Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान
Posted: 05 Nov 2016 11:46
जैसे नहीं होते. यकीन मानो मैं ऐसा कुछ नहीं सोच रहा हूँ. वैसे तुम्हारा भैया और पिताजी कहाँ है इस वक्त.??
राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी घुलमी करने. और तो कोई काम नहीं है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.
राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करूं. हो सकता है वो सुधार जाए.
राधिका- आपने कभी कुत्ते का दम को सीधा होते देखा है क्या !! नहीं ना ऐसे ही है वो दोनों. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.
राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है की वो उसे कक्चा चबा जाएगी.
राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.
राहुल- नहीं !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.
राधिका- नहीं राहुल मेरा ये मतलब नहीं था.
राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैंने तुमको देखा है पता नहीं क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख्याल आता रहता है. मेरे साथ पता नहीं ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी…………………..
राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नहीं आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नहीं तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.
राहुल- अरे नहीं राधिका जी आप मेरे बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नहीं जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्करा देता है. और राधिका भी मुस्करा देती है. ऐसे ही कुछ डियर तक इधर उधर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.
राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चल है.
विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नहीं. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .
राहुल- नहीं यार मैं इस वक्त राधिका के यहां आया हूँ और अभी थोड़े डियर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.
राधिका- एक बात काहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नहीं लगता. तुम इसका संगत क्यों नहीं चोद देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नहीं लगती.
राहुल- नहीं विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसे भी हो मगर दिल का साफ है.
राधिका भी इस बारे में राहुल से ज्यादा बहस नहीं करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी डियर के बाद दोनों मैं दूर तक आ जाते हैं.
वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी डियर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बायें बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छुट्टी हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनों हाथों से कसकर दबाती है.
राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.
राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.
राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गुम नहीं था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिक्र है.
राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिक्र हो रही है .मैं जेवॉन या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.
राधिका- क्यों मैं नहीं करती क्या तुम्हारी चिंता……………………………….. राधिका के मुंह से पता नहीं ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई तीर से निकाला कमान एक बार चुत जाता है तो वापस नहीं आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी की राहुल को सब पता चल गया है की वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.
राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.
राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ़्रेंड बन सकते हैं. ई वॉंट यू तो फ्रेंडशिप विद यू. विल यू आक्सेप्ट???
राधिका इशारे में हाँ कहकर अपनी गर्दन झुका लेती है.
राहुल- मुझे बहुत है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पकड़. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नहीं हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्करा देता है और राधिका भी .
राहुल- पता नहीं कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हुँला है. पछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हिलने हो चुके हैं. अब तक हुंलवरों का कोई सुराग नहीं और ना ही कोई वजह पता लगी है.
राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ डियर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बंद देती है जिससे राहुल को काफी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नजरें राधिका पर पड़ती है और दोनों एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं….
राधिका और राहुल काफी डियर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नजरें नीचे झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधर उधर देखने लगता है.
राधिका- आप यही बैईठये मैं आपके लिए खाना बनती हूँ.
राहुल- अरे राधिका इसकी….
राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी घुलमी करने. और तो कोई काम नहीं है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.
राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करूं. हो सकता है वो सुधार जाए.
राधिका- आपने कभी कुत्ते का दम को सीधा होते देखा है क्या !! नहीं ना ऐसे ही है वो दोनों. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.
राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है की वो उसे कक्चा चबा जाएगी.
राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.
राहुल- नहीं !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.
राधिका- नहीं राहुल मेरा ये मतलब नहीं था.
राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैंने तुमको देखा है पता नहीं क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख्याल आता रहता है. मेरे साथ पता नहीं ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी…………………..
राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नहीं आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नहीं तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.
राहुल- अरे नहीं राधिका जी आप मेरे बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नहीं जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्करा देता है. और राधिका भी मुस्करा देती है. ऐसे ही कुछ डियर तक इधर उधर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.
राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चल है.
विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नहीं. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .
राहुल- नहीं यार मैं इस वक्त राधिका के यहां आया हूँ और अभी थोड़े डियर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.
राधिका- एक बात काहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नहीं लगता. तुम इसका संगत क्यों नहीं चोद देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नहीं लगती.
राहुल- नहीं विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसे भी हो मगर दिल का साफ है.
राधिका भी इस बारे में राहुल से ज्यादा बहस नहीं करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी डियर के बाद दोनों मैं दूर तक आ जाते हैं.
वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी डियर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बायें बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छुट्टी हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनों हाथों से कसकर दबाती है.
राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.
राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.
राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गुम नहीं था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिक्र है.
राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिक्र हो रही है .मैं जेवॉन या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.
राधिका- क्यों मैं नहीं करती क्या तुम्हारी चिंता……………………………….. राधिका के मुंह से पता नहीं ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई तीर से निकाला कमान एक बार चुत जाता है तो वापस नहीं आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी की राहुल को सब पता चल गया है की वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.
राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.
राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ़्रेंड बन सकते हैं. ई वॉंट यू तो फ्रेंडशिप विद यू. विल यू आक्सेप्ट???
राधिका इशारे में हाँ कहकर अपनी गर्दन झुका लेती है.
राहुल- मुझे बहुत है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पकड़. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नहीं हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्करा देता है और राधिका भी .
राहुल- पता नहीं कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हुँला है. पछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हिलने हो चुके हैं. अब तक हुंलवरों का कोई सुराग नहीं और ना ही कोई वजह पता लगी है.
राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ डियर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बंद देती है जिससे राहुल को काफी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नजरें राधिका पर पड़ती है और दोनों एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं….
राधिका और राहुल काफी डियर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नजरें नीचे झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधर उधर देखने लगता है.
राधिका- आप यही बैईठये मैं आपके लिए खाना बनती हूँ.
राहुल- अरे राधिका इसकी….