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Re: खिलोना

Posted: 22 Oct 2014 09:14
by raj..
शेखर का लंड सिकुड कर अपनेआप उसकी चूत से निकल गया था,रीमा उसके उपर से उतर बगल मे लेटे अपने ससुर के सीने से लग गयी & उनके सीने पे प्यार से2-3 मुक्के मारे,"कितने बदमाश हैं आप!मुझे भनक भी नही लगने दी & पीच से आके मेरी गंद का कुँवारापन लूट लिया!"

"ये बताओ की मज़ा आया या नही?",विरेन्द्र जी ने उबासी लेते हुए पूचछा.उनकी आवाज़ से सॉफ झलक रहा था कि वो थक गये हैं.

"ह्म्म..",रीमा ने उनके सीने के बालो मे अपना चेहरा दफ़न कर लिया & हौले-2 चूमने लगी.बगल मे पड़ा शेखर भी अपनी तेज़ साँसे सायंत कर रहा था.रीमा जानती थी कि अभी उसका काम पूरा नही हुआ है.उसे इन दोनो को और थकाना था.

रीमा उनके सीने को चूमती हुई अपना हाथ उनके पेट पे फिराती हुई नीचे ले गयी & लंड से लगा दिया,"इसी शैतान ने मुझे तडपया था अभी!",वो उनके सीने से उठी & घुटनो पे झुक उनके लंड को हाथ मे था लिया,"..देखो तो अब कैसे शांत पड़ा है,बदमाश!",उसने लंड पे अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया.विरेन्द्र जी ने आँखे बंद कर ली.वो अब तक 3 बार झाड़ चुके थे,उन्हे नींद भी आ रही थी पर अपनी बहू की मस्त हर्कतो ने उन्हे जागने पे मजबूर किया हुआ था.

रीमा अब तेज़ी से उनकी लंड की लंबाई पे जीभ फिरा रही थी.उसने जान बुझ कर अपनी गंद को शेखर की तरफ कर हवा मे उठा लिया था & लंड चूस्ते हुए मुँह से ऊहह-आँह की आवाज़े निकालते हुए उसे लहरा रही थी.शेखर ने हाथ बढ़ा कर उसकी गंद को दबाया तो रीमा ने ससुर के लंड को हिलाते हुए उस से मुँह हटा के पीछे देखा & अपने होंठो को गोल कर शेखर को चूमने का इशारा किया.

फिर वापस घूम कर विरेन्द्र जी के लंड को अपने मुँह की गहराइयो मे उतार उसे चूसने लगी.शेखर भी थक गया था पर रीमा को 1 बार और चोदने का मोह वो छ्चोड़ नही पाया.अपने पिता को उसकी गंद मारता देख उसे भी ऐसा करने का दिल हो आया था.वो उठा & रीमा की मस्त गंद को सहलाते हुए अपना लंड हिलाने लगा.

थोड़ी देर मे लंड फिर से तन गया.उसने उसकी कमर पकड़ी & लंड को थाम उसे उसकी गंद के छेद पे रख दिया,"हाई राम!अब आप भी वाहा करेंगे...मैं तो मर ही जाऊंगो..छ्चोड़िए ना!",पर वो छूटने की कोई कोशिश नही कर रही थी बल्कि अपनी गांद को और मादक तरीके से लहरा रही थी.

"बस 1 बार,जानेमन!प्लीज़!",शेखर अपने लंड से उसके गंद के छेद पे मार रहा था.

"मना करने से भी आप मानेंगे थोड़े ही!चलिए बस 1 बार पर धीरे-2 करिएगा..ज़्यादा दर्द मत पहुँचाइएएगा."

"कोई दर्द नही होगा,जानेमन!",& शेखर ने अपना लंड उसकी गंद मे डालने लगा.गंद पहले ही उसके पिता के पानी से भरी थी,इसीलिए लंड तुरंत अंदर चला गया.फिर उसका लंड विरेन्द्र जी जितना बड़ा भी नही था सो वो जड़ तक रीमा की गंद मे उतरा हुआ था & उसकी झांते रीमा की गंद की फांको पे गुदगुदी कर रही थी.

रीमा अब गंद हवा मे उठाए,उसमे शेखर का लंड भरे,झुक के अपने ससुर के लंड के बस सूपदे को अपने मुँह मे लिए हुए थी.जैसे ही शेखर ने धक्का मारा वो ससुर के लंड पे और झुक गयी & वो पूरा मुँह मे भर गया.जब शेखर अपना लंड बाहर खींचता तो वो भी विरेन्द्र जी के लंड से उठ जाती.

Re: खिलोना

Posted: 22 Oct 2014 09:15
by raj..
उसने उनके लंड को हाथ मे रखा बस सूपदे को मुँह मे रखा & शेखर के धक्के का इंतेज़ार करने लगी.बस अब तो वो धक्के मारता तो विरेन्द्र जी का लंड अपने आप उसके मुँह मे घुस जाता & जब वो लंड को खींचता तो ससुर का लंड भी अपनेआप उसके मुँह से बाहर आ जाता.

काफ़ी देर तक तीनो ऐसे ही मस्ती भरा खेल खेलते रहे & फिर रीमा ने अपनी जीभ कुच्छ इस शिद्दत & गर्मी के साथ अपने ससुर के लंड पे फिराई कि वो पागलो की तरह अपनी कमर उचकाने लगे.रीमा की मस्ती भरी ऊन्ह-आँह सुन शेखर भी गरम हो गया & उसके उपर झुक उसकी चूचियो को पीछे से 1 हाथ मे दबोच & दूसरे से उसके चूत के दाने को रगड़ता हुआ कातिल धक्के लगाने लगा.अचानक रीमा ने अपने होंठो मे कसे विरेन्द्र जी के लंड को,उनके नडे दबाते हुए,इतनी ज़ोर से चूसा कि वो आह भरते हुए अपनी कमर उच्छाल उसके सर को पकड़ उसके मुँह मे झाड़ गये.

ठीक उसी वक़्त उसने अपनी गंद के छेद को भी सिकोड कर शेखर के लंड पे कस दिया & वो भी उसकी इस हरकत से बहाल हो उसकी गंद मे अपना पानी छ्चोड़ने लगा.झड़ने के बाद वो निढाल हो रीमा के उपर गिरा गया तो रीमा का चेहरा उसके ससुर के झांतो भरे लंड पे जा लगा.उसने पीठ को झटका दे शेखर को अपने उपर से गिराया & अपने ससुर की कमर को अपनी बाहो के घेरे मे ले उनकी झांतो मे अपना चेहरा छुपा लिया.शेखर ने भी उसे पीछे से थाम लिया.

विरेन्द्र जी अब बहुत थक चुके थे,उन्होने रीमा के सर पे हाथ रखा पर अब वो नींद से बहाल हो चुके थे & थोड़ी ही देर मे उसके सर को सहलाते हुए सो गये.रीमा भी आँखे बंद किए सोने का नाटक करने लगी.उसकी पीठ से लगा शेखर जगा हुआ था पर अब उसे छेड़ नही रहा था,शायद तीन बार की मस्त चुदाई अब उसपे भी असर दिखा रही थी.

थोड़ी देर बाद रीमा ने महसूस किया कि शेखर भी नींद मे चला गया था.वो बहुत धीरे से दोनो के बीच से उठी & पलंग से उतर गयी.दोनो मर्द थक के चूर हो बेख़बर सो रहे थे.

रीमा कमरे से निकलने लगी तो शेखर की पॅंट पे उसका पैर पड़ा & उसमे कुच्छ चुबा,उसने पॅंट उठाई तो देखा कि उसकी जेब मे कुच्छ था.हाथ डाला तो वो उसकी कार की चाभी थी.रीमा ने उसे ले लिया,फिर कुच्छ ध्यान आया तो पलटी & दबे पाँव साइड-टेबल से वो रवि की जयदाद वाले पेपर्स उठाए.

हॉल मे देखा कि डाइनिंग टेबल के पास विरेन्द्र जी की पॅंट पड़ी थी,उसकी तलाशी मे उसे फार्महाउस की चाभीया मिल गयी.


Re: खिलोना

Posted: 22 Oct 2014 09:16
by raj..
बारिश रुक चुकी थी & सवेरे के 4 बज रहे थे.रीमा कपड़े पहन अपने हॅंडबॅग मे पेपर्स ले फार्महाउस के दरवाज़े पे ताला लगा रही थी.फिर उसने बहुत धीरे से मेन गेट खोला & फिर शेखर की कार मे बैठ उसे रिवर्स करने लगी.कई दिन बाद कार चला रही थी & इस वजह से उसने कार गियर मे डाल कुच्छ ज़्यादा जल्दी से क्लच छ्चोड़ दिया,कार झटका ख़ाके रुक गयी.

2-3 बार की कोशिसो के बाद वो कार को रिवर्स कार फार्महाउस से बाहर ले आई पर उसी वक़्त उसे 1 खिड़की मे लाइट जलती दिखी,अंदर कोई जाग गया था.गियर बदलते वक़्त घबराहट मे फिर वही ग़लती दोहराई & कार फिर बंद हो गयी.उसने देखा कि हॉल की 1 खिड़की खुली रह गयी थी & उसमे से कूद के शेखर बाहर आ रहा था & उसके पीछे उसके ससुर.

घबराहट के मारे रीमा काँपने लगी,जैसे-तैसे उसने कार स्टार्ट की & गियर मे डाल भाग निकली.थोड़ी देर बाद उसने देखा कि विरेन्द्र जी की कार मे दोनो बड़ी तेज़ी से उसके पीछे आ रहे हैं.रीमा का पूरा बदन पसीने से भीगे गया,उपर से रास्ते मे भी बारिश की वजह से काफ़ी फिसलन थी.उसे याद आया कि पुराना पुल पार करते ही पोलीस पोस्ट है,वो बस 1 बार वाहा पहुँच जाए.

उसके दुश्मन बड़ी तेज़ी से उसके नज़दीक आ रहे थे पर तभी उसे पुल दिखा...बस 1 बार वो इसे पार करले.उसकी कार पुल पे आई & उसने अककलेराटोर पे पैर दबाते हुए कार को टॉप गियर मे डाल दिया.वो बस आगे देखते हुए कार भगा रही थी की तभी पीछे 1 धमाके जैसी आवाज़ आई,उसने पीछे घूम के देखा तो उसके ससुर की कार अब वाहा नही थी & पुल की रेलिंग के पास धूल का गुबार उठ रहा था.तभी उसने वापस सामने देखा उसकी खुद की कार भी रेलिंग की तरफ जा रही थी...उसने जल्दी से ब्रेक लगाया पर कार स्किड करने लगी.ब्रेक दबाए हुए रीमा ने ख़ौफ़ से आँखे बींच ली & कार रुकने पे खोली.

कार रेलिंग से बस2 इंच की दूरी पे रुकी.काँपते हुए कार खोल वो बाहर आई & पीछे गयी,उसके ससुर & जेठ की कार रेलिंग तोड़ते हुए नीचे नाले मे गिर गयी थी.

भगवान ने दोनो हत्यारो कितनी सही सज़ा दी थी!जैसे उन्होने उसके पति को मारा था उन्हे भी ठीक वैसी ही मौत मिली.अब उसकी जान को भी कोई ख़तरा नही था...ये ख़याल आते ही सुकून के मारे उसके अंदर का तनाव आँखो से आँसुओं की शक्ल मे निक्ल पड़ा.थोड़ी देर बाद रीमा ने खुद को संभाला & कार को उस पोलीस पोस्ट पे ले गयी.

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सुबह के 7 बज रहे थे & थाने मे वो इनस्पेक्टर रीमा का बयान सुन रहा था.

"..तो आप इतनी बड़ी जायदाद लेने अवंती पुर जा रही थी?"

"जी.मेरे ससुर को डर था कि कोई इन पैसो के चक्कर मे मुझे नुकसान पहुँचा सकता है,इसलिए मुझे फार्महाउस मे रखा था & पंचमहल मे भी किसी को नही बताया कि मैं असल मे उनके परिवार से मेरा क्या रिश्ता है."

"ठीक है.पर इतनी सुबह फार्महाउस से क्यू निकले आप लोग & दूसरी कार आप क्यू ड्राइव कर रही थी?"

"जी,भाय्या..आइ मीन मेरे जेठ के पैर मे चोट लगी थी & वो दर्द के कारण ड्राइव नही कर पा रहे थे,इसीलिए मैं ड्राइव कर रही थी 7 हमे वकील ने ठीक 9 बजे आवंतिपुर बुलाया था इसलिए हम,यानी मेरे ससुर जी & मैं जेठ जी को पहले घर छ्चोड़ते & फिर वाहा से नाश्ता कर आवंतिपुर चले जाते.",रीमा ने पुल से पोलीस पोस्ट तक आते-2 ये फ़ैसला कर लिया था कि अगर वो अपने ससुर & जेठ की असली कहानी बताती तो कोई भी उसपे विश्वास नही करता-उन्होने अपनी ईमानदारी & नएक्दिली का ऐसा बढ़िया जाल जो फैलाया हुआ था.इसीलिए उसने ये झूठी कहानी इनस्पेक्टर को सुनाई.

"आपके पास क्या सबूत है कि आप सेक्स्ना परिवार की बहू हैं?"

"ये मॅरेज सर्टिफिकेट & ये फोटोग्रॅफ्स",उसने अपने बॅग से वो दस्तावेज़ निकाले जिन्हे वो हमेशा 1 फाइल मे रखती थी & आज फार्महाउस से भागने के पहले भी उसने उन्हे अपने हॅंडबॅग मे डाल लिया था,"..& मेरे ससुर ने वकील को खुद हलफ़नामा दिया था कि मैं उनकी बहू हू."

"ह्म्म."

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