मासूम मुन्नी compleet
Re: मासूम मुन्नी
अनिल ने बीना को अपनी गोदी मे खींच लिया और उसकी चुचि मसलने
लगा. बीना ने मुन्नी की तरफ देख कर आँख मारी और मज़ा लूट ने के
लिए तैयार होने लगी. पीछे सरक कर उसने अपनी गंद अनिल के लंड
पर रख दी. लूँगी के अंदर से उसके भाई का कड़ा लंड बिना की गंद को
कुरेदने लगा. अनिल दोनो हाथों से बिना के मम्मे दबा रहा था. उन
दोनो भाई बहन का खेल देखने मे मुन्नी को अब अजीब मज़ा आने लगा.
कुछ देर बाद बीना उठ खड़ी हुई. उसने मुन्नी को कहा,"आगे का मज़ा
देखोगी मुन्नी?" मुन्निने सिर्फ़ मूण्दी हिला कर अपनी रज़ामंदी बताई.
वहीं हॉल मे बीना कपड़े उतारने लगी. उसने अपना लहंगा खोल दिया.
अनिल ने उसके बदनसे लहंगा और बादमे चोली दूर की. ब्रा तो वो
पहनती नही थी. मुन्नी की तरफ देखते हुए बिना ने अपनी चड्डी भी
उतार दी. मदरजात नंगी खड़ी होकर खुद अपनी बड़ी बड़ी छाती मसल्ते
हुए मुन्निसे बोली,"देख भैया ने दबा दबा कर इन्हे बड़ा बना दिया
है. तेरे तो अभी एकदम छोटे है. जब छाती बड़ी हो जाती है तब
दब्बाने मे बहुत मज़ा आता है. तेरे अंकल ने दबाई थी क्या तेरी
छाती?"
"नही रे, मेरी छाती पर है ही क्या दबाने के लिए?" मुन्निने जवाब
दिया. "फिकर मत कर. मेरे भैया तेरी छाती को बड़ा कर देंगे मेरी
तरह. अभी तू सिर्फ़ देखती जा." बीना ने कहा. फिर वो अपने भाई के
पास गयी और उसे कहने लगी,"भैया आपका लंड बाहर कीजिए ना लूँगी
से. मुन्नी देखे तो मेरे भैया का मस्त लंड." अनिल ने तुरंत लूँगी
खोल दी. उसका काली घने झटों से भरा हुआ मोटा तगड़ा लंड देख
कर मुन्नी हैरान रह गयी. हालाकी उसने अंकल का लंड देखा था,
मगर अनिल की तुलना मे अंकल का लंड छोटा था. आख़िर अंकल की उमर
चालीस के उपर हो गयी थी, जबकि अनिल अभी बीस साल का नौजवान
था. "बाप रे, इतना बड़ा लंड कैसे लेती है री तू अपनी चूत में?"
वो पूछ बैठी
"बस देखती जाओ कैसे लेती हूँ." यहा कहेकर बिना ने भैया के लंड
पर ढेर सारा थूक लगाया और अपनी जंघे खोल कर सीधे उस मोटे लंड
पर बैठ गयी. हूमच हूमच कर वो अपने भाई के लंड पर धक्के
मार रही थी. "आ मुन्नी यहाँ हमारे सामने बैठ कर देख चुदाई का
मज़ा." बिना ने चुदते हुए कहा. मुन्नी नीचे फर्श पर उन दोनो के
सामने बैठ गयी और नज़दीक से देखने लगी कैसे बिना की चूत लंड
को खा रही थी. लंड और चूत की चुदाई से बीना की चूत से सफेद
पानी बहते हुए अनिल भैया के आंडों पर आ गया था. मुन्नी से रहा
ना गया और उसने अपनी एक उंगली उस पानी पर रख दी. "सिर्फ़ एक उंगली
से क्या होता है मुन्नी, पूरे हाथ मे लेकर पकड़ मेरे भैया का
आँड.." बिना ने उसे कहा. मुन्नी ने कहा मान कर अनिल की गोटियों को
हाथ मे पकड़ कर सहलाना शुरू किया.
मुन्नी के छोटे नाज़ुक हाथों का मज़ा पा कर अनिल भी जोश मे आ गया
और नीचे से धक्के मारते हुए अपनी बहना की चूत मे झाड़ गया. उसके
लंड से निकला हुआ पानी बीना की चूत से बाहर आने लगा. मुन्निने जीभ
लगाकर उसे चाट लिया. खरा स्वाद उसे अच्छा लगा. वीर्य की कुछ
बूंदे उसकी फ्रॉक पर पड़ी थी.
बीना अपने भैया के लंड पर से उठ गयी. टवल से अपनी चूत पोंछते
हुए मुन्नी से कहने लगी,"क्यों मुन्नी, मज़ा आया क्या हुमारी चुदाई
देखते हुए? तुम खेलोगी यह खेल?" इसपर मुन्नी झेंप गयी और कहने
लगी,"नही रे बाबा. मुझ मे इतनी हिम्मत नही है. इतना बड़ा लंड और
मेरी छोटी सी चूत. फॅट जाएगी. मैं तो सिर्फ़ देखा करूँगी. तुम
चोदते रहना."
"ठीक है, लेकिन अनिल भैया का लंड एकबार मुँह मे तो लेकर देख."
बीना ने उसे समझाते हुए कहा. "तुम कहती हो तो लेकर देखती हूँ
मुँह मे जाता है या नही." ये कहा कर मुन्नी ने अपना छोटा मुँह खोला
और अनिल का रज़ और वीर्य से सना हुआ लॉडा मुँह मे लेने लगी. थोड़ा
सा ही लंड उसके मुँह मे जा सका लेकिन जितना गया था उसे मुन्नी
चूसने लगी. अंकल के बीर्य का स्वाद अलग था. अनिल का बीर्य ज़्यादा
गाढ़ा और जायके दार था. उसमे मिले हुए बीना की चूत के रस का स्वाद
भी उसे मजेदार लगा.
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अनिल का लॉडा चाट कर सॉफ करने के बाद मुन्नी उठी और घर जाने की
बात करने लगी. बिना ने उसे बाहों मे भर लिया और उसका मुँह चूमते
हुए मुन्नी के मुँह पर लगे अपने भैया के लंड का बीर्य और खुद अपनी
चूत के पानी को चाट लिया. "अब कब आएगी मेरी प्यारी सहेली?" उसने
मुन्निसे पूछा. "आऊँगी ऐसे ही कभी. पर तेरे भैया का लंड मैं
अपनी चूत मे नही लेने वाली इतना याद रख." मुन्निने कहा और घर की
तरफ चल पड़ी.
घर पहूंचते ही उसने मा से पूछा,"मा आज अंकल नही आए है क्या?"
इसपर मया हंस पड़ी. बोली,"तुझे अंकल से क्या काम? रोज रोज थोड़े ही
मैं तुझे अंकल के साथ मज़ा लेने दूँगी." "नही मा मैं तो यूँ ही
पूछ रही थी. अंकल रोज नही आते क्या?" मुन्निने फिर पूछा. मा
बोली,"आज तेरे अंकल बाहर गये है. मैं भी बेचैन हून उनसे
मिलने. पर क्या करू?" मा ने मुन्नी को अपने पास बिठाया. मुंनिके
चेहरे पर चमक थी सो उससे छुपी नही. मा पूछने लगी,"कहाँ
होकर आई है मेरी बेटी? और तेरी फ्रॉक पेर ये छीटें काहे के है?"
मा ने मुंनिके फ्रॉक पर लगी छींटों को सूँघा और तुरंत ताड़ गयी
कि ये बीर्य के छींटे है. "बोल कहाँ गयी थी छीनाल तू? ये किसके
लंड का पानी अपनी फ्रॉक पर लगा कर आई है?" मा ने आवाज़ चढ़ा कर
पूछा.
मुन्नी डर गयी. फिर उसने पूरी बात मा से कह डाली. ये भी बताया कि
अनिल भैया का लंड उसने मुँह मे लिया था और उसीकि ये बूंदे है.
लेकिन भैया का लंड का साइज़ देखकर वो डर गयी थी और बीना के
कहने पर भी चूत मे लंड उसने लिया नही था. मा येह सोच कर
शांत हुई कि उसकी मासूम बेटी की चूत अभी फटी नही. उसने मुन्नी
को गोदी मे भर लिया और समझाने लगी,"बेटी इसमे मेरी ही ग़लती है.
मैं तेरे अंकल के साथ कुकर्म करते हुए पकड़ी ना जाती तो आज तू
ऐसी गंदी बाते नही सीखती. तेरी उमर तो अभी पढ़ाई करने की है.
मैने ही तुझे ये सब गंदी बतो मे घसीटा है." इतना कह कर मा
की आँखों मे आँसू आ गये.
मुन्नी मा को रोती देखकर बोल पड़ी, "नही मा, मैं तो पहले से ही
चुदाई के बारे मे जानती थी. बीना ने मुझे सब बताया था वो अपने
भाई से कैसे चुद्वति है. उसने अगले इतवार मुझे अपने घर भी
बुलाया था. शायद वो अपने भाई के साथ मेरा जुगाड़ करना चाहती थी.
मैं भी ये सब देखने जानने के लिए उतावली थी. वो तो अच्छा हुआ कि
आप अंकल से चुद्वते मुझे दिख गयी और आप ही ने मुझे सब सीखा
दिया. आप मत रोइए."
मुन्नी के इस कहने पर मा को राहत महसूस हुई. मा मुन्नी को समझाने
लगी,"देख बेटी, जो हुआ सो हुआ. अब आगे एक बात का ख़याल रखना कि
जब तक तू बड़ी नही हो जाती, अपनी चूत मे किसी का लंड नही लेना.
हाँ मुँह मे ले सकती है. हाथ मे पकड़ सकती है पर चूत मे
नही. समझी?"
"ठीक है मा, लेकिन जब किसिको चुद्वते देखूं तो मेरी भी चूत मे
कुछ कुछ होने लगता है. ऐसे लगता है कि कोई लंड मेरी भी चूत
मे घुस जाए तो मज़ा आएगा. तब मैं क्या करू?" मुन्नी ने मासूमियत से
पूछा.
मा हंस कर कहने लगी,"अरी पगली, इसका उपाय बताती हूँ तुझे. जब
मन करता है लंड लेने को तब अपनी उंगली से अपनी चूत की खुजली
शांत कर लेना."
"वो कैसे मा? आप बताइए ना मुझे. फिर मैं नही लूँगी किसिका
लंड." मुन्नी ने कहा.
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मा ने सोचा कि अगर इसे ठीक से नही बताया कि औरते मुठ्ठी कैसे
मारती है, तो ये नादान बच्ची किसिके लंड की शिकार हो जाएगी. मुन्नी
के सामने वो पहले ही खुल गयी थी. उसने कहा,"ठीक है बेटी. तू
दरवाजा बंद करके आ मैं तुझे बताती हूँ."
मुन्नी दौड़ कर दरवाजा बंद करके वापस आई. मा ने उसे अपने पलंग
पर बिठाया और अपनी साडी खोल कर उसके सामने दोनो टाँगे फैला कर
बैठ गयी और मुन्नी को समझाने लगी. "देख बेटी, जब तेरा मन करता
है लॉडा लेने को तब ऐसे अपनी चूत खोल कर बैठना. फिर एक हाथ
से चूत को ऐसे चिदोरकर खोलना. दूसरे हाथ की एक उंगली अपनी थूक
से गीली करके ऐसे यहाँ धीरे धीरे रगड़ना." मा मुन्नी को ये सब
कहते हुए साथ मे खुद करके भी दिखा रही थी. उसे भी मज़ा आने
लगा था. आज मुन्नी के अंकल भी नही आए थे. उसकी चूत चुदसी हो
गयी थी. अपनी बेटी के सामने चूत फैलाकर उंगली करने से उसकी
चूत पानी से भर आई थी.
मुन्नी पूछती ,"मा ये क्या है आप की चूत के उपर जो अभी फूला हुआ
है?" माने समझाया कि यहा क्लाइटॉरिस है. इसपर उंगली रगड़ी तो बहुत
मज़ा आता है. मा अब अपनी क्लाइटॉरिस रगड़ने लगी. उसकी मस्ती बढ़ने
लगी तब उसने दो उंगलियाँ चूत के छेद मे डाल दी और बुर मे उंगली
करते हुए अपनी बेटी को समझाने लगी,"देख मुन्नी, मेरी चूत अब
चौड़ी हो गयी है. इसलिए इसमे एक साथ दो क्या चार उंगलियाँ भी घुस
सकती है. लेकिन तू अपनी छोटी सी छेद मे पहले केवल एक ही उंगली
डालना. बाद मे जब तेरी चूत ढीली हो जाएगी तब दो या तीन उंगली डाल
सकती है. चूत मे उंगली डाल कर ऐसे हिलाई जाती है. पहले धीरे
धीरे और बाद मे जब ज़्यादा मज़ा लेना हो तब ज़ोर ज़ोर से उंगली करना."
मा खुद अपनी उंगली की रफ़्तार बढ़ाकर झरने लगी. मुन्नी के सामने
झरते हुए वो आँखें बंद करके चुप चाप मज़ा लेने लगी. मुन्नी
भी मा को इस तरह झरते हुए देखकर गरम होने लगी. उसने अपनी
चड्डी बाजू हटा कर अपनी बुर रगड़ना शुरू किया. मा देर तक झरती
रही. फिर आँखे खोल कर देखी तो उसे पता चला कि मुन्नी गरम हो
चुकी है और अपनी बुर पर उंगली रगड़ रही है. लेकिन अभी मुन्नी को
वो क्रिया ठीक से नही जम रही थी.
तो दोस्तो कैसा मासूम मुन्नी का ये दूसरा पार्ट पूरी
कहानी जानने के लिए मासूम मुन्नी का तीसरा पार्ट पढ़ना ना भूले
क्रमशः................