खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:11

खिलोना पार्ट--19

"कौन सा राज़?",रीमा का दिल ज़ोरो से धड़कने लगा.

"बताता हू.",शेखर अब उसके पैरो की तरफ सर करके लेट गया,"..जिन दीनो मे कजरी राइ & पिताजी की आवंतिपुर मे मुलाकात हुई,उसी वक़्त पंचमहल के 1 पब मे मैं शंतु से टकराया.मैने तो उसे पहचाना ही नही,बढ़ी दाढ़ी,बिखरे बाल,नशे मे धुत...उसकी फॅमिली कॅल्कटा शिफ्ट हो गयी थी पर वो यही रह गया था.रवि के पुणे जाने के बाद से मैने उसे नही देखा था.जब उसके ऐसे हाल के बारे मे पुचछा तो वो टाल गया."

"..पर मैने भी 2 दीनो मे 2 बॉटल वोडका के सहारे उस से ये राज़ उगलवा ही लिया जिसे सुन के मैं हैरान रह गया.सुनोगी?",शेखर उसके पैरो को सहला रहा था & वीरेन्द्र जी उसकी चूचियो को दबा & चूस रहे थे.

"हन."

"तुम्हारा पति & शंतु लवर्स थे."

"क्या बकवास है!रवि गे नही था."

"जानेमन!मैने कब कहा कि वो गे था,वो तो बाइसेक्षुयल था-उसे औरत & मर्द दोनो के साथ सेक्स करने का शौक था.जब तुम्हारे प्यार मे दीवाना हो वो तुमसे शादी कर बैठा तो शंतु-जो कि गे था,उसका दिल टूट गया & वो डिप्रेशन का शिकार हो गया.वो पागल समझता था कि रवि उसके साथ पूरी ज़िंदगी बिताएगा.पर रवि ने तो तुम्हारे उसकी ज़िंदगी मे आने के बाद से ही उस से कन्नी काटना शुरू कर दिया था.",शेखर उसके पैरो की उंगलियो को चूम रहा था.

"..बस यही मौका हमे मिल गया.मेरे खुरापाति दिमाग़ ने शंतु के ज़रिए रवि को ब्लॅकमेल करने का प्लान बनाया.मैने शंतु को एमोशनली यूज़ करना शुरू किया.उस से झूठ कहा कि रवि ने तुमसे शादी करने के बाद हमसे भी नाता तोड़ लिया था & वो मुझे भी अपने बॅंक से लोन नही दिलवा रहा था."

"..मैने शंतु को इस बात के लिए तैय्यार कर लिया कि वो बॅंगलुर जाकर रवि से मिले & उसे डराए कि अगर उसने उसे .6 लाख रुपये नही दिए तो वो तुम्हे उसके & रवि के रिश्ते के बारे मे सब बता देगा.पहले तो वो झिझका पर जब मैने उसे कहा कि उन पैसो से मैं उसे दुबई मे नौकरी दिलवा दूँगा तो वो तैय्यार हो गया."

"..तो इसीलिए रवि उन दीनो परेशान था?",रीमा ने सोचा.

"..उसके बाद तो तुम जानती ही हो,कि रवि ने कैसे पैसो का इंतेज़ाम किया-कुच्छ अपने पास से,कुच्छ फ़र्ज़ी लोन से.तुम्हे खोना नही चाहता था वो-आख़िर तुम हो ही ऐसी चीज़!",शेखर उसके पैर के अंगूठे को चूस्ते हुए उसकी जंघे सहला रहा था.

"..मैने शंतु को बॅंगलुर के बाहर 1 सरॅमिक फॅक्टरी के गेस्ट हाउस मे ठहराया था.उस दिन रवि ने उसे जब पैसे दिए तो मैं वही छुपा था.जैसे ही रवि पैसे दे के निकला मैने शंतु से पैसे ले लिए & उसे एरपोर्ट भेज दिया.हम दोनो 1 ही फ्लाइट से 1 साथ वापस यहा आने वाले थे,उसके बाद शंतु दुबई चला जाता & मुझे 1 हथ्यार मिल जाता रवि को आगे भी ब्लेकमेल करने के लिए."

"..पर रवि की बदक़िस्मती देखो,पैसे देने के वक़्त उसकी जेब से उसका वॉलेट वाहा गिर गया था & जब 45 मिनिट बाद वो उसे लेने वाहा आया तो उसने कमरे मे मुझे पाया.मैं पैसे गिनना ख़त्म कर वाहा से निकलने ही वाला था कि वो कमरे मे दाखिल हुआ & 1 पल मे ही सब समझ गया.मैं उसकी ओर लपका पर उसने मुझे धक्का दे कर गिरा दिया & वाहा से निकल भागा."

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:11

"..वो अपनी बाइक से भाग रहा था & मैं 1 कार से उसका पीचछा कर रहा था.जब वो पुल पे पहुँचा तो बाइक थोड़ी स्लो हुई,मैं सही टाइम पे ब्रेक नही लगा पाया & पीछे से कार उसकी बाइक से जा भिड़ी.टक्कर के चलते बाइक उस पुराने पुल की कमज़ोर रेलिंग को तोड़ उसमे अटक गयी.बाइक आधी हवा मे & आधी पुल पे थी & रवि उच्छल कर रेलिंग के उस पार गिर गया था.पर उसने गिरते हुए किसी तरह पुल को पकड़ लिया था & अब उस से लटका हुआ था."

"..अगर वो बच जाता तो मेरा भंडा फूट जाता & साथ ही साथ इनका भी,",उसने अपने पिता की ओर इशारा किया.उसके होठ अब उसके पैरो को छ्चोड़ उपर उसकी गोरी टांग पे आ गये थे,"..मैने इधर-उधर देखा,जगह बिल्कुल वीरान थी.मैने अपना हाथ नीचे बढ़ाया तो उसने सोचा कि मैं उसे उपर खींचुँगा & मेरा हाथ थाम लिया.ऐसा करते ही मैने हाथ छ्चोड़ दिया & वो नीचे नदी मे जा गिरा.1 धक्के के बाद बाइक भी नदी मे थी & थोड़ी देर बाद मैं & इस हादसे से अंजान शंतु प्लेन मे बैठे थे."

रीमा बुत की तरह बैठी थी & दोनो उस से खिलोने की तरह खेल रहे थे,"..तो इस कमीने ने उसके रवि का खून किया था!कैसे घिनोने लोग हैं ये!इन्ही बाप & भाई से बिछदने का गम था बेचारे रवि को!"

"..कजरी राइ रवि की मौत के 2 हफ्ते पहले ही चल बसी थी & उसके वकील ने उसकी वसीयत के मुताबिक उसी दिन सवेरे-जिस दिन रवि की मौत हुई-बॅंगलुर आके सवेरे काग़ज़ात पे उसके दस्तख़त लिए थे & रवि से 1 इंसान को अपना नॉमिनी बनाने के लिए कहा था ताकि अगर रवि की मौत हो जाए तो उसके हिस्से की सारी दौलत उस इंसान को मिल जाए.रवि ने तुम्हे अपना नॉमिनी बनाया था.",शेखर उठ कर बैठ गया था & उसका हाथ रीमा की जाँघो से फिसलता हुआ उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.

"..हमे ये बात पता चली तो तुम्हारा हमारे करीब होना ज़रूरी हो गया & फिर पिताजी तुम्हे यहा ले आए.वकील ने हमे पेपर्स दिखाए,उनमे सॉफ-2 लिखा था कि अगर रवि की अन्नॅचुरल डेथ होती है तो 3 महीने बाद ही तुम्हे सारी दौलत मिलेगी.उन 3 महीनो तक ये ज़रूरी था कि रवि की मौत के पीछे साज़िश होने की बात ना खुले बल्कि सबको ये लगे कि वो 1 रोड आक्सिडेंट था वरना वकील मामले को पोलीस के पास ले जाता.आख़िर करोड़ो रुपयो का सवाल था!"

"..तो ये थी असली बात!ये सारा खेल उसे पोलीस के पास जाने से रोकने & दौलत हड़पने के लिए इन दोनो बाप-बेटे ने खेला था!",रीमा ने सोचा.

"...फिर तुम्हारी जिस्म की भूख ने भी हमारा साथ दिया.हमने तो सोचा भी नही था की तुम खुद हम दोनो के बिस्तर गरम करोगी!",शेखर & विरेन्द्र जी दोनो उसकी चूचिया मसल रहे थे,शेखर 1 हाथ से उसकी चूत भी रगड़ रहा था.

"..वकील ने तुमसे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की पर तुम बंगलोर मे नही मिली तो वो पिताजी के पास आया.पिताजी ने वकील को ये कहा कि तुम अभी भी बहुत दुखी हो & इन सब चीज़ो से तुम्हे कोई मतलब नही है,तो उसने पिताजी को 1 काग़ज़ दिया जिसमे ये लिखा था कि तुम ही रवि की पत्नी हो & उसकी वसीयत के मुताबिक अब सारी दौलत तुम्हे मिलेगी पर इसके लिए तुम्हे 2 महीनो तक इंतेज़ार करना पड़ेगा...& कल 2 महीने पूरे हो रहे हैं.आज जिन काग़ज़ो पे तुमने साइन किया है,उनमे यही लिखा कि तुम्हे रवि की दौलत मिल रही है."

"..पर उसके नीचे 1 पेपर और भी है जिसपे तुमने साइन करके उस दौलत को जैसे चाहे इस्तेमाल करने की पॉवेर ऑफ अटर्नी हम दोनो को दे दी है.",शेखर ने उसकी चूत मारते हुए उसके होठ चूम लिए.

"..फिर शंतु का क्या हुआ?",रीमा ने उसके होठ से अपने होठ अलग किए.

"तुमने वो ब्लॅंक कॉल्स वाली बात बताई तो पता नही क्यू मेरा माथा ठनका कि हो ना हो ये शंतु ही है.बस मैने पता लगाना शुरू किया तो मालूम हुआ कि उसने दुबई के बाद अपनी पोस्टिंग यहा करा ली थी.मैने उस से मुलाकात की & उसे जम के दारू पिलाई.नशे मे धुत शंतु को मैने उसके घर पहुँचाया,जहा वो बेसूध सोने लगा & मैने उसका फ्लॅट छानना शुरू किया.शंतु को 1 गंदी आदत थी-जर्नल लिखने की.दिल मे जो भी ख़याल आते या कोई ऐसी बात सुनता जो उसे अच्छी लगती तो वो उसे उसमे लिख लेता."

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:12

"..शुरू के पन्नो मे तो इधर-उधर की बाते थी,फिर 1 पन्ने पे उसने बस अपना दर्द लिखा था कि कैसे उसके माता-पिता उसे नही समझते थे-उसने उन्हे अपने गे होने के बारे मे बताया था & वो भड़क गये थे...& आगे के पन्नो मे उसने लिखा था कि उसे शक़ था कि रवि की मौत से मेरा कुच्छ लेना-देना है.उसने ये भी लिखा था कि वो तुमसे बात करना चाहता है पर हिम्मत नही जुटा पा रहा है.मेरे लिए इतना काफ़ी था.1 रस्सी को उसके गले मे बाँध मैने पंखे से लटका कर 1 टेबल पे खड़ा किया & फिर टेबल को लात मार दी.थोड़ी देर तक लटका तड़प्ता रहा & फिर शंतु हुमेशा के लिए शांत हो गया.मैने उस पन्ने को फाडा जिसमे उसने मा-बाप & अपने डिप्रेशन के बारे मे लिखा था...आख़िरी लाइन्स मे सॉफ लिखा था कि वो अब और जीना नही चाहता.उसके नीचे मैने उसके नकली दस्तख़त किए & उसकी मौत को ख़ुदकुशी की शक्ल दे दी."

रीमा के चेहरे से तो लग रहा था कि जैसे उसे कुच्छ समझ नही आ रहा,पर उसका दिमाग़ बहुत तेज़ी से काम कर रहा था.उसे कैसे भी करके यहा से निकलना था.ये दोनो अभी उसे चोदेन्गे,ये वो जानती थी & उसने चुदाई को ही अपना हथ्यार बनाने की सोची.उसने तय किया कि वो उनके साथ इतनी बार & इतनी जम के चुदाई करेगी कि उन्हे थक कर सोना ही पड़ेगा & जैसे ही दोनो नींद के आगोश मे गये वो यहा से निकल भागेगी!

क्रमशः........................

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