मासूम मुन्नी पार्ट--3
गतांक से आगे.............................
मा ने मुन्नी को रोका और कहने लगी,"मेरे पास आ बेटी, आज पहली बार
मैं तुझे अपने हाथ से झार देती हूँ. तुझे ठीक से पता चल
जाएगा कैसे उंगली करते है." मुन्नी मा के गोद मे बैठ गयी. उसकी
मा ने मुन्नी की चड्डी उतार फेंकी और फ्रॉक उपर उठा कर अपनी
उंगली पर अपना ही थूक लगाया. फिर अपनी छोटी बेटी की चूत पर थूक
से सनी उंगली रगड़ने लगी. मुन्नी भी उचक रही थी. उसने सहारे के
लिए मा का एक चूची पकड़ लिया और मा की उंगली पर अपनी चूत
उड़ाने लगी.
मुन्नी की मा ने देर तक अपनी बच्ची की चूत रगड़ी. फिर एक उंगली
उसके छेद मे घुसाई और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी. उसके
मंन मे मुन्नी के प्रति प्यार उमड़ आया और उसने झुक कर मुन्नी का मुँह
चुम्म लिया. मुन्नी ने मुँह खोल कर मा की जीभ को अंदर आने का रास्ता
दिया. उसकी मा ने अपनी जीब मुन्नी के मुँह मे गुसेड दी. एक ओर वो अपनी
बेटी की चूत उंगली से चोद रही थी और दूसरी ओर अपनी जीभ से मुन्नी
के मुँह को चोद रही थी. मुन्नी भी अपनी मा की जीभ को उसी तराहा
चूस रही थी जैसे उसने कल अंकल का लंड चूसा था.
दोहरा मज़ा पाकर मुन्नी ज़िंदगी मे पहली बार झरने लगी. गीली चूत
से भरपूर पानी फेंकने के बाद मुन्नी शांत हुई. उसकी मा ने अपनी बेटी
का वो पहला पानी बेकार नही जाने दिया. नीचे झुक कर उसने वो पूरा
पानी चाट लिया.
मुन्नी के सेक्स लाइफ की शुरुआत इस शानदार ढंग से हुई थी.
मुन्नी अपने नाज़ुक हाथो से अंकल का लंड हिला रही थी. वो बड़े ध्यान
से लंड को देख रही थी. उसने पिछले दीनो अंकल का लंड मुँह मे
लेकर एक दो बार चूसा था. पहली बार तो उसकी मा ने ही उसके मुँह मे
अंकल का लंड पकड़कर ठुसा था. बाद मे एक और बार अंकल का लंड
मुन्नी ने अपने आप चूसा था. मा ने उसकी चूत चाट कर मुन्नी को
पहली बार झाराया भी था. लेकिन अभी तक मुन्निने लंड अपनी छोटी
चूत मे नही लिया था. मुन्निने ज़िद की पर उसकी मा ने मना किया था.
छोटी उम्र मे ही मुंनिको सेक्स की बातों का पता चल गया था, जब
उसने अपनी मा को पड़ोस वाले अंकल आ के साथ चुदते देख लिया था.
आज मुन्नी के अंकल फिर उनके यहाँ आए थे. दोपहर का वक़्त था.
मुन्नी के पापा काम पर गये थे और इसी बात का फायेदा लेते हुए अंकल
घर मे घुस आए थे. मुन्नी की मा छिनार तो थी ही. तुरंत उसने
पड़ोसी का लंड चूस कर खड़ा किया और उसके उपर चढ़ बैठी थी.
मुन्नी दोपहर के बाद स्कूल से छुट्टी पाकर घर आई तो उसने मा को
अंकल के लंड पर उछलते हुए देख लिया. वैसे यहा पहली बार नही
हुआ था कि मुन्नी अपनी मा को अंकल के लंड पर धक्के मारते हुए
देखह रही थी. मा उससे खुल चुकी थी.
मा मुन्नी के सामने ही लंड पर उछलते हुए झार गयी. उसके चेहरे पर
झरते समय जो आनंद दिख रहा था, उसके कारण मुन्नी ने आज तय कर
लिया कि वो अंकल का लंड अपनी चूत मे ज़रूर लेगी. जब दूसरी बार
मा ने लंड खाने की बात की तो अंकल का लंड खड़ा नही हो रहा था.
थोड़ी देर पहले ही झार चुका चालीस साल के अंकल का लंड जल्दी
खड़ा नही हो रहा था. मुन्नी की मा ने उसे अपने हाथ से हिलाकर कड़ा
करने की कोशिश की पर उसके हाथ थक गये. लेकिन अंकल का लंड
वैसे ही मुरझाया हुआ था. मुन्नी के कमसिन हाथों का स्पर्श पाकर
शायद वो लंड जल्दी खड़ा हो जाएगा यहा सोचकर उसने मुन्नी को
अंकल का लंड हिलाने को कहा था.
मासूम मुन्नी compleet
Re: मासूम मुन्नी
मुन्नी लंड हिलाते हुए मन ही मन सोच रही थी कि उसकी छिनाल मा खुद
तो उसके सामने अंकल के लंड का मज़ा लेती है, लेकिन अपनी बेटी को वही
मज़ा लेने से रोकती है. आज मुन्नी की चूत बहुत चुलबुला रही थी.
उसकी सहेली बीना ने अपने भैया के साथ कल हुई चुदाई का मज़ा मुन्नी
को आज स्कूल मे सुनाया था. तब से मुन्नी की चूत खुजला रही थी.
उपेर से उसकी मा ने अंकल का लंड खड़ा करने के लिए मुन्नी के हाथ
मे दिया था. उसे मा पर गुस्सा आ रहा था.
मुन्नी बोल पड़ी,"मा अंकल का लंड खड़ा हो जाएगा तब आपको इस लंड
पर बैठने नही दूँगी मैं आज. मैं खुद उसे अपनी चूत मे लेना
चाहती हूँ. मैं अंकल के लंड को खड़ा करूँगी और आप उसपर चढ़
कर मज़ा लेंगी, ये हमेशा होता है. आज मैं अंकल का लंड लिए
बगैर नही रहूंगी."
उसकी मा सकते मे आ गयी. मुन्नी को समझाने लगी,"देख मुन्नी अभी तू
छोटी है. ज़िद मत कर. अगले साल मैं तुझे चुदवा दूँगी. तब तक
धीरज रख मेरी प्यारी बेटी." लेकिन मुन्नी माननेवाली नही थी. वो
बोली,"देखहो मा, अगर अपने मुझे आज अंकल के लंड का मज़ा नही लेने
दिया तो मैं पापा को सब बता दूँगी आपके और अंकल के बारे मे."
इसपर मुन्नी की मा के पास कोई जवाब नही था. जब वो पड़ोसी से
चुदते हुए मुन्नी द्वारा पकड़ी गयी थी तब मुन्नी के पापा के डर के
कारण ही उसे मुन्नी को अपने खेल मे शामिल करना पड़ा था. उसने अपनी
कमसिन बेटी को लाख समझाया पर मुन्नी नही मानी. इधर मा और बेटी
अपने लौदे के लिए झगड़ रही है ये देख कर अंकल के लंड मे जान आने
लगी. धीरे धीरे उनका लौदा मुन्नी के हाथों मे कड़ा होने लगा.
अंकल मुन्नी की मा को कहने लगे,"भाभी, अगर आज इसे नही लेने दोगि
तो मुन्नी अपने लिए मुसीबत खड़ी करेगी."
उस मोटे तगड़े लौदे को देख कर मुन्नी की मा भी यही सोचने लगी कि
अगर मुन्नी को माना करेगी तो मुन्नी अपने पापा को ज़रूर बताएगी. मगर
जब अंकल का मोटा लंड अंदर लेने का वक़्त आएगा तब शायद मुन्नी डर
जाएगी और उसकी छूट फटने से बच जाएगी. अगर मुन्नी लंड ले भी
लेती है तो फिर कभी अपने पापा से यहा बात बताने की धमकी वो
नही दे सकेगी. ये सोच कर मा ने मुन्नी से कहा,"ठीक है बेटी, अगर
तूने अपनी चूत फदवाने का इरादा पक्का कर ही लिया है तो मैं कैसे
रोक सकती हूँ तुझे?मई बाजू मे बैठ जाती हूँ. कर ले अपनी मन की
बात. डलवा ले अपनी चूत मे अंकल का मोटा लंड."
तो उसके सामने अंकल के लंड का मज़ा लेती है, लेकिन अपनी बेटी को वही
मज़ा लेने से रोकती है. आज मुन्नी की चूत बहुत चुलबुला रही थी.
उसकी सहेली बीना ने अपने भैया के साथ कल हुई चुदाई का मज़ा मुन्नी
को आज स्कूल मे सुनाया था. तब से मुन्नी की चूत खुजला रही थी.
उपेर से उसकी मा ने अंकल का लंड खड़ा करने के लिए मुन्नी के हाथ
मे दिया था. उसे मा पर गुस्सा आ रहा था.
मुन्नी बोल पड़ी,"मा अंकल का लंड खड़ा हो जाएगा तब आपको इस लंड
पर बैठने नही दूँगी मैं आज. मैं खुद उसे अपनी चूत मे लेना
चाहती हूँ. मैं अंकल के लंड को खड़ा करूँगी और आप उसपर चढ़
कर मज़ा लेंगी, ये हमेशा होता है. आज मैं अंकल का लंड लिए
बगैर नही रहूंगी."
उसकी मा सकते मे आ गयी. मुन्नी को समझाने लगी,"देख मुन्नी अभी तू
छोटी है. ज़िद मत कर. अगले साल मैं तुझे चुदवा दूँगी. तब तक
धीरज रख मेरी प्यारी बेटी." लेकिन मुन्नी माननेवाली नही थी. वो
बोली,"देखहो मा, अगर अपने मुझे आज अंकल के लंड का मज़ा नही लेने
दिया तो मैं पापा को सब बता दूँगी आपके और अंकल के बारे मे."
इसपर मुन्नी की मा के पास कोई जवाब नही था. जब वो पड़ोसी से
चुदते हुए मुन्नी द्वारा पकड़ी गयी थी तब मुन्नी के पापा के डर के
कारण ही उसे मुन्नी को अपने खेल मे शामिल करना पड़ा था. उसने अपनी
कमसिन बेटी को लाख समझाया पर मुन्नी नही मानी. इधर मा और बेटी
अपने लौदे के लिए झगड़ रही है ये देख कर अंकल के लंड मे जान आने
लगी. धीरे धीरे उनका लौदा मुन्नी के हाथों मे कड़ा होने लगा.
अंकल मुन्नी की मा को कहने लगे,"भाभी, अगर आज इसे नही लेने दोगि
तो मुन्नी अपने लिए मुसीबत खड़ी करेगी."
उस मोटे तगड़े लौदे को देख कर मुन्नी की मा भी यही सोचने लगी कि
अगर मुन्नी को माना करेगी तो मुन्नी अपने पापा को ज़रूर बताएगी. मगर
जब अंकल का मोटा लंड अंदर लेने का वक़्त आएगा तब शायद मुन्नी डर
जाएगी और उसकी छूट फटने से बच जाएगी. अगर मुन्नी लंड ले भी
लेती है तो फिर कभी अपने पापा से यहा बात बताने की धमकी वो
नही दे सकेगी. ये सोच कर मा ने मुन्नी से कहा,"ठीक है बेटी, अगर
तूने अपनी चूत फदवाने का इरादा पक्का कर ही लिया है तो मैं कैसे
रोक सकती हूँ तुझे?मई बाजू मे बैठ जाती हूँ. कर ले अपनी मन की
बात. डलवा ले अपनी चूत मे अंकल का मोटा लंड."
Re: मासूम मुन्नी
मुन्नी यह सुनकर खुशी से उछल पड़ी. उसने अंकल की तरफ देख कर
कहा,"डालेंगे ना अंकल आप मेरी चूत मे अपना लंड?" अंकल ने हँसकर
कहा, "हाँ बेटी, ज़रूर डालेंगे. जब मा बेटी राज़ी हो गयी है तब
मेरी क्या मज़ाल की तेरी छोटी चूत मे लौदा ना डालु? खूब चोदेन्गे आज
बिटिया रानी को. तू फिकर मत कर. चल आजा इधर. छोड़ लंड को
हिलना अब. तेरी चूत का नाम सुनते ही मेरे बूढ़े लंड मे जान आ गयी
है. अब उसे हिलाने की कोई ज़रूरत नही." यहा कहकर अंकल ने मुन्नी
की मा की तरफ देखहते हुए आँख मारी.
मा तिलबिलकार रहा गयी. "मेरी छोटी बेटी की कोरी चूत मिलते ही आप
के तेवर बदल गये लगते है भैसाहब. ये मत भूलिएगा कि अगर
मेरी सेवा करना अपने बंद किया तो मुन्नी और मैं दोनो मे से आप को
कोई भी नही मिलेगी." इसपर मुन्नी भी बोल पड़ी, "हाँ अंकल, मेरी मा
को चोदना आप बंद मत कीजिएगा. नही तो मैं फिर कभी नही
चुड़ावऊंगी आपसे." मुन्नी लंड पकड़े हुए बोली जा रही थी. अंकल ने
उसे भरोसा दिलाया कि वो दोनो की चूत मारते रहेंगे. और उसकी
हाथों से अपना लंड छुड़ा कर मुन्नी को उन्होने गोद मे उठा लिया.
अंकल ने पलंग पर ले जाकर मुन्नी को उसपर सुलाया और उसकी मा को
कहने लगे, "देखहो भाभी, मुन्नी की इच्छा तो पूरी करनी पड़ेगी.
वरना वो अपने पापा को बात बताने से नही चूकेगी. आप मेरी मदद
कीजिए. जहाँ तक हो सके, मैं मुन्नी को तकलीफ़ दिए बिना उसकी छेद
मे लंड डालने की कोशिश करूँगा. आप उसकी चूत चाट कर गीली कर
देंगी तो अछा रहेगा." मा ने हामी भर दी. अपने छिनरपन के कारण
ही उसे यहा करना पड़ रहा था. इतना मोटा लंड बच्ची के चूत मे
जाते हुए तकलीफ़ तो होगी ही, पर उसे थोड़ा कम करने के लिए जो किया
जा सकता है वो सब करने को मुन्नी की मा तैयार थी.
मुन्नी का फ्रा~म्सी उपर उठाकर उसने चड्डी नीचे खींची और झुक कर
अपनी बेटी की चूत पर जीभ लगाई. छेद मे जीभ ठेलते हुए वो मुन्नी
का छेद बड़ा करने का प्रयास करने लगी. बहुत देर तक मा ने मुन्नी
की चूत चॅटी. अंकल तब मुन्नी के मुँह मे अपना लौदा दे कर खड़े
खड़े उसकी छोटी छोटी चूची मसलते हुए मुन्नी की चूत चटाई देख रहे
थे. जब चाट कर मुन्नी की चूत गीली हो गयी तब उसकी मा ने मुन्नी
के छोटे छेद मे एक उंगली डाली और उसे घूमाते हुए छेद को बड़ा
करने की कोशिश करने लगी. मुन्नी भी मा की उंगली अंदर लेने के
लिए अपनी कमर उछालकर सहयोग दे रही थी. इधर अंकल का लंड
अपने मुँह मे चूस्ति हुई मुन्नी को महसूस हुआ कि लंड उसकी मुँह मे
लपक रहा था. अगर वो मुँह मे ही झार गया तो फिर जल्दी खड़ा
नही होगा ये बात मुन्नी को मालूम थी.
मुन्नी ने लंड को मुँह से बाहर किया और मा से बोली,"मा अब बंद करो
उंगली चलाना. अंकल का लंड एकदम कड़ा हो गया है. जल्दी से मेरी
चूत मे डलवाओ ये लंड नही तो बाहर ही झार जाएगा." मा ने चूत
से उंगली हटाई और अंकल से कहा,"आइए भाई सहाब, मुन्नी की चूत
मैने आपके लिए चटकार तैयार की है. अब डालिए मेरी बेटी की चूत
मे आपका मोटा लंड." अंकल हाथ मे अपना लपकता हुआ लौदा लेकर पलंग
पर चढ़ गये. मुन्नी की फैली हुई टाँगो के बीच आकर उन्होने मुन्नी की
मा को कहा," ज़रा अपने हाथों से फैला दीजिए भाभी मुन्नी की चूत."
कहा,"डालेंगे ना अंकल आप मेरी चूत मे अपना लंड?" अंकल ने हँसकर
कहा, "हाँ बेटी, ज़रूर डालेंगे. जब मा बेटी राज़ी हो गयी है तब
मेरी क्या मज़ाल की तेरी छोटी चूत मे लौदा ना डालु? खूब चोदेन्गे आज
बिटिया रानी को. तू फिकर मत कर. चल आजा इधर. छोड़ लंड को
हिलना अब. तेरी चूत का नाम सुनते ही मेरे बूढ़े लंड मे जान आ गयी
है. अब उसे हिलाने की कोई ज़रूरत नही." यहा कहकर अंकल ने मुन्नी
की मा की तरफ देखहते हुए आँख मारी.
मा तिलबिलकार रहा गयी. "मेरी छोटी बेटी की कोरी चूत मिलते ही आप
के तेवर बदल गये लगते है भैसाहब. ये मत भूलिएगा कि अगर
मेरी सेवा करना अपने बंद किया तो मुन्नी और मैं दोनो मे से आप को
कोई भी नही मिलेगी." इसपर मुन्नी भी बोल पड़ी, "हाँ अंकल, मेरी मा
को चोदना आप बंद मत कीजिएगा. नही तो मैं फिर कभी नही
चुड़ावऊंगी आपसे." मुन्नी लंड पकड़े हुए बोली जा रही थी. अंकल ने
उसे भरोसा दिलाया कि वो दोनो की चूत मारते रहेंगे. और उसकी
हाथों से अपना लंड छुड़ा कर मुन्नी को उन्होने गोद मे उठा लिया.
अंकल ने पलंग पर ले जाकर मुन्नी को उसपर सुलाया और उसकी मा को
कहने लगे, "देखहो भाभी, मुन्नी की इच्छा तो पूरी करनी पड़ेगी.
वरना वो अपने पापा को बात बताने से नही चूकेगी. आप मेरी मदद
कीजिए. जहाँ तक हो सके, मैं मुन्नी को तकलीफ़ दिए बिना उसकी छेद
मे लंड डालने की कोशिश करूँगा. आप उसकी चूत चाट कर गीली कर
देंगी तो अछा रहेगा." मा ने हामी भर दी. अपने छिनरपन के कारण
ही उसे यहा करना पड़ रहा था. इतना मोटा लंड बच्ची के चूत मे
जाते हुए तकलीफ़ तो होगी ही, पर उसे थोड़ा कम करने के लिए जो किया
जा सकता है वो सब करने को मुन्नी की मा तैयार थी.
मुन्नी का फ्रा~म्सी उपर उठाकर उसने चड्डी नीचे खींची और झुक कर
अपनी बेटी की चूत पर जीभ लगाई. छेद मे जीभ ठेलते हुए वो मुन्नी
का छेद बड़ा करने का प्रयास करने लगी. बहुत देर तक मा ने मुन्नी
की चूत चॅटी. अंकल तब मुन्नी के मुँह मे अपना लौदा दे कर खड़े
खड़े उसकी छोटी छोटी चूची मसलते हुए मुन्नी की चूत चटाई देख रहे
थे. जब चाट कर मुन्नी की चूत गीली हो गयी तब उसकी मा ने मुन्नी
के छोटे छेद मे एक उंगली डाली और उसे घूमाते हुए छेद को बड़ा
करने की कोशिश करने लगी. मुन्नी भी मा की उंगली अंदर लेने के
लिए अपनी कमर उछालकर सहयोग दे रही थी. इधर अंकल का लंड
अपने मुँह मे चूस्ति हुई मुन्नी को महसूस हुआ कि लंड उसकी मुँह मे
लपक रहा था. अगर वो मुँह मे ही झार गया तो फिर जल्दी खड़ा
नही होगा ये बात मुन्नी को मालूम थी.
मुन्नी ने लंड को मुँह से बाहर किया और मा से बोली,"मा अब बंद करो
उंगली चलाना. अंकल का लंड एकदम कड़ा हो गया है. जल्दी से मेरी
चूत मे डलवाओ ये लंड नही तो बाहर ही झार जाएगा." मा ने चूत
से उंगली हटाई और अंकल से कहा,"आइए भाई सहाब, मुन्नी की चूत
मैने आपके लिए चटकार तैयार की है. अब डालिए मेरी बेटी की चूत
मे आपका मोटा लंड." अंकल हाथ मे अपना लपकता हुआ लौदा लेकर पलंग
पर चढ़ गये. मुन्नी की फैली हुई टाँगो के बीच आकर उन्होने मुन्नी की
मा को कहा," ज़रा अपने हाथों से फैला दीजिए भाभी मुन्नी की चूत."