम हो गयी है पर फिर भी वो ज़रा ऊँची आवाज़ में बोली, “अच्छा वो राजेश और वैभव की बात कर रहे हैं आप? क्या है ना सर यह राजेश और वैभव की बहनें मेरी सहेलियाँ हैं... इसलिए कई बार उनसे मुलाकात होती है, और मैं उनके साथ आपको दिखती हूँ। बाकी जैसा आप सोच रहे हैं वैसा कुछ नहीं है। और प्लीज़ सर आप दोनों अपने हाथ हटाओ और मुझे जाने दो। यह आप दोनों क्यों मुझे हाथ लगा रहे हैं?”

जसवंत पूजा की कमर सहलाते हुए बोला, “अच्छा तो उन दोनों लड़कों की बहनें तेरी दोस्त हैं? पूजा अब तू झूठ भी बोलने लगी? अगर उनकी बहनें तेरी दोस्त हैं तो तू उन लड़कों के साथ कॉलेज कैन्टीन के पीछे हर दिन अकेली क्यों बैठी रहती है? तेरी सहेलियाँ क्यों नहीं होती तेरे साथ? मंगल ज़रा इसको बता दो कि हमें इसके बारे में क्या मालूम है, तभी इसकी आँखें खुलेंगी।” पूजा ने विनती भरी नज़रों से मंगल को देखा पर वो अपने हाथों से पूजा के कँधे मसलते हुए बोला, “सर यह पूजा बिल्कुल झूठ बोल रही है क्योंकि राजेश या वैभव की बहनें है ही नहीं। पूजा तो राजेश और वैभव के साथ उनके हॉस्टल जाके अपनी जवानी लुटाने जाती है। वो दोनों पूजा को एक साथ चोदते हैं... क्यों पूजा मैं सच कह रहा हूँ ना? उस दिन तू कार में भी कमर तक नंगी थी और वैभव तेरे मम्मे मसलते हुए तुझे किस कर रहा था कि नहीं? सर पढ़ायी-लिखाई और शरम-हया छोड़ के ये साली २-२ मर्दों से चुदवाती है और अब कहती है कि ये कुछ नहीं करती। आप कहो तो राजेश या वैभव को बुलाऊँ? वो क्या सच या क्या झूठ है बतायेंगे।” फिर मंगल राजेश को फोन करने के लिए खड़ा हुआ। इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

पूजा समझ गयी कि उसका पोल खुल चुकी है। उसका सिर शरम से झुक गया। उसको पता था कि अगर जसवंत सर राजेश ओर वैभव को फोन केरेंगे तो वो दोनों भी मंगल की बात को प्रमाणित करेंगे। पूजा को चुप देख कर जसवंत अपना हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर डाल के उसके पेट को सहलाते हुए बोला, “पूजा तू बोल क्या मंगल झूठ बोल रहा है? हम तीनों को मालूम है कि यह बात सच है कि तू उन दोनों से एक साथ मस्ती करती है... एक ही बिस्तर में। पूजा मुझे तेरी जैसी स्टूडेंट कॉलेज में नहीं चाहिए, तुम्हारे लिए अब अब एक ही रास्ता बचा है मेरे पास। मैं तुमको कल कॉलेज से निकाल दूँगा।” जसवंत के शब्दों को सुन कर पूजा बिल्कुल सन्न रह गयी। वो जानती थी कि अगर उसे कॉलेज निकाल दिया गया तो कोई दूसरा कॉलेज उसे एडमिशन नहीं देगा और उसकी ज़िंदगी खराब हो जायेगी। उसे यह भी डर था कि वो अपनी माँ को और बाद में अपने डैडी को क्या जवाब देगी। पूजा जसवंत के पैरों पे गिर के विनती करने लगी, “नहीं सर ऐसा मत कहो प्लीज़। आज के बाद जो आप कहेंगे मैं वैसा ही करूँगी... मैं उन दोनों से कभी नहीं मिलूँगी लेकिन प्लीज़ आप मुझे कॉलेज से मत निकालना। अगर मेरी माँ को यह सब बात पता लग गयी तो वो मुझे मार डालेगी... प्लीज़ सर आप ही कोई रास्ता बताओ।”

rajaarkey
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Re: आरती की वासना

Unread post by rajaarkey » 22 Oct 2014 05:29

जैसे ही पूजा जसवंत के पैरों पे झुकी तो पीछे से मंगल को उसकी टाईट लाल पैंटी दिख गयी। उसने जसवंत को आँख मारी जो कि अब पूजा की चूचियाँ देख रहा था। मंगल आ के पूजा के पीछे खड़ा हो गया और बोला, “सर यह पूजा कभी नहीं सुधरने वाली, लेकिन अगर यह आपका कहना माने तो आप चाहो तो इसे माफ़ करो।” जब जसवंत ने पूजा को सख्ती से देखा तो वो फिर से माफी माँगते हुए बोली, “जाने दो ना सर, प्लीज़ मुझे अब और शरमिंदा मत करो, इस बार आप मुझे माफ़ करो, अगली बार मेरी तरफ से आपको कोई शिकायत ना होगी।” जब मंगल पूजा के पीछे आ कर खड़ा हुआ तो उसकी टाँग पूजा की गाँड से छू गयी। पूजा ने मंगल के तरफ देखा तो वो बोला, “पूजा, सर तुझे किस शर्त पे माफ़ करें... बता? तू ऐसी क्या गारंटी देती है कि सर तुझ पे भरोसा रखें कि तू फिर से उन लड़कों पे अपनी जवानी नहीं लुटायेगी?” मंगल की भाषा वास्तव में पूजा को गरम कर रही थी पर साथ ही उसे कॉलेज से निकाले जाने का डर भी था। वो जसवंत को देखते हुए बोली, “जो शर्त आप कहें, मैं आपका कोई भी कहना मानने को तैयार हूँ लेकिन मुझे कॉलेज से मत निकालो।

जसवंत पूजा का चेहरा हल्के से सहलाते हुए बोला, “मंगल तू बोल क्या करूँ? इसको कॉलेज से निकालना ही होगा ना?” मंगल ने अपने हाथ पूजा की कमर में डाल कर सहलाते हुए उसे खड़ा किया और बोला, “सर मैं इसको बताऊँ कि ये क्या कर सकती है हमारे लिए जिससे आप इसे कॉलेज से नहीं निकालेंगे?” जसवंत ने अपना सर हिलाया तो मंगल पूजा को अपनी तरफ घुमा कर उसकी चूचियों पे हाथ रखते हुए बोला, “पूजा साली बेवकूफ़ तू जितना राजेश और वैभव के लिए करती है उतना तू जसवंत सर के लिए करेगी तो सर तुझे माफ़ कर देंगे। तू जैसे अपनी जवानी उनपे लुटाती है वैसे ही हम पे लुटा तो सर सिर्फ़ तुझे माफ़ ही नहीं करेंगे बल्कि तुझे अच्छे नम्बरों से पास भी करेंगे।” मंगल की बातों और हरकतों से पूजा को धका तो लगा पर वो समझ गयी के वो लोग उससे क्या चाहते हैं। पूजा सब समझती थी लेकिन उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि ये दोनों वो सब चाहेंगे। पूजा शरमाते हुई जसवंत और मंगल के बीच खड़ी थी। वो इतनी कनफ्यूज़ हो गयी कि उसने मंगल का हाथ भी अपनी चूचियों से नहीं हटाया। मंगल पूजा के मम्मे मस्ती से मसलने लगा और जसवंत पीछे खड़ा होके दोनों हाथों से पूजा का स्कर्ट उठा के उसके पैंटी पे हाथ घुमाते हुए बोला, “एक मौका देता हूँ तुझे पूजा... अगर तू अपना यह हुस्न हमें देगी तो शायद तुझे कॉलेज से नहीं निकालुँगा। अब तू बता तेरा क्या इरादा है? बोल साली चुप-चाप हमसे चुदवाती है या तुझे कॉलेज से निकलूँ?”

पूजा को जसवंत की भाषा सुन कर हैरानी हुई पर वो जसवंत का मक्सद समझ गयी। वो थोड़ी पीछे हटी और दोनों मर्दों से बोली, “यह आप दोनों क्या कर रहे हो मेरे साथ? मुझे शरम आ रही है आपकी बातों से। आप जैसा बोल रहे हो वैसा कुछ नहीं होता राजेश और वैभव के साथ मेरा। प्लीज़ सर कोई दूसरा तरीका बताना, मैं आपकी स्टूडेंट हूँ... ऐसा कैसे कर सकती हूँ?” जसवंत ने पूजा के पास आ के उसकी गर्दन पकड़ के उसे अपनी तरफ खींच के उसके गाल चूम लिए। फिर पूजा के बदन को अपने से सटाता हुआ बोला, “साली तुझे मेरे मुँह से सुनना है ना कि वो दोनों तेरे साथ क्या-क्या करते हैं? चल अब बताता हूँ तुझे सब बात।” पूजा ने कुछ जवाब नहीं दिया और ना ही उसने जसवंत से दूर हटने की कोशिश की। मंगल पीछे से आ कर पूजा की गाँड सहलाने लगा। जसवंत पूजा की चूचियों पे हाथ रखते हुए बोला, “मंगल ज़रा पूजा की स्कर्ट उतार।”

पूजा चौंकते हुए बोली, “नहीं सर प्लीज़, यह क्या कह रहे हैं आप? मेरी स्कर्ट क्यों उतारने को बोल रहे हैं आप?” जसवंत ने पूजा की चूचियों को मसलना ज़ारी रखा और बोला, “साली चुप-चाप खड़ी रह। नाटक किया तो कॉलेज से निकाल दूँगा तुझे। क्या तू कॉलेज से निकलना चाहती है? मंगल हुक खोलके पूजा का स्कर्ट उतार।” पूजा बिना कुछ जवाब दिए चुप-चाप खड़ी रही। जसवंत ने उसका टी-शर्ट ऊपर किया और पूजा के नंगे मम्मे देख के खुश हुआ। पूजा के कड़क मम्मे और ब्राउनिश गुलाबी निप्पल उसे भा गए। जैसे ही मंगल ने स्कर्ट के हुक खोले तो पूजा का स्कर्ट पैरों में गिर गया। पूजा आँखें बँद करके खड़ी थी और जसवंत ने भी पूजा के बदन से उसका टी- शर्ट हटा दिया। अब पूजा सिर्फ़ एक लाल पैंटी और काले हाई हील के सैंडल पहने इन दो मर्दों के सामने शरमाते हुए खड़ी थी। अपने हाथों से अपना सीना छुपा के पूजा बोली, “प्लीज़ सर, आप दोनों यह क्या कर रहे हैं? मुझे बहुत शरम आ रही है, मुझे जाने दो।” जसवंत पूजा के मम्मे मसलते हुए बोला, “साली, तुझे शरम आ रही है? राजेश और वैभव के सामने शरम नहीं आती? तब तो दिल खोलके चुदवाती है ना? आज तक उनसे चुदवाती थी... आज से हमसे चुदवा।” पूजा दोनों की हर्कतों से अब गरम तो हो गयी थी लेकिन फिर भी वो ज़रा नखरे करते हुए बोली, “ऊम्म्म्म्म सर... यह सब मत करो... मैं वैसी लड़की नहीं हूँ। आप बार-बार उन दोनों का नाम क्यों ले रहे हैं? मैंने कुछ नहीं किया उनसे ऐसा वैसा... जैसा आप कह रहे हैं।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

मंगल पूजा की गाँड पे लंड रगड़ते हुए गुस्से से बोला “बहनचोद साली... राजेश और वैभव तेरी चुदाई करते हैं... तेरी यह चूत, गाँड, मम्मे चोदते हैं, तू उनका लंड चूसती है और साली अब बोलती है कि तू उनके साथ कुछ नहीं करती। सर... यह पूजा बड़ी नखरेवाली लड़की है... साली अपने बदन की नुमाइश करती है और हम सब मर्दों का लंड खड़ा करती है। उन दोनों को भी अपने बदन के जलवे दिखा-दिखा के इसने ही उकसाया और उनसे चुदवाती है... और अब हमसे अंजान बन रही है... बोल सच कह रहा हूँ ना मैं पूजा?” पूजा मंगल के मुँह से गालियाँ सुनके हैरान हुई, उसे अंदाज़ नहीं था कि सर के सामने मंगल ऐसी गंदी बातें करेगा। वो जसवंत की तरफ देखते हुए ज़रा नीची आवाज़ मैं बोली, “सर किसी ने आपसे झूठ कहा है... मैं उस तरह की लड़की नहीं हूँ। यह मंगल मेरे बारे में कुछ भी बोलता है। अब वो लड़के मेरे पीछे पड़े हैं तो इसमें मेरा क्या कसूर? और मंगल तू ऐसी गंदी-गंदी बातें मत कर... सर देखो ना यह मुझे गालियाँ दे रहा है।”

मंगल पूजा की पैंटी नीचे खींच के उसकी गाँड मसलते हुए बोला, “तेरी माँ की चूत साली... और गालियाँ दूँगा तुझे, वही तेरी औकात है... चुदक्कड़ राँड... २-२ मर्दों से चुदवाती है और खुद को शरीफ समझती है... तेरी गाँड मारूँ रंडी साली... उन दोनों के साथ तेरी चुदाई की तस्वीर दिखाऊँ? वैभव तेरी गाँड मार रहा था... उस वक्त की तस्वीर मैंने देखी है... बोल दिखाऊँ वो तस्वीर रंडी?” अब पूजा समझ गयी कि इनको सब बातें मालूम हैं और ज्यादा नकारने से जसवंत शायद उसे कॉलेज से निकाल भी सकता है। पूजा ने अपने सीने से हाथ हटा दिए और अपना एक-एक पैर उठा कर मंगल को अपने पैरों से पैंटी निकालने में मदद की। अब पूजा सिर्फ अपने काले हाई हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और बहुत ही सैक्सी लग रही थी। जसवंत उसके मम्मे मसलने लगा और तब पूजा बेशरम होके बोली, “नहीं नहीं सर... मंगल जो कह रहा है सही है... लेकिन प्लीज़ आप यह बात मेरी माँ को मत बताना... मैं आपका सब कहा मानूँगी। ऊउउउउउम्म्म्म्म्‌म जऽऽऽऽसवंत सर... प्लीज़ आराम से मसलो ना... मैं आप दोनों के साथ सब करने को तैयार हूँ... लेकिन प्लीज़ मुझे दर्द मत देना।”

जसवंत और मंगल पूजा को छोड़ के जल्दी से खुद भी नंगे हो गये। उनके वो मोटे लम्बे लंड देखके पूजा को डर भी लगा लेकिन खुशी भी हुई। जसवंत पूजा के निप्पल से खेलते हुए बोला, “क्यों साली अब समझ में आयी हमारी बात? बहुत नाटक कर रही थी... अब सब अकड़ निकल गयी तेरी पूजा... या और कुछ बाकी है?” अब भी थोड़ी शरमाते हुए पूजा बोली, “नहीं सर... अब जो आप बोलेंगे वही होगा, अब मेरी तरफ से आपको कोई शिकायत नहीं होगी, लेकिन सर यह सब करने के बाद आप मुझे कॉलेज से तो नहीं निकालेंगे ना?” तभी पीछे से मंगल पूजा की गाँड के छेद को अँगुली से सहलाते हुए बोला, “क्यों साली रंडी... अब क्या सौदा करेगी? चुदक्कड़ छिनाल पहले तुझे जी भरके चोद लेने दे... बाद में सोचेंगे कि तेरे लिए क्या करना है... समझी?” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

पूजा मंगल के मुँह से ये गालियाँ सुनके शर्मा गयी। उसे कभी गालियाँ खाके चुदवाने की आदत नहीं थी क्योंकि राजेश और वैभव उसे प्यार से चोदते थे... पर आज एक चपड़ासी की औकाद का आदमी उसे बातों से बे-इज़्ज़त कर रहा था वो भी उसके प्रिंसिपल के सामने और जसवंत भी कुछ नहीं कह रहा था। इससे पूजा समझ गयी कि जसवंत सर को भी यह सब अच्छा लगता होगा। पूजा ने तय किया कि वो जसवंत सर को शिकायत का कोई मौका नहीं देगी और उन दोनों से जैसे वो चाहें वैसे चुदवा लेगी। वैसे भी उसे एक साथ २-२ लंड लेने की आदत थी। जब जसवंत उसके निप्पल चूसने लगा तो पूजा भी बेशरम होके उसका मुँह अपने मम्मों पे दबाते हुए आँखें बँद करके सिसकरियाँ लेने लगी। पीछे से मंगल उसकी गाँड को अँगुली से सहलाते हुए पूजा का हाथ अपने लौड़े पे ले गया। पूजा उसका गरम लंड सेहलाते हुए बोली, “मंगल तू मुझे छिनाल क्यों बोल रहा है? मुझे शरम आती है ऐसी गालियाँ सुनके... प्लीज़ मुझे गालियाँ मत दो।”

rajaarkey
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Re: आरती की वासना

Unread post by rajaarkey » 22 Oct 2014 05:29

मंगल अपनी अँगुली थूक से गीली करके आहिस्ता-आहिस्ता पूजा की गाँड में घुसाते हुए बोला, “अब ज्यादा नाटक मत कर रंडी, चुदक्कड़ साली... दोस्तों के साथ ना जाने कहाँ-कहाँ चुदवाती है और अब भी खुद को अच्छी लड़की समझती है? साली तू सिर्फ़ अब एक अच्छी राँड है और कुछ नहीं... आज के बाद तू सिर्फ़ हमारी रखैल बनके रहेगी। हमें पता है कि तू कैसी लड़की है समझी? इसलिए चुदासी रंडी अब अपनी नकली शरम छोड़ और दिल खोलके हमसे चुदवा ले और देख कैसे हम तुझे उन चूतिया लड़कों से ज्यादा माज़ा देते हैं।” जब मंगल ने उसकी गाँड में अँगुली घुसायी तो पूजा ने उसका लंड कस के पकड़ लिया। आगे से जसवंत उसके निप्पल चूसते हुए उसकी नंगी कमसिन चूत सहलाने लगा। पूजा अब इन दोनों मर्दों की हर्कतों से काफी गरम होने लगी थी। जसवंत और मंगल के कड़क हाथ और लंड उसे बेकरार कर रहे थे।

पूजा ने भी अब बेशरम होना बेहतर समझा और खुद ही जसवंत का लंड पकड़ लिया। अब पूजा एक साथ २-२ राजपुताना लंडों को सहला रही थी। वो दो मोटे-मोटे लंड पा के बड़ी खुश हुई। अब उसे डर सिर्फ़ इस बात का था कि कहीं इस चुदाई के दौरान उसकी माँ, आरती ना आ जाये। जसवंत के लंड को मुठ मारती हुई पूजा बोली, “ऊफ्फ्फ्फ.... सर कितना अच्छा लग रहा है आपका हाथ मेरे बदन पे। कैसा है मेरा बदन जसवंत सर? ऊईईई... माँआआआ... सर आपका लौड़ा तो राजेश और वैभव के लंडों से भी बड़ा है... मुझे दर्द तो नहीं होगा ना? सर मुझे डर इस बात का है कि कहीं हमे इस हालत में मेरी माँ ना देख ले, अगर हमारे इस खेल के दौरान मेरी माँ क्लब से आ गयी तो वो क्या करेगी पता नहीं... वो क्लब से शराब पी के आती है और नशे में उसे कुछ होश नहीं होता और काफी झगड़ालू हो जाती है”

जसवंत ने उसके मम्मे मसलते हुए उसकी चूत में अँगुली डाल दी और पीछे से मंगल अपना लंड पूजा की गाँड पे रगड़ने लगा। अपनी अँगुली से पूजा की चूत को चोदते हुए जसवंत बोला, “तू बड़ी हसीन और सैक्सी है... राजेश और वैभव तो क्या... तेरा यह जिस्म देख के किसी का भी इमान डोल जाये... देख... तेरी चूंची और चूत और गाँड कितनी खूबसूरत है... साली मेरा लौड़ा देख कैसे मसल रही है रंडी... मुझे मालूम है उन दोनों के लंड हमारे जितने लम्बे-मोटे नहीं हैं... आज तुझे असली लंड का मज़ा देंगे।” मंगल भी अपना लंड पूरी तरह पूजा की गाँड पे रगड़ते हुए बोला, “और सुन मेरी कमसिन छिनाल, हमें तेरी माँ से कोई डर नहीं लगता... उस कुत्तिया की चूत साली... तुझे चोदते वक्त तेरी माँ कितनी भी नशे में आये... या तो उसे हमारे लंड पसंद आयेंगे और वो खुद हमसे चुदवाने को तैयार हो जायेगी नहीं तो हम तेरी माँ का रेप करेंगे। वैसे तेरी माँ भी एक मस्त माल है... क्यों...? और नशे में होगी तो उसे चोदने में और मज़ा आयेगा।”

मंगल के मुँह से अपनी माँ के लिए ऐसी बात सुनके पूजा शरमा गयी। उसे अपनी माँ के नाजायज़ सम्बंधों के बारे मे शक तो था पर उसे यह बिल्कुल नहीं पता था कि उसकी माँ इतनी चुदासी है कि कहीं भी किसी से भी चुदवा सकती है। अब दोनों मर्द पूजा को आगे पीछे से लिपटे थे। माँ के लिए गालियाँ सुनके भी पूजा आगे से जसवंत की अँगुली से चूत चुदवा रही थी और पीछे से मंगल का लंड अपनी गाँड पे रगड़वा रही थी। मंगल ने पूजा को फिर अपनी तरफ घुमाया और उसके मम्मे मसलते हुए चूसने लगा। पूजा भी उससे मस्ती से अपने मम्मे चुसवाती हुई बोली, “मंगल मेरी माँ के बारे में इतना गंदा क्यों बोल रहा है? मुझे शरम आती है उसके लिए ऐसी बातें सुनके।” मंगल उसके दोनों मम्मे चूसते हुए बोला, “छिनाल... उसके बारे में बात करता हूँ तो शरम आती है ना... तो तेरी माँ गयी चुदाने... तू बेशरम होके हमसे चुदवा... तेरी माँ आयेगी तो तब की बात तब देखेंगे। अब खुल के हमसे चुदवा और अपनी सज़ा कम करवा ले।”

फिर मंगल ने पूजा को सोफ़े पे बिठाया और वो दोनों पूजा के हाथों में अपने लंड पकड़ा के उसके सामने खड़े हो गये। पूजा दोनों के लंड सहलाते हुए बोली, “ऊफ्फ्फ्फ.... सर, आप दोनों के लंड काफी लम्बे और मोटे हैं... मुझे दर्द होगा... लेकिन कोई बात नहीं... मैं यह दर्द सह लूँगी। सर आज मेरा नसीब है कि २-२ तगड़े मर्द मुझे चोदने वाले हैं... लगता है कि आज मेरे बदन की खैर नहीं।” जसवंत पूजा के मम्मे मसलते हुए अपना लंड पूजा के चेहरे पे रगड़ने लगा और बोला, “तेरी माँ कि चूत में गधे का लंड... साली... रंडी... तू २-२ लंड से चुदवाती है... तुझे दर्द नहीं होगा। तू तो कमसिन छिनाल है... साली २-२ मर्दों से चुदवाती है राँड... आज हम दोनों तुझे रंडी की तरह चोदेंगे... क्यों मंगल सच बोल रह हूँ ना मैं?”

पूजा ने बिना बोले जसवंत का लंड पकड़के चूमा और आहिस्ता-आहिस्ता मुँह में लेके चूसने लगी। धीरे-धीरे करके पूजा अब जसवंत का पूरा लंड चूस रही थी। बीच-बीच में वो जसवंत की गोटियाँ भी चूस रही थी। जसवंत भी मस्ती में पूजा का मुँह चोदने लगा। तब पूजा दूसरे हाथ से मंगल का लंड हिलाने लगी और मंगल उसके मम्मे मसलने लगा। जसवंत का लंड चूसके उसे और कड़क बना के पूजा बोली, “ओह सर मुझे आप बहुत अच्छे लगते थे और मेरी तमन्ना थी कि आपसे चुदवाऊँ लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई आपसे वैसी हर्कत करने की। यह मंगल आते-जाते मुझे छूता तो था लेकिन मैंने इसे लिफ्ट नहीं दी और आज मैं आप दोनों से चुदवाने जा रही हूँ। सर अब आप दोनों अपने-अपने लौड़े मेरी चूत, मुँह और गाँड में डालके मुझे चोदो और अपनी रंडी बनाओ।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

जसवंत ने अपना लंड पूजा के मुँह से निकाला और पूजा को नीचे ज़मीन पे बिठा के बोला, “चल मेरी प्यारी रंडी... आज तुझे अपने लंडों से चोदके तेरी इच्छा पूरी करते हैं। मंगल मैं इस रंडी की चूत चोदूँगा और तू इस छिनाल की गाँड मार। चल पूजा पहले कुत्तिया बनके मंगल का लंड अपनी गाँड में डलवा ले... बाद में तेरी चूत में लंड घुसाता हूँ।” पूजा कुत्तिया बन गयी और मंगल ने उसके पीछे आके उसकी गाँड खोल के अपना लंड उसकी गाँड के छेद में दबाने लगा। पूजा ने अपनी गाँड ढीली छोड़ दी और मंगल के लंड का सुपाड़ा अंदर घुस गया। फिर पूजा की कमर पकड़ के मंगल ने हल्के से आगे पीछे होके १५-२० धक्कों से पूरा लंड पूजा की गाँड में घुसा दिया। पूजा राजेश और वैभव से कई बार गाँड मरवा चुकी थी पर फिर भी उसे दर्द हुआ क्योंकि मंगल का लंड उन दोनों से बड़ा था। पूजा दर्द से बोली, “मंगल... प्लीज़ आराम से डाल मेरी गाँड में अपना लंड। ऊउउफ्फ्फ्फ... मंगल... हाँ... अब डाल अपना लौड़ा मेरी गाँड में... अब दर्द नहीं हो रहा है।”

मंगल का लंड अब आराम से पूजा की गाँड में चला गया और धीरे-धीरे पूजा के ऊपर मंगल पूरा ज़ोर डाल के उसके मम्मे मसलते हुए बोला, “ले कुत्तिया राँड... तुझे मेरा लौड़ा चाहिए था ना? अब देख कैसे तेरी गाँड मारता हूँ छिनाल... तेरी माँ की चूत... रंडी है साली तू... मेरी रंडी है... मेरे लंड की रखैल है समझी...?” पूजा को मंगल के धक्कों से जितना मज़ा आ रहा था उतना ही मज़ा उसके मुँह से गालियाँ सुनके भी आ रहा था। वो बेशरम होके बड़ी मस्ती से गाँड पीछे करके मंगल का लंड ज्यादा से ज्यादा अपनी गाँड में लेने लगी। जब मंगल मस्ती से पूजा की गाँड मारने लगा तो पूजा जसवंत का लंड पकड़के उसे सहलाते हुए एकदम रंडी की अदा से बोली, “जसवंत सर अब आप भी कुछ करो ना... आप जैसे चाहो वैसे आज मुझे चोदो... आप दोनों के खेल से मैं बड़ी चुदासी हो गयी हूँ।”

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