Re: तेरे इश्क़ में Hindi Love Story
Posted: 07 Nov 2014 22:12
तेरे इश्क़ में पार्ट--4 Hindi Love Story
गतान्क से आगे.................
"हां" आदित्य उसका हाथ पकड़ता हुआ बोला "मेरा बड़ा मंन था बचपन से के अँग्रेज़ी स्टाइल में शादी करूँ. तो कल हम चर्च में शादी कर लेते हैं और उसके बाद जब तुम अच्छी हो जाओगी तो मेरे पापा को बताकर निकाह पढ़ा लेंगे और धूम धाम वाली शादी करेंगे"
"तुम पागल हो आदिल" तहज़ीब हंस पड़ी.
"मैं जो भी हूँ तुम्हारे लिए हूँ" आदित्य उसका माथा चूमते हुए बोला.
उसी शाम आदित्य और निखिल साथ बैठे आदित्य के फ्लॅट पर विस्की के पेग लगा रहे थे.
"तूने अब तक उसको नही बताया के तू हिंदू है?" निखिल ने पुछा
"नही वो अब तक समझती है के मैं आदिल रहमान ही हूँ"
"एक तो तेरा बाप वैसे ही तुझपर भड़का हुआ है उस दिन की हरकत को लेकर. उसपर अगर उसे पता चला के तूने एक मुस्लिम लड़की के चक्कर में ये सब किया तो पता नही वो क्या करेगा"
"शायद उसकी नौबत ही ना आए" आदित्य ने धीरे से कहा
"मतलब?"
"मतलब ये के उस बेचारी के पास इतना वक़्त है ही नही" और आदित्य ने निखिल को डॉक्टर से हुई अपनी बात के बारे में बताना शुरू कर दिया.
"ओह मॅन" बात ख़तम होने पर निखिल बोला "तो क्या सोचा है अब?"
"उस बेचारी को तो ये पता भी नही के वो मरने वाली है और मैं उसको बताना भी नही चाहता. कल उससे शादी कर रहा हूँ?"
"शादी" निखिल जैसे उच्छल पड़ा
"हां. वो मुस्लिम है और मैं हिंदू इसलिए मैने मंदिर मस्जिद, दोनो को एक तरफ रख दिया. हम एक तीसरे धरम के हिसाब से शादी करेंगे. चर्च में"
"और तू ये मुझे अब बता रहा है?"
"सुन ना यार. कल चर्च पहुँच जाना विटनेस बनने के लिए"
"तू कर क्या रहा है आदि?"
"मैं उसके जीते जी उसका हर ख्वाब पूरा करना चाहता हूँ. शादी के बाद जब तक वो ज़िंदा है मैं उसको लेकर दूर निकल जाऊँगा और तब तक सिर्फ़ उसके साथ रहूँगा जब तक के वो ज़िंदा है. मैं उसका हर सपना पूरा करना
चाहता हूँ, हर वो ख्वाब सच करना चाहता हूँ जो उसने देखा है"
"कौन सा ख्वाब?" निखिल ने पुछा तो आदित्य ने उसको तहज़ीब के सपने के बारे में बताया.
"बीच हाउस? वो भी बड़ा सा वित आ प्राइवेट बीच? पैसा कहाँ से लाओगे इतना के जब तक वो ज़िंदा है तब तक उसकी हर बात पूरी करते रहो?"
आदित्य चुप चाप उठा और ड्रॉयर से कुच्छ पेपर्स, कुच्छ मॅप्स निकाल कर निखिल को थमा दिए जिन्हें निखिल एक एक करके खोलने और देखने लगा.
"तू साले पागल हो गया है? बॅंक लूटेगा?" पेपर्स देख कर वो हैरत से चिल्लाया
"मेरे पास वक़्त नही है यार. इतना पैसा इतनी जल्दी बस एक ही जगह से आ सकता है" आदित्य शराब का ग्लास हाथ में लिए सोफे पर पसर गया
"बॅंक लूटने की क्या ज़रूरत है बेवकूफ़. तू एक बार मुझसे कहता. मैं कहीं ना कहीं से पैसा दिलवा देता तुझे. बहुत कनेक्षन्स हैं मेरे" निखिल उसके साथ आकर बैठ गया.
"और वापिस कहाँ से करता? इतना बड़ा क़र्ज़ ले लेता तो सारी ज़िंदगी चुका ना पाता"
"तो सीधा रास्ता निकाला आपने? के बॅंक लूट लो ताकि कभी फिर पैसे वापिस ही ना करने पड़ें किसी को? तुझे क्या लगता है के पोलीस वाले चुप बैठेंगे?"
"सारा प्लान सेट है. मैने आदमी भी उठा लिए हैं साथ देने को. अब सोचने का वक़्त निकल गया है. कल बॅंक लुटूगा, उसके बाद सीधा तहज़ीब से शादी करने जाऊँगा और उसको लेकर गायब" आदित्य ने कहा
"मैं तुझे ऐसा करने नही दूँगा" निखिल भी ज़िद पर अड़ा था "ऐसा करने के लिए तुझे मेरी लाश के उपेर से जाना होगा. साले इस वक़्त तुझे अपने बाप के साथ होना चाहिए. गठन ने पहली बार इतना बड़ा कुच्छ प्लान किया है. इस वक़्त हम ऐसी कोई हरकत अफोर्ड नही कर सकते जिससे पोलीस का ध्यान हमारी तरफ आए"
"बड़ा?" आदित्य ने चौंकते हुए निखिल की तरफ देखा "क्या बड़ा प्लान हो रहा है?"
अगले दिन तहज़ीब उठी तो जैसे वो दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे खुश-नुमा दिन था. वो बीमार थी और कमज़ोर थी पर उस दिन कमज़ोरी तो सारी जैसे हवा हो गयी थी.
गतान्क से आगे.................
"हां" आदित्य उसका हाथ पकड़ता हुआ बोला "मेरा बड़ा मंन था बचपन से के अँग्रेज़ी स्टाइल में शादी करूँ. तो कल हम चर्च में शादी कर लेते हैं और उसके बाद जब तुम अच्छी हो जाओगी तो मेरे पापा को बताकर निकाह पढ़ा लेंगे और धूम धाम वाली शादी करेंगे"
"तुम पागल हो आदिल" तहज़ीब हंस पड़ी.
"मैं जो भी हूँ तुम्हारे लिए हूँ" आदित्य उसका माथा चूमते हुए बोला.
उसी शाम आदित्य और निखिल साथ बैठे आदित्य के फ्लॅट पर विस्की के पेग लगा रहे थे.
"तूने अब तक उसको नही बताया के तू हिंदू है?" निखिल ने पुछा
"नही वो अब तक समझती है के मैं आदिल रहमान ही हूँ"
"एक तो तेरा बाप वैसे ही तुझपर भड़का हुआ है उस दिन की हरकत को लेकर. उसपर अगर उसे पता चला के तूने एक मुस्लिम लड़की के चक्कर में ये सब किया तो पता नही वो क्या करेगा"
"शायद उसकी नौबत ही ना आए" आदित्य ने धीरे से कहा
"मतलब?"
"मतलब ये के उस बेचारी के पास इतना वक़्त है ही नही" और आदित्य ने निखिल को डॉक्टर से हुई अपनी बात के बारे में बताना शुरू कर दिया.
"ओह मॅन" बात ख़तम होने पर निखिल बोला "तो क्या सोचा है अब?"
"उस बेचारी को तो ये पता भी नही के वो मरने वाली है और मैं उसको बताना भी नही चाहता. कल उससे शादी कर रहा हूँ?"
"शादी" निखिल जैसे उच्छल पड़ा
"हां. वो मुस्लिम है और मैं हिंदू इसलिए मैने मंदिर मस्जिद, दोनो को एक तरफ रख दिया. हम एक तीसरे धरम के हिसाब से शादी करेंगे. चर्च में"
"और तू ये मुझे अब बता रहा है?"
"सुन ना यार. कल चर्च पहुँच जाना विटनेस बनने के लिए"
"तू कर क्या रहा है आदि?"
"मैं उसके जीते जी उसका हर ख्वाब पूरा करना चाहता हूँ. शादी के बाद जब तक वो ज़िंदा है मैं उसको लेकर दूर निकल जाऊँगा और तब तक सिर्फ़ उसके साथ रहूँगा जब तक के वो ज़िंदा है. मैं उसका हर सपना पूरा करना
चाहता हूँ, हर वो ख्वाब सच करना चाहता हूँ जो उसने देखा है"
"कौन सा ख्वाब?" निखिल ने पुछा तो आदित्य ने उसको तहज़ीब के सपने के बारे में बताया.
"बीच हाउस? वो भी बड़ा सा वित आ प्राइवेट बीच? पैसा कहाँ से लाओगे इतना के जब तक वो ज़िंदा है तब तक उसकी हर बात पूरी करते रहो?"
आदित्य चुप चाप उठा और ड्रॉयर से कुच्छ पेपर्स, कुच्छ मॅप्स निकाल कर निखिल को थमा दिए जिन्हें निखिल एक एक करके खोलने और देखने लगा.
"तू साले पागल हो गया है? बॅंक लूटेगा?" पेपर्स देख कर वो हैरत से चिल्लाया
"मेरे पास वक़्त नही है यार. इतना पैसा इतनी जल्दी बस एक ही जगह से आ सकता है" आदित्य शराब का ग्लास हाथ में लिए सोफे पर पसर गया
"बॅंक लूटने की क्या ज़रूरत है बेवकूफ़. तू एक बार मुझसे कहता. मैं कहीं ना कहीं से पैसा दिलवा देता तुझे. बहुत कनेक्षन्स हैं मेरे" निखिल उसके साथ आकर बैठ गया.
"और वापिस कहाँ से करता? इतना बड़ा क़र्ज़ ले लेता तो सारी ज़िंदगी चुका ना पाता"
"तो सीधा रास्ता निकाला आपने? के बॅंक लूट लो ताकि कभी फिर पैसे वापिस ही ना करने पड़ें किसी को? तुझे क्या लगता है के पोलीस वाले चुप बैठेंगे?"
"सारा प्लान सेट है. मैने आदमी भी उठा लिए हैं साथ देने को. अब सोचने का वक़्त निकल गया है. कल बॅंक लुटूगा, उसके बाद सीधा तहज़ीब से शादी करने जाऊँगा और उसको लेकर गायब" आदित्य ने कहा
"मैं तुझे ऐसा करने नही दूँगा" निखिल भी ज़िद पर अड़ा था "ऐसा करने के लिए तुझे मेरी लाश के उपेर से जाना होगा. साले इस वक़्त तुझे अपने बाप के साथ होना चाहिए. गठन ने पहली बार इतना बड़ा कुच्छ प्लान किया है. इस वक़्त हम ऐसी कोई हरकत अफोर्ड नही कर सकते जिससे पोलीस का ध्यान हमारी तरफ आए"
"बड़ा?" आदित्य ने चौंकते हुए निखिल की तरफ देखा "क्या बड़ा प्लान हो रहा है?"
अगले दिन तहज़ीब उठी तो जैसे वो दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे खुश-नुमा दिन था. वो बीमार थी और कमज़ोर थी पर उस दिन कमज़ोरी तो सारी जैसे हवा हो गयी थी.