सामूहिक चुदाई compleet

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raj..
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Re: सामूहिक चुदाई

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:55

मेरी चीख सुनकर ललिता ने जय का लंड अपनी चूत में लेते हुए धीरे से बोली- लगता है कि राज और डॉली ने भी अपनी चुदाई शुरू कर दी है।

यह सुनकर जय ने आवाज़ दी- क्या राज, क्या चल रहा है? क्या तुम और डॉली भी वही कर रहे हो जो हम दोनों कर रहे हैं?

राज ने जवाब दिया- क्यों नहीं, तुम दोनों का लाइव शो देख कर कौन अपने आप को रोक सकता है। इसीलिए मैं और डॉली भी वही कर रहे हैं जो इस वक्त तुम और ललिता कर रहे हो यानी तुम ललिता को चओ रहे हो और मैं डॉली को चोद रहा हूँ।

जय बोला- अगर हम लोग सभी एक ही काम रहे हैं तो फिर एक-दूसरे से क्या छिपाना और क्या परदा? खुले मंच पर आ जाओ, राज। आओ हम लोग एक ही पलंग पर अपनी-अपनी बीवियों को चित्त लेटा करके उनकी टाँगें उठा के उनकी चूतों की बखिया उधेड़ते हैं।

राज ने पूछा- तुम्हारा क्या मतलब है, जय?

“मेरा मतलब है कि तुम लोगों को सोफे पर चुदाई करने में मुश्किल आ रही होगी, क्यों नहीं यहीं पलंग पर आ जाते हो हमारे पास, आराम रहेगा और ठीक तरीके से डॉली की सेक्सी चूत में अपना लंड पेल सकोगे, मतलब डॉली को चोद सकोगे।”

उसकी बात तो सही थी कि हम वाकयी सोफे पर बड़ी विचित्र स्थिति में थे।

राज ने मुझसे पूछा- पलंग पर ललिता के बगल में लेट कर चूत चुदवाने में कोई आपत्ति है?

मैंने कहा- नहीं…! बल्कि मैं तो उन दोनों की चुदाई देख कर काफ़ी चुदासी हो उठी थी और उनकी चुदाई को नज़दीक से देखना चाह रही थी।

टीवी की धीमी रोशनी में मैं यह सोच रही थी कि एक ही पलंग पर पर लेट करके ललिता के साथ साथ चूत चुदवाने में कोई परेशानी नहीं, पर मुझे आने वाली घटना का अंदेशा नहीं था।

राज ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और पलंग पर ले गया, जहाँ जय और ललिता चुदाई में लगे थे।

हमें आता देख जय ने अपनी चुदाई को रोक कर हमारे बिस्तर पर आने का इंतज़ार करने लगा।

जय ने ललिता की चुदाई तो रोक लिया था लेकिन अपना लंड ललिता की चूत से नहीं निकाला था, वो अभी भी ललिता की चूत में जड़ तक घुसा हुआ था और जय और ललिता की झांटें एक-दूसरे से मिली हुई थीं।

राज ने पलंग के नज़दीक पहुँच कर मुझे ललिता के पास चित्त हो कर लेटने को कहा।

जैसे ही मैं ललिता के बगल में चित्त हो कर लेटी, जय मुझे छूकर उठा और कमरे की लाइट जलाकर वापस बिस्तर पर आ गया।

हम लोगों को एकाएक सारा का सारा माहौल बदला हुआ नज़र आने लगा।

हम चारों एक ही पलंग पर चमकती रोशनी में सरे-आम नंग-धड़ंग चुदाई में लगे हुए थे।

जय और ललिता बिना कपड़ों के काफ़ी सुंदर लग रहे थे, ललिता की चूचियाँ छोटी-छोटी थीं पर चूतड़ काफ़ी बड़े थे। उसकी छोटी-छोटी झांटें बड़ी सफाई से उसकी सुंदर चूत को ढके हुए थीं।

कमरे की हल्की रोशनी में ललिता की चूत जो कि इस समय जय का लंड से चुद रही थी, काफ़ी खुली-खुली सी लग रही थी।

क्रमशः..................

raj..
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Re: सामूहिक चुदाई

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:56

गतान्क से आगे......................

मैंने कमरे की चमकती रोशनी में जय के खड़े लंड को ललिता की चूत के रस से चमचमाते हुए देखा, उसका लंड राज से थोड़ा लम्बा रहा होगा, पर राज का लंड उससे कहीं ज़्यादा मोटा था।

राज भी ललिता को नंगी देख कर बहुत खुश था।

मुझे याद आया कि राज को हमेशा छोटे मम्मों और बड़े चूतड़ों वाली औरतें पसंद थीं।

मैंने जय को अपने नंगे जिस्म को भारी नज़रों से आँकता पाया और उसे शर्तिया मेरे भारी मम्मे और गोल-गोल भरे-भरे चूतड़ भा गए थे।

जय ने बिस्तर पर आकर ललिता की खुली जांघों के बीच झुकते हुए अपना लंड उसकी गीली चूत से फिर से भिड़ा दिया।

ललिता ने भी जैसे ही जय का लंड अपनी चूत के मुँह में देखा तो झट से अपनी टाँगों को ऊपर उठा दिया और घुटने से अपने पैरों को पकड़ लिया।

अब ललिता की चूत बिल्कुल खुल गई और जय ने एक ज़ोरदार झटके के साथ अपना लंड ललिता की चूत में डाल दिया।

यह देख राज ने भी अपना लंड अपने हाथ से पकड़ कर मेरी चूत के छेद से लगाया और एक झटके के साथ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ कर मुझे चोदने लगा।

जय हालाँकि ललिता को बहुत ज़ोर से चोद रहा था पर उसकी नज़र मेरी चूत पर टिकी हुई थी।

राज का भी यही हाल था और उसकी नज़र ललिता की चुदती हुई चूत पर से हट नहीं पा रही थी!

मुझे जय के सामने अपने पति के साथ चुदाई करने में बहुत मज़ा आ रहा था और अब मैं भी गर्म होकर अपनी कमर उचका-उचका कर राज का लंड अपनी चूत में डलवा रही थी। मेरे बगल में ललिता भी अपनी टाँगों को उठा करके जय का लंड अपनी चूत से खा रही थी।

पलंग पर चार लोगों के लिए जगह कम थी और हमारे जिस्म एक-दूसरे से टकरा रहे थे। ललिता का पैर मेरे पैर से और राज की जाँघ जय के जाँघ से छू रही थी।

थोड़ी देर तक मैं अपनी चूत चुदवाते हुए ललिता को देख रही थी और थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा कर ललिता का हाथ पकड़ लिया।

ललिता ने खुशी का इज़हार करते हुए मेरे हाथ को दबाया और अपनी कमर उचकाते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई।

यह देख जय ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे पेट, पर मेरी चूत से थोड़ा ऊपर रख दिया। मुझे जय का हाथ अपने पेट पर बहुत अच्छा लगा और मैंने जय से कुछ नहीं कहा।

जय की हरकत देख कर राज ने भी अपना हाथ ललिता की जाँघ पर उसकी चूत के पास रख दिया और ललिता की जाँघों को हल्के-हल्के से सहलाना और दबाने लगा। जय और राज की इन हरकतों से हम सब में एक नई तरह की चुदास भर गई और दोनों मर्द हम दोनों औरतों को ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया।

अचानक राज को हमारा वो वार्तालाप याद आया जिसमे हम किसी दूसरे जोड़े के साथ चुदाई की कल्पना करते थे, राज ने मुझसे पूछा- डॉली क्या तुम आज किसी नई चीज़ का आनन्द उठाना चाहोगी?

मैंने राज से पूछा- तुम्हारा क्या मतलब है राज? तुम और किस नए आनन्द की बात कर हो? अभी तो मुझे ललिता के साथ उसके पलंग पर लेट कर तुमसे अपनी चूत चुदवाने में बहुत आनन्द मिल रहा है।

तब राज मुस्कुराते हुए मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए बोला- आज जय से चुदवाने का मज़ा लेने के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?

raj..
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Re: सामूहिक चुदाई

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 06:57

मैं और राज कल्पना में जय और ललिता के साथ इतनी बार एक-दूसरे को चोद चुके थे कि ये सब बातें मेरे लिए नई नहीं थीं।

इसलिए मैं राज से बोली, “राज, आज मेरी चूत इतनी गर्म हो चुकी है कि मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आज मुझे कौन चोदता है, तुम या जय.. बस मुझे अपनी चूत में कोई ना कोई लंड की ठोकर चाहिए और वो लंड इतनी ठोकर मारे कि मैं जल्दी से झड़ जाऊँ। इस समय मैं अपनी चूत की खुजली से बहुत परेशान हूँ।

यह सुनते ही राज ने जय की ओर मुड़ कर कहा- जय, क्या तुम आज एक नए आनन्द के लिए डॉली की चूत में अपना लंड डालना चाहोगे? क्या तुम आज डॉली को चोदना चाहोगे?

राज की बात सुन कर जय झटपट ललिता की चूत में चार-पाँच कस-कस कर धक्के मारे और ख़ुशी से बोला, “ज़रूर राज, पर अगर ललिता भी एक नए आनन्द के लिए तुम से अपनी चूत चुदवाना कहती है तो !

जब मैंने देखा कि जय और राज अपनी-अपनी बीवियों को एक-दूसरे से चुदवाना चाहते हैं, तो फिर मैंने हिम्मत करके ललिता से पूछा- ललिता, क्या तुम भी एक नया आनन्द लेना चाहती हो, राज का लंड अपनी चूत में डलवा करके उससे चुदवाना चाहती हो?

ललिता थोड़ी देर तक सोचने के बाद जय के गले में अपनी बाँहों को डाल कर और उसके सीने से अपनी चूचियों को रगड़ते हुए बोली- क्यूँ नहीं..! अगर दूसरे मर्द के साथ डॉली अपनी चूत चुदवा सकती है और यह डॉली के लिए ठीक है तो मुझे क्यों फ़र्क पड़ना चाहिए? मैं भी राज के लंड से अपनी चूत चुदवाना चाहती हूँ और यह भी देखना चाहती हूँ कि जय का लंड कैसे डॉली की चूत में घुसता है और निकलता है और कैसे डॉली अपनी चूत जय से चुदवाती है। आज मैं भी डॉली की तरह छिनाल बनना चाहती हूँ और किसी दूसरे मर्द का लंड अपनी चूत में पिलवाना चाहती हूँ।

और यही हम लोगों की अदला-बदली चुदाई का आगाज़ था।

ललिता की बातों को सुनकर जय ने अपना लंड ललिता की चूत से बाहर खींच लिया और राज से बोला- चल अब हम अपनी-अपनी बीवियाँ बदल कर उनकी चूत को चोद-चोद कर उनका भोसड़ा बनाते हैं।

जय की बात सुनकर राज ने भी अपना लंड मेरी चूत में से निकाला और ललिता की ओर बढ़ गया।

जय भी अपने हाथ से अपना लंड पकड़ कर मेरे पास आया, मेरे पास आकर मेरी जांघों के बीच झुकते हुए उसने पहले मेरी चूत पर एक जोरदार चुम्मा दिया और फिर अपना लंड मेरी कुलबुलाती हुई चूत में लगाया और एक धक्के के साथ अपना लंड मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ दिया।

मैंने भी अपनी कमर उचका कर जय का पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में डलवा लिया। फिर मैं अपनी चूत में जय का लंड लेती हुई और राज को भी ललिता की चूत में अपना लंड घुसा कर ललिता की चुदाई शुरू करते हुए देखने लगी।

राज और ललिता दोनों बड़े जोश के साथ एक-दूसरे को चोद रहे थे।

जितना तेज़ी से राज अपना लंड ललिता की चूत में घुसेड़ता उतनी ही तेज़ी से ललिता भी अपनी कमर उचका कर राज का लंड अपनी चूत में ले रही थी। मैं एक नया लंड अपनी चूत में डलवा कर बहुत खुश थी और खूब मज़े से जय का लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी।

जय का लम्बा लंड मेरी चूत के खूब अन्दर तक जा रहा था और मुझे जय की चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा था। जय भी मेरी चूचियों को अपने दोनों हाथों से मसलते हुए मुझे चोद रहा था।

मैं बार-बार राज के मोटे लंड को ललिता की चूत में जाता हुआ देख रही थी। राज भी मेरी चूत को जय के लंड से चुदते हुए बिना परेशानी के देख रहा था।

ललिता भी राज के लंड को मेरी चूत मैं अन्दर-बाहर होते देख रही थी और जय सिर्फ़ मेरी बिना झांटों वाली चिकनी चूत को देख कर उसे चोदने में पूरा ध्यान लगाए हुए था।

इस समय मुझे लगा कि दुनिया में अपने पति को अपनी सबसे चहेती सहेली को चोदते हुए देखने का सुख अपरम्पार है और तब जबकि मैं खुद भी उसी बिस्तर पर उस सहेली के पति से अपने पति के सामने खुल्ल्म-खुल्ला चुदवा रही होऊँ।

कमरे में सिर्फ हमारी चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी।

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