आवंतिपुर मे कजरी राइ के वकील के पास पहुँचते ही सारी बाते साफ हो गयी & 1 ही झटके मे रीमा .100 करोड़ टर्नोवर वाले ग्रूप की 5% शेरहोल्डर,उसकी बोर्ड मेंबर & सालाना प्रॉफिट की हिस्सेदार बन गयी.कजरी राइ की सारी प्रॉपर्टी & चीज़े भी उसी को मिली.इसके अलावा हर साल उसके अकाउंट मे टॅक्स देने के बाद .5 करोड़ जमा होते सो अलग.
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1 महीने बाद
आवंतिपुर के उस सबसे पॉश इलाक़े की वो सबसे शानदार इमारत थी,जिसके बाहर खड़ा वो बूढ़ा गार्ड से बहस कर रहा था.उस विशाल,आलीशान बंगल के नेम प्लेट पे राइ विला के नीचे 1 नाम चमक रहा था-रीमा सेक्स्ना.
"..पर बाबा,मेरा यकीन करो,मेडम अभी घर पे नही हैं,बाहर गयी हैं."
"मैं कुच्छ नही जानता.बिना मिले मैं नही जाऊँगा.",तभी हॉर्न की आवाज़ आई तो दोनो ने घूम के देखा,1 बड़ी सी चमचमाती कार खड़ी थी,"..किनारे हो,बाबा.देखो,मेडम अब आई हैं"
कार अंदर दाखिल हुई तो उस बूढ़े ने देखा कि जिस से वो मिलना चाहता था वो कार के अंदर ही है.जब तक वो उसे आवाज़ देता कार गेट के अंदर जा चुकी थी.बूढ़ा वैसे ही खड़ा था,"बाबा.अरे ओ बाबा!पहले तो मिलने की रट लगाए थे अब क्या हो गया?चलो मेडम ने तुम्हे देख लिया था,बुला रही हैं."
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"दद्दा!",रीमा दौड़ कर गयी & भूषण के पैर छु लिए,"कैसे हैं आप?शादी ठीक से निपट गयी?"
"तडाक...!",भूषण ने रीमा को 1 करारा तमाचा जड़ दिया,"तुम्हे पैसो की इतनी हवस थी.बोलो क्यू मारा मेरे मालिक को & झूठ क्यू कहा कि तुम उनकी बहू हो जबकि रवि भाय्या की तो शादी ही नही हुई थी?"
रीमा ने गाल पे हाथ रखे 1 फीकी हँसी हँसी,"..दद्दा!आप मुझे धोखेबाज़ समझते हैं ना?तो सुनिए मैं बताती हू आपको आपके मलिक की असलियत...
कोई 2 घंटे बाद रीमा की दास्तान ख़तम हुई तो भूषण बस मुँह खोले उसकी तरफ देख रहा था.रीमा ने उस से कुच्छ भी नही छिपाया-अपना अनाथ होना.रवि के जनम की कहानी,उसका & रवि का प्यार & शादी,उसके ससुर & जेठ की मक्कारी भरी साज़िशें & वो बात जो उसे पिता समान दद्दा को बताते हुए बहुत शर्म आई-अपने जेठ & ससुर से जिस्मानी ताल्लुक़ात बनाने की बात.
थोड़ी देर तक कमरे मे सन्नाटा छाया रहा.फिर भूषण उठ खड़ा हुआ,"..मुझे माफ़ कर दो बेटी,मैने..मैने तुम पे हाथ उठाया..",वो हाथ जोड़े खड़ा था.
"नही,दद्दा.ये थप्पड़ आपकी वफ़ादारी & ईमानदारी का सबूत था.."
"फिर भी,बेटी मुझे माफ़ करदो..अच्छा...अब मैं चलता हू..",भूषण घूम कर जाने लगा.
"दद्दा.मैने आपके सामने अपनी पूरी ज़िंदगी की कहानी कह दी.कुच्छ भी नही च्छुपाया.दद्दा,मेरे पास सब कुच्छ है.कुच्छ दीनो के लिए ही सही 1 बहुत ही अच्छे इंसान के प्यार का भी एहसास किया है,उसकी पत्नी बनके..पर कभी भी मुझे पिता का प्यार नही मिला....",उसका गला भर आया था & आँखे छलछला आई थी,"..दद्दा,क्या आप..मुझे वो प्यार देंगे?"
"बेटी...",भूषण बस इतना ही कह पाया क्यूकी आगे उसकी भी आँखो से आँसू बहने लगे थे.रीमा दौड़ के उसके गले लग गयी & दोनो फूट-2 के रोने लगे पर इस बार दुख के नही खुशी के आँसू थे.
दा एंड
...
आपका दोस्त
राज शर्मा
खिलोना compleet
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