"क्यों भैया, शायद आपका दिल डोलने लगा है मेरी कमसिन मुन्नी को
देख कर. लेकिन आप कहते है तो लेने दो उसे मुँह मे." मा ने हामी
भर दी.
मुन्नी को और क्या चाहिए था. वो अंकल के लंड को हाथ मे पकड़ कर
अपने मुँह मे ठूँसने लगी. छोटे से मुँह मे लंड मुश्किल से जा रहा
था. लेकिन जब मुन्नी ने अपनी जीभ से लंड को चाटना शुरू किया तब
अंकल को भी बड़ा मज़ा ने लगा. उनके धक्के से लंड मुन्नी के गले मे
घुस गया. तब मुन्नी ने लंड बाहर निकाला और मा को बोली, "मम्मी
अंकल को कहिए ना कि ज़्यादा अंदर नही ठेले अपने लंड को. गले मे जा
लगता है."
तब मुन्नी की मा अंकल के पीछे बैठ गयी और हाथ आगे की ओर ला
कर अपनी मुट्ठी मे लंड का जड़ की तरफ वाला हिस्सा पकड़ लिया और
मुन्नी को बोली, "अब ले बेटी लंड मुँह मे. अब अंकल तुम्हारे मुँह मे
लंड ज़्यादा नही थेल पाएँगे." मुन्नी ने फिर लंड को मुँह मे ले लिया
और लॉलिपोप जैसे चूसने लगी. उसकी मा अपने हाथ मे लंड को पकड़
रखी थी कि लंड बहुत ज़्यादा अंदर ना घुस पाए. दूसरे हाथ से मा
ने अंकल के आंड-कोष सहलाना शुरू किया. अपनी बेटी को अंकल का लंड
चूसवाने मे मा को भी अजीब मज़ा आ रहा था. छीनाल तो वो थी ही.
लंड मुँह मे लेकर मुन्नी अंकल की आँखों मे देख रही थी. उनकी आँखे
लाल हो गयी थी. लंड एकदम सख़्त हो गया था. मा का हाथ और बेटी का
मुँह दोनो का मज़ा एकसाथ लेकर अंकल मस्त हो गये थे. "मुन्नी तेज़ी से
मुँह चलाओ" अंकल बोल पड़े. उनका कहा मान कर मुन्नी ने तेज़ी से मुँह
चलाना शुरू किया. साथ मे वो जीभ भी लंड पर लपेट रही थी.
ऐसा दोहरा मज़ा पा कर अंकल झरने लगे. मुन्नी के मुँह मे उनका
पानी एक फव्वारे की तरह छूटने लगा. अचानक हुए इस हमले के लिए
मुन्नी तैयार नही थी. ना चाहकर भी उसे अंकल के लंड से निकला हुआ
पानी निगलना पड़ा. क्यों की अंकल ने मुन्नी का सिर अपने हाथों से लंड
पर दबा रखा था.
आख़िर पूरा पानी छ्चोड़ने के बाद अंकल ने अपना हाथ हटाया तब मुन्नी ने
लंड बाहर निकाला. मुँह मे बारे बीर्य को वो थूकने लगी. थोड़ा सा
ही थूक पाई. बाकी पहले ही उसके पेट मे चला गया था. अंकल मुन्नी
की मा को बोले, "भाभी, बच्ची तो बढ़िया चूस्ति है. आप की लड़की
इस मामले मे बिलकुल आप पर गयी है. बड़ा मज़ा आया. अब हमेशा
मुन्नी को अपने खेल मे शामिल किया करेंगे. क्यों मुन्नी?"
क्रमशः................
मासूम मुन्नी compleet
Re: मासूम मुन्नी
मासूम मुन्नी पार्ट--2
गतांक से आगे.............................
दूसरे दिन मुन्नी स्कूल मे जाने के लिए निकली. साथ मे उसकी सहेली
बीना थी. कल शाम को घर वापस आने के बाद मुन्नी ने अपनी मा को
अंकल के साथ कुकर्म करते हुवे रंगे हाथ पकड़ लिया था. बाद मे
उसने अंकल का लॅंड भी चूस लिया था. मुन्नी की इच्छा तो अंकल का
मोटा लंड बर मे घुसेड़नेकी हो रही थी. मगर उसकी मा ने येह कह
कर मना कर दिया था कि वो अभी बहुत छोटी है और वैसे भी मुन्नी
के पापा काम से वापस आने का वक़्त हो गया था.
कल की वो बाते याद करके मुन्नी मंन ही मंन मुस्कुरा रही थी. बीना
ने ताड़ लिया कि कुछ बात है जो मुन्नी उससे छुपा रही थी. आख़िर उसने
पूछ ही लिया,"मुन्नी आज तेरे तेवर कुछ बदले नज़र आते है. मंन ही
मंन मुस्कुरा रही हो. ज़रा मुझे भी बताओ क्या बात है." इसपर मुन्नी
ने मुस्कुरा कर जवाब दिया,"बीना तुम कहती थी ना कि तुम्हारे भैया
तुम्हे बढ़िया चोदते है. मैने भी कल चुदाई देखी. मेरी मा कल
पड़ोस वाले अंकल के साथ चुदाई कर रही थी. मैं घर पाहूंची तो
वो दोनो चौंक गये."
यह सुनकर बिना रास्ते मे ही रुक गयी. "क्या कहेति हो मुन्नी? मैने तो
कभी सोचा भी ना था कि तेरी मा ऐसी छीनाल होगी. चाची दिखने
मे तो एकदम भोली भाली लगती है. क्या तुम सच बता रही हो?" बिना
के लिए यहा बात विश्वास करने योग्य नही लग रही थी.
भरोसा देते हुए मुन्नी ने उसे पूरी बात बताई. वो सुनकर बीना हक्का
बक्का रहा गयी. उसे तो इस बात पर नाज़ था कि सारी सहेलियों मे
केवल वोही अकेली थी जिसने इस छोटी उमर मे चुदाई का असली मज़ा पा
लिया था और वो भी अपने बड़े भाय्या से. लेकिन जब मुन्नी ने उसे
बताया कि अभी तक अंकल जी ने उसे चोदा नही था, तब बीना सोचने
लगी. उसका भाई आज कल उसके पीछे पड़ा रहता था कि वो अपनी किसी
सहेली को फुसला कर ले आए और उनकी चुदाई के खेल मे शामिल कर
ले. बीना ने सोचा कि मुन्नी इस काम के लिए ठीक रहेगी.
बीना ने मुन्नी को कहा, "मुन्नी याद है मैने तुम्हे अगले इतवार अपने
घर बुलाया था? लेकिन आज ही दोपहर मे चल ना मेरे साथ. भैया
तुमसे मिलना चाहते है."
"क्यों मिलना चाहते है तुम्हारे भैया मुझसे? क्या तुम्हारी तरह वो
मुझे भी चोदना चाहते है?" मुन्नी पूछ बैठी.
तब बीना कहने लगी,"अरे नही, तुम तो बहन जैसी हो उनके लिए."
"मालूम है, अपनी बहन को रोज चोदने वाले तेरे भाई को अब मुझे अपनी
बहन बनाने की क्यों सूझ रही है. पर मैं नही आऊँगी. आज मा ने
मुझे कहा है कि स्कूल से सीधा घर आना." मुन्नी कहने लगी.
गतांक से आगे.............................
दूसरे दिन मुन्नी स्कूल मे जाने के लिए निकली. साथ मे उसकी सहेली
बीना थी. कल शाम को घर वापस आने के बाद मुन्नी ने अपनी मा को
अंकल के साथ कुकर्म करते हुवे रंगे हाथ पकड़ लिया था. बाद मे
उसने अंकल का लॅंड भी चूस लिया था. मुन्नी की इच्छा तो अंकल का
मोटा लंड बर मे घुसेड़नेकी हो रही थी. मगर उसकी मा ने येह कह
कर मना कर दिया था कि वो अभी बहुत छोटी है और वैसे भी मुन्नी
के पापा काम से वापस आने का वक़्त हो गया था.
कल की वो बाते याद करके मुन्नी मंन ही मंन मुस्कुरा रही थी. बीना
ने ताड़ लिया कि कुछ बात है जो मुन्नी उससे छुपा रही थी. आख़िर उसने
पूछ ही लिया,"मुन्नी आज तेरे तेवर कुछ बदले नज़र आते है. मंन ही
मंन मुस्कुरा रही हो. ज़रा मुझे भी बताओ क्या बात है." इसपर मुन्नी
ने मुस्कुरा कर जवाब दिया,"बीना तुम कहती थी ना कि तुम्हारे भैया
तुम्हे बढ़िया चोदते है. मैने भी कल चुदाई देखी. मेरी मा कल
पड़ोस वाले अंकल के साथ चुदाई कर रही थी. मैं घर पाहूंची तो
वो दोनो चौंक गये."
यह सुनकर बिना रास्ते मे ही रुक गयी. "क्या कहेति हो मुन्नी? मैने तो
कभी सोचा भी ना था कि तेरी मा ऐसी छीनाल होगी. चाची दिखने
मे तो एकदम भोली भाली लगती है. क्या तुम सच बता रही हो?" बिना
के लिए यहा बात विश्वास करने योग्य नही लग रही थी.
भरोसा देते हुए मुन्नी ने उसे पूरी बात बताई. वो सुनकर बीना हक्का
बक्का रहा गयी. उसे तो इस बात पर नाज़ था कि सारी सहेलियों मे
केवल वोही अकेली थी जिसने इस छोटी उमर मे चुदाई का असली मज़ा पा
लिया था और वो भी अपने बड़े भाय्या से. लेकिन जब मुन्नी ने उसे
बताया कि अभी तक अंकल जी ने उसे चोदा नही था, तब बीना सोचने
लगी. उसका भाई आज कल उसके पीछे पड़ा रहता था कि वो अपनी किसी
सहेली को फुसला कर ले आए और उनकी चुदाई के खेल मे शामिल कर
ले. बीना ने सोचा कि मुन्नी इस काम के लिए ठीक रहेगी.
बीना ने मुन्नी को कहा, "मुन्नी याद है मैने तुम्हे अगले इतवार अपने
घर बुलाया था? लेकिन आज ही दोपहर मे चल ना मेरे साथ. भैया
तुमसे मिलना चाहते है."
"क्यों मिलना चाहते है तुम्हारे भैया मुझसे? क्या तुम्हारी तरह वो
मुझे भी चोदना चाहते है?" मुन्नी पूछ बैठी.
तब बीना कहने लगी,"अरे नही, तुम तो बहन जैसी हो उनके लिए."
"मालूम है, अपनी बहन को रोज चोदने वाले तेरे भाई को अब मुझे अपनी
बहन बनाने की क्यों सूझ रही है. पर मैं नही आऊँगी. आज मा ने
मुझे कहा है कि स्कूल से सीधा घर आना." मुन्नी कहने लगी.
Re: मासूम मुन्नी
बीना ने अपनी कोशिश शुरू रखी," अरी मुन्नी तुम भी कैसी नादान हो?
स्कूल छ्छूट ता है साढ़े पाँच बजे. हम तीन बजे की छुट्टी के बाद
ही मेरे घर चले जाएँगे. फिर तुम पाँच बजे अपने घर चली जाना
और मा को बता देना की स्कूल से अभी आई है." मुन्निने ठीक है
कहा. तब तक स्कूल आ गया. मुन्नी अपने क्लास मे जा कर बैठ गयी.
तीन बजे उसने अपना बस्ता संभाला और स्कूल के गेट पर आ गयी. बीना
उसका इंतेज़ार कर रही थी. दोनो मिलकर बीना के घर के लिए चल
पड़ी.
बीना का घर स्कूल से ज़्यादा दूर नही था. घर पहूंचते ही बीना
ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपने भैया को आवाज़ दे कर बुलाने लगी.
उसका भाई अनिल बाहर आया. मुन्नी को देख कर वो बहुत खुश हुआ. बीना
बोल पड़ी,"क्यों भैया, कहा था ना मैने की अपनी प्यारी सहेली को
लेकर आऊँगी. देख कौन आया है. मुन्नी, मेरी सबसे प्यारी सहेली."
अनिल मुन्नी को घूर कर देख रहा था. साँवली छरहरी बदन वाली
छोटी सी मुन्नी को देख कर अनिल का लंड लूँगी मे उछलने लगा. उसकी
बहन बीना अब औरत जैसी नज़र आने लगी थी. दबा दबा कर अनिल ने
बीना की छाती को बड़ा बना दिया था. उसकी चूत भी अब ढीली हो
चली थी. बीना की उमर अभी केवल पंद्रह साल की थी. मगर उसका
भाई पिछले तीन सालों से उसे चोदता आ रहा था. इस कारण अनिल आज
कल किसी नयी लड़की की तलाश मे था. और उसने बीना को कह दिया था
कि वो उसके लिए किसी नई सहेली का इंतेज़ाम करे वरना वो उसे
चोदना छोड़ देगा. यही कारण था कि बिना आज मुन्नी को अपने साथ घर
लाई थी.
बीना के मम्मी और डॅडी दोनो दिन मे काम पर जाते थे. इसलिए घर मे
अनिल और बिना अकेले रहते थे. आज भी अनिल, बीना और मुन्नी के अलावा
वहाँ दूसरा कोई नही था. तीनो बैठ कर बाते करने लगे. बिना ने
अनिल को बताया कैसे मुन्नी ने अपनी मा को रंगे हाथ पकड़ा और बाद
मे अंकल का लंड चूसा. बीना जब यह बता रही थी तब मुन्नी शरम
से चुप बैठी थी.
बीना ने मुंनिको कहा, "आज ज़रा मेरे भैया से मज़ा लेकर देख. अंकल
उंकल को भूल जाएगी तू."
"धात, कैसी बेशर्म है रे तू? अनिल भैया को ये सब बताने की क्या
ज़रूरत थी? मैने तुझे अपनी सहेली जान कर अपना राज बताया था. अब
मैं कभी तुझसे बात नही करूँगी," मुन्नी ने बिगड़ कर कहा. बात
बिगड़ती देख कर अनिल बीच मे बोल पड़ा,"अरी नही नही मुन्नी, हम ये
बात किसिको नही बताएँगे. तू चिंता मत कर. अगर तुम्हे पसंद नही
तो मैं तुम्हे हाथ भी नही लगाऊँगा. आराम से बैठ तू."
बीना ने मुन्नी के लिए शरबत बनाया. अनिल को शराबत का गिलास देते
समय अनिल ने बीना की चूतर मे ज़ोर्से चिकोटी काटी."है भैया, क्या
कर रहे हो मुन्नी के सामने?" बिना सिल्लाई. "अरी पगली, मुन्नी को
एतराज है जब मैं उसे छेड़ू. तुमसे मौज मस्ती करने के लिए थोड़े
ही मुन्नी मना कर रही है. सच है ना मुन्नी?" अनिल ने जवाब
दिया. "तुम्हारी बहन है, जो चाहे करो. मैं कौन होती हूँ रोकने
वाली?" मुन्नी बोली.