Aunty Sex Stories Collection
Re: Aunty Sex Stories Collection
मलयाली आंटी- Malyali Aunti
यह बात उस समय की है जब मैं भिलाई में रह कर आईटीआई की ट्रेनिंग कर रहा था। मेरे आईटीआई का एक मित्र हमेशा अपने घर ले जाता और उसके घर वाले भी बहुत अच्छे से पेश आते थे। घर से दूर रहने के कारण परिवार के माहौल में बहुत अच्छा लगता था। मेरे दोस्त का एक भाई था, उसके पापा अच्छी नौकरी में थे। उनकी मम्मी भी बहुत अच्छी थी, जब भी घर जाता तो नाश्ता चाय के बगैर आने ही नहीं देती थी। मलयाली परिवार से होने के कारण खाने में ढेर सी अच्छी चीजें मिलती थी। टीवी देखने के नाम पर ही मेरा वहाँ जाना ज्यादा होता था क्योंकि उस समय मुझे फिल्मों का बहुत शौक था।
एक बार मेरे दोस्त के भाई की नौकरी के लिए उनके पापा और भाई को चार दिनों के लिए पूना जाना पड़ा। दोस्त ने मुझे तब तक के लिए अपने घर पर ही सोने के लिए कहा।
उस रात का खाना भी दोस्त के ही घर पर हमने खाया। दस बजे दोस्त सोने अपने बेडरूम में चले गया, मैं टीवी देखने के नाम पर ड्राइंग रूम में ही सोने के लिए रूक गया। रात के साढ़े ग्यारह बजे चैनल बदलते समय अचानक ही टीवी में ब्लू फिल्म आने लगी। मैं बहुत ही खुश हो गया क्योंकि मुझे ब्लू फिल्म देखने में बहुत ही मजा आता है। दस मिनट बाद ही मेरा लण्ड सनसनाने लगा। एक आदमी एक औरत की चूत को चाट रहा था और साथ ही में उसकी गाण्ड के छेद में अपनी एक उंगली डाल आगे पीछे कर रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैने चड्डी उतार दी और लंड को पकड़ के सहलाने लगा। थोड़ी ही देर में सारा माल मेज़ के ऊपर ही गिर गया।
मैं बाथरूम में गया और लंड साफ कर लिया। तभी मेरी नजर दोस्त की मम्मी की ब्रा और पैन्टी पर पड़ी। मुझे फिल्म का सीन याद आ गया मैंने पहले कभी दोस्त की मम्मी के बारे में ऐसा गन्दा ख्याल नहीं किया था। ब्रा और पैन्टी को छूते ही मेरा लंड फिर से तैयार होने लगा। ब्रा को सहलाते हुए आंटी को याद कर मैं मुठ मारने लगा। जोश में आंटी की सेक्सी तस्वीर मन में आने लगी। मलयाली आंटी की मोटी गांड और मस्त बड़े बड़े दूध को याद करके मैं जोर जोर से मुठ मार ही रहा था कि आहट सी हुई पर जोश की अधिकता में मेरा माल आने ही वाला था और मैं अपने को रोक नहीं पाया और सारा माल आंटी की पैन्टी में ही निकल गया। तभी बाहर से बाथरूम का दरवाजा खुल गया आंटी शायद बाहर खड़ी थी अचानक ही वो अन्दर आ गई। मैं हड़बड़ा गया।
आंटी मेरा हाथ पकड़ कर बोली- यह क्या कर रहा था?
मेरी आवाज़ ही नहीं निकल पा रही थी, मैं नज़रें नीचे झुकाए थर-थर कांप रहा था। आँटी ने गुस्से में पैन्टी छीनते हुए कहा- मादरचोद, मेरी फ़ुद्दी को याद कर लौड़ा घोंट रहा था !
मैं लगभग रोते हुए बोला- मुझे माफ़ कर दो आंटी !
आंटी ने कहा- बाहर टीवी में ब्लू फिल्म तूने ही लगाई है न ? कैसेट कहाँ से मिली ?
मैं हकलाते हुए बोला- वो तो केबल पर !
और चुप हो गया।
आंटी ने ओ..ह्ह्ह... कहा और चुप हो गई। मेरा लौड़ा आंटी की बदन की गरमी को महसूस कर अब ऊपर-नीचे होने लगा था। मैं अभी तक नंगा था और आंटी अपने पैन्टी में लगे वीर्य की बूंदों को सूंघते हुए बोली- यह तूने मेरी पैन्टी को ख़राब किया है?
मैं इसे साफ़ कर देता हूँ आंटी !
और उनके हाथ से पैन्टी ले कर मैं उसे पानी में डुबा कर धोने लगा। आंटी मेरे हाथ पकड़ कर मुझे उसे धोने में मदद करते हुए बोली- जरा सी भी गन्दगी नहीं रहनी चाहिए !
और अपने बड़े बड़े दूधों को मेरे पीठ में रगड़ने लगी। मेरा लंड अभी भी नंगा था और पूरी तरह से तन कर तैयार हो गया था।
वो मुझसे बोली- लौड़े को हिलाने में बहुत मजा आता है क्या ?
मैं अ..ह.... ही कर पाया था। आंटी के झुके होने से उनके बड़े बाटलों की झलक साफ दिख रही थी। अब मैं भी नंगे होने के बावजूद उनके बाटलो को घूर रहा था। आंटी समझ गई और बोली- दूध को क्या घूर रहा है बे ?
मैं एक पल को सकपका गया और नजर नीचे कर ली।
तभी आंटी मेरे लौड़े को अन्डकोषों के नीचे से सहलाते हुए बोली- वाह... कितना मस्त है रे.. !
मेरा लंड जैसे सलामी मारता हुआ उनकी चूत के नीचे जा कर रूक गया। वो हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी और बड़बड़ाने लगी- मादरचोद, इतना मस्त लौड़ा है और तू घोंट-घोंट कर गिरा रहा है !
अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था, मैं आंटी से लिपट गया और "अ..ह... आंटी मस्त लग रहा है" मेरे हाथ बिजली की तेजी से उनके शरीर को मसल रहे थे।
दो मिनट बाद ही आंटी अपने को कंट्रोल करते हुए मुझे खींचते हुए अपने बेडरूम की ओर ले चली। बेडरूम अन्दर से बंद कर वो अपने कपड़े उतारने लगी। चंद पलों में ही वो पूरी नंगी मेरे सामने अपने दूध को मसल रही थी। मैं उनकी गाण्ड से लेकर जान्घों तक पप्पियों की बरसात करने लगा। उन्होंने मेरे मुँह को अपनी चूत के पास किया और गरजदार लहजे में कहा- चूस.. इसे .... !
मैं यंत्रचालित सा उनके चूत की ओर झुकता चला गया। पहली बार चूत की मादक खुशबू मुझे मदहोश कर दे रही थी। मैं कस कर उनकी चूत को चूसते हुए उनकी गाण्ड को सहलाने लगा और जाने कब मेरा हाथ उनकी गांड के बीच की घाटी में घुस गया।
वो सिसकने लगी और मुझ पर झुकती हुई मेरे गांड को सहलाने लगी। उनके हाथ लगाने से मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने एक उंगली उनकी गांड के छेद में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा।
वो सी.. अह..ह... जान और जोर से छोड़ पूरा हाथ घुसा दे जान.... मेरी जान.... कह अपनी एक उंगली मेरे गांड के छेद में घुसाने लगी। मुझे अनायास ही असीम आनंद की अनुभूति होने लगी। एक हाथ से आंटी गांड में उंगली कर रही थी और दूसरे हाथ से वो लौड़े को पकड़ कर जोर जोर से हिला रही थी .......
शेष अगले भाग में ! अभी मैं मुठ मार लेता हूँ आंटी की पहली चुदाई को याद कर ! अब रहा नहीं जा रहा है !
यह बात उस समय की है जब मैं भिलाई में रह कर आईटीआई की ट्रेनिंग कर रहा था। मेरे आईटीआई का एक मित्र हमेशा अपने घर ले जाता और उसके घर वाले भी बहुत अच्छे से पेश आते थे। घर से दूर रहने के कारण परिवार के माहौल में बहुत अच्छा लगता था। मेरे दोस्त का एक भाई था, उसके पापा अच्छी नौकरी में थे। उनकी मम्मी भी बहुत अच्छी थी, जब भी घर जाता तो नाश्ता चाय के बगैर आने ही नहीं देती थी। मलयाली परिवार से होने के कारण खाने में ढेर सी अच्छी चीजें मिलती थी। टीवी देखने के नाम पर ही मेरा वहाँ जाना ज्यादा होता था क्योंकि उस समय मुझे फिल्मों का बहुत शौक था।
एक बार मेरे दोस्त के भाई की नौकरी के लिए उनके पापा और भाई को चार दिनों के लिए पूना जाना पड़ा। दोस्त ने मुझे तब तक के लिए अपने घर पर ही सोने के लिए कहा।
उस रात का खाना भी दोस्त के ही घर पर हमने खाया। दस बजे दोस्त सोने अपने बेडरूम में चले गया, मैं टीवी देखने के नाम पर ड्राइंग रूम में ही सोने के लिए रूक गया। रात के साढ़े ग्यारह बजे चैनल बदलते समय अचानक ही टीवी में ब्लू फिल्म आने लगी। मैं बहुत ही खुश हो गया क्योंकि मुझे ब्लू फिल्म देखने में बहुत ही मजा आता है। दस मिनट बाद ही मेरा लण्ड सनसनाने लगा। एक आदमी एक औरत की चूत को चाट रहा था और साथ ही में उसकी गाण्ड के छेद में अपनी एक उंगली डाल आगे पीछे कर रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैने चड्डी उतार दी और लंड को पकड़ के सहलाने लगा। थोड़ी ही देर में सारा माल मेज़ के ऊपर ही गिर गया।
मैं बाथरूम में गया और लंड साफ कर लिया। तभी मेरी नजर दोस्त की मम्मी की ब्रा और पैन्टी पर पड़ी। मुझे फिल्म का सीन याद आ गया मैंने पहले कभी दोस्त की मम्मी के बारे में ऐसा गन्दा ख्याल नहीं किया था। ब्रा और पैन्टी को छूते ही मेरा लंड फिर से तैयार होने लगा। ब्रा को सहलाते हुए आंटी को याद कर मैं मुठ मारने लगा। जोश में आंटी की सेक्सी तस्वीर मन में आने लगी। मलयाली आंटी की मोटी गांड और मस्त बड़े बड़े दूध को याद करके मैं जोर जोर से मुठ मार ही रहा था कि आहट सी हुई पर जोश की अधिकता में मेरा माल आने ही वाला था और मैं अपने को रोक नहीं पाया और सारा माल आंटी की पैन्टी में ही निकल गया। तभी बाहर से बाथरूम का दरवाजा खुल गया आंटी शायद बाहर खड़ी थी अचानक ही वो अन्दर आ गई। मैं हड़बड़ा गया।
आंटी मेरा हाथ पकड़ कर बोली- यह क्या कर रहा था?
मेरी आवाज़ ही नहीं निकल पा रही थी, मैं नज़रें नीचे झुकाए थर-थर कांप रहा था। आँटी ने गुस्से में पैन्टी छीनते हुए कहा- मादरचोद, मेरी फ़ुद्दी को याद कर लौड़ा घोंट रहा था !
मैं लगभग रोते हुए बोला- मुझे माफ़ कर दो आंटी !
आंटी ने कहा- बाहर टीवी में ब्लू फिल्म तूने ही लगाई है न ? कैसेट कहाँ से मिली ?
मैं हकलाते हुए बोला- वो तो केबल पर !
और चुप हो गया।
आंटी ने ओ..ह्ह्ह... कहा और चुप हो गई। मेरा लौड़ा आंटी की बदन की गरमी को महसूस कर अब ऊपर-नीचे होने लगा था। मैं अभी तक नंगा था और आंटी अपने पैन्टी में लगे वीर्य की बूंदों को सूंघते हुए बोली- यह तूने मेरी पैन्टी को ख़राब किया है?
मैं इसे साफ़ कर देता हूँ आंटी !
और उनके हाथ से पैन्टी ले कर मैं उसे पानी में डुबा कर धोने लगा। आंटी मेरे हाथ पकड़ कर मुझे उसे धोने में मदद करते हुए बोली- जरा सी भी गन्दगी नहीं रहनी चाहिए !
और अपने बड़े बड़े दूधों को मेरे पीठ में रगड़ने लगी। मेरा लंड अभी भी नंगा था और पूरी तरह से तन कर तैयार हो गया था।
वो मुझसे बोली- लौड़े को हिलाने में बहुत मजा आता है क्या ?
मैं अ..ह.... ही कर पाया था। आंटी के झुके होने से उनके बड़े बाटलों की झलक साफ दिख रही थी। अब मैं भी नंगे होने के बावजूद उनके बाटलो को घूर रहा था। आंटी समझ गई और बोली- दूध को क्या घूर रहा है बे ?
मैं एक पल को सकपका गया और नजर नीचे कर ली।
तभी आंटी मेरे लौड़े को अन्डकोषों के नीचे से सहलाते हुए बोली- वाह... कितना मस्त है रे.. !
मेरा लंड जैसे सलामी मारता हुआ उनकी चूत के नीचे जा कर रूक गया। वो हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी और बड़बड़ाने लगी- मादरचोद, इतना मस्त लौड़ा है और तू घोंट-घोंट कर गिरा रहा है !
अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था, मैं आंटी से लिपट गया और "अ..ह... आंटी मस्त लग रहा है" मेरे हाथ बिजली की तेजी से उनके शरीर को मसल रहे थे।
दो मिनट बाद ही आंटी अपने को कंट्रोल करते हुए मुझे खींचते हुए अपने बेडरूम की ओर ले चली। बेडरूम अन्दर से बंद कर वो अपने कपड़े उतारने लगी। चंद पलों में ही वो पूरी नंगी मेरे सामने अपने दूध को मसल रही थी। मैं उनकी गाण्ड से लेकर जान्घों तक पप्पियों की बरसात करने लगा। उन्होंने मेरे मुँह को अपनी चूत के पास किया और गरजदार लहजे में कहा- चूस.. इसे .... !
मैं यंत्रचालित सा उनके चूत की ओर झुकता चला गया। पहली बार चूत की मादक खुशबू मुझे मदहोश कर दे रही थी। मैं कस कर उनकी चूत को चूसते हुए उनकी गाण्ड को सहलाने लगा और जाने कब मेरा हाथ उनकी गांड के बीच की घाटी में घुस गया।
वो सिसकने लगी और मुझ पर झुकती हुई मेरे गांड को सहलाने लगी। उनके हाथ लगाने से मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने एक उंगली उनकी गांड के छेद में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा।
वो सी.. अह..ह... जान और जोर से छोड़ पूरा हाथ घुसा दे जान.... मेरी जान.... कह अपनी एक उंगली मेरे गांड के छेद में घुसाने लगी। मुझे अनायास ही असीम आनंद की अनुभूति होने लगी। एक हाथ से आंटी गांड में उंगली कर रही थी और दूसरे हाथ से वो लौड़े को पकड़ कर जोर जोर से हिला रही थी .......
शेष अगले भाग में ! अभी मैं मुठ मार लेता हूँ आंटी की पहली चुदाई को याद कर ! अब रहा नहीं जा रहा है !
Re: Aunty Sex Stories Collection
बाथरूम से छत तक -Bathrom
प्रेषक : अरशद
हेलो दोस्तो ! मैं अरशद, एक बार फिर से आपका अन्तर्वासना में स्वागत करता हूँ। सभी पढ़ने वालों को नमस्कार ! आप सभी का धन्यवाद कि आपने मेरी कहानी "मेरा पहला अनुभव" को काफी सराहा।
बात करीब तीन से चार महीने पहले की है। मेरे घर के बगल वाले घर में एक महिला कल्याण का कार्यालय खुला है। उसमें 3 परिवार रहते हैं, 2 परिवार नीचे और एक ऊपर। बात यूँ हुई कि उस दिन दोपहर को मेरी गर्लफ्रेंड का फ़ोन आया और मैं छत पर टहल कर बात करने लगा।
बातों-बातों में उसने मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- नहाने जा रहा हूँ।
वासना की खुमारी में वो मुझसे सेक्सी बातें करने लगी, तब उसका फ़ोन कट गया और मैं जोश में यह सोच कर नीचे आया कि मूठ मारूँगा और फिर नहाऊँगा। मगर जब मैंने कपड़े उतारे तो देखा कि मेरी झांटें काफी बड़ी हो गई हैं तो मैंने सोचा कि पहले इसे बना लूं फिर मूठ मारूँगा।
मैं जैसे ही रेज़र उठाने के लिए नीचे झुका तो मेरी निगाह बाहर की तरफ गई। क्योंकि घर में कोई था नहीं, तो मैंने बाथरूम का दरवाज़ा नहीं बंद किया था। मैंने देखा कि ऊपर वाले माले पहने वाली एक औरत मुझे झाँक रही थी। देखने में थोड़ी साँवली थी, मगर फिगर मस्त थी, बड़ी गांड, मस्त चूची फिगर 30-34-32 तो मेरे बदन में अजब सी गुदगुदी दौड़ गई।
फिर मैं पूरा नंगा हुआ और धीरे धीरे अपनी झांटें बनाने लगा और बीच बीच में झांक भी लेता था।
वो औरत मुझे चुपके चुपके देख रही थी। फिर मैंने देखा कि वो अपनी चूची एक हाथ से दबाने लगी, कुछ देर बाद वो अपनी चूत सहलाने लगी और फिर चली गई।
मैंने भी अपना काम ख़त्म किया और नहा कर बाहर आ गया।
फिर अगले दिन मैं अपने एक दोस्त से बात करते हुए छत पर गया तो देखा वो बैठी थी और फिर जब भी वो देखती तो अजीब कातिल अदा से मुस्कुराती।
फिर दो दिन बाद मैं फिर से छत पर गया तो वो किसी रिश्तेदार से बातें कर रही थी और फिर फ़ोन पर बोली कि लोग बिना कपड़ों के ज्यादा अच्छे लगते हैं।
और जब मैंने उसे देखा तो हँसने लगी।
करीब 3-4 दिन बाद मेरे घर में फिर कोई नहीं था तो मैं ऐसे ही छत पर गया, देखा कि वो बैठी है तो नीचे आ कर नहाने के लिए जाने लगा।
इतने में बाथरूम की खिड़की से देखता हूँ कि वो मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई है।
मैंने आराम से कपड़े उतारे, काफी देर तक मूठ मारी, इतनी देर में उसकी पलक एक बार भी नहीं झपकी। थोड़ी देर बाद जब मैं मोबाइल पर बात करता हुआ छत पर गया तो वो मुस्कुराती हुई बोली- ऐसे करते रहेंगे तो हाथ में दर्द हो जाएगा, कभी हमारे होंठों को भी आइसक्रीम खिलाइए !
और मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई।
फिर अगले दिन मैं जब ऊपर गया तो मैंने उससे पूछा- आप कल क्या कह रही थीं?
तो उसने कहा- रात में घर पर आइये, सब समझा दूँगी।
मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे, लेकिन मैंने ऊपर से कहा- रात में आपके पति नहीं रहेंगे क्या?
उसने कहा- नहीं, वो गाँव गए हैं, दो दिन बाद आयेंगे।
फिर मैं करीब सात बजे छत पर गया। हमारी छत मिली हुई है बस बीच में एक दीवार है, मैं उसे कूद गया। सामने जन्नत की हूर सी खड़ी थी वो !
उसने मुझे वो जगह दिखाई जहाँ से उसे मेरा सब कुछ दिखता था जैसे कि मुझे पता ही नहीं था, लेकिन कुछ राजों को राज ही रहने देते हैं।
अगला सवाल जैसे ही उसने पूछा, मुझे लग गया कि आज तो आग दोनों तरफ लगी है प्यारे।
उसने सीधे पूछा- कितने दिनों पर साफ़ होता है आपका जंगल? दूर से तो बस यही लगता है कि झाड़ियों के बीच कोई छोटी सी टहनी है, जरा हमें नजदीक से तो दिखाइए आपके पास क्या है, नारियल का पेड़, या केले का तना, या दोनों।
मैंने कहा- देख लो लेकिन हमें भी तो अपने अंगूरों के दर्शन कराओ।
उसने ऊपर वाले मन से कहा- कोई आ जायेगा !
तो मैंने कहा- खुले दरवाजे से आएगा न, दरवाजा बंद करके आ जाओ।
जब दरवाजा बंद कर के लौटी तो बोली- यहाँ तो सोनू (उसका लड़का) सो रहा है कहीं हमारी कुश्ती से उठ न जाये।
मैंने कहा- ठीक है आओ छत पर चलते हैं, वहाँ बैटिंग करने में कोई असुविधा नहीं होगी।
हम ऊपर गए और फिर कुछ देर खड़े रहे, दोनों यही सोच रहे थे कि पहल कौन करेगा, लेकिन, भला नारी के सामने कौन पुरुष जीता है? उसने सीधा पूछा- अगर खड़े होने के लिए आये हैं तो आइये नीचे चलते हैं, हाँ अगर चादर बिछाने का काम शुरू करना है तो अब तक खड़े क्यों हैं?
मैं तो दंग रह गया, लेकिन अब तो खुला खेल फरक्काबादी।
मैंने उसके मोम्मों को धीरे धीरे मसलते हुए, उसके मक्खन जैसे होठों का रस पीना शुरू किया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी और उसके मोम्मे धीरे धीरे सख्त होकर जैसे मेरी छाती में छेद करने लगे। नीचे मेरा पप्पू भी ऊपर उड़ने को तैयार हो रहा था, उसे जैसे ही लगा कि ये लोहा अब तैयार होना चाहिए, लोअर के ऊपर से उसने मेरे लंड से खेलना चालू किया।
मैं धीरे धीरे उसके होठों को किस करने लगा और फिर उसकी गर्दन पर भी चुम्मों की बौछार कर दी, साथ के साथ उसकी पीठ सहलाने लगा।
फिर मैंने उसकी नाईटी उतारने को कहा तो उसने उतार दी और सिर्फ पैंटी में आ गई। मैंने फिर उसकी पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और वो पागल हुई जा रही थी और मेरा लंड सहलाये जा रही थी।
उसकी पैंटी गीली होने लगी तो मैं जहाँ पैंटी की एलास्टिक होती है उसे नीचे करके सहलाने लगा उसे मज़ा भी आ रहा था और गुदगुदी भी हो रही थी। फिर मैं उसे सहलाता रहा और अपना हाथ धीरे धीरे पैंटी में ले जाने लगा।
उसने झांटे एकदम साफ़ कर रखी थीं।
मैं उसकी चूत सहलाने लगा, तो वो सिहर गई, मैंने उससे कहा- सब मैं ही करूँगा या तुम भी कुछ?
तो उसने मुझे किस किया, मेरे होंठ चूसने लगी और फिर उसने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल दिया और बोली- हे भगवान् ! इतना मोटा?!? मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बस मज़ा आएगा !
फिर उसने मेरा लोअर उतार दिया और आगे पीछे करके खेलने लगी मेरे लंड से, मुझसे बोली- क्या मैं इसे किस कर सकती हूँ?
मैंने कहा- तुम्हारा है, जो करना है करो !
पहले उसने किस किया, 2-3 बार फिर मेरा टोपा अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैं अपने पैर के अंगूठे से उसकी चूत सहला रहा था और हाथ से चूची।
फिर वो तेज़ तेज़ से मेरा लंड चूसने लगी। फिर मैंने उसकी नाइटी बिछाई और उसे लिटा दिया, फिर उसकी पैंटी उतार कर उसकी पूरी काया पर चुम्बन करने और चाटने लगा।
वो उत्तेजना से पागल हुई जा रही थी। फिर मैंने उसकी चूत पर चूमा तो वो सिहर उठी।
फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था। हम 69 की पोज़ीशन में आ गए। करीब पाँच मिनट बाद वो झड़ने लगी और थोड़ी देर में मैं भी उसके मुँह में झर गया।
वो मेरे लंड के साथ फिर से खेलने लगी और करीब दस मिनट बाद मेरा सोया साँप फिर से खड़ा हुआ। इस बार मैं लंड को उसकी टाँगों पर रगड़ने लगा। वो एक हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी और और मैं उसकी चूची को और हम एक दूसरे को लिप किस कर रहे थे। वो बार बार मेरा लंड अपनी चूत में घुसाने के लिए खींच रही थी।
फिर बोली- अब और कितना इंतज़ार करवाओगे?
मैं उठा और उससे पैर फैलाने को कहा।
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड रख कर एक झटका मारा तो उसकी चीख निकल गई। मैंने जल्दी से लंड बाहर निकला तो वो बोली- नहीं ! डालो, मगर आराम से !
मैं धीरे धीरे डालने लगा और पूरा लंड आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत में उतार दिया। वो सी सी करने लगी फिर मैं धक्के लगाने लगा। कभी मैं उसकी चूची सहलाता तो कभी उसका पेट। वो भी पूरे जोश में मेरा साथ दे रही थी और एक हाथ से मेरे गोटे से खेल रही थी।
फिर करीब 15 मिनट बाद वो झड़ गई और मैं भी जल्दी झड़ गया। वो मेरे साथ करीब आधे घंटे तक ऐसे ही लेटी रही और मेरे लंड से खेलती रही।
तब से जब भी वो अकेली होती है तो हमारा प्रोग्राम शुरू हो जाता है।
प्रेषक : अरशद
हेलो दोस्तो ! मैं अरशद, एक बार फिर से आपका अन्तर्वासना में स्वागत करता हूँ। सभी पढ़ने वालों को नमस्कार ! आप सभी का धन्यवाद कि आपने मेरी कहानी "मेरा पहला अनुभव" को काफी सराहा।
बात करीब तीन से चार महीने पहले की है। मेरे घर के बगल वाले घर में एक महिला कल्याण का कार्यालय खुला है। उसमें 3 परिवार रहते हैं, 2 परिवार नीचे और एक ऊपर। बात यूँ हुई कि उस दिन दोपहर को मेरी गर्लफ्रेंड का फ़ोन आया और मैं छत पर टहल कर बात करने लगा।
बातों-बातों में उसने मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- नहाने जा रहा हूँ।
वासना की खुमारी में वो मुझसे सेक्सी बातें करने लगी, तब उसका फ़ोन कट गया और मैं जोश में यह सोच कर नीचे आया कि मूठ मारूँगा और फिर नहाऊँगा। मगर जब मैंने कपड़े उतारे तो देखा कि मेरी झांटें काफी बड़ी हो गई हैं तो मैंने सोचा कि पहले इसे बना लूं फिर मूठ मारूँगा।
मैं जैसे ही रेज़र उठाने के लिए नीचे झुका तो मेरी निगाह बाहर की तरफ गई। क्योंकि घर में कोई था नहीं, तो मैंने बाथरूम का दरवाज़ा नहीं बंद किया था। मैंने देखा कि ऊपर वाले माले पहने वाली एक औरत मुझे झाँक रही थी। देखने में थोड़ी साँवली थी, मगर फिगर मस्त थी, बड़ी गांड, मस्त चूची फिगर 30-34-32 तो मेरे बदन में अजब सी गुदगुदी दौड़ गई।
फिर मैं पूरा नंगा हुआ और धीरे धीरे अपनी झांटें बनाने लगा और बीच बीच में झांक भी लेता था।
वो औरत मुझे चुपके चुपके देख रही थी। फिर मैंने देखा कि वो अपनी चूची एक हाथ से दबाने लगी, कुछ देर बाद वो अपनी चूत सहलाने लगी और फिर चली गई।
मैंने भी अपना काम ख़त्म किया और नहा कर बाहर आ गया।
फिर अगले दिन मैं अपने एक दोस्त से बात करते हुए छत पर गया तो देखा वो बैठी थी और फिर जब भी वो देखती तो अजीब कातिल अदा से मुस्कुराती।
फिर दो दिन बाद मैं फिर से छत पर गया तो वो किसी रिश्तेदार से बातें कर रही थी और फिर फ़ोन पर बोली कि लोग बिना कपड़ों के ज्यादा अच्छे लगते हैं।
और जब मैंने उसे देखा तो हँसने लगी।
करीब 3-4 दिन बाद मेरे घर में फिर कोई नहीं था तो मैं ऐसे ही छत पर गया, देखा कि वो बैठी है तो नीचे आ कर नहाने के लिए जाने लगा।
इतने में बाथरूम की खिड़की से देखता हूँ कि वो मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई है।
मैंने आराम से कपड़े उतारे, काफी देर तक मूठ मारी, इतनी देर में उसकी पलक एक बार भी नहीं झपकी। थोड़ी देर बाद जब मैं मोबाइल पर बात करता हुआ छत पर गया तो वो मुस्कुराती हुई बोली- ऐसे करते रहेंगे तो हाथ में दर्द हो जाएगा, कभी हमारे होंठों को भी आइसक्रीम खिलाइए !
और मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई।
फिर अगले दिन मैं जब ऊपर गया तो मैंने उससे पूछा- आप कल क्या कह रही थीं?
तो उसने कहा- रात में घर पर आइये, सब समझा दूँगी।
मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे, लेकिन मैंने ऊपर से कहा- रात में आपके पति नहीं रहेंगे क्या?
उसने कहा- नहीं, वो गाँव गए हैं, दो दिन बाद आयेंगे।
फिर मैं करीब सात बजे छत पर गया। हमारी छत मिली हुई है बस बीच में एक दीवार है, मैं उसे कूद गया। सामने जन्नत की हूर सी खड़ी थी वो !
उसने मुझे वो जगह दिखाई जहाँ से उसे मेरा सब कुछ दिखता था जैसे कि मुझे पता ही नहीं था, लेकिन कुछ राजों को राज ही रहने देते हैं।
अगला सवाल जैसे ही उसने पूछा, मुझे लग गया कि आज तो आग दोनों तरफ लगी है प्यारे।
उसने सीधे पूछा- कितने दिनों पर साफ़ होता है आपका जंगल? दूर से तो बस यही लगता है कि झाड़ियों के बीच कोई छोटी सी टहनी है, जरा हमें नजदीक से तो दिखाइए आपके पास क्या है, नारियल का पेड़, या केले का तना, या दोनों।
मैंने कहा- देख लो लेकिन हमें भी तो अपने अंगूरों के दर्शन कराओ।
उसने ऊपर वाले मन से कहा- कोई आ जायेगा !
तो मैंने कहा- खुले दरवाजे से आएगा न, दरवाजा बंद करके आ जाओ।
जब दरवाजा बंद कर के लौटी तो बोली- यहाँ तो सोनू (उसका लड़का) सो रहा है कहीं हमारी कुश्ती से उठ न जाये।
मैंने कहा- ठीक है आओ छत पर चलते हैं, वहाँ बैटिंग करने में कोई असुविधा नहीं होगी।
हम ऊपर गए और फिर कुछ देर खड़े रहे, दोनों यही सोच रहे थे कि पहल कौन करेगा, लेकिन, भला नारी के सामने कौन पुरुष जीता है? उसने सीधा पूछा- अगर खड़े होने के लिए आये हैं तो आइये नीचे चलते हैं, हाँ अगर चादर बिछाने का काम शुरू करना है तो अब तक खड़े क्यों हैं?
मैं तो दंग रह गया, लेकिन अब तो खुला खेल फरक्काबादी।
मैंने उसके मोम्मों को धीरे धीरे मसलते हुए, उसके मक्खन जैसे होठों का रस पीना शुरू किया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी और उसके मोम्मे धीरे धीरे सख्त होकर जैसे मेरी छाती में छेद करने लगे। नीचे मेरा पप्पू भी ऊपर उड़ने को तैयार हो रहा था, उसे जैसे ही लगा कि ये लोहा अब तैयार होना चाहिए, लोअर के ऊपर से उसने मेरे लंड से खेलना चालू किया।
मैं धीरे धीरे उसके होठों को किस करने लगा और फिर उसकी गर्दन पर भी चुम्मों की बौछार कर दी, साथ के साथ उसकी पीठ सहलाने लगा।
फिर मैंने उसकी नाईटी उतारने को कहा तो उसने उतार दी और सिर्फ पैंटी में आ गई। मैंने फिर उसकी पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और वो पागल हुई जा रही थी और मेरा लंड सहलाये जा रही थी।
उसकी पैंटी गीली होने लगी तो मैं जहाँ पैंटी की एलास्टिक होती है उसे नीचे करके सहलाने लगा उसे मज़ा भी आ रहा था और गुदगुदी भी हो रही थी। फिर मैं उसे सहलाता रहा और अपना हाथ धीरे धीरे पैंटी में ले जाने लगा।
उसने झांटे एकदम साफ़ कर रखी थीं।
मैं उसकी चूत सहलाने लगा, तो वो सिहर गई, मैंने उससे कहा- सब मैं ही करूँगा या तुम भी कुछ?
तो उसने मुझे किस किया, मेरे होंठ चूसने लगी और फिर उसने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल दिया और बोली- हे भगवान् ! इतना मोटा?!? मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बस मज़ा आएगा !
फिर उसने मेरा लोअर उतार दिया और आगे पीछे करके खेलने लगी मेरे लंड से, मुझसे बोली- क्या मैं इसे किस कर सकती हूँ?
मैंने कहा- तुम्हारा है, जो करना है करो !
पहले उसने किस किया, 2-3 बार फिर मेरा टोपा अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैं अपने पैर के अंगूठे से उसकी चूत सहला रहा था और हाथ से चूची।
फिर वो तेज़ तेज़ से मेरा लंड चूसने लगी। फिर मैंने उसकी नाइटी बिछाई और उसे लिटा दिया, फिर उसकी पैंटी उतार कर उसकी पूरी काया पर चुम्बन करने और चाटने लगा।
वो उत्तेजना से पागल हुई जा रही थी। फिर मैंने उसकी चूत पर चूमा तो वो सिहर उठी।
फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था। हम 69 की पोज़ीशन में आ गए। करीब पाँच मिनट बाद वो झड़ने लगी और थोड़ी देर में मैं भी उसके मुँह में झर गया।
वो मेरे लंड के साथ फिर से खेलने लगी और करीब दस मिनट बाद मेरा सोया साँप फिर से खड़ा हुआ। इस बार मैं लंड को उसकी टाँगों पर रगड़ने लगा। वो एक हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी और और मैं उसकी चूची को और हम एक दूसरे को लिप किस कर रहे थे। वो बार बार मेरा लंड अपनी चूत में घुसाने के लिए खींच रही थी।
फिर बोली- अब और कितना इंतज़ार करवाओगे?
मैं उठा और उससे पैर फैलाने को कहा।
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड रख कर एक झटका मारा तो उसकी चीख निकल गई। मैंने जल्दी से लंड बाहर निकला तो वो बोली- नहीं ! डालो, मगर आराम से !
मैं धीरे धीरे डालने लगा और पूरा लंड आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत में उतार दिया। वो सी सी करने लगी फिर मैं धक्के लगाने लगा। कभी मैं उसकी चूची सहलाता तो कभी उसका पेट। वो भी पूरे जोश में मेरा साथ दे रही थी और एक हाथ से मेरे गोटे से खेल रही थी।
फिर करीब 15 मिनट बाद वो झड़ गई और मैं भी जल्दी झड़ गया। वो मेरे साथ करीब आधे घंटे तक ऐसे ही लेटी रही और मेरे लंड से खेलती रही।
तब से जब भी वो अकेली होती है तो हमारा प्रोग्राम शुरू हो जाता है।