ऐसा भी होता है compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ऐसा भी होता है

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 05:59

ऐसा भी होता है--3

गतान्क से आगे............

इस बार जब मेरे होंठ उसके होंठों से होते उसके गले तक आए तो वहीं आ कर रुके नही. उसके गले से नीचे होते हुए मैने कमीज़ के उपेर से ही उसके गले पर किस किया और थोड़ा नीचे होकर उसकी दोनो चूचियो को चूम लिया.

"साहिल ...." उसने मेरे बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ लिए.

मैं उम्मीद कर रहा था के वो मना करेगी पर जब उसने कुच्छ नही कहा तो मैं बिना रुके अपने होंठ कमीज़ के उपेर से ही उसकी दोनो चूचियो पर फिराने लगा.

"देख लो"

अचानक मेरे कानो में आवाज़ आई तो मैं चौंक पड़ा.

"क्या?" मैने उसकी तरफ देखते हुए पुछा

"देख लो" उसने फिर वही बात दोहराई.

मैं तो जैसे कब्से इसके इंतेज़ार में ही बैठा था. मैने फ़ौरन उसकी कमीज़ का पल्लू पकड़ा.

"साहिल प्लीज़" उसने फ़ौरन अपने कमीज़ को पकड़ लिया "तुम्हें कसम है. कमीज़ उपेर मत करना प्लीज़"

"फिर कैसे?"

"उपेर से देख लो" उसने खुद ही रास्ता सूझा दिया.

मैं उसकी बगल से हटकर थोड़ा सा उसके पिछे होकर बैठ गया और उसकी कमीज़ के गले को थोड़ा आगे करते हुए अंदर निगाह दौड़ाई.

उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियाँ वाइट ब्रा के अंदर क़ैद थी. उपेर से मुझे कुच्छ ख़ास नही, सिर्फ़ उसका क्लीवेज ही दिखाई दे रहा था.

मैने एक हाथ से उसकी कमीज़ के गले को पकड़ कर आगे को खींचा और दूसरा हाथ उपेर से ही कमीज़ के अंदर डाला.

"कैसा लगा?" उसने मुझसे पुछा. वो आँखें बंद किए बैठी थी.

"अमेज़िंग" मैने कहा और उसकी एक चूची को पकड़ कर उपेर से ही बाहर निकालने की कोशिश की पर शायद ऐसा करते हुए मैने कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर से दबा दिए.

"आआहह" वो फ़ौरन दर्द से बिलबिलाई और मेरा हाथ हटाते हुए आगे को सरक गयी "क्या कर रहे हो? हमें दर्द नही होता क्या?"

"आइ आम सॉरी" मैने कहा

"पता है कितनी ज़ोर से दबाया तुमने?" कहकर वो फ़ौरन उठ खड़ी हुई

"अच्छा अच्छा ग़लती हो गयी. बेध्यानी में इतनी ज़ोर से दबा दिया"

"चलो अब" वो खड़ी हुई अपने कपड़े ठीक करने लगी.

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ऐसा भी होता है

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 05:59

मैं भी उसके साथ उठकर खड़ा हुआ और उसको अपने गले से लगा लिया. हम दोनो एक दूसरे से लिपटे चुप चाप खड़े हो गये.

वो मेरे सीने से सर लगाए चुप चाप खड़ी थी और उसकी दोनो चूचियाँ मेरे जिस्म से दब रही थी. उसकी साँस अब भी भारी थी जिसको वो कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी पर मेरा अभी रुकने का कोई इरादा नही था. खड़े खड़े ही मेरे हाथ जो उसकी पीठ पर थे फिसलते हुए उसकी गांद पर आ टीके.

"साहिल प्लीज़ नीचे कुच्छ मत करना" वो फ़ौरन बोली पर मेरा हाथ हटाने या मुझसे अलग होने की कोई कोशिश नही की.

"ओके"

मैने कहा और कुच्छ देर तक यूँ ही उसकी गांद पर हाथ टिकाए खड़ा रहा. पेंट के अंदर मेरा लंड एकदम टाइट खड़ा हुआ था और क्यूंकी वो मुझसे लिपटी हुई थी, इसलिए उसके जिस्म को च्छू रहा था.

"एक बार दबाओ" उसकी आवाज़ मेरे कान में पड़ी. वो किस बारे में बात कर रही थी मैं नही जानता पर उसकी बात सुनते ही मैने वो काम किया जो मैं करना चाह रहा था.

उसकी गांद को थोड़ा और मज़बूती से पकड़ कर मैने अपने लंड को उसके जिस्म के साथ दबाया.

"आआहह" उसके मुँह से आवाज़ आई और मेरे गले में बाहें डाले वो मेरे गले को चूमने लगी. मेरे लिए ये जैसे ग्रीन सिग्नल जैसा था. अब सारे पर्दे उठ चुके थे, हर मर्यादा ख़तम हो चुकी थी. मैने उसकी गांद को अच्छे से पकड़ा, अपने घुटने थोड़ा नीचे किए और अपने लंड को सीधा कपड़ो के उपेर से उसकी चूत

पर दबाने लगा.

इस सारे दौरान उसने एक बार भी मुझे रोकने या कुच्छ कहने की कोशिश नही की. वो चुप चाप मुझसे लिपटी खड़ी रही और मैने अपना लंड उसकी चूत पर दबाता रहा, घिसता रहा.

"साहिल मैं गिर जाऊंगी" उसने कहा तो मैने ध्यान दिया के जोश जोश में मैं उसकी गांद पकड़ कर उसको हल्का सा हवा में उठा दे रहा था.

"नही गिरगी. तुम मेरी बाहों में हो" कहते हुए मैने उसे पेड़ से लगाया और फिर लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा.

"साहिल, कुच्छ चुभ रहा है" वो बोली पर मैने ध्यान नही दिया

जब उसने फिर से यही बात कही तो मैं रुका. मुझे लगा वो कह रही है के पीठ पर पेड़ से लगे हुए कुच्छ चुभ रहा है.


raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ऐसा भी होता है

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:00

"क्या है? मैं पेड़ की तरफ देखता हुआ बोला

"यहाँ नही. नीचे कुच्छ चुभ रहा है" उसका इशारा मेरे लंड की तरफ था

मैने कोई जवाब नही दिया और इस बार उसको घुमा दिया. अब वो पेड़ की तरफ मुँह किए खड़ी थी और मैं उसकी जाँघो को पकड़े अपना लंड उसकी गांद पर रगड़ रहा था.

मेरे हाथ उसकी चूत के काफ़ी करीब थे और अब तक सिर्फ़ यही हिस्सा रह गया था जो मैने च्छुआ नही था.

मैने अपना हाथ धीरे से उपेर करते हुए उसकी टाँगो के बीच सलवार के उपेर से उसकी चूत पकड़ ली.

वो ऐसे उच्छली के हम दोनो ही गिरते गिरते बचे.

"नही प्लीज़. यहाँ हाथ मत लगाओ" कहते हुए वो फिर से नीचे बैठ गयी.

मैने कुच्छ कहना या सुनना ज़रूरी नही समझा. उसके साथ नीचे बैठे हुए मैने उसके गले में पड़ा दुपट्टा हटा कर साइड में रख दिया.

"क्या कर रहे हो?" वो बोली

मैं खिसक कर उसके करीब हुआ और एक हाथ उसके कमीज़ के गले में डालते हुए उसकी एक चूची पकड़ कर उपेर से ही बाहर निकाल ली.

"साहिल" उसने फ़ौरन अपनी चूची अंदर घुसा ली.

"प्लीज़" मैने कहा "देख तो ली ही है मैने. एक बार अच्छे से देखने दो"

मैने फिर उसकी चूची पकड़ कर कमीज़ के गले से बाहर निकाल ली.

"साहिल दोनो बाहर नही आएँगे. कमीज़ टाइट है." जब मैने दूसरी चूची बाहर निकालने की कोशिश की तो वो धीरे से बोली.

उसकी बात अनसुनी करते हुए मैने उसकी दोनो चूचियाँ जितनी हो सकी कमीज़ से बाहर निकाल ली. वो भी शायद जानती थी के अब मैने क्या करूँगा इसलिए अपनी कोहनियाँ टिकाते हुए घास पर हल्की से लेट सी गयी.

और तब मुझे वो निशान नज़र आया.

उसके निपल के चारो तरफ बने हुए ब्राउन कलर के एरोला से थोड़ा सा परे काले रंग का निशान. एक गोल निशान जो पूरा काला था पर एक तिहाई लाल.

"ये क्या है?" मैने पुछा

"बचपन से है" वो बोली

मुझे समझ नही आया के क्या करूँ या क्या कहूँ. मेरे कानो में अपने पापा की आवाज़ गूँज उठी."हमने जहाँ से तुम्हें गोद लिया था उन्ही लोगों ने हमें बताया था के यू वर ट्विन्स पर तुम दोनो में से एक को किसी ने गोद ले लिया था. लड़की थी शायद. दूसरे बचे थे तुम तो तुम्हें हम ले आए थे. ये निशान तुम्हारी छाती पर तबसे ही है और आश्रम वालो ने बताया था के ऐसा निशान तुम्हारे ट्विन की छाती पर भी था."

दोस्तो जिंदगी मे ऐसा भी हो जाता है आपको कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त......

Post Reply