बदलाव

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Jemsbond
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बदलाव

Unread post by Jemsbond » 20 Dec 2014 08:21

बदलाव

रिया की शादी हुई तो वो अपने ससुराल में जैसे-तैसे सैट होने की कोशिश कर रही थी। हालांकि उसके पीहर और ससुराल में बहुत फर्क था, मगर उसने अपने व्यवहार से इस फर्क को मिटा दिया था। धीरे-धीरे उसने अपने व्यवहार से सबका दिल जीत लिया। वह अब अपने ससुराल और उनके रिश्तों को अहमियत देने लगी। पर जो दर्द दिल में था, उसे कभी अपने पति अनुज पर जाहिर नहीं होने दिया। भीतर से वह पूरी तरह टूटी हुई थी, मगर अनुज के सामने वह सहज रहने की कोशिश करती। हालांकि अनुज को इस बात का पता था कि रिया किस दौर से गुजर चुकी है। पर कभी भी अनुज ने एक हमदर्द की तरह उसे सहारा व विश्वास नहीं दिया, जिसकी उसे जरूरत थी। फिर भी रिया को अनुज से कोई शिकायत नहीं थी।

एक दिन रिया अपने पति व सास के साथ किसी रिश्तेदार के यहां शादी समारोह में गई। वहां पर उसकी नजर अमित पर पड़ी। रिया तुरंत अमित के पास गई और बोली-‘हाय अमित! यहां कैसे?’ अमित बोला-‘मैं तो इसी शहर में रहता हूं। तुम कहां हो?’ ‘मैं भी यहीं हूं। इसी शहर में। आओ तुम्हें अपने पति व सास से मिलाती हूं।’ कहकर उसने पति अनुज और सास जमना से मिलाया-‘ये अमित है, मेरी मोसी के ननद के बेटे।’ अमित ने नमस्ते कहा। फिर रिया बोली-‘ये मेरे पति है अनुज और ये हैं सास जमना मैया।’ कुछ देर इधर-उधर की बात होने के बाद रिया बोली-‘अमित हमारा घर रामेश्वर नगर में है-सुख-शांति निवास। मिलने जरूर आना।’ अमित ने कहा-‘हां, अब तो पता चल गया है कि तुम इसी शहर में हो, तो जरूर आऊंगा।’ अच्छा तो चलते हैं, कहकर रिया अपने पति व सास के साथ चली गई।

अब अमित के मन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई। उसको शादी में भोजन भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसका मन तो रिया में खोया हुआ था।

रिया भी बहुत खुश थी। वो सोचने लगी कि अब उसे कोई समझने वाला मिला है। अचानक वह अतीत में खो गई। तीन साल पहले की घटनाएं फिर सामने थी। जब रिया ने पहली बार राज को देखा। बस देखती रह गई। राज का भी यही हाल था। वह भी मन ही मन उसे चाहने लगा। अमित राज का सबकुछ था, चाचा का लड़का भाई भी और मित्र भी। राज ने अमित को बताया कि उसे रिया पसंद है। अमित बोला-वाह! क्या बात है। तुम्हारी पसंद का क्या कहना। धीरे-धीरे राज और रिया में फोन पर बातें होने लगी। दोनों को पता ही नहीं चला कि बात-बात में वो इतना करीब आ गए हैं, कि अब एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते। घरवालों ने कहा अब तो इनकी शादी कर देनी चाहिए। सब कुछ ठीक था। अब राज और रिया की सगाई हो गई थी। लेकिन कहते हैं न प्यार को तो तूफान से गुजरना ही पड़ता है।
रिया की जिंदगी में भी तूफान आया। एक एक्सीडेंट में राज की मौत हो गई। इस हादसे ने रिया को तोड़कर रख दिया। रिया अब उदास रहने लगी। उसके चेहरे से हंसी गायब ही हो गई। जो दिनभर गुनगुनाती रहती थी, अब खामोश थी। मन में बस राज ही बसा था। उसकी याद में खोई-खोई रहती थी। गाना गाने का शोक रिया को बचपन से ही था, मगर उसके जीवन से जैसे संगीत तो गायब ही हो गया। राज के जाने से उसके शरीर से जैसे आत्मा निकल गई। बाहर एक लोथड़ा बचा रहा।

पर रिया ने अपने मां और पापा के लिए अपना दर्द कुर्बान कर दिया। वो नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसके भाई-बहन और मां, पापा दुखी हों। वो तो बस राज से प्यार करती थी। उससे शादी कर दुनिया भर की खुशियां पाना चाहती थी। लाख कोशिश करके भी वो राज को भुला नहीं पाई। घंटों अकेली बैठी अपने आप से बातें करतीं। मानों राज जिंदा हों, उसके लिए फिर कभी अकेले में रोती। यह सिलसिला चलता रहा। रिया की बड़ी बहन आशा से रिया का दर्द देखा नहीं गया। वो समझ सकती थी कि रिया को राज चाहिए। मगर राज को वापस लाना संभव नहीं था। अगर संभव होता तो अपनी जान देकर भी राज को ले आती। रिया को सिर्फ राज चाहिए था। अब आशा को रिया का दर्द देखा नहीं गया। उसने अपनी मां से कहा कि रिया की शादी करवा दो। नए घर में जाएगी तो राज को भूल जाएगी। उसे राज के बारे में सोचने का समय नहीं मिलेगा। मां को यह बात सही लगी। उसने यह बात रिया के पिता से कही। पिता बोले-ठीक हैं, यह भी करते हैं। मगर रिया मांगलिक थी। राज के घरवाले राज की मौत का कारण रिया को ही मानते थे, क्योंकि वह मांगलिक थी। अब तो रिया भी मानने लगी थी कि उसका मांगलिक होना ही राज की मौत की वजह बना है।

फिर रिया के लिए रिश्ता आया। लड़का सबको पसंद आया। अच्छा भला कमा लेता है। घर भी अच्छा है। रिया के घरवालों ने रिया से पूछा। रिया रोने लग गई। मगर घरवालों ने उसे समझाया। आखिर रिया ने भी जैसे समझौता कर लिया। न चाहते हुए भी चुप रही। रिया की शादी अनुज से हो गई।

अमित बैचेन था। शादी में उसने कुछ नहीं खाया। घर आकर सोने की कोशिश करने लगा। सोचा अगर मुझमे जरा सी हिम्मत होती तो रिया उसकी हो सकती थी। राज के जाने के बाद उसने क्यों नहीं रिया से बात की। रिया से उसकी शादी हो सकती थी, अगर वह पहल करता। राज के बाद अगर कोई रिया के करीब था तो वह अमित ही था। अमित भी रिया को चाहता था, मगर राज की पसंद होने की वजह से चुप था।

अमित के सामने सब कुछ साफ-साफ घूमने लगा। राज की मौत के बाद अमित की शादी तय हो गई। शादी को दस दिन बचे थे। अमित रिया के घर अपनी शादी का निमंत्रण देने गया। रिया उसके सामने थी। वह एकटक रिया को देखता रहा। उसके मन में आया कि कह दे-वह उससे प्यार करता है। शादी करना चाहता है। मगर अब तो देर हो चुकी है, दस दिन बाद उसकी दिव्या से शादी है। इसी अंतरद्वंद्व में वह घर आया। रात को सो भी नहीं पाया। उसके मन में था रिया राज की अमानत है। वह उसे अच्छी तरह संभाल सकता है। मगर कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई। अब उसने दिव्या से शादी कर ली और जयपुर जाकर बस गया।

पूरे तीन साल बाद रिया भी उसे जयपुर में मिली। पुरानी बातें ताजा हो गई। उसे लगा रिया उसकी जिंदगी का हिस्सा है। उससे शादी नहीं हुई तो क्या, उसे देख तो सकता ही हूं। वह रात अमित पर भारी पड़ रही थी। सुबह का उसे इंतजार था। सुबह हुई और वह रिया के बताए पते पर पहुंच गया। मगर वह बाहर से ही लौट आया। अगले दिन फिर वह रिया के घर के पास गया, मगर रिया नजर नहीं आई। एक दिन अमित ने किसी से अनुज के नंबर लिए और उसे फोन किया। उसने फोन पर बिजनेस से संबंधित कोई डील करने की बात कही। अब तो आए दिन अमित और अनुज के बीच बातें होने लगी।

एक दिन अनुज अपना मोबाइल घर ही भूल गया था। अमित ने फोन लगाया तो रिया ने उठाया। अमित बोला-अनुज हैं। रिया बोली नहीं, वे अपना फोन घर भूल गए हैं, आप कौन बोल रहे हैं। अरे मैं अमित बोल रहा हूं। दोनों ने कुछ देर बातें की। फिर अमित को रिया ने अपने मोबाइल नंबर दे दिए। अब अक्सर उनमें बातें होती। अमित राज के बहुत करीब था तो राज की ही बातें होती। पूरा-पूरा वक्त राज की ही बातें होती। अमित को बस बहाना चाहिए था, कि किसी तरह रिया से बात हो जाए। और रिया राज की बातें सुन खुश हो जाती।

पर ये खुशी भी कहां टिकने वाली थी। किसी ने रिया को बताया कि अमित अच्छा आदमी नहीं हैं। वह किसी कांड में शामिल है। रिया फिर से दुखी हो गई। वह अमित को जानती तो थी, मगर इतना भी नहीं जानती थी। रिया फिर से दुखी हो गई।

एक दिन जब अमित का फोन आया तो वह बोली-अमित हमारा बात करना ठीक नहीं है। लोग हमें गलत समझेंगे। अमित बोला-हम गलत कहां है? लोग समझते हैं तो समझते रहे, हमें क्या? पर रिया ने कहा-आगे से तुम फोन मत करना और फोन काट दिया।

रिया पूरे दिन परेशान रही। फिर शाम को काल आया तो रिया फोन रिसीव करते ही बोली-तुम भले ही नए नंबर से काल करो, मैं आपकी आवाज पहचानती हूं। अब बताओ कौन हो तुम? सामने से आवाज आई अमित। रिया एकदम बोली-तो अमित तुम ही हो जो मुझे वाट्स-एप पर परेशान कर रहे थे, बार-बार मैसेज करके। अमित बोला, नहीं तो, मुझे आज किसी का फोन आया जिसकी आवाज सेम तुम्हारे जैसी थी, तो यह पूछने के लिए कि कहीं तुम मेरी खिंचाई तो नहीं करने वाली हो। ये जानने के लिए काल किया।

आज रिया बहुत खुश थी। उसकी आवाज में अलग सी खनक थी। अमित को हुआ इस बार वो मौका देखकर रिया को बोल देगा कि वह उससे बहुत प्यार करता है। फिर भले ही रिया नाराज होगी तो मना लूंगा। पर रिया को अमित से कब बात करनी थी। उसे अमित को बताना था कि राज जैसी आवाज का एक सख्श है। वो रिया के घर के पास ही रहता है । उसे रिया की उदासी नहीं देखी जाती। उसने कई बार उससे बात करने की कोशिश की। पर रिया ने कभी उसकी तरफ देखा भी नहीं। आज तो उसने कहा कि रिया एक बार बात कर लो फिर मैं तुम्हें कभी फोर्स नहीं करूंगा।

रिया ने सोचा कि क्या है, मैं उसे समझा दूंगी कि इन सबमें कुछ नहीं है। रिया ने काल किया तो सामने से आवाज आई कैसी हो रिया, मैं रणबीर। कब से तुम्हारी आवाज सुनना चाहता था। पर रिया कुछ नहीं बोली। बस रणवीर की आवाज सुन रही थी। मानों उसका दस साल का इंतजार खत्म हो गया हैं। रणवीर की आवाज और उसका बात करने का तरीका सब राज से मिलता था। उसे यह अहसास भी नहीं कि वो राज से नहीं रणवीर से बात कर रही हैं।

अब घंटों घंटों रणवीर और रिया बातें करते। रणवीर को सिर्फ रिया का दर्द कम करना था। जो रिया जिंदा लाश थी। वो खुली हवा में सांस लेने लगी। उसे लगा इस रणवीर से बात कर उसका दर्द कम हो रहा है। अब उसे बारिश भी अच्छी लगने लगी। जिंदगी सामान्य होने लगी। रणवीर भी बहुत दुखी था अपनी लाइफ में। सबको सब कुछ दिखता था, पर उसे कोई नहीं समझता था।

अब रिया जो उसकी सबसे अच्छी दोस्त जो बन गई। उसे अब क्या चाहिए। रिया ने उसे अपना हर दर्द, अपनी हर तकलीफ बताई। अब रणवीर ने भी उसे अपनी बातें बतानी शुरू की। बातों ही बातों में वे कब इतना करीब आ गए, पता ही नहीं चला। अब रिया को रणवीर से बात नहीं होती तो नींद नहीं आती। दस साल में रिया बहुत कम सोई, मगर अब वह रणवीर की याद में सो नहीं पा रही। आज रिया को जाना है अपनी मां के पास, तो रणवीर उसे छोड़ने स्टेशन तक आया। रिया की गाड़ी जाने के बाद भी रणवीर वहां खड़ा रहा। ये बात रिया के दिल को छू गई। उसे लगा कि अनुज भी उसे छोड़ने आते हैं, मगर गाड़ी में बिठाकर चले जाते हैं। ये बात रिया के दिल को छू गई।

आज रणवीर ने रिया को इतना खुश देखा तो अपने दिल की बात बता दी। उसने मैसेज किया-आई लव यू । तो रिया ने भी मैसेज किया-उसके तीन साल की बेटी है, अनन्या। वह बहुत ही सुंदर है। सब उसे अपने पास बुलाते हैं। पर वो रिया को छोड़ कर कहीं नहीं जाती। अब रिया अपनी मां के पास पहुंची तो उसके चेहरे का नूर कुछ और था। इतने सालों में जो उदासी देखी थी, वह दूर हो गई थी।

अब रणवीर का फोन आता तो वह अकेले में बातें करती। एक दिन रणवीर ने कहा-रिया मैं तुम्हारा राज नहीं रणवीर हूं। पर मै तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। तुम्हारे राज से भी ज्यादा मैंने भगवान के सामने तेरे नाम के दीये जलाए हैं। जब-जब तुम्हें देखा उन दीयों के साथ मैं भी जला हूं। आज मेरी सारी दुआ कुबूल हो गई। तुम मेरे साथ हो, मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस तुम अपनी बेटी और अनुज का ध्यान रखो। अब महीने में दो-चार बार बात कर लेंगे; इससे ज्यादा अगर बातें हुईं तो तुम्हारा क्या होगा? अनुज ये बर्दाश्त नहीं कर पाएगा। मुझे लगता है रिया मेरा काम तेरा दर्द कम करना था जो हो गया।....

अब दोनों एक-दूसरे की परवाह करते हैं। फोन भी करते हैं। मगर रिया अपनी जिंदगी में खुश है। रिया को खुश देखकर अनुज में भी परिवर्तन होने लगा। वह भी रिया को खुश रखने लगा। अब वाकई अनुज और रिया की जिंदगी बदल गई थी। यह सुखद बदलाव रिया की जिंदगी में रणवीर की वजह से आया। वाकई इस बदलाव ने रिया की जिंदगी को सहज कर दिया।

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