Page 7 of 15

Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Posted: 05 Nov 2016 11:46
by jasmeet
जैसे नहीं होते. यकीन मानो मैं ऐसा कुछ नहीं सोच रहा हूँ. वैसे तुम्हारा भैया और पिताजी कहाँ है इस वक्त.??
राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी घुलमी करने. और तो कोई काम नहीं है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.

राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करूं. हो सकता है वो सुधार जाए.
राधिका- आपने कभी कुत्ते का दम को सीधा होते देखा है क्या !! नहीं ना ऐसे ही है वो दोनों. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.

राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है की वो उसे कक्चा चबा जाएगी.

राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.
राहुल- नहीं !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.

राधिका- नहीं राहुल मेरा ये मतलब नहीं था.
राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैंने तुमको देखा है पता नहीं क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख्याल आता रहता है. मेरे साथ पता नहीं ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी…………………..

राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नहीं आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नहीं तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.

राहुल- अरे नहीं राधिका जी आप मेरे बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नहीं जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्करा देता है. और राधिका भी मुस्करा देती है. ऐसे ही कुछ डियर तक इधर उधर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.

राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चल है.
विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नहीं. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .

राहुल- नहीं यार मैं इस वक्त राधिका के यहां आया हूँ और अभी थोड़े डियर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.

राधिका- एक बात काहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नहीं लगता. तुम इसका संगत क्यों नहीं चोद देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नहीं लगती.

राहुल- नहीं विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसे भी हो मगर दिल का साफ है.
राधिका भी इस बारे में राहुल से ज्यादा बहस नहीं करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी डियर के बाद दोनों मैं दूर तक आ जाते हैं.

वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी डियर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बायें बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छुट्टी हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनों हाथों से कसकर दबाती है.

राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.

राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.

राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गुम नहीं था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिक्र है.

राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिक्र हो रही है .मैं जेवॉन या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.

राधिका- क्यों मैं नहीं करती क्या तुम्हारी चिंता……………………………….. राधिका के मुंह से पता नहीं ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई तीर से निकाला कमान एक बार चुत जाता है तो वापस नहीं आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी की राहुल को सब पता चल गया है की वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.

राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.

राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ़्रेंड बन सकते हैं. ई वॉंट यू तो फ्रेंडशिप विद यू. विल यू आक्सेप्ट???

राधिका इशारे में हाँ कहकर अपनी गर्दन झुका लेती है.

राहुल- मुझे बहुत है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पकड़. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नहीं हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्करा देता है और राधिका भी .

राहुल- पता नहीं कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हुँला है. पछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हिलने हो चुके हैं. अब तक हुंलवरों का कोई सुराग नहीं और ना ही कोई वजह पता लगी है.

राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ डियर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बंद देती है जिससे राहुल को काफी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नजरें राधिका पर पड़ती है और दोनों एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं….

राधिका और राहुल काफी डियर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नजरें नीचे झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधर उधर देखने लगता है.

राधिका- आप यही बैईठये मैं आपके लिए खाना बनती हूँ.
राहुल- अरे राधिका इसकी….

Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Posted: 05 Nov 2016 11:46
by jasmeet
कोई जरूरत नहीं मैं अब चलता हूँ.

राधिका- ऐसे कैसे आप यू ही चले जाएँगे पहली बार मेरे घर आए हैं तो आज तो मेरे हाथों का खाना कहा का ही जाना होगा. राधिका की बात को शायद राहुल मना नहीं कर पता और वो वही पर रुक जाता है.

करीब एक घंटे के बाद राधिका खाना ले कर राहुल के पास आती है. राहुल भी झट से हाथ मुंह धो कर खाना खाने बैठ जाता है. दोनों एक साथ कहाँ कहते हैं.

राहुल- अरे वाह कितना बढ़िया खाना बना है. ये तो मेरा पासिंदिदा खाना है. कितने दीनों के बाद आज घर का खाना खाने को मिला है. खाने में पुलाव और पनीर बना था और भी कई आइटम्स थे.

खाना खाने के बाद राधिका बाहर मैं दूर तक आती है और राहुल जाते वक्त राधिका की आँखों में एक अजीब सी कशिश देखी थी जो राहुल को बार बार उसकी ओर उसका ध्यान कुछ रही थी.और रास्ते भर उसको राधिका का ही ख्याल आता रहा और वो मान ही मन मुस्करा देता है.

दूसरे दिन उधर विजय भी बार बार राधिका के लिए बेचैन था. और हर रोज़ शाम को सोने के पहले और सुबह उठने के बाद राधिका की नाम की मूठ मरता रहता था.

विजय- ये तूने क्या कर दिया है राधिका क्यों मेरा लंड तेरे लिए इतना बेचैन हैं. जब तक तेरी नाम का मैं मूठ नहीं मर लेता मेरे लंड को चैन ही नहीं मिलता. अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुझे किसी भी तरह हासिल करूँगा चाहे उसके लिए मुझे कोई भी कीमत,चाहे मुझे किसी की भी बली क्यों ना देनी पड़े. तुझे मुझसे कोई नहीं छीन सकता राहुल भी नहीं इतना सोचकर विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है.

विजय फिर मोनिका के पास फोन करता है

विजय- कैसी है मेरी रांड़!!!
मोनिका- ठीक हूँ बोलो कैसे याद किया मुझे.

विजय- तू तो जानती है ना की जब मेरा लंड खड़ा होता है तो तेरी याद आती है. चल मेरे घर पर आ जा मैं बहुत बेचीन हूँ.

मोनिका- नहीं मुझे तुम्हारे साथ सेक्स नहीं करना. तुम आज कल बहुत वाइल्ड होते जा रहे हो. मुझे तो डर लगता है अब तुमसे.

विजय- आरे आ जा ना मेरी जान क्यों नखरे करती है . चल वादा करता हूँ की अब तुझे मैं अपनी चंगुल से आज़ाद कर दूँगा. अब तो तू खुश है ना चल जल्दी से आ जा .

मोनिका- ठीक है ठीक है अभी आती हूँ और मोनिका फोन रख देती है.

थोड़ी डियर के बाद मोनिका राहुल के घर पर पहुँच जाती है.

विजय- आ गयी मेरी रांड़ देख ना मेरा लंड तेरी याद में खड़ा ही रहता है. चल अपने पूरे कपड़े उतार कर एक दम नंगी हो जा.

मोनिका- विजय आज भी तुमने ड्रग्स लिया है ना. मैं इसी वक्त यहां से जा रही हूँ.विजय- अरे मेरी जान तेरे नशे के आगे तो ये ड्रग्स भी क्या चीज़ है. लत लग गयी है मुझे क्या करूं चुत थी ही नहीं .

मोनिका- मुझे तुमसे बहुत डर लगता है. पता नहीं कब क्या करोगे मेरे साथ.
विजय- अरे गैरों से डरना चाहिए अपनों से नहीं. चल अब फटाफट नंगी हो जा.

मोनिका अपनी शादी पेटीकोट, ब्लाउज, बड़ा और पैंटी सब कुछ उतार कर एक दम नंगी होकर वही विजय के सामने खड़ी हो जाती है.

विजय- अब वही खड़ी भी रहेगी क्या,, देख ना मेरे जूते कितने गंदे हो गये हैं. चल आ कर साफ कर दे ना. विजय अपने जूते को मोनिका की ओर दिकहता हुआ बोला.

मोनिका जब उसके बात का मतलब समझती है तो उसके होश उड़ जाते हैं. मगर वो चुप चाप आकर वीइजे के बाजू में बैठ जाती है.

विजय- यहां नहीं जानेमन नीचे मेरे जूते के पास बैठ ना. मोनिका भी धीरे से उसके जूते के पास बैठ जाती है.
विजय- अब देख क्या रही है चल मेरे जूते साफ कर ना. तुझे तो हर बात बतानी पड़ती है क्या. देख एक बात बोल देता हूँ जितना मैं बोलता हूँ उतनी ही कर उसी में तेरी भलाई है. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.

विजय की बात सुनकर मोनिका का डर और तरफ जाता है और वो चुप चाप अपना सर नीचे झुका लेती है.
विजय- चल ना अब साफ भी कर ना अपने इन प्यारे होठों से.

मोनिका भी धीरे से झुक कर उसके जूते को अपने जीभ से साफ करना शुरू कर देती है. और तब तक करती है जब तक विजय उसको मना नहीं कर देता.

मोनिका को इतनी शर्मिंदगी लगती है उसका दिल करता है की अभी यहां से फौरन निकल का भाग जाए.

विजय- चल अच्छे से चाट और एक भी धूल नहीं रहना चाहिए. कुछ डियर तक मोनिका उसके जूते अपनी मुंह से साफ करती है और फिर विजय अपना दूसरा जूता आगे बड़ा देता है. और वो फिर उसे भी साफ करने लगती है.

विजय- शभाष मेरी रांड़ तूने तो मेरे जूते चमका दिया. अब से मैं तुझसे ही अपने जूते साफ करूँगा. मोनिका उसको गूर कर देखती है मगर कुछ नहीं बोलती.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस और हां पूरा अंदर लेना नहीं तो आज तेरी गांड फाड़ दूँगा.
मोनिका झट से उसके पेंट को खोल देती है और फिर आंडरवेयर, और उसका मूसल उसके नज़रेनो के सामने आ जाता है.
मोनिका भी चुप चाप उसे मुंह में लेकर चूसने लगती है. थोड़े देर की चूसा के बाद विजय का लंड एकदम अकड़ जाता है.

विजय- चल तू पूरा मुंह खोल मैं अब तेरे मुंह में अपना पूरा लंड डालूँगा. इतना कहकर विजय खड़ा हो जाता है और मोनिका को सोफे पर पीठ के बेल लेता देता है और वो सामने से आकर अपना….

Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Posted: 09 Nov 2016 00:07
by jasmeet
लंड मोनिका के मुंह में डायल देता है. अब मोनिका भी धीरे धीरे विजय का लंड पूरा अपने मुंह में लेने लगती है.

कुछ देर में विजय का पूरा लंड मोनिका के हलक तक पहुंच जाता है और वो तड़पने लगती है. विजय अपने लंड पर दबाव बनाए रखता है और मोनिका के आँखों से आँसू निकालने लगते हैं. मोनिका के मुंह से लगातार गूऊ…… गूऊ की आवाजें बाहर आती है और उसकी साँसें तेज हो जाती है. विजय उसी तरह पूरा अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता है. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकलता है मोनिका ज़ोर ज़ोर से साँसें लेती है.

मोनिका- तुम तो मुझे मर ही डालोगे. भला कोई ऐसे भी पूरा मुंह में डालता है क्या.??
विजय- जनता हूँ तू मेरी पुक्की छिनाल है. अरे इससे भी बड़ा मेरा लंड होता तो तू वो भी पूरा निगल जाती. अब नखरे मत कर और मेरा माल जल्दी से निकल दे.

मोनिका फिर तेजी से विजय का लंड अपने मुंह में पूरा लेती है और धीरे धीरे अपने हलक में उतरने लगती है. विजय का कुछ डियर में शरीर अकड़ने लगता है और वो उसका कम कुछ मोनिका के हलक में और कुछ बाहर उसके मुंह के साइड से होता हुआ फर्श पर गिर जाता है और कुछ बूँदें सोफा पर.

विजय- वो मेरी रांड़ तूने तो मेरा लंड का माल निकल दिया. चल अब जल्दी से नीचे गिरे मेरे अमृत को अपने जीभ से चाट कर साफ कर.
मोनिका भी झुक कर पहले सोफे पर गिरा उसका कम को चाट कर साफ करती है फिर नीचे फर्श पर झुक कर विजय का कम अपने जीभ से चाट का साफ करती है पर कुछ बूँदें वही रही जाती है.

विजय- मोनिका तूने तो ज़मीन पर गिरा मेरे कम को अच्छे से साफ नहीं किया हरामी साली आज तुझे तेरी अवाकात बताता हूँ. इतना कहकर विजय उसके बाल ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भीच लेता है और मोनिका दर्द से कराह उठी है.

विजय उसके मुंह के एकदम पास जाता है और फिर से उसके बालों को ज़ोर से झटक देता है. जैसे ही मोनिका फिर चिल्लाती है विजय ढेर सारा थूक उसके मुंह में थूक देता है. और मज़बूरन मोनिका को अपने हलक के नीचे उतरना पड़ता है.

विजय- जानती है जुटे को हमेशा पैरों में ही पहन्णनी चाहिए.उसकी शोभा पैरों में हैं सर पर नहीं .उसी तरह औरत को हमेशा अपनी पॉन की जूती में ही बैठानी चाहिए. ये है तेरी अवाकात. और इतना कहकर विजय एक बार मोनिका के चेहरे पर थूक देता है.

मोनिका- रोते हुए आख़िर मेरा कसूर क्या है तुम मुझसे चाहते क्या हो. जैसा तुम कहते हो मैं तो वैसे ही करती हूँ ना फिर???
लंड मोनिका के मुंह में डायल देता है. अब मोनिका भी धीरे धीरे विजय का लंड पूरा अपने मुंह में लेने लगती है.

कुछ देर में विजय का पूरा लंड मोनिका के हलक तक पहुंच जाता है और वो तड़पने लगती है. विजय अपने लंड पर दबाव बनाए रखता है और मोनिका के आँखों से आँसू निकालने लगते हैं. मोनिका के मुंह से लगातार गूऊ…… गूऊ की आवाजें बाहर आती है और उसकी साँसें तेज हो जाती है. विजय उसी तरह पूरा अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता है. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकलता है मोनिका ज़ोर ज़ोर से साँसें लेती है.

मोनिका- तुम तो मुझे मर ही डालोगे. भला कोई ऐसे भी पूरा मुंह में डालता है क्या.??
विजय- जनता हूँ तू मेरी पुक्की छिनाल है. अरे इससे भी बड़ा मेरा लंड होता तो तू वो भी पूरा निगल जाती. अब नखरे मत कर और मेरा माल जल्दी से निकल दे.

मोनिका फिर तेजी से विजय का लंड अपने मुंह में पूरा लेती है और धीरे धीरे अपने हलक में उतरने लगती है. विजय का कुछ डियर में शरीर अकड़ने लगता है और वो उसका कम कुछ मोनिका के हलक में और कुछ बाहर उसके मुंह के साइड से होता हुआ फर्श पर गिर जाता है और कुछ बूँदें सोफा पर.

विजय- वो मेरी रांड़ तूने तो मेरा लंड का माल निकल दिया. चल अब जल्दी से नीचे गिरे मेरे अमृत को अपने जीभ से चाट कर साफ कर.
मोनिका भी झुक कर पहले सोफे पर गिरा उसका कम को चाट कर साफ करती है फिर नीचे फर्श पर झुक कर विजय का कम अपने जीभ से चाट का साफ करती है पर कुछ बूँदें वही रही जाती है.

विजय- मोनिका तूने तो ज़मीन पर गिरा मेरे कम को अच्छे से साफ नहीं किया हरामी साली आज तुझे तेरी अवाकात बताता हूँ. इतना कहकर विजय उसके बाल ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भीच लेता है और मोनिका दर्द से कराह उठी है.

विजय उसके मुंह के एकदम पास जाता है और फिर से उसके बालों को ज़ोर से झटक देता है. जैसे ही मोनिका फिर चिल्लाती है विजय ढेर सारा थूक उसके मुंह में थूक देता है. और मज़बूरन मोनिका को अपने हलक के नीचे उतरना पड़ता है.

विजय- जानती है जुटे को हमेशा पैरों में ही पहन्णनी चाहिए.उसकी शोभा पैरों में हैं सर पर नहीं .उसी तरह औरत को हमेशा अपनी पॉन की जूती में ही बैठानी चाहिए. ये है तेरी अवाकात. और इतना कहकर विजय एक बार मोनिका के चेहरे पर थूक देता है.

मोनिका- रोते हुए आख़िर मेरा कसूर क्या है तुम मुझसे चाहते क्या हो. जैसा तुम कहते हो मैं तो वैसे ही करती हूँ ना फिर???